Friday , November 22 2024

विदेश

‘40 भारतीय नाविकों को रिहा करे ईरान’, भारत ने उठाई मांग; आठ महीने पहले हिरासत में लिए गए थे

ईरान में बीते आठ महीने से हिरासत में लिए गए 40 भारतीय नाविकों की रिहाई हो सकती है। दरअसल भारत ने ईरान से 40 भारतीय नाविकों को रिहा करने को कहा है। बता दें कि बीते आठ महीनों में इन नाविकों को फारस की खाड़ी से चार अलग-अलग व्यापारिक जहाजों से हिरासत में लिया गया था। भारत के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से तेहरान में एक मुलाकात के दौरान नाविकों को रिहा करने का अनुरोध किया।

भारतीय नाविकों की रिहाई पर ईरान का जवाब
बता दें कि केंद्रीय मंत्री सोनोवाल तेहरान में थे, जहां भारत ने चाबहार बंदरगाह को संचालित करने के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह बंदरगाह मध्य एशिया के साथ भारत के व्यापार को विस्तार देने में मदद करेगा। सोनोवाल और अब्दुल्लाहियन के बीच बैठक में द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की गई। मुलाकात के दौरान केंद्रीय मंत्री ने ईरान के विदेश मंत्री से बंधक बनाए गए भारतीय नाविकों की रिहाई का अनुरोध किया। इसके जवाब में अब्दुल्लाहियन ने कहा कि ईरान द्वारा भारतीय नाविकों की रिहाई पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ कानूनी मामलों की वजह से रिहाई में देरी हुई है।

बीते आठ महीनों में हिरासत में लिए गए 40 भारतीय नाविक
सूत्रों का कहना है कि सभी नाविक चार अलग अलग जहाजों में काम कर रहे थे। स्टीवन, ग्लोबल चेरिलिन, मार्गोल और एमएसजी एरीज नाम के जहाजों को बीते आठ महीनों में ईरान द्वारा जब्त किया गया। सूत्रों के अनुसार स्टीवन जहाज को ईरान के कोस्ट गार्ड द्वारा 12 सितंबर 2023 को तस्करी के आरोप में जब्त किया गया था। इसमें मौजूद चालक दल के नौ सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया था। दूसरे जहाज ग्लोबल चेरिलिन को 11 दिसंबर 2023 को जब्त किया गया था। इसमें सवार चालक दल के 20 सदस्यों को हिरासत में लिया गया था। ईरान के कोस्ट गार्ड द्वारा तीसरे जहाज मारगोल को 22 जनवरी 2024 को जब्त किया गया था। इसके अलावा एमएससी एरीज को 13 अप्रैल 2024 को जब्त किया गया था। इसमें मौजूद चालक दल के 17 सदस्यों को हिरासत में लिया गया था।

बाइडन ने फिर यूक्रेन को दी दो बिलियन डॉलर के सैन्य राहत पैकेज की मदद; जेलेंस्की ने टाले विदेशी दौरे

रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से युद्ध जारी है। इस बीच, अमेरिका ने एक बार फिर यूक्रेन के लिए राहत पैकेज की घोषणा की। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन ने दो बिलियन अमेरिकी डॉलर का हथियार पैकेज यूक्रेन को दिया है। सौदे का अधिकांश पैसा पिछले माह स्वीकृत किया गया था। गौरतलब है कि हाल हीं में शुरू हुए संघर्ष में रूस ने यूक्रेन के नौ गांवों पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, यूक्रेन रूस के इस दावे को खारिज करके कह रहा है कि रूस ने सिर्फ पांच ही गांवों पर कब्जा किया हुआ है।

दो दिवसीय कीव यात्रा के दौरान, बुधवार को ब्लिकंन ने अपने अंतिम कार्यक्रम के दौरान कहा कि बाइडन प्रशासन ने यूक्रेन के लिए दो बिलियन अमेरिकी डॉलर, मध्यम और दीर्घकालिक विदेशी सैन्य वित्तपोषण पैकेज को मंजूरी दी है। अधिकारियों ने बताया कि सौदे का अधिकांश पैसा, करीब 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर, कांग्रेस द्वारा पारित और राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा हस्ताक्षरित विदेशी सहायता कानून में यूक्रेन को आवंटित 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लिया गया है। ब्लिंकन ने कीव को वाशिंगटन के समर्थन का आश्वासन दिया।

जेलेंस्की ने रद्द किए सभी विदेशी दौरे
इसके अलावा, यूक्रेन की सेनाएं देश के पूर्वी इलाकों से हट गईं हैं। अन्य क्षेत्रों में यूक्रेनी सैनिक रूसी सैनिकों का मुकाबला कर रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी अपनी सभी विदेशी यात्राएं स्थगित कर दीं हैं। यूक्रेन के जनरल स्टाफ ने मंगलवार देर रात बताया कि हमारे सैनिक जान बचाने और नुकसान से बचने के लिए लुक्यांत्सी और वोवचांस्क क्षेत्रों से वापस आ गए हैं। वोवचांस्क- रूसी सीमा से केवल 5 किलोमीटर और खार्किव शहर से 50 किलोमीटर दूर है। बुधवार को यूक्रेनी-रूसी सैनिकों ने वाोवचांस्क की सड़कों पर लड़ाई की। ओलेक्सी खार्किवस्की शहर की गश्ती पुलिस के प्रमुख का कहना है कि रूसी सैनिक शहर में मोर्चाबंदी कर रहे हैं तो वहीं जनरल ने कहा कि यूक्रेनी सेना ने रूसी सैनिकों को खदेड़ दिया है।

यूक्रेन के नौ गांवों पर रूस का कब्जा
रूस ने शुक्रवार को यूक्रेन की उत्तरी सीमा पर हमले शुरू किए। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने भी जवाबी हमले की बात कही है। यूक्रेन की उत्तरी सीमा पर रूस के हमले की वजह अभी तक साफ नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि रूस बफर जोन बनाना चाहता है ताकि यूक्रेन के रूस पर हमलों को नियंत्रित किया जा सके। यूक्रेन के गांवों पर कब्जे पर रूस के रक्षा मंत्री ने बयान जारी कर कहा कि रूसी सेना ने नौ गांवों को आजाद करा लिया है। यूक्रेन की सेना के प्रमुख ओलेक्जेंद्र सिरस्की ने कहा कि उत्तरी सीमा पर खारकीव में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं।

चीन के राष्ट्रपति के खिलाफ सड़कों पर जुटे लोग, तिब्बत-शिनजियांग में ड्रैगन के कृत्यों का किया विरोध

फ्रांस और चीन अपने रिश्तों को सुधारने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पेरिस पहुंचे। हालांकि, तिब्बत और शिनजियांग की वकालत करने वाले कार्यकर्ता भी इन क्षेत्रों में मानवाधिकारों के हनन पर चिंताओं को उजागर करने के लिए एकत्र हुए। उन्होंने शी के आने का विरोध किया।

सर्बिया और हंगर भी जाएंगे शी
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार यूरोप की यात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान यूक्रेन-रूस युद्ध और बीजिंग तथा ब्रुसेल्स के बीच आर्थिक तनाव को लेकर बात होने की उम्मीद है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि शी के यूरोप की यात्रा की शुरुआत फ्रांस से होगी। इसी को लेकर वह पेरिस पहुंच गए हैं। वहीं, पाइरेनीज क्षेत्र में जाने से पहले शी सोमवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ एक बैठक में शामिल होंगे। इसके अलावा, वह सर्बिया और हंगर भी जाएंगे।

चीन और फ्रांस के झंडों से सजी हुई थीं सड़कें
शी के पेरिस पहुंचने पर जोरदार स्वागत हुआ। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों चीन और फ्रांस के झंडों से सड़कें सजी हुई थीं। वहीं, चीनी नागरिकों के समूहों ने अपने राष्ट्रपति का स्वागत किया। उत्सव के माहौल के बीच, तिब्बत और शिनजियांग की वकालत करने वाले कार्यकर्ता भी राजधानी की सड़कों पर मौजूद थे। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति के पहुंचने पर विरोध-प्रदर्शन किया।

जरूरी मुद्दों को सामने रखने का आग्रह
ह्यूमन राइट्स वॉच ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों से शी की पेरिस यात्रा के दौरान इन मुद्दों को सामने रखने का आग्रह किया। वहीं, मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की रिहाई का भी आह्वान किया, जिसमें इल्हाम तोहती, एक उइगर अर्थशास्त्री और सखारोव शामिल हैं। संगठन ने जोर देकर कहा कि मैक्रों को तिब्बत और हॉन्गकॉन्ग के बारे में भी चिंता व्यक्त करनी चाहिए।

यूक्रेन से युद्ध के बीच राष्ट्रपति पुतिन के सख्त तेवर, सेना को दिया परमाणु हथियारों के अभ्यास का आदेश

रूस और यूक्रेन के बीच 26 महीने से अधिक समय से युद्ध जारी है। फिलहाल यह जंग थमती नजर नहीं आ रही है। इस बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर अपने खतरनाक इरादों का संकेत दिया है। उन्होंने रूसी सेना को परमाणु हथियारों के साथ अभ्यास करने को कहा है। यह आदेश यूक्रेन की सीमा पर तैनात थल सेना और नौसेना को दिया गया है।

परमाणु हथियारों को भी किया जाएगा शामिल
रूसी रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि अभ्यास के दौरान परमाणु हथियारों को भी शामिल किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि कैसे इन हथियारों के साथ तैयारी की जा सकती है और इनका क्या इस्तेमाल हो सकता है।

लगातार दे रहे चेतावनी
बता दें, जब से यूक्रेन से साथ युद्ध शुरू हुआ है, तब से पुतिन परमाणु हथियारों को लेकर कई बार बयानबाजी दे चुके हैं। फरवरी में भी उन्होंने परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की चेतावनी दी थी। अब पुतिन ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब रूस की सेना का कहना है कि यूक्रेन के अलावा पश्चिमी देशों से भी उसे खतरा है।

एकता की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार
अब तक मिली जानकारी के अनुसार, इस अभ्यास में परमाणु हथियारों की तैनाती और उनके इस्तेमाल को शामिल किया जाएगा। सेनाएं अभ्यास करेंगी कि कैसे इन हथियारों का जंग में इस्तेमाल करना है और कैसे मोर्चे पर इन्हें तैनात किया जा सकता है। रूस की सेना का कहना है कि इसके जरिए हम यह दिखाना चाहते हैं कि अपनी अखंडता और एकता की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और तत्पर हैं।

‘ब्रिटेन में बन सकते हैं त्रिशंकु संसद जैसे हालात’, स्थानीय चुनाव के नतीजों के बाद पीएम सुनक ने दी चेतावनी

ब्रिटेन में हुए स्थानीय चुनावों के नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि विपक्षी लेबर पार्टी के नेतृत्व में देश त्रिशंकु संसद की ओर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि स्थानीय चुनाव का विश्लेषण करने के बाद यह संकेत मिले हैं और यह ब्रिटेन के लिए एक खतरा साबित हो सकता है। बता दें कि ब्रिटेन की सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी को हाल के नगर निगम चुनावों में सैकड़ों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। पीएम सुनक ने इसे निराशाजनक बताते हुए कहा कि इन नतीजों से पता चलता है कि देश त्रिशंकु संसद की तरफ बढ़ रहा है।

‘राजनीति में खरीद-फरोख्त नहीं एक्शन जरूरी’
दरअसल कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अगर स्थानीय चुनावों की तरह आगामी आम चुनावों में मतदाताओं ने इसी तरह से मतदान किया तो लेबर पार्टी 294 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। उधर प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इस साल के अंत में होने वाले आम चुनाव के लिए राजनीतिक पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग की है, ताकि मतदाताओं का भरोसा जीता जाए। स्थानीय चुनाव के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में लेबर पार्टी द्वारा स्कॉटिश नेशनल पार्टी को समर्थन दिया गया था। इस समर्थन को पीएम सुनक ने खतरनाक करार देते हुए कहा कि देश की राजनीति में खरीद फरोख्त की नहीं बल्कि एक्शन की जरूरत है।

पीएम सुनक ने स्वीकारी यह बात
सुनक ने इस बात को भी स्वीकार किया कि ब्रिटेन के लोग को बीते कुछ वर्षों में जीवनयापन की लागत और बढ़ते घरेलू बिल से निराश हो गए थे और इसका असर स्थानीय चुनावों में देखने को मिला है। सुनक ने कहा ‘मैं लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि जनता के लिए काम किया जा रहा है और हम उनके लिए हर समय खड़े हैं। बता दें कि ब्रिटेन में हुए चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी को 480 से ज्यादा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। जिनमें से अधिकांश सीटों पर लेबर पार्टी को जीत हासिल हुई।

रटगर्स विश्वविद्यालय में फलस्तीन समर्थित प्रदर्शन में दिखे कश्मीरी झंडे, नाराज हुए भारतीय अमेरिकी

फलस्तीन के समर्थन में इन दिनों अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे ही प्रदर्शन के दौरान न्यू जर्सी स्थित रटगर्स विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारी छात्रों ने फलस्तीन और कुर्द झंडों के साथ ही कश्मीर के अलगाववादी झंडे भी लहराए। इस पर भारतीय अमेरिकी संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है। भारतीय अमेरिकी समूहों ने रटगर्स विश्वविद्यालय के चांसलर द्वारा कश्मीरी झंडे लहराने की अनुमति देने की आलोचना की और कहा कि इससे गलत संदेश जाएगा।

रटगर्स यूनिवर्सिटी प्रशासन के फैसले से नाराजगी
शुक्रवार को रटगर्स विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे समूह ने बताया कि रटगर्स यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उनकी 10 में से आठ मांगें मान ली हैं। इसमें से एक मांग ये भी है कि दुनियाभर में जिन लोगों पर कब्जा है, उनके झंडे लहराए जाएं, जिनमें फलस्तीन, कुर्द के साथ ही कश्मीर का झंडा भी शामिल है। हालांकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ऐसी कोई मांग नहीं मानी है।

भारतीय अमेरिकी संगठनों ने जताई नाराजगी
कई भारतीय अमेरिकी संगठनों ने इस पर नाराजगी जताई है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के सुहाग शुक्ला ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन झुक गया है। एक अन्य संगठन कोएलिशन ऑफ हिंदू ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA) ने भी यूनिवर्सिटी प्रशासन की आलोचना की और कहा कि ‘इससे कश्मीर के अल्पसंख्यक समुदाय को नफरत और गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। इसी झंडे के नीचे कश्मीरी हिंदुओं को उनके अपने घर से विस्थापित कर दिया गया।’ धर्मा विवेक नामक एक यूजर ने लिखा कि ‘रटगर्स यूनिवर्सिटी ने सभी सार्वजनिक संस्थानों के लिए गलत उदाहरण पेश किया है। अराजकतावादियों से समझौता करना गलत है और यह जनता के विश्वास के साथ धोखा है।’

जंग के बीच हमास का रुख नरम, समझौते पर पहुंचने के लिए मिस्र भेजेगा प्रतिनिधिमंडल

हमास और इस्राइल बीते छह महीने से जंग लड़ रहे हैं। इस्राइल द्वारा हमास को खत्म करने का संकल्प गाजा पट्टी के लोगों पर भारी पड़ रहा है। गाजा में पैदा हुई मानवीय परिस्थितियों को लेकर अमेरिका में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। देशभर में लोग इस्राइल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, हमास मध्यस्थता वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो गया है। उसने सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ मिस्र में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का एलान किया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, समूह के एक प्रमुख शख्स खलील अल-हय्या प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।

हमास का बयान
हमास के बयान ने एक बार फिर बातचीत के प्रति संगठन के सकारात्मक रुख को दोहराया है। बयान में कहा गया है, ‘हम एक समझौते पर पहुंचने के लिए मिस्र जा रहे हैं। हम हमास और फलस्तीनी प्रतिरोध बलों में एक समझौते पर पहुंचे के लिए दृढ़ हैं। हमले की समाप्ति, बंधकों की वापसी, विस्थापितों की वापसी, राहत और पुनर्निर्माण और एक गंभीर विनिमय सौदे के लिए हमारे लोगों की मांगों को पूरा करता है।’

अमेरिका ने इस्राइल को चेताया
इस बीच, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरिन जीन पियरे ने दक्षिणी शहर राफा में संभावित बड़े सैन्य अभियानों के संबंध में इस्राइल को चेताया है। जीन-पियरे ने नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोगों के जीवन की रक्षा हो। हमें विश्वास है कि इस्राइल सरकार हमारी चिंताओं को ध्यान में रखने जा रही है।

समझौते पर पहुंचने को प्राथमिकता दें
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने इस्राइल और हमास दोनों से आग्रह किया है कि वे दोनों एक समझौते पर पहुंचने को प्राथमिकता दें। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में गुटारेस ने संघर्ष को बढ़ने से रोकने के लिए बातचीत के जरिए समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही कहा, ‘गाजा के लोगों, बंधकों और उनके परिवारों, क्षेत्र और व्यापक दुनिया की खातिर मैं इस्राइल सरकार और हमास नेतृत्व को उनकी वार्ता में एक समझौते पर पहुंचने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करता हूं।’

‘भारत ने कराई हरदीप सिंह निज्जर की हत्या’, कनाडा के शीर्ष नेता जगमीत सिंह ने लगाए गंभीर आरोप

कनाडा के शीर्ष नेता जगमीत सिंह ने आरोप लगाया है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारत ने कराई है। जगमीत सिंह इससे पहले भी भारत पर आरोप लगा चुके हैं। एक तरफ जगमीत सिंह भारत पर लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कनाडा की पुलिस अभी तक ऐसा कोई सबूत पेश नही कर सकी है, जिससे पता चले कि निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है।

जगमीत सिंह ने भारत पर लगाए गंभीर आरोप
सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में जगमीत सिंह ने लिखा कि ‘भारत सरकार ने कातिलों की मदद से कनाडा की धरती पर कनाडा के नागरिक की हत्या कराई, वो भी एक पूजा स्थल पर। आज इस मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है। मैं साफ कर दूं कि कोई भी भारतीय एजेंट या भारत सरकार का कोई आदमी इस मामले में संलिप्त पाया जाए तो उसके खिलाफ कनाडा के कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। कनाडा में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए हरदीप सिंह निज्जर को न्याय मिलना जरूरी है।’

निज्जर की हत्या में तीन आरोपी हुए गिरफ्तार
जगमीत सिंह कनाडा की राजनीतिक पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता हैं। जगमीत सिंह की एनडीपी पार्टी का पीएम जस्टिन ट्रूडो की पार्टी के साथ गठबंधन है। बीते साल कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भी भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे। भारत ने कनाडा पीएम के आरोपों को बेतुका बताया था। इस मुद्दे पर भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव भी आ गया था। अब कनाडा पुलिस ने निज्जर की हत्या के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसके बाद यह मामला फिर गरमा गया है।

पाकिस्तान में आधिकारिक तौर पर शुरू हुआ योग, प्रशासन ने शुरू की मुफ्त कक्षाएं

पूरी दुनिया में लोकप्रियता हासिल करने के बाद भारत की प्राचीन शारीरिक और मानसिक एक्सरसाइज योग अब पाकिस्तान में भी आधिकारिक तौर पर शुरू हो गया है। दरअसल पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की कैपिटल डेवलेपमेंट अथॉरिटी (CDA) ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर मुफ्त योग कक्षाएं शुरू करने का एलान किया है।

सीडीए की पहल की लोगों ने की तारीफ
सीडीए, इस्लामाबाद के विकास के लिए जिम्मेदार संस्था है। सीडीए ने फेसबुक पर साझा पोस्ट में बताया है कि शहर के मुख्य पार्क एफ-9 में मुफ्त योग कक्षाएं संचालित की जाएंगी। पाकिस्तान के कई नागरिकों ने सीडीए के इस कदम की तारीफ की है। पहले से ही कई लोग योग कक्षाओं से जुड़ गए हैं और सोशल मीडिया पर पाकिस्तान में लोगों के योग करते हुए तस्वीरें साझा की गई हैं। एक यूजर ने सीडीए की इस पहल की तारीफ करते हुए लिखा कि ये एक अच्छी पहल है और यूजर ने मुफ्त योग कक्षाओं की टाइमिंग के बारे में भी पूछा।

21 जून को हर साल मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
वहीं कुछ यूजर्स ने सीडीए की आलोचना भी की और कहा कि सीडीए को अपने काम पर ध्यान देना चाहिए उन्होंने आरोप लगाया कि सीडीए बीते 35 वर्षों में एक भी नया रिहायशी इलाका विकसित नहीं कर पाया है। गौरतलब है कि योग को साल 2014 में संयुक्त राष्ट्र से भी मान्यता मिल चुकी है और संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का एलान किया है। भारत ने इसका प्रस्ताव दिया था, जिसे रिकॉर्ड 175 देशों का समर्थन मिला था। योग का संबंध भारत से है और पाकिस्तान में अभी ये इतना लोकप्रिय नहीं है। हालांकि कई निजी संस्थान पाकिस्तान में भी योग सिखाते हैं।

CJI बोले- निरंकुश प्रौद्योगिकी के कारण साइबर अपराध की जद में मासूम, सामूहिक प्रयास जरूरी

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ तीन दिवसीय नेपाल की यात्रा पर हैं। नेपाली मुख्य न्यायाधीश बिश्वोम्भर प्रसाद श्रेष्ठ ने उन्हें आमंत्रित किया है। नेपाल में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकियों का तेजी से विकास हो रहा है। इससे नाबालिगों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय डिजिटल अपराधों में भी तेजी आ रही है। इससे निपटने के लिए किशोर न्याय प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना होगा।’

किशोर न्याय की प्रकृति और समाज के आयामों के संबंधों को समझना महत्वपूर्ण
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘किशोर न्याय पर चर्चा करते वक्त हमें कानूनी विवादों में फंसे बच्चों की कमजोरियों और जरूरतों को समझना होगा। किशोर न्याय की प्रकृति और समाज के आयामों के संबंधों को समझना महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास हो रहा है। किशोर हैकिंग, साइबरबुलिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी और डिजिटल उत्पीड़न सहित अन्य साइबर अपराधों में शामिल हो रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म की सुरक्षा और आसान प्रवेश प्रकृति के कारण युवा अवैध गतिविधियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।’

ऐसे बढ़ा सकते हैं सहयोग
कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाकर किशोरों से जुड़े डिजिटल अपराधों को काबू में किया जा सकता है।