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विदेश

पाकिस्तान उपचुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी का दबदबा, नहीं चला इमरान खान का जादू

पाकिस्तान में हुए उपचुनाव में सत्ताधारी पीएमएलएन पार्टी का दबदबा देखने को मिला है। नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएलएन ने उपचुनाव में नेशनल असेंबली की दो सीटों और प्रांतीय असेंबली की 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। हालांकि अभी तक आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है और मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह दावा किया गया है।

नवाज शरीफ की पार्टी का बढ़िया प्रदर्शन
पाकिस्तान में कुल पांच नेशनल असेंबली सीटों, जिनमें पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा की दो-दो नेशनल असेंबली सीट और सिंध की एक नेशनल असेंबली सीट पर उपचुनाव हुए। वहीं पंजाब की 12 असेंबली सीटों, खैबर पख्तूनख्वा की दो और बलूचिस्तान की भी दो असेंबली सीटों पर उपचुनाव कराए गए। इन उपचुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी ने दो नेशनल असेंबली की सीटों और 10 असेंबली सीटों पर जीत दर्ज की है। इस उपचुनाव में पीएमएलएन के अलावा इमरान खान की पार्टी पीटीआई के समर्थन वाली सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने हिस्सा लिया। वहीं मौलाना फजलुर रहमान की पार्टी जमीयत उलेमा ए इस्लाम ने उपचुनाव का बहिष्कार किया।

पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, पीएमएलएन ने दो नेशनल असेंबली सीटों पर जीत दर्ज की है तो पीपीपी और सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल ने एक-एक सीट पर और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। असेंबली सीटों में से पीएमएलएन ने पंजाब की नौ सीटों पर, बलूचिस्तान की एक सीट पर जीत दर्ज की। वहीं पीपीपी, सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल और इश्तेकाम पाकिस्तान पार्टी ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की।

उपचुनाव के दौरान कई जगह हुई हिंसा
उपचुनाव के दौरान पाकिस्तान में कई जगह हिंसा भी देखने को मिली और पीटीआई और पीएमएलएन समर्थकों के बीच हुए झगड़े में एक व्यक्ति की जान चली गई। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पाकिस्तान सरकार ने कई जगहों पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही कई जगहों पर मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर भी पाबंदी रही। पंजाब की दो नेशनल असेंबली सीट प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और मरयम नवाज के सीट छोड़ने के चलते खाली हुईं। शहबाज शरीफ के पंजाब असेंबली की दो सीटें छोड़ने के बाद भी इन सीटों पर उपचुनाव हुए।

‘ये दर्द मेरे साथ हमेशा रहेगा’, हमास के हमले की जिम्मेदारी लेकर इस्राइल खुफिया विभाग चीफ ने पद छोड़ा

हमास के इस्राइल पर हमले को अपनी असफलता मानते हुए इस्राइली सेना के खुफिया विभाग के प्रमुख मेजर जनरल अहारोन हलिवा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मेजर जनरल हलिवा ने हमास के हमले को न रोक पाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए पद छोड़ दिया। गौरतलब है कि इस्राइल में हमास हमले के बाद यह शीर्ष स्तर पर पहला इस्तीफा है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई अन्य शीर्ष अधिकारी और नेता भी इस्तीफा दे सकते हैं।

हमास का हमला न रोक पाने की ली जिम्मेदारी
हमास ने बीते साल 7 अक्तूबर को इस्राइल पर हमला बोला था। हमास के हमले में इस्राइल में 1200 लोगों की मौत हुई थी और 250 लोगों को हमास के आतंकियों ने बंधक बना लिया था। हमास के हमले के बाद ही इस्राइल ने गाजा पर हमला बोल दिया था और अब गाजा युद्ध को सात महीने का वक्त बीत चुका है। इस्राइल के हमलों से गाजा में 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और वहां गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है। अपना पद छोड़ते हुए मेजर जनरल अहारोन हलिवा ने अपने इस्तीफे में लिखा कि ‘मेरे नेतृत्व में खुफिया विभाग अपनी जिम्मेदारियों पर खरा नहीं उतरा। उस काले दिन का दर्द अभी भी मेरे साथ है और अब हमेशा मेरे साथ रहेगा।’

इस्राइली सेना ने स्वीकार किया इस्तीफा
हमास के हमले के तुरंत बाद हलिवा ने हमले को रोक पाने में असफल रहने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली थी। हालांकि उस समय हलिवा ने इस्तीफा नहीं दिया था। मेजर जनरल हलिवा का इस्तीफा स्वीकार हो गया है और इस्राइली सेना के प्रमुख ने मेजरल जनरल हलिवा को उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद दिया। हमास के हमले के बाद से ही इस्राइल युद्ध में फंसा हुआ है। हमास के साथ ही इस्राइल का लेबनान के संगठन हिजबुल्ला के साथ भी तनाव बढ़ रहा है। बीते दिनों ईरान के साथ भी इस्राइल की तनातनी हो चुकी है।

फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य बनाने के प्रस्ताव पर अमेरिका ने लगाई रोक, बताई इसकी वजह

फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता के प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो कर दिया है। गुरुवार को 15 देशों वाली परिषद ने फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पूर्ण सदस्यता के प्रस्ताव पर वोटिंग की। प्रस्ताव को पारित करने के लिए कम से कम 9 परिषद सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी। फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य बनाने के प्रस्ताव के पक्ष में 12 वोट पड़े, वहीं स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन वोटिंग में शामिल नहीं हुए। हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में अमेरिका द्वारा इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया गया, जिससे यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। अभी फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र का गैर सदस्यीय देश है। साल 2012 में फलस्तीन को यह दर्जा दिया गया था। इसके तहत फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र की कार्यवाही में भाग ले सकता है, लेकिन किसी प्रस्ताव पर वोट नहीं कर सकते। फलस्तीन के अलावा वेटिकन सिटी भी संयुक्त राष्ट्र का गैर सदस्यीय देश है।

अमेरिका ने प्रस्ताव पर वीटो लगाने की बताई ये वजह
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के प्रतिनिधि रॉबर्ट वुड ने वीटो पावर के इस्तेमाल पर सफाई देते हुए कहा कि ‘अमेरिका ये मानता है कि फलस्तीन को अलग देश का दर्जा देने का सबसे सही रास्ता इस्राइल और फलस्तीन के बीच सीधी बातचीत ही है, जिसमें अमेरिका और अन्य सहयोगी देश मदद करें। अमेरिका का ये वोट फलस्तीन को अलग देश का दर्जा देने के खिलाफ नहीं है, लेकिन हमारा मानना है कि यह दोनों पक्षों में सीधे बातचीत के जरिए ही होना चाहिए।’

रॉबर्ट वुड ने कहा कि हमने लंबे समय पहले कहा था कि फलस्तीन को देश का दर्जा पाने के लिए कई संशोधन करने होंगे। अभी गाजा में एक आतंकी संगठन हमास सत्ता में है और प्रस्ताव में हमास को फलस्तीन का अभिन्न अंग बताया गया है। इस वजह से अमेरिका ने प्रस्ताव पर वीटो किया है। वुड ने बताया कि 7 अक्तूबर को इस्राइल पर हुए हमले के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने साफ किया था कि क्षेत्र में दो देशों के प्रस्ताव से ही शांति आ सकती है। एक लोकतांत्रिक यहूदी राष्ट्र की सुरक्षा और भविष्य के लिए इससे दूसरा रास्ता नहीं है। फलस्तीनियों के शांति से रहने का भी दूसरा कोई रास्ता नहीं है।

फलस्तीन ने जताई निराशा
संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन के प्रतिनिधि रियाद मंसूर ने अमेरिका द्वारा प्रस्ताव पर वीटो लगाने के फैसले पर निराशा जताई, लेकिन साथ ही प्रस्ताव को समर्थन देने वाले देशों को धन्यवाद भी कहा। उन्होंने कहा कि फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता देने का मतलब शांति में निवेश है। फलस्तीन ने इससे पहले साल 2012 में भी संयुक्त राष्ट्र के पूर्ण सदस्य बनाने की मांग उठाई थी, लेकिन उस वक्त भी सुरक्षा परिषद में इस पर सहमति नहीं बन सकी थी। किसी भी देश को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साथ ही आम सभा से भी मंजूरी मिलना जरूरी है। वोटिंग के समय दो तिहाई सदस्यों का मौजूद रहना भी जरूरी है।

ईरान की वायु-रक्षा प्रणाली ने मार गिराईं इस्राइली मिसाइलें? ड्रोंस भी किए तबाह; 10 बिंदुओं में जानें

बीते दिनों ईरान ने इस्राइल पर मिसाइलों और ड्रोंस से हमला किया था। अब खबर आई है कि इस्राइल ने भी पलटवार किया है और ईरान पर मिसाइलों से हमला किया है। वहीं, ईरान ने हमलों की खबर के बीच आज सुबह अपनी वायु-रक्षा प्रणाली को सक्रिय कर दिया। आइए जानते हैं कि अबतक क्या कुछ हुआ है-

  • ईरान ने हाल ही में इस्राइल पर हमला किया था। अब इस्राइल ने इसका जवाब दिया है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, इस्राइल ने ईरान के खिलाफ जवाबी हमला किया है।
  • इस्राइल के हमले के बाद ईरान ने अपनी वायु-रक्षा प्रणाली को कई शहरों में सक्रिय कर दिया है। राज्य मीडिया ने दावा किया है कि ईरान के शहर इस्फहान के एयरपोर्ट में धमाकों की आवाजें सुनी गई हैं।
  • ईरान के कई परमाणु ठिकाने इसाफान प्रांत में ही स्थित हैं, जिनमें ईरान में यूरेनियम संवर्धन का प्रमुख केंद्र भी यहीं पर मौजूद है। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान के हवाई क्षेत्र में कई फ्लाइट्स के मार्ग बदले गए हैं।
  • कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मिसाइलें दागी गई थीं। जबकि ईरान का कहना है कि उन्होंने कई ड्रोंस को मार गिराया, लेकिन फिलहाल कोई मिसाइल हमला नहीं हुआ है।
  • ईरान की अंतरिक्ष एजेंसी के प्रवक्ता हुसैन डालिरियन ने एक्स पर कहा, ‘देश की वायु रक्षा द्वारा कई ड्रोन को सफलतापूर्वक मार गिराया गया है, अब तक मिसाइल हमले की कोई रिपोर्ट नहीं है।’
  • ईरान में विस्फोटों की खबरों के बाद इस्राइली सेना ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
  • यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन डेटाबेस पर पोस्ट किए गए एयरमैन को दिए गए नोटिस के अनुसार, तेहरान के इमाम खुमैनी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को सभी उड़ानों के लिए बंद कर दिया गया है।

कराची में आतंकियों की आत्मघाती साजिश नाकाम, निशाने पर थी वैन; बाल-बाल बचे जापान के पांच नागरिक

पाकिस्तान आजकल आतंकवादियों के निशाने पर है। यहां आए दिन हमले हो रहे हैं। कभी सेना तो कभी नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। इसी क्रम में, सिंध प्रांत में शुक्रवार को पांच जापानी नागरिकों को निशाना बनाते हुए आतंकवादियों ने एक आत्मघाती हमला करने की कोशिश की। हालांकि, शुक्र रहा कि सभी नागरिक सही सलामत बच निकले।

पूर्वी के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) अजफर महेसर ने बताया कि लांधी में मुर्तजा चोरांगी के नजदीक मोटरसाइकिल सवार आतंकवादियों ने जापानी नागरिकों की वैन को टक्कर मारने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि सभी पांच जापानी नागरिक सुरक्षित हैं। हालांकि, उनके साथ मौजूद निजी सुरक्षा गार्ड घायल हो गया। उन्होंने कहा कि जापान के नागरिक क्लिफ्टन के जमजामा स्थित अपने घर से कहीं जा रहे थे।

आतंकवादी ने खुद को उड़ाया
आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) के डीआईजी आसिफ एजाज शेख ने बताया कि जापानी नागरिक दो सुरक्षा गार्डों के साथ एक वैन में यात्रा कर रहे थे। तभी आतंकवादियों ने उनके वाहन को निशाना बनाने की कोशिश की। अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा गार्डों ने एक आतंकवादी को मार गिराया, जबकि दूसरे ने वैन के करीब जाने की कोशिश में खुद को उड़ा लिया।

जिन्ना अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि तीन घायलों, दो सुरक्षा गार्ड और एक राहगीर को अस्पताल लाया गया जिनमें से दो की हालत गंभीर है। अस्पताल ने पुष्टि की कि किसी विदेशी को इलाज के लिए नहीं लाया गया था। अधिकारी ने बताया कि जापानी नागरिक पाकिस्तान सुजुकी मोटर्स में काम करते थे। बता दें, कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर और दक्षिणी सिंध प्रांत की राजधानी है।

इन लोगों ने की निंदा
सिंध के परिवहन मंत्री शरजील इनाम मेमन ने हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि समय पर की गई कार्रवाई ने आतंकवादियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया। आतंकवादियों की नापाक हरकतों को सफल नहीं होने दिया जाएगा। वहीं, सिंध के राज्यपाल कामरान टेसरी ने आत्मघाती हमले की निंदा की और घटना पर एक रिपोर्ट मांगी। राज्यपाल ने कहा कि शहर में आतंकवाद किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कानून प्रवर्तन अधिकारियों से घटना के पीछे के उद्देश्यों का पता लगाने और मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए कहा।

चीनी नागरिकों पर हमले तेज हुए
छोटे अलगाववादी समूहों और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से संबंधित परियोजनाओं पर काम कर रहे चीनी नागरिकों पर हमले तेज कर दिए हैं। पिछले महीने, पांच चीनी और उनके पाकिस्तानी चालक की मौत हो गई थी जब उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी कार को एक वाहन से टक्कर मार दी थी। हालांकि, इससे पहले पाकिस्तान में काम कर रहे जापान के नागरिकों को निशाना बनाने की खबर सामने नहीं आई थी।

अमेरिकी राजनयिक ने आम चुनाव को बताया ‘लोकतंत्र का महाकुंभ’, चुनावी प्रक्रिया के लिए भारतीयों को दी बधाई

यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष अतुल कश्यप ने भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने भारत के लोगों को बधाई देते हुए देश के राष्ट्रीय चुनाव को लोकतंत्र का महाकुंभ मेला बताया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के साथ एक पोस्ट भी लिखा।

अतुल कश्यप ने अपने पोस्ट में कहा, “भारत के महान लोगों को हार्दिक बधाई। पहले चरण के मतदान के साथ मानव जाति के इतिहास में सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत हुई है। 940 मिलियन मतदाताओं और 1.2 मिलियन मतदान केंद्र के साथ भारत का राष्ट्रीय चुनाव लोकतंत्र का महाकुंभ है।”

दूसरा सबसे बड़ा मतदान अभ्यास
बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण की शुरुआत आज से हो चुकी है। पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 सीटों पर आज मतदान हुआ। 19 अप्रैल से लेकर एक जून तक होने वाला यह लोकसभा चुनाव देश के पहले आम चुनाव के बाद दूसरा सबसे लंबा मतदान अभ्यास है। देश का पहला मतदान सितंबर 1951 से लेकर फरवरी 1952 यानी की पांच महीनों के लिए आयोजित किया गया था।

2019 लोकसभा चुनाव भी सात चरणों में ही आयोजित किए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस लोकसभा चुनाव में फिर से एक बार जीत हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने 400 से भी ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया है। देशभर में पहले चरण में मतदान करने वाले राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जम्मू और कश्मीर, लक्षद्वीप, और पुडुचेरी का नाम शामिल है। लोकसभा चुनाव 2024 का दूसरा चरण 24 अप्रैल को होगा और बाकी के चरण 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को होंगे। चुनाव के नतीजे चार जीन को जारी होंगे।

अमेरिका में अवैध तरीके से प्रवेश करने वाले भारतीय नागरिक की मौत, गिरफ्तारी के बाद हिरासत केंद्र में थे

अवैध तरीके से अमेरिका आने वाले भारतीय नागरिक की अटलांटा में मौत हो गई। संघीय अधिकारियों ने बताया कि मृतक को भारत प्रत्यर्पित किया जाना था। मृतक की पहचान 57 वर्षीय जसपाल सिंह के तौर पर की गई है। अमेरिकी प्रवासन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) विभाग के अनुसार, न्यूयॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास को जसपाल सिंह की मौत के बारे में जानकारी दे दी गई है। इसके साथ ही मृतक के परिजनों को भी सूचित कर दिया गया है।

अटलांटा के अस्पताल में हुई मौत
आईसीई ने बताया कि जसपाल सिंह की मौत 15 अप्रैल को अटलांटा के एक अस्पताल हुई थी। मृतक जसपाल सिंह 25 अक्टूबर 1992 में पहली बार कानूनी तरीके से अमेरिका में प्रवेश किया था। 21 जनवरी 1998 को एक आव्रजन न्यायाधीश ने सिंह को अमेरिका से जाने का आदेश दिया, जिसके बाद वे भारत लौट आए थे।

अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने के आरोप मे हुई थी गिरफ्तारी
जसपाल सिंह ने 29 जून 2003 में अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश की थी, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें अमेरिका-मैक्सिको की सीमा पर ही पकड़ लिया था। उन्हें अमेरिका में अवैध तरीके से प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी की बाद उन्हें अटलांटा के प्रवर्तन और निष्कासन संचालन (ईआरओ) को सौंप दिया गया था। उन्हें अटलांटा के एक हिरासत केंद्र में रखा गया था।

दुबई में भारतीय दूतावास ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर; बारिश-तूफान से बचने के लिए दिए दिशा-निर्देश

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई ) और ओमान में आए तूफान से रिकॉर्ड बारिश हुई। जिसके बाद वहां हालात बद से बदतर हो गए हैं। पूरे शहर में पानी भरा है।यातायात ठप हो गया और लोग अपने घरों में फंस गए। इतना ही नहीं, दुबई से दिल्लीआने-जाने वाली कम से कम 19 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इस बीच, दुबई में भारत के वाणिज्य दूतावास ने दुबई और उत्तरी अमीरात में रहने वाले भारतीयों के लिए हेल्पलाइन नंबर और दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

गूगल दफ्तर में कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन, इस्राइली सेना और सरकार के साथ सभी संबंध तोड़ने का दबाव

इस्राइल और हमास के बीच छिड़ी जंग का असर गूगल दफ्तर में भी दिखाई दिया। दरअसल, गूगल के कई कर्मचारियों ने मंगलवार को कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क स्थित परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। वे गूगल और इस्राइली सरकार के साथ काम करने से खफा हैं। गूगल क्लाउड के सीईओ के ऑफिस में करीब आठ घंटे प्रदर्शन हुआ, बावजूद इसके जब वे नहीं हटे तो पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। प्रदर्शन का वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है।

इन मांगों को लेकर किया गया प्रदर्शन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विरोध का मुख्य कारण प्रोजेक्ट निंबस है, जो 2021 में गूगल और इस्राइल सरकार के बीच हस्ताक्षर किया गया था। एआई अनुबंध प्रोजेक्ट की लागत एक अरब डॉलर है। मंगलवार को कर्मचारियों के एक समूह ने गूगल क्लाउड के सीईओ थॉमस कुरियन के ऑफिस को घेर लिया। उन्होंने आठ घंटे तक लगातार प्रदर्शन किया था। उन्होंने अपने प्रदर्शन की लाइव स्ट्रीमिंग भी की।

रात होते ही कंपनी के एक अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि उन्हें प्रशासनिक छुट्टी पर भेज दिया गया है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से परिसर को खाली करने का अनुरोध किया। बावजूद इसके उन्होंने परिसर नहीं छोड़ा तो पुलिस को बुलाया गया। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि गूगल इस्राइल और इस्राइली सेना के साथ अपने सभी संबंधों को तोड़ दे।

कर्मचारी नौकरी नहीं खोना चाहते
प्रदर्शनकारियों में शामिल इमान हसीम ने प्रोजेक्ट निंबस और इस्राइली सरकार के समर्थन की आलोचना की। हालांकि, उन्हें अपनी नौकरी खोने का डर जरूर है। कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम कर रहीं हसीम ने बताया कि प्रोेजेक्ट निंबस के कारण कई कर्मचारी इस्तीफा दे चुके हैं।

इस यूरोपीय देश में 16 साल के किशोर भी करा सकेंगे लिंग परिवर्तन, संसद से पारित हुआ कानून

स्वीडन की संसद ने बुधवार को एक नए कानून को मंजूरी दे दी। इस कानून के तहत अब स्वीडन में कानूनी तौर पर लिंग परिवर्तन कराने की उम्र 18 साल से घटाकर 16 साल कर दी गई है। हालांकि 18 साल से कम उम्र के युवाओं को लिंग परिवर्तन प्रक्रिया शुरू कराने से पहले अपने परिजनों, डॉक्टर और नेशनल बोर्ड ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर की मंजूरी लेनी होगी।

दक्षिणपंथी पार्टियों ने किया विरोध
बुधवार को स्वीडन की संसद में इस कानून पर मतदान हुआ, जिसमें 234 सांसदों ने कानून के पक्ष में मतदान किया। वहीं 94 सांसदों ने इसका विरोध किया और 21 सांसद मतदान से अनुपस्थित रहे। स्वीडन की सरकार के उदारवादी नेता और पार्टियां इस कानून का समर्थन कर रही हैं। वहीं कुछ ईसाई डेमोक्रेट्स इसका विरोध कर रहे हैं। स्वीडन की दक्षिणपंथी पार्टी मानी जाने वाली स्वीडन डेमोक्रेट्स ने भी कानून का विरोध किया। ये पार्टी सरकार को समर्थन दे रही है, लेकिन सरकार का हिस्सा नहीं है।