Sunday , September 8 2024

विदेश

‘मैं अपनी जुबान की पक्की हूं’, साउथ कैरोलाइना में हार के बाद निक्की हेली ने जानिए क्यों कही ये बात

साउथ कैरोलाइना में हुए प्राइमरी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने निक्की हेली को हरा दिया है। हार के बाद अपने समर्थकों से बात करते हुए निक्की हेली ने कहा कि वे हार से निराश हैं, लेकिन इसके बावजूद वह राष्ट्रपति पद की रेस से नहीं हटेंगी। निक्की हेली ने कहा कि ‘मैं अपनी जुबान की पक्की हूं और पीछे नहीं हटूंगी।’

निक्की हेली ने कहा कि ‘अगले 10 दिनों तक 21 राज्यों में चुनाव होंगे। उन्हें भी अपनी पसंद चुनने का अधिकार है। यह कोई सोवियत संघ का चुनाव नहीं है, जिसमें सिर्फ एक उम्मीदवार होता है। ये मेरा कर्तव्य है कि मैं उन्हें चुनाव का मौका दूं।’

निक्की हेली ने समर्थकों के प्रति जताया आभार
निक्की हेली ने कहा कि उनका मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप, जो बाइडन से नहीं जीत पाएंगे। साउथ कैरोलाइना की हार पर भारतीय मूल की निक्की हेली ने माना कि हार का अंतर ज्यादा रहा, लेकिन इसके बावजूद उन्हें 40 फीसदी मत मिले। हेली ने कहा कि 40 फीसदी कोई छोटा आंकड़ा नहीं है।

हेली, ट्रंप से चार राज्यों में हार चुकी हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि अभी कई और राज्यों में चुनाव होने हैं। हेली ने ट्रंप को जीत की बधाई भी दी और उन्हें समर्थन देने वाले मतदाताओं के प्रति आभार भी जताया।

साउथ कैरोलाइना निक्की हेली का गृह राज्य है और वे यहां से गवर्नर भी रह चुकी हैं। गृह राज्य में हार पर हेली ने कहा कि नतीजे क्या रहे, ये मायने नहीं रखता। मैं अपने राज्य के लोगों से प्यार करती हूं और हम इसी प्यार से बड़ी से बड़ी चुनौती में भी एकजुट रहते हैं। साउथ कैरोलाइना में हार से निक्की हेली पर राष्ट्रपति पद की रेस से हटने का दबाव बढ़ गया है,

लेकिन हेली ने रेस से हटने से इनकार कर दिया है। रिपब्लिकन पार्टी में डोनाल्ड ट्रंप के सामने अब सिर्फ निक्की हेली की ही चुनौती बची है और साउथ कैरोलाइना में जीत के बाद इस बात के आसार बढ़ गए हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन का मुकाबला डोनाल्ड ट्रंप से ही होगा।

कल होगा पाकिस्तान के पंजाब के CM का चुनाव, पूर्व PM शरीफ की बेटी पर टिकी हैं सबकी निगाहें

पाकिस्तान के तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज पंजाब प्रांत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनेंगी। वह कल सीएम के रूप में निर्वाचित होने जा रही हैं। शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने पंजाब विधानसभा में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों पद हासिल कर लिए हैं।

पंजाब विधानसभा के सचिव आमेर हबीब ने कहा, ‘पंजाब के मुख्यमंत्री का चुनाव सोमवार को होगा। उम्मीदवार रविवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं।’

पहली महिला मुख्यमंत्री बनना तय
चूंकि, पाकिस्तान के इतिहास में पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम का पहली महिला मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है क्योंकि उनकी पार्टी के पास अब पंजाब विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत है। इसलिए पद को अपने नाम करने में कोई समस्या नहीं आएगी। बता दें, मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव पीएमएल-एन की मरियम नवाज और पीटीआई समर्थित सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) के उम्मीदवार राणा आफताब अहमद के बीच होगा।

इन लोगों ने जमाई अपनी गद्दी
पंजाब विधानसभा के मैराथन सत्र में शनिवार को विधायकों ने गुप्त मतदान के जरिए पीएमएल-एन नेता मलिक अहमद खान को सदन का संरक्षक और जहीर इकबाल चन्नार को उपमुख्यमंत्री चुना। मलिक अहमद खान शरीफ के वफादार हैं, जिन्होंने पीटीआई समर्थित सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) के उम्मीदवार मलिक अहमद खान बछार को हराया था। पीएमएल-एन के उम्मीदवारों को उनके सहयोगियों, पीपीपी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू (पीएमएल-क्यू) और इत्तेहकम-ए-पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी) का समर्थन भी मिला।

किस नेता को कितने वोट मिले
विधानसभा में डाले गए कुल 322 मतों में से मलिक अहमद खान को 224 मत मिले जबकि अहमद बछार को 96 मत मिले। दो वोट खारिज कर दिए गए। जहीर इकबाल को 220 वोट मिले और एसआईसी/पीटीआई के मोइन रियाज को 103 वोट मिले। सत्र के दौरान एसआईसी ने पीएमएल-एन पर उसके जनादेश को चुराने का आरोप लगाया।

सिचुआन में बांध के निर्माण को लेकर बौद्ध भिक्षुओं का विरोध प्रदर्शन, 100 लोग गिरफ्तार; जानिए पूरा मामला

चीन अक्सर अपने आक्रामक रुख के लिए सुर्खियों में रहता है। आए दिन चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को लेकर बवाल खड़ा करता रहा है। अब चीन के सुरक्षा अधिकारी अपने ही देश के भीतर उठ रही विरोध की आवाज को कुचलने का काम कर रहे हैं। दक्षिण-पश्चिमी सिचुआन प्रांत में एक विशाल बांध के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन को दबाने के लिए चीन के सुरक्षा बलों ने 100 से अधिक बौद्ध भिक्षुओं और स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया है। तमाम प्रदर्शनकारियों का मानना है कि अगर यहां बांध का निर्माण होता है, तो जल क्षेत्र में छह बौद्ध मठ डूब जाएंगे और दो गांवों को विस्थापित होना पड़ेगा।

बांध परियोजना के खिलाफ चीन में उठी आवाज
गौरतलब है कि 14 से गार्जे तिब्बती स्वायत्त प्रांत में डेगे काउंटी के वांगबुडिंग टाउनशिप की सड़कों पर स्थानीय लोगों द्वारा ड्रिचु नदी पर 2240 मेगावाट के गंगटुओ जलविद्युत स्टेशन परियोजना का विरोध किया जा रहा है। हालांकि सरकार द्वारा संचालित चीनी मीडिया ने गुरुवार ने कहा कि बांध यांग्त्जी नदी के ऊपरी हिस्से पर स्थि है, जो चीन के सबसे जरूरी जलमार्गों में से एक है। 14 फरवरी से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल 300 से अधिक तिब्बत के लोगों को सुरक्षा बलों के दमन का समाना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी सिचुआन में कार्दजे तिब्बती स्वायत्त प्रांत में हुई, जो तिब्बतियों की एक बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है।

बांध के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पानी की बौछारें
बांध के निर्माण के खिलाफ उठी आवाज को दबाने के लिए चीनी सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें, काली मिर्च स्प्रे जैसे चीजों का इस्तेमाल किया। विरोध प्रदर्शन में कई बौद्ध भिक्षु शामिल हैं। चीन द्वारा जारी वीडियो में भिक्षुओं को सुरक्षा अधिकारियों के सामने झुकते हुए दिखाया गया है। विरोध प्रदर्शन वीडियो में काले कपड़े पहने चीनी अधिकारियों को भिक्षुओं को जबरन रोकते हुए दिखाया गया है, जिन्हें बांध के खिलाफ विरोध करते हुए सुना जा सकता है। आरएफए की रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगटुओ जलविद्युत बांध के निर्माण से डेगे काउंटी में ऊपरी वोंटो और शिपा गांवों, येना, वोंटो और खारधो मठों और चामडो टाउनशिप में रबटेन, गोंसार और ताशी मठों के पुनर्वास को मजबूर होना पड़ेगा।

‘मैं मलाला नहीं’, कश्मीरी पत्रकार ने ब्रिटिश संसद में पाकिस्तानी दुष्प्रचार तंत्र की उड़ाईं धज्जियां

कश्मीरी कार्यकर्ता याना मीर ने भारत की छवि को धूमिल करने के लिए पाकिस्तानी दुष्प्रचार तंत्र की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है और वह वहां पूरी तरह से सुरक्षित और आजाद हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया से आग्रह किया कि वह केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को बांटना बंद करे। मीर ब्रिटेन की संसद की ओर से आयोजित ‘संकल्प दिवस’ में यह बयान दिया।

‘मैं भारत में आजाद और सुरक्षित हूं…’
उन्होंने यह भी कहा कि वह मलाला यूसुफजई नहीं हैं, जिन्हें आतंकवाद के गंभीर खतरों के कारण अपने देश (पाकिस्तान) से भागना पड़ा। उन्होंने कहा, भारत हमेशा आतंकवादी ताकतों के खिलाफ मजबूत और एकजुट रहेगा। पत्रकार याना मीर ने कहा, मैं मलाला यूसुफजई नहीं हूं। मैं अपने देश भारत में आजाद और सुरक्षित हूं। मेरी मातृभूमि कश्मीर भारत का हिस्सा है। मुझे कभी भी भागकर आपके देश में शरण लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैं कभी मलाला यूसुफजई नहीं बनूंगी।

‘मेरी मातृभूमि को बदनाम कर रही मलाला’
मीर ने कहा, मुझे मलाला के बयानों पर आपत्ति हैं, क्योंकि वह मेरी प्रगतिशील मातृभूमि को पीड़ित कहकर बदनाम कर रही है। मैं सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के ऐसे सभी टूलकिट सदस्यों पर आपत्ति जताती हूं, जिन्होंने कभी भारतीय कश्मीर जाने की परवाह नहीं की। लेकिन, वहां के उत्पीड़न की तरह-तरह की कहानियां गढ़ते हैं।

‘भारतीय समाज को बांटने की अनुमति नहीं देंगे’
मीर ने कहा, मैं आपसे धर्म के आधार पर भारतीयों का ध्रुवीकरण बंद करने का आग्रह करती हूं। हम आपको हमें बांटने की अनुमति नहीं देंगे। इस साल संकल्प दिवस के मौके पर मुझे उम्मीद है कि ब्रिटेन और पाकिस्तान में रहने वाले अपराधी अंतरराष्ट्रीय मीडिया या अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के मंचों पर मेरे देश को बदनाम करना बंद कर देंगे।

‘ध्रुवीकरण की कोशिशें बंद करें’
उन्होंने आगे कहा, ब्रिटेन में अपने कमरे से रिपोर्टिंग करके भारतीय समाज का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करना बंद करें। हजारों कश्मीरी माताएं आतंकवाद के कारण पहले ही अपने बेटों को खो चुकी हैं। हमारे पीछे आना बंद करें। मेरे कश्मीरी समुदाय को शांति से रहने दें। धन्यवाद और जय हिंद।

लाहौल के जोबरंग में हिमस्खलन, आठ मिनट तक हवा में रहा बर्फ का बवंडर, जानें मौसम पूर्वानुमान

हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र लाहौल में ताजा बर्फबारी के बाद मौसम खुलते ही पहाड़ों से हिमस्खलन होना शुरू हो गया है। गुरुवार सुबह करीब 9:00 बजे जोबरंग गांव के समीप पहाड़ से भारी हिमस्खलन हुआ है। इससे आठ मिनट तक बर्फ का बवंडर हवा में रहा। जोबरंग पंचायत के पूर्व प्रधान सोम देव योकी ने हिमस्खलन की आवाज सुनी। उन्होंने अपने घर की छत से गिरते हिमखंड और उससे उठे बवंडर को अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया। उपायुक्त लाहौल-स्पीति राहुल कुमार ने घाटी के लोगों से अपील की है कि लोग अनावश्यक इधर-उधर न जाए।

उन्होंने बताया कि लाहौल के पहाड़ों में भारी बर्फबारी हुई है। अब मौसम खुलते ही धूप खिलने से हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाता है लिहाजा लोग एहतियात बरते और अनावश्यक यात्रा न करें। उधर, बीते दिनों हुई बर्फबारी से राज्य में मंगलवार सुबह 10:00 बजे तक तीन नेशनल हाईवे और 400 सड़कें यातायात के लिए बाधित थीं। इसके अतिरिक्त 289 बिजली ट्रांसफार्मर व 11 पेयजल आपूर्ति स्कीमें भी ठप हैं। सबसे अधिक 288 सड़कें लाहौल-स्पीति में बंद हैं। चंबा जिले में 83 सड़कों पर आवाजाही प्रभावित है।

मौसम खुलते ही चांदी की तरह चमकीं किन्नौर की वादियां
किन्नौर जिले की भावा वैली में एक बार फिर हल्की बर्फबारी हुई है। भावावैली बर्फ की सफेद चादर से ढक गई है। वहीं, क्षेत्र के लोगों को फिर कड़ाके की ठंड का सामना करना पड रहा है। मौसम खुलते ही बर्फ की चादर ओढ़े काफनू के आराध्य देवता कामशू नारायण के मंदिर के आसपास शानदार नजारा देखने को मिला।

बुधवार देर शाम से यहां से रुक-रुककर बर्फबारी का दौर शुरू हुआ था और देररात तक चलता रहा। भावावैली में एतिहासिक त्योहार फागुल शुरू हुआ है। ऐसे में त्योहार के दिन बर्फबारी होना क्षेत्र के लोग अगामी फसल के लिए औषधि मान रहे हैं।

जानें मौसम पूर्वानुमान
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार उच्च पर्वतीय एक-दो स्थानों पर मौसम खराब रहने के आसार हैं। अन्य भागों में मौसम साफ रहेगा। वहीं, 24 फरवरी की रात से एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ राज्य में सक्रिय होने की संभावना है। इसके प्रभाव से राज्य में 26 व 27 फरवरी को फिर बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। 28 फरवरी को उच्च पर्वतीय कुछ स्थानों पर मौसम खराब रह सकता है।

क्या है याकूजा, जिसके सरगना ने करवाई परमाणु सामग्री की तस्करी, जापान में यह कैसे बना जुर्म का पर्याय?

जापान का कुख्यात माफिया गैंग ‘याकूजा’ एक बार चर्चा में है। दरअसल, बुधवार को याकूजा के सरगना पर अमेरिका में गंभीर आरोप तय हुए हैं। अमेरिकी अदालत में याकूजा के सरगना तकेशी इबीसावा को परमाणु सामग्री की तस्करी की साजिश रचने का आरोपी बनाया गया है। दावा है कि इबिसावा ने म्यांमार से यूरेनियम और हथियारों के स्तर का प्लूटोनियम अन्य देशों तक पहुंचाने की साजिश रची।

हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब याकूजा संगठन की काली करतूत सामने आई है। साल 2021 में सिंडिकेट के तत्कालीन मुखिया सटोरू नोमुरा को मौत की सजा दी गई थी। नोमुरा पर चार हमले करवाने का आरोप था।

आइये जानते हैं कि याकूजा संगठन अभी क्यों चर्चा में हैं? आखिर क्या है याकूजा गैंग? क्या संगठन से जुड़े लोग पहले भी गंभीर अपराधों में लिप्त मिले हैं?

याकूजा संगठन अभी क्यों चर्चा में हैं?
जापान के याकूजा संगठन के मुखिया तकेशी इबीसावा पर अमेरिकी न्याय विभाग के एक नया अभियोग लगाया है। तकेशी पर म्यांमार में एक विद्रोही गुट के नेता से हथियार स्तर की परमाणु सामग्री बेचने की कोशिश करने का आरोप लगा है।

याकूजा के सरगना को साल 2022 में नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी की साजिशों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इबीसावा पर परमाणु सामग्री बेचने का प्रयास करने के लिए कई नए आरोप लगे हैं। नए अभियोग के अनुसार, एबीसावा ने 2020 में ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन के एक गोपनीय सूत्र और एक अंडरकवर डीईए एजेंट को बताया था कि उसके पास परमाणु सामग्री तक पहुंच है जिसे वह बेचना चाहता था। तकेशी ने यह भी पूछा था कि क्या उनके पास यूरेनियम के लिए कोई खरीदार है।

कहा जाता है कि अंडरकवर एजेंट एबीसावा को सामग्री को एक अन्य गोपनीय सूत्र को बेचने में मदद करने के लिए राजी हुआ। अभियोग के अनुसार, यह गोपनीय सूत्र खुद को ईरान का जनरल बता रहा था। उस दौरान एजेंट ने एबीसावा से पूछा कि क्या इस सामग्री को परमाणु हथियारों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, तो उसने कहा कि ईरान को परमाणु हथियारों के लिए इसकी आवश्यकता है। एबीसावा ने कहा, ‘मैं ऐसा सोचता हूं।’

2022 में थाई एजेंसी ने परमाणु नमूने बरामद किए
साल 2021 में एबीसावा ने अंडरकवर एजेंट को बताया कि म्यांमार में विद्रोही गुट का नेता यूरेनियम सहित परमाणु सामग्री बेच सकता है। यह सौदा हथियारों की खरीद के लिए पैसे जुटाने के लिए काल्पनिक ईरानी जनरल के जरिए तय हुआ।

विद्रोही नेता के दलालों ने दावा किया कि उनके पास हजारों किलोग्राम परमाणु सामग्री है। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि नेता के प्रभाव वाले इलाके में पांच टन तक परमाणु सामग्री का उत्पादन किया जा सकता है। वीडियो कॉल के दौरान अंडरकवर एजेंट ने ईरान से हथियारों के बदले यूरेनियम के आदान-प्रदान के बारे में पूछा। इस पर दलाल और नेता दोनों राजी हो गए।

अभियोग में कहा गया है कि 2022 में थाईलैंड की एजेंसी ने दलालों द्वारा एजेंट को दिखाए गए परमाणु नमूने बरामद किए और उन्हें अमेरिका भेज दिया। बाद में नमूनों की जांच में पाया गया कि उनमें यूरेनियम, थोरियम और प्लूटोनियम थे। इसके साथ ही प्लूटोनियम हथियार स्तर का था।

नमूनों में पाए गए प्लूटोनियम के बारे में भी अभियोग में जिक्र है। कहा गया कि यदि पर्याप्त मात्रा में प्लूटोनियम का उत्पादन किया जाए, तो यह परमाणु हथियार में इसका उपयोग हो सकता है।

राजनीतिक संगठन में जान फूंकने की कवायद, तीन मार्च को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में संगठनात्मक चुनाव

पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद सरकार गठन की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के नाम सामने आ चुके हैं। शपथ ग्रहण की तारीख का एलान नहीं हुआ है। इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी- पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने संगठनात्मक चुनाव कराने का फैसला लिया है। इमरान की पार्टी में आंतरिक चुनाव तीन मार्च को कराए जा सकते हैं। गुरुवार को जारी बयान के मुताबिक, पीटीआई के संगठनात्मक चुनाव नए सिरे से कराए जाएंगे। बता दें कि आठ फरवरी को आम चुनाव से पहले पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने पीटीआई के आंतरिक चुनाव रद्द कर दिए थे। इमरान खान की पार्टी ने दावा किया था कि पीटीआई में संगठनात्मक चुनाव कराने पर आठ फरवरी के आम चुनाव से ध्यान भटक सकता है।

चुनाव का पूरा कार्यक्रम, मतदान कहां होगा?
आंतरिक यानी इंट्रा पार्टी चुनाव रद्द होने के कई महीने बाद अब आंतरिक चुनाव की तैयारियां हो रही हैं। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक पीटीआई सदस्य शुक्रवार और शनिवार तक नामांकन पत्र जमा कर सकेंगे। अब तीन मार्च को नए सिरे से इंट्रा-पार्टी चुनाव करवाए जाएंगे।

चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक नामांकन पत्रों की जांच 25 फरवरी तक पूरी होगी। नामांकन पर फैसला 27 फरवरी तक किया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि संगठनात्मक चुनावों के लिए मतदान इस्लामाबाद में पीटीआई के केंद्रीय सचिवालय और देश के सभी चार प्रांतों में पीटीआई कार्यालयों में होगा।

आम चुनाव 2024 के परिणाम कैसे रहे?
बता दें कि पाकिस्तान में बीते आठ फरवरी को कराए गए चुनाव काफी दिलचस्प रहे। इमरान खान का समर्थन हासिल कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी सबसे अधिक संख्या में जीते, लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वियों ने गठबंधन कर सरकार बनाने का दावा किया।

पूर्व पीएम नवाज शरीफ और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ आने के बाद पीएमएल-एन और पीपीपी-पी के साथ कुछ और नेताओं ने मिलकर सरकार बनाने की पहल की है। पाकिस्तान चुनाव आयोग की तरफ से घोषित अंतिम चुनाव परिणाम के मुताबिक इमरान खान की पार्टी पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार 101, नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन को 75 और बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी को 54 सीटों पर जीत मिली।

सिलचर में जल्द खुलेगा बांग्लादेश का वीजा केंद्र, जानें किन तीन जिलों के लोगों ने की थी मांग

पड़ोसी देश के एक दूत ने सोमवार को बताया कि असम की बराक घाटी के तीन जिलों के लोगों की मांग के बाद जल्द ही यहां बांग्लादेश वीजा केंद्र खोला जाएगा। गुवाहाटी में बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त रुहुल अमीन ने कहा कि कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों वाली बराक घाटी से बांग्लादेश के लिए वीजा की काफी मांग है। इसलिए अब यहां एक वीजा केंद्र खोलने का फैसला लिया गया है। बता दें, सिलचर कछार जिला मुख्यालय है।

अमीन ने कहा कि फिलहाल केंद्र के खोलने की तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन जल्द ही यह फैसला भी ले लिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि कटिगोराह के हरिनगर पार्ट-2 में बॉर्डर मार्केट शुरू करने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जाएगा और उम्मीद है कि जल्द ही सकारात्मक परिणाम आएगा।

कछार जिले के कटिगोराह में सूरमा नदी के किनारे 500 बीघा जमीन पर बाजार लगाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सरकार दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए ऐसे दो बाजार खोलने पर विचार कर रही है।

फलस्तीन के क्षेत्र पर इस्राइल के कब्जे को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में होगी सुनवाई, जानें पूरा मामला

नीदरलैंड के हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) इस हफ्ते इस्राइल के फलस्तीन की जमीन पर 57 साल के कब्जे की वैधता को लेकर सुनवाई शुरू करेगी। गौरतलब है कि इस्राइल के खिलाफ पहले से ही आईसीजे में गाजा पर हमले को लेकर केस चल रहा है।

आईसीजे में इस्राइल के खिलाफ इस नए केस में उसके फलस्तीन के वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी यरुशलम में 1967 से जारी कब्जे की वैधता को लेकर सुनवाई होनी है। फलस्तीन का कहना है कि स्वतंत्र क्षेत्र बनाए गए इन इलाकों पर उसका अधिकार है और इस्राइल का इस पर कब्जा अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है।

फलस्तीन के प्रतिनिधियों का कहना है कि इस्राइल ने कब्जे वाली जमीन पर लोगों को बसाने की शुरुआत कर के नियमों को तोड़ा है। साथ ही फलस्तीनियों के साथ नस्लभेद को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। आईसीजे में इस मामले की सुनवाई में एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है।

बताया गया है कि इस मामले में फलस्तीन की तरफ से इस्राइल के खिलाफ सबूत पेश किए जाएंगे। इसके बाद 51 देश और तीन अलग-अलग संस्थान- लीग ऑफ अरब स्टेट्स, ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन और अफ्रीकी यूनियन भी जजों को संबोधित करेंगे। हालांकि, मामले में इस्राइल की तरफ से बहस करने के लिए कोई भी पेश नहीं होगा। इस्राइल ने पहले ही इस मामले में लिखित वाद कोर्ट में जमा कर दिया है।

रमजान से पहले बंधकों को छोड़े हमास, नहीं तो रफा में शुरू करेंगे सैन्य अभियान; इस्राइल की सख्त चेतावनी

इस्राइल और फलस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच पिछले करीब पांच महीने से गाजा में संघर्ष जारी है। युद्ध में अब तक करीब 30,000 लोग मारे जा चुके हैं। इस बीच इस्राइली सेना दक्षिण गाजा के रफा में सैन्य अभियान शुरू करने की योजना बना रही है, जहां लाखों विस्थापित फलस्तीनी नागरिक शरण लिए हुए हैं। वहीं, इस्राइल की वॉर कैबिनेट के मंत्री बेनी गैंट्ज़ ने चेतावनी दी है कि अगर मार्च में अरबी के पवित्र महीने रमजान के शुरू होने तक हमास बंधकों को रिहा नहीं करता है तो रफा में इस्राइली सैन्य अभियान का विस्तार किया जाएगा।

इस्राइली मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है, जब अमेरिका समेत कई देशों ने रफा में सैन्य अभियान को लेकर चिंता जाहिर करते हुए इस्राइल को आगाह किया है। मिस्र की सीमा से सटे रफा में 10 लाख से अधिक विस्थापित लोग शरण लिए हुए हैं। ऐसे में अगर इस्राइली सेना सैन्य अभियान शुरू करती है तो बड़े पैमाने पर लोगों की जानें जा सकती हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यरूशलम में अमेरिकी यहूदी संगठनों की एक सभा से गैंट्ज ने बंधकों की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि हमास के साथ दुनिया को पता होना चाहिए कि अगर रमजान तक सभी बंधक घर नहीं लौटते हैं तो रफा क्षेत्र में अभियान को तेज किया जाएगा। इस्राइली मंत्री ने कहा कि नागरिकों की निकासी के लिए अमेरिकी और मिस्र के साथ बातचीत के जरिये सटीक कार्रवाई की योजना की रूपरेखा तैयार की गई है। साथ ही गैंट्ज ने कहा कि लोग मनावीय संकट की बात कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए हमास के पास एक ही विकल्प है कि वे बंधकों को रिहा करने के साथ आत्मसमर्पण कर दें ताकि गाजा के लोग पवित्र रमजान में इबादत कर सकें।

हमास को पूरी खत्म करने की कसम
गौरतलब है कि पिछले साल सात अक्तूबर को दक्षिणी इस्राइल पर हमास के हमलों के बाद गाजा के खिलाफ इस्राइली सेना की कार्रवाई जारी है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कसम खाई है कि हमास के पूरी खत्म होने तक गाजा के खिलाफ सैन्य कार्रवाई जारी रहेगी। इस्राइल ने हमास को खत्म करने के लिए रफा में जमीनी अभियानों का विस्तार करने की मंशा जाहिर कर चुका है।