Thursday , November 21 2024

विदेश

‘मोदी काफी लोकप्रिय, वह फिर से बनने जा रहे भारत के प्रधानमंत्री’, अमेरिकी सांसद का दावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता किसी से छिपी हुई नहीं है। वह देश ही नहीं विदेश में भी काफी लोकप्रिय हैं। ऐसे में अमेरिका के एक सांसद ने विश्वास जताया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में वह फिर से निर्वाचित होंगे। जॉर्जिया से रिपब्लिकन सांसद रिच मैककॉर्मिक ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी काफी लोकप्रिय हैं। मैं भारत में था। मैंने प्रधानमंत्री मोदी और अन्य कई सांसदों के साथ दोपहर का भोजन किया और पार्टी में उनकी लोकप्रियता देखी। कोई है जो मुझे लगता है कि करीब 70 फीसदी लोकप्रिय हैं, तो वह मोदी ही हैं।। वह फिर प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।’

रणनीतिक संबंध प्रभावित होंगे
उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘अर्थव्यवस्था, विकास, सभी लोगों के प्रति सद्भावना पर उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण को देखना, दुनियाभर में प्रवासी भारतीयों के प्रति उनके आवेदन और सकारात्मकता को देखते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था, उनके रणनीतिक संबंध प्रभावित होंगे। मैं बहुत सकारात्मक तरीके से उनके प्रभाव की उम्मीद करता हूं.’

चार से आठ प्रतिशत की वृद्धि
उन्होंने कहा, ‘मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था सालाना चार से आठ प्रतिशत की वृद्धि कर रही है। यदि आप अब अन्य देशों के साथ काम करने की उनकी इच्छा को देखते हैं, तो मैं वहां के लिए एक चेतावनी दूंगा, कभी-कभी थोड़ा बचना भी जरूरी है, जो बहुत सारे लोग करते हैं। उन्होंने चीन द्वारा की गई कुछ चीजों की नकल की है। उनके पास आगे बढ़ने का अविश्वसनीय लाभ होगा क्योंकि व्यवसाय एक विस्तारित बाजार में भारत में प्रवेश करना चाहते हैं।’

चीन जैसे देशों का विरोध
मैककॉर्मिक ने आगे कहा, ‘जब हम उन तकनीकों को साझा करते हैं, जिनपर हमें भरोसा है, तो हमें बस यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे ऐसे इस्तेमाल करें जो दोनों देशों के लिए लाभकारी हो। अच्छी बात यह है कि हम आक्रामक रुख नहीं देखते हैं जैसा कि हम चीन में देखते हैं। वास्तव में, हम चीन जैसे देशों का विरोध करने के लिए भारत के साथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक और सामरिक सहयोग देखते हैं जो निरंकुश हैं।’

हम ऐसे संबंध बनाएं, जहां सच्चा विश्वास हो
उन्होंने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम ऐसे संबंध बनाएं, जहां सच्चा विश्वास हो और हम यह महसूस करते रहें कि भारत ईमानदार है। वे हमारी तकनीकों को चुराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं; वे उन्हें साझा करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करने के लिए अपने आर्थिक लाभ का उपयोग करना ठीक है।’

‘हमारे लिए प्रवासी भारतीय बेहद जरूरी; रक्षा-आर्थिक जगत में सहयोग अहम’; अमेरिकी सांसदों ने बताई अहमियत

भारत और अमेरिका के रिश्ते पर भारतवंशी रो खन्ना ने अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए हैं। खन्ना कांग्रेसनल इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने रक्षा जगत, अर्थशास्त्र, वैकल्पिक ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग का जिक्र करते हुए कहा, बाइडन प्रशासन ने पिछले चार साल में भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं। रो खन्ना ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने बहुत प्रगति की है। तेज आर्थिक विकास, महत्वाकांक्षा और ढेर सारी ऊर्जा के साथ चुनौतियां भी हैं। आय और असमानता जैसी चुनौतियां हैं जिनका अमेरिका सामना कर रहा है।

नागरिकता संशोधन कानून पर भी बोले भारतवंशी सांसद
खन्ना ने कहा कि चुनौतियां जीवंत और बहुलवादी समाज के सामने हैं। भारत की महत्वाकांक्षाएं बहुत बड़ी हैं। एक सवाल के जवाब में भारतीय अमेरिकी सांसद ने कहा, वे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध करते हैं। इसे इसी सप्ताह अधिसूचित किया गया था। उन्होंने कहा, ‘मैं सीएए का विरोध करता हूं और आप्रवासन के लिए बहुलवादी दृष्टिकोण का हिमायती रहा हूं।’

भारत से आने वाले पेशेवरों की भूमिका; ग्रीन कार्ड में सात फीसदी सीमा हटाने की वकालत
सात समंदर पार भारत और भारवंशियों की भूमिका को एक अन्य शीर्ष नेता ने भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका को भारत से आने वाले कुशल पेशेवरों और उच्च शिक्षा हासिल कर चुके अप्रवासियों की जरूरत है। पेंसिल्वेनिया के 8वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट के प्रतिनिधि मैट कार्टराईट ने कहा, अमेरिका दुनियाभर के लोगों का स्वागत करता है। कार्टराईट हर साल ग्रीन कार्ड जारी करने में देशों पर लगाई गई सात फीसदी की सीमा हटाने की मांग का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े देशों को इस कोटे के कारण बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।

श्रीलंका में 21 भारतीयों को किया गया गिरफ्तार, अवैध रूप से एक ऑनलाइन मार्केटिंग सेंटर चलाने का आरोप

श्रीलंका के अधिकारियों ने 21 भारतीयों को द्वीप राष्ट्र में अवैध रूप से एक ऑनलाइन मार्केटिंग केंद्र संचालित करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उन्होंने इसे पर्यटक वीजा में दी गई ढील का उल्लंघन बताया है। श्रीलंका में पर्यटक वीजा पर रहने वाले इन सभी भारतीयों की उम्र 24 और 25 के बीच है। सभी को प्रवासन और आप्रवासन विभाग ने हिरासत में ले लिया है।

प्राथमिक जांच के बाद विभाग ने नेगोंबो शहर में उनके किराए वाले घर की तलाशी ली, जहां उन्हें ऑनलाइन मार्केटिंग केंद्र के बारे में मालूम चला। घर को दफ्तर के तौर पर बनाया गया था, जहां से उन्होंने कम्प्यूटर और अन्य अपकरण बरामद किया। श्रीलंकाई नियमों के मुताबिक, पर्यटक वीजा पर द्वीप राष्ट्र में घूमने जाने वाले लोगों से वैतनिक या अवैतनिक काम नहीं लिया जा सकता।

इन सभी भारतीय नागरिकों ने श्रीलंका में पर्यटक को बढ़ावा देने के लिए चल रहे पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में वहां की सरकार द्वारा 31 मर्च तक कुछ देशों को निशुल्क वीजा शर्त का उपयोग किया था। ये सभी फरवरी और मार्च में पर्यटक वीजा के जरिए श्रीलंका पहुंचे। गिरफ्तार किए गए सभी भारतीयों को वेलिसारा के हिरासत केंद्र में ले जाया गया है।

‘सीमा विवाद द्विपक्षीय संबंधों का प्रतिनिधित्व नहीं करता’, लगातार गलतबयानी के बाद नरम पड़े चीन के सुर

चीन ने कहा कि भारत अक्सर कहता है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं। चीन-भारत सीमा मुद्दा पूरे द्विपक्षीय संबंधों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। दोनों देशों को गलत निर्णय लेने से बचने के लिए आपसी विश्वास को बढ़ाना होगा।

हमें झड़प से कोई लाभ नहीं- वांग वेनबिन
गौरतलब है कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई दोनों सेनाओं के बीच झड़प के बाद द्विपक्षीय संबंधों में दरार आई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी पर सवालों का जवाब देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की झड़प से हमारे लिए कोई फायदा नहीं हुआ।

चीन की मंशा पर जयशंकर ने उठाए थे सवाल
वांग ने कहा कि चीन ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि सीमा विवाद कभी भी पूरे चीन-भारत संबंधों को नहीं दर्शाता है। बता दें सोमवार को चीनी राजनयिक के सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा था कि मुझे लगता है कि यह हमारे साझा हित में है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर इतनी अधिक सेनाएं नहीं होनी चाहिए।

पुर्तगाल में कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी बनी किंगमेकर, सेंटर-राइट गठबंधन की जीत, पर बहुमत से दूर

पुर्तगाल में रविवार को हुए प्रारंभिक आम चुनाव में सेंटर राइट डेमोक्रेटिक अलायंस गठबंधन को जीत मिली है। गठबंधन को 29.5 फीसदी वोट मिले हैं। हालांकि गठबंधन बहुमत का आंकड़ा पार करने में असफल रहा। ऐसे में पुर्तगाल में जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है और अगर बात नहीं बन पाई तो फिर से चुनाव हो सकते हैं। खास बात ये है कि पुर्तगाल के चुनाव में कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी चेगा की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल आया है और पार्टी को 18 प्रतिशत वोट मिले हैं। अस्पष्ट नतीजे में चेगा की पार्टी किंगमेकर बनकर उभरी है।

पुर्तगाल में जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू
सेंटर राइट डेमोक्रेटिक अलायंस गठबंधन के नेता लुइस मोंटेन्ग्रो ने सोमवार को जीत का दावा किया, लेकिन उन्होंने कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी चेगा से गठबंधन को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोंटेन्ग्रो के गठबंधन में कई नेता कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी के साथ गठबंधन के इच्छुक हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में पुर्तगाल की राजनीति में जोड़-तोड़ का खेल होगा और सरकार गठन में थोड़ा वक्त लग सकता है।

कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी बनी किंगमेकर
पुर्तगाल में दशकों से दो पार्टियों सोशलिस्ट पार्टी और सेंटर राइट डेमोक्रेटिक पार्टी की ही सत्ता रही है और यही दोनों पार्टियां बारी-बारी से पुर्तगाल की सत्ता पर काबिज रही हैं। हालांकि इस बार के चुनाव में ये दोनों ही पार्टियां स्पष्ट बहुमत पाने में विफल रही हैं। वहीं आंद्रे वेंचुरा के नेतृत्व में कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी चेगा का उभार हुआ है और वह किंगमेकर बनी है। चेगा का गठन महज पांच साल पहले हुआ था, लेकिन कम समय में ही ये पार्टी तेजी से उभरी है और अब तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।

बीते साल नवंबर में भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर पीएम एंटोनियो कोस्टा ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि भ्रष्टाचार के आरोप पीएम कोस्टा पर नहीं लगे हैं, लेकिन उनके इस्तीफे से पुर्तगाल में फिर से चुनाव हुए हैं। पुर्तगाल में आर्थिक संकट, घर की बढ़ती कीमतें और खराब होती स्वास्थ्य व्यवस्था जैसे मुद्दों पर चुनाव हुए।

हैती में जारी गृह युद्ध के बीच अमेरिका ने अपने दूतावास से कुछ कर्मियों को वापस बुलाया, जानें वजह

हैती में बढ़ती हिंसा और आपातकाल की स्थिति के बीच अमेरिकी सेना ने वहा अपने दूतावास से कई कर्मियों को वापस बुलाने का अभियान चलाया। अमेरिका की तरफ से यह कदम हिंसा में वृद्धि, सरकार के लिए खतरा पैदा करने और बड़ी संख्या में विस्थापन को बढ़ावा देने के बाद उठाया गया है।

इससे पहले इसी महीने सशस्त्र गिरोह ने हैती के दो सबसे बड़े जेलों में जेल तोड़ने की साजिश रची थी। जिस वजह से हजारों की संख्या में कैदी जेल से फरार हो गए। सशस्त्र गिरोह ने इस दौरान अपने प्रधानमंत्री एरियल हेनरी के इस्तीफे की मांग भी की। हैती के पीएम देश छोड़कर भाग गए हैं और वे संयुक्त राष्ट्र समर्थित सुरक्षा बलों के हस्तक्षेप के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगा रहे हैं।

अमेरिकी दक्षिणी कमांड ने जारी किया बयान
अमेरिकी दक्षिणी कमांड ने यह स्पष्ट किया कि दूतावास के कर्मियों को वापस बुलाने का अभियान केवल दूतावास की सुरक्षा के अनुरूप चलाया गया है। उन्होंने कहा, “दूतावास के अंदर और बाहर कर्मियों की यह एयरलिफ्ट दुनिया भर में दूतावास की सुरक्षा बढ़ाने के लिए हमारे मानक अभ्यास के अनुरूप है, और सैन्य विमान में कोई भी हैती का नागरिक नहीं था।”

हैती में जारी है हिंसा
कैरिबियाई देश हैती में गृह युद्ध की हिंसा की आग में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। देश में फैली इस हिंसा के कारण 362,000 हैती वासियों को विस्थापित होना पड़ा। सशस्त्र गिरोह देश की राजधानी पर कब्जा कर चुके हैं। वे राष्ट्रपति भवन समेत कई सरकारी इमारतों को निशाना बना रहे हैं। सड़कों पर गोलियां चल रही है। सशस्त्र गिरोह दुकानों और घरों में तोड़फोड़ कर रहे हैं, जिसके बाद हैती में 72 घंटों के लिए आपातकाल लगा दिया गया है।

रमजान शुरू होने से पहले पाकिस्तान में बढ़ने लगे खाद्य पदार्थों के दाम, दो से तीन गुना तक बढ़ी कीमत

मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान शुरू होने वाला है। पाकिस्तान में पहले से ही सब्जियों, दूध, चीनी, खाद्य तेल, घी, मांस, अंडे और दालों की कीमतों में दो से तीन गुना तक बढ़ोतरी देखने को मिली है। अब रमजान के लिए पाकिस्तान के लोग खुद को आवश्यक वस्तुओं की बढ़ोतरी के लिए तैयार कर रहे हैं।

रमजान के महीने में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी
कुछ भ्रष्ट व्यापारियों द्वारा जल्दी पैसा कमाने की कोशिश के कारण देश भर में सभी वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इससे निम्न और मध्यम आय वाले उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रमजान महीने में कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हाल के महीनों में सामान्य तौर पर 31.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और कई खाद्य पदार्थों की दरों में रमजान से पहले ही 60 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है।

सब्जियों और फलो के दामों में भारी वृद्धि
रमजान के कारण पाकिस्तान में प्याज की कीमत 150 पीकेआर (पाकिस्तानी रुपये) से बढ़कर अब 300 रुपये तक हो गई हैं। हालांकि, कुछ विक्रेता इसमें थोड़ी छूट देकर इसे 250 पीकेआर प्रति किलो से बेच रहे हैं। इसके अलावा फल, सब्जियों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। आलू की कीमत 50 पीकेआर से बढ़कर 80 रुपये तक हो चुकी है।

वहीं गोभी की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली। रमजान के कारण गोभी की कीमत 80-100 पीकेआर किलो से बढ़कर 150 पीकेआर हो गई है। हरी मिर्च को यहां 200 पीकेआर के बदले 320 पीकेआर प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। शिमला मिर्च भी 400 पीकेआर प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है। हालांकि, पलक की कीमत में कोई वृद्धि नहीं हुई है।

रमजान के महीने में फलों की बिक्री बढ़ जाती है। छोटे आकार के केले की कीमत 80 पीकेआर से बढ़कर 120 पीकेआर प्रति दर्जन हो गई है। वहीं अच्छे गुणवत्ता वाले बड़े केले 200 पीकेआर प्रति दर्जन पर बेचे जा रहे हैं। सेव की कीमत भी बढ़कर 200 पीकेआर हो गई है। खरबूजे की कीमत भी बढ़कर 150-200 पीकेआर हो चुकी है।

वर्जीनिया की सीनेट में भारतवंशी पत्रकार का सम्मान, काम की सराहना करते हुए सर्वसम्मति से पारित हुआ प्रस्ताव

भारतीय-अमेरिकी पत्रकार टी विष्णुदत्त जयरामन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। दरअसल, वर्जीनिया के सदन ने जयरामन के पत्रकारिता और विदेश नीति के प्रति समर्पण के लिए उनके काम की सराहना करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है। यह प्रस्ताव भारतीय अमेरिकी सांसद सुहास सुब्रमण्यम ने चार मार्च को पेश किया था। बता दें, सुब्रमण्यम वर्जीनिया के 10वें कांग्रेस निर्वाचन क्षेत्र से अमेरिकी कांग्रेस के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार भी हैं। बाद में आठ मार्च को सदन ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया।

सीनेट में जयरामन का परिचय देते हुए सुब्रमण्यम ने पत्रकारिता और विदेश नीति के प्रति उनके समर्पण की सराहना की। साथ ही उन्हें सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रतिष्ठित अशोक पुरस्कार प्राप्त करने वाले पत्रकार के रूप में संदर्भित किया। सुब्रमण्यम ने कहा कि जयरामन को 27 जनवरी को अमेरिका में तत्कालीन भारतीय राजदूत तरणजीत संधू और वर्जीनिया के लेफ्टिनेंट गवर्नर एवं सदन के अध्यक्ष विनसम सियर्स ने भारतीय प्रवासियों के लिए मीडिया कवरेज करने और अमेरिका-भारत संबंधों को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट सेवा पुरस्कार प्रदान किया था।

पिछले साल मिला था पुरस्कार
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं भारतीय सेना के 22वें सेनाध्यक्ष जनरल जे.जे. सिंह और भारत के पूर्व गृह एवं पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने जयरामन को पिछले साल सात दिसंबर को नई दिल्ली में अशोक पुरस्कार दिया था।

यहां भी कर चुके हैं काम
तमिलनाडु के चेन्नई में जन्मे जयारमन को जे. टी. विष्णु के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अमेरिका जाने से पहले नई दिल्ली में कई मीडिया हाउसों के साथ काम किया था। उन्होंने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सार्वजनिक सूचना विभाग में भी काम किया और ‘यूएन इयरबुक’ और ‘यूएन क्रॉनिकल’ सहित कई प्रकाशनों में योगदान दिया।

इतने पढ़े लिखे हैं पत्रकार जयरामन
जयरामन ने चेन्नई के लोयोला कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की है। उनके पास पत्रकारिता और जनसंचार में परास्नातक डिग्री है। मद्रास विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन और संयुक्त राष्ट्र में पीएचडी की हुई है। उनके पास न्यू जर्सी के सेटन हॉल विश्वविद्यालय से कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में परास्नातक की डिग्री भी है।

26 साल की उम्र में एडल्ट स्टार सोफिया लियोन का निधन, अपार्टमेंट में मिली थीं बेहोश

एडल्ट फिल्म स्टार सोफिया लियोन का निधन हो गया है। 26 साल की सोफिया इस महीने की शुरुआत में अपने अपार्टमेंट में बेहोश मिली थीं। सौतेले पिता माइक रोमेरो ने उनके निधन की पुष्टि की है। फिलहाल मौत का कारण सामने नहीं आया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

एडल्ट स्टार की मौत के बाद उठे सवाल
काफी समय से एडल्ट फिल्म इंडस्ट्री से निधन की खबरें सामने आ रही हैं। जनवरी में थैना फील्ड्स अपने घर में मृत पाई गईं और फरवरी में 36 साल की कैग्नी लिन कार्टर ने आत्महत्या कर ली थी। अब एडल्ट फिल्म स्टार सोफिया लियोन का निधन हो गया है। सोफिया की मौत के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एडल्ट फिल्म स्टार्स कम उम्र में ही अचानक से क्यों मर रहे हैं? पिछले तीन महीने में ये तीसरा मामला है जब किसी एडल्ट स्टार की मौत हुई है।

अपार्टमेंट में मिली थीं बेहोश
सौतेले पिता ने गोफंडमी पर उनके मेमोरियल के लिए पैसे की मांग की है। उन्होंने कहा कि सोफिया एक मार्च को अपने अपार्टमेंट में बेहोश मिली थीं। फिर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पुलिस जांच कर रही
रोमेरो ने कहा, ‘उसकी मां और परिवार की ओर से मुझे हमारी सोफिया के निधन की खबर साझा करनी पड़ रही है। सोफिया की अचानक मौत ने परिवार और दोस्तों को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है।’ उन्होंने यह भी बताया कि मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पुलिस जांच कर रही है।

पाकिस्तान का राष्ट्रपति बनने पर जरदारी को शी जिनपिंग ने दी बधाई, कहा- हमारी दोस्ती दुनिया की पसंद

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आसिफ अली जरदारी को पाकिस्तान का राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि फौलाद जैसी मित्रता इतिहास की पसंद है और विश्व में मौजूदा बदलाव के मद्देनजर इन संबंधों का रणनीतिक महत्व और बढ़ गया है। जिनपिंग ने इससे पहले शहबाज शरीफ को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री चुने जाने पर बधाई दी थी।

आसिफ अली जरदारी को जिनपिंग ने दी बधाई
बता दें कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी शनिवार को देश के 14वें राष्ट्रपति चुने गए और देश में दूसरी बार इस पद पर पहुंचने वाले पहले असैन्य व्यक्ति हैं। इससे पहले, वह 2008 से 2013 तक इस पद रहे थे। 68 वर्षीय जरदारी पीपीपी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के संयुक्त उम्मीदवार थे।

चीनी मीडिया के अनुसार, जिनपिंग ने जरदारी से कहा, “चीन और पाकिस्तान अच्छे पड़ोसी, अच्छे दोस्त, अच्छे साझेदार और अच्छे भाई हैं। दोनों देशों की फौलाद जैसी दोस्ती इतिहास की पसंद और दोनों के लिए एक अनमोल खजाना है।” उन्होंने आगे कहा, “दोनों देशों ने हाल के वर्षों में करीबी उच्च स्तरीय आदान-प्रदान बनाए रखा है, अपने मूल हितों और प्रमुख चिंताओं से जुड़े मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के निर्माण में सार्थक परिणाम प्राप्त किए हैं और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया है।”