Thursday , November 21 2024

विदेश

इमरान समर्थित उम्मीदवार ने की राष्ट्रपति चुनाव स्थगित करने की मांग; ECP को लिखे पत्र में दी यह दलील

पाकिस्तान में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव को लेकर सियासत जारी है। इस बीच, देश के पूर्व पीएम इमरान खान द्वारा समर्थित प्रत्याशी महमूद खान अचकजई ने राष्ट्रपति चुनाव को स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने आरक्षित सीटों के खाली रहने का हवाला देते हुए अपनी दलील दी कि राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव का निर्वाचक मंडल अभी अधूरा है ऐसे में चुनाव को फिलहाल स्थगित करना चाहिए।

गौरतलब है कि इमरान खान ने पश्तून ख्वा मिल्ली अवामी पार्टी के प्रमुख महमूद खान अचकजई को अपना समर्थन देकर चुनावी मैदान में उतारा है। 75 साल के अचकजई पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के वरिष्ठ नेता आसिफ अली जरदारी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। देश में राष्ट्रपति चुनाव कल यानी शनिवार को होना है। ईसीपी के अनुसार, मतदान संसद और प्रांतीय विधानसभाओं की इमारतों में सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक बिना किसी रुकावट के शुरू होगा।

जानकारी के मुताबिक, अचकजई ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) को इस बाबत एक पत्र लिखा है। इसमें बताया गया कि राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में कुछ आरक्षित सीटें थीं जो खाली अभी भी खाली हैं। ऐसे में अगर राष्ट्रपति चुनाव निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होता है तो इसमें उन वोटों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा, जो मौलिक अधिकारों, कानून और संविधान के खिलाफ है।

क्या बाइडन नेतन्याहू से नाराज? इस्राइल-हमास युद्ध पांच महीने से जारी; सवाल सुन भड़के अमेरिकी राष्ट्रपति

पश्चिम एशिया में इस्राइल और हमास के बीच पांच महीने से अधिक समय से युद्ध जारी है। अब तक 30 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। गाजा में गहराते मानवीय संकट पर संयुक्त राष्ट्र भी चिंता जाहिर कर चुका है। हिंसक संघर्ष में अमेरिका की भूमिका भी चर्चा में है। ताजा घटनाक्रम में इस्राइल से जुड़े एक सवाल पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अपना आपा खो बैठे। इस साल के अंत में होने वाले आम चुनावों से पहले इस बर्ताव को उनकी हताशा और निराशा के रूप में देखा जा रहा है।

दरअसल, गुरुवार रात स्टेट ऑफ द यूनियन को संबोधित करने के बाद बाइडन ने हाउस चैंबर में सीनेटर माइकल बेनेट और डी कोलो के साथ बात की। इस दौरान बेनेट ने उन्हें भाषण के लिए बधाई दी। बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और परिवहन मंत्री पीट बटिगिएग भी मौजूद थे।

इस दौरान बेनेट ने राष्ट्रपति बाइडन से गाजा में बढ़ती मानवीय चिंताओं पर नेतन्याहू पर दबाव डालने के लिए आग्रह किया। इसपर बाइडन ने कहा कि मैंने बीबी से कहा है। इसे मत दोहराओ। तभी पास खड़े राष्ट्रपति के सहयोगी ने उन्हें सचेत करते हुए धीरे से कहा कि कमरे के माइक्रोफोन चालू हैं। इस पर बाइडन ने कहा कि मैं यहां हॉट माइक पर हूं।

मीडिया को मजाकिया अंदाज में दिया जवाब
शुक्रवार को मीडिया ने उनसे पूछा कि आपको क्या लगता है कि नेतन्याहू को मानवीय पीड़ा कम करने के लिए प्रयास करना चाहिए। इस पर बाइडन ने मजाकिया अंदाज में कहा कि लगता है कि आप लोगों ने हमारी बातचीत सुन ली है।

गौरतलब है कि बाइडन ने गुरुवार को इस्राइली सरकार से आग्रह किया कि हमास को खत्म करने के साथ-साथ गाजा के लोगों की पीड़ा पर भी ध्यान दिया जाए। मेरा मानना है कि मानवीय सहायता सौदेबाजी का हिस्सा नहीं हो सकती है। अमेरिकी सेना वहां सहायता की क्षमता बढ़ाने पर चर्चा कर रही है।

ईशनिंदा के आरोप में 22 वर्षीय छात्र को मौत की सजा, अपमानजनक वीडियो और तस्वीरों को शेयर करने का आरोप

पाकिस्तान में एक 22 वर्षीय छात्र को व्हाट्सएप के माध्यम से ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। इस हफ्ते पंजाब प्रांत की एक अदालत ने यह फैसला सुनाया है। अदालत ने बताया कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले वीडियो और तस्वीरें शेयर करने की वजह से छात्र को मौत की सजा सुनाई गई है।

नाबालिग छात्र को मिली आजीवन कारावास की सजा
एक अन्य 17 वर्षीय छात्र को नाबालिग होने के कारण उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा दी जाती है। हालांकि, राज्य में अभी तक इसके लिए किसी को भी फांसी नहीं दी गई है, लेकिन कई आरोपियों के भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटनाएं सामने आईं है।

लाहौर में पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की साइबर क्राइम इकाई ने 2022 में छात्र के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसे तीन अलग-अलग मोबाइल नंबरों से वीडियो और तस्वीरें मिली थीं। एफआईए ने कहा कि शिकायतकर्ता के मोबाइल फोन की जांच करने के बाद उन्होंने पाया कि आपत्तिजनक सामग्री भेजी गई थी।

दोनों छात्रों को फर्जी मामले में फंसाने का दावा
दोनों छात्रों के वकील ने दावा किया कि उन्हें किसी फर्जी मामले में फंसाया जा रहा है। उनके वकील ने बताया कि मौत की सजा पाने वाले छात्र के पिता लाहौर हाई कोर्ट में अपील दायर करेंगे। पिछले साल अगस्त में दो ईसाई भाइयों द्वारा कुरान को अपवित्र करने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद क्रोधित लोगों ने 80 ईसाइयों के घरों और 19 चर्चों में तोड़फोड़ की थी।

मैक्सिको की सीमा पर अमेरिका का नेशनल गार्ड हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, दो की मौत

टेक्सास में अमेरिका-मैक्सिको की सीमा के पास नेशनल गार्ड हेलीकॉप्टर के दुर्टनाग्रस्त होने से उसमें मौजूद कम से कम दो लोगों की मौत हो गई। हेलीकॉप्टर में एक नेशनल गार्ड्समैन और तीन बॉर्डर पैट्रोल एजेंट मौजूद थे। स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह हादसा सा ग्रुला में हुआ।

मैक्सिकन कार्टेल के सदस्यों ने ड्रोन से देखा हादसा
टेक्सास के नागरिक सुरक्षा विभाग के दक्षिण क्षेत्र के निदेशक विक्टर एस्केलॉन ने बताया कि बॉर्डर पेट्रोल के साथ काम करने वाले सैन्य हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। टेकसास नागरिक सुरक्षा विभाग ने हेलीकॉप्टर के ऑपरेशन लोन स्टार में शामिल नहीं होने की पुष्टि की है। बॉर्डर पेट्रोल के सूत्रों ने बताया कि हादसे के दौरान मैक्सिकन कार्टेल के सदस्यों ड्रोन की सहायता से हेलीकॉप्टर को क्रैश होते हुए देखा। सोशल मीडिया पर वायरल एक क्लिप में उन्हें अपने कैमरे को जूम करने के बाद हंसते हुए देखा गया।

इसी साल 27 फरवरी को नेशनल गार्ड ने अपने एक बयान में बताया कि उनके लेफ्टिनेंट जनरल जॉन ए. जेनसेन ने हाल ही में दो हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के बाद सुरक्षा नीतियों और प्रक्रियाओं की समीक्षा करने के लिए सभी सभी नेशनल गार्ड हेलीकॉप्टर इकाइयों की विमानन सुरक्षा को रोकने का आदेश दिया है। इससे पहले 23 फरवर को मिसिसिपी में एक प्रशिक्षण मिशन के दौरान एक सन्य हेलीकॉप्टर जंगली इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया गया था। इस हादसे में दो सैनिकों की मौत हो गई थी। यूटा में प्रशिक्षण के दौरान ही हेलीकॉप्टर दुर्घटाग्रस्त होने से दो पायलट घायल हो गए थे।

‘पिता की पार्टी में भी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी’, पंजाब की सीएम मरयम नवाज का बयान

मरयम नवाज ने हाल ही में पाकिस्तान के पंजाब की सीएम बनकर इतिहास रच दिया। महिला दिवस के मौके पर उन्होंने बताया कि अपने पिता की ही पार्टी में भी जगह बनाने के लिए उन्हें दशक भर तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर वह सफल हुईं है तो कोई भी महिला सफल हो सकती है। मरयम नवाज पाकिस्तान में किसी भी राज्य की सीएम बनने वाली पहली महिला हैं।

नवाज शरीफ की उत्तराधिकारी मानी जाती हैं मरयम नवाज
पाकिस्तानी मीडिया से बात करते हुए मरयम नवाज ने कहा कि ‘उनके पिता की पार्टी पीएमएल-एन हमेशा से एक पुरुषों के प्रभाव वाली पार्टी रही है। मैंने भी पार्टी में अपनी जगह बनाने के लिए 12-13 साल कड़ी मेहनत की है, लेकिन अगर मैं यहां तक पहुंची हूं तो इसमें हर महिला, मां और बेटी के लिए संदेश है कि अगर आप कुछ करना चाहती हैं तो महिला होना आपके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकता।’

मरयम नवाज को नवाज शरीफ का उत्तराधिकारी माना जाता है। बीती 26 फरवरी को ही मरयम नवाज ने पंजाब की सीएम पद की शपथ ली है। मरयम नवाज (50 वर्षीय) पहले राजनीति में सक्रिय नहीं थी और साल 2011 में राजनीति में सक्रिय हुईं। अब मरयम नवाज को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। साल 2017 में मरयम नवाज ने पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ अभियान चलाया था, जिससे मरयम नवाज पाकिस्तान में लोकप्रिय हुईं।

ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान आर्मी के साथ हुई डील के तहत मरयम नवाज को पंजाब सीएम का पद मिला है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी आर्मी ने नवाज शरीफ को विकल्प दिया था कि अगर उनके भाई शहबाज शरीफ पीएम बनते हैं तो पंजाब के सीएम पद पर मरयम नवाज की ताजपोशी हो सकती है। पंजाब पाकिस्तान का सबसे अहम और सबसे ज्यादा आबादी वाला सूबा है। पंजाब, नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएलएन का गढ़ रहा है। शरीफ परिवार से नवाज शरीफ और शहबाज शरीफ देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और अब एक बार फिर शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए पीएम चुने गए हैं।

ब्रिटेन की दूसरी महिला प्रधानमंत्री रह चुकीं थेरेसा मे नहीं लड़ेंगी चुनाव; 27 साल बाद छोड़ेंगी सांसद का पद

ब्रिटेन की दूसरी महिला प्रधानमंत्री रही थेरेसा मे ने सांसद का पद छोड़ने का एलान किया है। उन्होंने शुक्रवार को घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने अगले आम चुनाव में दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड में अपने मेडेनहेड निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया है। वे कंजर्वेटिव पार्टी से सात बार निर्वाचित होकर बर्कशायर सीट से सांसद रही हैं। साथ ही 2016 से 2019 के बीच ब्रिटेन की प्रधानमंत्री रही थीं।

चुनाव न लड़ने का एलान करते हुए थेरेसा मे ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में पद छोड़ने के बाद से मैनें एक बैकबेंचर की तरह काम करने का मजा लिया है। इसके बाद मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्रों के कुछ प्रमुख मुद्दों के लिए काम करने के लिए अधिक समय मिला है। उन्होंने बताया कि इन मुद्दों में आधुनिक दासता और मानव तस्करी पर हाल ही में एक वैश्विक आयोग का शुभारंभ करना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इन सब में उनका अधिक समय जा रहा है। ऐसे में बहुत सोच विचार करने के बाद मैनें निर्णय लिया है कि अब मैं एक सांसद के रूप में अपना काम नहीं कर पाउंगी। ऐसे में मैंने अगले आम चुनाव में सहभागिता न करने का निर्णय लिया है।

गौरतलब है कि ब्रिटेन की पूर्व पीएम मार्गरेट थैचर के बाद थेरेसा मे दूसरी महिला प्रधानमंत्री बनी थीं। उन्हें ‘नई आयरन लेडी’ के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने पीएम सुनक के नेतृत्व वाली सरकार को अपना समर्थन देने की बात भी कही है। उन्होंने कहा कि आगामी चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी जीत हासिल कर सती है। उन्होंने कहा कि मेडेनहेड में कंजर्वेटिव पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए मैं अपने उत्तराधिकारी के साथ काम करूंगी। मैं ऋषि सुनक और सरकार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हूं और विश्वास करती हूं कि कंजर्वेटिव चुनाव जीत सकते हैं।

उन्होंने मेडेनहेड निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का भी आभार जताया। थेरेसा ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि सांसद होने से बड़ा कोई विशेषाधिकार नहीं है। मैंने गृह सचिव और प्रधानमंत्री के रूप में काम किया है, लेकिन ये मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के बिना संभव नहीं होता।

‘नेपाल के प्रति भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं’, पड़ोसी देश में सियासी उठापटक पर राजदूत

नेपाल के बीते कुछ दिन सियासी उठापटक से भरे रहे हैं। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस के साथ पंद्रह साल पुरानी साझेदारी खत्म करके मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है। उनके इस कदम का वहां के सात प्रदेशों की सरकारों पर भी असर पड़ा है। प्रदेशों की सरकारों के अस्थिर होने का खतरा बढ़ गया है। इस बीच, भारत सरकार ने हिमालयी राष्ट्र के प्रति अपनी नीति को लेकर बड़ा आश्वासन दिया है। भारत ने शुक्रवार को नेपाल को आश्वासन दिया है कि नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (माओवादी केंद्र) के बीच गठबंधन टूटने और नई सरकार के गठन के बाद हिमालयी राष्ट्र के प्रति उसकी नीति अपरिवर्तित रहेगी।

नेपाली मीडिया ने बताया कि भारत की ओर से यह आश्वासन नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव की ओर से मिला है। नेपाल के प्रति भारत की नीति के संबंध में नवीन ने गुरुवार को उप प्रधान मंत्री और विदेश मामलों के मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ और वित्त मंत्री वर्षा मान पुन से अलग-अलग शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने दोनों मंत्रियों को बताया कि नेपाल के प्रति भारत की नीति अपरिवर्तित बनी हुई है। उन्होंने कहा कि भारत नेपाल में राजनीतिक बदलावों को उनका ‘आंतरिक मामला’ मानता है।

नेपाल विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अमृत बहादुर राय ने इस मुलाकात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नेपाल विदेश मंत्रालय में नारायण काजी श्रेष्ठ के साथ बैठक के दौरान उन्होंने द्विपक्षीय और पारस्परिक हित के विभिन्न विषयों पर चर्चा की।

ट्रंप ने बाइडन को दी बहस की चुनौती, जानिए राष्ट्रपति चुनाव में कौन से मुद्दे तय करेंगे हार-जीत

सुपर ट्यूसडे यानी 5 मार्च को हुए प्राइमरी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन ने लगभग क्लीन स्वीप करते हुए जीत दर्ज की। रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप को चुनौती दे रहीं एकमात्र उम्मीदवार निक्की हेली ने भी बुधवार को सुपर ट्यूसडे के नतीजे जारी होने के बाद अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का एलान कर दिया। जिसके बाद नवंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में जो बाइडन का मुकाबला डोनाल्ड ट्रंप से होना लगभग तय हो चुका है।

डोनाल्ड ट्रंप ने जो बाइडन को दी चुनौती
जो बाइडन से मुकाबला तय होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भी बाइडन को डिबेट की चुनौती दी है। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर साझा किए एक पोस्ट में लिखा कि ‘यह हमारे देश और लोगों के लिए अच्छा रहेगा कि अगर जो बाइडन और मैं अमेरिका के लिए अहम मुद्दों पर बहस करें। मैं कहीं भी, कभी भी डिबेट के लिए तैयार हूं।

डोनाल्ड ट्रंप भले ही जो बाइडन को बहस की चुनौती दे रहे हैं, लेकिन वह खुद अभी तक रिपब्लिकन पार्टी की किसी डिबेट में शामिल नहीं हुए। निक्की हेली ने कई बार ट्रंप को बहस की चुनौती दी थी, लेकिन ट्रंप ऐसी किसी बहस में शामिल नहीं हुए। अमेरिका में इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव एक तरह से 2020 में हुए चुनाव की पुनरावृत्ति दिख रहे हैं, जिसमें भी जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप का मुकाबला हुआ था और एक करीबी मुकाबले में जो बाइडन ने ट्रंप को पटखनी दे दी थी।

ये मुद्दे तय करेंगे चुनाव के नतीजे
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जो मुद्दे अहम रहने वाले में हैं, उनमें अर्थव्यवस्था, अवैध प्रवासी, विदेश नीति, जलवायु परिवर्तन और लोकतंत्र प्रमुख हैं। खासकर डोनाल्ड ट्रंप का जोर अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर रहेगा। हाल ही में ट्रंप ने अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर का दौरा भी किया था, जहां से बड़ी संख्या में अमेरिका में अवैध प्रवासी प्रवेश करते हैं।

‘वैश्विक समुदाय का अफगानिस्तान को लेकर जो उद्देश्य, वही भारत का भी’, सुरक्षा परिषद में बोलीं रुचिरा कंबोज

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा है कि वैश्विक समुदाय का अफगानिस्तान को लेकर जो समग्र उद्देश्य है, भारत की भी वही प्राथमिकताएं हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर बैठक हुई, जिसमें भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि ‘युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने की जरूरत है क्योंकि इसका सीधा असर हम पर होता है।’

क्या बोलीं रुचिरा कंबोज
रुचिरा कंबोज ने कहा कि हमारा उद्देश्य अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थायित्व स्थापित करना है। वैश्विक समुदाय के अफगानिस्तान को लेकर उद्देश्य हैं, वही भारत की प्राथमिकताएं हैं। जिनमें आतंकवाद से निपटना, समावेशी सरकार का गठन, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा, नशे के खिलाफ लड़ाई और मानवीय मदद देना शामिल है। 18-19 फरवरी को कतर की राजधानी दोहा में अफगानिस्तान के मुद्दे पर बैठक हुई। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस, भारत, कनाडा, चीन, फ्रांस और जर्मनी, ईरान, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, तुर्किए और संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि शामिल हुए।

कतर में हुई बैठक में ये देश हुए शामिल
कतर में हुई बैठक में स्पेशल कॉर्डिनेटर एंबेसडर की रिपोर्ट पर चर्चा हुई, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत की नियुक्ति और अफगानिस्तान में इंटरनेशनल कॉन्टैक्ट ग्रुप की स्थापना जैसी सिफारिशें की गईं थी। कंबोज ने कहा कि भारत ने इस बैठक में पूरी सक्रियता से हिस्सा लिया। बैठक के दौरान गुटेरस ने कहा कि वैश्विक समुदाय को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अफगानिस्तान फिर से आतंकियों के लिए पनाहगाह न बन जाए।

सीमा पर तनाव के लिए जयशंकर ने चीन को ठहराया जिम्मेदार, बोले- बीजिंग, समझौतों का उल्लंघन कर रहा

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन पर निशाना साधा है और सीमा पर तनाव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। जयशंकर ने कहा कि चीन लिखित समझौते का उल्लंघन कर रहा है, जिसकी वजह से ही दोनों देशों के सैनिकों में 2020 में हिंसक झड़प हुई।

विदेश मंत्री एस जयशंकर जापान की राजधानी टोक्यो में रायसीना राउंड टेबल बैठक में शामिल हुए। इस दौरान वैश्विक ऑर्डर में आ रहे बदलाव पर उन्होंने कहा कि हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में शक्ति परिवर्तन हो रहा है और जब क्षमताओं, प्रभाव और महत्वकांक्षाओं में बड़ा बदलाव होता है तो इसका रणनीतिक स्तर पर गंभीर असर होता है।

बीते एक दशक में आए बड़े बदलाव
जयशंकर ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि ‘अब आप इसे पसंद करें या नहीं, लेकिन यही सच्चाई है और आपको इससे डील करना पड़ेगा। चीजें बदल रही हैं और सभी को कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को जितना हो सकते स्थायी रखा जाए। हालांकि बीते एक दशक में ऐसा नहीं हुआ है।

उदाहरण के लिए चीन के साथ हमारी 1975 से 2020 तक, करीब 45 वर्षों तक कोई हिंसक झड़प नहीं हुई, लेकिन 2020 में ये बदल गया।’ विदेश मंत्री ने कहा कि ‘हम कई चीजों पर असहमत हो सकते हैं, लेकिन देशों को अपने पड़ोसी देशों के साथ लिखित समझौतों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए और आपने किया, जिससे दोनों देशों के रिश्तों और स्थायित्व और सच पूछिए तो आपकी नीयत पर सवालिया निशान लगता है।’

गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई थी हिंसक झड़प
उल्लेखनीय है कि 5 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। गलवान घाटी में हुई इस हिंसा से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया और संघर्ष की आशंका पैदा हो गई थी। भारत सरकार की तरफ से पहले भी कहा गया है कि जब तक सीमा पर शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन पर निशाना साधा है और सीमा पर तनाव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। जयशंकर ने कहा कि चीन लिखित समझौते का उल्लंघन कर रहा है, जिसकी वजह से ही दोनों देशों के सैनिकों में 2020 में हिंसक झड़प हुई।

विदेश मंत्री एस जयशंकर जापान की राजधानी टोक्यो में रायसीना राउंड टेबल बैठक में शामिल हुए। इस दौरान वैश्विक ऑर्डर में आ रहे बदलाव पर उन्होंने कहा कि हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में शक्ति परिवर्तन हो रहा है और जब क्षमताओं, प्रभाव और महत्वकांक्षाओं में बड़ा बदलाव होता है तो इसका रणनीतिक स्तर पर गंभीर असर होता है।

बीते एक दशक में आए बड़े बदलाव
जयशंकर ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि ‘अब आप इसे पसंद करें या नहीं, लेकिन यही सच्चाई है और आपको इससे डील करना पड़ेगा। चीजें बदल रही हैं और सभी को कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को जितना हो सकते स्थायी रखा जाए। हालांकि बीते एक दशक में ऐसा नहीं हुआ है।

उदाहरण के लिए चीन के साथ हमारी 1975 से 2020 तक, करीब 45 वर्षों तक कोई हिंसक झड़प नहीं हुई, लेकिन 2020 में ये बदल गया।’ विदेश मंत्री ने कहा कि ‘हम कई चीजों पर असहमत हो सकते हैं, लेकिन देशों को अपने पड़ोसी देशों के साथ लिखित समझौतों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए और आपने किया, जिससे दोनों देशों के रिश्तों और स्थायित्व और सच पूछिए तो आपकी नीयत पर सवालिया निशान लगता है।’

गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई थी हिंसक झड़प
उल्लेखनीय है कि 5 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। गलवान घाटी में हुई इस हिंसा से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया और संघर्ष की आशंका पैदा हो गई थी। भारत सरकार की तरफ से पहले भी कहा गया है कि जब तक सीमा पर शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।