Sunday , November 24 2024

विदेश

ट्रंप ने बाइडन को दी बहस की चुनौती, जानिए राष्ट्रपति चुनाव में कौन से मुद्दे तय करेंगे हार-जीत

सुपर ट्यूसडे यानी 5 मार्च को हुए प्राइमरी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन ने लगभग क्लीन स्वीप करते हुए जीत दर्ज की। रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप को चुनौती दे रहीं एकमात्र उम्मीदवार निक्की हेली ने भी बुधवार को सुपर ट्यूसडे के नतीजे जारी होने के बाद अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का एलान कर दिया। जिसके बाद नवंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में जो बाइडन का मुकाबला डोनाल्ड ट्रंप से होना लगभग तय हो चुका है।

डोनाल्ड ट्रंप ने जो बाइडन को दी चुनौती
जो बाइडन से मुकाबला तय होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भी बाइडन को डिबेट की चुनौती दी है। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर साझा किए एक पोस्ट में लिखा कि ‘यह हमारे देश और लोगों के लिए अच्छा रहेगा कि अगर जो बाइडन और मैं अमेरिका के लिए अहम मुद्दों पर बहस करें। मैं कहीं भी, कभी भी डिबेट के लिए तैयार हूं।

डोनाल्ड ट्रंप भले ही जो बाइडन को बहस की चुनौती दे रहे हैं, लेकिन वह खुद अभी तक रिपब्लिकन पार्टी की किसी डिबेट में शामिल नहीं हुए। निक्की हेली ने कई बार ट्रंप को बहस की चुनौती दी थी, लेकिन ट्रंप ऐसी किसी बहस में शामिल नहीं हुए। अमेरिका में इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव एक तरह से 2020 में हुए चुनाव की पुनरावृत्ति दिख रहे हैं, जिसमें भी जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप का मुकाबला हुआ था और एक करीबी मुकाबले में जो बाइडन ने ट्रंप को पटखनी दे दी थी।

ये मुद्दे तय करेंगे चुनाव के नतीजे
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जो मुद्दे अहम रहने वाले में हैं, उनमें अर्थव्यवस्था, अवैध प्रवासी, विदेश नीति, जलवायु परिवर्तन और लोकतंत्र प्रमुख हैं। खासकर डोनाल्ड ट्रंप का जोर अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर रहेगा। हाल ही में ट्रंप ने अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर का दौरा भी किया था, जहां से बड़ी संख्या में अमेरिका में अवैध प्रवासी प्रवेश करते हैं।

‘वैश्विक समुदाय का अफगानिस्तान को लेकर जो उद्देश्य, वही भारत का भी’, सुरक्षा परिषद में बोलीं रुचिरा कंबोज

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा है कि वैश्विक समुदाय का अफगानिस्तान को लेकर जो समग्र उद्देश्य है, भारत की भी वही प्राथमिकताएं हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर बैठक हुई, जिसमें भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि ‘युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने की जरूरत है क्योंकि इसका सीधा असर हम पर होता है।’

क्या बोलीं रुचिरा कंबोज
रुचिरा कंबोज ने कहा कि हमारा उद्देश्य अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थायित्व स्थापित करना है। वैश्विक समुदाय के अफगानिस्तान को लेकर उद्देश्य हैं, वही भारत की प्राथमिकताएं हैं। जिनमें आतंकवाद से निपटना, समावेशी सरकार का गठन, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा, नशे के खिलाफ लड़ाई और मानवीय मदद देना शामिल है। 18-19 फरवरी को कतर की राजधानी दोहा में अफगानिस्तान के मुद्दे पर बैठक हुई। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस, भारत, कनाडा, चीन, फ्रांस और जर्मनी, ईरान, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, तुर्किए और संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि शामिल हुए।

कतर में हुई बैठक में ये देश हुए शामिल
कतर में हुई बैठक में स्पेशल कॉर्डिनेटर एंबेसडर की रिपोर्ट पर चर्चा हुई, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत की नियुक्ति और अफगानिस्तान में इंटरनेशनल कॉन्टैक्ट ग्रुप की स्थापना जैसी सिफारिशें की गईं थी। कंबोज ने कहा कि भारत ने इस बैठक में पूरी सक्रियता से हिस्सा लिया। बैठक के दौरान गुटेरस ने कहा कि वैश्विक समुदाय को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अफगानिस्तान फिर से आतंकियों के लिए पनाहगाह न बन जाए।

सीमा पर तनाव के लिए जयशंकर ने चीन को ठहराया जिम्मेदार, बोले- बीजिंग, समझौतों का उल्लंघन कर रहा

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन पर निशाना साधा है और सीमा पर तनाव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। जयशंकर ने कहा कि चीन लिखित समझौते का उल्लंघन कर रहा है, जिसकी वजह से ही दोनों देशों के सैनिकों में 2020 में हिंसक झड़प हुई।

विदेश मंत्री एस जयशंकर जापान की राजधानी टोक्यो में रायसीना राउंड टेबल बैठक में शामिल हुए। इस दौरान वैश्विक ऑर्डर में आ रहे बदलाव पर उन्होंने कहा कि हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में शक्ति परिवर्तन हो रहा है और जब क्षमताओं, प्रभाव और महत्वकांक्षाओं में बड़ा बदलाव होता है तो इसका रणनीतिक स्तर पर गंभीर असर होता है।

बीते एक दशक में आए बड़े बदलाव
जयशंकर ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि ‘अब आप इसे पसंद करें या नहीं, लेकिन यही सच्चाई है और आपको इससे डील करना पड़ेगा। चीजें बदल रही हैं और सभी को कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को जितना हो सकते स्थायी रखा जाए। हालांकि बीते एक दशक में ऐसा नहीं हुआ है।

उदाहरण के लिए चीन के साथ हमारी 1975 से 2020 तक, करीब 45 वर्षों तक कोई हिंसक झड़प नहीं हुई, लेकिन 2020 में ये बदल गया।’ विदेश मंत्री ने कहा कि ‘हम कई चीजों पर असहमत हो सकते हैं, लेकिन देशों को अपने पड़ोसी देशों के साथ लिखित समझौतों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए और आपने किया, जिससे दोनों देशों के रिश्तों और स्थायित्व और सच पूछिए तो आपकी नीयत पर सवालिया निशान लगता है।’

गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई थी हिंसक झड़प
उल्लेखनीय है कि 5 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। गलवान घाटी में हुई इस हिंसा से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया और संघर्ष की आशंका पैदा हो गई थी। भारत सरकार की तरफ से पहले भी कहा गया है कि जब तक सीमा पर शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन पर निशाना साधा है और सीमा पर तनाव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। जयशंकर ने कहा कि चीन लिखित समझौते का उल्लंघन कर रहा है, जिसकी वजह से ही दोनों देशों के सैनिकों में 2020 में हिंसक झड़प हुई।

विदेश मंत्री एस जयशंकर जापान की राजधानी टोक्यो में रायसीना राउंड टेबल बैठक में शामिल हुए। इस दौरान वैश्विक ऑर्डर में आ रहे बदलाव पर उन्होंने कहा कि हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में शक्ति परिवर्तन हो रहा है और जब क्षमताओं, प्रभाव और महत्वकांक्षाओं में बड़ा बदलाव होता है तो इसका रणनीतिक स्तर पर गंभीर असर होता है।

बीते एक दशक में आए बड़े बदलाव
जयशंकर ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि ‘अब आप इसे पसंद करें या नहीं, लेकिन यही सच्चाई है और आपको इससे डील करना पड़ेगा। चीजें बदल रही हैं और सभी को कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को जितना हो सकते स्थायी रखा जाए। हालांकि बीते एक दशक में ऐसा नहीं हुआ है।

उदाहरण के लिए चीन के साथ हमारी 1975 से 2020 तक, करीब 45 वर्षों तक कोई हिंसक झड़प नहीं हुई, लेकिन 2020 में ये बदल गया।’ विदेश मंत्री ने कहा कि ‘हम कई चीजों पर असहमत हो सकते हैं, लेकिन देशों को अपने पड़ोसी देशों के साथ लिखित समझौतों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए और आपने किया, जिससे दोनों देशों के रिश्तों और स्थायित्व और सच पूछिए तो आपकी नीयत पर सवालिया निशान लगता है।’

गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई थी हिंसक झड़प
उल्लेखनीय है कि 5 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। गलवान घाटी में हुई इस हिंसा से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया और संघर्ष की आशंका पैदा हो गई थी। भारत सरकार की तरफ से पहले भी कहा गया है कि जब तक सीमा पर शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।

चुनाव आयोग के फैसले का नवाज शरीफ की पार्टी को फायदा, नेशनल असेंबली में PMLN बना सबसे बड़ा दल

पाकिस्तान में आठ फरवरी को हुए आम चुनावों के बाद से सियासी उठा पटक जारी है। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा झटका लगा है, जिसका फायदा पूर्व पीएम नवाज शरीफ को मिला है। दरअसल, पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने हाल ही में खान समर्थित एसआईसी को आरक्षित सीटें देने से मना कर दिया है, जिससे नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है।

एसआईसी को आरक्षित सीटें देने से इनकार
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने सोमवार को 71 साल के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) समर्थित सुन्नी इतेहाद काउंसिल (एसआईसी) को आरक्षित सीटें देने से इनकार कर दिया। आयोग का कहना है कि एसआईसी के पाले वालीं आरक्षित सीटें अन्य दलों को दे दी जाएं।

दरअसल, पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें अपने नाम की थीं, लेकिन वे बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाए थे। इस वजह से पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने घोषणा कर दी थी कि वे गठबंधन सरकार बनाएंगे। हालांकि, पीटीआई ने पीएमएलएन और पीपीपी द्वारा गठबंधन सरकार बनाने के प्रयासों को खारिज कर दिया था।

किस पार्टी ने कितनी जीती थीं सीटें
चुनावों में जेल में बंद इमरान खान की पीटीआई पार्टी की ओर से समर्थित उम्मीदवारों समेत कुल 93 निर्दलीय प्रत्याशियों ने नेशनल असेंबली की सीटें जीती थीं। पीएमएल-एन ने 75 सीटें जीतीं, जबकि पीपीपी 54 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने भी 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यहां सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में लड़ी गई 265 सीटों में से 133 सीटें चाहिए होंगी। कुल मिलाकर, संसद के निचले सदन की 336 सीटों में से 266 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। अन्य 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित थीं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने पिछले महीने हुए आम चुनाव के बाद शुरुआत में 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी और उसमें नौ निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हुए थे। इसे महिलाओं के लिए 19 आरक्षित सीटें और अल्पसंख्यकों के लिए चार आरक्षित सीटें आवंटित की गईं, जिससे इसकी कुल संख्या 107 हो गई थी।

पीटीआई समर्थित अंतरिम सुरक्षा परिषद (आईएससी) को आरक्षित सीटें देने से ईसीपी के इनकार के बाद तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ नीत पीएमएल-एन को महिलाओं के लिए आरक्षित 20 सीटों में से 15 सीटें और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित तीन सीटों में से एक सीट आवंटित की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 123 सीट के साथ नेशनल असेंबली में नवाज शरीफ की पार्टी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को मिली सीटों की संख्या भी पहले की 68 सीटों से बढ़कर 73 हो गई है। पूर्व वित्त मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी के नेतृत्व वाली पार्टी ने शुरू में 54 सामान्य सीटें जीतीं और उसे अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित 12 सीटें और महिलाओं के लिए दो सीटें आवंटित की गईं। इसके बाद इसे महिलाओं के लिए आरक्षित चार और अल्पसंख्यकों के लिए एक सीट आवंटित की गई थी।

मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) पार्टी के नेशनल असेंबली में 22 सदस्य हैं जबकि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के सांसदों की संख्या सात से बढ़कर 11 हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- फांसी से पहले पूर्व PM जुल्फिकार अली भुट्टो का ट्रायल निष्पक्ष नहीं

खराब कानून व्यवस्था और दहशतगर्दों की गतिविधियों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहने वाला मुल्क पाकिस्तान अपनी न्याय प्रणाली के कारण चर्चा में है। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री को निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल सका। अदालत ने कहा कि मुकदमे में निष्पक्ष सुनवाई के बगैर पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी की सजा दे दी गई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने यह अहम आदेश पारित किया। अदालत की नौ जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से पारित आदेश में कहा कि 45 साल पहले सैन्य शासन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को सजा-ए-मौत तो दी गई, लेकिन उन्हें मुकदमे में निष्पक्ष ट्रायल नसीब नहीं हुआ।

2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
कोर्ट ने लगभग 13 साल के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा वाले तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश की वैधता पर सुनवाई की। गौरतलब है कि साल 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अपने ससुर जुल्फिकार अली भुट्टो की फांसी को हत्या बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति ईसा ने चीफ जस्टिस बनने के बाद 2023 में इस मुकदमे पर सुनवाई शुरू की।

अब और मजबूत होगी ट्रंप की दावेदारी, भारतवंशी रिपब्लिकन प्रत्याशी निक्की हेली चुनाव से वापस लेंगी नाम

रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की रेस में डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती देनी वाली भारतवंशी निक्की हेली अपना चुनावी अभियान को रोक देंगी। मंगलवार को बुरी तरह से हार के बाद निक्की हेली के करीबी लोगों के मुताबिक, राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की रेस से निक्की हेली खुद को बाहर कर देंगी। गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप के सामने रिपब्लिकन से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की रेस में निक्की हेली एकमात्र प्रतिद्वंदी है।

हेली राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की रेस से पीछे हटी
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, हेली ने फैसले की पुष्टि की है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि हेली ट्रंप का समर्थन करने की योजना नहीं बना रही है। इसके बजाए हेली उदारवादी रिपब्लिकन और स्वतंत्र मतदाताओं के गठबंधन का समर्थन अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। बता दें फरवरी 2023 में रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति बनने की रेस में ट्रंप के खिलाफ वह सामने आई थी। गौरतलब है कि निक्की हेली के पीछे हटने की चर्चाओं के बाद ट्रंप का रिपब्लिकन से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए एक बार फिर डेमोक्रेटिक से बाइडन और रिपब्लिकन से ट्रंप के बीच भिंडत होने की संभावना है।

ट्रंप ने कहा- रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक एकजुट
ट्रम्प ने मंगलवार रात को घोषणा की कि रिपब्लिकन के समर्थक उनके पीछे एकजुट है, लेकिन कुछ ही समय बाद एक बयान में हेली के प्रवक्ता ओलिविया पेरेज-क्यूबास ने कहा, केवल यह दावा करने से एकता हासिल नहीं होती है, हम एकजुट हैं। परेज क्यूबास ने कहा कि आज एक के बाद एक राज्य में रिपब्लिकन प्राथमिक मतदाताओं का एक बड़ा समूह बना हुआ है, जो डोनाल्ड ट्रंप के बारे में गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

डॉ जयशंकर की कारोबारियों से मुलाकात, गिम्हे का दौरा भी किया…

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर दक्षिण कोरिया दौरे पर हैं। उन्होंने कई अहम कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने अयोध्या की सिस्टर सिटी का दर्जा रखने वाले शहर- गिम्हे का दौरा भी किया। विदेश मंत्री ने दक्षिण कोरिया में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। गिम्हे में डॉ जयशंकर ने गिम्हे सिटी के मेयर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। उन्होंने भारत और दक्षिण कोरिया के बीच साझा सांस्कृतिक विरासत और लंबे समय से लोगों के बीच कायम संबंधों का जिक्र किया। विदेश मंत्री ने गिम्हे सिटी में स्थानीय निवासियों से भी मुलाकात की। मेयर से मुलाकात के दौरान अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति भी भेंट की।

कोरियन लोगों का ननिहाल है अयोध्या
गिम्हे सिटी राजधानी सियोल से लगभग 330 किमी दक्षिणपूर्व में है। कोरियाई किंवदंती के अनुसार, लगभग 2,000 साल पहले अयोध्या की एक किशोर राजकुमारी नाव में बैठकर कोरिया पहुंची थीं। समुद्री मार्ग से लगभग 4,500 किलोमीटर की दूरी तय कर कोरिया पहुंचीं राजकुमारी ने राजा किम सुरो से शादी की। इस किवदंती के मुताबिक राजा ने उत्तर एशियाई देश में गया की स्थापना की। राजकुमारी सुरीरत्ना कालांतर में रानी हियो ह्वांग-ओक नाम से जानी गईं। खुद को सुरीरत्ना का वंशज मानने वाले दक्षिण कोरिया के करीब 60 लाख लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर ने गिम्हे दौरा करने के बाद एक्स पर लिखा, आज गिम्हे सिटी के मेयर होंग ताए-योंग से मिलकर खुशी हुई। गिम्हे और अयोध्या का संपर्क हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत और लंबे समय से लोगों के बीच संबंधों का प्रमाण है। गिम्हे सिटी के साथ व्यापक सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग पर चर्चा हुई।

पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच IMF से तत्काल मदद की अपील; नए प्रधानमंत्री शहबाज ने की पहल

पाकिस्तान में आर्थिक संकट की खबरें लंबे समय से सामने आ रही हैं। बीते आठ फरवरी को कराए गए आम चुनाव के बाद देश को अब नया प्रधानमंत्री मिल चुका है। शहबाज शरीफ ने लगभग 24 दिनों के बाद प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था में व्याप्त संकट को खत्म करने की दिशा में बड़ी पहल की है।

पीएम शहबाज शरीफ ने आईएमएफ से मदद मांगने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस बात का संज्ञान लिया कि देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए बेल आउट पैकेज की जरूरत है। ऐसे में आर्थिक जरूरतों पर विचार करने के लिए तत्काल वार्ता की पहल की जाए।

PM ने अधिकारियों को बातचीत की पहल करने का निर्देश दिया
नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मदद की अपील करने वाले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संबंधित मंत्रालयों और अधिकारियों को निर्देश दिया है कि बेलआउट पैकेज हासिल करने के लिए आईएमएफ के साथ तत्काल बातचीत का रास्ता निकालें। उन्होंने साफ किया है कि अर्थव्यवस्था में सुधार उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

‘आपात स्थिति से निपटने के लिए तत्काल योजना बनाएं’
पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (PML-N) ने बताया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद देश की अर्थव्यवस्था की समीक्षा की। वित्त सचिव ने उन्हें विस्तार से पूरी स्थिति समझाई। इसके बाद प्रधानमंत्री ने बेलआउट पैकेज के संबंध में बातचीत की योजना तत्काल बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने आपात स्थिति से निपटने के लिए तत्काल एक कार्य योजना बनाने का निर्देश भी दिया।

पीटीआई ने शहबाज सरकार को बताया ‘फर्जी’, 10 मार्च को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का किया एलान

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने ‘जनादेश की चोरी’ के खिलाफ 10 मार्च को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का एलान किया। पार्टी पिछले महीने आठ फरवरी को हुए आम चुनाव में धांधली के आरोप लगा रही है। पीटीआई जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी है।

सड़कों पर उतरेंगे पीटीआई कार्यकर्ता
पीटीआई के वरिष्ठ नेता असद कैसर ने पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा, “हम सभी राजनीतिक ताकतों को एकजुट करेंगे और कानून व संविधान के दायरे में आंदोलन शुरू करेंगे।” जिओ न्यूज के मुताबिक, “नेशनल असेंबली के पूर्व स्पीकर कैसर ने कहा कि वे सभी प्रांतों में सड़कों पर उतरने की योजना बना रहे हैं, ताकि उनकी मांगें पूरी हो सकें।” कैसर ने कहा, “हमारा आंदोलन जारी रहेगा। सभी राजनीतिक ताकतों को एक साथ लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करेंगे।”

आम चुनाव के आए थे त्रिशंकु परिणाम
पाकिस्तान के आम चुनाव के त्रिशंकु परिणाम सामने आए थे। पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने नेशनल असेंबली की 266 सीट में से 90 से ज्यादा पर जीत हासिल की थी। जबकि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने 75 सीट पर जीत दर्ज की। वहीं, पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को 54 सीट पर जीत मिली थी। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) पार्टी ने 17 सीट पर जीत हासिल की।

श्रीलंका को भारतीय पावर ग्रिड से जोड़ने की पहल, अरबों डॉलर की परियोजना; अधिकारी ने कही यह बात

भारत और श्रीलंका के बीच नया रिश्ता कायम हो सकता है। दोनों देशों के बीच समुद्र के अंदर बनने वाली ट्रांसमिशन लाइन के जरिए नए संबंध स्थापित होंगे। दरअसल, श्रीलंका को भारतीय पावरग्रिड से जोड़ने की तैयारियां हो रही हैं। दोनों देश 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर (अनुमानित) की ट्रांसमिशन लाइन पर काम कर रहे हैं। यह लाइन समुद्र के अंदर बनाई जा रही है। श्रीलंकाई सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के मकसद से श्रीलंका की बिजली आपूर्ति को भारत से जोड़ा जा रहा है।

किन दो शहरों के बीच संपर्क स्थापित होगा
इस प्रस्ताव के तहत श्रीलंका के उत्तर मध्य में बसे शहर अनुराधापुरा और भारत में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के बीच सीधे संपर्क स्थापित होंगे। दोनों शहर सीधी बिजली लाइन के माध्यम से जोड़े जा रहे हैं। भारत में 130 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन जमीन पर होगी। इसके बाद, पूर्वोत्तर श्रीलंका में मन्नार के थिरुकेथीस्वरम में समुद्र के नीचे ट्रांसमिशन लाइन (पनडुब्बी केबल के माध्यम से) निकाली जाएगी।