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विदेश

पुतिन के युद्धविराम के सुझाव को अमेरिका ने किया खारिज, रूस ने जताई नाराजगी

रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सुझाव को अमेरिका ने खारिज कर दिया। पुतिन ने पिछले साल मध्यस्थों के जरिए सार्वजनिक और निजी तौर पर अमेरिका को संकेत भेजा था। उन्होंने बताया था कि रूस यूक्रेन में युद्धविराम के लिए तैयार है।

पुतिन के युद्धविराम के सुझाव को अमेरिका ने किया खारिज
पुतिन यूक्रेन-रूस के संघर्ष को रोकने का प्रयास तो कर रहे थे, लेकिन वह रूस द्वारा नियंत्रित यूक्रेनी जमीन को छोड़ने के लिए भी तैयार नहीं थे। वहीं अमेरिका ने मध्यस्थों के माध्यम से रूस को बताया कि वह यूक्रेन की उपस्थिति के बिना युद्धविराम पर चर्चा नहीं करेंगे। नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि अमेरिका यूक्रेन पर दवाब नहीं बनाना चाहता है, जिस वजह से बातचीत की कोशिशें नाकाम हो गईं।

रूसी सूत्रों के अनुसार, बातचीत की कोशिशें नाकाम होने के बाद रूस ने अमेरिका पर नाराजगी जताई है। सूत्र ने बताया कि अमेरिका कभी यूक्रेन को बातचीत के लिए प्रेरित नहीं करेगा, क्योंकि वह (अमेरिका) युद्ध के वित्तपोषण में मदद कर रहा है।

पुतिन ने इसपर कहा, ‘मुझे मालूम है कि वे कुछ नहीं करेंगे। उन्होंने संपर्क के सभी तारों को काट दिया, जिन्हें बनाने में दो महीने लगे थे।’ वहीं एक अन्य सूत्र ने बताया कि अमेरिका को पुतिन की ईमानदारी पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘पुतिन युद्ध विराम के लिए तैयार थे, लेकिन अब पुतिन भी तब तक लड़ने के लिए तैयार हैं जब तक आवश्यक हो।’

यूक्रेन के समर्थन में अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन महीनों से यूक्रेन के लिए अधिक सहायता मंजूरी देने के लिए संसद पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन उन्हें रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगियों के विरोध का सामना करना पड़ा।

बता दें कि रूस साल 2022 में हजारों की संख्या में सैनिकों को यूक्रेन भेजा था, जिससे पूर्वी यूक्रेन में यूक्रेनी बलों के साथ आठ वर्षों का संघर्ष फिर से शुरू हो गया। यूक्रेन का कहना है कि वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि वह यूक्रेन की जमीन पर रूस का नियंत्रण कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

अबू धाबी का हिंदू मंदिर खुद में बेशकीमती, वैज्ञानिक तकनीकों और प्राचीन वास्तुशिल्प विधियों का संगम

राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थरों से निर्मित अबूधाबी के पहले हिंदू मंदिर का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उद्घाटन करेंगे। यह मंदिर अपनी भव्यता से दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रहा है। यह मंदिर कोई मामूली तरीके से नहीं , बल्कि इसे वैज्ञानिक तकनीकों और प्राचीन वास्तुकला विधियों का इस्तेमाल करके बनाया गया है।

27 एकड़ में बना है मंदिर
इस मंदिर को अल रहबा के समीप स्थित बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा निर्मित कराया गया है। 27 एकड़ में बना 108 फुट ऊंचा यह मंदिर वास्तुशिल्प का चमत्कार माना जा रहा है। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक मंदिर के दोनों ओर, गंगा और यमुना का पवित्र जल बह रहा है, जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से लाया गया है। मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, जिस ओर गंगा का जल बहता है वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है।

1997 में की गई थी कल्पना
मंदिर यूएई की राजधानी अबू धाबी में ‘अल वाकबा’ नाम की जगह पर बनाया गया है। यह धर्म स्थल 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। हाइवे से सटी अल वाकबा नामक जगह अबू धाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है। यूएई का पहला हिंदू मंदिर भले ही 2023 में बनकर तैयार हुआ, लेकिन इसकी कल्पना करीब ढाई दशक पहले 1997 में बीएपीएस संस्था के तत्कालीन प्रमुख स्वामी महाराज ने की थी।

नींव के लिए इसका इस्तेमाल
इस मंदिर में तापमान मापने और भूकंपीय गतिविधि पर नजर रखने के लिए उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं। मंदिर के निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है। नींव को भरने के लिए उड़न राख यानी ‘फ्लाई ऐश’ (कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख) का उपयोग किया गया है। इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।

मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, इस भव्य मंदिर को शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार बनाया गया है। शिल्प और स्थापत्य शास्त्र ऐसे हिंदू ग्रंथ हैं, जो मंदिर के डिजाइन और निर्माण की कला का वर्णन करते हैं।

वास्तुशिल्प पद्धतियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल
बीएपीएस के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास का कहना है, ‘इसमें वास्तुशिल्प पद्धतियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। तापमान, दबाव और गति (भूकंपीय गतिविधि) को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं। सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव आंकड़े प्रदान करेंगे। यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है, तो मंदिर इसका पता लगा लेगा।’

‘लोगों की जिंदगी में सरकार का दखल कम से कम हो…’वर्ल्ड गवर्नमेंट्स समिट में बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि मेरा मानना है कि आज विश्व को ऐसी सरकारों की जरूरत है जो सबको साथ लेकर चले। वह दुबई में वर्ल्ड गवर्नमेंट्स समिट में बोल रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा, ‘दुबई जिस तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था, वाणिज्य और प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र बन रहा है, वह बहुत बड़ी बात है।’

आज हम 21वीं सदी में
उन्होंने कहा कि आज हम 21वीं सदी में हैं। एक तरफ दुनिया आधुनिकता की तरफ बढ़ रही है तो पिछली सदी से चले आ रहीं चुनौतियां भी उतनी ही व्यापक हो रही हैं। खाने की सुरक्षा हो, स्वास्थ्य सुरक्षा हो, पानी की सुरक्षा हो, ऊर्जा की सुरक्षा हो चाहें शिक्षा हो। हर सरकार अपने नागरिकों के प्रति अनेक दायित्वों से बंधी हुई है। आज हर सरकार के सामने सवाल है कि वो किस अप्रोच के साथ आगे बढ़े। मेरा मानना है कि आज विश्व को ऐसी सरकारों की जरूरत है जो सबको साथ लेकर चले।

सरकार का दबाव नहीं होना चाहिए
पीएम ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि सरकार का अभाव भी नहीं होना चाहिए और सरकार का दबाव भी नहीं होना चाहिए। बल्कि मैं तो ये मानता हूं कि लोगों की जिंदगी में सरकार का दखल कम से कम हो, ये सुनिश्चित करना भी सरकार का काम है।

इन 23 वर्षों में सरकार में मेरा सबसे बड़ा सिद्धांत रहा है-‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’। मैंने हमेशा एक ऐसा वातावरण बनाने पर जोर दिया है जिसमें नागरिकों में उद्यम और ऊर्जा की भावना विकसित हो।’

उन्होंने आगे कहा, ‘सबका साथ-सबका विकास’ के मंत्र पर चलते हुए हम सैचुरेशन की अप्रोच पर बल दे रहे हैं। सैचुरेशन की अप्रोच, यानी सरकार की योजनाओं के लाभ से कोई भी लाभार्थी छूटे नहीं, सरकार खुद उस तक पहुंचे। गवर्नेस के इस मॉडल में भेदभाव और भ्रष्टाचार दोनों की ही गुंजाइश समाप्त हो जाती है।’

गवर्नेंस में जन-भावनाओं को प्राथमिकता दी
उन्होंने कहा, ‘हमने गवर्नेंस में जन-भावनाओं को प्राथमिकता दी है। हम देशवासियों की जरूरत के प्रति संवेदनशील हैं। हमने लोगों की जरूरतों और लोगों के सपनों को पूरा करने पर ध्यान दिया है। भारत आज सौर, हवा, जल के साथ-साथ बायोफ्यूल्स, ग्रीन हाइड्रोजन पर भी काम कर रहा है।

हमारी संस्कृति हमें सिखाती है कि प्रकृति से जितना हासिल किया है, उसे लौटाने का प्रयास भी करना चाहिए। इसलिए भारत ने विश्व को एक नया मार्ग सुझाया है, जिस पर चलते हुए हम पर्यावरण की बहुत मदद कर सकते हैं। ये मार्ग है – मिशन लाइफ यानि वातावरण के लिए जीना।

पहले हिंदू मंदिर की वास्तुकला में यूएई की संस्कृति की भी झलक

अबू धाबी स्थित पहले हिंदू मंदिर की वास्तुकला में यूएई के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करने वाली सात मीनारें, ऊंटों की नक्काशी और राष्ट्रीय पक्षी बाज भी हिस्सा हैं। बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था द्वारा लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल रहबा के पास अबू मरीखा में 27 एकड़ की साइट पर निर्मित मंदिर का आज उद्घाटन किया जाएगा। खास बात है कि मंदिर के लिए जमीन यूएई सरकार ने दान में दी थी।

सात शिखरों में यूएई के तत्व भी शामिल
बीएपीएस के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास के मुताबिक, मंदिर में सात शिखर बनाए गए हैं। ये सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो संयुक्त अरब अमीरात बनाने के लिए एक साथ आते हैं।

सात शिखरों पर भगवान राम, भगवान शिव, भगवान जगन्नाथ, भगवान कृष्ण, भगवान स्वामीनारायण, तिरूपति बालाजी और भगवान अयप्पा सहित देवताओं की मूर्तियां हैं।

‘एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है यह मंदिर’
गौरतलब है कि आम तौर पर मंदिर में या एक तीन या पांच शिखर होते हैं लेकिन अबू धाबी में सात शिखरों का निर्माण किया गया है, जो अमीरात की एकता का प्रतीक है। साथ ही सात मीनारें सात महत्वपूर्ण देवताओं को स्थापित करती हैं। स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने कहा,

सर्पिल का उद्देश्य बहुसांस्कृतिक परिदृश्य में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है। 108 फीट ऊंचा यह मंदिर क्षेत्र में विविध समुदायों के सांस्कृतिक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा।

‘इस्राइल को हथियारों की सप्लाई रोके अमेरिका’, राफा पर हमले के बाद नाराज हुआ यूरोपीय संघ

राफा शहर पर हमले के बाद इस्राइल पर दुनियाभर से दबाव पड़ना शुरू हो गया है। यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने मांग की है कि इस्राइल के सहयोगी खासकर अमेरिका, इस्राइल को हथियारों की सप्लाई करना बंद करे। बोरेल ने कहा कि गाजा में बड़ी संख्या में लोग मारे जा रहे हैं।

बीते हफ्ते ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि इस्राइल की सैन्य कार्रवाई चरम पर पहुंच चुकी है। बोरेल ने बाइडन के उस बयान का हवाला देते हुए कहा कि अगर आपको लगता है कि लोग मारे जा रहे हैं तो आपको कम मात्रा में हथियार देने चाहिए ताकि कई लोगों को मरने से बचाया जा सके।

बोरेल ने पूछा क्या किसी प्रमुख देश के नेता ने लोगों के मारे जाने पर चिंता जतायी?
ब्रुसेल्स में मीडिया से बात करते हुए बोरेल ने कहा कि अमेरिका का युद्ध पर चिंता जताना और इस्राइल को हथियारों की सप्लाई जारी रखना लॉजिकल नहीं है। बोरेल ने कहा कि ‘कितनी बार प्रमुख देशों के नेताओं और विदेश मंत्रियों ने लोगों के मारे जाने पर चिंता जतायी है। अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगता है कि नरसंहार हो रहा है और बड़ी संख्या में लोग मारे जा रहे हैं तो हमें शायद हथियारों के बारे में सोचने की जरूरत है।’

इस्राइल ने गाजा के राफा में हमले शुरू कर दिए हैं। गाजा पर हमले के बाद बड़ी संख्या में लोग राफा पहुंचकर वहां शरण लिए हुए थे। अब राफा में भी इस्राइल के हमले के बाद शरणार्थियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बोरेल ने पूछा कि क्या अब इस्राइल के पीएम राफा को भी खाली कराएंगे? अब वे लोगों को कहां भेजेंगे? चांद पर?

इस्राइल ने UNRWA पर लगाए थे आरोप
इस दौरान संयुक्त राष्ट्र की UNRWA के प्रमुख फिलिप लाजारनी भी मौजूद थे। इस्राइल ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि UNRWA के लोग भी इस्राइल पर बीते 7 अक्तूबर को हुए हमले में शामिल थे। इस्राइल ने संयुक्त राष्ट्र रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी फॉर फलस्तीन रिफ्यूजी (UNRWA) पर रोक लगाने की मांग की थी। इस्राइल के आरोपों के बाद कई देशों ने यूएनआरडब्लूए की फंडिंग रोकने का एलान कर दिया था।

पाकिस्तान में इमरान खान की पीटीआई ने भी ठोकी सत्ता पर दावेदारी, राष्ट्रपति से मिले पार्टी नेता

पाकिस्तान में नवाज शरीफ की पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो जरदारी की पीपीपी के बीच गठबंधन सरकार बनाने को लेकर बात चल रही है। अब जेल में बंद इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने भी सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। पार्टी ने कई विशेष समीतियों का गठन किया है, जो केंद्र में, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा राज्य में पीटीआई की सरकार बनाने की रणनीति बनाएंगी।

पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी
चुनाव नतीजों के बाद पीटीआई की कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें सरकार और संसदीय पदों पर लोगों की नामांकन प्रक्रिया को जल्द पूरा करने पर सहमति बनी। पाकिस्तान आम चुनाव में पीटीआई समर्थित 101 निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं और पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

पीटीआई ने बयान जारी कर बताया कि उनकी पार्टी को रोकने की कोशिश की गई और अनैतिक तरीके से पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश की गई, लेकिन देश की जनता ने इमरान खान पर विश्वास रखा और अपने वोटों से इमरान खान को देशभक्ति का सर्टिफिकेट दिया है।

पीटीआई नेताओं ने राष्ट्रपति से की मुलाकात
पीटीआई चुनाव में धांधली का भी आरोप लगा रही है और इसे लेकर उसके नेताओं ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से मुलाकात की। पीटीआई का आरोप है कि चुनाव नतीजों गिनती के दौरान वे एक समय 170 नेशनल असेंबली सीटों पर आगे चल रहे थे, लेकिन इसके बाद पीएमएल-एन के पक्ष में चुनाव को मोड़ दिया गया। पीटीआई ने नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी पीपीपी के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है।

PTI समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों की याचिकाएं अदालत से खारिज, PML-N नेताओं की जीत को दी गई थी चुनौती

पाकिस्तान की एक अदालत ने पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों की तीस से ज्यादा याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। इन याचिकाओं में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज सहित पीएमएल-एन के शीर्ष नेताओं की जीत को चुनौती दी गई थी। पीटीआई पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी है। जो भ्रष्टाचार के मामले में इन दिनों रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं।

लाहौर उच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं को खारिज किया है। अदालत ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित उम्मीदवारों से कहा कि आम चुनाव में हुई कथित धांधली की अपनी शिकायतों के समाधान के लिए चुनाव आयोग (ईसीपी) में जाएं। पीटीआई की यास्मीन राशिद ने नवाज शरीफ के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उन्होंने लाहौर की एनए-130 सीट पर जीत का दावा किया है। उन्होंने प्रतिवादियों (पीएमएल-एन के उम्मीदवार) की जीत को ‘शर्मनाक’ करार दिया और आरोप लगाया कि निर्वाचन अधिकारियों ने परिणामों को एकत्र किया और फॉर्म-47 (परिणाम पत्र) तैयार किया। उन्होने आरोप लगाया कि ताकत का गलत इस्तेमाल किया गया।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अली बकर नजफी ने याचिकाओं पर सुनवाई की। उन्होंने कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में साफतौर पर फैसला दिया है कि उच्च न्यायालय के ‘असाधारण अधिकार क्षेत्र’ को उच्च न्यायालय के ‘सामान्य अधिकार क्षेत्र’ में नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि तथ्यो के ऐसे विवादित सवाल होंगे, जिन्हें हल नहीं किया ज सकता है।

उन्होंने कहा, अगर कोई सामान्य समाधान उपलब्ध नहीं है तो संवैधानिक अधिकार क्षेतर का असाधार उपाय लागू किया जा सकता है। अदालत ने याचिकाओं को खारिज किया और याचिकाकर्ताओं को अपनी शिकायतों के समाधान के लिए चुनाव आयोग जाने का निर्देश दिया।

PM मोदी की राष्ट्रपति नाहयान के साथ द्विपक्षीय बैठक; भारत-यूएई ने कई समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार की शाम दो दिवसीय यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंचे। अबू धाबी हवाई अड्डे पर यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। बाद में दोनों नेताओं की द्विपक्षीय बैठक हुई और उनकी मौजूदगी में कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान-प्रदान किया गया। इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए खाड़ी देश के शीर्ष नेताओं के साथ व्यापक बातचीत करेंगे। उससे पहले वह यहां एक हिंदू मंदिर का उद्घाटन भी करेंगे।

भारत-यूएई के हर क्षेत्र में करीबी रिश्ते
यूएई के राष्ट्रपति के साथ बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा, गर्मजोशी से स्वागत के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं। मैं जब भी आपसे मिलने यहां आता हूं, तो मुझे हमेशा लगता है कि मैं अपने परिवार से मिलने आया हूं। हम पिछले सात महीनों में पांच बार मिले हैं। यह बताता है कि हमारे कितने करीबी रिश्ते हैं।

उन्होंने कहा, हमने हर क्षेत्र में प्रगति की है और हर क्षेत्र में भारत और यूएई के बीच साझा भागीदारी है। बैठक में मौजूद भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और विदेश सचिव विनय क्वात्रा शामिल थे।

प्रधानमंत्री मोदी का सातवां यूएई दौरा
2015 के बाद से प्रधानमंत्री मोदी का यह सातवां यूएई दौरा है। देश पहुंचने पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, अबू धाबी हवाई अड्डे पर मेरा स्वागत करने के लिए समय निकालने के लिए राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद का बहुत आभारी हूं। मैं एक उपयोगी (प्रोडक्टिव) यात्रा की उम्मीद कर रहा हूं, जो भारत और यूएई के बीच मित्रता को और मजबूत करेगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने क्या कहा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, प्रधानमंत्री के दौरे के पहले चरण में यूएई के नेतृत्व और भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत होगी और अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी यूएई और कतर दो देशों की यात्रा पर हैं। यूएई में यात्रा के पहले चरण में शीर्ष नेतृत्व और भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत, अबू धाबी के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और दुबई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट शामिल हैं।

इस्राइली सेना ने राफा में चलाया अभियान, गाजा में हमास के चंगुल से छुड़ाए दो बंधक

इस्राइली सेना ने गाजा पट्टी के राफा में ऑपरेशन शुरू कर दिया है। सेना ने सोमवार तड़के एलान किया की सात अक्तूबर के हमलों के दौरान हमास द्वारा बंधक बनाए गए दो लोगों को बचा लिया गया है।

सेना ने चलाया अभियान
सेना ने बयान में कहा, ‘एक संयुक्त आईडीएफ (सेना), आईएसए (शिन बेट सुरक्षा एजेंसी) और राफा में इस्राइल पुलिस के अभियान के दौरान रात में दो इस्राइली बंधकों को बचा लिया गया। इनकी पहचान 60 वर्षीय फर्नांडो साइमन मार्मन और 70 साल के लुई हर के रूप में हुई है। इन लोगों का हमास ने किबुतज नीर यित्जाक से अपहरण कर लिया था।’

चार महीने से ज्यादा समय युद्ध जारी
इस्राइल और हमास के बीच पिछले साल सात अक्तूबर को युद्ध शुरू हुआ था। हमास के हमलों में करीब 1,200 इस्राइली नागरिक मारे गए थे। जबकि, 250 इस्राइलियों को बंधक बना लिया गया था। इनमें से अब भी 130 बंधक हैं, जिनमें से 29 लोगों के मारे जाने की आशंका है। इसके बाद इस्राइल ने युद्ध का एलान किया और हमास पर पलटवार किया।

इस युद्ध में 26 हजार से ज्यादा फलस्तीनी मारे जा चुके हैं। इस्राइल ने गाजा में लगातार हमलों का जवाब दिया, जिसके बारे में क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कम से कम 28,176 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।

गाजा के तेरह लाख लोग रह रहे
राफा दक्षिण गाजा पट्टी का शहर है। जहां अभी गाजा के तेरह लाख लोग रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुताबिक, इस शहर में ज्यादातर वे लोग रह रहे हैं, जो गाजा के अन्य हिस्सों से निकाले गए हैं। नेतन्याहू ने पहले इस शहर को हमास के आतंकवादियों का आखिरी गढ़ बताया था।

हिंदू मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने वाले मेहमानों को मिलेगा अनोखा उपहार, बच्चों ने बनाया ‘छोटा खजाना

संयुक्त अरब अमीरात के अबु धाबी में बनने वाले पहले हिंदू मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने वाले मेहमानों के लिए भारतीय स्कूल के बच्चे खास उपहार बना रहे हैं। दरअसल, ये बच्चे छोटे-छोटे पत्थरों पर रंग भरकर उसपर चित्रण कर रहे हैं और इन्हीं चित्रित पत्थरों को डिब्बों में भरकर मेहमानों को उपहार के तौर पर दिया जाएगा।

मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने वाले मेहमानों को मिलेगा छोटा खजाना
बच्चे तीन महीने से हर रविवार को मंदिर स्थल पर पत्थर सेवा कर रहे हैं। वे अब उपहारों को अंतिम रूप दे रहे हैं। इन चित्रित पत्थरों को ‘छोटा खजाना’ नाम दिया गया है। 12 वर्षीय तिथि पटेल के लिए यह मनोरंजन का एक स्रोत है, जिसे वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर कर रही है।

तिथि ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘हम बचे हुए पत्थरों को उठाते हैं और उसे साफ करते हैं। फिर इसे पॉलिश करते हैं और इस पर प्राइमर की परत चढ़ाते हैं। इसके बाद इसमें रंग डाला जाता है।’ वहीं आठ वर्षीय रेवा करिया ने बताया कि वह इस रविवार को पत्थरों को उपहार के तौर पर गिफ्ट बॉक्स में भरकर रखी है। उन्होंने इन उपहार के डिब्बों को ‘छोटा खजाना’ नाम दिया है, क्योंकि इसे छोटे-छोटे बच्चों ने अपने हाथों से बनाया है।

उन्होंने आगे कहा, ‘यह पत्थर मोहमानों को इस भव्य मंदिर की उनकी पहली यात्रा को याद दिलाएगा। मेरे लिए यह टीमवर्क का अनुभव है। मैं अपने माता-पिता के साथ यहां आती हूं और वे भी मंदिर की सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं।’ 11 वर्षीय अविनाश ठाकुर ने बताया कि पत्थरों में की गई कलाकारी और पेंटिंग प्रेम, शांति और सद्भाव को दर्शाता है।

पीएम मोदी करेंगे मंदिर का उद्घाटन
बीएपीएस हिंदू मंदिर की स्थापना अबु मुरीखाह, दुबई-अबु धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल रहबा के पास हुई है। यह मंदिर कुल 27 एकड़ में जमीन पर बना है। इस मंदिर का निर्माण 2019 में शुरू हुआ था और मंदिर के लिए जमीन यूएई सरकार ने दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 फरवरी को आबू धाबी के बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। बता दें कि यह गल्फ देश में सबसे बड़ा बीएपीएस मंदिर है।