Thursday , November 21 2024

विदेश

पूर्व पाकिस्तानी PM इमरान ने संयुक्त राष्ट्र को लिखा पत्र, संविधान में संशोधन के कदम के खिलाफ खोला मोर्चा

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। उन्होंने संविधान में संशोधनों को लागू करने के मौजूदा सरकार के फैसले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र को एक पत्र लिखा है। उनका कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य देश में न्यायिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को खतरा पहुंचाना है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार अपने नियोजित संवैधानिक संशोधनों को लागू करने के लिए जरूरी संख्या जुटाने का प्रयास कर रही है। इसी पर इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखा। साथ ही एडवर्ड फिट्जगेराल्ड केसी और तात्याना ईटवेल और जेनिफर रॉबिन्सन के माध्यम से न्यायाधीशों और वकीलों की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्गरेट सैटरथवेट को एक तत्काल अपील भी दायर की है। दोनों को खान के परिवार द्वारा उनकी ओर से संयुक्त राष्ट्र में भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय वकालत करने का निर्देश दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को प्रभावित करना मकसद
इमरान खान के वकील फिट्जगेराल्ड केसी, ईटवेल और रॉबिन्सन ने दावा किया कि संविधान में किए गए बदलावों का उद्देश्य वास्तव में सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को प्रभावित करना है और इससे देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए मौजूदा सजा को मजबूत किया जाएगा।

पहले भी लिख चुके हैं पत्र
यह पहली बार नहीं है जब इमरान खान ने पाकिस्तान के घरेलू राजनीतिक मामलों के बारे में किसी अंतरराष्ट्रीय निकाय को पत्र लिखा है। इससे पहले उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से आग्रह किया था कि वह आठ फरवरी के चुनाव का ऑडिट कराए। उन्होंने चुनावों में धांधली होने का आरोप लगाया था।

पूर्व पीएम ने यह मांग की
संवैधानिक बदलावों का मकसद न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाना और एक संवैधानिक अदालत का गठन करना शामिल है, जिसका खान और उनकी पार्टी ने कड़ा विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र को लिखे पत्र में खान ने यह कहते हुए चिंता व्यक्त की है कि यह कानून कानून के शासन और पाकिस्तान के लोगों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है। अपील में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत से मामले पर इस्लामाबाद को तत्काल संदेश जारी करने का भी आग्रह किया गया है।

‘नौकरी के बहाने युवाओं से कराई जाती थी साइबर ठगी’, एनआईए का मानव तस्करी गिरोह के खिलाफ चार्जशीट में दावा

अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक और एक्शन लिया है। उसने मानव तस्करी करने वाले एक गिरोह के सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। चार्जशीट के मुताबिक, गिरोह यूरोपीय और अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने के लिए चीनी घोटालेबाजों द्वारा चलाए जा रहे साइबर अपराध केंद्रों में काम करने के लिए भारतीयों को लाओस भेजने का काम करता था।

इनके खिलाफ चार्जशीट दायर
जांच एजेंसी ने बुधवार को विशेष अदालत के समक्ष गिरोह के सदस्यों मंजूर आलम उर्फ गुड्डू, साहिल, आशीष उर्फ अखिल, पवन यादव उर्फ अफजल उर्फ अफरोज के साथ मुख्य साजिशकर्ता कामरान हैदर उर्फ जैदी के खिलाफ चार्जशीट दायर की।

युवाओं से जबरन कराया जाता था साइबर अपराध
एनआईए के प्रवक्ता ने बताया, ‘जांच से पता चला है कि सभी पांच लोग लाओ पीडीआर के गोल्डन ट्राइ एंगल क्षेत्र में भारतीय युवाओं को तस्करी करने में शामिल थे। इन युवाओं को नौकरी के बहाने यूरोपीय और अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने वाले साइबर अपराध को करने पर मजबूर किया जाता था। वे कंसल्टेंसी फर्म अली इंटरनेशनल सर्विसेज के माध्यम से काम करते थे, जो मानव तस्करी के लिए एक मोर्चे के रूप में काम करती थी।’

चार्जशीट के मुताबिक, जैदी ने पूरे ऑपरेशन में मदद की थी। उसने चीनी घोटालेबाजों के चंगुल से भागने की कोशिश करने वाले पीड़ितों से क्रिप्टो करेंसी वॉलेट के माध्यम से पैसे ऐंठे।

पवन यादव का यह था काम
अधिकारी ने कहा, ‘पवन यादव ने अन्य मध्यस्थ एजेंटों को दरकिनार कर तस्करी किए गए व्यक्तियों को नौकरी के बदले सीधे अपने गिरोह में शामिल कर लिया। उसने उन्हें चीनी कंपनियों में नौकरी पर रखा, जो फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाने और अमेरिका तथा यूरोप के लोगों से चैट करने में शामिल थे। साथ ही इन लोगों को साइबर घोटाले के हिस्से के रूप में क्रिप्टो करेंसी एप में निवेश करने के लिए राजी करता था।’

जॉन जे. हॉपफील्ड और जेफ्री ई. हिंटन को भौतिकी का नोबेल; इस अविष्कार के लिए मिला सम्मान

साल 2024 के नोबेल पुरस्कारों के तहत भौतिकी क्षेत्र के लिए अवॉर्ड का एलान मंगलवार को कर दिया गया। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने जॉन जे. हॉपफील्ड और जेफ्री ई. हिंटन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार देने का फैसला किया। इन्हें कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क के साथ मशीन लर्निंग को सक्षम करने वाली मूलभूत खोजों और आविष्कारों के लिए यह पुरस्कार देने का फैसला किया गया है।

इससे पहले सोमवार को फिजियोलॉजी या मेडिसिन क्षेत्र के लिए इस सम्मान के विजेताओं के नाम का एलान किया गया था। इस साल अमेरिका के विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया। दोनों को माइक्रो आरएनए की खोज के लिए यह सम्मान दिया गया।

इस श्रेणी में 2023 का नोबेल किसे मिला था?
इससे पहले इस श्रेणी में पिछले साल यानी 2023 का नोबेल प्राइज संयुक्त रूप से पियरे ऑगस्टिनी, फेरेंस क्राउसज और एनी एल’हुलियर को दिया गया था। इलेक्ट्रॉन्स पर अध्ययन के लिए यह सम्मान दिया गया था। अवॉर्ड उन प्रायोगिक तरीकों के लिए दिया गया था, जिसमें पदार्थ में इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता के अध्ययन के लिए प्रकाश के एटोसेकंड पल्स उत्पन्न किए गए। एनी हुलियर फिजिक्स के इस क्षेत्र में नोबेल जीतने वाली पांचवीं महिला बनी थीं।

2022 में इन्हें मिला था सम्मान
2022 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से अलेन अस्पेक्ट, जॉन एफ क्लाउसर और एंटन जिलिंगर को दिया गया था। अलेन अस्पेक्ट फ्रांस के भौतिक विज्ञानी हैं, जबकि जॉन एफ क्लाउसर अमेरिका और एंटन जिलिंगर ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक हैं। इन वैज्ञानिको के प्रयोगों ने क्वांटम सूचना के आधार पर नई तकनीक का रास्ता साफ किया था।

इन वैज्ञानिकों को मिला था 2021 का भौतिका का नोबेल पुरस्कार
पिछले साल स्यूकुरो मानेबे, क्लॉस होसेलमैन और जियोर्जियो पेरिसी को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार जटिल भौतिक प्रणालियों को लेकर हमारी समझ में विकसित करने के लिए दिया गया था। स्यूकुरो मानेबे और क्लॉस होसेलमैन ने यह पुरस्कार ‘धरती की जलवायु की भौतिक मॉडलिंग’ और ‘ग्लोबल वार्मिंग की भविष्यवाणी’ को मजबूत करने के लिए जीता था। वहीं पेरिसी को ‘परमाणु से ग्रहों के पैमाने तक ‘भौतिक प्रणालियों में उतार-चढ़ाव की क्रिया के खोज के लिए’ नोबल से सम्मानित किया गया था।

माउंट धौलागिरी पर फिसलने से पांच रूसी पर्वतारोहियों की मौत, बेस कैंप से टूट गया था संपर्क

नेपाल की 7,000 मीटर की अधिक ऊंचाई वाले माउंट धौलागिरी में फिसलने से पांच रूसी पर्वतारोहियों की मौत हो गई। हेली एवरेस्ट के उपाध्यक्ष मिंगमा शेरपा के मुताबिक, इन पर्वतारोहियों ने शरद ऋतु के दौरान दुनिया की इस सातवीं सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई शुरू थी। मिंगमा खुद भी पर्वतारोही हैं और वह लापता पर्वतारोहियों के लिए शुरू किए गए खोज अभियान का हिस्सा थे।

मृतकों की पहचान अलेक्जेंडर दुशेयको, ओलेग क्रुग्लोव, व्लादिमीर चिस्तिकोव, मिखाइल नोसेंको और दिमित्री शापिलेवोई के रूप में हुई है। चोटी पर चढ़ते समय इन पर्वतारोहियों का सुबह छह बजे बेस कैंप से संपर्क टूट गया था।शेरपा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि ये सभी पर्वतारोही एक ही रस्सी की मदद से 8,167 मीटर ऊंची चोटी की ओर जा रहे थे, तभी वे लापता हो गए। इसके बाद हेलिकॉप्टर ने उन्हें 7,700 मीटर की ऊंचाई पर मृत पाया।

नेपाल के पर्यटन विभाग के निदेशक राकेश गुरुंग ने बताया कि खराब मौसम के चलते सोमवार को बचाव कार्य नहीं किया जा सका। उन्होंने बताया कि एक अन्य रूसी पर्वतारोही को हेलिकॉप्टर के जरिए बेस कैंप से बचाया गया। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि उंचाई वाले इलाके से इन मृतक पर्वतारोहियों को कब और कैसे नीचे लाया जाएगा।

बांग्लादेश में इस बार फीका रहेगा दुर्गा पूजा उत्सव, हिंदुओं पर हुए हमलों का विरोध करेंगे आयोजक

बांग्लादेश में इस बार दुर्गा पूजा उत्सव फीका रहेगा। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने और सत्ता परिवर्तन के बाद हिंदुओं पर हुए हमलों का दुर्गा पूजा महोत्सव के आयोजक विरोध करेंगे। आयोजकों का कहना है कि हमलों के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए इस साल हम साधारण तरीके से दुर्गा पूजा मनाएंगे।

उनका कहना है कि देश में हुई हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद हिंदुओं को अपने अस्तित्व को लेकर डर है। इसके चलते दुर्गा पूजा महोसव की जीवंतता फीकी पड़ गई है। इसके चलते लोग पारंपरिक उत्सव का आयोजन करने को लेकर खासे मायूस हैं। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (बीएचबीसीओपी) के प्रेसीडियम सदस्य रंजन कर्माकर का कहना है कि इस बार सिर्फ हम दुर्गा पूजा का आयोजन करेंगे। दुर्गा पूजा उत्सव नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह हिंदू समुदाय के विरोध का एक रूप है, क्योंकि आयोजकों को धमकियों और फिरौती कॉल का सामना करना पड़ रहा था। इसके साथ ही अगस्त से हिंदुओं पर लगातार हुए हमलों के बाद हम किसी भी प्रकार के उत्सव में भाग लेने की मानसिकता में नहीं हैं।

बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद के अध्यक्ष बासुदेब धर ने कहा कि सरकार ने उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है। लेकिन हिंदुओं ने दुर्गा पूजा अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से परहेज करके त्योहार को संयमित तरीके से मनाने का फैसला लिया है। हमने सभी पूजा आयोजकों से शांतिपूर्वक विरोध बैनर लगाने के लिए कहा है। इसमें हमारी प्रमुख मांगें अल्पसंख्यक उत्पीड़न के मामलों में न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक निष्पक्ष जांच पैनल स्थापित करने और अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम का निर्माण की मांग शामिल होगी।

एक अन्य दुर्गा पूजा के आयोजक ने दावा किया कि कई पूजा समितियों को गुमनाम धमकी भरे पत्र मिले हैं। इसमें आयोजकों से दुर्गा पूजा उत्सवों के लिए फिरौती की मांग की गई है। जो कि बांग्लादेशी 3.5 लाख टका है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह एक सुरक्षित माहौल है जहां हम शांतिपूर्वक दुर्गा पूजा समारोह आयोजित कर सकते हैं? यह कोई अकेली घटना नहीं है बल्कि इस साल यह एक आम बात बन गई है।

अल्पसंख्यकों ने उठाई एक अलग राजनीतिक दल की मांग, कहा- सलाह पर विस्तार से हो रही चर्चा

बांग्लादेश में हिंसा तो थम गई, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। अल्पसंख्यक लगातार डर के साय में जी रहे हैं। यह लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता में हैं। अब हिंदू समुदाय के नेताओं ने एक ऐसे राजनीतिक दल के गठन की वकालत की है, जो उनके अधिकारों की रक्षा कर सके।

इन तीन सलाहों पर हो रही चर्चा
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (बीएचबीसीओपी) और अन्य समूहों के हिंदू नेताओं ने एक अलग राजनीतिक दल की स्थापना या आरक्षित संसदीय सीटों की मांग की है। बीएचबीसीओपी के अध्यक्षीय सदस्य काजल देबनाथ ने बताया कि फिलहाल तीन राय हैं, जिन पर विस्तार से चर्चा की जा रही है।

  • 1954 से अलग निर्वाचन प्रणाली पर वापस जाना
  • हिंदुओं के लिए एक अलग राजनीतिक पार्टी की स्थापना
  • अल्पसंख्यकों के लिए संसद में सीटें आरक्षित करना।

बांग्लादेश में हिंसा और सियासी उथल-पुथल के मद्देनजर हिंदू समुदाय ने यह फैसला लिया है।

बांग्लादेश में क्या हुआ?
नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया गया था, जो बाद में हिंसा में बदल गया। बढ़ती हिंसा को देखते हुए पांच अगस्त को हसीना ने इस्तीफा दे दिया था और भारत चली गई थीं। हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को अंतरिम सरकार द्वारा प्रतिस्थापित किया गया और 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को इसका मुख्य सलाहकार नामित किया गया। हालांकि, अंतरिम सरकार बनने के बाद भी अल्पसंख्यकों के घरों और धर्मस्थलों को निशाना बनाया गया।

दो हजार से अधिक घटनाएं हुईं
काजल देबनाथ ने कहा कि बीएचबीसीओपी द्वारा एकत्र किए गए आंकड़े हिंदू समुदाय पर हमलों की 2,010 घटनाओं की ओर इशारा करते हैं। इनमें हत्या और शारीरिक हमले, यौन हमले, मंदिरों पर हमले और संपत्ति को नुकसान शामिल हैं। हालांकि सरकार की तरफ से हमले के बारे में कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है।

एक नया राजनीतिक दल बदलाव ला सकता
हिंदू समुदाय के नेता रंजन कर्मकार ने कहा कि राजनीतिक दल बनाने के बारे में चर्चा और विचारों का आदान-प्रदान हमारी प्राथमिकता है। हालांकि कुछ भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, आइए देखें कि यह कैसे होता है। प्रस्तावित राजनीतिक दल परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में काम कर सकता है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि उनकी चिंताओं का प्रतिनिधित्व किया जाए तथा उनका समाधान किया जाए।

जयशंकर ने सिंगापुर समेत कई देशों के विदेश मंत्रियों से की मुलाकात, संबंधों को और गहरा करने पर दिया जोर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र से इतर संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, उज्बेकिस्तान और डेनमार्क के अपने समकक्षों से मुलाकात की। नेताओं के बीच हुई वार्ता के दौरान भारत के इन देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने तथा मैत्रीपूर्ण संबंधों को विस्तार देने पर जोर दिया गया।

सिंगापुर के विदेश मंत्री से की मुलाकात
जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में शामिल होने के लिए अमेरिका पहुंचे हुए हैं। शुक्रवार को उन्होंने सिंगापुर के अपने समकक्ष विवियन बालाकृष्णन से मुलाकात की। विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर बालाकृष्णन से हुई बातचीत को शानदार बताया। कहा, ‘सिंगापुर की विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन के साथ लंबी बातचीत अच्छी रही।’

इन लोगों के साथ भी की बैठक
इसके अलावा, उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री बख्तियार सैदोव से भी मुलाकात की। उन्होंने एक्स पर कहा, ‘आज न्यूयॉर्क में उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री सैदोव से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमारे द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की सराहना करता हूं। क्षेत्र के बारे में उनकी समझ को महत्व देता हूं।’

हिजबुल्ला चीफ की मौत से घबराया ईरान, अयातुल्ला अली खामेनेई को सुरक्षित ठिकाने पर भेजा

इस्राइल लगातार लेबनान के शहरों पर मिसाइल हमले कर रही है। शुक्रवार को इस्राइली डिफेंस फोर्स ने दक्षिणी बेरूत के एक इलाके में जबरदस्त हवाई हमला किया। इस्राइल ने इस हमले में हिज्बुल्ला चीफ नसरल्ला के मारे जाने का दावा किया है। इन हमलों का असर अब ईरान में भी देखने को मिल रहा है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई को कड़े सुरक्षा प्रबंधों के साथ देश के अंदर एक सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया है।

सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को दक्षिणी बेरूत में हुए हवाई हमले में हिज्बुल्ला प्रमुख हसन नसरल्ला मार जाने के बाद से ईरान आगे की रणनीति तय करने के लिए लेबनान के हिज्बुल्ला और कई क्षेत्रीय गोरिल्ला समूहों के साथ लगातार संपर्क में था। यही नहीं इसके पहले शुक्रवार देर रात को खामनेई ने तेहरान में सुरक्षा परिषद के साथ बैठक भी की थी।

एक्स पर जारी किया संदेश
सुरक्षित स्थान पर जाने के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता खामनेई के आधिकारिक एक्स अकाउंट से एक के बाद एक कई ट्वीट किए गए हैं। बयान में कहा गया है कि, लेबनान में निहत्थे नागरिकों की हत्या ने एक बार फिर जायोनीवादियों की बर्बर प्रकृति को सबके सामने उजागर कर दिया है। दूसरी ओर इन कार्रवाईयों ने यह भी साबित कर दिया है कि कब्जा करने वाली सरकार के नेताओं की नीतियां कितनी अदूरदर्शी और पागलपन भरी हैं।

खामनेई ने आगे लिखा कि, आतंकवादी गिरोह (इस्राइली सरकार) ने गाजा में अपने 1 साल के आपराधिक युद्ध से कुछ नहीं सीखा है। उसे यह समझ नहीं आया है कि, महिलाओं, बच्चों और नागरिकों का नरसंहार प्रतिरोध के मजबूत ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है या उसे घुटने टेकने पर मजबूर नहीं कर सकता है। अब वो लेबनान में भी उसी बेतुकी नीति का परीक्षण कर रहे हैं।

हिज्बुल्ला प्रमुख नसरल्ला की मौत
इससे पहले शुक्रवार को इस्राइली सेना ने बेरूत में हिज्बुल्ला के मुख्यालय पर हमला किया था। हमले के बाद इस्राइली खेमे ने हिज्बुल्ला के मुख्य कमांडर हसन नसरल्ला की मौत होने का दावा किया। यह हमला प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करने के कुछ ही समय बाद किया गया। इस हमले में हिज्बुल्ला प्रमुख नसरल्ला के मारे जाने की खबर है। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक हमले में छह लोगों की मौत हुई है। इस्राइली हमले में 91 लोग घायल भी हुए हैं।

सेना ने स्थानीय निवासियों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा
इस्राइली सेना ने बेरूत क्षेत्र में हवाई हमले करने को लेकर कहा कि सेना स्थानीय निवासियों को वहां से हटने की चेतावनी दे चुकी है। सेना ने बेरूत की उन तीन इमारतों को खाली करने को कहा, जहां हिजबुल्ला अपने हथियार छिपाने का काम करता है। इस्राइली सेना का दावा है कि उसने हिजबुल्ला के मुख्यालय पर हमला किया है।

सबसे लंबे समय तक मौत की सजा पाने वाले कैदी की 45 साल बाद हुई रिहाई, हत्या के मामले में बरी

जापान में सबसे लंबे समय तक मौत की सजा काटने वाले एक व्यक्ति को आखिरकार रिहा कर दिया गया। अदालत ने 88 साल के इवाओ हाकामाडा को निर्दोष मानते हुए आरोपों से बरी करने का आदेश दिया। इवाओ हाकामाडा पर साल 1966 में चार लोगों की हत्याओं का आरोप था। गौरतलब है कि इवाओ हाकामाडा को करीब 45 साल पहले मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन विभिन्न कारणों से उसकी मौत की सजा टलती रही। ऐसे में साल 2014 में इवाओ हाकामाडा का नाम सबसे लंबे समय तक मौत की सजा काटने वाले कैदी के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया था।

जापान को शिजुओका जिला न्यायालय ने इवाओ हाकामाडा को दोषमुक्त करार दिया। इवाओ हाकामाडा की देखभाल उसकी बहन करती है। अदालत के आदेश पर खुशी जाहिर करते हुए इवाओ हाकामाडी की बहन हिदेको हाकामाडा ने कहा कि ‘जब मैने टीवी पर अदालत का आदेश सुना तो मैं बहुत भावुक हो गई और मेरी आंखों से आंसू बहते रहे।’ दरअसल जिन सबूतों के आधार पर इवाओ को मौत की सजा दी गई थी, उन पर संदेह के चलते साल 2014 में इवाओ हाकामाडा के मामले पर फिर से सुनवाई शुरू हुई थी।

पूर्व बॉस और उसके परिवार की हत्या का था आरोप
इवाओ हाकामाडा एक पूर्व बॉक्सर है और उस पर अपने पूर्व बॉस और उसके परिवार की चाकू घोंपकर हत्या करने और उनके घर को जलाने का आरोप था। मामले के ट्रायल के दौरान इवाओ हाकामाडा ने अपना अपराध स्वीकार भी कर लिया था, लेकिन बाद में इवाओ ने अपना बयान वापस ले लिया और आरोप लगाया कि पुलिस के दबाव में उसने बयान दिया था। इवाओ को साल 1968 में मौत की सजा सुनाई गई थी और साल 1980 में जापान के सुप्रीम कोर्ट ने भी इवाओ की मौत की सजा बरकरार रखी थी।

भारत-ओमान की सेनाओं ने मिलकर बंधकों को छुड़ाया, सैन्य अभ्यास में दोनों सेनाओं में दिखा बढ़िया तालमेल

भारत-ओमान के बीच चल रहे संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नजाह के 5वां संस्करण का 26 सितंबर 2024 को समापन हो गया। ओमान के रबकूट प्रशिक्षण क्षेत्र में आयोजित समापन समारोह में ओमान में भारतीय राजदूत अमित नारंग और ओमान में भारतीय रक्षा अताशे कैप्टन हरीश श्रीनिवासन उपस्थित थे। ओमान की ओर से इस समापन समारोह में ओमान की रॉयल आर्मी की 11वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अब्दुलकादिम बिन इब्राहिम अल-अजमी और फ्रंटियर फोर्स के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल मसूद मुबारक अल-गफरी शामिल हुए।

दोनों देशों की सेनाओं के 60 सैनिकों ने सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया
समापन समारोह से पहले भारतीय सेना और ओमान की रॉयल आर्मी की टुकड़ियों द्वारा एक भव्य संयुक्त लाइव-फायर प्रदर्शन किया गया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में उत्पन्न होने वाली विभिन्न स्थितियों से निपटने के लिए दोनों सेनाओं के बीच संयुक्तता और अंतर-संचालन क्षमता का प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में दोनों सेनाओं के करीब 60 सैनिकों ने भाग लिया। दो सप्ताह तक चले द्विपक्षीय अभ्यास का समापन हो गया।

प्रदर्शन में भारतीय और ओमानी बख्तरबंद वाहनों में सवार सैनिकों की संयुक्त सेना द्वारा रेगिस्तानी इलाके में एक गांव को अलग-थलग करने और खाली कराने का अभ्यास किया गया। जिसके बाद घरों को खाली कराने और बंधकों को छुड़ाने का अभ्यास भी किया गया। प्रदर्शन के दौरान दोनों पक्षों के स्नाइपर्स ने अपने निशानेबाज़ी कौशल का प्रदर्शन किया और अपने लक्ष्यों पर सटीक निशाना लगाया।