Saturday , November 23 2024

विदेश

जयशंकर ने UN प्रमुख गुटेरेस और UNGA के अध्यक्ष यांग से की मुलाकात, कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और संयुक्त राष्ट्र महासभा के नए अध्यक्ष फिलेमोन यांग से यहां अलग-अलग मुलाकात की। उन्होंने यांग के विविधता में एकता, शांति और मानव निरंतरता के दृष्टिकोण का समर्थन किया। साथ ही पश्चिम एशिया और यूक्रेन में संघर्ष जैसे वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की।

बता दें, जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में भाग लेने के लिए अमेरिका पहुंचे हुए हैं। उन्होंने गुरुवार को इस सत्र से इतर गुटेरेस और यांग से मुलाकात की।विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरेस से बातचीत करना हमेशा खुशी की बात होती है। मुलाकात के दौरान भविष्य के लिए समझौता, बहुपक्षवाद में सुधार, एआई, जलवायु कार्रवाई, पश्चिम एशिया और यूक्रेन पर चर्चा की।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का वादा
विश्व के नेताओं ने रविवार को सर्वसम्मति से ‘भविष्य का समझौता’ पारित किया। साथ ही 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का वादा किया और इसे अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल आवश्यकता को पहचाना। इसके अलावा, सुरक्षा परिषद के विस्तार करने पर भी सहमत हुए ताकि वह वर्तमान संयुक्त राष्ट्र सदस्यता का अधिक प्रतिनिधित्व करे और समकालीन दुनिया की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करे।

क्या बोले विदेश मंत्री?
जयशंकर ने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा के नए अध्यक्ष फिलेमोन यांग से न्यूयॉर्क में आज मिलकर खुशी हुई। हमने इस दौरान उन्हें विविधता, शांति, मानव स्थिरता और गरिमा में एकता के उनके दृष्टिकोण के लिए भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।

ग्लोबल साउथ के हितों को आगे बढ़ाने में भारत की सराहनीय भूमिका: यांग
यांग ने भी एक्स पर जयशंकर के साथ हुई मुलाकात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने ग्लोबल साउथ के हितों को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका की सराहना की। यूएन महासभा के अध्यक्ष ने कहा, ‘मुझे आज भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का स्वागत करते हुए खुशी हुई। हमने यूएनजीए के 79वें सत्र के लिए प्राथमिकताओं और प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की और भविष्य के शिखर सम्मेलन के नतीजों पर बात की। मैंने ग्लोबल साउथ के हितों को आगे बढ़ाने में भारत की भूमिका की भी सराहना की।’

भारत से रिश्ते सुधारने में जुटा तुर्किये? यूएन में नहीं अलापा कश्मीर राग; गाजा पर फोकस

न्यूयॉर्क: तुर्किये भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने में जुटा हुआ है। ऐसा इसलिए कि तुर्किये के राष्ट्रपति रैकप तैयप एर्दोगन ने इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया। संयुक्त राष्ट्र में उनका भाषण गाजा की स्थिति पर फोकस रहा। जहां हमास के खिलाफ इस्राइली हमले में अब तक 40 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।

दरअसल, 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद एर्दोगन ने भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की वकालत की थी। इसके साथ ही उन्होंने हर साल संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद़्दे का जिक्र जरूर किया। मगर इस बार एर्दोगन ने गाजा में फलीस्तिनियों की स्थिति पर चिंता जाहिर की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र पर लोगों की मौत को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।

एर्दोगन ने एक बार फिर कहा कि दुनिया पांच से बड़ी है। गाजा दुनिया में बच्चों और महिलाओं के लिए सबसे बड़ा कब्रिस्तान बन गया है। उन्होंने अमेरिका और प्रमुख यूरोपीय संघ के देशों सहित पश्चिमी देशों से इन मौतों को रोकने के लिए कार्रवाई करने का आह्वान किया।

एर्दोगन का कश्मीर मुद्दे को छोड़ने का रुख तब सामने आया है कि तुर्किये ब्रिक्स देशों के समूह का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है। इसे लेकर पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि एर्दोगन ने पांच साल में पहली बार संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया। जबकि 2019 से 2023 तक लगातार उनके भाषण में कश्मीर शामिल रहा। इससे भारत और तुर्किये के संबंधों में तनाव पैदा हो गया है।

भारत को लेकर नरम पड़े मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के तेवर, कहा- कभी नहीं चलाया ‘इंडिया आउट’ एजेंडा

भारत के खिलाफ तल्ख तेवर दिखाते रहे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अब कुछ नरम पड़ते नजर आ रहे हैं। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ एजेंडा चलाने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि, द्वीपीय देश की धरती पर विदेशी सेना की मौजूदगी एक ‘गंभीर समस्या’ है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में भाग लेने के लिए अमेरिका पहुंचे राष्ट्रपति मुइज्जू ने गुरुवार को प्रिंसटन विश्वविद्यालय के डीन लीडरशिप सीरीज के एक कार्यक्रम में पूछे गए सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की।

‘मालदीव के लोग देश में एक भी विदेशी सैनिक नहीं चाहते’
मालदीव के समाचार पोर्टल adhadhu.com ने राष्ट्रपति के हवाले से लिखा कि, हम कभी भी बिंदु पर, किसी एक देश के खिलाफ नहीं रहे हैं। यह भारत को बाहर निकालने का एजेंडा नहीं है। मालदीव को अपनी धरती पर विदेशी सैन्य उपस्थिति के कारण गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा है। मुइज्जू ने कहा, मालदीव के लोग देश में एक भी विदेशी सैनिक नहीं चाहते हैं। पिछले साल नवंबर में चीन समर्थक मुइज्जू के मालदीव के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंधों में काफी तनाव देखने को मिला है।

भारत ने वापस बुला लिए थे अपने सैनिक
मुइज्जू ने भारत से कहा था कि वह इंडिया द्वारा उपहार में दिए गए तीन विमानों का संचालन करने वाले लगभग 90 भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुला ले। जिसके बाद भारत ने 10 मई तक अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुला लिया था और उनकी जगह डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टरों का संचालन करने के लिए असैन्य कर्मियों को नियुक्त किया था।

इस कार्यक्रम में मुइज्जू ने आगे जोर देकर कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान करने वाले उप-मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। किसी को भी ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। मैंने उनके खिलाफ कार्रवाई की है। मैं किसी का भी इस तरह अपमान नहीं करूंगा। चाहे वह नेता हो या कोई आम व्यक्ति। हर इंसान की अपनी प्रतिष्ठा होती है। बता दें कि, इस साल की शुरुआत में मालदीव के युवा मंत्रालय के उप-मंत्रियों को प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर की थी। जिस पर विवाद खड़ा होने के बाद उन मंत्रियों को पद से हटा दिया गया था।

सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ PM मोदी की बड़ी पहल, भारत इस बीमारी पर खर्च करेगा 7.5 मिलियन डॉलर

सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए भारत ने 7.5 मिलियन अमरीकी डॉलर का अनुदान देने का ऐलान किया है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इस रोग के परीक्षण, जांच और निदान के लिए इस राशि को खर्च किया जाएगा। क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के राष्ट्राध्यक्षों ने कैंसर मूनशॉट पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

पीएम मोदी ने बाइडन की पहल की सराहना की
शनिवार को डेलावेयर में क्वाड लीडर्स समिट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित कैंसर मूनशॉट कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह पहल हिंद-प्रशांत देशों में लोगों को सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रीवा के कैंसर को रोकने, उसका पता लगाने व इलाज करने के उद्देश्य से राष्ट्रपति बाइडन की इस विचारशील पहल की बेहद सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हिन्द-प्रशांत देशों में लोगों को किफायती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य संबंधी देखभाल प्रदान करने में काफी मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि भारत भी अपने देश में बड़े पैमाने पर ग्रीवा के कैंसर की जांच का कार्यक्रम चला रहा है। स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में भारत के प्रयासों के बारे में बात करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने सर्वाइकल कैंसर के लिए अपनी वैक्सीन भी बनाई है। एआई की मदद से इसके लिए नए ट्रीटमेंट प्रोटोकाल शुरू किए जा रहे हैं।

कैसे अमेरिका पहुंचीं 297 कलाकृतियां? जिन्हें बाइडन ने भारत को किया वापस; जानें उनके बारे में सबकुछ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा के पहले दिन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आदान-प्रदान देखने को मिला। अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान 297 प्राचीन वस्तुएं भारत को सौंपी हैं जिन्हें तस्करी कर देश से बाहर ले जाया गया था। 2014 से अब तक पिछले दस वर्षों में भारत को कुल 640 प्राचीन वस्तुएं वापस मिली हैं, जिसमें से अकेले अमेरिका ने 578 वस्तुएं लौटाई हैं।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अमेरिकी विदेश विभाग के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने तथा बेहतर सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जुलाई, 2024 में एक सांस्कृतिक संपदा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

इसका लक्ष्य सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा व्यक्त की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करना है। इस अवसर पर अमेरिकी पक्ष ने भारत से चोरी की गयी अथवा तस्करी के माध्यम से ले जायी गयी 297 प्राचीन वस्तुओं की वापसी में सहायता की है। इन्हें शीघ्र ही भारत को वापस लौटा दिया जाएगा।

मुक्त व्यापार समझौते को लेकर कल से होगी भारत और यूरोपीय संघ की वार्ता, निवेश पर रहेगा जोर

नई दिल्ली: मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भारत और 27 देशों वाले यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच नौवें दौर की पांच दिवसीय वार्ता सोमवार से शुरू होगी। इस दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने को लेकर चर्चा करेंगे। वार्ता के दौरान यूरोपीय संघ के स्थिरता उपायों सीबीएएम, वनों की कटाई और अन्य के बारे में भारतीय हितधारकों की चिंताओं पर भी बात की जाएगी। इसके अलावा दोनों पक्ष वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और सरकारी खरीद के साथ-साथ व्यापार में तकनीकी बाधाओं जैसे आवश्यक नियमों को शामिल करते हुए मुख्य व्यापार मुद्दों पर भी विचार रखेंगे।

जीटीआरआई ने कहा कि भारतीय कंपनियां कार्बन टैक्स, वनों की कटाई विनियमन और आपूर्ति श्रृंखला विनियमन जैसे नियमों के संभावित नकारात्मक प्रभावों के बारे में चिंतित हैं। ये नियम यूरोपीय संघ को भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि व्यापार समझौते के बाद यूरोपीय संघ के उत्पाद शून्य शुल्क पर भारत में प्रवेश करेंगे, लेकिन भारतीय उत्पादों को सीबीएएम शुल्क के बराबर 20-35 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान करना पड़ सकता है। जून 2022 में भारत और यूरोपीय संघ ने आठ वर्ष बाद वार्ता फिर से शुरू की। कई मुद्दों पर मतभेद के कारण 2013 में इसे रोक दिया गया था।

शुरुआत में 2007 से 2013 तक कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकार, श्रम मानकों और सतत विकास पर असहमति के कारण बातचीत रुक गई। बताया जाता है कि देरी का एक बड़ा कारण दोनों पार्टियों के बीच अलग-अलग आकांक्षाएं हैं। जीटीआरआई ने कहा कि यूरोपीय संघ संवेदनशील कृषि उत्पादों और ऑटोमोबाइल सहित अपने 95 प्रतिशत से अधिक निर्यात पर टैरिफ उन्मूलन चाहता है, जबकि भारत अपने लगभग 90 प्रतिशत बाजार को खोलने में सहज है और थोक कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने में झिझक रहा है।

‘ग्लोबल साउथ अपने भविष्य को आकार देने के लिए भारत के तरीके पर निर्भर’, बोले संयुक्त राष्ट्र के दूत किंग

संयुक्त राष्ट्र के एक दूत ने भारत की सराहना की। उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय भागीदारी के प्रति भारत का दृष्टिकोण पारस्परिक सम्मान और एकजुटता का है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ग्लोबल साउथ अपने भविष्य को आकार देने के लिए भारत के तरीके पर निर्भर है।संयुक्त राष्ट्र में सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस की स्थायी प्रतिनिधि इंगा रोंडा किंग ने मंगलवार को कहा, ‘आज ग्लोबल साउथ में महत्वपूर्ण नेताओं में से एक आपका अच्छा देश भारत है।’

भारत का दृष्टिकोण आपसी सम्मान और…
सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स (सीजीआईआई) और इंडिया राइट्स नेटवर्क ने ‘भविष्य का संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन: भारत और विश्व के लिए इसका क्या अर्थ है’ विषय पर एक ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए किंग ने कहा कि बहुपक्षीय संबंधों के लिए भारत का दृष्टिकोण आपसी सम्मान और एकजुटता है।

संयुक्त राष्ट्र में कैरेबियाई राष्ट्र के दूत ने कहा, ‘आज ग्लोबल साउथ भविष्य को आकार देने में योगदान देने के भारत के तरीके पर निर्भर है।’

23 सितंबर को पीएम मोदी होंगे शिखर सम्मेलन में शामिल
बता दें, यह वेबीनार ऐसे समय में शुरू हुआ है, जब वैश्विक नेता यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ऐतिहासिक भविष्य शिखर सम्मेलन के लिए 22-23 सितंबर को एकत्र होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 सितंबर को डेलावेयर के विलमिंगटन में राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा आयोजित क्वाड लीडर्स समिट में भाग लेने और 22 सितंबर को लॉन्ग आइलैंड में एक मेगा सामुदायिक कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद 23 सितंबर को शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

‘हम सरकार बनाने जा रहे’, श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर NPP नेता दिसानायके का बड़ा दावा

श्रीलंका में अगले हफ्ते राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। इसी को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। इस बीच, नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अनुरा कुमार दिसानायके ने आगामी चुनाव के लिए अपना अभियान पूरा कर लिया है। उन्होंने दावा किया है कि वह इस साल का चुनाव जीतने जा रहे हैं।

इस दिन होना है मतदान
बता दें, श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए 21 सितंबर को मतदान होना है। ऐसे में 48 घंटे पहले यानी बुधवार को प्रचार अभियानों पर रोक लगा दी गई है। मतदान शनिवार को सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक 13,400 से अधिक मतदान केंद्रों पर होगा। यहां 1.7 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं।

निश्चित रूप से बनाएंगे सरकार
जनता विमुक्ति पेरामुना यानी जेवीपी के नेता दिसानायके ने कोलंबो के घनी आबादी वाले नुगेगोडा में अपनी अंतिम रैली की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारी जीत सुनिश्चित है। हम 22 सितंबर की सुबह राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल कर निश्चित रूप से सरकार बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि उनकी एनपीपी जीत के बाद संपूर्ण शासन और सामाजिक परिवर्तन लाएगी। उन्होंने यह भी कहा, ‘हमारे पास तमिल और मुस्लिम अल्पसंख्यकों सहित सभी वर्गों के लोगों का अविश्वसनीय समर्थन है। हमारी सरकार एक सच्ची श्रीलंकाई सरकार होगी, जो कठिन संघर्षों के वर्षों के दौरान केवल एक सपना ही रह गई थी।’

क्या है एनपीपी और जेवीपी में रिश्ता?
गौरतलब है, दिसानायके नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के प्रमुख हैं, जो समान विचारधारा वाले समूहों का गठबंधन है। लेकिन वह मुख्य रूप से 2014 से जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता हैं, जो श्रीलंका का सबसे प्रभावशाली मार्क्सवादी संगठन है, जिसने 1971 और 1987-90 में राज्य की सत्ता पर कब्जा करने के लिए खूनी विद्रोह किए थे। उत्तर कोरिया ने 1971 के विद्रोह का सक्रिय रूप से समर्थन किया था, जिसे भारत सहित कई देशों की मदद से श्रीलंकाई सुरक्षा बलों ने कुचल दिया था, जिससे दोनों पक्षों में हजारों लोग मारे गए थे।

इमरान की पार्टी का दावा- लाहौर में शनिवार को होने वाली रैली से पहले पीटीआई के दर्जनों सदस्य गिरफ्तार

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने गुरुवार को दावा किया कि पंजाब पुलिस ने उसके दर्जनों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है। पीटीआई का आरोप है कि पुलिस की यह कार्रवाई शनिवार को लाहौर में होने वाली उसकी रैली के मद्देनजर की गई है। पार्टी ने दावा किया है कि शनिवार की यह रैली उसकी ताकत दिखाने वाली रैली होगी।

पीटीआई के नेता अली एजाज बटर ने कहा कि पुलिस ने पंजाब विधानसभा में वरिष्ठ नेता अफजल फट और दर्जन भर अन्य नेताओं को मीनर-ए-पाकिस्तान मैदान में होने वाली रैली से पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने कहा कि पीएमएल-एन सरकार की ऐसी फासीवादी चालों के बावजूद लाहौर में ऐतिहासिक रैली होना तय है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक इमरान खान ने 21 सितंबर को लाहौर में बड़ी रैली का आह्वान किया है। उन्होंने लोगों से बड़ी संख्या में घरों से बाहर आकर इस रैली में हिस्सा लेने की अपील की है।

पीटीआई नेता सनम जावेद ने कहा कि पंजाब के लोगों, खासकर लाहौर के लोगों के लिए यह एक बहुत बड़ा मौका है, जब वे इमरान खान को समर्थन दिखा सकते हैं। ठीक उसी तरह, जब वे आठ फरवरी को घरों से बाहर आए थे और उनके चुने हुए उम्मीदवारों को वोट किया था। जावेद ने कहा कि यह एक अहम समय है, जब लोगों को चोरी हुए जनादेश के खिलाफ और देश की युवा आबादी के लिए अपनी आवाज उठानी चाहिए।

इस बीच पीटीआई ने लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की है, जिसमें मरियम नवाज सरकार को यह आदेश देने की मांग की गई है कि वह पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेताओं को परेशान या गिरफ्तार न करे।

पाकिस्तान पर चला अमेरिका का चाबुक; बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट के चीनी आपूर्तिकर्ताओं को किया प्रतिबंधित

अमेरिकी विदेश विभाग ने गुरुवार को एक बड़ा कदम उठाया। पाकिस्तान के खिलाफ उसका सख्त रवैया बरकरार है। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में मदद करने वाले कई संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनके बारे में दावा किया जा रहा है कि ये पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की आपूर्ति में शामिल हैं। इस फैसले पर पाकिस्तान की ओर से कुछ नहीं कहा गया है।

इसी तरह, वॉशिंगटन ने पिछले साल अक्तूबर में भी चीन की तीन कंपनियों पर कार्रवाई की थी। इन पर भी पाकिस्तान को मिसाइल-संबंधित वस्तुओं की आपूर्ति करने आरोप था।

पांच कंपनियों पर कार्रवाई
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बैलिस्टिक मिसाइलों और कंट्रोल्ड मिसाइल उपकरणों और प्रौद्योगिकी के प्रसार में शामिल पांच कंपनियों और एक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की है। खास तौर से, विदेश मंत्रालय के कार्यकारी आदेश 13382 के अनुसार, बीजिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑटोमेशन फॉर मशीन बिल्डिंग इंडस्ट्री (RIAMB) को नामित किया गया है, जो सामूहिक विनाश के हथियारों और उनके वितरण के साधनों के प्रसारकों को लक्षित करता है।

इन पर बड़ा आरोप
विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि बीजिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑटोमेशन फॉर मशीन बिल्डिंग इंडस्ट्री ने शाहीन-3 तथा अबाबील प्रणालियों तथा संभावित रूप से बड़ी प्रणालियों के लिए रॉकेट मोटर्स के परीक्षण हेतु उपकरण खरीदने के लिए पाकिस्तान के साथ काम किया है।

चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध
मिलर ने कहा कि प्रतिबंधों में चीन स्थित कंपनियों हुबेई हुआचांगडा इंटेलिजेंट इक्विपमेंट कंपनी, यूनिवर्सल एंटरप्राइज और शीआन लोंगडे टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट कंपनी के साथ-साथ पाकिस्तान स्थित इनोवेटिव इक्विपमेंट और एक चीनी नागरिक को भी शामिल किया है, क्योंकि उन्होंने जानबूझकर मिसाइल प्रौद्योगिकी प्रतिबंधों के तहत उपकरण स्थानांतरित किए थे।

उन्होंने कहा कि जैसा कि आज की कार्रवाइयों से साफ पता चलता है कि अमेरिका प्रसार और संबंधित खरीद गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करना जारी रखेगा, चाहे वे कहीं भी हों।

चीन ने क्या कहा?
वाशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने कहा, ‘चीन एकतरफा प्रतिबंधों और लंबे समय तक अधिकार क्षेत्र का दृढ़ता से विरोध करता है, जिसका अंतरराष्ट्रीय कानून या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्राधिकरण में कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजिंग चीनी कंपनियों और व्यक्तियों के अधिकारों और हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा।