बीते दस दिन में अमेरिकी डॉलर की कीमत में आई गिरावट से एशिया के बड़े बाजारों में नई चिंता पैदा हो गई है। जापान से लेकर चीन में तक में निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर डॉलर की कीमत में गिरावट जारी रही.
उससे डॉलर और सस्ता होने लगेगा। कुछ विश्लेषकों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया है ।टोक्यो स्थित जाने-माने आर्थिक विश्लेषक विलियम पेसेक के मुताबिक चार ऐसे संकेत हैं, जिनके आधार पर डॉलर के संकटग्रस्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
दूसरा संकेत अमेरिका में मुद्रास्फीति दर का लगातार ऊंचे स्तर पर बने रहना है। अभी भी ये दर 40 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। तीसरा कारण अमेरिका सरकार पर मौजूद कर्ज में हो रही बढ़ोतरी है। अनुमान है कि इस साल यह कर्ज 32 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।
अंदेशे की चौथी वजह अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में बन रही गतिरोध की स्थिति है। पार्टी स्पीकर का चुनाव नहीं कर पाई है। अंदेशा है कि यह हालत बनी रही तो देश में विधायी गतिविधियां गतिरोध का शिकार हो जाएंगी।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के इस वर्ष मंदी का शिकार होने की संभावना लगातार मजबूत बनी हुई है। ऊंची ब्याज दर के कारण मंदी का आना तय माना जा रहा है। बल्कि कुछ विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि मंदी आ चुकी है।