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कैसरगंज सीट से बृजभूषण शरण सिंह का टिकट कटा, भाजपा ने उनके बेटे करण पर जताया भरोसा

यूपी की चर्चित लोकसभा सीट कैसरगंज पर भाजपा के उम्मीदवार को लेकर बना सस्पेंस खत्म हो गया है। इस सीट से मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह चुनाव नहीं लड़ेंगे। भाजपा ने उनके छोटे बेटे करण भूषण को टिकट दिया है। इसका एलान कर दिया गया है।

इसके पहले, टिकट का आश्वासन मिलने के बाद करण भूषण ने अपने पिता व वर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह से आशीर्वाद लिया और उनके पैर छुए। आशीर्वाद लेने के दौरान बृजभूषण ने अपने समर्थकों से करण भूषण सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने की बात बताई और क्षेत्र में प्रचार करने की बात कही। करण भूषण शुक्रवार सुबह 11.00 बजे नामांकन दाखिल करेंगे।

कैसरगंज सीट पर बृजभूषण की मजबूत पकड़ है। ऐसे में पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा उनके किसी परिजन को टिकट दे सकती है। बृजभूषण खुद भी चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन महिला पहलवानों द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने से उनकी उम्मीदवारी खतरे में पड़ गई।

बीते दिनों सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बयान दिया था कि कैसरगंज का नाम हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में महक रहा है। जहां तक टिकट की बात है तो हमारे क्षेत्र में कार्यकर्ता चैतन्य हैं, पार्टी चुप है। बरात सजी है, लेकिन दूल्हा गायब है। लेकिन मेरा दावा है कि यदि भाजपा हाईकमान एक घंटा पहले भी घोषित कर देगी तो बड़ी जीत के साथ दिल्ली पहुंचेंगे। उन्होंने कहा था कि प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व यहां के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल जरूर रखेगा। भाजपा ने उन्हें तो नहीं लेकिन उनके बेटे को टिकट दे दिया।

कैसरगंज सीट पर नामांकन के लिए अंतिम तारीख 3 मई है। इस सीट में पांचवें चरण में मतदान होगा। पांचवें चरण में यूपी में मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज और गोंडा में मतदान होगा।

संदेशखाली मामले में हाईकोर्ट ने CBI जांच से जताई संतुष्टि, राज्य सरकार को सहयोग देने का निर्देश

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की घटना को लेकर खूब हंगामा हुआ था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली में महिलाओं पर हुए अत्याचार और जमीन कब्जाने के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। अब सीबीआई ने जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी, जिस पर अदालत ने संतोष व्यक्त किया है।

एनएचआरसी को पक्षकार बनाने की अनुमति
प्रधान न्यायाधीश टी एस शिवागन्नम ने न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य के साथ सीबीआई की रिपोर्ट की समीक्षा की। इस दौरान अदालत ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को इस मामले में एक पक्ष के रूप में शामिल करने की अनुमति दे दी। वहीं, जानकारी को गोपनीय रखने की एजेंसी के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया।

10 अप्रैल को दिए थे निर्देश
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को कोर्ट की निगरानी में संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध, जमीन कब्जाने जैसे आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। साथ ही दो मई को प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इससे पहले, हाईकोर्ट ने संदेशखाली की घटनाओं को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। कहा था कि यह मामला बेहद शर्मनाक है। यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करे। कोर्ट ने कहा था कि संदेशखाली मामले में जिला प्रशासन और पश्चिम बंगाल सरकार दोनों को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को मछली पालन के लिए कृषि भूमि को अवैध रूप से बदलने के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा, पीठ ने एनएचआरसी को मामले में पक्ष के रूप में शामिल होने की अनुमति दी। अदालत संदेशखाली में हुई घटनाओं के संबंध में स्वत: संज्ञान याचिका और अन्य जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

सीबीआई ने यह मांग की
वहीं, सीबीआई के वकील ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी को अपने समर्पित पोर्टल के माध्यम से संदेशखाली में अवैध भूमि कब्जाने से संबंधित लगभग 900 शिकायतें मिली हैं। उन्होंने तर्क दिया कि मूल भूमि रिपोर्ट तक पहुंचने में राज्य सरकार के सहयोग के बिना मामले में जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। उन्होंने अदालत से राज्य के अधिकारियों को सहयोग के लिए निर्देश देने की मांग की।

सीबीआई के वकील की दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह सीबीआई को सभी आवश्यक सहयोग दें ताकि वह मामले में अपनी जांच को आगे बढ़ा सकें। अदालत ने कहा कि अगर कर्मचारियों की कमी है तो सक्षम प्राधिकार इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती करेंगे और वे सीबीआई के साथ मिलकर काम करेंगे। वहीं, राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर सीबीआई अधिकारियों द्वारा मांगे सभी दस्तावेज सरकार को सौंप दे।

अगली सुनवाई इस दिन
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 13 जून तय की है। साथ ही सीबीआई को आगे की प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। यह देखते हुए कि राज्य ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, खंडपीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि अपील के लंबित रहने को चल रही जांच में किसी भी विराम के आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। पीठ ने निर्देश दिया कि इस अदालत द्वारा जारी आदेशों का ईमानदारी से पालन किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने रखी यह दलील
याचिकाकर्ता और वकील प्रियंका टिबरेवाल ने दलील दी कि यौन उत्पीड़न की कुछ पीड़िताएं डर के कारण सच बोलने में संकोच कर रही थीं। इससे पहले उन्होंने कई सारी शिकायतें अदालत के सामने रखी थीं, जिनमें यौन हिंसा, भूमि हड़पने, हमले और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल थे।

पादरी की मौत मामले में हाईकोर्ट ने कहा- ‘जाओ फांसी लगा लो’, ऐसा कहना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

कर्नाटक हाईकोर्ट ने चर्च के पादरी की मौत के मामले में अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि केवल ऐसा कहना कि ‘जाओ फांसी लगा लो’, आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रयास नहीं माना जा सकता। अदालत में जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने विवादास्पद बयानों से जुड़े मामलों में आत्महत्या के लिए उकसाने की मंशा से जुड़े जटिल सवाल पर स्पष्ट किया कि जाओ फांसी लगा लो जैसा बयान फांसी के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

गुस्से और हताशा में कहा- ‘जाओ फांसी लगा लो’; लेकिन…
तटीय कर्नाटक के इस मामले में याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने उसकी पत्नी के साथ कथित संबंधों को लेकर पादरी से आक्रामक बहस की। खबर के मुताबिक पादरी के साथ आक्रामक बहस के दौरान उसने आवेश में पादरी से पीछा छुड़ाने के लिए ‘जाओ फांसी लगा लो’ जैसे कथन का इस्तेमाल कर डाला। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पादरी ने केवल उनके मुवक्किल के कहने पर ही आत्महत्या जैसा कदम उठाया। ऐसा नहीं माना जा सकता। वकील ने अदालत से कहा कि ‘जाओ फांसी लगा लो’ जैसे कथन का इस्तेमाल बीवी के अफेयर की जानकारी मिलने पर गुस्से और हताशा के कारण हुआ।

बचाव पक्ष के वकील का विरोध कर क्या बोले पादरी के वकील
बचाव पक्ष ने अदालत में कहा कि पादरी इस बात से डरा हुआ था कि उसके प्रेम-प्रसंग की बात सार्वजनिक होते ही उसकी प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल जाएगी। इस कारण उसने मौत को गले लगाने जैसा खौफनाक कदम उठाया। न कि केवल उनके मुवक्किल के ‘जाओ फांसी लगा लो’ कहने पर। बचाव पक्ष का कड़ा विरोध करते हुए पादरी के वकील ने कहा कि उन्हें अफेयर का भंडाफोड़ कर बदनाम करने की धमकी भी दी गई। इस कारण उनके मुवक्किल को आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।

कांग्रेस की स्पीकर से निलंबित विधायक को अयोग्य ठहराने की मांग, पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार का आरोप

कांग्रेस ने असम विधानसभा से अपने निलंबित विधायक शर्मन अली अहमद को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए अधिकारियों को 167 पन्नों की एक शिकायत सौंपी है। पार्टी ने उनपर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार करने का आरोप लगाया है। बता दें कि यह दूसरी बार है, जब कांग्रेस ने शर्मन अली अहमद को अयोग्य ठहराने के लिए स्पीकर बिस्वजीत दैमारी से संपर्क किया।

विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता और धुबरी लोकसभा सीट से उम्मीदवार रकीबुल हुसैन ने कहा, “अहमद सीधे तौर पर पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ चीजें अपलोड की है। यह स्पष्ट तौर पर नियम का उल्लंघन है। हम स्पीकर से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।”

रकीबुल हुसैन ने एआईसीसी महासचिव और असम के प्रभारी, पृथ्वीराज साठे और अन्य नेताओं के साथ मिलकर विधानसभा सचिव दुलाल पेगु को शिकायत सौंपी। दरअसल, स्पीकर बिस्वजीत दैमारी शहर से बाहर थे।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “हमने स्पीकर से फोन पर बात की। उन्होंने हमें दुलाल पेगु को शिकायत सौंपने के लिए कहा। स्पीकर ने पेगु को इस मामले में तुरंत अपडेट देने के लिए भी कहा।” पृथ्वीराज साठे ने बताया कि 167 पन्नों की शिकायत दी गई है, उनमें ऐसे भी दस्तावेज हैं, जिनमें बताया गया है कि जब कभी विधायकों ने पार्टी व्हिप का अनादर किया तब उन्हें 24 घंटे के भीतर विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

अब स्पीकर की जिम्मेदारी है कि वह विधायक के खिलाफ कार्रवाई कर एक उदाहरण स्थापित करें। कांग्रेस ने स्पीकर से पहली बार 26 अप्रैल 2022 में पार्टी विधायक को अयोग्य ठहराने की मांग की थी। अहमद को 2021 में पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।

सरकार ने राज्यों से मांगी मदद, 1 जुलाई से लागू होने वाले नए आपराधिक कानूनों के लिए पुलिस को दें प्रशिक्षण

1 जुलाई से भारत देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू होने वाले हैं। गृह मंत्रालय ने पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिलाने के लिए सभी राज्यों से मदद मांगी है। ताकि सभी तक इसकी जानकारी पहुंच सके। देश के कानून में कुछ बदलाव किए हैं, 1 जुलाई को तीन नए कानून गृह मंत्रालय लागू कर रहा है। नए कानून हैं भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं, जो कि औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इन नए कानूनों का उद्देश्य देश के नागरिकों को त्वरित न्याय देना है। साथ ही न्यायिक और अदालत प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करना है। नए कानून औपनिवेशिक विरासत से न्याय प्रणाली की दिशा में बदलाव है। भारत सरकार का प्रयास है कि आम जनता कि सभी रैंक के पुलिस और जेल अधिकारियों तक पहुंच बनाई जा सके।

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक संदेश भेजा है। जिसमें यह कहा है कि कानून और न्याय में आसानी लाने के लिए आधुनिक समय और समसामयिक प्रौद्योगिकियों के साथ नए प्रावधानों के साथ आपराधिक कानूनों में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य सहजता का युग लाना है। यह भी कहा कि देश में सकारात्मक बदलाव के बारे में उन्हें बताया जाए। नए प्रावधानों की बुनियादी जानकारी दी जाए। ताकि उन्हें ईमानदारी और आत्मविश्वास के साथ लागू किया जा सके। गृह मंत्रालय ने कहा कि पुलिस और जेल अधीक्षकों को नए कानून को लेकर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) नए आपराधिक कानूनों के लिए पुलिस और जेल कर्मियों के प्रशिक्षण के मॉड्यूल भी तैयार किए हैं। इसके लिए इंटीग्रेटिड गवर्नमेंट ऑनलाइन ट्रेनिंग (आईजीओटी) पोर्टल को तैयार किया गया है। जिसके जरिए पुलिस और जेल कर्मचारियों को विस्तृत जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण मॉड्यूल को बीपीआर एंड डी ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे हैं। ताकि पुलिस प्रशिक्षण संस्थानो में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हो सकें। गृह मंत्रालय ने यह निर्देश दिए कि सभी को गहनता के साथ प्रशिक्षण दिया जाए ताकि देश के हर व्यक्ति को न्याय मिल सके।

मुश्किलें बढ़ने पर प्रज्ज्वल रेवन्ना के समर्थन में आए भाई सूरज, कहा- परिवार को कमजोर करने की साजिश

कर्नाटक में यौन शोषण के आरोप झेल रहे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते और जेडीएस नेता प्रज्ज्वल रेवन्ना की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। इस पर प्रज्ज्वल रेवन्ना के भाई और जेडीएस एमएलसी सूरज रेवन्ना ने प्रतिक्रिया दी है। सूरज रेवन्ना का कहना है कि यह केवल उनके परिवार को कमजोर करने की साजिश है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें प्रज्ज्वल के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सूरज रेवन्ना ने कहा कि उनके भाई और पिता एवं विधायक एचडी रेवन्ना को राजनीतिक तौर पर कमजोर करने की साजिश है। बता दें कि एचडी रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे, जबकि प्रज्ज्वल उनके (एचडी देवगौड़ा) पोते हैं।

सूरज रेवन्ना ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मामले को जांच के लिए सौंप दिया गया है। जो भी साबित होता, उसे पहले साबित होने देते हैं। इस पर मैं प्रतिक्रिया कैसे दे सकता हूं? मैरे पास प्रज्ज्वल रेवन्ना को लेकर कोई जानकारी नहीं है।” अपने पिता एचडी रेवन्ना पर दर्ज एफआईआर पर प्रतिक्रिया देते हुए सूरज रेवन्ना ने कहा, “एक हजार और एफआईआर लगाने दीजिए। जो साबित करना है वह आखिरकार साबित हो ही जएगा। हमारे जिले के लोग जानते हैं कि रेवन्ना क्या है। मुझे इसपर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है।”

जेडीएस एमएलसी ने आगे कहा, “अगर आप हासन के की राजनीति की बारे में जनना चाहते हैं तो वहां रेवन्ना के अलावा कोई प्रतिस्पर्धी नहीं है। वहां उनके जैसी राजनीति करने वाला कोई नहीं है। उन्हें कमजोर करने के लिए यह साजिश रची जा रही है।”

यह है मामला
बता दें कि 33 वर्ष के प्रज्ज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा के पोते और विधायक व पूर्व मंत्री एचडी रेवन्ना के बेटे हैं। उनके खिलाफ कई महिलाओं के साथ यौन शोषण के आरोप लगाए गए हैं और कई इससे जुड़े कई वीडियो वायरल हो गए हैं। राज्य सरकार ने इस मामले में एसआईटी का गठन किया है। प्रज्ज्वल कर्नाटक की हासन लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां 26 अप्रैल को मतदान हुआ है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जैसे ही सांसद से जुड़े वीडियो सामने आने लगे, वह वोटिंग खत्म होने के बाद वह देश छोड़कर भाग गए।

200 वर्षों में करोड़ों लोगों को बीमारियों से बचाया, वैज्ञानिकों की अपील- गलत सूचनाओं पर भरोसा न करें

नई दिल्ली: विभिन्न टीकों की बदौलत बीते 200 साल में करोड़ों बच्चे और वयस्क बीमारियों से बचे हैं। भारत में हर साल नवजात शिशु और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण होता है, जिसका कवरेज साल 2023 में 81 फीसदी पहुंचा। लोगों के भरोसे से यह भी मुमकिन रहा कि भारत में कोरोना का टीकाकरण पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा 220 करोड़ रहा। एस्ट्राजेनेका के बयान के बाद कोरोना टीका को लेकर लोगों में घबराहट पर देश के वैज्ञानिक और डॉक्टरों ने टीके के दुष्प्रभावों के प्रति निश्चिंत रहने की बात कही है।

पहली खुराक के बाद जोखिम, दूसरी-तीसरी के बाद बहुत कम
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व संक्रामक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर का कहना है कि जिन्होंने कोरोना का टीका लिया है उन्हें किसी भी तरह का जोखिम नहीं है। सभी टीकों पर वैज्ञानिक परीक्षण हुए हैं। अगर किसी को टीके का दुष्प्रभाव होता है तो उसका जोखिम सबसे ज्यादा पहली खुराक के दौरान होता है। दूसरी या तीसरी खुराक में यह जोखिम बहुत कम होता है, क्योंकि तब तक शरीर को उस वायरस की आदत लग चुकी होती है। परीक्षण के दौरान ही टीके के सीमित दुष्प्रभावों के बारे में पता था। अब तीन साल बाद लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

चिकित्सा में जब भी दुष्प्रभावों की बात आती है तो सिर्फ टीके के बारे में चर्चा नहीं होनी चाहिए। किसी भी व्यक्ति या मरीज में टीका और दवा या फिर किसी इलाज का दुष्प्रभाव हो सकता है। यह लाभ बनाम जोखिम पर चर्चा आज कोई नई नहीं है। यह हमेशा से बहस का मुद्दा भी रहा है। हमेशा से लाभ ज्यादा हैं, दुष्प्रभाव कम। यदि किसी व्यक्ति को जोखिम से ज्यादा लाभ हो रहा है तो उस दवा या टीके का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। -डॉ. अरुण गुप्ता, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ

अगर हम इस बात पर भरोसा करें कि कोरोना का टीका लगने की वजह से देश में हार्टअटैक बढ़ गया है तो लोगों को यह भी समझना चाहिए कि हार्टअटैक कोई नया नहीं है। कोरोना हमारे यहां 2020 में आया है, लेकिन हार्टअटैक के मामले सालों से है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का आंकड़ा है कि 2019 में 28 हजार लोगों की हार्टअटैक से मौत हुई। यह आंकड़ा 2020 में 28,680 और 2021 में 28,449 रहा। -डॉ. समीरन पांडा, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व संक्रामक रोग विभागाध्यक्ष

जिन्हें कोविशील्ड टीका लगा, वे चिंतित न हों
डॉ. चंद्रकांत लहरिया का कहना है कि जिन लोगों ने कोविशील्ड की दो या फिर तीन खुराक ली हैं उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहीं है। तरह-तरह की खबरों पर यकीन कर लोगों को लग रहा है कि कोरोना टीका की वजह से भारत में दिल के दौरे की घटनाएं बढ़ी हैं, जबकि वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर कहें तो ऐसी आशंका बहुत कम है। भारत में स्वतंत्र वैज्ञानिक अध्ययन में टीका और दिल के दौरे के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है। टीका से जुड़े कोई भी दुष्प्रभाव कुछ मिनट या दिन में पता चल जाते हैं। देश में अभी कोरोना काबू में है और टीकाकरण नहीं हो रहा है।

यूपी में विपक्ष के खिलाफ गरजेंगे अमित शाह; रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका ने किया बड़ा दावा

नई दिल्ली:  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बृहस्पतिवार को लखनऊ में संगठनात्मक बैठक करके लोकसभा की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इससे पहले गृहमंत्री बरेली, बदायूं और सीतापुर में जनसभा करेंगे। वहीं, दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों में बम रखे होने की सूचना देने वाले मेल विदेश से किए गए हैं। इसमें रूस के वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, इस साल अप्रैल का महीना सबसे गर्म रहा। 1901 के बाद से पहली बार ऐसा हुआ कि देश के अधिकतर भागों में अप्रैल में सबसे अधिक दिनों तक लू चली।

गृह मंत्री अमित शाह आज लेंगे संगठन की तैयारियों की थाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बृहस्पतिवार को लखनऊ में संगठनात्मक बैठक करके लोकसभा की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इससे पहले गृहमंत्री बरेली, बदायूं और सीतापुर में जनसभा करेंगे।

वीपीएन से ओरिजनल आईपी एड्रेस को छिपाकर किया गया धमकी भरा मेल
दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों में बम रखे होने की सूचना देने वाले मेल विदेश से किए गए हैं। इसमें रूस के वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल किया गया है। अभी यह पता नहीं चल सका है कि मेल किस देश से की किया गया है। इसको पता करने की तकनीकी प्रक्रिया जटिल होने से अगले दो-तीन दिन में ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि स्कूलों में बम रखे होने की सूचना देने वाले मेल किस देश से किए गए हैं, लेकिन इतना तय है कि मेल भारत से नहीं किए गए हैं। बुधवार तड़के भेजी गई मेल एक ही आईडी से की गई है।

123 साल में सबसे गर्म रहा अप्रैल
इस साल अप्रैल का महीना सबसे गर्म रहा। 1901 के बाद से पहली बार ऐसा हुआ कि देश के अधिकतर भागों में अप्रैल में सबसे अधिक दिनों तक लू चली। मई में भी प्रचंड गर्मी से राहत नहीं मिलने वाली। इस महीने देश के ज्यादातर क्षेत्रों में पारा और चढ़ेगा और लू के दिन भी बढ़कर 11 दिन तक हो सकते हैं। हालांकि, 2023 को अब तक का सबसे गर्म साल माना जाता है।

अमेरिकी विदेश विभाग का रूस पर आरोप
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। इस बीच बुधवार को संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस पर यूक्रेन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय रसायनिक हथियार प्रतिबंध का उल्लंघन करने का आरोप लगया। अमेरिका का कहना है कि रूस ने यूक्रेनी सैनिकों के खिलाफ चोकिंग एजेंट क्लोरोपिक्रिन को तैनात किया है। अमेरिका ने रूस पर यूक्रेन में दंगा नियंत्रण एजेंटों को इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। बता दें, क्लोरोपिक्रिन को रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) ने प्रतिबंधित चोकिंग एजेंट के रूप में सूचीबद्ध किया है।

एशिया में जलवायु अनुकूलन वित्त पर एडीबी ने बढ़ा-चढ़ाकर बताए आंकड़ें, ऑक्सफैम की रिपोर्ट में दावा

नई दिल्ली: एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने एशिया में जलवायु अनुकूलन वित्त के जो आंकड़े दिए हैं, वो बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए हैं। ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट यह दावा किया गया है। ऑक्सफैम ने कहा कि इसमें 44 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है। एडीबी ने जो आंकड़े पेश किए हैं, उसके मुताबिक 1.7 अरब डॉलर खर्च होने का अनुमान जताया गया है, जबकि ऑक्सफैम की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये असल आंकड़ा 0.9 अरब डॉलर हो सकता है। हालांकि एडीबी ने अपने आंकड़ों की पुष्टि की है और अपनी गणना पर अभी भी कायम है।

एशिया में बिगड़ रहे हालात
एडीबी की रिपोर्ट में बांग्लादेश, कंबोडिया, भारत, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, फिलीपींस, चीन और पापुआ न्यू गिनी जैसे 15 देशों में जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए चलाए जा रहे 15 प्रोजेक्ट्स का आकलन किया गया है। गैर लाभकारी संगठन ऑक्सफैम का कहना है कि एडीबी की रिपोर्ट में जो आंकड़े दिए गए हैं, उनमें कई अनियमित्ताएं हैं। एडीबी ने साल 2021 और 2022 में जो जलवायु अनुकूलन वित्त के आंकड़े पेश किए थे, ताजा रिपोर्ट में भी उन्हीं में से कुछ हिस्से ले लिए गए हैं। ऑक्सफैम के एशिया के क्षेत्रीय नीति और प्रचार समन्वयक सुनील आचार्य ने एडीबी के आंकड़ों की तुलना खराब कंपास से की, जिससे समाज गुमराह हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि एशिया बाकी दुनिया की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है। यहां बाढ़, हिमस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। वहीं मैदानी इलाकों में रिकॉर्ड उच्च तापमान दर्ज किया जा रहा है। ऐसे हालात में जलवायु अनुकूलन वित्त के दावे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना क्रूर मजाक है।

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2019 और 2023 के बीच एशियाई विकास बैंक ने जलवायु अनुकूलन वित्त की मद में 10.5 अरब डॉलर में से 9.8 अरब डॉलर तो कर्ज के रूप में बांटे और सिर्फ 0.6 अरब डॉलर ही मदद के तौर पर दिए। ऑक्सफैम का कहना है कि ये कर्ज भी बाजार दर पर दिए गए और इसे जलवायु अनकूलन वित्त नहीं माना जा सकता। इससे कमजोर देशों पर कर्ज का बोझ बढ़ा है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट में एडीबी पर छोटे और जलवायु परिवर्तन के खतरों से सबसे ज्यादा जूझ रहे देशों को कम मदद मिलने पर भी सवाल खड़े किए हैं।

‘मोदी के परिवार का हिस्सा होना अपराधियों के लिए सुरक्षा की गारंटी’, प्रज्ज्वल को लेकर राहुल गांधी

कर्नाटक के राजनीति गलियारे में भूचाल आ गया है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते और जेडीएस नेता प्रज्ज्वल रेवन्ना से जुड़े कई अश्लील वीडियो सामने आए हैं। इसी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। अब प्रज्ज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। साथ ही पूछा कि क्या मोदी के ‘राजनीतिक परिवार’ का हिस्सा होना अपराधियों के लिए सुरक्षा की गारंटी है?

क्या है विवाद?
प्रज्ज्वल रेवन्ना वर्तमान में कर्नाटक की हासन से सांसद है। इस सीट पर उन्होंने 2019 में पहली बार जीत हासिल की थी। इससे पहले साल 2004 से 2019 तक एचडी देवेगौड़ा ने इस सीट से लगातार हासिल की थी। फिलहाल रेवन्ना हासन लोकसभा क्षेत्र से एनडीए के उम्मीदवार हैं। उनसे जुड़े अश्लील वीडियो 26 अप्रैल को हासन में हुए चुनाव से दो दिन पहले सामने आया था। 25 अप्रैल को महिला आयोग की अध्यक्ष ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से आपत्तिजनक वीडियो की एसआईटी जांच का आदेश देने का अनुरोध किया था। इसके बाद सरकार ने एसआईटी जांच का आदेश दिया था।

जेडीएस ने प्रज्ज्वल से दूरी बनाई
वहीं, पुलिस ने रविवार को प्रज्ज्वल रेवन्ना और उनके पिता एचडी रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के आरोपों के आधार पर मामला दर्ज किया है। प्रज्ज्वल पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के पोते और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के भतीजे हैं। बढ़ते विवाद को देखकर भाजपा की सहयोगी जेडीएस ने प्रज्ज्वल से दूरी बना ली है। पार्टी ने प्रज्ज्वल को निलंबित कर दिया है।