Sunday , November 24 2024

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‘मैं एक आस्थावान व्यक्ति हूं, सभी धर्मों का सम्मान करता हूं’, कार्यक्रम में बोले जस्टिस चंद्रचूड़

नई दिल्ली:  भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड ने सोमवार को कहा कि वह एक आस्थावान व्यक्ति हैं और सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते हैं। एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्होंने अयोध्या के फैसले से पहले भगवान से प्रार्थना की थी।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गणेश पूजा पर उनके निवास पर आना कोई गलत बात नहीं है। उन्होंने कहा, पीएम गणपति पूजा के लिए मेरे आवास पर आए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है, क्योंकि सामाजिक स्तर पर भी न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच बैठकें होती हैं। हम राष्ट्रपति भवन, गणतंत्र दिवस आदि पर मिलते हैं। हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों के साथ बातचीत करते हैं। इन बातचीत में वह मामले शामिल नहीं होते हैं, जिन पर हम फैसले देते हैं।

सीजेआई ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि बातचीत एक मजतबूत अंतर-संस्थागत तंत्र का हिस्सा है। न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति के विभाजन का मतलब यह नहीं है कि दोनों एक-दूसरे मिल नहीं सकते। अयोध्या राम मंदिर विवाद के समाधान के लिए भगवान से प्रार्थना करने के अपने बयान चंद्रचूड़ ने कहा कि वह एक आस्थावान व्यक्ति हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पीएम मोदी को दी चुनौती, बोले- देश की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची है

नई दिल्ली:  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा की ‘जनविरोधी’ नीतियां भारत की अर्थव्यवस्था को तबाह कर रही हैं। खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि वह विपक्ष के खिलाफ ‘झूठ’ बोलने के बजाय भविष्य की अपनी चुनावी रैलियों में देश के असल मुद्दों पर बोलें। खरगे ने कहा कि फर्जी बयानबाजी, जनकल्याण के असल मुद्दों की जगह नहीं ले सकती।

‘अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची है’
कांग्रेस अध्यक्ष ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘आम नागरिकों से उनका सारा पैसा लूटकर आपने जो आर्थिक उथल-पुथल मचाई है, उस पर एक नजर डालिए! यहां तक कि त्योहारों का उल्लास भी भारत की अर्थव्यवस्था को उत्साहित नहीं कर सका। अर्थव्यवस्था कम खपत, उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती असमानता, निवेश में कमी और वेतन में ठहराव की कमी से जूझ रही है।’ खरगे ने आरोप लगाया कि उद्योग जगत के दिग्गज भी कह रहे हैं कि देश का मध्यम वर्ग सिमट रहा है क्योंकि मोदी सरकार कमरतोड़ महंगाई और लोगों की बचत खत्म करके गरीब और मध्यम वर्ग को बड़ा झटका दे रही है।

खरगे ने आंकड़ों के आधार पर सरकार को घेरा
खरगे ने लिखा कि ‘पांच निर्विवाद तथ्य है- खाद्य महंगाई 9.2 प्रतिशत पहुंच गई है। सब्जियों की मुद्रास्फीति (महंगाई) अगस्त में 10.7 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर सितंबर 2024 में 14 महीने के उच्चतम स्तर 36 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह एक तथ्य है कि एफएमसीजी क्षेत्र में मांग में भारी गिरावट देखी गई है, बिक्री में वृद्धि एक साल में 10.1 प्रतिशत से घटकर सिर्फ 2.8 प्रतिशत रह गई है। यह आपके अपने वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में यह कहा गया है।’

बेअंत हत्याकांड के दोषी की दया याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- फैसला लें वरना हम विचार करेंगे

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि अगर वे बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर विचार नहीं करते हैं तो हम करेंगे। बेअंत सिंह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री थे, साल 1995 में उनकी हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में बलवत सिंह राजोआना को दोषी ठहराया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। याचिका में कहा गया है कि उसकी दया याचिका पर फैसला लेने में हुई बहुत देरी के कारण उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल देना चाहिए। 25 सितंबर को शीर्ष अदालत ने राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन से जवाब मांगा था।

राष्ट्रपति के पास लंबित है याचिका
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति भवन में लंबित है, जिसके बाद पीठ ने उनसे कहा, ‘किसी भी तरह से फैसला करें या हम इस पर (राजोआना की याचिका) विचार करेंगे।’ दया याचिका पर फैसला होने तक राजोआना की रिहाई की मांग करते हुए राजोआना के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि रजोआना 29 साल से लगातार हिरासत में है। रोहतगी ने कहा कि ‘उनकी दया याचिका पिछले 12 साल से राष्ट्रपति भवन में लंबित है। कृपया उन्हें छह या तीन महीने के लिए रिहा कर दें। कम से कम उन्हें यह देखने दें कि बाहरी दुनिया कैसी दिखती है।’ वहीं पंजाब सरकार ने पीठ को बताया कि उन्हें मामले में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए।

1995 में हुई थी पंजाब के तत्कालीन सीएम की हत्या
31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोग मारे गए थे। इस मामले में जुलाई 2007 में एक विशेष अदालत ने बलवंत सिंह राजोआना को दोषी ठहराते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी। मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने उसकी ओर से संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दायर की थी। पिछले साल 3 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने राजोआना की मौत की सजा को कम करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सक्षम प्राधिकारी ही दया याचिका पर विचार कर सकते हैं।

जेपीसी में शामिल विपक्षी सांसदों ने ओम बिरला को लिखा पत्र, कहा- एक पक्षीय फैसला हुआ तो…

बंगलूरू:वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में शामिल विपक्षी सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा है। इस पत्र में विपक्षी सांसदों ने वक्फ विधेयक को लेकर अपने विचार रखने के लिए और समय देने की मांग की है। विपक्षी सांसद इस मुद्दे पर मंगलवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात भी कर सकते हैं।

विपक्षी सांसदों ने जेपीसी अध्यक्ष पर लगाए ये आरोप
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल कथित तौर पर मनमानी कर रहे हैं और अगर उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए और समय नहीं दिया गया तो वे समिति से अपना नाम ही वापस ले लेंगे। जेपीसी में शामिल विपक्षी सांसदों में डीएमके के ए राजा, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद, इमरान मसूद, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, आप के संजय सिंह और टीएमसी के कल्याण बनर्जी आदि का नाम है। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल मनमाने फैसले ले रहे हैं और बैठक की तारीख तय करने और गवाहों को बुलाने में मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेपीसी भी एक छोटी संसद की तरह है, जिसमें विपक्षी सांसदों को भी सुना जाना चाहिए न कि तय प्रक्रिया का पालन किए बगैर विधेयक को पारित नहीं कराना चाहिए। जेपीसी की बैठक में जमकर विरोध हो रहा है। भाजपा सांसदों का आरोप है कि विपक्षी सांसद जानबूझकर बिल को लटकाना चाहते हैं।

कर्नाटक में वक्फ संपत्ति विवाद में भाजपा का विरोध प्रदर्शन
कर्नाटक में किसानों की कई सौ एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड द्वारा दावा जताए जाने को लेकर राजनीति गरमा गई है। भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर सोमवार को कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर जमीन जिहाद में शामिल होने का आरोप लगाया। साथ ही विपक्षी दल ने वक्फ मंत्री जमीर अहमद खान को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की भी मांग की। भाजपा के विरोध प्रदर्शन के एलान के बाद कांग्रेस सरकार दबाव में दिखी और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को जारी किए गए सभी नोटिस तुरंत रद्द किए जाएं और बिना उचित सूचना के भूमि रिकॉर्ड में किसी भी अनधिकृत संशोधन को भी रद्द किया जाना चाहिए। हालांकि इसके बावजूद भाजपा ने विरोध प्रदर्शन जारी रखने का फैसला किया।

सीएम ने लगाया राजनीति करने का आरोप
गौरतलब है कि कर्नाटक के विजयपुरा जिले के किसानों के एक वर्ग ने आरोप लगाया कि उनकी जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में चिह्नित किया गया है, और इसी तरह के आरोप कुछ अन्य स्थानों से भी सामने आए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने बल्लारी में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया, वहीं विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने केआर पुरम में विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। इसी तरह, राज्य के विभिन्न हिस्सों में पार्टी के विभिन्न नेता विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। रविवार को सिद्धारमैया ने किसानों को भेजे वहीं सभी नोटिस वापस लेने के अधिकारियों को निर्देश देने के बावजूद भाजपा द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित करने को लेकर सीएम सिद्धारमैया ने भाजपा पर निशाना साधा। सीएम ने आरोप लगाया कि उनका मकसद पूरी तरह से राजनीतिक है, किसानों के कल्याण की रक्षा में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है।

उदयनिधि स्टालिन ने बॉलीवुड पर साधा निशाना, कहा- क्षेत्रीय सिनेमा पर हावी हो रहीं हिंदी फिल्में

चेन्नई: तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने अब बॉलीवुड को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड की हिंदी फिल्में मराठी, गुजराती समेत उत्तर भारत के क्षेत्रीय सिनेमा पर हावी हो रही हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोझिकोड में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सिनेमा को कम तवज्जो मिल रही है।

डीमके के नेता और पूर्व फिल्म अभिनेता-निर्माता उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि मुंबई में बड़े स्तर पर अब हिंदी फिल्में बनती हैं। जबकि मराठी, भोजपुरी, बिहारी, हरियाणवी और गुजराती सिनेमा पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। हालात तो यह हैं कि उत्तर भारत के कई राज्यों में अपना फिल्म उद्योग ही नहीं है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी भाषा की फिल्में खूब चल रही हैं। जबकि उत्तर भारत में हिंदी के अलावा किसी भाषा की फिल्म के साथ ऐसा नहीं है।

अरबों कमा रहा तमिल फिल्म उद्योग
उदयनिधि ने कहा कि तमिल फिल्म उद्योग अरबों कमा रहा है। मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ सिनेमा भी खूब पसंद किया जा रहा है। क्या उत्तर में किसी भी भाषा का फिल्म उद्योग इतना जीवंत है? 1950 के दशक में तमिल सिनेमा अत्यधिक संस्कृतनिष्ठ था और केवल उच्च जाति और संपन्न दर्शकों के लिए ही सुलभ था। द्रविड़ आंदोलन ने सभी पृष्ठभूमि के लोगों को तमिल सिनेमा का आनंद लेने में सक्षम बनाया।

देश के लोगों को बांट रहे डिप्टी सीएम: भाजपा
तमिलनाडु भाजपा के उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपति ने डिप्टी सीएम उदयनिधि असफल अभिनेता और असफल फिल्म व्यक्तित्व हैं। वह अपनी अपरिपक्वता और ज्ञान की कमी के कारण ऐसा बोलते हैं। वे देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी खुद की प्रोडक्शन कंपनी तमिल फिल्मों के हिंदी संस्करण बना रही है और खूब पैसा कमा रही है। तिरुपति ने कहा कि पैसा कमाने के लिए, वे हिंदी चाहते हैं और सत्ता में बने रहने के लिए वह नहीं चाहते कि लोग हिंदी सीखें।

पीएम मोदी को योगी ने महाकुंभ का न्योता दिया, उपचुनाव पर भी चर्चा; नड्डा से भी मुलाकात

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ रविवार को अचानक राजधानी दिल्ली पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मैराथन बैठक की। प्रधानमंत्री आवास पर करीब एक घंटे चली बैठक में दोनों नेताओं के बीच विधानसभा की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव और अगले साल जनवरी में होने वाले महाकुंभ की तैयारियों पर चर्चा हुई। सीएम योगी ने पीएम मोदी को महाकुंभ में आने का न्योता भी दिया।

सूत्रों का कहना है कि इस दौरान प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में उपजे विवाद का राजनीतिक हल निकालने पर भी चर्चा हुई। पीएम से मुलाकात के बाद सीएम योगी ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनके आवास पर मुलाकात की। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सीएम योगी और पीएम मोदी की यह पहली मुलाकात थी।

महाकुंभ से हिंदू एकता का संदेश

बैठक में महाकुंभ के जरिए हिंदू समाज में एकजुटता का संदेश देने पर भी विस्तार से चर्चा हुई। गौरतलब है कि बीते दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मुलाकात में भी सीएम योगी ने इस विषय पर चर्चा की थी। तब उन्होंने कहा था कि महाकुंभ में लिंगायत समेत सनातन धर्म से जुड़े संप्रदायाें को आमंत्रित करने की योजना है।

ओबीसी को संदेश देने की कोशिश

सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में विपक्ष की आरक्षण और संविधान खत्म करने की धारणा से हुए सियासी नुकसान की भरपाई के लिए दोनों नेताओं के बीच उपचुनाव की तैयारियों पर अहम बातचीत हुई।सूत्रों का कहना है, अगर सबकुछ ठीक रहा, तो ओबीसी को बेहतर संदेश देने के लिए 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले का उपचुनाव से पहले हल निकाल लिया जाएगा।
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‘सरकार का ध्यान महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव पर, कश्मीर…’, ग्रेनेड हमले पर शिवसेना UBT ने केंद्र को घेरा

मुंबई:श्रीनगर में हुए ग्रेनेड हमले को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उसने दावा किया कि केंद्र की जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों को हल करने में कम रुचि है। उसका पूरा ध्यान महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी चुनाव जीतने पर है।

यह है पूरी घटना
बता दें, शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में यह दावा किया गया है। दरअसल, जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में रविवार को बड़ा ग्रेनेड हमला हुआ था। हमला ऑल इंडिया के रेडियो स्टेशन के बाहर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) बंकर पर किया गया था। हमले में कम से कम 11 नागरिक जख्मी हुए। आतंकियों ने ग्रेनेड हमला ऐसे वक्त पर किया, जब संडे मार्केट (श्रीनगर के लाल चौक पर हर रविवार को साप्ताहिक बाजार लगता है) में काफी भीड़भाड़ थी और टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर (टीआरसी) भी वहीं था। ग्रेनेड इसी सेंटर के पास फेंका गया। ग्रेनेड फटने के बाद इलाके में दहशत फैल गई और दुकानदार जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। ग्रेनेड हमले में घायल हुए लोगों को आनन-फानन में श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल (एसएमएचएस) में भर्ती कराया गया।

दो आतंकवादियों को मारे जाने के बाद हुआ हमला
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर और अनंतनाग जिलों में शनिवार को दो अलग-अलग मुठभेड़ों में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक शीर्ष पाकिस्तानी कमांडर और दो अन्य आतंकवादियों के मारे जाने के बाद यह हमला किया गया है। इसी हमले को लेकर शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र को जमकर घेरा।

क्या बोली शिवसेना (यूबीटी)?
‘सामना’ में कहा गया कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात को स्थिर करने में कम दिलचस्पी रखती है। सरकार जम्मू-कश्मीर में स्थिति को सुधारने के बजाय महाराष्ट्र और झारखंड राज्यों को कैसे जीता जाए, इस पर अधिक से अधिक बैठक कर रही है।

‘केंद्र के पास बहुत कम समय’
मराठी दैनिक ने आरोप लगाया, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के हालिया चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक बार फिर चुनावी मोड में आ गए हैं। ऐसा लगता है कि उनका मुख्य ध्यान आगामी चुनाव जीतने पर है और ऐसा प्रतीत होता है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव संपन्न होने के बाद उनके पास मुद्दों को सुलझाने के लिए बहुत कम समय है।

शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र में आगे कहा कि सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ हुई, जिसमें दो आतंकवादी मारे गए। एक आतंकवादी अभी भी फरार है और अधिकारियों पर गोलीबारी जारी रखे हुए है। अकेले अक्तूबर में, जम्मू-कश्मीर में पांच अलग-अलग हमले हुए हैं, जो केंद्र सरकार के लिए चुनौती है।’

‘किससे डरे हुए फडणवीस, क्या इस्राइल-लीबिया से खतरा?’ सुरक्षा बढ़ाने जाने पर संजय राउत ने घेरा

मुंबई:  महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही। वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज होती जा रही है। हाल ही में राज्य के गृह मंत्री और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सुरक्षा बढ़ाई गई है। इस पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता संजय राउत ने सवाल उठाए हैं। राउत ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मजाकिया लहजे में कहा कि फडणवीस को कोई विशेष खतरा है तो उन्हें साफ करना चाहिए।

राउत ने कहा कि हमारे गृह मंत्री इतने डरे हुए क्यों हैं? उन पर कौन हमला करना चाहता है? क्या इस्राइल या लीबिया उन पर हमला करने वाला है? उन्हें सबको इसके बारे में बताना चाहिए।

फडणवीस की बढ़ाई गई है जेड प्लस सुरक्षा
दरअसल, देवेंद्र फडणवीस को वर्तमान में ‘जेड-प्लस’ सुरक्षा दी गई है। इसमें उनकी सुरक्षा के लिए नागपुर में अतिरिक्त फोर्स वन कमांडो तैनात किए गए हैं। इस पर राउत ने दावा किया कि शहर में लगभग 200 फोर्स वन कमांडो तैनात किए गए हैं। उन्होंने सवाल किया कि गृह मंत्री, जो एक पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं, उन्होंने अचानक अपनी इतनी सुरक्षा क्यों बढ़ा दी है? जो शख्स दूसरों की रक्षा का फैसला करता है। उसने खुद की सुरक्षा बढ़ाई है। अचानक हमने उनके घर के बाहर फोर्स वन कमांडो देख रहे हैं।

रश्मि शुक्ला को बताया भाजपा का डीजीपी
संजय राउत ने महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला पर भी निशाना साधा और उनसे सुरक्षा बढ़ाने के पीछे का कारण बताने का आग्रह किया। शुक्ला को भाजपा का डीजीपी बताते हुए राउत ने आरोप लगाया कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रति पक्षपात दिखाया है। खासकर 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान। यूबीटी शिवसेना के नेता ने आरोप लगाया कि उन्होंने हमारे फोन टैप किए और फडणवीस को संवेदनशील जानकारी प्रदान की। इससे उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं।

चुनाव आयोग पर भी साधा निशाना
राउत ने अपनी टिप्पणी में महाराष्ट्र में चुनाव आयोग के अधिकार पर सवाल उठाया और कहा कि आयोग ने कहा है कि उन्हें शुक्ला को स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने झारखंड की एक हालिया मिसाल का जिक्र किया, जहां राज्य चुनाव से पहले एक डीजीपी का तबादला कर दिया गया था, उन्होंने सवाल किया कि महाराष्ट्र में भी ऐसा ही कदम क्यों नहीं उठाया जा सकता।

राउत ने सवाल किया कि क्या हम उनसे निष्पक्ष चुनाव कराने की उम्मीद कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि चुनावों का नियंत्रण उनके हाथ में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। उनकी यह आलोचना महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले की ओर से गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र भेजकर शुक्ला को हटाने की मांग करने के बाद आई है।

आखिर क्यों बढ़ाई गई सुरक्षा?
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम की सुरक्षा पर शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘महाराष्ट्र के लोगों की कोई सुरक्षा नहीं है। कल लोग खुलेआम पुणे की सड़कों पर बंदूक लेकर घूम रहे थे। बदलापुर में एक जघन्य अपराध किया गया, स्कूल के लोग जो भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं, भाग गए और आपने देखा होगा कि बाबा सिद्दीकी की हत्या कैसे की गई। महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। यहां के लोगों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है। मगर फडणवीस की सुरक्षा बढ़ाई गई। इसलिए डीजीपी को हमें बताना चाहिए कि उनकी सुरक्षा क्यों बढ़ाई गई है?’

जयश्री ने जरांगे से मांगा समर्थन; पटोले की केंद्र से कपास के आयात पर रोक लगाने की मांग

मुंबई:  महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के लिए तीन हफ्तों से भी कम समय ही शेष है। इस बीच, कांग्रेस की बागी नेता जयश्री पाटिल ने चुनाव में समर्थ जुटाने के लिए रविवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से मुलाकात की। जयश्री पाटिल ने सांगली सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया था। वह लोकसभा सांसद विशाल पाटिल की भाभी और दिवंगत कांग्रेस नेता मदन पाटिल की पत्नी हैं। ये सभी पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव दादा पाटिल के परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

कांग्रेस ने सांगली सीट से उम्मीदवार के रूप में पृथ्वीराज पाटिल के नाम का एलान किया था। इसके बाद जयश्री पाटिल ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व अभी सुधीर गाडगिल कर रहे हैं। बागी कांग्रेस नेता ने जालना में अपने समर्थकों और देवर विशाल पाटिल के साथ जरांगे से मुलाकात की।

विशाल के भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रतीक पाटिल ने कहा, हम जरांगे के पास समर्थन मांगने पहुंचे हैं, क्योंकि जयश्री निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना चाहती हैं। उन्होंने पहले ही अपना नामांकन दाखिल कर दिया था और उन्हें काफी समर्थन मिल रहा है। जयश्री पाटिल के करीबियों के मुताबिक, उन्होंने चुनाव आयोग से ‘लिफाफा’ चुनाव चिह्न जारी करने की मांग की है। इस चुनाव चिह्न का उपयोग उनके देवर ने लोकसभा चुनावों में भी किया था और वह चुनाव जीते थे। कांग्रेस ने पृथ्वीराज पाटिल को सांगलीट से उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया है, क्योंकि उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनावों में गाडगिल के खिलाफ एक मजबूत अभियान चलाया था और मात्र सात हजार मतों से हार गए थे।

नाना पटोले ने की आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग
वहीं, राज्य विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने केंद्र सरकार से कपास के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे किसानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और सरकार को कपास को 7,122 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने की जरूरत है। पटोले ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा कि महाराष्ट्र देश में कपास उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और यहां 40 लाख से अधिक किसान इसकी खेती कर रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा, राज्य में कपास का पर्याप्त उत्पादन होने के बावजूद 22 लाख कपास की गाठों के आयात की रिपोर्ट से घरेलू कपास की कीमतों में तेज गिरावट का खतरा बढ़ गया है।

‘मैं सिर्फ NCP का प्रत्याशी हूं, महायुति मेरे खिलाफ है’, अपनी उम्मीदवारी पर बोले नवाब मलिक

मुंबई:  महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनसीपी नेता नवाब मलिक की उम्मीदवार महायुति गठबंधन के गले फांस बनती दिख रही है। दरअसल भाजपा के विरोध के बावजूद एनसीपी से टिकट मिलने के बाद नवाब मलिक का कड़ा रूख देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार हूं, मैं अजित पवार के साथ हूं, उन्होंने मुझे उम्मीदवार बनाया है, अब महायुति गठबंधन के लोग, चाहे भारतीय जनता पार्टी से हों या शिवसेना से, वे मेरे खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं और मेरी लड़ाई उनके साथ है।

अजित पवार बनेंगे ‘किंगमेकर’ – नवाब मलिक
उन्होंने आगे कहा कि उनका मानना है कि चुनाव के बाद अजित पवार ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा है। हम भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि बहुमत किसे मिलेगा। दोनों तरफ, 3 पार्टियों का गठबंधन है। इसलिए, अजित पवार सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। कोई भी इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकता कि अजित पवार महाराष्ट्र में किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे।

अंडरवर्ल्ड से संबंधों पर विपक्षियों को चेताया
वहीं दाऊद इब्राहिम और अंडरवर्ल्ड से संबंधों पर चुप्पी साधने के आरोपों पर उन्होंने कहा, जिस तरह से मुझे अंडरवर्ल्ड से जोड़ा जा रहा है, लोगों ने विधानसभा में मुझे देशद्रोही तक कहा है और मुझे आतंकवादियों से जोड़ा है, मैंने साफ तौर पर कहा है कि हमने इसका जवाब नहीं दिया क्योंकि इस पर बोलने पर प्रतिबंध था। जो कोई भी मेरी छवि को बदनाम करने की कोशिश करता है, उसे बोलने का अधिकार है और मुझे बचाव करने का अधिकार है। देश में कानून भी हैं। उन्होंने कहा, आपराधिक मानहानि या सिविल मानहानि के जरिए हम उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने मेरे खिलाफ ये झूठे आरोप लगाए हैं।