Sunday , November 24 2024

देश

धार्मिक नारों को लेकर कार सवार तीन युवकों से मारपीट, बाइक सवार दो लोगों ने की अभद्रता; मामला दर्ज

देश में एक बार फिर धार्मिक नारों को लेकर दो समुदायों में जमकर बहसबाजी हुई। बहस इतनी बढ़ गई की हाथापाई होने लगी, हाथापाई में दो लोग घायल हो गए। मामले की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। बुधवार को दोपहर बंगलूरू में दो समुदाय के बीच धार्मिक नारों को लेकर लड़ाई हो गई है। जहां तीन लोग दोपहर में तीन लोग कार में सवार हो कर बाइक की सेल का पता करने जा रहे थे। उनकी कार पर झंडा भी लगा हुआ था। रास्ते पर वे धार्मिक नारे लगाते हुए जा रहे थे।

इसी बीच रास्ते में दो बाइक सवार लोगों ने आकर उनको रोका। धार्मिक नारे लगाने को मना किया। यह पूछने पर कि उन्हें इससे क्या समस्या है बाइक सवारों ने कहा कि उनके धर्म के नारे लगाओ। इसके अलावा बाइक सवार ने उन तीन लड़कों के साथ से झंडा भी छीनने लगे। तीनों लड़कों ने गुस्से में आकर उन पर चिल्लाना शुरू कर दिया। और उनको पीटने के मकसद से कार से बाहर निकले, तो दोनों बाइकसवार भाग खड़े हुए। उनके जाने के बाद तीनों कार में बैठ गए। तभी पीछे बाइकसवार लड़कों ने पैदल आकर दोनों पर डंडे से हमला कर दिया। इसी बीच दो अन्य लोग भी उनके साथ आ गए और तीनों कार में बैठे लड़कों पर वार कर दिया। दोनों समुदाय के लोगों बीच जमकर मारपीट हुई।

मारपीट के दौरान कार में बैठे तीन में से दो लोगों को गंभीर चोटें आई, एक की नाक पर चोट लगी और दूसरे के सिर पर। झगड़े की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंच गई, पुलिस को देख चारों हमलावर भाग खड़े हुए। पुलिस तीनों कार सवार को थाने लेकर पहुंची, तीनों की शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस ने हमलावरों को ढूंढना शुरू कर दिया। वहीं घायल दोनों लड़कों को अस्पताल पहुंचाया।

पुलिस ने उनमें से दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा दो अन्य संदिग्ध नाबालिगों को भी हिरासत में लिया है। पुलिस उपायुक्त लक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि आईपीसी की धारा 295 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 324 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मस्क की PM से मुलाकात 22 अप्रैल को, अरबों डॉलर का निवेश; सरकार ने FDI सीमा बढ़ाकर 100% की

ई-वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क सोमवार 22 अप्रैल को भारत दौरे पर रहेंगे और इस दौरान वह यहां दो से तीन अरब डॉलर के निवेश की घोषणा कर सकते हैं। इसके जरिये यहां एक फैक्टरी निर्माण किया जाएगा। इस दौरे में सोमवार को ही मस्क की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होनी है। हालांकि मस्क के भारत दौरे और इस दौरान होने वाली गतिविधियों को लेकर कोई विस्तृत आधिकारिक जानकारी नहीं साझा की जा रहा है।

मस्क ने सोशल मीडिया पर यह बताया है कि वह भारत आने वाले हैं और वहां पीएम मोदी से मिलेंगे। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन निर्माता देश है लेकिन ई वाहन उद्योग यहां अब भी शैशव काल में ही है। 2023 में देश में कुल वाहन बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी सिर्फ दो फीसदी थी लेकिन सरकार 2023 तक इस हिस्सेदारी को 30 फीसदी तक ले जाने की योजना बना रही है। मस्क के दौरे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि टेस्ला के मालिक भारत में अपने निवेश की राशि का खुलासा भले ही करें लेकिन यह निवेश कब तक होगा और देश के किस राज्य में होगा इसका खुलासा शायद अभी न किया जाए।

ई-वाहनों पर आयात शुल्क घटाने की कर रहे मांग
मस्क लंबे समय से भारत में ई वाहनों पर भारी-भरकम आयात शुल्क कम करने की मांग कर रहे हैं। भारत सरकार ने इस वर्ष मार्च में ईवाहन के कुछ मॉडलों पर आयात शुल्क 100 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करने की घोषणा की है बशर्ते कार निर्माता भारत में फैक्टरी लगाने के लिए कम से कम 50 करोड़ डॉलर का निवेश करें।

मस्क के दौरे से पहले स्पेस क्षेत्र में 100% एफडीआई नियम अधिसूचित
टेस्ला के मालिक एलन मस्क के 22 अप्रैल को भारत दौरे से पहले ही वित्त मंत्रालय ने सेटेलाइट संबंधी गतिविधियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 100% कर दी है। नियमों में संशोधन के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने स्पेस क्षेत्र में कुछ गतिविधियों के लिए ऑटोमेटिक रूट के जरिये एफडीआई सीमा 100 फीसदी तक बढ़ाने को मंजूरी दी थी। इन गतिविधियों में सेटेलाइट से जुड़े कलपुर्जे और अन्य सिस्टम का विनिर्माण शामिल हैं। निवेश करने वाली कंपनी को भारतीय स्पेस विभाग के समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों का पालन भी करना होगा। सेटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग, सेटेलाइट डेटा उत्पाद और ग्राउंड व यूजर सेगमेंट के लिए 75 फीसदी निवेश की मंजूरी है।

केंद्र ने कोर्ट में पूर्व पीएम राव और मनमोहन सिंह की तारीफ की, कहा- लाइसेंस राज से मुक्ति दिलाई

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की। उसने सन् 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत करने के लिए राव और सिंह की सराहना की। अदालत में सरकार ने कहा कि इस कदम से प्रभावी रूप लाइसेंस राज का युग समाप्त हो गया।

नौ न्यायाधीशों की पीठ ने की सुनवाई
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ को सूचित किया कि राव और सिंह द्वारा पेश किए गए आर्थिक सुधारों ने कंपनी कानून और व्यापार व्यवहार अधिनियम एमआरटीपी सहित कई कानूनों को उदार बनाया है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अगले तीन दशकों में बाद की सरकारों ने उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 में संशोधन की आवश्यकता नहीं समझी।

आईडीआरए अछूता रहा
दरअसल, तुषार मेहता पीठ के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। पीठ ने आईडीआरए- 1951 की आलोचना करते हुए इसे पुरातनपंथी और ‘लाइसेंस राज’ युग बताया। इस पर मेहता ने जोर देकर कहा कि आर्थिक सुधारों के जरिए लाई गई बदलाव की बयार के बावजूद आईडीआरए अछूता रहा, जिससे केंद्र का विभिन्न उद्योगों पर नियंत्रण बरकरार रहा। हालांकि, समय बीतने के साथ, केंद्र सरकार ने उनमें से अधिकांश को रेगुलेट करना छोड़ दिया। उन्होंने कहा, लेकिन केंद्र की तरफ से उद्योगों पर नियंत्रण छोड़ने का मतलब यह नहीं है कि उसके पास उन्हें रेगुलेट करने की शक्ति नहीं है।

तीन परिवर्तनकारी आर्थिक सुधार पेश किए
सन 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार संकट का सामना करते हुए नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार ने तीन परिवर्तनकारी आर्थिक सुधार पेश किए, जो निम्न हैं।

  • वैश्वीकरण
  • उदारीकरण
  • निजीकरण

कोविड में मिली थी मदद
राष्ट्रीय हित में और कोविड-19 महामारी जैसे हालातों में केंद्र की तरफ से इस नियामक नियंत्रण को बरकरार रखा गया था। मेहता ने कहा कि अगर केंद्र सरकार के पास औद्योगिक अल्कोहल को रेगुलेट करने और इसके अधिकांश हिस्से को कोविड के दौरान हैंड सैनिटाइजर बनाने के लिए उपयोग करने का निर्देश देने की शक्ति नहीं होती तो संकट खड़ा हो जाता है।। उन्होंने कहा कि केंद्र उद्योगों पर अपनी रेगुलेट करने की शक्ति बरकरार रखता है, हालांकि वह इसका प्रयोग नहीं कर सकता है। यह उन स्थितियों से उत्पन्न होने वाली अप्रत्याशित जरूरतों को पूरा करने के लिए जो अभी विचार के दायरे में नहीं हैं।

फ्लिपकार्ट, टाटा और बिग बास्केट के खिलाफ शिकायत; मतदान के दिन भी काम कराने को लेकर EC पहुंचा मामला

नई दिल्ली : 19 अप्रैल को मतदान के दिन डिलीवरी बॉय से काम कराने को लेकर ई-कॉमर्स कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। चुनाव आयुक्त ने मामले पर जवाब मांगा है। ई-कामर्स कंपनियों के मतदान के लिए भी गारंटी के डिलीवरी के वादों ने उनको चुनाव आयोग के निर्देशों के उल्लंघन के मामलों में फंसा दिया है। दरअसल चुनाव आयोग की ओर से मतदान के दिन मतदान के लिए सभी कर्मचारियों को सवैतनिक अवकाश देने के निर्देश को सख्ती से पालन करने का कहा गया था। लेकिन बुधवार को तमिलनाडु राज्य चुनाव आयुक्त बी कोठी निर्मलसामी के समक्ष एक शिकायत दर्ज की गई।

जिसमें बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा चुनाव के दिन 19 अप्रैल को छुट्टी की घोषणा होने के बाद भी फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट ऑर्डर की गारंटी के साथ डिलीवरी का वादा कर रहे हैं। जबकि तमिलनाडु के श्रम कल्याण और कौशल विकास विभाग ने मतदाने प्रतिशत बढ़ाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी बढ़ाने के लिए दुकानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और औघोगिक प्रतिष्ठानों और आईटी कंपनियों के सभी कर्मचारियों का सवैतनिक अवकाश घोषित किया है।

उन्होंने दलील दी कि निर्देश के बावजूद फ्लिपकार्ट और बिग बास्केट जैसे ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफार्म 19 अप्रैल को डिलीवरी की गारंटी कैसे दे रहे हैं। यह कर्मचारियों के अधिकारों का हनन भी है साथ ही आदेश का उल्लंघन भी। शिकायतकर्ता ने मतदान के दिन गारंटीकृत डिलीवरी के ई-कॉमर्स के दावों की जांच करने और सभी श्रमिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है।

चुनाव के दिन सवैतनिक अवकाश के हैं निर्देश
चुनावी प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए अधिनियम 1881 की धारा 25 के तहत आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। यह अवकाश सवैतनिक अवकाश होगा। यह आदेश सभी दुकानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और औघोगिक प्रतिष्ठानों और आईटी कंपनियों के सभी कर्मचारियों के लिए है।

अखिलेश-डिंपल दोनों ने उपचुनाव से शुरू की सियासी पारी, पति-पत्नी के नाम है अनोखा रिकॉर्ड

कन्नौज:अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव की गवाह रही इत्रनगरी दो बार उपचुनाव की प्रक्रिया से भी गुजरी है। दोनों ही उपचुनाव सपा सांसदों के इस्तीफे के बाद हुए। खास बात यह रही कि दोनों ही बार सपा के ही सांसद निर्वाचित हुए। पहली बार हुए उपचुनाव में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव यहां से पहली बार सांसद बने। दूसरी बार हुए उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव यहां से निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुईं।

कन्नौज संसदीय सीट पर हुए 16 चुनावों के दौरान सात बार समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। वर्ष 1998-2014 के बीच हुए सभी चुनाव में सपा को लगातार कामयाबी मिलती रही है। वर्ष 2019 में भाजपा की जीत के बाद यह सिलसिला टूटा। पहली बार उपचुनाव वर्ष 2000 में तब हुआ, जब 1999 में यहां से सांसद बने मुलायम सिंह यादव ने इस्तीफा दिया था। तब मुलायम सिंह यादव कन्नौज के साथ ही संभल से भी लड़े थे। दोनों जगह जीत मिलने पर उन्होंने कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया था।

उनके इस्तीफा से खाली हुई सीट पर अखिलेश यादव पहली बार सियासत के मैदान में आए। जनता के दरबार में हाजिरी लगाकर वह दिल्ली तक पहुंचने में कामयाब भी हुए। उसके बाद वह लगातार तीन बार सांसद बने। वर्ष 2009 में वह तीसरी बार सांसद बने। उसके तीन साल बाद वर्ष 2012 में सूबे की सपा की सरकार बनी तो अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। ऐसी सूरत में उन्हें इस सीट से इस्तीफा देना पड़ा। उनकी खाली हुई सीट पर पत्नी डिंपल यादव यहां से उम्मीदवार बनीं। उस चुनाव में वह निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुईं। यह इस सीट पर एक रिकॉर्ड है।

चार बार लोकसभा चुनाव लड़े अखिलेश, हर बार जीते
अखिलेश यादव अब तक चार बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। कन्नौज में उन्होंने वर्ष 2000, 2004 और 2009 में ताल ठोकी और कामयाब भी हुए। वर्ष 2012 से 2017 तक सूबे का मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह लोकसभा चुनाव से दूर रहे। 2019 में उन्होंने आजमगढ़ संसदीय सीट से किस्मत आजमाई और वहां भी जीत हासिल की।

तीन सीट से चुनाव लड़ीं डिंपल, हर बार उपचुनाव से इंट्री
इस समय मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव अब तक तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं। एक खास बात यह है कि उन्होंने तीन सीट से किस्मत आजमाई है। तीनों ही बार नई सीट पर उनकी इंट्री उपचुनाव से हुई है। पहली बार फिरोजाबाद, उसके बाद कन्नौज और अब मैनपुरी से मैदान में हैं।

CM ममता बनर्जी ने दी रामनवमी की शुभकामनाएं, भाजपा नेता बोलीं- सीएम हिंदू विरोधी हैं

आज रामनवमी है। पूरे देश में आज धूमधाम से रामनवमी मनाई जा रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों को रामनवमी की शुभकामनाएं दी हैं। एक्स पर ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि रामनवमी के शुभ अवसर पर आप सभी को शुभकामनाएं। मैं आप सभी से अपील करती हूं कि शांति, समृद्धि बनाए रखें। वहीं, बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कलकत्ता के दही घाट स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-पाठ की। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज वह दिन है, जब हम सभी भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं। हम आशा करते हैं कि समाज में शांति और सद्भाव रहे।

भाजपा नेता ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना
भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल का कहना है कि पुलिस रामनवमी अखाड़ा जुलूस पर अधिक दबाव डाल रही है। डीजे बजाने पर रोक लगाया जा रहा है। निश्चित समय निर्धारित किया गया है। चार से अधिक गाड़ियों के जुलूस में शामिल होने पर मनाही है। मुहर्रम के समय तो कोई नियम नहीं लगाए गए तो रामनवमी और दुर्गा पूजा के दौरान ऐसे नियम क्यों लगाए गए। हम इसके बर्दाश्त नहीं करेंगे। पॉल ने कहा कि सीएम बनर्जी का कहना है कि वह हिंदू हैं पर असली में वे हिंदू विरोधी हैं।

हावड़ा में रामनवमी का जुलूस निकालने की अनुमति
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को हावड़ा शहर में रामनवमी पर जुलूस निकालने की अनुमति दी। अदालत ने यह अनुमति कई शर्तों के साथ दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने शिबपुर आईआईईएसटी के पास से हुगली नदी के तट पर स्थित रामकृष्णपुर फेरी घाट तक शोभायात्रा निकालने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने विश्व हिंदू परिषद को जुलूस की अनुमति देते हुए कहा था कि कोई भी उत्तेजक नारे नहीं लगाए जाएंगे। रास्ते में बिना रुके ही आगे बढ़ना होगा। अदालत ने आदेश दिया कि जुलूस में अधिकतम 200 प्रतिभागी ही शामिल हो सकते हैं। पांच स्वयंसेवक सुनिश्चित करेंगे कि 200 की संख्या का उल्लंघन न हो।

सर्वोच्च बलिदान देने वाले अफसर की पत्नी को वित्तीय लाभ देने के लिए तैयार सरकार, विशेष मामला माना

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि उसने जम्मू कश्मीर में चार साल पहले ड्यूटी के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले सेना के एक मेजर के परिवार को वित्तीय लाभ देने का फैसला किया है। मेजर अनुज सूद की विधवा आकृति सूद ने 2019 और 2020 के दो सरकारी प्रस्तावों के तहत पूर्व सैनिकों के लिए लाभ (मौद्रिक) की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। मेजर सूद ने 2 मई, 2020 को अपनी जान गंवा दी थी, वे आतंकवादी ठिकानों से बंधक बनाए गए नागरिक को बचा रहे थे। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।

राज्य सरकार ने पूर्व में कहा था कि सूद का परिवार लाभ और भत्ते का पात्र नहीं है क्योंकि यह प्रस्ताव केवल उन लोगों के लिए है जो महाराष्ट्र में पैदा हुए हैं या जो लगातार 15 साल या उससे अधिक समय तक महाराष्ट्र में रहे। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने इससे पहले सरकार को निर्देश दिया था कि वह सूद के मामले को विशेष और असाधारण मामले के तौर पर देखे और शहीद के परिवार को वित्तीय सहायता देने पर फैसला करे। अदालत ने कहा था कि अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती है तो अदालत उचित आदेश पारित करेगी।

महाधिवक्ता ने सरकार के फैसले की जानकारी हाईकोर्ट को दी
महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने बुधवार को हाईकोर्ट की पीठ को बताया कि सरकार ने विशेष मामले के तौर पर सूद के परिवार को लाभ देने का फैसला किया है। सरकार ने एक करोड़ रुपये (आकृति को 60 लाख रुपये और सूद के पिता को 40 लाख रुपये) और आकृति को 9,000 रुपये मासिक भुगतान करने का फैसला किया है। पीठ ने सरकार के फैसले की सराहना की और कहा कि उन्होंने कठिन परिस्थिति का सम्मान किया है।

अदालत ने कहा, “ये वास्तविक मानवीय पीड़ा है। हमेशा एक अपवाद होता है … यह एक विशेष मामला है। अदालत ने कहा, ”हम याचिकाकर्ता के मामले को विशेष मामला मानकर लाभ प्रदान करने में मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की ओर से अपनाए गए रुख की सराहना करते हैं। पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि राशि का वितरण जल्द से जल्द किया जाए।

महिला लोको पायलटों की मांग, या तो हमारे कार्यस्थल की गुणवत्ता सुधारें या हमारा विभाग बदलें

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे में महिला लोको पायलटों की स्थिति काफी दयनीय है। उन्होंने रेलवे बोर्ड से आग्रह किया है कि या तो उनके कामकाज की स्थितियों में सुधार किया जाए या फिर उन्हें किसी और विभाग में स्थानांनतरित करने की अनुमति दी जाए। दरअसल, महिला लोको पायलटों के एक समूह ने हाल ही में रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा से मुलाकात की। समूह ने रेलवे अध्यक्ष को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने अपनी परेशानियां साझा की हैं। सभी महिला लोको पायलट ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन की सदस्य हैं।

महिला लोको पायलटों को यह समस्याएं
ज्ञापन में महिला लोको पायलटों ने कहा कि इंजन में शौचालय नहीं हैं। इंजन में हम सैनिटिरी पैड्स भी नहीं बदल पाते हैं। रात में तकनीकि खामी को दूर करने के लिए हम इंजन से बाहर भी नहीं जा पाते। देर रात की ड्यूटी के लिए कोई पिकअप और ड्रॉप की सुविधा भी नहीं है। गौरतलब है कि वर्तमान में देश भर में 1500 से अधिक महिलाएं लोको पायलट और सहायक लोको पायलटों के रूप में काम रही हैं और अकसर वे विभिन्न माध्यमों से अपने मुद्दा उठाती रहती हैं।

एक महिला लोको पायलट ने कहा कि हमें पता है कि रेलवे में बदलाव आ रहे हैं और शौचालय सुविधाओं के साथ नए इंजन आ रहे हैं लेकिन उन्हें पूरी तरह से लागू होने में काफी समय लगेगा। उन्होंने बताया कि ‘रिकॉर्ड नोट ऑफ डिस्कशन’ में कहा गया है कि इंजीनियरिंग, लोको पायलट और गार्ड श्रेणी में महिला कर्मचारियों को श्रेणी में बदलाव करने के लिए एक बार का विकल्प दिया जा सकता है। लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। हम मांग करते हैं कि अगर आप हमारे कार्यस्थल को सुधार नहीं कर सकते तो हमारा विभाग बदल दें।

एआईआरएफ ने मांगों का किया समर्थन
फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने भी महिला लोको पायलटों की मांगों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि रेलवे या तो सुविधाएं दे या फिर किसी दूसरे विभाग में पदस्थ करे। हम उनकी मांगों का समर्थन करते हैं। हम उनके मुद्दों को तब तक उठाते रहेंगे, जब तक उनका समाधान नहीं हो जाता।

‘आप इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं?’, कोविड मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है। दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना से जान गंवाने वाली एक नर्स के पति की 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग ठुकरा दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि आप इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं? कोर्ट ने नर्स के पति की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है और दो हफ्ते बाद फिर से इस मामले पर सुनवाई करेगी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘आप इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं? मृतका कोरोना मरीजों के इलाज में लगी थी, ऐसे में आप इसे खारिज कैसे कर सकते हैं? मामले से ज्यादा संवेदनशीलता के साथ निपटा जाना चाहिए था।’

क्या है पूरा मामला
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने सुधाकर पवार की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में सुधाकर पवार ने नवंबर 2023 में सरकार के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सरकार ने पवार को उसकी पत्नी की मौत पर 50 लाख रुपये का मुआवजा देने से इनकार कर दिया था। याचिका में पवार ने बताया कि उसकी पत्नी अनिता राठौड़ पवार पुणे के ससून जनरल अस्पताल में असिस्टेंट नर्स के पद पर काम करती थी। कोरोना महामारी के दौरान अनिता भी कोविड 19 वारियर्स टीम का हिस्सा थी और कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लगी हुई थी। हालांकि अप्रैल 2020 में अनिता भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गई, जिससे उसकी मौत हो गई।

महाराष्ट्र सरकार ने किया था 50 लाख रुपये के मुआवजे का एलान
राज्य सरकार ने मई 2020 में एक योजना पेश की थी, जिसके तहत कोरोना में सक्रिय ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को 50 लाख रुपये का पर्सनल एक्सीडेंट कवर देने का एलान किया गया। इस एक्सीडेंट कवर के तहत एक्टिव ड्यूटी जैसे सर्वे, कोरोना संक्रमितों के इलाज, ट्रैकिंग और इलाज में लगे कर्मचारियों को मौत पर उनके परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा मिलना था।

अदालत ने कहा- याचिकाकर्ता मुआवजे का हकदार
याचिकाकर्ता ने भी इस योजना के तहत अपनी पत्नी की मौत पर 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की, लेकिन राज्य सरकार ने यह कहकर नर्स के पति की मांग खारिज कर दी कि नर्स कोरोना संक्रमित होने से पहले से ही बीमार थी। हालांकि ससून अस्पताल के डीन ने जो मेडिकल रिपोर्ट दी है, उसमें नर्स को कोरोना संक्रमित होने से पहले पूरी तरह से ठीक बताया गया है। सरकार के इनकार के बाद नर्स के पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि सरकार ने बिना सोचे-विचारे मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया है और याचिकाकर्ता मुआवजे पाने का हकदार लगता है।

जस्टबात एआई से चुनाव प्रचार में आए क्रांतिकारी बदलाव, व्यापक मतदाताओं तक हुई पहुंच

नई दिल्ली: एआई तकनीक आज हमारे जीवन के हर स्तर को प्रभावित कर रही है, ऐसे में राजनीति उससे अछूती कैसे रह सकती है। जस्टबात.एआई के सीईओ और सह-संस्थापक शौर्य राव निगम का कहना है कि यह एआई प्लेटफॉर्म भारतीय राजनीति में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आ रहा है। एक हालिया इंटरव्यू में जस्टबात के सीईओ शौर्य राय निगम और सीटीओ अमनदीप कंबोज ने बताया कि एआई तकनीक से बना कंटेंट इन आम चुनाव में बेहद अहम साबित हो रहा है।

शौर्य राव निगम और अमनदीप कंबोज ने बताया कि जस्टबात.एआई की मदद से चुनाव प्रचार अलग स्तर पर पहुंच गया है। इसकी मदद से उम्मीदवार विविध जनता तक पहुंच सकते हैं और अपने मतदाताओं को खास संदेश भेज सकते हैं। जस्टबात.एआई विभिन्न सरकारी निकायों के साथ मिलकर संदेशों की बजाय वीडियो वाट्सएप मैसेज को प्रमोट कर रहा है। इसकी मदद से नेता अपने मतदाताओं से सीधे संपर्क कर पा रहे हैं। पहले संदेश एक बड़े वर्ग को भेजा जाता था, लेकिन जस्टबात.एआई की मदद से नेता मतदाताओं को समुदाय आधारित निजी वीडियो संदेश भेज सकते हैं।

इस एआई की मदद से व्यक्ति केंद्रित, समुदाय-केंद्रित और क्षेत्र-विशिष्ट अभियान तैयार करने में राजनीतिक पार्टियों को मदद मिल रही है। इसकी मदद से नेताओं के मतदाताओं के साथ जुड़ने के तरीके में मौलिक बदलाव आए हैं।