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अलीबाग का नाम बदलने की मांग, स्पीकर ने सरकार से इस नायक के नाम पर रखने की अपील की

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने राज्य सरकार से अपील की है कि वे अलीबाग के नाम को बदलकर मयनाक भंडारी की याद में मयनाकनगरी करे। मयनाक भंडारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना की कमान संभाली थी और मराठा नौसेना को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी। मुंबई का तटीय शहर अलीबाग एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और राज्य के रायगढ़ जिले के तहत आने वाली एक नगर परिषद है।

ऑल इंडिया भंडारी फेडरेशन ने की थी मांग
हाल ही में ऑल इंडिया भंडारी फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल ने राहुल नार्वेकर से मुलाकात की थी। इसी मुलाकात में फेडरेशन ने अलीबाग का नाम बदलकर मयनाकनगरी करने की मांग की थी। नार्वेकर ने गुरुवार को सीएम एकनाथ शिंदे को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने लिखा कि मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में विदेशी आक्रमण को रोकने के लिए समुद्री सुरक्षा और नौसैन्य ताकत बेहद अहम थी।

कौन थे मयनाक भंडारी
राहुल नार्वेकर ने लिखा कि शिवाजी महाराज ने एक मजबूत नौसेना की नींव रखी, जिसका कोंकण क्षेत्र में मयनाक भंडारी ने नेतृत्व किया था। मयनाक भंडारी की नेतृत्व कुशलता और बहादुरी के चलते ही अंग्रेजों को अलीबाग में खंदेरी के किले से पीछे हटना पड़ा था। स्पीकर नार्वेकर ने ये भी मांग की कि अलीबाग में मयनाक भंडारी की प्रतिमा भी लगाई जानी चाहिए। स्पीकर ने कहा कि ऑल इंडिया भंडारी फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल ने यह मांग की, जिसका नेतृत्व नवीनचंद्र बंडीवडेकर ने किया। स्पीकर ने पत्र में लिखा कि ‘यह मांग जायज है और मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह इस पर विचार करे।’

‘यह लोकतंत्र और संविधान को बचाने का चुनाव’, घोषणापत्र जारी कर बोले कांग्रेस नेता राहुल गांधी

आज कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया। इस दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह चुनाव लोकतंत्र और संविधान को बचाने का चुनाव है। वहीं, पीएम का चेहरा पूछे जाने पर भी जवाब दिया।

एक तरफ एनडीए और प्रधानमंत्री मोदी…
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘यह चुनाव लोकतंत्र और संविधान को बचाने का चुनाव है। एक तरफ एनडीए और प्रधानमंत्री मोदी हैं जो संविधान और लोकतंत्र पर आक्रमण कर रहे हैं और दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन है जो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करता है।’

देश की राजनीति हो क्या रहा
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें यह समझना होगा कि देश की राजनीतिक ढांचे में हो क्या रहा है। आरएसएस, भाजपा और खासकर पीएम मोदी ने जो रणनीति बनाई है उसकी नींव क्या है, हमें यह समझना होगा। जिस तरह बंदरगाहों, बुनियादी ढांचे और रक्षा में अदाणी का एकाधिकार है, उसी तरह पीएम मोदी ने ईडी, सीबीआई और आयकर का उपयोग करके राजनीतिक वित्त में एकाधिकार बना लिया है।’

राहुल ने कहा, ‘मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जो भ्रष्ट हैं वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं, इसकी वजह यह है कि पीएम मोदी राजनीतिक वित्त एकाधिकार पर नियंत्रण रखना चाहते हैं। ये घोषणापत्र कांग्रेस पार्टी ने नहीं बनाया है, देश की जनता ने बनाया है। हमने बस इसे लिखा है। हमने हजारों लोगों से बात करने के बाद अपना घोषणापत्र बनाया है।’

‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान का क्या हुआ था
उन्होंने कहा, ‘कई राजनीतिक टिप्पणीकारों के विपरीत, मैं भविष्य की भविष्यवाणी नहीं कर सकता। पर मुझे विश्वास है कि यह मीडिया द्वारा प्रचारित किए जा रहे चुनाव की तुलना में काफी करीबी चुनाव है। यह एक करीबी चुनाव है, जिसे हम लड़ने जा रहे हैं और जीतेंगे भी। याद कीजिए कि जब वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे तब भी इसी तरह का प्रचार किया जा रहा था। एक इंडिया शाइनिंग’ अभियान चलाया गया था। याद करिए कि ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान का क्या हुआ था और याद कीजिए कि उस अभियान को किसने जीता था।’

एक सीट पर दो भाइयों में मुकाबला, राजनेता पिता ने चुनाव प्रचार से ही किया इनकार

ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा के लिए भी वोट डाले जाएंगे। राज्य के गंजम जिले की एक सीट पर काफी रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। दरअसल इस सीट पर दो सगे भाई ही आमने-सामने हैं। गंजम जिले की चिकिती सीट पर ओडिशा विधानसभा के पूर्व स्पीकर चिंतामनि देन सामंतरे के बेटे चुनाव मैदान में हैं। चिकिती में भाजपा ने यहां मनोरंजन देन सामंतरे को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने बड़े भाई रविंद्रनाथ देन सामंतरे को मैदान में उतारा है।

पिता रहे हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
चिंतामनी देन सामंतरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वह चिकिती सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। दो बार वे निर्दलीय और एक बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। मनोरंजन इससे पहले भी दो बार यहां से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, एक बार 2014 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे तो दूसरी बार 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन दोनों बार मनोरंजन को हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर मनोरंजन भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार उनके बड़े भाई रविंद्रनाथ भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे यहां लड़ाई रोचक हो गई है।

यह भाइयों की नहीं विचारधारा की लड़ाई
रविंद्रनाथ का कहना है कि पिता के समय से ही मैं राजनीति में सक्रिय हूं और इसी वजह से पार्टी ने मुझे टिकट दिया। यह दो विचारधाराओं की लड़ाई है न कि दो भाइयों की लड़ाई। वहीं दोनों बेटों के चुनाव लड़ने पर चिंतामनी देन सामांतरे ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए किसी के लिए भी चुनाव प्रचार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि वह एक कांग्रेसी हैं और भाजपा की नीतियों का विरोध करेंगे। बेटे के भाजपा से चुनाव लड़ने पर चिंतामनी सामंतरे ने कहा कि यह उसका अपना फैसला है। लोकतंत्र में हम अपना फैसला किसी पर थोप नहीं सकते हैं।

यूपी के 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च को दिए आदेश पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को असंवैधानिक बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के ये कहना कि मदरसा बोर्ड संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत का उल्लंघन करता है, ये ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही मदरसा बोर्ड के 17 लाख छात्रों और 10 हजार अध्यापकों को अन्य स्कूलों में समायोजित करने की प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है।

हाईकोर्ट ने बताया था असंवैधानिक
अंशुमान सिंह राठौर नामक एक वकील ने यूपी मदरसा कानून की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने मदरसा कानून को असंवैधानिक मानते हुए इसे खत्म करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि ‘सरकार के पास यह शक्ति नहीं है कि वह धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड का गठन करे या फिर किसी विशेष धर्म के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड बनाए।’ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह राज्य के मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को अन्य स्कूलों में समायोजित करे।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा था कि मदरसा कानून ‘यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) कानून 1956’ की धारा 22 का भी उल्लंघन करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 16,513 पंजीकृत और 8,449 गैर पंजीकृत मदरसे राज्य में संचालित हैं। जिनमें करीब 25 लाख छात्र पढ़ते हैं।

नौकरशाहों के रिटायरमेंट के तुरंत बाद चुनाव लड़ने पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नौकरशाहों के कूलिंग ऑफ पीरियड से संबंधित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सही प्राधिकरण के सामने ये मामला उठाने को कहा। दरअसल याचिका में मांग की गई थी कि नौकरशाहों को रिटायरमेंट या इस्तीफे के तुरंत बाद चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। साल 2012 में चुनाव आयोग द्वारा भी ऐसी सिफारिश की गई थी। याचिका में आयोग की सिफारिश लागू करने की मांग की गई।

याचिका में की गई थे ये मांग
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता जीवी हर्ष कुमार को अपनी याचिका वापस लेने और सही प्राधिकरण के सामने इस मामले को उठाने का निर्देश दिया। याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को निर्देश दे कि साल 2012 में की गई चुनाव आयोग की सिफारिश को लागू किया जाए। साथ ही जुलाई 2004 में सिविल सेवा सुधार को लेकर बनाई गई समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिश को भी लागू किया जाए ताकि नौकरशाहों के रिटायरमेंट या इस्तीफे के तुरंत बाद विधानसभा, लोकसभा चुनाव लड़ने पर रोक लग सके।

याचिका में मांग की गई सरकारी अधिकारियों के लिए एक विराम काल (कूलिंग ऑफ पीरियड) होना चाहिए, जिसे पूरा करने के बाद ही नौकरशाह राजनीति के मैदान में उतर सकें। याचिका में ये भी मांग की गई थी कि उन नौकरशाहों को जो विधानसभा या संसद सदस्य के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं, उन्हें एक ही पेंशन मिले। पूर्व सांसद जीवी हर्ष कुमार की इस याचिका को वकील श्रवण कुमार कर्नम के माध्यम से दायर किया गया था।

मुलायम सिंह यादव का वो पैंतरा… जिसकी वजह से भाजपा-बसपा की कभी न हो सकी मैनपुरी सीट; मोदी लहर भी न आई काम

सपा नेता मुलायम सिंह यादव का जन्म भले ही इटावा की धरती पर हुआ हो, लेकिन वो अपनी कर्मभूमि मैनपुरी की जनता के मन को अच्छी तरह से जानते थे। जब भी उन्हें मैनपुरी सीट पर खतरा दिखाई दिया तो वे स्वयं ही चुनावी मैदान में कूद पड़े। अपने खुद के भतीजे और पौत्र की रिकॉर्ड जीत के बाद भी उन्होंने मैनपुरी से उनकी टिकट काटकर चुनाव लड़ा।

2004 में जीत के बाद दिया था यहां से इस्तीफा
वर्ष 2004 में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट जीतकर इस्तीफा दे दिया। यहां से उपचुनाव में उन्होंने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया। धर्मेंंद्र यादव ने इस चुनाव में 3,48,999 मत प्राप्त करते हुए बसपा के अशोक शाक्य को 1,79,713 मतों से पराजित किया। वर्ष 2009 में जब लोकसभा चुनाव हुआ तो प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुलायम को पता चला कि मैनपुरी में बसपा कुछ गड़बड़ करा सकती है। ऐसे में मुलायम सिंह 2009 के आम चुनाव में खुद ही प्रत्याशी के रूप में मैदान में आए और उन्होंने बसपा के विनय शाक्य को पराजित कर 1,73,069 मतों से जीत दर्ज की।

पौत्र तेजप्रताप सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा
वर्ष 2014 के आम चुनाव में जीत के बाद मुलायम सिंह ने फिर से मैनपुरी सीट से इस्तीफा दे दिया। इस बार उन्होंने अपने पौत्र तेजप्रताप सिंह यादव को मैनपुरी सीट से प्रत्याशी बनाया। तेज प्रताप यादव ने इस चुनाव में रिकॉर्ड 6,53,786 मत प्राप्त किए। इस चुनाव में तेज प्रताप ने भजपा के प्रेम सिंह को 3,21,149 मतों से पराजित किया। वर्ष 2019 में प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। मुलायम समझ गए मैनपुरी में कुछ गड़बड़ हो सकता है। ऐसे में उन्होंने 2019 के चुनाव में तेजप्रताप की टिकट कटवा दी और स्वयं प्रत्याशी बन गए। यह चुनाव काफी रोमांचक रहा। इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 94,389 मतों से जीत मिली।

सिलचर में 210 करोड़ कीमत की 21 किलो हेरोइन जब्त, मिजोरम से कंटेनर में छिपाकर ला रहे थे ड्रग्स

मिजोरम से असम में प्रवेश करने वाले एक वाहन से 210 करोड़ रुपये कीमत की 20 किलोग्राम से अधिक हेरोइन बरामद की गई है। एक गुप्त सूचना के आधार पर असम पुलिस ने कछार जिले में शहिदपुर के पास वाहन को रोका। असम पुलिस की इस कार्रवाई की मुख्यमंत्री हिंत बिस्वा सरमा ने सराहना की है।

सीएम सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “210 करोड़ रुपये। असम में अबतक की सबसे बड़ी ड्रग्स बरामदगी। ड्रग्स मुक्त असम (ड्रग्स फ्री असम) की ओर यह एक बड़ा कदम है। एसटीएफ असम और कछार पुलिस की एक संयुक्त अभियान में सिलचर में 21 किलो हेरोइन बरामद किया गया है। इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। शाबाश असम पुलिस।”

ब्रेड और बिस्किट के कंटेनर में छिपाकर ले जा रहे थे ड्रग्स
अधिकारियों ने बताया कि वाहन चलाने वाले व्यक्ति की पहचान लालडिनोवा के तौर पर की गई है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उसने अपनी यात्रा की शुरुआत आइजोल से की थी और ड्रग्स को ब्रेड एवं बिस्किट के कंटेनर में रख कर ले जा रहा था।

असम एसटीएफ के प्रमुख, पुलिस महानिरीक्षक पार्थ सारथी महंत ने कहा, “10 दिन पहले हमें जानकारी मिली थी कि पड़ोसी राज्य से नशीली दवाओं को असम ले जाया जाएगा, जहां से इसे अन्य शहरों में भेजा जाएगा। तीन दिन पहले हमें जानकारी मिली की तस्करों ने अपनी यात्रा शुरू कर दी है।”

उन्होंने आगे बताया कि गुरुवार की शाम को 21.5 किलो हेरोइन, जिसमें 18 किलो शुद्धतम रूप में और 3.5 किलो उपभोक्ताओं के लिए बनाया गया था। इसकी कुल कीमत 210 करोड़ रुपये है, लेकिन 18 किलो शुद्धतम हेरोइन के साथ अन्य पदार्थों को मिलाकर इसे 50-60 किलो बनाया गया है। सूत्रों ने बताया कि इसकी कीमत अब 540 करोड़ रुपये है।

कभी ये नेता थे कांग्रेस की धाकड़ आवाज, अब बोलेंगे भाजपा की बोली

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक के बाद एक बड़ा झटका लग रहा हैं। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ गौरव वल्लभ और बॉक्सर विजेंदर सिंह उस सूची में नए नाम हैं, जिन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके पहले ऐसे नेताओं की एक लंबी सूची है, जिन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ा और भाजपा, तृणमूल कांग्रेस, सपा-बसपा जैसे किसी अन्य दल में चले गए। सबसे पुरानी पार्टी के पक्ष में लड़ने वाले नेता अब सरकार के गुणगान गा रहे हैं और कांग्रेस व उसके नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं।

सूची में नया नाम गौरव वल्लभ
गौरव वल्लभ भी ऐसी ही सूची में शामिल हो गए हैं, जो पिछले कुछ वर्षों तक भाजपा पर हमलावर रहे और अब इसका दामन थाम लिया। भाजपा नेताओं पर वल्लभ के तीखे तंज की रील अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती थीं। हालांकि, उन्होंने गुरुवार सुबह कांग्रेस के सभी पदों से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वह सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते। इसके कुछ घंटे बाद ही वह भाजपा में शामिल हो गए। बता दें, वल्लभ ने कांग्रेस की ओर से झारखंड और राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

वल्लभ ने मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे अपने इस्तीफे को सोशल मीडिया पर भी साझा किया। उन्होंने कहा, ‘पार्टी जिस तरह से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसे देखते हुए मैं सहज महसूस नहीं कर पा रहा था। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह शाम वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं। इसलिए पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।’

ये नेता भी कर चुके हैं पार्टी को अलविदा
ऐसा नहीं है कि केवल वल्लभ ने कांग्रेस का साथ छोड़ा है, बल्कि कई बड़े नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। बल्कि इससे पहले जयवीर शेरगिल, शहजाद पूनावाला और रीता बहुगुणा जोशी भी भाजपा का हाथ थाम चुकी हैं। शेरगिल कांग्रेस के साथ एक दशक बिताने के बाद 2022 में भाजपा में शामिल हुए। सबसे पुरानी पार्टी के एक अन्य प्रमुख चेहरे पूनावाला ने 2017 में तब सुर्खियां बटोरी थीं, जब उन्होंने कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों को दिखावा कहा था। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें इसका प्रवक्ता नियुक्त किया गया। 2021 में, उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के लिए भाजपा के सोशल मीडिया विंग का प्रभारी भी बनाया गया था।

प्रियंका चतुर्वेदी भी ऐसी प्रवक्ता रहीं
कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जोशी 2016 में भाजपा में शामिल हो गई थीं, जब कांग्रेस ने शीला दीक्षित को 2017 के उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया था। इन सबके अलावा एक और बड़ा नाम प्रियंका चतुर्वेदी का भी है, जो साल 2019 में शिवसेना में चली गई थीं। शिवसेना में विभाजन के बाद, चतुर्वेदी शिवसेना यूबीटी में शामिल हो गईं।

‘तस्वीरें लेने हेलीकॉप्टर से गए’, सीएम एकनाथ शिंदे का उद्धव ठाकरे पर तंज

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को एक जनसभा के दौरान पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे पर तीखा हमला बोला। सीएम शिंदे ने कहा कि खेती करके हेलीकॉप्टर में यात्रा करना ज्यादा अच्छा है न कि सिर्फ तस्वीरें लेने के लिए हेलीकॉप्टर में घूमना। शिंदे महाराष्ट्र के हिंगोली में पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे थे, इसी दौरान सीएम ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा शिंदे ने कहा कि ‘हेलीकॉप्टर में यात्रा करने और खेती करने के लिए मेरी आलोचना की जा रही है। अगर एक किसान का बेटा मुख्यमंत्री बन गया है तो इसमें इतना दर्द क्यों हो रहा है? खेती करने के लिए हेलीकॉप्टर में घूमना ज्यादा अच्छा है न कि तस्वीरें लेने के लिए।’

पुराने समीकरण पर ही सपा लगा सकती है दांव, बसपा ने किया खेला तो कई का बिगड़ेगा समीकरण

श्रावस्ती लोकसभा सीट पर सपा पुराने समीकरण पर ही दांव लगा सकती है। यहां से विगत चुनाव में बसपा ने सपा के साथ मिलकर जीत दर्ज की थी। ऐसे में इस बार सपा हर कदम बड़े संतुलन से आगे बढ़ा रही है। इस बीच यदि बसपा ने खेला किया तो कई दिग्गजों का समीकरण बिगड़ सकता है। यही कारण है कि सभी की नजर हाथी पर ही टिक गई है।

वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद जिले की दो व बलरामपुर की तीन विधानसभा क्षेत्रों को शामिल कर वजूद में आई श्रावस्ती लोकसभा के लिए यह चौथा आम चुनाव है। यहां से सबसे पहले 2009 में कांग्रेस के डॉ. विनय कुमार पांडेय ने जीत का स्वाद चखा, जिन्हें 2014 के मोदी लहर में भाजपा के दद्दन मिश्र ने करारी शिकस्त दी। तब इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. विनय कुमार पांडेय 20,006 मत के साथ पांचवें स्थान पर पहुंच गए।

सपा प्रत्याशी रहे बाहुबली अतीक अहमद 26,0051 मत पाकर दूसरे व बसपा के लालजी वर्मा 1,94,890 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। तब सपा के साथ पीईसीपी के रिजवान जहीर ने खेला कर दिया था। रिजवान को तब 1,01,817 मत मिले थे। वहीं 2019 में सपा-बसपा गठबंधन से बसपा प्रत्याशी रहे राम शिरोमणि वर्मा ने भाजपा के दद्दन मिश्र को 5320 मतों से हराया था। इसमें सपा-बसपा के परंपरागत वोट के साथ ही कुर्मी, यादव व मुस्लिम वोटों का गुणा गणित भी था। ऐसे में इसी समीकरण के सहारे सपा अपनी चुनावी वैतरणी पार लगाने की जुगत में है।