Sunday , November 24 2024

देश

दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले लॉन्च व्हीकल ‘पुष्पक’ का सफल परीक्षण, जानें इससे क्या फायदा

इसरो को आज बड़ी सफलता मिली। दरअसल इसरो की रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक (लॉन्च व्हीकल को दोबारा इस्तेमाल करने की तकनीक) का परीक्षण सफल रहा है। कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में शुक्रवार की सुबह करीब 7.10 बजे इसरो का रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पुष्पक सफलतापूर्वक ऑटोमैटिक तरीके से रनवे पर लैंड हुआ। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल लैंडिंग पर इसरो ने बयान जारी कर बताया कि रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक के मामले में इसरो ने बड़ी कामयाबी हासिल की है।

रीयूजेबल लॉन्चिंग व्हीकल के पहले दो परीक्षण भी रहे थे सफल
इसरो इससे पहले भी दो बार रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल लैंडिंग करा चुका है। बीते साल इसरो ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल के परीक्षण के दौरान आरएलवी को वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से करीब साढ़े चार किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया। परीक्षण के दौरान आरएलवी ने सफलतापूर्वक रनवे पर लैंड किया। आरएलवी ने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक और नोज व्हील स्टीयरिंग सिस्टम की मदद से सफल लैंडिंग की। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल लैंडिंग से इसरो द्वारा विकसित की गई तकनीक जैसे नेवीगेशन, कंट्रोल सिस्टम, लैंडिंग गियर और डिक्लेयरेशन सिस्टम की सफलता पर भी मुहर लग गई है।

पहले के परीक्षणों के आधार पर इसरो ने इस बार आरएलवी के एयरफ्रेम स्ट्रक्चर और लैंडिंग गियर को पहले की तुलना में और ज्यादा मजबूत बनाया ताकि लॉन्च व्हीकल लैंडिंग के वक्त ज्यादा भार को भी वहन कर सकें। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पुष्पक मिशन को विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर और इसरो की इर्सियल सिस्टम्स यूनिट के साथ मिलकर पूरा किया गया। साथ ही वायुसेना ने भी इसमें सहयोग किया। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक इसरो की सबसे चुनौतीपूर्ण तकनीक में से एक है। इस तकनीक की मदद से इसरो के अंतरिक्ष अभियानों की लागत कम होगी। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल टेस्टिंग फ्लाइट का पहला परीक्षण 23 मई 2016 को श्रीहरिकोटा में किया गया था।

डीएमके नेता को मंत्री बनाने से राज्यपाल का इनकार, अब सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई

तमिलनाडु में डीएमके नेता के.कोनमुडी को राज्यपाल द्वारा कैबिनेट मंत्री नियुक्त देने से इनकार किया गया है। इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है और तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कल सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल आरएन रवि के फैसले पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने इस बात को नोट किया है कि के.पोनमुडी की सजा पर शीर्ष अदालत द्वारा रोक लगाई गई है। इसके बाद भी राज्यपाल द्वारा उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने की अनुमति नहीं दी गई।

ऐसा कैसे कह सकते हैं राज्यपाल- सुप्रीम कोर्ट
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि राज्यपाल क्या कर रहे हैं? शीर्ष अदालत द्वारा पोनमुडी की सजा पर रोक लगाई गई है। इसके बाद राज्यपाल ऐसे कैसे कह सकते हैं कि पोनमुडी का कैबिनेट मंत्री बनना संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि राज्यपाल ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की है। हम उनके इस आचरण को लेकर चिंतित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी के.पोनमुडी की सजा पर रोक
तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके के वरिष्ठ नेता के.पोनमुडी आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंस गए थे। 21 दिसंबर 2023 को उन्हें और उनकी पत्नी को मद्रास हाईकोर्ट द्वारा तीन साल की कैद और 50 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 13 मार्च, 2024 को उनकी तीन साल की जेल की सजा पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक लगाई गई थी।

चुनाव प्रचार के लिए 40 फीसदी बढ़ी हेलीकॉप्टरों की मांग, बुकिंग में कांग्रेस पीछे तो कौन है आगे

लोकसभा चुनाव से एक माह पहले कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर बड़ा आरोप लगा दिया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कहा है कि भाजपा, चुनावी संसाधनों पर अपना एकाधिकार करने का प्रयास कर रही है। राहुल गांधी ने कहा, अगर हमारे नेता को चुनाव में किसी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना है तो वह कैसे जाएगा। जब सरकार हमारी पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज कर रही है तो हेलीकॉप्टर की बुकिंग कैसे होगी, ट्रेन का टिकट कैसे मिलेगा। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए चार्टर्ड विमान और हेलीकॉप्टरों की जबरदस्त बुकिंग हो रही है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार चार्टर्ड विमान और हेलीकॉप्टरों की बुकिंग में लगभग 40 फीसदी का उछाल देखा जा रहा है।

कंपनियों को एडवांस देना पड़ता है

जानकारों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के पास बुकिंग के लिए पैसा नहीं है, लेकिन दूसरे दलों के स्टार प्रचारकों के लिए चार्टर्ड विमान और हेलीकॉप्टर, बड़ी संख्या में बुक कराए जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी कई माह पहले ही चार्टर्ड विमान और हेलीकॉप्टरों की बुकिंग को लेकर कोटेशन मांगी गई थी।

हालांकि उस वक्त स्टार प्रचारकों का नाम फाइनल नहीं होता, मगर एक अंदाजे से वह आंकड़ा तैयार किया जाता है कि चुनाव प्रचार के लिए कितने विमान और हेलीकॉप्टरों की जरुरत पड़ेगी। अब पहले चरण के मतदान में केवल एक महीना बचा है। यही वो समय होता है, जब विमान कंपनियों को एडवांस देना पड़ता है। अब एकाएक कांग्रेस पार्टी के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। इस वजह से बुकिंग प्रक्रिया अधर में लटक गई है। लिहाजा दूसरे दल भी बुकिंग करा रहे हैं, ऐसे में संभव है कि बाद में कांग्रेस पार्टी को लंबी दूरी की मूवमेंट के लिए संसाधन मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़े।

चार्टर्ड विमान महंगा तो हेलीकॉप्टर सस्ता
अगर चार्टर्ड विमान की बात करें तो अधिकांश कंपनियों ने एक घंटे की फ्लाइट के लिए चार से पांच लाख रुपये का रेट तय किया है। अगर हेलीकॉप्टर की बुकिंग होती है तो उसके लिए डेढ़ लाख रुपये प्रतिघंटे के हिसाब से किराया देना पड़ता है। भारतीय निर्वाचन आयोग को दी गई जानकारी के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एयर बुकिंग पर लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये खर्च किए थे। विमान कंपनी से जुड़े एक अधिकारी का कहना है, चुनाव में तो सभी पार्टियां चार्टर्ड विमान या हेलीकॉप्टर बुक कराती हैं।

पांच साल पहले जो रेट थे, वे आज नहीं हैं। फ्यूल और मेनटेनेंस काफी बढ़ गई है। ऐसे में संभव है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में विमान या हेलीकॉप्टर के बुकिंग रेटों में भी इजाफा हो जाए। इसमें यह देखा जाता है कि किस दल ने कब बुकिंग कराई है। अगर दो चार दिन के भीतर विमान या हेलीकॉप्टर चाहिए तो उसके लिए रेट, कई गुणा बढ़ जाते हैं। प्री बुकिंग में रेट सामान्य ही रहते हैं।

ऐन चुनाव के वक्त दानिश ने बदला पाला, घमासान के बीच अमरोहा से कांग्रेस के हो सकते हैं प्रत्याशी

बसपा से निलंबन के बाद सांसद दानिश अली ने हाथी की सवारी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। यह पहला मौका नहीं है, जब दानिश ने चुनाव से पहले पार्टी बदली हो। 2019 में भी लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही उन्होंने जनता दल (एस) छोड़कर बसपा में एंट्री ली थी। इस चुनाव में उन्होंने गठबंधन से बसपा प्रत्याशी के तौर पर भाजपा प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की।

हालांकि अभी यहां से कांग्रेस के टिकट को लेकर उनके लिए घोषणा नहीं हुई है। मूल रूप से हापुड़ के निवासी दानिश अली ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पढ़ाई की। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर जनता दल (एस) के साथ शुरू किया। 2019 में दानिश अली जनता दल (एस) को छोड़कर बसपा में शामिल हो गए।

जिसके बाद वह अमरोहा से टिकट लेने में कामयाब रहे। इस चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ तो यह सीट बसपा के खाते में आई। जिसका फायदा दानिश अली को पहुंचा। उन्होंने इस चुनाव में भाजपा के कंवर सिंह तंवर को हराया था। इसके बाद उनका कद बसपा में काफी बढ़ गया था।

उधर, 2024 लोकसभा चुनाव की आहट के पहले ही उनका कांग्रेस के प्रति प्रेम बढ़ने लगा। राहुल गांधी से नजदीकियां बढ़ने पर उनके कांग्रेस में आने के कयास लगाए जाने लगे। इस बीच दिसंबर 2023 में बसपा हाईकमान ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। जिसके बाद वह कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के अलावा अन्य कार्यक्रमों में शामिल हुए।

रोचक है इस सीट का इतिहास, एक बार जीता निर्दलीय, पांच बार जीतकर अटल ने रचा इतिहास

प्रदेश में भले ही शासन करने वाले राजनैतिक दल बदलते रहे हों, पर लोकसभा चुनाव में राजधानी में कांग्रेस और भाजपा का वर्चस्व रहा है। इस वर्चस्व के बावजूद लखनऊ की संसदीय सीट पर वर्ष 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत का डंका बजा। उस समय आनंद नारायण मुल्ला ने कांग्रेस वीआर मोहन को आसानी से मात दी थी।

आनंद नारायण मुल्ला कश्मीरी ब्राह्मण थे। उनके पिता जगत नारायण मुल्ला मशहूर सरकारी वकील थे। आनंद नारायण वकालत करने के साथ ही उर्दू के कविभी थे। उनकी रचनाओं पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वर्ष 1967 में जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो उन्होंने भी पर्चा दाखिल किया। देश में उस समय कांग्रेस की लहर चल रही थी। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता चरम पर थी। इसी के बूते वे चुनाव में खड़े हो गए। चुनाव में कांग्रेस से उनके मुकाबले वेद रत्न मोहन मैदान में उतरे। वेद रत्न मोहन लखनऊ के पूर्व मेयर रह चुके थे तथा साधन-संपन्नता में भी कोई कमी नहीं थी।

भारतीय जनसंघ से चुनाव में आरसी शर्मा को टिकट मिला था। रिजल्ट की घोषणा हुई तो पहले स्थान पर आनंद नारायण मुल्ला रहे और उन्हें 92,535 वोट मिले। दूसरे नंबर पर वेद रत्न मोहन थे, और उनके खाते में 71,563 वोट आए। वहीं आरसी शर्मा को 60,291 वोट मिले और वे तीसरे नंबर पर रहे।

जगदीश गांधी भी थे मैदान में
इस चुनाव में एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी का नाम भी चर्चा में था। सिटी मांटेसरी स्कूल के संस्थापक जगदीश गांधी ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें 9449 मत मिले। अलीगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव जीत चुके जगदीश गांधी ने इससे पहले वर्ष 1962 का लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था। हालांकि उस बार भी उनको हार झेलनी पड़ी। चुनाव में 14774 वोट के साथ वे तीसरे नंबर पर रहे।

दिव्यांग अब बिना किसी सहारे के हो सकेंगे खड़े, पहली स्वदेशी इलेक्ट्रिक स्टैंडिंग व्हीलचेयर विकसित

अब दिव्यांगजनों को अपने काम के लिए किसी की मदद नहीं लेनी पड़ेगी। आईआईटी मद्रास के सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन रिसर्च एंड डिवाइस डेवलपमेंट की प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों ने स्वदेशी इलेक्ट्रिक स्टैंडिंग व्हीलचेयर-नियोस्टैंड तैयार किया है। यह एक कॉम्पैक्ट स्टैंडिंग व्हीलचेयर है। इसके मोटराइज्ड स्टैंडिंग मैकेनिज्म के लिए नेविगेशन आसान बनाया गया है। व्हीलचेयर पर बैठा व्यक्ति एक बटन दबा कर आसानी से खुद खड़ा हो सकता है।

90 हजार कीमत…
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटि ने व्हीलचेयर को लॉन्च करते हुए कहा, नियोस्टैंड को दिव्यांगजनों की समस्याओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसके माध्यम से दिव्यांगजन लंबे समय तक बैठ सकते हैं और जब चाहें आराम से खड़े हो सकते हैं। आईआईटी मद्रास के इनक्यूबेट स्टार्टअप नियोमोशन ने इसकी कीमत 90 हजार रखी है।

पिछड़े ही बढ़ाएंगे आगे, ओबीसी वोट के लिए भाजपा और कांग्रेस में जोर-आजमाइश

बिहार में जाति गणना के बाद से अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर सियासत तेजी से गरमा गई है। जाति गणना के जरिये इस वर्ग को सियासत के केंद्र में लाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गए, पर विपक्ष खासकर कांग्रेस इसे लेकर लगातार हमलावर है। हो भी क्यों नहीं। करीब 50 फीसदी की अनुमानित आबादी के कारण यह वोट बैंक जनादेश की दशा और दिशा तय करता आया है। यही वजह है कि दलों-गठबंधनों के लिए यह वोट बैंक सबसे अहम है। भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन में सबसे ज्यादा खींचतान इसी वोट बैंक को लेकर है। विपक्ष इन्हें साधने के लिए परंपरागत सामाजिक न्याय से जुड़े आरक्षण, जाति जनगणना को हथियार बना रहा है, वहीं भाजपा योजनाओं, चेहरों के माध्यम से इस वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है।

यह चुनाव भाजपा का ओबीसी को जाति के खांचे से निकालने का प्रयोग है। जातिगत आबादी में अनुरूप सरकारी नौकरी और अवसरों में हिस्सेदारी की विपक्ष की मांग के बीच पार्टी ने राजनीति में परंपरागत जाति आधारित सियासत की जगह गरीब, युवा, किसान और महिला के रूप में नए सामाजिक समीकरण तैयार करने की कोशिश की है। हालांकि इस नए प्रयोग के बीच भाजपा ओबीसी के परंपरागत स्वभाव के प्रति न सिर्फ सतर्क है, बल्कि कोई खतरा भी नहीं उठाना चाहती। दूसरी ओर विपक्ष, और खासतौर से कांग्रेस इसी वर्ग को अपने उद्धारकर्ता के रूप में देख रही है। पहली बार कांग्रेस ओबीसी और इससे जुड़े परंपरागत आरक्षण, जाति जनगणना जैसे सवालों को मुद्दों के केंद्र में लाना चाहती है। दरअसल, हिंदुत्व व राष्ट्रवाद के मुद्दे पर अगड़े वर्ग के छिटकने, दलित मतदाताओं के बंटने के बाद कांग्रेस अब सामाजिक न्याय के मुद्दे पर अपनी सियासत को आगे बढ़ाना चाहती है।

भाजपा की रणनीति
मोदी-शाह के युग में भाजपा ने ब्राह्मण-बनिया की पार्टी की अवधारणा को तोड़ दिया है। इसमें पीएम मोदी का आेबीसी वर्ग से होना मददगार साबित हुआ है। बीते दो चुनाव में इस वर्ग के बड़े हिस्से में पहुंच बना चुकी भाजपा पिछड़ा वर्ग से जुड़े चेहरों को आगे बढ़ा रही है। हाल में नायब सैनी को हरियाणा का सीएम बनाया तो मध्यप्रदेश में सरकार की कमान मोहन यादव को दी गई। पार्टी ने कामगारों के लिए 13 हजार करोड़ रुपये की विश्वकर्मा योजना शुरू की, जिसका लाभ पिछड़ी जातियों को मिल रहा है। जाति की राजनीति का गढ़ माने जाने वाले बिहार में पार्टी ने नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा को साधा है। वहीं, यूपी में अपना दल, निषाद पार्टी, सुभासपा एनडीए के साथ है।

मुंबई में महिला डाक्टर ने अटल सेतु से लगाई छलांग, पिता के लिए छोड़े सुसाइड नोट में कही यह बात

दक्षिण मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने के लिए समुद्र पर बनाए गए अटल सेतु से एक महिला ने छलांग लगा दी। पेशे से वह चिकित्सक बताई जा रही हैं। उनकी उम्र करीब 43 साल रही होगी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अब तक महिला के शव का पता नहीं लग सका है, लेकिन उनके मुंबई स्थित आवास से कथित सुसाइड नोट जरूर मिला है।

अवसाद से पीड़ित थीं महिला
पुलिस ने बताया कि पेशे से डॉक्टर किंजल कांतिलाल शाह अवसाद से पीड़ित थीं। उनका इलाज चल रहा था। वह अपने पिता के साथ मुंबई के परेल इलाके में दादा साहब फाल्के रोड स्थित नवीन आशा इमारत में रहती थीं। सोमवार की दोपहर किंजल ने अपने घर के पास से अटल सेतु जाने के लिए टैक्सी ली और वहां से समुद्र में छलांग लगा दी।

चालक ने तुरंत नवी मुंबई पुलिस को जानकारी दी
न्हावा शेवा पुलिस थाना के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक राजेंद्र कोटे ने बताया कि महिला ने पुल पर टैक्सी चालक से गाड़ी रोकने को कहा। चालक ने इनकार कर दिया तो उन्होंने उस पर दबाव बनाया। जिद की वजह से चालक ने गाड़ी रोक दी। इसके बाद वह गाड़ी से बाहर निकलीं और पुल से कूद गईं। टैक्सी चालक ने तुरंत नवी मुंबई पुलिस को घटना के बारे में जानकारी दी। इसके बाद तटीय पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों और बचाव दल की मदद से उसे ढूंढने के लिए अभियान चलाया।

चुनावी बॉन्ड को लेकर राहुल के तंज पर अमित शाह का पलटवार, हफ्ता वसूली वाले बयान पर पूछा यह सवाल

कांग्रेस नेता राहुल की चुनावी बॉन्ड को लेकर की गई टिप्पणी पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार किया है। दरअसल, राहुल ने चुनावी बॉन्ड को ‘हफ्ता वसूली’ करार दिया था। इस पर अमित शाह ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस नेता को यह साफ करना होगा कि उनकी पार्टी को 1,600 करोड़ रुपये कहां से मिले? शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि राहुल गांधी को भी 1,600 करोड़ रुपये मिले थे। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें ‘हफ्ता वसूली’ कहां से मिली। हम दावा करते हैं कि यह एक पारदर्शी चंदा है, लेकिन अगर वह इसे वसूली कहते हैं, तो उन्हें विस्तार से बताना चाहिए।

‘INDIA’ को जनता का सामना करना मुश्किल हो जाएगा: शाह
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा अन्य पार्टियों की तरह अपने दानदाताओं की सूची का खुलासा करेगी? शाह ने जवाब दिया कि मैं आपको आश्वासन देता हूं कि एक बार जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी गठजोड़ ‘INDIA’ को जनता का सामना करना मुश्किल हो जाएगा। शाह ने कहा कि चुनावी बॉन्ड भारतीय राजनीति में काले धन को खत्म करने के लिए लाए गए थे। अब जब यह व्यवस्था खत्म कर दी गई है तो मुझे काले धन की वापसी का डर है।

‘बॉन्ड ने राजनीति में काले धन को लगभग समाप्त किया’
उन्होंने आगे कहा कि मेरा मानना है कि इसे खत्म करने के बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए। हालांकि, इसका कोई महत्व नहीं है, क्योंकि शीर्ष कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है और मैं इसका सम्मान करता हूं। मेरी व्यक्तिगत राय है कि बॉन्ड ने राजनीति में काले धन को लगभग समाप्त कर दिया है। यही कारण है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरा इंडि गठबंधन बॉन्ड के खिलाफ था। वे चाहते थे कि कट मनी की पुरानी प्रणाली एक बार फिर से राजनीति पर हावी हो जाए।

ईडी के खिलाफ फिर हाईकोर्ट पहुंचे केजरीवाल, बोले- गिरफ्तार न करने के भरोसा मिले तो पेश होने को तैयार

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक नई याचिका दायर कर अपने खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने की मांग की है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अगुवाई वाली खंडपीठ आज सुबह मामले की सुनवाई करेगी। एक्साइज मामले में ईडी अब तक उन्हें नौ समन जारी कर चुकी है। कल दिल्ली हाईकोर्ट में उनके मामले की सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने कहा कि उन्हें आशंका है कि ईडी उन्हें गिरफ्तार कर लेगी और अगर उन्हें सुरक्षा दी जाती है तो वे पेश होने के लिए तैयार हैं।

उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले के संबंध में उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देने वाली याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा। वहीं, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केजरीवाल के वकील वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि सीएम पूछताछ के लिए एजेंसी के सामने क्यों नहीं पेश हो रहे हैं।

सिंघवी ने जवाब दिया कि उन्हें आशंका है कि ईडी उन्हें गिरफ्तार कर लेगी और अगर उन्हें सुरक्षा दी जाए तो मुख्यमंत्री पेश होने के लिए तैयार हैं। पीठ ने पूछा आप देश के नागरिक हैं, समन केवल नाम के लिए है। आप पेश क्यों नहीं होते। पीठ ने वरिष्ठ वकील से पूछा ईडी द्वारा सामान्य प्रथा क्या है और क्या यह पहले समन पर ही लोगों को गिरफ्तार कर लेती है।