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बसपा के उभार ने कांग्रेस के दलित वोटों में कर दी सेंधमारी, बदल गए दोस्त और दुश्मन; राम ने साध दी राजनीति

दुविधाग्रस्त कांग्रेस के मुस्लिम वोट का ज्यादातर हिस्सा मुलायम झपट ले गए। बसपा के उभार ने कांग्रेस के दलित वोटों में सेंधमारी कर दी। अगड़ी और गैर यादव पिछड़ी जातियों का ज्यादातर वोट राम मंदिर के कारण भाजपा के साथ लामबंद हो गया।  बसपा नेता मायावती चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री भी बनीं। तीन बार भाजपा के सहयोग से और एक बार अपने बलबूते। बदले समीकरण में मुलायम तीन बार मुख्यमंत्री बने। एक बार उनके पुत्र अखिलेश भी सीएम बने।

बीच में कुछ वर्षों के लिए भाजपा की लोकप्रियता में कुछ गिरावट दिखाई दी, तो लोगों को लगा कि राम मंदिर का असर कम हो रहा है। पर, शायद इसकी वजह भाजपा खुद थी। इसके पीछे शायद कारण था भाजपा के तत्कालीन नेतृत्व का मंदिर मुद्दे को कभी घोषणापत्र में शामिल करना और कभी बाहर रखना। आडवाणी के सोमनाथ से अयोध्या रथयात्रा के सारथी रहे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यही साबित हो रहा है।

बदल गए दोस्त और दुश्मन : मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद वाराणसी, काठमांडू और केदारनाथ की यात्राओं से राजनीति को हिंदुत्व पर केंद्रित करना शुरू कर दिया। खासतौर पर 2019 में सर्वोच्च न्यायालय से राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद उन्होंने जिस तरह देश की राजनीति और विदेशों के लिए देश की कूटनीति को राम के सरोकारों से भारतीयता एवं हिंदुत्व के रंगों से सराबोर किया, उसके निहितार्थ बहुत व्यापक हैं।

यही वजह रही कि गैर कांग्रेसवाद के शिल्पकार आचार्य नरेंद्र देव, डॉ. राममनोहर लोहिया, चौधरी चरण सिंह के गृह राज्य में इनके राजनीतिक विरासत पर दावा करने वाले मुलायम सिंह यादव जैसे नेता की समाजवादी पार्टी को कांग्रेस के साथ खड़ा होने को मजबूर कर दिया है। समाजवाद के नाम पर जो डॉ. लोहिया 70 के दशक में नेहरू और कांग्रेस को रोकने के लिए तत्कालीन जनसंघ से मिलकर चुनाव लड़ रहे थे, उन्हीं के चिंतन से निकलने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी वोटों की गणित से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार सत्तारूढ़ होने से रोकने के लिए कांग्रेस के साथ खड़ी है।

‘भाजपा को जो समर्थन मिल रहा, उससे डीएमके की नींद उड़ी हुई है’, तमिलनाडु के सलेम में बोले पीएम मोदी

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का मिशन दक्षिण जारी है। केरल में रोड शो करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तमिलनाडु पहुंचे। तमिलनाडु के सेलम में उनका स्वागत किया गया। पीएम मोदी यहां एक सार्वजनिक सभा में शामिल हुए। इस सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी द्रमुक पर जमकर निशाना साधा है।

पीएम मोदी ने कहा कि ‘एनडीए को जो समर्थन मिल रहा है उसने द्रमुक की नींद उड़ा दी है।’ सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘तमिलनाडु में भाजपा को मिल रहा जनसमर्थन पूरा देश देख रहा है। एनडीए और मोदी को ये जो जनसमर्थन मिल रहा है, इसने द्रमुक सरकार की नींद उड़ा दी है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अब तमिलनाडु ये तय कर चुका है कि 19 अप्रैल को एक-एक वोट BJP को जाएगा, NDA को जाएगा।’

‘हिंदू धर्म को बनाया जा रहा निशाना’
प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘अभी तो चुनाव अभियान की शुरुआत हुई है, लेकिन विपक्षी गठबंधन की योजना मुंबई में हुई उनकी पहली रैली में ही खुलकर सामने आ गई है। ये कह रहे हैं कि हिंदू धर्म की जिस शक्ति में आस्था होती है, उन्हें इस शक्ति का विनाश करना है। हिंदू धर्म में शक्ति किसे कहते हैं, ये तमिलनाडु का हर व्यक्ति जानता है। INDI अलायंस के लोग बार-बार जानबूझकर हिंदू धर्म का अपमान कर रहे हैं।’

‘मोदी, नारीशक्ति की हर परेशानी के सामने ढाल बनकर खड़ा है’
प्रधानमंत्री ने कहा ‘डीएमके और कांग्रेस का विपक्षी गठबंधन किसी अन्य धर्म का अपमान नहीं करता, किसी और धर्म के खिलाफ इनकी जुबान से एक शब्द नहीं निकलता, लेकिन हिंदू धर्म को गाली देने में ये एक सेकंड नहीं लगाते। हिंदू धर्म में शक्ति का मतलब होता है मातृ शक्ति, नारी शक्ति..लेकिन विपक्षी गठबंधन की कांग्रेस और डीएमके कह रही हैं कि वे शक्ति को तबाह करेंगे। मोदी, देश की नारीशक्ति की हर परेशानी के आगे ढाल बनकर खड़ा है।’ इसके बाद पीएम मोदी ने नारी शक्ति के लिए शुरू की गईं अपनी सरकार की योजनाओं का जिक्र किया।

हेमंत सोरेन के घर भाजपा ने लगाई सेंध, भाभी सीता सोरेन के पार्टी छोड़ने से कितना पड़ेगा असर?

भाजपा ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के घर बड़ी सेंध लगाई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा की पूर्व विधायक और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने मंगलवार को अपनी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया है। उनके भाजपा खेमे में आने से पार्टी को मजबूती मिल सकती है। विशेषकर हेमंत सोरेन आदिवासियों के जिस कथित उत्पीड़न के सहारे भाजपा को मात देने की कोशिश कर रहे हैं, सीता सोरेन के खेमा बदलने के बाद जेएमएम का दांव हल्का पड़ सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने झारखंड की 14 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन पार्टी इस बार झारखंड में भी क्लीन स्वीप करने के मूड में है।

भाजपा में शामिल होते हुए सीता सोरेन ने कहा कि वे झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवार छोड़कर भाजपा परिवार में जुड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में विकास हो रहा है। इसे देखते हुए ही उन्होंने भाजपा से जुड़ने का निर्णय किया। उन्होंने कहा कि झारखंड के लिए उनके पति ने जो सपना देखा था, वे उसे पूरा करने का काम करेंगी। उन्होंने कहा कि उनके पति उन्हें राजनीति में आगे बढ़ाना चाहते थे।

भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने कहा कि सीता सोरेन के आने के बाद पार्टी की राजनीतिक शक्ति बढ़ेगी। आदिवासी समुदाय के विकास के लिए सीता सोरेन की ताकत का इस्तेमाल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आदिवासियों के विकास के लिए लगातार काम कर रही है। इसका असर इन वर्गों के जीवन में आ रहे बदलाव में दिखाई दे रहा है।

सीता सोरेन ने अपने इस्तीफे में अपने परिवार की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने अपने पति दुर्गा सोरेन की मौत के बाद अपने परिवार की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए ससुर शिबू सोरेन के लिए आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहते हुए भी उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार पर खनन मामलों में घोटाले होने के आरोप लगाए थे।

सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, 8 अप्रैल तक का दिया समय

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 8 अप्रैल यानी कि करीब तीन हफ्ते का समय दिया है और सुनवाई की अगली तारीख 9 अप्रैल तय की है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से नागरिकता कानून को लागू करने से रोक की मांग की, लेकिन कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया। सीएए के खिलाफ 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई की।

आईयूएमएल और असदुद्दीन ओवैसी ने दायर की हैं याचिकाएं
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए। तुषार मेहता ने पीठ से अपील की कि 20 आवेदनों पर जवाब देने के लिए चार हफ्तों का समय चाहिए। मेहता ने ये भी कहा कि यह किसी भी व्यक्ति की नागरिकता लेने के लिए नहीं है। नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 237 याचिकाएं दायर हुई हैं।

शीर्ष याचिकाओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की याचिका शामिल है। आईयूएमएल ने याचिका में कहा है कि इस कानून में धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। आईयूएमएल के अलावा एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और केरल सरकार ने भी याचिकाएं दायर की हैं।

सीएए का हो रहा है विरोध
गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून के नियमों को लागू करने की अधिसूचना जारी की थी। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धर्म के आधार पर उत्पीड़न झेलकर भारत आने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।

इस कानून के तहत सिर्फ हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के मानने वाले लोगों को ही नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारत की नागरिकता दी जा सकेगी। मुस्लिम वर्ग के शरणार्थियों को इससे बाहर रखा गया है। मुस्लिमों को कानून से बाहर रखने के फैसले का ही विरोध हो रहा है। कानून का विरोध करने वाले लोगों का आरोप है कि इस कानून का आधार धर्म है, जो कि देश के संविधान के खिलाफ है।

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा का मिशन दक्षिण, पीएम मोदी ने किया पलक्कड़ में रोड शो

लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए भाजपा की कोशिश जारी है। आज केरल के पलक्कड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोड शो किया। पीएम मोदी का रोड शो देखने के लिए भारी संख्या में लोग यहां आए थे।

पीएम मोदी के रोड शो के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “यह रोड शो एक बड़ी सफलता है। लोगों ने खुले दिल से पीएम मोदी का स्वागत किया और उनका अभिवादन किया। जनता और पार्टी के कार्यकर्ताओं में बहुत उत्साह है। जनता एलडीएफ और यूडीएफ से तंग आ चुकी है। अब केवल पीएम मोदी से उन्हें उम्मीद है।”

एनएमसी की तरह बनेगा राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुरू की प्रक्रिया

देश में जल्द ही एमबीबीएस की तरह दंत चिकित्सा शिक्षा के स्वरूप में बदलाव देखने को मिलेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग (एनडीसी) के गठन की प्रक्रिया शुरू की है जो मेडिकल कॉलेजों के लिए गठित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की तरह कार्य करेगा।

मंत्रालय की ओर से जारी नियुक्ति आदेश में कहा गया है कि एनडीसी के अधीन तीन अलग-अलग बोर्ड होंगे जो दंत चिकित्सा कॉलेजों को मान्यता देने, शिक्षा में सुधार, मूल्यांकन और रेटिंग के साथ-साथ बीडीएस और एमडीएस के छात्रों के लिए पारदर्शी प्रणाली विकसित करने का कार्य करेंगे। अगले एक महीने में मंत्रालय ने राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग को गठित करने का निर्णय लिया है जो इसी शैक्षणिक सत्र 2024-25 से अपना कार्य शुरू करेगा। इसका हिस्सा बनने के लिए मंत्रालय ने ऐसे विशेषज्ञों को भी अवसर दिया है जिन्होंने ग्रामीण या फिर दुर्गम क्षेत्रों में मरीजों की सेवा की है।

राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग के तहत स्नातक और स्नातकोत्तर दंत चिकित्सा शिक्षा बोर्ड, दंत चिकित्सा मूल्यांकन व रेटिंग बोर्ड और दंत चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड होंगे। देश में पहला डेंटल कॉलेज 1920 में कलकत्ता में खुला था। तब से लेकर अब तक देश में करीब 300 से ज्यादा डेंटल कॉलेज हैं जो हर साल 25 हजार से अधिक दंत चिकित्सक तैयार कर रहे हैं।

लाइसेंस, नए कॉलेज की स्थापना, फीस तक में बदलाव
गठन के बाद एनडीसी सबसे पहले प्रैक्टिस लाइसेंस, नए कॉलेजों की स्थापना और बीडीएस व एमडीएस कोर्स की फीस तय करेगा। इसके साथ ही एमबीबीएस की तरह बीडीएस को भी नेक्स्ट परीक्षा के दायरे में लाया जाएगा, जिसे उत्तीर्ण करने के बाद ही दंत चिकित्सा करने का लाइसेंस दिया जा सकता है।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक आज, घोषणापत्र को देगी मंजूरी; उम्मीदवारों के नाम पर भी लगेगी मुहर

लोकसभा चुनाव होने में सिर्फ एक महीना बचा है। इसके मद्देनजर राजनीतिक दलों ने भी तैयारियां तेज कर रखी हैं। सात चरण में होने वाले आम चुनाव के लिए 19 अप्रैल से मतदान शुरू होगा। इस बीच, आज कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक होगी, जिसमें लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणापत्र पर अंतिम रूप दिया जाएगा।

केंद्रीय चुनाव समिति की भी बैठक होगी
बताया जा रहा है कि बैठक सुबह 10 बजे एआईसीसी मुख्यालय में होगी। कार्यसमिति की बैठक के बाद पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की भी बैठक होगी। इस बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के शेष उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा। वहीं, पार्टी के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय से पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की प्रशंसा करते हुए एक प्रस्ताव पारित करने की भी उम्मीद है। बता दें यह न्याय यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होकर 17 मार्च को मुंबई में समाप्त हुई थी।

घोषणापत्र समिति का गठन
इससे पहले, कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए घोषणापत्र समिति का गठन किया था। समिति के संयोजक छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव हैं। अन्य सदस्य कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, कांग्रेस नेता शशि थरूर और प्रियंका गांधी वाड्रा हैं। समिति के प्रमुख वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र ‘लोगों का घोषणापत्र’ होगा। पार्टी नेताओं द्वारा सार्वजनिक परामर्श के अलावा, ई-मेल और एक वेबसाइट के माध्यम से सुझाव लिए गए हैं।

चुनाव आयोग ने सीएम योगी के प्रमुख सचिव को हटाने का दिया निर्देश, सीएम कार्यालय का भी काम देख रहे थे

केंद्रीय चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को हटाने का निर्देश जारी किया है। आयोग ने ऐसे गृह सचिवों को हटाने का निर्देश दिया है जो मुख्यमंत्री कार्यालय का भी काम देख रहे हैं। संजय प्रसाद मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव होने के साथ-साथ प्रमुख सचिव गृह की भी जिम्मेदारी निभा रहे थे।

संजय प्रसाद 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वो सितंबर 2022 से मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के साथ-साथ सूचना व गृह विभाग का भी काम देख रहे हैं। चुनाव आयोग ने गुजरात, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ यूपी के ऐसे गृह सचिवों को हटाने का निर्देश दिया है जो कि मुख्यमंत्री कार्यालय का भी काम देख रहे हैं।

‘उनका दावा बेबुनियाद, मैं सोनिया गांधी से मिला भी नहीं’, राहुल के बयान पर बिगड़े भाजपा नेता

राहुल गांधी के दावे पर महाराष्ट्र भाजपा के नेता अशोक चव्हाण ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो दावा कर रहे हैं, वो बेबुनियाद है और वह सोनिया गांधी से नहीं मिले थे। अशोक चव्हाण ने बीते दिनों ही कांग्रेस की सदस्यता छोड़कर भाजपा का सदस्यता ली थी। रविवार को मुंबई की रैली के दौरान राहुल गांधी ने बिना किसी का नाम लिए दावा किया था कि ‘महाराष्ट्र के एक नेता ने उनकी मां के सामने रोते हुए कहा था कि उन्हें शर्म आती है कि वे इस ताकत से नहीं लड़ सकते और वह जेल नहीं जाना चाहते।’

अशोक चव्हाण ने जारी किया वीडियो संदेश
राहुल गांधी के इस बयान को अशोक चव्हाण से जोड़कर देखा गया क्योंकि हाल ही में वही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं और आदर्श हाउसिंग घोटाले में उनका भी नाम शामिल है। अशोक चव्हाण ने सोमवार को एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘राहुल गांधी ने रविवार को एक रैली में बयान दिया और किसी का नाम नहीं लिया, अगर वह मेरे बारे में ऐसा कह रहे हैं तो यह अतार्किक और बेबुनियाद है। सच तो यह है कि कांग्रेस से इस्तीफा देने तक मैं पार्टी मुख्यालय में काम कर रहा था। मैंने विधायक पद से इस्तीफा दिया और कुछ देर बाद पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया। तब तक किसी को नहीं पता था कि मैंने इस्तीफा दे दिया है।’

चव्हाण ने कहा, ‘मैं सोनिया गांधी से नहीं मिला। यह कहना बेबुनियाद है कि मैंने सोनिया गांधी से मुलाकात की और अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। यह चुनाव के दृष्टिकोण से दिया गया एक राजनीतिक बयान है।’ भाजपा ने चव्हाण को राज्यसभा चुनाव में महाराष्ट्र से टिकट दिया जहां से वह राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए।

मुंबई की रैली में राहुल गांधी ने कही ये बातें
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का रविवार को समापन हो गया। यात्रा के समापन पर विपक्षी गठबंधन की रैली हुई, जिसमें विपक्षी गठबंधन के कई नेता शामिल हुए। इस दौरान राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘हम एक शक्ति से लड़ रहे हैं। अब सवाल ये उठता है कि शक्ति क्या है। राजा की आत्मा ईवीएम, ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग में बसती है।

हिमाचल प्रदेश के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, स्पीकर के फैसले पर रोक लगाने से इनकार

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को वोट देने और विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने की इजाजत भी नहीं दी है।

इन विधायकों को ठहराया गया अयोग्य
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। अयोग्य घोषित किए गए विधायकों ने पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया। जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया, उनमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, रवि ठाकुर, इंद्रदत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा का नाम शामिल है।

राज्यसभा चुनाव में हुई थी कांग्रेस की हार
बागी विधायकों की क्रॉस वोटिंग के चलते 40 विधायकों वाली कांग्रेस को 25 सीटों वाली भाजपा के सामने राज्यसभा सीट गंवानी पड़ी थी। बागी विधायकों के खिलाफ विधायी मामलों के मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बागी विधायकों के खिलाफ याचिका दायर कर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी क्योंकि उन्होंने पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया। स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया तो स्पीकर के फैसले के खिलाफ विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी है। अब इन बागी विधायकों की सीटों पर उपचुनाव से राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार का भी भविष्य तय होगा।