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अखिलेश यादव बोले- महंगाई से जनता की जेब ढीली हो रही, भाजपा के खजाने भर रहे हैं

लखनऊ: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इलेक्शन बॉन्ड को लेकर चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी पर कहा कि जनता की महंगाई और भ्रष्टाचार से जेब ढीली हो रही है और इलेक्शन बॉन्ड से भाजपा के खजाने भर रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा ने बोला था कि न खाऊंगा न खाने दूंगा लेकिन ये नहीं कहा था कि डकारुंगा नहीं। उन्होंने कहा कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों की समस्याओं का समाधान तभी होगा जब केंद्र से भाजपा जैसी खाऊ पार्टी हटेगी। प्राइवेट कंपनियों का सारा लाभ भाजपा इलेक्टोरल बॉन्ड से ले रही है।

अखिलेश यादव ने कहा कि राजनीतिक दबाव के कारण ही व्यापारी मुनाफाखोरी के लिए दाम बढ़ाते हैं और जनता महंगाई से परेशान होती है। भाजपा के लोग कारोबारियों, ठेकेदारों और दुकानदारों से सबसे ज्यादा पैसा वसूलते हैं क्योंकि वो कहते हैं कि इलेक्टोरल बांड का पैसा तो पार्टी के खाते में चला जाता है।

उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार की भाजपाई गारंटी है। ये जनता के शोषण की भाजपाई गारंटी है। ये युवाओं के भविष्य को मारने की भाजपाई गारंटी है। इलेक्टोरल बांड अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम को भ्रष्ट बनाने की भाजपाई गारंटी है।

‘CM को ऐसा महसूस हुआ होगा कि उन्हे धक्का लगा’, ममता बनर्जी पर दिए बयान से पलटे डॉक्टर, दी सफाई

 कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सिर और नाक पर आई चोट का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मामला उस समय बिगड़ गया, जब गुरुवार को सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने यह दावा किया कि बंगाल सीएम को किसी ने पीछे से धक्का दिया था। हालांकि, बढ़ते विवाद को देखते हुए अब एसएसकेएम अस्पताल के निदेशक मणिमय बंदोपाध्याय ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके कहने का यह मतलब था कि मुख्यमंत्री को ऐसा महसूस हुआ होगा कि उन्हे धक्का लगा है।

बंदोपाध्याय ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को ऐसा महसूस हुआ होगा कि उन्हे पीछे से धक्का लगा, जिससे वह गिर गईं। हमारा काम इलाज करना है और हमने ऐसा ही किया। उन्होंने कहा, ‘कल शाम मैंने जो कहा उसे गलत तरीके से लिया गया।’

कल घर में गिर गई थीं सीएम
अस्पताल के निदेशक मणिमोय बंद्योपाध्याय ने बताया था कि शाम करीब साढ़े सात बजे सूचना मिली की मुख्यमंत्री गिर गई हैं। उन्हें सिर पर चोट आई है। माथे और नाक पर चोट आई है। उनके माथे से खून बह रहा था। माथे पर तीन और नाक पर एक टांका लगाया गया। उनका ईसीजी और सीटी स्कैन भी किया गया। डॉक्टर ने बताया था कि उन्हें अस्पताल में रहने की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने घर जाने की इच्छा जताई। सीएम घर पर निगरानी में रहेंगी। डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल करेगी।

एनटीके पार्टी की याचिका पर सख्त हुई शीर्ष अदालत, निर्वाचन आयोग से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ‘नाम तमिलर काची’ (NTK) की एक याचिका पर शुक्रवार को निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा। बता दें, याचिका में गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर ‘मुक्त’ चुनाव चिह्न के आवंटन को चुनौती दी गई है।

हाईकोर्ट से मिल चुका है झटका
इस मामले में हाईकोर्ट पहले ही निर्वाचन आयोग के मानदंड को उचित ठहरा चुका है। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राजनीतिक दल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को भी नोटिस
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई कर रही थी। अदालत ने निर्वाचन आयोग से जवाब मांगने के साथ ही एक अन्य गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को भी नोटिस जारी किया, जिसे वह चुनाव चिह्न दिया गया था, जो पहले ‘नाम तमिलर काची’ (एनटीके) के पास था।

यह है मामला
हाईकोर्ट ने गत एक मार्च को एनटीके की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को निर्वाचन आयोग द्वारा ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर ‘मुक्त’ चुनाव चिह्न का आवंटन किए जाने को चुनौती दी गई थी।

दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता ‘नाम तमिलर काची’ की इस दलील को खारिज कर दिया था कि इस आशय से संबंधित चुनाव चिह्न आदेश मनमाना और असंवैधानिक था।याचिकाकर्ता आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तमिलनाडु और पुडुचेरी में एक अन्य राजनीतिक दल को ‘मुक्त’ चुनाव चिह्न ‘गन्ना किसान’ के आवंटन से व्यथित था।

होली की छुट्टियों के बाद होगी सुनवाई
याचिका पर नोटिस जारी करते हुए सीजेआई ने कहा कि अपील पर होली की छुट्टियों के बाद सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह चुनाव चिह्न आदेश के पैराग्राफ 10बी (बी) की योजना की पड़ताल करेगी जो ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर दलों और उम्मीदवारों को ‘मुक्त’ चिह्न देने से संबंधित है।

भाजपा का मिशन दक्षिण भारत, केरल-तमिलनाडु पहुंचे पीएम मोदी; तेलंगाना में करेंगे चुनाव प्रचार

लोकसभा चुनाव को अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं और दक्षिण में अपनी पकड़ तेज करने के लिए भाजपा प्रचार में लग गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु में पार्टी के अभियानों की अगुवाई कर रहे हैं। बता दें कि भाजपा को अभी तक दक्षिण में बड़ी बढ़त नहीं मिल पाई है।

तमिलनाडु में पहली बार बिना गठबंधन की भाजपा
तमिलनाडु में इस साल पहली बार भाजपा बिना किसी गठबंधन के है। दरअसल, भाजपा के राज्य प्रमुख के. अन्नामलाई को लेकर विवाद के बीच पिछले साल अन्नाद्रमुक ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडी से गठबंधन तोड़ लिया था। पीएम मोदी ने आज कन्याकुमारी में प्रचार किया। यहां भाजपा की मजबूत उपस्थिति है। लोकसभा चुनाव से पहले ही पार्टी यहां पीएमके और अभिनेता विजयकांत की डीएमडीके को लुभाने की कोशिश में लगी हुई है। तमिलनाडु में भाजपा लगातार वंशवाद की राजनीति और भ्रष्टाचार को लेकर डीएमके पर निशाना साध रही है।

पीएम मोदी केरल पहुंचें
पीएम मोदी केरल के पथानामथिट्टा पहुंच चुके हैं। यहां उन्होंने एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित किया। इस बैठक में करीब एक लाख लोग शामिल हुए। बैठक में एनडीए के लोकसभा सांसद वी मुरलीधरन, अनिल के एंटनी, शोभा सुरेंद्रन और बैजू कलासाला भी शामिल हुए। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरन की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल भी इस बैठक में मौजूद रहेंगी। बता दें कि पद्मजा वेणुगोपाल ने हाल ही में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है।

तेलंगाना में भी होगा प्रचार
पीएम मोदी आज तेलंगाना में भी प्रचार करेंगे। वह आज शाम मल्काजगिरी में एक रोड शो में शामिल होंगे। इस दौरान उनके साथ पार्टी के लोकसभा उम्मीदवार एटाला राजेंदर और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी शामिल होंगे। रोड शो के कारण पुलिस ने आम लोगों के लिए ट्रैफिक एडवायजरी जारी की है। रोड शो खत्म होने तक कुछ इलाके जनता के लिए प्रतिबंधित रहेंगे। पीएम मोदी राजभवन में रात गुजारने के बाद कल नगरकुरनूल में एक बैठक में शामिल होंगे। रविवार को प्रधानमंत्री चिलकलुरिपेटा में भाजपा-टीडीपी और जनसेना की संयुक्त बैठक में शामिल होंगे।

‘भारत का सबसे बड़ा घोटाला है चुनावी बॉन्ड’, अब सरकार पर बरसे जयराम

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर विपक्ष पूरी तरह से सरकार पर हमलावर हो गया है। एक तरफ राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल इस मामले में एसआईटी गठित करने की बात कह रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने चुनावी बॉन्ड को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। साथ ही जयराम रमेश ने कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा साझा किया गया डेटा अधूरा है।

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के खिलाफ नहीं है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल चाहती है ताकि मतदाता ये सुनिश्चित कर सके कि उनका वोट सही तरीके से डाला गया है। जयराम रमेश महाराष्ट्र के पालघर जिले के वाडा में एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पिछले साल से मुख्या चुनाव आयुक्त से मिलने का समय मांग रही है, लेकिन अभी तक उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया है।

‘चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों में अधूरी जानकारी’

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने सवाल किया ‘आखिर चुनाव आयोग विपक्षी दलों से मिलने से क्यों डरता है।’ चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों का हवाला देते हुए रमेश ने कहा कि इसमें अधूरा विवरण दिया गया है। जयराम रमेश ने कहा कि सूची में चार श्रेणियां हैं। पहली श्रेणी उनकी जिन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदे और सरकारी अनुबंध प्राप्त किए। दूसरी श्रेणी में वो हैं जिन्होंने जांच एजेंसियों की धमकी के कारण बॉन्ड खरीदे। तीसरी श्रेणी में वो लोग हैं जिन्होंने अनुबंध पाने के लिए रिश्वत के रूप में बॉन्ड खरीदे। चौथी श्रेणी में वो लोग हैं, जिन्होंने मुखौटा कंपनियों के माध्यम से खरीदारी की। उन्होंने कहा कि ‘ये आज़ाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला है। हमारे पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है, हम जनता की अदालत में जाएंगे।’

चुनावी बॉन्ड पर स्टेट बैंक के आंकड़े

पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने यह टिप्पणी चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड पर डेटा डालने के एक दिन बाद की। स्टील टाइकून लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और एक कम प्रसिद्ध कंपनी – फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज चुनावी बांड के प्रमुख खरीदारों में से थे।

क्षेत्रीय सियासी दलों को ₹ 5221 करोड़; तृणमूल, वाईएसआर कांग्रेस, बीजद और DMK के नाम भी शामिल

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट के सख्त फरमान के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और निर्वाचन आयोग (ECI) ने राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विवरण सार्वजनिक किया। इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से मिले करोड़ों रुपये का चंदा अब तक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं था। हालांकि, एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पारित सख्त आदेश के बाद एसबीआई ने बॉन्ड खरीदने वाले लोगों के नाम सार्वजनिक किए हैं। एसबीआई ने अपनी सूचना निर्वाचन आयोग को मुहैया कराई। इसके बाद आयोग ने 14 मार्च की रात लगभग आठ बजे 700 पन्नों से अधिक का डेटा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया। इसमें एक दस्तावेज बताता है कि बॉन्ड किसने और कितने मूल्य का खरीदा। दूसरे डॉक्यूमेंट में बॉन्ड भुनाने वाली पार्टियों का विवरण दर्ज है।

सभी पार्टियों को मिलाकर भी भाजपा की तुलना में 839 करोड़ रुपये कम
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को अप्रैल, 2019 से जनवरी, 2024 के बीच करोड़ों रुपये का चंदा मिला है। इसी अवधि में अकेले भाजपा को 6,060.51 करोड़ रुपये मिले। यानी देश के सभी क्षेत्रीय दलों को मिलाने के बाद भी भाजपा को 839 करोड़ रुपये अधिक चंदा मिला। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) सरीखे राष्ट्रीय दलों को भी करोड़ों रुपये मिले। हालांकि, चौंकाने वाली बात रही कि बसपा, सीपीआई-एम और एनपीपी जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को बॉन्ड के जरिए एक भी रुपये का दान / चंदा नहीं मिला।

बंगाल से तमिलनाडु तक चार राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टियों को करोड़ों रुपये चंदा मिला
जिन क्षेत्रीय सियासी दलों को 5221 करोड़ रुपये मिले हैं, इनमें पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC), आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी- वाईएसआर कांग्रेस, दशकों से ओडिशा की सत्ता पर काबिज बीजू जनता दल (बीजद) और लगभग पांच साल पहले तमिलनाडु में सरकार बनाने वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के नाम भी शामिल हैं।

‘रैली-सभाएं बंगाली संस्कृति का अटूट हिस्सा’; चीफ जस्टिस ने मिस्टी दोई-लूची-अलु पोस्तो का नाम भी लिया

नई दिल्ली: अदालतों में मुकदमों की सुनवाई के दौरान कई बार न्यायाधीश दिलचस्प और अहम मौखिक टिप्पणियां करते हैं। ताजा घटनाक्रम कलकत्ता हाईकोर्ट से सामने आया है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली पीठ ने बंगाल की संस्कृति पर जोर देते हुए एक मार्च की अनुमति दी। हावड़ा के भीड़भाड़ वाले इलाके में यातायात संबंधी चिंताओं के बावजूद सरकारी कर्मचारियों ने राज्य समन्वय समिति की रैली को शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित किया। यह घटनाक्रम इसलिए चर्चा में है क्योंकि चीफ जस्टिस ने रैलियों और जनसभाओं को बंगाल की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बताते हुए इनकी तुलना मिष्टी दोई, लूची और अलु पोस्तो जैसे व्यंजनों से की।

चीफ जस्टिस ने बंगाल के लजीज व्यंजनों का जिक्र क्यों किया
बता दें कि लूची मैदे से बनी डीप फ्राइड पूरी जैसा पकवान है। अलु पोस्तो खसखस के पेस्ट में पकाए गए आलू के लजीज व्यंजन हैं। बता दें कि बंगाल के व्यंजनों का जिक्र उस मुकदमे में हुआ जिसमें एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी। हालांकि, चीफ जस्टिस ने आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि यातायात को प्रभावित किए बिना रैली आयोजित की जाएगी। पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारियों के एक वर्ग का समर्थन करने वाले समूह- राज्य समन्वय समिति ने गुरुवार को राज्य सचिवालय नबन्ना तक रैली आयोजित की।

हर बंगाली जन्मजात वक्ता, पश्चिम बंगाल संस्कृति और विरासत से भरा राज्य
चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम ने कहा कि लूची, अलु पोस्तो और मिस्टी दोई की तरह लगता है कि सार्वजनिक रूप से जनसभा और रैली बंगाली संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हर बंगाली जन्मजात वक्ता होता है। पश्चिम बंगाल संस्कृति और विरासत से भरा राज्य है।

‘लोकतंत्र पर हो रहा हमला, आम चुनाव होंगे निर्णायक’; लोकसभा के रण से पहले डी राजा का बड़ा बयान

नई दिल्ली:  लोकसभा चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। इस बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव भारत के भविष्य के लिए बेहद खास है। आप सभी जानते हैं कि धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र पर सत्तारूढ़ दल लगातार हमला कर रहा है। इसलिए संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए भाजपा को हराना अब जरूरी हो गया है।

मोदी की गारंटी मात्र एक चुनावी नारा- डी राजा
‘मोदी की गारंटी’ नारे पर टिप्पणी करते हुए डी राजा ने कहा कि यह मात्र एक नारा है, जिसे सिर्फ चुनावी लाभ के लिए तैयार किया गया है, यह सिर्फ एक खोखली बयानबाजी है। इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा सिर्फ चुनावों के लिए इस तरह के नारे का इस्तेमाल करती है।

कई क्षेत्रों में पीएम मोदी विफल रहे- डी राजा
मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए डी राजा ने कहा कि पीएम मोदी कई मामलों में विफल रहे हैं। नौकरियों, कालाधन वापस लाने और महंगाई से निपटने के अपने वादों को पूरा करने में विफल रहे है। 2024 के चुनाव देश और उसके भविष्य के लिए बेहद खास है। पिछले 10 साल मोदी सरकार के बेहद खराब थे। चुनाव के दौरान पीएम ने कई दावे किए थे, लेकिन वे उन्हें पूरा करने में विफल रहे हैं।

डी राजा बोले, संसद की गरिमा और ताकत हुई कमजोर
मोदी सरकार के दौरान लोकतंत्र खतरे में हैं। संसद की गरिमा और ताकत पूरी तरह से कमजोर होती जा रही है। जिसका ताजा उदाहरण बीते शीतकालीन सत्र के दौरान 140 से अधिक सासंदों को संसद की कार्यवाही से निलंबित करना था।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के समर्थन में 32 राजनीतिक पार्टियां, जानिए किन-किन पार्टियों ने किया विरोध

नई दिल्ली: वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया, जिनमें से 47 पार्टियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। रिपोर्ट के अनुसार, 32 राजनीतिक पार्टियां एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में हैं, वहीं 15 पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं।

कांग्रेस समेत इन पार्टियों ने किया विरोध
कांग्रेस, बसपा, आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने वन नेशन, वन इलेक्शन का विरोध किया है। वहीं भाजपा और नेशनल पीपल्स पार्टी ने इसका समर्थन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन 32 राजनीतिक पार्टियों ने वन नेशन वन इलेक्शन योजना का समर्थन किया है, उनका कहना है कि इससे संसाधन बचेंगे और सामाजिक सद्भाव और आर्थिक विकास की भी सुरक्षा होगी।

राजनीतिक पार्टियों ने विरोध की बताई ये वजह
रिपोर्ट में बताया गया है कि जो पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं, उनका तर्क है कि यह संविधान के आधारभूत ढांचे का उल्लंघन कर सकता है। साथ ही यह अलोकतांत्रिक, गैर-संघीय कदम होगा, जिससे क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान होगा और राष्ट्रीय पार्टियों का प्रभुत्व बढ़ेगा। आप, कांग्रेस और सीपीआई(एम) ने वन नेशन, वन इलेक्शन के विचार को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करेगा। साथ ही सीपीआई (एमएल) लिब्रेशन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, राजद, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है।

‘कोई पानी नहीं छोड़ रहा और वे खेल रहे’, कावेरी मुद्दे को लेकर भाजपा के आरोपों पर शिवकुमार का पलटवार

कावेरी नदी के पानी को लेकर सियासत जारी है। इस बीच, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने भाजपा पर कावेरी नदी के पानी को लेकर झूठ फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने भाजपा के इस आरोप कि सूखे का सामना कर रहा राज्य पड़ोसी तमिलनाडु को चोरी से कावेरी का पानी दे रही है, को खारिज कर दिया। बेंगलुरु में पत्रकारों से वार्ता करते हुए डीके शिवकुमार ने भाजपा के आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक खेल है, जिसे भाजपा वाले खेल रहे हैं। यह पूरी तरह से झूठ है कि कोई पानी छोड़ा गया है या छोड़ा जाना है।

भाजपा ने लगाए थे यह आरोप
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कर्नाटक सरकार पर आरोप लगाया था कि राज्य की कांग्रेस सरकार तमिलनाडु को चोरी-छिपे कावेरी का पानी छोड़ रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि सिद्धारमैया सरकार तब ऐसा कर रही है जबकि उनके राज्य के कई हिस्से पानी की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं। भाजपा ने कहा था कि सिद्धारमैया सरकार के ऐसा करने के पीछे उसकी राजनीतिक मजबूरी है। क्योंकि वहां सत्तारूढ़ द्रमुक विपक्षी ‘इंडिया’ गुट का हिस्सा है।

डीके शिवकुमार ने किया खारिज
भाजपा नेताओं के इन आरोपों पर डीके शिवकुमार ने पलटवार किया। उन्होंने भाजपा नेताओं को याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने ही रामानगर जिले के कनकपुरा तालुक में मेकेदातु में कावेरी नदी पर एक संतुलन जलाशय की मांग करते हुए मेकेदातु परियोजना के लिए पदयात्रा निकाली थी।