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ड्रोन दीदी उड़ाएंगी मोदी का चुनावी जहाज, प्रधानमंत्री ने क्यों की इनकी चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में महिलाओं का विशेष तौर पर उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अगले महीने यानी आठ मार्च को महिला दिवस आने वाला है। यह महिलाओं की भूमिका और उनके महत्त्व को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार करने का दिन है। पीएम ने कहा कि वे लखपति ड्रोन दीदी महिलाओं को और आगे बढ़ाना चाहते हैं, जिससे महिलाओं को आर्थिक-सामाजिक तौर पर सशक्त करने का काम आगे बढ़ाया जा सके।

महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम करते रहे
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत से ही महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम करते रहे हैं। कभी वे महिलाओं को शिक्षित करने के लिए बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ का नारा देते हैं तो कभी जनधन योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और ड्रोन दीदी जैसी योजनाओं के सहारे महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त करने का काम करते हैंं। महिलाओं के नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना के घरों का रजिस्ट्री कराकर उन्होंने समाज में बड़ा बदलाव लाने का काम किया है।

पीएम मोदी की इन कोशिशों का परिणाम हुआ है कि महिलाएं उनकी और भाजपा की प्रबल समर्थक बनकर उभरी हैं। सीएसडीएस के एक आंकड़े के अनुसार, जिन राज्यों में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट किया है, उनमें भाजपा को जीत मिली है। इसका सहज अर्थ लगाया जाता है कि महिलाओं ने भाजपा के लिए जमकर वोट किया, जिससे वह सत्ता तक पहुंच गई।

महिलाओं ने ज्यादा किया मतदान तो जीती भाजपा
2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 59.6 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 62.2 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। उत्तराखंड में 62.6 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 67.6 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। इसी प्रकार मणिपुर में 78.2 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 81 प्रतिशत महिलाएं और गोवा में 87.9 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 90.5 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। इन सभी राज्यों में भाजपा ने जीत हासिल की थी।

महिलाओं को भाजपा की जीत में अहम माना गया
हाल ही में संपन्न हुए मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनावों में भी महिलाओं को भाजपा की जीत में अहम माना गया था। माना जाता है कि शिवराज सिंह चौहान की तत्कालीन सरकार ने लाडली बहना योजना चलाकर महिलाओं को अपने पक्ष में लामबंद कर लिया, जिसने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया।

‘BJP जल्द जारी कर सकती है उम्मीदवारों की पहली सूची’, लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर बोले येदियुरप्पा

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने रविवार को कहा कि उम्मीद है कि भाजपा 3-4 दिनों में आम चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर देगी। पीएम मोदी की लोकप्रियता के कारण पूरे देश में भाजपा के पक्ष में माहौल बना हुआ है।

‘राज्य की 28 सीटों पर जीत दर्ज करना पार्टी का लक्ष्य’
येदियुरप्पा ने कहा कि हमें तीन या चार दिन में पता चल जाएगा कि उम्मीदवार कौन है और पार्टी ने क्या कोई बदलाव किया है। कर्नाटक में आम चुनाव को लेकर भाजपा के पक्ष में माहौल बना हुआ है। राज्य की सभी 28 लोकसभा सीटें जीतने का पार्टी का लक्ष्य है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम ऐसा करने में सफल होंगे क्योंकि राज्य के लोग केंद्र में पीएम मोदी का नेतृत्व चाहते हैं।

आने वाले दिनों में सब चीजें स्पष्ट हो जाएंगी- येदियुरप्पा
गौरतलब है कि भाजपा ने 2019 के आम चुनावों में राज्य की कुल 28 में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी, यहां तक कि भाजपा द्वारा समर्थित निर्दलीय सुमलता अंबरीश भी मांड्या में विजयी हुई थीं। भाजपा द्वारा मंड्या सीट गठबंधन सहयोगी जद(एस) को देने की संभावनाओं की चर्चाओं के बीच येदियुरप्पा ने कहा कि ऐसे कोई भी बात नहीं है, इसको लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है। मेरे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। आने वाले कुछ दिनों में सभी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी।

ये विरोधियों की साजिश है, ऐसा कुछ नहीं- येदियुरप्पा
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे के खिलाफ चल रहे प्रचार पर येदियुरप्पा ने कहा कि हम जानते हैं कि इसके पीछे कौन है, मुझे विश्वास है कि शोभा करंदलाजे हिम्मत नहीं हारेंगी। सब जानते हैं कि उन्होंने कई अच्छे काम किए हैं। आप सभी देख लीजिएगा, आगामी लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वह बड़े अंतर से जीत दर्ज करेंगी।

मायावती ने क्यों कहा कि सबको टिकट नहीं दिया जा सकता? इसलिए बसपा के सांसद तलाश रहे नया ठिकाना

बहुजन समाज पार्टी की ‘एकला चलो’ रणनीति अब मायावती की अपनी ही सियासत पर हावी होने लगी है। बहुजन समाज पार्टी के कई कद्दावर नेता मायावती की रणनीति का न सिर्फ अंदर खाने विरोध कर रहे हैं बल्कि बगावत के मूड में भी आ गए हैं। बसपा के अंदरूनी हालात ऐसे हो गए हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में जीते ज्यादातर सांसद नए ठिकाने की तलाश में लगे हैं।

बहुजन समाज पार्टी के नेता ही इस बात को मानते हैं कि बगैर गठबंधन के चुनाव में उतरना न सिर्फ पार्टी के लिए बल्कि बसपा से ताल्लुक रखने वाले नेताओं के सियासी करियर के लिहाज से भी मुफीद नहीं है। वहीं बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने भी स्पष्ट इशारा कर दिया कि ज्यादातर वर्तमान लोकसभा सांसदों को टिकट दिया जाना संभव नहीं है।

गठबंधन के पक्ष में पार्टी के कई नेता
जैसे-जैसे लोकसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं सियासी दांव पेंच भी उसी लिहाज से तेज होते जा रहे हैं। सियासी उठापटक के बीच बहुजन समाज पार्टी के भीतर नेताओं में खूब नाराजगी देखने को मिल रही है। दरअसल बहुजन समाज पार्टी के कई नेता यह मानते हैं कि 2019 में गठबंधन के सहारे बहुजन समाज पार्टी की नैया पार हुई थी।

इस बार गठबंधन नहीं हुआ तो बहुजन समाज पार्टी की जीत की नैया मंझधार में फंस सकती है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने स्पष्ट किया है कि वह आने वाले लोकसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करने वाली। मायावती के इस बयान के बाद पार्टी के अंदर खूब उठा पटक और चर्चाएं हो रही हैं। सियासी जानकार भी मानते हैं कि बहुजन समाज पार्टी के ज्यादातर सांसद या तो दल बदलने में लगे हुए हैं या फिर पार्टी में रहकर अंदरूनी तौर पर गठबंधन की वकालत कर रहे हैं।

कई बसपा सांसद छोड़ सकते हैं पार्टी
बहुजन समाज पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पिछले चुनाव में जीते ज्यादातर सांसद अलग-अलग सियासी राह तलाशने में लगे हैं। बहुजन समाज पार्टी से अमरोहा के सांसद दानिश अली पहले से ही राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होकर अपना सियासी संदेश दे चुके हैं। जबकि बसपा के ही श्याम सिंह यादव भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ शामिल हो चुके हैं।

इसके अलावा बसपा के सांसद मलूक नागर भारतीय जनता पार्टी की सरकार के तारीफ में कसीदे पढ़ते आए हैं। लालगंज के सांसद संगीत आजाद के बारे में पूरे क्षेत्र में भाजपा से नजदीकी की चर्चाएं हो रही है। श्रावस्ती के सांसद राम शिरोमणि वर्मा भी नए सियासी ठौर की तलाश में बताए जा रहे हैं। बसपा के ही सांसद रहे अफजाल अंसारी को समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। अंबेडकर नगर के सांसद रितेश पांडे भी भारतीय जनता पार्टी का दामन पकड़कर इस साल चुनावी नैया पार लगाने के मूड में हैं। बहुजन समाज पार्टी से निलंबित सांसद दानिश अली कहते हैं कि यह तो उन सियासी दलों को सोचना होगा कि आखिर लोग क्यों किसी दल से अपना दामन छुड़ा रहे हैं।

‘मुझे मारना चाहते हैं फडणवीस’, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे का उप मुख्यमंत्री पर बड़ा आरोप

मराठा आरक्षण आंदोलन कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने रविवार को एलान किया कि वह महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास के बाहर प्रदर्शन करेंगे। जालना के अंतरवाली सराटी में जरांगे ने करीब एक घंटे तक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने फडणवीस के खिलाफ कई आरोप लगाए।

‘मुझे मारना चाहते हैं फडणवीस’
जरांगे ने कहा, कुछ लोगों को मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए लालच दिया जा रहा है। उन पर दबाव डाला जा रहा है। इन साजिशों के पीछे फडणवीस का हाथ है। वह मुझे मारना चाहते हैं। मैं सागर बंगले (मुंबई के मालाबार हिल में फडणवीस का आधिकारिक आवास) तक मार्च करने के लिए तैयार हूं। इस एलान ने उनके समर्थकों को हैरान कर दिया।

इस एलान से सभा स्थल पर अफरातफरी मच गई। जरांगे के समर्थक बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे। उनमें से जब कुछ ने उनका माइक्रोफोन छीनने की कोशिश की तो जरांगे ने कहा कि वह अकेले मुंबई तक मार्च करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें इसके लिए एक छड़ी की जरूरत है।
‘आंदोलन के खिलाफ साजिश रच रहे फडणवीस’
जरांगे ने आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री फडणवीस आरक्षण की मांग कर रहे मराठा सुदाय के आंदोलनों को नुकसान पहुंचाने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि फडणवीस लोगों के जरिए उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, पिछले साल जालना में प्रदर्शन के दौरान जब लाठीचार्ज हुआ था, तो फडणवीस को माफी मांगनी पड़ी थी। इससे उन्हें गहरा झटका लगा था, इसलिए अब वह मराठा आरक्षण आंदोलन को नाकाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

‘फडणवीस की मदद कर रहे कुछ मराठा नेता’
उन्होंने दावा किया राज्य सरकार फडणवीस चला रहे हैं, न कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे या उप मुख्यमंत्री अजित पवार। आरक्षण कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि फडणवीस राज्य में मराठों को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका यह दांव उल्टा पड़ेगा। जरांगे ने कहा, भाजपा के कुछ मराठा नेता मुझे बदनाम करने में फडणवीस की मदद कर रहे हैं।

सूडान ने जब पहली बार कराया था संसदीय चुनाव, तब भारत के CEC को किया था आमंत्रित; पढ़ें दिलचस्प किस्से

सन् 1947 में ब्रितानी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद पहली बार 1951-52 में भारत में आम चुनाव हुए थे। यह चुनाव सिर्फ इसलिए अहम नहीं था कि यह स्वतंत्र भारत का पहला चुनाव था बल्कि इसलिए भी बेहद अहम था क्योंकि सारी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी थीं। लोकसभा के साथ-साथ राज्यों की विधानसभाओं के भी चुनाव होने थे। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुकुमार सेन के कुशल नेतृत्व में जब चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए तो दुनिया हैरान रह गई। इन सबसे सूडान भी काफी आकर्षित हुआ। उसने सन् 1953 में अपना पहला संसदीय चुनाव कराने के लिए सुकुमार सेन को आमंत्रित किया था।

14 माह का समय लिया था सेन ने
निर्वाचन आयोग के अभिलेखीय रिकॉर्ड में इस प्रक्रिया का पूरा ब्योरा दर्ज है। रिकॉर्ड के अनुसार सेन ने सूडान में चुनाव कराने में 14 माह का वक्त लगाया और इसके लिए उन्होंने भारतीय चुनाव से जुड़े कायदे कानूनों का सहारा लिया। सेन ने उन नियमों में सूडान के अनुरूप परिवर्तन भी किए। दस्तावेजों में यह दर्ज है कि पहले आम चुनाव की सफलता ने भारत में लोकतंत्र की ठोस नींव रखी।

कई देशों ने मांगी थी जानकारी
रिकॉर्ड में कहा गया, ‘पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई देशों ने चुनाव के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी। मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन को सूडान में चुनाव कराने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आयोग का अध्यक्ष चुना गया था। सूडान पूर्व में ब्रिटेन का उपनिवेश था।’

भारतीय कानूनों में थोड़ा किया था बदलाव
इसमें आगे बताया गया है कि, सेन ने सूडान में अच्छी तरह चुनाव हो इसके लिए उन्होंने वहां 14 महीने बिताए। इस दौरान उन्होंने आंशिक रूप से भारतीय कानूनों और प्रक्रियाओं को संशोधित किया, ताकि उस अफ्रीकी-अरब राष्ट्र की आवश्यकता के अनुरूप चुनाव हो सकें। सूडान में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर आधारित चुनाव केवल दो प्रतिशत की साक्षरता दर के बावजूद सफल रहे

पद्म भूषण से सम्मानित
भारत सरकार ने 1954 में जब नागरिक पुरस्कारों की शुरुआत की तो सेन को उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। सेन भारतीय सिविल सेवा में अधिकारी थे और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव थे, जब उन्हें भारत के पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत की साख को तब और अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला जब लोकसभा अध्यक्ष जीवी मावलंकर को 1956 में जमैका में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की आम परिषद का अध्यक्ष चुना गया। यह पहली बार था जब किसी एशियाई सदस्य को अध्यक्ष के लिए चुना गया था।

सीएम योगी दिल्ली में पीएम व गृह मंत्री से करेंगे मुलाकात, प्रदेश अध्यक्ष भी मौजूद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को नई दिल्ली जाएंगे। सीएम वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा के अन्य नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह शुक्रवार शाम को ही दिल्ली पहुंच गए।आगामी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन, सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे सहित अन्य मुद्दे पर बात हो सकती है।

अखिलेश बोले- परीक्षा निरस्त होना युवाओं की जीत, अफसर-अपराधी मिले हुए हैं

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी पुलिस आरक्षी परीक्षा का निरस्त होना युवाओं की जीत है और भाजपा सरकार के प्रपंचों की हार है। पहले तो भाजपाई कह रहे थे पेपर लीक ही नहीं हुए तो अब कैसे मान लिया। इसका मतलब अधिकारी और अपराधी मिले हुए थे और सरकार भी पीछे से अपना हाथ उनके सिर पर रखे हुई थी लेकिन तमाम सबूतों के आगे चुनाव में ऐतिहासिक हार से बचने के लिए सरकार झुकने पर मजबूर हुई है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार नौकरियों के नाम पर जो खेल बेरोजगार युवक-युवतियों से खेल रही है, उसका सच अब सब समझने लगे हैं। दिखावे के लिए नौकरियां निकालना, अरबों रुपये की फीस ले लेना, पेपर लीक होने देना फिर निरस्त करने का नाटक करना… ये खेल भाजपा को इस बार बहुत महंगा पड़ेगा। इस बार युवाओं ने ठान लिया है कि न बहकावे में आएंगे न किसी भाजपाई झांसे में। युवा अगले हर चुनाव में भाजपा को बुरी तरह हराएंगे और हमेशा के लिए हटाएंगे।

अखिलेश यादव ने कहा कि युवा कह रहे हैं कि फीस के नाम पर जो पैसा लिया गया है कहीं वो भाजपा का चुनावी फंड न बन जाए, इसीलिए अभ्यर्थियों का फार्म जमा रहे लेकिन भाजपा सरकार फीस का पैसा अभी लौटाए और जब कभी दुबारा परीक्षा हो तो ऑन लाइन डिजिटल पेमेंट से तुरंत फिर से फीस ले ले।

भारत की तरक्की देख हैरान हुईं ब्रिटेन की डिप्टी पीएम पद की दावेदार, बोलीं- महिला सशक्तिकरण से आया बदलाव

ब्रिटेन की लेबर पार्टी की नेता और डिप्टी पीएम पद की दावेदार एंजेला रेनर भारत की तरक्की से काफी प्रभावित हैं। शनिवार को वे रायसीना डायलॉग सम्मेलन के सत्र में शामिल हुईं। सत्र से अलग मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत ने बीते वर्षों में काफी तरक्की की है और भारत की तरक्की में महिला सशक्तिकरण की अहम भूमिका है। एंजेला रेनर ने कहा कि वह चाहती हैं कि ब्रिटेन और भारत के संबंध मजबूत होने चाहिए और दोनों देशों को व्यापार समझौते पर आगे बढ़ना चाहिए।

‘भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए बनीं नीतियां’
एंजेला रेनर ने कहा कि ‘मैं पहली बार भारत साल 2007 में आई थी और तब से अब तक भारत में काफी बदलाव आ गया है और भारत आज दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। ये दिखाता है कि भारत ने कमाल की प्रगति की है।’ रेनर ने कहा कि भारत सरकार ने ऐसी नीतियां बनाई हैं, जिनसे महिलाओं की भूमिका को न सिर्फ समाज में बल्कि अर्थव्यवस्था में भी पहचान मिली है।

रेनर ने कहा कि अगर आपको आर्थिक रूप से मजबूत होना है तो महिलाओं को सशक्त करना होगा। लेबर पार्टी की नेता ने कहा कि ऐसे कानून बनाने की जरूरत हैं, जिससे महिलाओं को बढ़ावा मिल सके और कार्यस्थल, समाज और सत्ता के अन्य पदों पर उनकी सुरक्षा भी हो सके। एंजेला रेनर ने कहा कि हम ब्रिटेन में ऐसा ही कर रहे हैं। हमारे यहां ऐसे कानून हैं, जो महिलाओं को सुरक्षा देते हैं, उन्हें सशक्त करते हैं। हम ये सुनिश्चित भी करते हैं कि ये कानून ठीक से लागू भी हो।

एंजेला रेनर ने कहा कि मैं जानती हूं कि भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं पीएचडी कर रही हैं। अर्थव्यवस्था के लिहाज से ये बेहद अहम है। रेनर ने कहा कि भारत और ब्रिटेन को संबंध मजबूत करने चाहिए ताकि दोनों देशों का इसका फायदा मिले। ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों के योगदान की भी एंजेल रेनर ने तारीफ की और कहा कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग करीब एक लाख लोगों को रोजगार देते हैं।

36 फीसदी प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले, 27 फरवरी को चुनाव; 15 राज्यों का कच्चा चिट्ठा सामने आया

संसद में लाखों जनता के प्रतिनिधि बनकर पहुंचने वाले माननीय सांसदों पर भी आपराधिक मामले दर्ज होते हैं। एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि राज्यसभा में निर्वाचित होने के लिए उम्मीदवार बने 36 फीसदी प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। एडीआर ने 15 राज्यों के 58 प्रत्याशियों के शपथ पत्र का विश्लेषण करने के बाद बताया है

कि जिन उम्मीदवारों के शपथ पत्र का विश्लेषण किया गया है इनका औसत संपत्ति 127.81 करोड़ रुपये है। चुनाव से जुड़े तथ्यों का अध्ययन करने वाली संस्था- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार, कुल 59 प्रत्याशी चुनावी रेस में हैं, लेकिन कर्नाटक के कांग्रेस उम्मीदवार जी सी चन्द्रशेखर के शपथ पत्र का विश्लेषण नहीं किया जा सका। स्कैन किए गए दस्तावेजों को पढ़ा नहीं जा सका, इस कारण विश्लेषण में केवल 58 प्रत्याशी ही गिने गए।

जिन 36 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इनमें से 17 प्रतिशत व्यक्तियों पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं और एक उम्मीदवार पर हत्या के प्रयास से संबंधित मामले हैं। एडीआर के विश्लेषण के अनुसार, भाजपा के 30 उम्मीदवारों में से आठ (27 प्रतिशत), कांग्रेस के नौ उम्मीदवारों में से छह (67 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल- तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के चार उम्मीदवारों में से एक (25 प्रतिशत), तीन में से दो (67 प्रतिशत) समाजवादी पार्टी (एसपी) उम्मीदवारों में से एक (33 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस (वाईएसआरसीपी) के तीन उम्मीदवारों में से एक (33 प्रतिशत) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के दो उम्मीदवारों में से एक (50 प्रतिशत) प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज है।

इसके अलावा ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) के दो उम्मीदवारों में से एक (50 प्रतिशत), और एक (100 प्रतिशत) तेलंगाना में 10 साल तक सत्ता में रही भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) उम्मीदवार ने आपराधिक मामलों की जानकारी दी है। सभी नेताओं ने अपने हलफनामे में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होना स्वीकार किया है।

विश्लेषण के दौरान एडीआर ने उम्मीदवारों की वित्तीय पृष्ठभूमि का भी पता लगाया है। लगभग 21 प्रतिशत उम्मीदवार अरबपति हैं, जिनकी संपत्ति 100 करोड़ रुपये से अधिक है। राज्यसभा उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 127.81 करोड़ रुपये है।

सीएम शिंदे और उनके बेटे को धमकी देने वाला युवक गिरफ्तार, क्राइम ब्रांच ने पुणे से आरोपी को पकड़ा

मुंबई पुलिस की अपराध शाखा (क्राइम ब्रांच) ने पुणे से शनिवार को एक शख्स को गिरफ्तार किया। उस पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और सांसद श्रीकांत शिंदे को धमकी देने का आरोप है। पुलिस ने बताया कि आरोपी ने सोशल मीडिया के जरिए धमकी दी थी और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 (2) और 505 (1) (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। आगे की जांच जारी है।