Sunday , November 24 2024

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सरकार पर फिर लगे ’40 प्रतिशत कमीशन वाली गवर्नमेंट’ के आरोप, इस बार कांग्रेस फंसी

कर्नाटक सरकार पर एक बार फिर से भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। पिछली बार कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाए थे, इस बार वही कांग्रेस सत्ता में है और अब उस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। कर्नाटक की कॉन्ट्रैक्टर्स निकाय ने पिछली भाजपा सरकार पर उस वक्त बम फोड़ा था, जब उन्होंने भाजपा सरकार पर 40 प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप लगाए थे। अब एक बार फिर उसी कॉन्ट्रैक्टर्स निकाय ने कांग्रेस सरकार पर भी ऐसे आरोप लगा दिए हैं।

ठेकेदारों ने लगाए आरोप
कर्नाटक स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डी केम्पन्ना ने भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। अब उन्होंने कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि भ्रष्टाचार में कमी आयी है। बस पहले नेता पैसा बनाते थे, अब अधिकारी पैसा बना रहे हैं।’ एक अन्य सदस्य ने आरोप लगाया कि ‘अधिकारी बिना रिश्वत के वर्क ऑर्डर जारी नहीं करते और न ही पैसा जारी करते हैं। साथ ही ये भी आरोप लगाया कि बड़े ऑर्डर अधिकारियों के करीबियों को मिल रहे है, जबकि स्थानीय ठेकेदारों को नजरअंदाज किया जा रहा है।’

सीएम ने कहा सबूत पेश करें
ठेकेदारों के आरोपों पर सीएम सिद्धारमैया ने कहा पूर्व की सरकार में 40 प्रतिशत कमीशन के आरोपों की जांच के लिए जस्टिस नागमोहन दास कमीशन का गठन किया था। अगर ठेकेदारों के पास कोई सबूत है तो उन्होंने जस्टिस नागमोहन दास कमीशन के साथ इन्हें साझा करना चाहिए।

भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर बोला हमला
वहीं भाजपा ने इसे लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक सीएन अश्वत नारायण ने कहा कि ‘कांग्रेस पार्टी ने हमारी सरकार पर झूठे आरोप लगाए थे। अब कांग्रेस सरकार में असली भ्रष्टाचार हो रहा है। जिन ठेकेदारों ने कांग्रेस के साथ मिलकर आरोप लगाए, अब उन्हें कांग्रेस सरकार में उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।’ उल्लेखनीय है कि साल 2022 में ठेकेदारों के आरोपों के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर तीखा हमला बोला था और भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी ये मुद्दा खूब उछला और इसके चलते भाजपा को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था।

हल्द्वानी हिंसा को लेकर विपक्ष का BJP पर ध्रुवीकरण करने का आरोप, भाजपा ने बताया साजिश

भाजपा के कई सांसदों ने शुक्रवार को उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुए हिंसा को षड़यंत्र बताया है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है। वहीं शिवसेना नेताओं ने भगवा पार्टी पर लोकसभा चुनाव में लाभ के लिए ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया है।
गुरुवार को हुए हिंसा को लेकर भाजपा के राज्य सभा सांसद हरनाथ यादव ने कहा, ‘हल्द्वानी की घटना एक साजिश है। इसमें बम, देशी पिस्तौल और अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। सरकारी अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर हमला भी किया गया। दंगाइयों को देखते ही उन्हें गोली मारने का आदेश देना चाहिए। उनके साथ नरमी बरतने की कोई जरूरत नहीं है।’

उत्तर प्रदेश के सांसद ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को सभी घरों की तलाशी लेनी चाहिए और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस घटना को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने इसके लिए भाजपा द्वारा बनाए गए ध्रुवीकरण को जिम्मेदार ठहराया है।

शिवसेना नेता ने कहा भाजपा की ध्रुवीकरण का परिणाम
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘जब इरादा सिर्फ ध्रुवीकरण का हो तो यही होता है। कर्फ्यू लगा दिया गया है। मणिपुर की घटनाओं को देखिए। हर राज्य में भाजपा ने ऐसी स्थिति बना दी है, जहां उन्हें ध्रुवीकरण से लाभ मिले। मुझे उम्मीद है कि गृह मंत्री संज्ञान लेंगे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर पुलिस पर हमला किया जा रहा है तो यह बहुत शर्मनाक है। यह दर्शाता है कि भाजपा शासित प्रदेशों में गुंडागर्दी का बोलबाला है।’

राज्य सभा सांसद बृज लाल ने कहा कि अतिक्रमण हटाना सही है। यहां तक की पहाड़ों में भी उन्होंने मजारें बना रखी है। उन्होंने आगे कहा, ‘हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिंसा में शामिल लोगों को जेल में डाल देना चाहिए। उत्तराखंड सरकार ऐसा जरूर करेंगी। यह एक साजिश है, यह खुद से शुरू नहीं हो सकता है।’ सांसद ने हिंसा के दौरान फायरिंग नहीं करने के लिए उत्तराखंड पुलिस की सराहना भी की है।

भाजपा ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण साजिश
भाजपा सांसद अशोक बाजपेयी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और साजिश बताया है। उन्होंने कहा, ‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि यह कोई साजिश थी। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पर्चों को फाड़ दिया गया था। पथराव, पेट्रोल बम और फायरिंग की गई है। इस घटना में पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।’

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए ईसी ने जारी किया डेटा, इस साल 97 करोड़ मतदाता डालेंगे मतदान

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बताया कि इस साल लोकसभा चुनाव में 97 करोड़ भारतीय मतदान करने के पात्र हैं। उन्होंने बताया कि 18 से 29 साल की उम्र वाले दो करोड़ से ज्यादा युवा मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल किया गया है 2019 से पंजीकृत मतदाताओं में छह फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दुनिया के सबसे बड़े मतदाता वर्ग 96.88 करोड़ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मतदान करने के लिए तैयार हैं। पोल पैनल ने बताया कि लिंक अनुपात 2023 में 940 से बढ़कर 2024 में 948 हो गया है।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पुणे में एक संवाददाता सम्मेलन में राजनीतिक दलों की भागीदारी के साथ-साथ मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए विभिन्न कामों के बारे में जानकारी दी थी। महिला मतदाताओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। घर-घर जाकर जांच करने के बाद 1,65,76,654 मृतकों, स्थानांतरित और फर्जी मतदाताओं के नाम को सूची से हटा दिया गया है।

‘OPS की मांग कर रहे कर्मचारियों से बातचीत जारी’, विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बोले पीयूष हजारिका

असम विधानसभा सत्र के दौरान संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने शुक्रवार को कहा कि पुरानी पेंशन योजना(ओपीएस) की बहाली की मांग करने वाले कर्मचारियों के साथ राज्य सरकार लगातार बातचीत कर रही है। राज्य में एनपीएस पर कर्मचारियों की शिकायतों का मामला असम गण परिषद (एजीपी) विधायक रामेंद्र नारायण कलिता ने सदन में उठाया, जिन्होंने कहा कि अगर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल किया जाता है तो कर्मचारियों को अधिक लाभ होगा।

सदन में ओपीएस पर पीयूष हजारिका का बयान
सरकार की ओर से जवाब देते हुए पीयूष हजारिका ने कहा कि एनपीएस को ओपीएस के प्रावधानों के आधार पर तैयार किया गया था। नई प्रणाली में ग्रेच्युटी भुगतान और पारिवारिक पेंशन सहित अन्य प्रावधान हैं, जैसा कि ओपीएस के तहत था। मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि एनपीएस के तहत,

किसी कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत पेंशन फंड में जमा किया जाता है, जिसमें सरकार भी उतना ही योगदान देती है। एक कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के समय अर्जित राशि का 60 प्रतिशत भुगतान किया जाता है और शेष 40 प्रतिशत से अधिक पेंशन का भुगतान किया जाता है, जिसका उपयोग वार्षिकी खरीदने के लिए किया जाता है।

इस मुद्दे पर अपनी चर्चा जारी रखेंगे- हजारिका
सरकार की तरफ से बोलते हुए पीयूष हजारिका ने कहा कि जिन लोगों की सेवा के 30-32 साल बचे हैं, उन्हें एनपीएस के तहत लाभ होगा। शायद, कम सेवा शर्तों वाले लोगों को कुछ समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के वित्त मंत्री अजंता नियोग ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग करने वाले संगठनों के साथ बैठक की है, मामले पर विचार करने का आश्वासन दिया है।

साथ ही उन्होंने सदन में कहा कि हम इस मामले पर अपनी चर्चा जारी रखेंगे। पीयूष हजारिका ने कहा कि राज्य के वित्त मंत्री पहले ही ओपीएस को वापस लाने की मांग पर कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर चुके हैं।

‘उन्होंने कभी अवॉर्ड के लिए काम नहीं किया’; पिता को भारत रत्न मिलने पर बेटी ने जताई खुशी

केंद्र सरकार ने भारत में कृषि क्रांति के जनक और प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानिक करने का एलान किया है। केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वामीनाथन की बेटी डॉ. सैम्या स्वामीनाथन ने स्वागत किया है।

स्वामीनाथन की बेटी ने केंद्र सरकार के फैसले का किया स्वागत
सैम्या स्वामीनाथन ने बताया कि उनके पिता इस सम्मान से बहुत खुश होते। उन्होंने अवॉर्ड पाने के लिए कभी काम नहीं किया। पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व उप महानिदेशक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि वह बहुत खुश है और इस बात पर गर्व महसूस कर रही है कि उनके पिता के कार्यों को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सराहा जा रहा है। उन्होंने आगे कहा, ‘केंद्र सरकार के इस फैसले ने केवल उनके परिवार और दोस्तों को खुश नहीं किया, बल्कि देश की युवा पीढ़ी के लिए एक संदेश है कि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर समाज को लाभ पहुंचा सकते हैं।’

सौम्या ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि अगर यह खबर उनके जीवनकाल में आती तो वे भी बहुत खुश होते। उन्होंने कभी अवॉर्ड के लिए काम नहीं किया। उनके पास कई अवॉर्ड और इनाम आए, लेकिन वे केवल अपने काम के परिणाम से प्रेरित होते रहें।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामीनाथन ने कृषि और किसान कल्याण के लिए अतुल्नीय योगदान दिया है।

खाने की कमीं नहीं होने के उद्देश्य से की थी कृषि की पढ़ाई
एमएस स्वामीनाथन ने देश में खाने की कमी न होने के उद्देश्य से कृषि की पढ़ाई की थी। दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1943 में बंगाल में भीषण अकाल पड़ा था, जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया। इसे देखते हुए उन्होंने 1944 में मद्रास एग्रीकल्चरल कॉलेज से कृषि विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। 1947 में वह आनुवंशिकी और पादप प्रजनन की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) आ गए। उन्होंने 1949 में साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपना शोध आलू पर किया था।

बिहार की पूर्व CM राबड़ी देवी और मीसा-हेमा को राहत, कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से फौरी राहत मिल गई है। कोर्ट ने रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले के मामले में तीनों को 28 फरवरी तक अंतरिम जमानत दे दी है।

  • विशेष कोर्ट ने भी किया था समन
  • विशेष कोर्ट (धन शोधन निवारण अधिनियम) ने मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत के बाद बिहार की लालू परिवार के कई सदस्यों को समन किया था। इसमें लालू यादव की पत्नी राबड़ी, उनकी बेटियां मीशा और हेमा शामिल थीं।
  • जानकारी के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 8 जनवरी, 2024 को पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत अमित कत्याल, राबड़ी देवी, मिशा भारती, हेमा यादव, हृदयानंद चौधरी और दो कंपनियों मेसर्स ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स ए बी एक्सपोर्ट्स प्रा. लिमिटेड के खिलाफ अभियोजन शिकायत (पीसी) दाखिल की थी।
  • शिकायत नौकरी के लिए भूमि घोटाले मामले में विशेष न्यायालय (पीएमएलए) नई दिल्ली के समक्ष पेश की गई। विशेष कोर्ट ने 27 जनवरी को इस पर संज्ञान लिया और आरोपी व्यक्तियों को आगे की सुनवाई के लिए 9 फरवरी को उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किया था।

ईडी ने किया था बड़ा दावा
उधर, ईडी ने बिहार में जमीन के बदले नौकरी मामले में बड़ा दावा किया था। ईडी के अनुसार राजद प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्ययमंत्री राबड़ी देवी की गौशाला के एक पूर्व कर्मचारी ने रेलव में नौकरी पाने के इच्छुक व्यक्ति से संपत्ति हासिल की और बाद में उसे लालू-राबड़ी दंपती की पुत्री हेमा यादव को सौंप दी। केंद्रीय एजेंसी ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली की एक अदालत में आरोप-पत्र दायर किया था, जिसमें कुछ बाहरी लोगों के अलावा लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों राबड़ी देवी, मीसा भारती हेमा यादव को आरोप बनाया गया है।

क्या है मामला?
केंद्रीय एजेंसी ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली की एक कोर्ट के सामने एक आरोप-पत्र दायर किया था, जिसमें कुछ अन्य लोगों के अलावा लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों राबड़ी देवी और उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को आरोपी बनाया गया था। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी की ‘गौशाला’ के एक पूर्व कर्मचारी ने रेलवे में नौकरी के इच्छुक एक व्यक्ति से संपत्ति हासिल की और बाद में इसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया।

कात्याल को ईडी ने पिछले साल नवंबर में धनशोधन में लालू प्रसाद और उनके परिवार की जानबूझकर सहायता करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद है। सोमवार को ईडी ने मामले की जांच के तहत अपने पटना कार्यालय में 75 वर्षीय लालू प्रसाद से पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया। उनके बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को पटना बुलाया गया है।

एससी-एसटी कोटे के अंदर उपवर्ग बनाने के मुद्दे पर आदेश सुरक्षित; संविधान पीठ कर रही है सुनवाई

एससी-एसटी आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की वैधता से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। शीर्ष कोर्ट की सात न्यायधीशों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की सात सदस्यीय संविधान पीठ इस प्रश्न की जांच कर रही है कि क्या राज्य के पास एससी-एसटी कोटे के अंदर कोटा देने की वर्गीकृत शक्ति है। पीठ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 2010 में आए एक फैसले के खिलाफ 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

कनाडा के चुनाव में भारत के दखल के आरोप पर विदेश मंत्रालय का जवाब, कहा- यह हमारी नीति नहीं

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बाद से ही भारत और कनाडा के रिश्ते में दरार आ गई थी। कनाडा के पीएम ट्रूडो ने कनाडाई संसद के भीतर भारत की खुफिया एजेंसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि निज्जर की मौत के पीछे भारतीय एजेंसी है। हालांकि भारत ने इस आरोपों को खारिज किया था और कनाडा से सबूत पेश करने की बात कही थी। लेकिन कनाडा लगातार भारत पर आरोप लगाता रहा है। इसी बीच, कनाडा ने चुनावों में भारतीय हस्तक्षेप की बात कही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की भारत की नीति नहीं है।

लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप की हमारी नीति नहीं- जयसवाल
इन आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने प्रेसवार्ता में कहा कि हमने एक मीडिया रिपोर्ट देखी है, जिसमें कहा गया कि कनाडा के चुनावों में भारतीय हस्तक्षेप किए जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि हम इस तरह के आरोपों को खारिज करते हैं। भारत किसी भी लोकतांत्रित प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता है, यह हमारी नीति नहीं है। कनाडा पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि कनाडा ही हमारे आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी कर रहा है। हमने लगातार उनके सामने इस मुद्दों के कई बार उठाया। उन्होंने कहा कि हम कनाडा से हमारी चिंताओं के समाधान का आग्रह करते हुए और उम्मीद करते हैं कि इस मुद्दों पर प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

अमेरिका में भारतीय छात्रों की मौत पर जांच
अमेरिका में भारतीय छात्रों की मौत पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि पांच छात्रों की मौत हुई है, पांच में से दो भारतीय छात्र थे और बाकी तीन भारतीय मूल के थे। रणधीर जयसवाल ने बताया कि भारतीय अमेरिकी नागरिक विवेक सैनी की हत्या के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारी जांच कर रहे हैं। वहीं अन्य मामले में हम मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। हम भारतीय नागरिकों के मामलों में स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में हैं।

विनय मोहन क्वात्रा का जापान दौरा
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने जापान के विदेश मंत्रालय में अपने समकक्षों के साथ उप मंत्रिस्तरीय संवाद और विदेश कार्यालय परामर्श के लिए 7-8 फरवरी 2024 को टोक्यो का दौरा किया। अपनी जापान यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने जापान के विदेश मामलों के उप मंत्री मसाताका ओकानो के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की। इस वार्ता में राजनीतिक संबंधों, रक्षा और सुरक्षा, व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकियों सहित भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के सभी क्षेत्रों की समीक्षा की गई। इस दौरान दोनों पक्ष संबंधों का दायरा और गहराई दोनों बढ़ाने पर सहमत हुए।

क्या पार्टी आपका प्रधानमंत्री बनना बर्दाश्त करेगी? देवगौड़ा ने कांग्रेस प्रमुख से पूछा सवाल

आगामी आम चुनाव से पहले सियासी दलों के एक-दूसरे पर हमले तेज हो गए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने गुरुवार को कांग्रेस की आलाकमान संस्कृति पर निशाना साधा। उन्होंने पार्टी के प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे से सवाल किया कि क्या उनकी पार्टी उनका देश का प्रधानमंत्री बनना बर्दाश्त करेगी।

देवगौड़ा राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों के विदाई समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने खरगे की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई कि उन्होंने अपने जीवन के अंतिम चरण में अपना सियासी रास्ता बदल दिया। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका समर्थन भाजपा को कुछ कांग्रेस से बचाने के लिए था, जो इसे बर्बाद करना चाहते थे।

पूर्व प्रधानमंत्री ने खरगे की ईमानदारी और अपने सियासी करियर के दौरान दिए उन्हें दिए समर्थन को स्वीकार किया। लेकिन, उन्होंने 2019 में कांग्रेस-जेडी (एस) सरकार के पतन के लिए कुछ कांग्रेस नेताओं को दोषी ठहराया। जेडी (एस) का नेतृत्व एचडी कुमारस्वामी ने किया था। उन्होंने दावा किया कि उनके इस सुझाव के बावजूद कि खरगे को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनना चाहिए, कांग्रेस आलाकमान ने जोर दिया कि उनके बेटे कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री होना चाहिए। उन्होंने कहा, “तेरह महीनों के भीतर उन्हें (कुमारस्वामी) को किसने हटाया? वे खरगे नहीं, बल्कि कांग्रेस के नेता थे।”

देवगौड़ा ने आगे कहा, “मिस्टर खरगे, क्या आप इस देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं? क्या कांग्रेस इसे बर्दाश्त करेगी? कृपया मुझे बताएं। मैं कांग्रेस को जानता हूं।” उन्होंने कहा, “खरगे एक साफ-सुथरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने करीब 35-40 वर्षों तक काम किया है। लेकिन क्या हुआ जब किसी ने प्रधानमंत्री बनने या नेता बनने के लिए आपका नाम लिया? उन्होंने आगे कहा कि वह कभी भी अपने निजी लाभ के लिए एक पार्टी से दूसरी पार्टी में नहीं गए हैं।”

देवगौड़ा ने कहा, “मैं अपनी पार्टी को बचाना चाहता हूं। जबकि, कुछ कांग्रेसी पार्टी को बर्बाद करना चाहते हैं। मैंने भाजपा को समर्थन देने का फैसला लिया है। यही एकमात्र वजह है।” उन्होंने खरगे की ओर मुड़ते हुए कहा कि यह निजी लाभ के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिखाया गया प्रेम और स्नेह ही एकमात्र ऐसी चीज है, जो मुझे प्रधानमंत्री से निजी लाभ के रूप में मिली है।

उन्होंने आगे कहा, “मैंने अपने बेटे कुमारस्वामी को भाजपा के साथ जाने को कहा था। उस दिन मैंने उनसे कहा था कि कांग्रेस आपको आगे नहीं बढ़ने देगी।” उन्होंने यह भी दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी कांग्रेस के उन शीर्ष नेताओं की गलती के लिए रोए थे। देवगौड़ा ने कहा, “एक व्यक्ति जिसने इस देश पर दस वर्षों तक शासन किया। जिसने देश को कर्ज के जाल से बचाया। जिसने पूरी ईमानदारी से देश सेवा की। वह उस स्थिति में रोया जब लोकसभा में 2जी स्पेक्ट्रम पर चर्चा हो रही थी।”

प्रधानमंत्री मोदी की जाति को लेकर राहुल के बयान पर BJP का पलटवार, कहा- 1999 से ही OBC में अधिसूचित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते बुधवार राज्यसभा में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल में विकास धीमा हुआ था, लेकिन हमने रफ्तार को बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पिछड़े वर्गों के लोगों को आगे बढ़ाना ही नहीं चाहती है। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए किया और कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने खुद की जाति को ओबीसी में शामिल किया था। वायनाड सांसद के दावे में कितनी सच्चाई है, आइए जानते हैं।

पीएम मोदी जन्म से पिछड़ी जाति से नहीं- राहुल गांधी
सबसे पहले यह जानते हैं कि राहुल गांधी ने अपने बयान में क्या कहा था। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि ‘पीएम मोदी जन्म से पिछड़ी जाति से नहीं हैं। वे गुजरात की ‘तेली’ जाति में पैदा हुए थे। उस समुदाय को साल 2000 में भाजपा ने ओबीसी में शामिल किया। वे (पीएम मोदी) सामान्य वर्ग में पैदा हुए थे। वे कभी भी जातिगत जनगणना को नहीं कराएंगे क्योंकि वे ओबीसी में पैदा नहीं हुए थे। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी खुद को ओबीसी बताकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

सीएम बनने से पहले ही ओबीसी में शामिल थी जाति- भाजपा
पीएम मोदी की जाति को लेकर दिए गए राहुल गांधी के बयान को भाजपा ने खारिज कर दिया है। भाजपा ने कहा कि राहुल गांधी लोगों के बीच भ्रम और झूठ फैला रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी जाति को गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल नहीं किया था। भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करते हुए कहा कि राहुल गांधी झूठ बोलते हैं। पीएम मोदी की जाति को उनके गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से दो साल पहले 27 अक्तूबर, 1999 को ओबीसी के रूप में अधिसूचित किया गया था। भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक पूरा नेहरू-गांधी परिवार ओबीसी के खिलाफ रहा है।