Sunday , November 24 2024

देश

‘असफल हुए तो मोदी के गुलाम बन जाएंगे’, न्याय संकल्प कार्यकर्ता सम्मेलन में पीएम मोदी पर बरसे खरगे

दिल्ली में ‘न्याय संकल्प कार्यकर्ता सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘ये लड़ाई संविधान और लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है, अगर आप इसमें असफल हुए तो आप हमेशा के लिए मोदी के गुलाम बन जाओगे।’ खरगे ने भाजपा पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया और मोदी सरकार पर अपने वादे पूरे न करने का भी आरोप लगाया।

पीएम मोदी पर बरसे खरगे
सम्मेलन को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा ‘उन्होंने (भाजपा) हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, कहां हैं वो नौकरियां? हम उन्हें (पीएम मोदी) क्या ‘झूठों का सरदार’ कहें।’ खरगे ने कहा कि ‘आज हर अखबार में मोदी की गारंटी लिखा रहता है। मोदी जी की गारंटी थी कि हर साल दो करोड़ नौकरियां, लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपये, लेकिन मोदी ने कुछ नहीं दिया। कांग्रेस ने जो भी वादा किया, उसे पूरा करके दिखाया। उन्होंने हमारे किसानों को धोखा दिया, युवाओं, महिलाओं को धोखा दिया।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा ‘सबका साथ, सबका विकास लेकिन मोदी ने कर दिया सबका सत्यानाश।’ खरगे ने कहा ‘मोदी जी बात नहीं करते अंदर से सबको काट देते हैं। मुंह में राम बगल में छुरी रख के निकलते हैं और सबको काटते फिरते हैं…हमने मोहब्बत की दुकान खोली है, लेकिन उन्होंने बदले की और नफरत की दुकान खोली हुई है।’

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के अभियान का आगाज
न्याय संकल्प कार्यकर्ता सम्मेलन के साथ ही कांग्रेस ने अपने लोकसभा चुनाव अभियान का आगाज कर दिया है। पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर स्थित रामलीला मैदान में न्याय संकल्प सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सम्मेलन में 20 हजार के करीब कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पास जारी किए गए थे।

भारत की गोर्खाली बेटी ने अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा, दिया यह संदेश

निश्चित ही यह एक बड़ी कामयाबी है। साथ ही यह गर्व और खुशी का पल भी है, क्योंकि अब यहां पर भी मेरे देश भारत का तिरंग हमेशा लहराता रहेगा। अगर आप सही दिशा में ऊर्जा लगाएंगे तो हर सपना साकार हो होगा। जब आप अपने मंजिल पर पहुंच जाते हैं, तब आपकी सारी थकान दूर हो जाती है। अपनी खुशी को कुछ इस तरह से बयां करती हैं, मनिता प्रधान।

सिक्किम की 38 वर्षीय पर्वतारोही मनिता ने 31 जनवरी को दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकॉनकागुआ को फतह किया। बैस कैंप से अमर उजाला से खास बातचीत में मनिता ने कहा, माउंट एकॉनकागुआ पर चढ़ना पृथ्वी के सात महाद्वीपों में से प्रत्येक के सबसे ऊंचे पर्वत “सेवन समिट्स” को जीतने और खोज का हिस्सा है। मनिता कहती हैं, बेटियां आज सपने बुन भी रही हैं और उसे साकार करके भी दिखा रही हैं। आज भारत की बेटियां किसी से कम नहीं हैं, हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। उन्होंने इस सफलता में सहयोग के लिए सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम तमांग का आभार जताया।

मनिता ने जोड़ी एक नई शिखर, अलगा लक्ष्य भी तय
एकॉनकागुआ की चढ़ाई के साथ ही भारत के सिक्किम की पर्वतारोही गोर्खाली बेटी मनिता प्रधान ने दुनिया के प्रत्येक महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों, सेवन समिट्स को जीतने की
अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा में एक और शिखर जोड़ लिया है। मनिता ने बताया कि एकॉनकागुआ की चढ़ाई साथी पर्वतारोहियों के साथ 16 दिसंबर को शुरू की थी और 31 जनवरी, 2024 को वे एकॉनकागुआ पर तिरंग फहराने में कामयाब हुईं। यह दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी 6,962 मीटर (22,837 फीट) है। उन्होंने बताया अगला लक्ष्य उत्तरी अमेरिका में माउंट डेनाली और अंटार्कटिका में माउंट विंसन मासिफ और इंडोनेशिया में कार्स्टेंस पिरामिड की चढ़ाई के साथ प्रोजेक्ट सेवन समिट को पूरा करना होगा। मनिता कहती हैं, बेटियां आज सपने बुन रही हैं और उसे साकार करके भी दिखा रही हैं। मनिता ने कहा, आज भारत की बेटियां किसी से कम नहीं हैं, हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं।

फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा
अपनी यात्रा के बारे में मनिता बताती हैं कि 2011 में एचएमआई दार्जिलिंग से बेसिक, एडवांस और मेथड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स पूरा करने के बाद, उन्होंने 2013 में माउंट मणिरंग 6593 मीटर पर चढ़कर अपनी चढ़ाई यात्रा शुरू की। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मनिता ने बताया कि इससे पहले दस शिखरों पर चढ़ाई कर चुकी हैं। इनमें सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (2021), माउंट एल्ब्रस (2022), त्रिशुल, भागीरथी और माउंट किलिमंजारो (2022) सहित कई अन्य चोटियां शामिल हैं। ये सभी 6000 मीटर से ऊंची हैं।

अंतिम परिणाम के लिए भी रहना पड़ता है तैयार

  • मनिता ने युवा पर्वतारिहियों के लिए कहा, यह बहुत ही साहसिक खेल है, जिसमें भारी जोखिम शामिल है और कभी-कभी अंतिम परिणाम का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए नए पर्वतारियों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
  • सुरक्षा को बाकी सब से ऊपर प्राथमिकता दें। उचित चढ़ाई तकनीक, और बचाव प्रक्रियाएं सीखें। कभी भी अपनी सीमाओं को अपने कौशल या सुविधा क्षेत्र से आगे न बढ़ाएं।
  • पहाड़ का सम्मान करें. मौसम की स्थिति, इलाके के खतरों और संभावित खतरों से सावधान रहें। प्रकृति की शक्ति को कम मत आंकिए।
  • एक जिम्मेदार साथी या समूह के साथ चढ़ें। कभी भी अकेले चढ़ाई न करें, विशेषकर सुदूर या चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में। स्पष्ट संचार रखें और एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार रहें।
  • केवल ताकत पर नहीं, बल्कि तकनीक पर ध्यान दें। दक्षता और सुरक्षा के लिए अच्छा फुटवर्क, संतुलन और शरीर की स्थिति महत्वपूर्ण है।
  • अनुभवी पर्वतारोहियों या प्रशिक्षकों से मार्गदर्शन लें। वे बहुमूल्य प्रतिक्रिया प्रदान कर सकते हैं और आपको सुरक्षित रूप से प्रगति करने में मदद कर सकते हैं।
  • केवल शिखर का नहीं, बल्कि प्रक्रिया का आनंद लें।
  • मानसिक लचीलापन विकसित करें। चढ़ाई शारीरिक और मानसिक रूप से कठिन हो सकती है। डर, आत्म-संदेह और थकान को हराना सीखें।
  • धैर्यवान और दृढ़ रहें। प्रगति में समय और प्रयास लगता है। छोटी-छोटी जीत का जश्न मनाएं और असफलताओं से सीखें।

बेल्जियम के नागरिक पर FIR मामले में बड़ा आदेश, तमिलनाडु में दर्ज प्राथमिकी रद्द होगी

सुप्रीम कोर्ट ने लगभग छह साल पहले हुई मौतों के मामले में बड़ा आदेश पारित किया है। 2018 में तमिलनाडु की कुरंगानी पहाड़ियों में 13 लोगों की मौत के मामले में तमिलनाडु पुलिस ने बेल्जियम के नागरिक- पीटर वान गीत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद प्राथमिकी और सभी कानूनी कार्यवाहियों को रद्द किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक पर्वतारोहण / ट्रेकिंग के दौरान जंगली आग की चपेट में आने के कारण 13 लोगों की मौत हो गई थी शीर्ष अदालत में जस्टिस बीवी नागरत्ना और एजी मसीह की पीठ ने बेल्जियम के नागरिक को राहत देने का आदेश पारित किया। इससे पहले मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने 20 अगस्त, 2022 को बेल्जियन नागरिक को राहत देने से इनकार कर दिया था।

बेल्जियम के नागरिक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की खंडपीठ ने कहा, पर्वतारोहण / ट्रेकिंग कर रहा दल दुर्भाग्य से जंगल की आग में घिर गए। मौत केवल दुर्घटना है। इससे अपीलकर्ता (बेल्जियम के नागरिक) की किसी लापरवाही या आपराधिक इरादे की पुष्टि नहीं होती। अपीलकर्ता की उन ट्रेकर्स की मृत्यु में कोई भूमिका नहीं थी। जंगल की आग प्राकृतिक कारणों से लगी।

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर राहत देने का एलान करते हुए शीर्ष अदालत ने नोट किया कि लगभग छह साल पहले 11 मार्च, 2018 को हुए हादसे में 13 लोगों की मौत हुई, जबकि कई लोग घायल भी हुए। हादसे के बाद 12 मार्च, 2018 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि ट्रेकिंग अभियान में शामिल लोग जंगल की आग में फंस गए थे और जान बचाकर जंगल से भागने में सफलता नहीं मिली। आग की चपेट में आए ट्रेकर चारों दिशाओं से लगी आग की चपेट में आ गए। नतीजतन 13 लोगों की मौत के मामले में बेल्जियम के नागरिक का कोई दोष साबित नहीं होता।

सपा के टिकट घोषित होने पर कांग्रेस ने साधी चुप्पी, प्रदेश कमेटी ने मांगी दावेदारों की सूची

सपा की तरफ से संभल सीट के लिए टिकट घोषित होने के बाद कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेताओं ने चुप्पी साध ली है लेकिन कांग्रेस अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। प्रदेश में मुरादाबाद मंडल ऐसा रहा, जहां 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक सीट भी नसीब नहीं हुई। इसका मुख्य कारण सपा के साथ बसपा और रालोद का गठबंधन था।

2024 के लोकसभा चुनाव में सपा से बसपा अलग होकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। सपा ने बसपा की जगह कांग्रेस और रालोद का गठबंधन बनाया है लेकिन गठबंधन की बैठक से पहले सपा ने 16 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। इसमें मुरादाबाद मंडल की एक सीट संभल शामिल है।

लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने किसी प्रकार रामपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। सपा के प्रत्याशी घोषित होने पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि वह कुछ नहीं बोलेंगे। पार्टी आलाकमान से सीट शेयरिंग के मामले में वार्ता चल रही है लेकिन कांग्रेस यूपी जोड़ो यात्रा के माध्यम से मुरादाबाद मंडल का दौरा कर चुकी है।

भाजपा के खिलाफ हर मुद्दे पर कांग्रेस धरना प्रदर्शन के माध्यम से विरोध जारी रखे हुए है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर लोकसभा चुनाव की तैयारी पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी कर रहे हैं।इधर सपा के जिलाध्यक्ष डीपी यादव का कहना है कि सपा प्रदेश में 70 सीटें जीतेगी। मुरादाबाद मंडल पर इंडिया गठबंधन का कब्जा होगा। भाजपा कुछ नहीं कर पाएगी। सपा ने प्रत्येक विधानसभा में अपने पदाधिकारियों को बूथ स्तर तक मजबूत करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के जिलाध्यक्षों ने दावेदारों की सूची प्रदेश अध्यक्ष को सौंप दी है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दावेदारों की सूची मांगी
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मुरादाबाद मंडल के प्रत्येक जिलों के जिलाध्यक्षों से दावेदारों की सूची मांगी है। सूची में दावेदारों का बायोडाटा दिया जाएगा। इसमें मोबाइल नंबर, उम्र, राजनीतिक-सामाजिक गतिविधियां, पता, जाति, शिक्षा, लोकसभा एवं जनपद का नाम शामिल होगा। कांग्रेस की प्रदेश स्तर की कमेटी दावेदारों के बारे में मंथन करेगी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के लिए तैयारी कर रही है। इसी कारण प्रत्येक ब्लॉक में दो फरवरी से कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं।

इन सीटों पर फंसा पेंच, क्या चुनाव से पहले बढ़ेगी अखिलेश और जयंत की टेंशन?

लोकसभा चुनाव के लिए सपा-रालोद के बीच सीटों का गणित लगभग तय है। लेकिन समाजवादी पार्टी सियासी रण में रालोद के हिस्से की चार सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती है, जिससे गठबंधन में असमंजस का माहौल है। हाथरस सुरक्षित और मुजफ्फरनगर सीट पर अंतिम सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि, रालोद ने बिजनौर और कैराना में सपा के उम्मीदवारों पर हामी भर दी है।

सियासी रण में गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सीटों को लेकर खींचतान जारी है। रालोद के हिस्से में मुजफ्फरनगर, हाथरस सुरक्षित, मेरठ, बागपत, कैराना, बिजनौर और मथुरा सीट तय है। लेकिन सपा के दांव से रालोद के रणनीतिकार असहज है। सपा ने कैराना, बिजनौर, मुजफ्फरनगर और हाथरस सुरक्षित सीट पर अपने प्रत्याशी रालोद के सिंबल पर लड़ाने की रणनीति तैयार की है।सपा चाहती है कि कैराना और बिजनौर के अलावा हाथरस और मुजफ्फरनगर में भी उसके प्रत्याशी ही रालोद से चुनाव मैदान में उतरें। यहीं पर पेंच फंस गया है। अगर ऐसा हुआ तो रालोद के हिस्से में पिछले चुनाव की तरह सिर्फ तीन सीटें ही बचेंगी।

छपरौली में 12 फरवरी को मंथन
रालोद के रणनीतिकार 12 फरवरी को छपरौली में जुटेंगे। यहां दिवंगत केंद्रीय मंत्री अजित सिंह की प्रतिमा का अनावरण होगा। यहीं पर लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर भी मंथन किया जाएगा।

साक्षी मलिक को अखाड़े में उतारने की तैयारी
मुजफ्फरनगर सीट पर गठबंधन से सबसे चौंकाने वाला नया नाम ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक का भी चर्चा में शामिल हो गया है। रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह की पत्नी चारू चौधरी अगर चुनाव नहीं लड़ती तो बागपत या मुजफ्फरनगर से साक्षी मलिक के नाम पर भी मुहर लग सकती है। इसके अलावा पहलवान बजरंग पूनिया, बिजनौर के अभिनेता सुशांत सिंह का नाम भी रालोद के खेमे से आगे बढ़ाया जा रहा है।

सांगवान और चढूनी भी बागपत के दावेदार
किसान आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गुरनाम चढूनी और रालोद के पुराने नेता राजकुमार सांगवान भी बागपत से टिकट के दावेदार हैं। रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह और उनकी पत्नी चारू चौधरी के चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में दोनों विकल्प के तौर पर देखे जा रहे हैं। चर्चा यह भी है कि अगर चौधरी परिवार ने चुनाव नहीं लड़ा तो हरियाणा के किसी उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाएगा, इनमें कोई सेलिब्रेटी भी शामिल हो सकता है।

मुजफ्फरनगर से इनके नाम सबसे आगे
गठबंधन में मुजफ्फरनगर सीट पर सपा के कोटे से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक दावेदार हैं। जबकि रालोद से ओलंपियन साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, शामली विधायक प्रसन्न चौधरी, पूर्व मंत्री योगराज सिंह, मनीषा अहलावत के नाम पर भी चर्चा चल रही है।

असम सरकार बहुविवाह पर लगाएगी प्रतिबंध, बजट सत्र में पेश होगा विधेयक; जानिए क्या बोले सीएम सरमा

जहां एक तरफ उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी कर रही है वहीं असम सरकार बहुविवाह पर लगाम लगाने वाले विधेयक की चर्चाओं को लेकर सुर्खियों में हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार को कहा कि असम सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र के दौरान राज्य में बहुविवाह को खत्म करने के लिए एक विधेयक पेश करेगी। उन्होंने कहा कि विधेयक के मसौदे की फिलहाल कानून विभाग द्वारा जांच की जा रही है।

बजट सत्र में करेंगे बहुविवाह प्रतिबंध विधेयक को पेश- सरमा
पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान हम राज्य में बहुविवाह को रोकने के लिए एक कानून लाने के लिए तैयारी कर रहे हैं, जो जांच के लिए कानून विभाग के पास है। साथ समान नागरिक संहिता(यूसीसी) पर बोलते हुए हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि हम इस पर विचार कर रहे हैं। साथ ही कहा कि उनकी सरकार उत्तराखंड में लागू होने वाले समान नागरिक संहिता(यूसीसी) का इंतजार कर रही है।

यूसीसी की संभावनाओं को तलाशेंगे- सरमा
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर बोलते हुए हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि हम विधेयक को पहले समझेंगे और देखेंगे कि क्या हम इसे पूरी तरह से लागू कर सकते हैं। फिर हम उसके अनुसार आगे की ओर बढ़ेंगे। गौरतलब है कि असम विधानसभा का बजट सत्र पांच फरवरी से शुरू होने जा रहा है। अगले वित्त वर्ष का बजट 12 फरवरी को पेश किया जाएगा।

स्वदेशी समुदायों का धर्मांतरण किया जा रहा- सरमा
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा अपने फैसलों के लिए जाने जाते हैं। विगत कुछ दिनों पहले एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने स्वदेशी समुदाय में बढ़ रहे धर्मांतरण को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा था कि भोले भाले स्वदेशी समुदायों के लोगों को भौतिक लालच देकर भ्रमित किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने युवा पीढ़ी से स्वदेशी आस्थाओं और धर्मों को जीवित रखने का आह्वान भी किया था। इससे निपटने के लिए उन्होंने अपनी सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों को भी साझा किया था।

मां-बाप के इनकार के बाद शादी के वादे से मुकरना दुष्कर्म का अपराध नहीं, हाईकोर्ट का अहम आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति अपने मां-बाप के इनकार के बाद शादी के वादे से मुकरता है तो उसके खिलाफ दुष्कर्म का अपराध नहीं बनता। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ 31 साल के एक युवक को कथित तौर पर महिला से दुष्कर्म के मामले में जमानत दे दी। एकल जज वाली जस्टिस एम डब्लू चंदवानी की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी व्यक्ति ने झूठ बोलकर शारीरिक संबंध नहीं बनाए हैं बल्कि सिर्फ शादी के अपने वादे का उल्लंघन किया है।

क्या है मामला
33 वर्षीय एक महिला ने साल 2019 में नागपुर में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में महिला ने दावा किया कि वह एक व्यक्ति के साथ साल 2016 से रिश्ते में है। महिला ने आरोप लगाया कि युवक ने शादी का वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। महिला ने बताया कि युवक की जब दूसरी जगह शादी तय हो गई तो उसने पुलिस में दुष्कर्म की शिकायत की। आरोपी युवक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि वह महिला से शादी करना चाहता था, लेकिन महिला ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। महिला ने किसी अन्य से शादी की बात कही।

युवक ने बताया कि उसके मां-बाप और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी शादी कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसने दूसरी महिला से शादी करने की हामी भरी। इसके बाद महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता व्यस्क महिला है और उसके द्वारा लगाए गए आरोप यह साबित नहीं करते कि व्यक्ति ने झूठा वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। यह मामला वादा पूरा न करने का मामला है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला है, जिससे यह लगे कि आरोपी युवक की महिला से शादी नहीं करना चाहता था और उसने सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने के लिए झूठा वादा किया हो। सिर्फ इस आधार पर आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म का अपराध नहीं बनता है।

सरकारी बंगला खाली करने के खिलाफ मोइत्रा ने वापस ली याचिका, जानें दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी

संपदा निदेशालय (डीओई) के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को वापस लेने की दिल्ली हाईकोर्ट ने टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को अनुमति दे दी है। बता दें डीओई ने नोटिस में महुआ मोइत्रा को सांसद रहने के दौरान आवंटित सरकारी आवास खाली करने के लिए कहा था। लोकसभा से निष्कासन के बाद डीओई ने मोइत्रा को नोटिस जारी किया था। मोइत्रा के वकील ने कहा कि अब इस याचिका का अस्तित्व नहीं रहा है। यह पूरी तरह से निरर्थक हो गई है। क्योंकि मामले में सुनवाई से पहले ही उन्होंने अपना आवंटित सरकारी आवास को खाली कर दिया है। डीओई ने मोइत्रा को बंगला खाली करने का नोटिस 16 जनवरी को जारी किया गया था।

अब याचिका का कोई महत्व नहीं है- याचिकाकर्ता
मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सचिन दत्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले ही कहा है कि उन्होंने अपना सरकारी आवास खाली कर दिया है। याचिकाकर्ता द्वारा याचिका वापस ली गई, यह मानते ही इसे खारिज किया जाता है। हाईकोर्ट द्वारा मोइत्रा को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार करने के बाद उन्होंने 19 जनवरी को आवंटित बंगले को खाली कर दिया था। गौरतलब है कि मोइत्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि चिकित्सा आधार पर उन्हें आवंटित सरकारी आवास को खाली न करवाया जाए। उन्होंने दावा किया था कि वह एक अकेली महिला है। दिल्ली स्थिति अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

क्या है मामला
पिछले वर्ष आठ दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित की गईं मोइत्रा को पहले आवंटन रद्द होने के बाद सात जनवरी तक घर खाली करने के लिए कहा गया था। बता दें मोइत्रा पर रिश्वत के जरिए सवाल पूछने का आरोप था, जिसके कारण उन्हें अपनी लोकसभा की सदस्यता को गंवाना पड़ा था।

हर जिले में होंगे मेडिकल कॉलेज, केंद्र और राज्य दोनों करेंगे खर्च…

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने की घोषणा की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पिछले वर्ष सरकार ने 157 नए मेडिकल कॉलेजों की घोषणा की गई, जिनमें महाराष्ट्र में दो, हिमाचल में तीन और उत्तर प्रदेश में 27 मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना करने का यह पायलट प्रोजेक्ट है जिसके आधार पर अब देश के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू किए जाएंगे।

सूत्रों ने बताया कि इस समिति में कुल 12 सदस्य होंगे, जिनमें छह सेवानिवृत्त विशेषज्ञ शामिल हैं। इस समिति का गठन आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) मिलकर करेगा। इतना ही नहीं, समिति के पास एक जिला-एक अस्पताल को लेकर भी अपनी सिफारिश देने की जिम्मेदारी है, क्योंकि अभी देश में 17 राज्य ऐसे हैं जहां हर जिले में एक जिला अस्पताल नहीं है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘दो तरह से नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना करने की योजना है। पहला तरीका 60:40 का है जिसके तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर खर्च करेंगे। दूसरा तरीका विभिन्न विभागों में मौजूदा अस्पतालों की बुनियादी सुविधाओं का इस्तेमाल करते हुए कॉलेज खोले जाएंगे।

केंद्र सरकार ने अपने दोनों कार्यकाल में अब तक मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 82% की वृद्धि की है, जो 2014 से पहले 387 से बढ़कर अब 704 हुए हैं। इसके अलावा, एमबीबीएस सीटों में 110% की वृद्धि के साथ अब 1,07,948 हो गई है। वहीं, पीजी सीटों में भी 117% की वृद्धि हुई है जो 2014 से पहले 31,185 से 67,802 हो गई है। अभी देश में कुल 704 मेडिकल कॉलेज हैं लेकिन जिलों की संख्या 764 है।

चुनाव से पहले आशा-आंगनवाड़ी बनेंगी लाभार्थी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, देश में करीब 23 लाख आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं हैं जिन्हें लाभार्थी सूची में शामिल करने का काम इसी साल खत्म हो जाएगा। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यानी अप्रैल में इसकी शुरुआत होगी।

सर्वाइकल कैंसर के टीकाकरण को बढ़ावा महत्वपूर्ण कदम
दिल्ली एम्स की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग और स्त्री कैंसर रोग विभागाध्यक्ष डॉ. नीरजा भाटला ने केंद्र के सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ टीकाकरण की घोषणा को जरूरी कदम बताया। उन्होंने कहा कि सर्वाइकल कैंसर जीने का अधिकार छीनने वाली बीमारी है। 2020 में इससे देश में 77,348 महिलाओं की मौत हुई है। 9 से 14 साल की बच्चियों के लिए टीकाकरण अभियान की घोषणा का असर अगले कुछ साल में सामने आ सकता है जब भारत दुनिया में सबसे पहले इस बीमारी से मुक्त होने की राह पर सबसे आगे होगा।

आज ईडी के सामने पेश होंगे अरविंद केजरीवाल? भाजपा बोली- कब तक विक्टिमहुड कार्ड खेलेंगे आप

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में चल रही जांच में आज दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया है। ईडी ने बीते बुधवार को पांचवां समन भेजकर केजरीवाल को पूछताछ में शामिल होने को कहा था। इससे पहले बीते चार महीने में मुख्यमंत्री चार बार समन जारी होने के बावजूद ईडी के सामने पेश नहीं हुए।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने दिल्ली सीएम पर हमला बोलते हुए कहा, ‘अरविंद केजरीवाल, अगर छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो आप खुद को ईडी और अन्य एजेंसियों के सामने पेश क्यों नहीं कर रहे हैं? आप वही केजरीवाल हैं, जिन्होंने अन्ना हजारे के संरक्षण में सबसे पहले यही कहा था, इस्तीफा होना चाहिए और फिर जांच। आज आप जांच में सहयोग करने से इनकार करते हैं। आप कहते हैं कि ये सब राजनीति से प्रेरित हैं, जैसे कि ‘भ्रष्टाचार’ करना आपका ‘शिष्टाचार’ है। कब तक आप यह विक्टिमहुड कार्ड खेलेंगे? यह INDIA गठबंधन का ‘चरित्र’ है, केवल एक चीज जो उन्हें बांधती है वह कमीशन और भ्रष्टाचार है, कोई मिशन या विजन नहीं।’

वहीं, पार्टी सूत्रों के मुताबिक शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को एक बार फिर केजरीवाल ईडी की पूछताछ में शामिल नहीं होंगे। हालांकि आप ने अभी केजरीवाल के ईडी के सामने पेश होने या न होने के सवाल पर चुप्पी साध रखी है। लेकिन पार्टी सूत्रों ने कहा कि वह इस बार भी पूछताछ के लिए नहीं जाएंगे। पार्टी ने हर बार यही कहा है कि ईडी का यह समन गैरकानूनी है। केजरीवाल ने ईडी को दिए जवाब में पूछा था कि यदि वह आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी नहीं हैं, तो उन्हें समन क्यों जारी किया गया।

केजरीवाल आरोप लगाते रहे हैं कि फर्जी मामले में जांच एजेंसी ने आप के कई नेताओं को जेल में डाल रखा है। अब भाजपा पूछताछ के बहाने उनको भी गिरफ्तार कराना चाहती है। उसका मकसद आप के लोकसभा चुनाव प्रचार को रोकना है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी संपत्ति ईमानदारी है। झूठे आरोप व फर्जी समन भेजकर ईमानदारी पर चोट की जा रही है।