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स्लीपर वंदे भारत-अमृत भारत ट्रेन पर रहेगा फोकस, गाड़ियों में लगेगी टक्कर विरोधी तकनीक

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करने जा रही हैं। इस बजट में वित्त मंत्री भारतीय रेलवे को लेकर भी कुछ बड़े एलान कर सकती हैं। आम यात्रियों को तेज, सुरक्षित और आरामदायक सफर के लिए दोनों प्रकार की वंदे भारत ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। रेलवे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि स्लीपर वंदे भारत ट्रेन चलाने के लिए आईसीएफ चेन्नई में कोच निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। रेलवे की प्रीमियम राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों की जगह पर स्लीपर वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएगी। जबकि शताब्दी एक्सप्रेस के स्थान पर वंदे भारत ट्रेन पहले ही चलाई जा रही है। अभी 80 से ज्यादा वंदे भारत दौड़ रही है।

बढ़ सकती है अमृत भारत ट्रेनों की संख्या

रेलवे पुश-पुल तकनीक वाली अमृत भारत ट्रेनों की संख्या बढ़ाने के लिए इनके कोच और नए इंजनों का उत्पादन करेगी। रेलवे के सूत्रों ने कहा कि पिछले बजट में कुल पूंजीगत व्यय 2.60 लाख करोड़ रुपये था। इस अंतरिम बजट में 3.2 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय का प्रावधान हो सकता है। यह पिछले वर्ष के बजट की इसी अवधि की तुलना में लगभग 33 फीसदी अधिक है।

रेलवे अफसरों का कहना है कि दिसंबर 2023 तक पूंजीगत व्यय से 1,95,929.97 करोड़ रुपये के काम किए गए हैं। 3.2 लाख करोड़ रुपये की बजटीय सहायता से दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता सहित अन्य व्यस्त रेलमार्गों पर टक्कर विरोधी तकनीक कवच लगाने का काम किया जाएगा। इसके अलावा उक्त दोनों रेलमार्गों पर वंदेभारत ट्रेनों को सेमी हाई स्पीड 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा पर चलाने के लिए सुधार किया जाएगा। देश की पहली सेमी हाई स्पीड स्लीपर वंदेभारत ट्रेन इन दोनों पर चलाने की योजना है। इसके अलावा इस बजटीय सहायता से रेलवे के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के कार्य जैसे नई रेल लाइनें, लाइनों का दोहरीकरण, तिहरीकरण आदि के कार्य किए जाएंगे। इससे यात्री ट्रेनों की रफ्तार गति पकड़ेगी।

संसदीय पैनल की सिफारिश के बाद 14 निलंबित सांसद संसद लौटेंगे; प्रह्लाद जोशी ने कही यह बात

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निलंबित किए गए 14 विपक्षी सांसद बजट सत्र में भाग लेने के लिए वापस आएंगे। इन सभी का मामला विशेषाधिकार समितियों को भेजा गया था। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि इसे लेकर सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा से अनुरोध किया था, जिस पर दोनों सदनों के अध्यक्ष सहमत हो गए हैं।

दरअसल, लोकसभा और राज्यसभा दोनों समितियों ने सिफारिश की थी कि शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों द्वारा आचरण के लिए खेद व्यक्त करने के बाद उनका निलंबन वापस लिया जाए। सांसदों के लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा था।

क्या है मामला?
बता दें कि संसद के पिछले सत्र के दौरान कुल 146 विपक्षी सांसदों को सदन में तख्तियां लाने और बार-बार संसदीय कार्यवाही में बाधा डालने के लिए निलंबित कर दिया गया था। इनमें 100 लोकसभा और बाकी राज्यसभा से थे। इनमें से 14 के उल्लंघन को अधिक गंभीर माना गया था। लोकसभा और राज्यसभा ने मिलकर 132 सांसदों को 21 दिसंबर को समाप्त हुए शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया था और इन 14 सांसदों का मामला संबंधित विशेषाधिकार समिति को भेज दिया था।

संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने क्या कहा?
संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने मंगलवार को कहा कि सभी का निलंबन वापस लिया जाएगा। हमने सरकार की ओर से लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से अनुरोध किया है और वे सहमत हो गए हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में भाग लेने वाले विभिन्न दलों के नेताओं से कहा गया था कि सांसदों को सत्र के दौरान कक्ष के अंदर कोई तख्तियां या इसी तरह की सामग्री लाने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें इस निर्णय का पालन करना चाहिए था। नियमों के उल्लंघन की वजह से ही कार्रवाई की गई। बजट सत्र बुधवार से शुरू होगा।

‘समीक्षा आदेश अलमारी में रखने के लिए नहीं’, जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बैन पर ‘सुप्रीम’ टिप्पणी

जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं की बहाली मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। मामले से जुड़ी विशेष समिति की समीक्षा आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अलमारी में रखने के लिए नहीं हैं। कोर्ट ने सख्त लहजें में प्रशासन से उन्हें प्रकाशित करने को कहा है।

विशेष समिति के आदेशों को प्रकाशित करने की मांग
फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की गई, जिसमें जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों पर केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता वाली एक विशेष समिति द्वारा पारित समीक्षा आदेशों को प्रकाशित करने की मांग की गई थी। दो जजों की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि समीक्षा आदेश किस लिए हैं। कोर्ट ने कहा कि समीक्षा आदेश अलमारी में रखने के लिए नहीं हैं। नटराज ने कहा कि याचिकाकर्ता समिति के समीक्षा आदेश के प्रकाशन की मांग कर रहा है।

समिति के समीक्षा आदेशों को प्रकाशित करना जरूरी- कोर्ट
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारा विचार है कि समिति के विचार विमर्श को प्रकाशित करना आवश्यक नहीं है, लेकिन पारित समीक्षा आदेशों को प्रकाशित करना जरूरी है। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को निर्देश लेने और सुनवाई की अगली तारीख पर कोर्ट को अवगत कराने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

याचिकाकर्ता ने समीक्षा आदेशों को प्रकाशित करने की थी मांग
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने सुनवाई के दौरान कहा था कि प्रशासन को अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामले में 2020 के फैसले के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों पर समीक्षा आदेश और मूल आदेश प्रकाशित करना आवश्यक है।

क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2020 को जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं की बहाली की याचिका पर विचार करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एक विशेष समिति के गठन का आदेश दिया था। जिमसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों को संतुलित करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि 10 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुराधा भसीम बनाम भारत संघ के फैसले में कहा था कि बोलने की स्वतंत्रता औ इंटरनेट के जरिए व्यापार करने की स्वतंत्रता संविधान के तहत संरक्षित है। इसमें जम्मू-कश्मीर प्रशासन से प्रतिबंध आदेशों की तुरंत समीक्षा करने को कहा था।

धर्म परिवर्तन मामले के आरोपी VC-अन्य को गिरफ्तारी से राहत बरकरार, जानें सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

उत्तर प्रदेश स्थित सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल समेत संस्थान के कुछ अन्य अधिकारियों को गैर कानूनी धर्म परिवर्तन, दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है। गौरतलब है कि चार नवंबर 2023 को पूर्व संविदा महिला कर्मचारी ने इनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

यूपी सरकार से मांगा एक सप्ताह के भीतर में जवाब
दो जजों की खंडपीठ ने कुलपति द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। पीठ ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की गई है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम आदेश जारी रहेगा। बता दें राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था।

क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
11 दिसंबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था। इस दौरान अदालत ने कहा था कि उन पर एक जघन्य अपराध का आरोप है। हम आदेश देते हैं कि 20 दिसंबर 2023 को या उससे पहले अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहिए और नियमित जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए। आदेश पारित करते वक्त हाईकोर्ट ने कहा था कि कोई भी भगवान या धर्म इस प्रकार के कदाचार को मंजूरी नहीं देगा। हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर किसी ने खुद ही धर्म परिवर्तन का फैसला लिया है वह एक अलग विषय है। लेकिन इस मामले में एक महिला को भौतिक लालच देकर जबरन धर्म परिवर्तन का प्रयास किया गया। गौरतलब है कि महिला ने उन पर विश्वविद्यालय में नौकरी की पेशकश के बाद दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था। गौरतलब है कि राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य आरोपियों ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि जो मामला दर्ज किया गया है, वह दुर्भावना से प्रेरित थी क्योंकि महिला को बर्खास्त कर दिया गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक को सर्कल अधिकारी रैंक के तीन अधिकारियों द्वारा मामले में की जा रही जांच की निगरानी करने के निर्देश दिए थे। पुलिस अधीक्षक को 90 दिनों के भीतर मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने और मजिस्ट्रेट के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

बजट सत्र से पहले प्रह्लाद जोशी करेंगे सर्वदलीय बैठक, CII ने की अलग निवेश मंत्रालय की सिफारिश

संसद में बजट सत्र के शुरू होने से पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी दोनों सदनों के सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। यह बैठक आज दोपहर संसदीय पुस्तकालय में होगी। सत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन से शुरू होगा। इस सत्र का समापन नौ फरवरी को होगा।

बजट सत्र से पहले सभी नेताओं के साथ बैठक
प्रह्लाद जोशी ने इस बैठक में शामिल होने के लिए सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है। इस वर्ष अप्रैल-मई में होने वाले चुनावों से ठीक पहले बजट सत्र मौजूदा लोकसभा का आखिरी संसद सत्र होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री गुरुवार एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी। बता दें कि सरकार की तरफ से इस बैठक में सत्र का एजेंडा विपक्ष के साथ साझा किया जाता है। इसके अलावा सदन में सुचारु कामकाज के लिए विपक्ष से सहयोग का अनुरोध किया जाता है।

सीआईआई ने की अलग से निवेश मंत्रालय बनाने की सिफारिश
अंतरिम बजट आम तौर पर लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बनने तक बीच की अवधि की वित्तीय जरूरतों का ख्याल रखता है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने बजट को लेकर अपनी अपेक्षाएं और सिफारिशें देते हुए कहा है कि सरकार को विनिवेश लक्ष्यों को पूरा करने और विनिवेश के लिए 3 साल का कार्यक्रम निर्धारित करना चाहिए। इसके अलावा पेट्रोलियम, बिजली और रियल एस्टेट को भी जीएसटी में शामिल करते हुए तीन दर संरचना का लक्ष्य पूरा करना चाहिए। साथ ही सरकार से पूंजीगत व्यय को 20 फीसदी बढ़ाकर 12 लाख करोड़ करने और अलग से निवेश मंत्रालय की स्थापना करने का अनुरोध किया है।

केरल में भाजपा नेता की हत्या के मामले में बड़ा फैसला, PFI से जुड़े 14 दोषियों को फांसी की सजा

केरल की एक अदालत ने अलप्पुझा में दो साल पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की हत्या के मामले में प्रतिबंधित इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े 14 दोषियों को मौत की सजा सुनाई है। भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के नेता के मर्डर केस में कोर्ट ने इन्हें एक हफ्ते पहले ही दोषी करार दिया था। मामले में मावेलिक्कारा की अतिरिक्त जिला सत्र अदालत ने अब सजा का एलान किया है।

क्या था मामला
आरोप था कि 19 दिसंबर 2021 में भाजपा के ओबीसी मोर्चा के प्रदेश सचिव रंजीत श्रीनिवासन पर पीएफआई और ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ (एसडीपीआई) से जुड़े कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया था। इस दौरान उनके घर में उन्हें परिवार के सामने ही बुरी तरह पीटा गया और उनकी हत्या कर दी गई थी। इस घटना से कुछ पहले ही 18 दिसंबर की रात को एक गिरोह ने एसडीपीआई नेता केएस. शान की हत्या कर दी थी। घटना के समय वह अलप्पुझा में अपने घर लौट रहे थे। माना जा रहा था कि कट्टरपंथी भीड़ इससे गुस्सा गई और बदले में रंजीत की हत्या कर दी।

कृष्ण जन्मभूमि मामले में अदालत का बड़ा फैसला, ईदगाह कॉम्प्लेक्स के सर्वे पर रोक जारी रहेगी

सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा और इसके बगल में बनी ईदगाह को लेकर जारी भूमि विवाद पर अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा, फिलहाल ईदगाह कॉम्पलेक्स के सर्वे पर लगी रोक यानी स्टे ऑर्डर प्रभावी रहेगा। अदालत में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की तरफ से दायर याचिका पर आगे की सुनवाई अप्रैल के पहले हफ्ते में होगी।

अगले तीन महीने में सभी दलीलें पेश करने का निर्देश
मथुरा के बहुचर्चित श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, हाईकोर्ट की तरफ से पारित अंतरिम आदेश जहां भी दिए गए हैं, शीर्ष अदालत का अंतिम फैसला आने तक वही प्रभावी रहेंगे। अप्रैल, 2024 में मामले को फिर से सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए अदालत ने मुकदमे में शामिल सभी पक्षों को अगले लगभग तीन महीने में दलीलें पूरी करने का निर्देश भी दिया।

शीर्ष अदालत ने साफ किया कि मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अप्रैल में एक साथ सुनवाई होगी। बता दें कि विगत 16 जनवरी को पारित आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी। हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर, 2023 को पारित आदेश में कहा था कि कोर्ट की निगरानी में शाही ईदगाह मस्जिद कॉम्पलेक्स का सर्वे कराया जाए। सर्वे की निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने पर भी रोक लगाई गई है। मुकदमे से जुड़े हिंदू पक्षकारों की दलील है कि मस्जिद परिसर में कई ऐसे चिह्न मौजूद हैं, जिनसे प्रमाणित होता है कि इतिहास में यह मंदिर था।

स्टे ऑर्डर जारी रखने के आदेश के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि हाईकोर्ट में लंबित टाइटल सूट पर सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट ने कहा कि सिविल प्रोसीजर कोड (CPC) के ऑर्डर 7 नियम 11 के तहत हाईकोर्ट में भूमि विवाद पर सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट ने हिंदू पक्षकारों से कहा है कि मस्जिद समिति की तरफ से दायर याचिका पर जवाब दाखिल करें।

क्या है मुकदमा, सुप्रीम कोर्ट तक कैसे पहुंच गया विवाद
गौरतलब है कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर को लेकर भूमि विवाद लंबे समय से जारी है। उत्तर प्रदेश में अयोध्या की राम जन्मभूमि मंदिर की तर्ज पर ही मथुरा में भी अलग और भव्य मंदिर बनाने की मांग हो रही है। जमीन के मालिकाना हक को लेकर जारी मुकदमे में अहम मोड़ उस समय आया जब अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की मांग होने लगी। ईदगाह कॉम्पलेक्स का सर्वे कराने के लिए पहले याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंय गया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाई गई है।

महिलाओं की वैवाहिक उम्र संबंधी बिल को अंतिम रूप देगी संसदीय समिति, चार माह का विस्तार मिला

संसद की एक स्थायी समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए चार महीने का विस्तार (एक्सटेंशन) दिया गया है। समिति महिलाओं की शादी की आयु 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की मांग करने वाले विधेयक पर विचार कर रही है। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को शुरू होने वाला है। आगामी आम चुनाव से पहले 17वीं लोकसभा का यह अंतिम सत्र है।

समिति अब चार महीने के विस्तार के बाद मई तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देगी। जबकि, मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है। बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 लोकसभा में पेश किया गया था। तबसे वह वहां लंबित है। जबकि, सदन का कार्यकाल जून में खत्म हो जाएगा। लोकसभा में पेश किए गए या वहां लंबित विधेयक मौजूदा लोकसभा के भंग हो जाने के बाद खत्म हो जाएंगे।

जारी बुलेटिन में बताया गया कि राज्यसभा के सभापति ने बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 की जांच के लिए संसद की स्थायी समिति को 24 जनवरी, 2024 से चार महीने की अवधि के लिए विस्तार दिया है। समिति को पहले भी अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए विस्तार दिया गया था। इस विधेयक को दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश किया गया था। इसके बाद इसे शिक्षा, महिला, बच्चों, युवाओं और खेलों की स्थायी समिति के पास भेजा गया था। यह समिति राज्यसभा सचिवालय के तहत काम करती है। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने जांच के लिए विधेयक को लोकसभा अध्यक्ष से स्थायी समिति के पास भेजने का अनुरोध किया था। ईरानी ने सदन को बताया था कि सरकार पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता लाने की कोशिश कर रही है।

अजित पवार गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसले लेने की समय अवधि फिर बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक आदेश में अजित पवार गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने की डेडलाइन बढ़ा दी है। आदेश के मुताबिक महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर अब 15 फरवरी तक विधायकों की अयोग्यता पर फैसला ले सकेंगे। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के सबमिशन पर यह आदेश दिया।

स्पीकर ने फैसले के लिए मांगा और समय
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता स्पीकर राहुल नार्वेकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। तुषार मेहता ने फैसले के लिए पीठ से और समय की मांग की। जिस पर पीठ ने फैसले के लिए समयसीमा 15 फरवरी तक बढ़ा दी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को अयोग्यता पर फैसला लेने समयसीमा 31 जनवरी तक तय की थी। शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटिल ने स्पीकर राहुल नार्वेकर के समक्ष याचिका दायर कर दल-बदल विरोधी कानून के तहत अजित पवार गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की अपील की थी। अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी के कई विधायक बीती साल 2 जुलाई को एनडीए में शामिल हो गए थे। अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग में याचिका दायर कर उन्हें असली एनसीपी मानने की मांग की गई है। साथ ही पार्टी के चुनाव चिन्ह घड़ी पर भी दावा जताया है

नीतीश को पाले में लेकर अमित शाह ने फिर चला बड़ा दांव, पार्टी को बड़े नुकसान से बचाया

एनडीए ने 2019 का चुनाव नीतीश कुमार के साथ लड़ा था। 40 में से 39 सीटें आई थीं। अगस्त 2022 में नीतीश महागठबंधन के साथ चले गए थे। नीतीश की पुरानी सरकार में मंत्री रहे सूत्र का कहना है कि इससे बिहार में एनडीए की आधी सीटें घटने की संभावना थी। इसके अलावा कुछ असर दूसरे राज्यों में संभव था। राजद कोटे के पूर्व मंत्री ने माना कि नीतीश के भाजपा में जाने से एनडीए को कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में 20-22 सीटों का फायदा हो सकता है। इसे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बारीकी से बड़ा दांव चलकर हासिल कर लिया है। वह नीतीश को एनडीए में ले आए, लेकिन मुख्यमंत्री के हाथ और पैर बांधकर। सूत्र का कहना है कि विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाने के पीछे राज यही है।

तेजस्वी यादव के सचिवालय के सूत्र का कहना है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री पिछले 4-5 दिन से तंग थे। बताते हैं राजद को नीतीश के हाव-भाव से दो सप्ताह पहले से ही पाला बदलने का एहसास था। जनवरी के दूसरे सप्ताह में इंडिया गठबंधन की बैठक में मुख्यमंत्री ने इसकी झलक दिखाई थी। बताते हैं तब राजद कोटे के एक मंत्री ने एक समारोह के दौरान सावधान किया था। मंत्री जी ने कहा था कि नीतीश बाबू को अंगूर खट्टा लगने पर वह फिर पाला बदल लेंगे। बताते हैं नीतीश कुमार के महागठबंधन में लौटकर आने के बाद से राजद उनके पाला बदलने के डर से कुछ ज्यादा मनुहार कर रहा था।

लालू प्रसाद लेकर आए थे और नीतीश कुमार कांग्रेस का नुकसान करके चले गए

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि राहुल गांधी की पहले चरण की भारत जोड़ो यात्रा के बाद विपक्ष को बड़ी संजीवनी मिली थी। गांधी की दूसरे चरण की न्याय यात्रा के बीच में नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन को छोड़कर चले गए। इससे भाजपा को मदद मिलेगी और इसकी भरपाई में समय लगेगा। जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए हमारे पास समय कम है। पटना के वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा कहते हैं कि नीतीश को कांग्रेस और इंडिया गठबंधन से जोड़ऩे की पहल लालू प्रसाद यादव ने की थी। अब नीतीश कुमार कांग्रेस का नुकसान करके एनडीए में चले गए हैं। इसका घाटा पूरे विपक्ष को होगा। कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान का भी मानना है कि धर्म निरपेक्षता के मामले में कांग्रेस का भरोसा लालू प्रसाद पर अधिक था। हालांकि वैचारिक दृष्टि से लालू और नीतीश के करीबी नेता शिवानंद तिवारी का मानना है कि इस बार नीतीश के महागठबंधन का साथ छोडऩे की वजह कांग्रेस है। कांग्रेस ने नीतीश कुमार को उचित महत्व नहीं दिया। शिवानंद मानते हैं कि नीतीश महत्वाकांक्षी हैं। राजनीति में महत्वाकांक्षा खराब नहीं है, लेकिन सूझबूझ से काम लिया गया होता, तो यह स्थिति नहीं आती।

दो नेताओं के बीच में गड़बड़ाते ताल को नहीं साध पाई कांग्रेस

नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन की शुरुआत के लिए तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी से संपर्क किया था। ममता बनर्जी की हां के बाद, उन्होंने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक समेत अन्य से बात की थी। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि बिना कांग्रेस को पूरी तरह से विश्वास में लिए गठबंधन के लिए पहली बैठक की तारीख तय हो गई थी। लेकिन इसके बाद ममता बनर्जी और नीतीश कुमार में आपस के तालमेल नहीं बन पाए। बताते हैं कि ममता बनर्जी ने पटना की बैठक में पहुंचकर सबसे अधिक भाव राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार को दिया। बेंगलुरु में हुई बैठक में गठबंधन का नाम इंडिया रखने का प्रस्ताव ममता बनर्जी की तरफ से आया। बताते हैं कि इस मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी राय दी, लेकिन इंडिया गठबंधन का ही नाम फाइनल हुआ। इस बैठक में नीतीश और लालू प्रसाद समय से पहले ही चले गए थे। यूपीए सरकार में मंत्री रहे एक अन्य सूत्र का कहना है कि बेंगलुरु की बैठक के बाद से नीतीश कुमार के रुख में सकारात्मक गर्मजोशी नहीं दिखाई दे रही थी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरग़े भी पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें नीतीश कुमार के रुख का पहले से अंदाजा था। माना जा रहा है कि दो सप्ताह पहले इंडिया गठबंधन की बैठक में कांग्रेस के रणनीतिकारों ने काफी कुछ भांप लिया था। बताते हैं नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाए जाने को लेकर तमाम तरह के असमंजस थे। मल्लिकार्जुन खरग़े को गठबंधन का अध्यक्ष नियुक्त करने से पहले उन्हें भावी प्रधानमंत्री घोषित करने के प्रस्ताव आने पर भी काफी कुछ संकेत मिला था। कांग्रेस के बिहार के एक विधायक भी मानते हैं कि संयोजक पद को लेकर राहुल गांधी के बयान ने नीतीश कुमार को जरूर अंदर से परेशान किया होगा? इसमें राहुल गांधी ने कहा था कि ममता बनर्जी को नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने पर एतराज है। इसी को शिवानंद तिवारी कांग्रेस की बदमाशी करार देते हैं। ऊपर से लालू की बेटी रोहिणी आचार्य के ट्वीट ने नीतीश को भड़का दिया। जनवरी 2024 आते-आते नीतीश, लालू और ममता बनर्जी तीन कोणों पर खड़े होने लगे। मध्य में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन था। राजद के एक नेता कहते हैं कि नीतीश कुमार पिछले एक दशक से मनमाने तरीके से सब अपने तरीके से चलाते हैं। ऊपर से उनके जख्म पर यह रोहिणी का नमक। रोहिणी आचार्य ने फिर प्रतिक्रिया दी है। कहा है कूड़ा (नीतीश) फिर गया कूड़ेदान में। लालू प्रसाद की दुलारी बिटिया की यह टिप्पणी काफी कुछ कह रही है।

अमित शाह ने चला है बड़ा दांव, नहीं पूरे होने देंगे नीतीश के सपने

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बड़ा दांव चला है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के जद(यू) के कमजोर होने के बयान से बिहार की राजनीति को समझने वाले कई विशेषज्ञ सहमत हैं। प्रशांत किशोर तो अपनी भविष्यवाणी कर चुके हैं। तीसरे बार एनडीए नें शामिल हुए नीतीश कुमार को भले ही प्रधानमंत्री मोदी ने फोन करके भरोसा दिया हो, लेकिन राजनीतिक चतुराई में पारंगत शाह ने यह खिड़की आसानी से नहीं खोली है। नीतीश के दाएं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौहरी और बाएं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम के तौर पर लगाया है। विधानसभा अध्यक्ष भी भाजपा का ही होगा। नीतीश कुमार को इससे पहले विजय सिन्हा पानी पी पीकर कोस रहे थे। सम्राट चौधरी को लेकर भी नीतीश कुमार ने अपनी पिछली राजग सरकार में शिकायतें की थीं। विजय सिन्हा को टारगेट करके फ्लोर पर ही मुख्यमंत्री ने तब जमकर सुना दिया था। माना यह जा रहा है कि तीसरी बार लौटे नीतीश कुमार के लिए राह बहुत आसान नहीं है। नीतीश जद(यू) को बिहार की पहले नंबर की पार्टी का फिर रुतबा दिलाना चाहते हैं, लेकिन अब अमित शाह और भाजपा के रणनीतिकार उन्हें इसका अवसर नहीं देने वाले हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुशल रणनीति से नीतीश कुमार को छकाया था। माना जा रहा है कि बड़े भाई और छोटे भाई के खेल में इसकी पुनरावृत्ति संभव है।

भाजपा 30-32 सीट पर चुनाव लडऩे की कर रही थी तैयारी

नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सम्राट चौधरी ने कमान संभाली। सम्राट चौधरी राबड़ी देवी सरकार में मंत्री रहे हैं। मुखर नेता हैं। सात साल पहले भाजपा में आए थे। विजय सिन्हा की ही तरह जमीनी पकड़ रखते हैं। इस बार भाजपा की योजना बिहार की 40 में से 30-32 सीटों पर चुनाव लड़ऩे की थी। बिहार के एक केंद्रीय मंत्री शरारत भरे अंदाज में मुस्कराते हुए कहते हैं कि इनमें से अब 10-12 सीटें नीतीश कुमार की पार्टी के लिए छोड़नी पड़ेंगी। सूत्र का कहना है कि 2019 में 17 सीटों पर लड़े और सब जीत गए। इस बार भी 25-26 सीटों पर भाजपा का जीतना था। बाकी पर सहयोगी दल जीतते। वैसे भाजपा के लिए बिहार साधने में इस बार मशक्कत करनी पड़ सकती है। क्योंकि चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस की पार्टी ने पिछले बार की तरह 06 सीटों की मांग की है। उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को भी लोकसभा में सीटें देनी है। ऐसे में जद(यू) के हिस्से में 2019 की तरह 17 सीटें दे व्यवस्थित कर पाना मुश्किल हो सकता है।