Friday , November 22 2024

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सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और सरकार को फटकारा

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में फिल्म अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार को बड़ी राहत देते हुए लुकआउट सर्कुलर को रद्द करने का फैसला बरकरार रखा है। पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार और सीबीआई बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को इसलिए चुनौती दे रहे हैं क्योंकि आरोपी जानी-मानी शख्सियत है। सुशांत सिंह राजपूत के परिवार ने पटना में उनकी मौत की जांच की मांग करते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके तुरंत बाद ही इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।

दरअसल लुकआउट सर्कुलर जारी होने के चलते रिया चक्रवर्ती और उनके परिजनों को विदेश जाने में समस्या हो रही थी। जिसके चलते रिया चक्रवर्ती ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर लुकआउट सर्कुलर रद्द करने की मांग की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने जब सर्कुलर रद्द करने का आदेश दिया तो सीबीआई ने पीठ से अपने फैसले पर चार सप्ताह तक रोक लगाने की अपील की थी, ताकि वे सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील कर सकें। हालांकि हाईकोर्ट ने सीबीआई की अपील को खारिज कर दिया था।

सीबीआई ने साल 2020 में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के खिलाफ जारी किया था लुकआउट सर्कुलर
सीबीआई ने साल 2020 में सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शोविक चक्रवर्ती, उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल इंद्रजीत चक्रवर्ती और उनकी मां संध्या चक्रवर्ती के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने लुकआउट सर्कुलर जारी करने की कोई वजह न मानते हुए इसे रद्द कर दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अभिनेत्री और उनका परिवार सामाजिक है और उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया है।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी रिया चक्रवर्ती हैं आरोपी
सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार से पूछताछ की गई थी। प्रवर्तन निदेशालय की जांच, जो उनकी आय, निवेश और पेशेवर सौदों की जांच की गई। दरअसल सुशांत सिंह राजपूत के परिवार ने आरोप लगाया है कि रिया चक्रवर्ती ने सुशांत सिंह राजपूत के बैंक खाते से कथित तौर पर किस्तों में 15 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए और उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया।

‘कई बॉडीबैग में वापस आए…’, भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा ने छात्रों को कनाडा जाने को लेकर किया आगाह

नई दिल्ली: भारत-कनाडा विवाद पर कनाडा से वापस बुलाए गए भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा ने वहां की स्थिति पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कनाडा में पढ़ने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों को पुनर्विचार करने की राय दी। उन्होंने बताया कि वहां के घटिया कॉलेजों में लाखों रुपये खर्च करने के बाद छात्रों को नौकरी नहीं मिलती, जिसके परिणामस्वरूप वे निराशा में चले जाते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं।

भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कहा, “मेरे कार्याकाल के दौरान एक समय हर हफ्ते दो छात्रों के शव बॉडी बैग में भरकर भारत भेजे जाते थे। असफलता के बाद अपने माता-पिता से सामना करने के बजाय वे आत्महत्या करते हैं।” बता दें कि खालिस्तानी अलगाववादी मुद्दे पर भारत-कनाडा के विवाद के बीच ही संजय कुमार वर्मा इस महीने की शुरुआत में भारत वापस आ गए थे।

संजय वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को कनाडा ने ‘पर्सन ऑफ इंटेरेस्ट’ में सूचीबद्ध किया था। इसका मतलब है कि उनसे 2023 में भारत द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी के रूप में नामित एक कनाडाई नागरिक की हत्या की जांच में पूछताछ की जानी थी। भारतीय राजनयिकों के अपमान को देखते हुए भारत ने 19 अक्टूबर को संजय वर्मा और अन्य को वापस बुला लिया।

भारतीय उच्चायुक्त ने दी सलाह
भारत वापस लौटने के बाद संजय वर्मा ने कहा कि अगर भारत के साथ कनाडा के संबंध अच्छे होते तो भी वह उन्हें यही सलाह देते। वे खुद एक पिता होने के नाते यह सलाह दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “बच्चे भविष्य के सपने को पूरा करने के लिए जाते हैं, लेकिन वे सभी बॉडी बैग में लौटते हैं।” उन्होंने माता-पिता से अपील की कि वे निर्णय लेने से पहले कॉलेजों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। भारतीय राजदूत ने बेईमान एजेंटों की भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।

संजय वर्मा ने कहा, “कक्षाएं सप्ताह में एक बार ही होती है, वे केवल उतना ही पढ़ते हैं और उसी के हिसाब से उनका कौशल विकास होता है। मान लीजिए की एक छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करता है तो वह एक इंजीनियर की नौकरी करेगा। लेकिन आप देखेंगे कि वह कैब चला रहा है, या फिर किसी दुकान में चाय-समोसा बेच रहा है। वहां (कनाडा) की जमीनी हकीकत उत्साहजनक नहीं है।”

गुजरात के सोमनाथ में अवैध निर्माण हटाने पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, यथास्थिति बनाए रखने की थी मांग

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के गिर सोमनाथ में अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की गई थी। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने से इनकार कर दिया। गुजरात सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि गिर सोमनाथ में जिस जमीन पर अवैध धार्मिक ढांचों को ध्वस्त किया गया, वह जमीन उनके पास रहेगी और किसी तीसरे पक्ष को आवंटित नहीं की जाएगी।

सरकार के पास रहेगी जमीन
पीठ ने कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि अगले आदेश तक, संबंधित जमीन का कब्जा सरकार के पास रहेगा और किसी तीसरे पक्ष को आवंटित नहीं किया जाएगा। मामले को देखते हुए, हमें कोई अंतरिम आदेश पारित करना जरूरी नहीं लगता।’ पीठ गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुस्लिम धार्मिक ढांचों को ढहाने पर यथास्थिति आदेश देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ एक अलग अवमानना याचिका पर भी विचार कर रही है, जिसमें अंतरिम रोक के बावजूद और बिना पूर्व अनुमति के राज्य में कथित रूप से अवैध रूप से आवासीय और धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने का आरोप है।

याचिका में शीर्ष अदालत के 17 सितंबर के आदेश के कथित उल्लंघन के लिए राज्य के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। वरिष्ठ अधिवक्ता हुजैफा अहमदी एक अन्य वादी की ओर से पेश हुए। उन्होंने दावा किया कि वैध वक्फ भूमि पर स्थित संरचनाओं को निशाना बनाया गया। अहमदी ने सरकार द्वारा किसी तीसरे पक्ष को भूमि आवंटित करने पर अपने मुवक्किल की आशंका व्यक्त की और यथास्थिति आदेश की मांग की। इस पर एसजी तुषार मेहता ने जमीन के सरकार के पास ही रहने की बात कही।

औलिया ए दीन समिति ने दायर की है याचिका
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि अवैध निर्माण से मुक्त कराई गई भूमि सरकार के पास रहेगी और अगले आदेश तक किसी तीसरे पक्ष को आवंटित नहीं की जाएगी। इसके बाद पीठ ने कहा कि इस स्थिति में हमें कोई अंतरिम आदेश पारित करना जरूरी नहीं लगता। गुजरात उच्च न्यायालय के 3 अक्तूबर के फैसले के खिलाफ औलिया ए दीन समिति ने याचिका दायर की थी, जिसमें यथास्थिति बरकरार रखने की मांग की गई थी।

मुंबई की विशेष अदालत से सचिन वाजे को लगा बड़ा झटका, सरकारी गवाह बनने की याचिका खारिज

मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाजे की धन शोधन के एक मामले में सरकारी गवाह बनने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ईडी के पास प्रथम दृष्टया उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उनकी मदद की कोई जरूरत नहीं है।

विशेष अदालत के न्यायाधीश की टिप्पणी
विशेष अदालत के न्यायाधीश ए. यू. कदम ने धन शोधन रोकथाम कानून से जुड़े मामलों में सुनवाई करते हुए 23 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा, ‘इस तरह का आवेदन करके सचिन वाजे इस बात को स्वीकार करते हैं कि वह आरोपी की तरफ से कथित तौर पर किए गए अपराध की जानकारी रखते थे।’

वाजे की याचिका का ईडी ने किया था विरोध
मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। मामले में अन्य आरोपियों में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और राकांपा (एसपी) के नेता अनिल देशमुख शामिल हैं। धन शोधन मामले में सरकारी गवाह बनने (क्षमा मांगने) की याचिका में सचिन वाजे ने कहा था कि वह मामले से संबंधित सभी तथ्यों का खुलासा करना चाहते हैं। वहीं ईडी ने उनकी याचिका का विरोध किया।

‘सचिन वाजे को माफ करना क्लीन चिट के समान’
इस मामले में अभियोजन पक्ष ने कहा, इसलिए, ईडी की तरफ से की गई जांच और जमा किए गए साक्ष्यों की प्रकृति को देखते हुए, सचिन वाजे को क्षमा प्रदान करना जरूरी नहीं है, जो कि उन्हें क्लीन चिट देने के समान होगा, जबकि वह किए गए अपराध के लिए समान रूप से उत्तरदायी हैं।

वहीं अदालत ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 306 का उद्देश्य उन मामलों में क्षमा प्रदान करना है, जहां कई लोगों की तरफ से गंभीर अपराध किए गए हैं और जिस व्यक्ति को क्षमा दी जा रही है उसकी गवाही की सहायता से मामले को उसके तार्किक निष्कर्ष पर लाया जा सकता है। विशेष अदालत ने सचिन वाजे की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें दम नहीं है।

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका, बाबा सिद्दीकी के बेटे राकांपा में हुए शामिल

मुंबई:महाराष्ट्र में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाला है। इस चुनाव से पहले दिवंगत राकांपा नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे ने कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया। मुंबई युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जीशान सिद्दीकी अब राकांपा में शामिल हो चुके हैं। राकांपा में शामिल होने के बाद ही पार्टी ने पूर्व बांद्रा निर्वाचन क्षेत्र से जीशान की उम्मीदवारी की घोषणा की। उनके अलावा भाजपा के पूर्व सांसद संजयकाका पाटिल और निशिकांत दुबे भी विधानसभा चुनाव से पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार की उपस्थिति में राकांपा में शामिल हो गए।

राकांपा में शामिल होने के बाद जीशान सिद्दीकी ने कहा, “यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत ही भावुक वाला दिन है। मैं अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे का धन्यवाद करता हूं। इन्होंने इस कठिन समय में मुझ पर विश्वास किया। मुझे बांद्रा ईस्ट से नामांकन मिला है। मुझे यकीन है कि सभी लोगों के प्यार और समर्थन से मैं पूर्वी बांद्रा से दोबारा जरूर जीतूंगा।”

निशिकांत दुबे ने कहा, “मैं आज अपने नेता देवेंद्र फड़णवीस के निर्देश पर राकांपा में शामिल हो गया। मुझे भाजपा से राकांपा में आना पड़ा, क्योंकि इस्लामपुर विधानसभा सीट राकांपा के पास चली गई। मैं राकांपा के टिकट पर इस्लामपुर सीट से जीत हासिल करूंगा।”

राकांपा में शामिल होने के बाद संजयकाका पाटिल ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “राकांपा महायुति का हिस्सा है। हमारे जिले की इस्लामपुर सहित दो सीटें एनसीपी (महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए) में चली गईं। मुझे चुनाव लड़ना था, इसलिए मैं राकांपा में शामिल हो गया।” इन दोनों नेताओं के राकांपा में शामिल होने से पहले पार्टी ने वरिष्ठ नेता छगन भुजबल के बेटे पंकज भुजबल को नासिक जिले के येओला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा है। भुजबल के भतीजे समीर भी नासिक के नंदगांव निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना के मौजूदा विधायक सुहास कांडे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं।

NCP ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी सूची, बांद्रा पूर्व से बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान को टिकट

मुंबई: महाराष्ट्र चुनाव के लिए अजित पवार की पार्टी एनसीपी (राकांपा) ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में सात उम्मीदवारों के नाम जारी किए गए हैं। सूची के तहत बांद्रा पूर्व से पार्टी ने बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी को अपना उम्मीदवार बनाया है। एनसीपी ने इस्लामपुर से निशिकांत पाटील, अणुशक्ति नगर से सना मलिक को अपना उम्मीदवार बनाया है। गौरतलब है कि सना मलिक एनसीपी के दागी नेता नवाब मलिक की बेटी हैं।

पहली सूची में था 38 उम्मीदवारों का नाम
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (राकांपा) ने एक दिन पहले ही 38 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। पहली सूची में पार्टी प्रमुख अजित पवार, छगन भुजबल और दिलीप वाल्से पाटील जैसे वरिष्ठ नेताओं का नाम था। अजित पवार बारामती सीट से, छगन भुजबल येवला सीट से और दिलीप वाल्से पाटील आंबेगाव सीट से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी धनंजय मुडे को परली, नरहरी झिरवाल को दिंडौरी सीट से उम्मीदवार बनाया है।

राज्य कर्मचारियों का महंगाई भत्ता तीन फीसदी बढ़ाया गया, पेंशनरों को भी फायदा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों को दिवाली गिफ्ट देते हुए तीन फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया है। इस निर्णय के बाद राज्य कर्मचारियों को अब 53 फीसदी महंगाई भत्ता मिलेगा। फैसले से पेंशनरों को भी लाभ मिलेगा। 30 अक्तूबर को राज्य कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी मिलेगी।

सरकार के इस फैसले का राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों और निगम के लाखों कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। महंगाई भत्ते की दर 1 जुलाई 2024 से लागू की जाएगी। बता दें कि एक अक्तूबर से देय धनराशि का भुगतान 30 अक्तूबर को किया जाएगा। वहीं, एक जुलाई से 30 सितंबर तक के बढ़े हुए एरियर की राशि पीएफ खाते में जमा की जाएगी।

एक दिन पहले, बोनस देने के फैसले को दी मंजूरी
इसके पहले, योगी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बोनस देने के फैसले को मंजूरी दे दी है। इस संबंध में लिए गए निर्णय को एक्स पर जारी करते हुए कहा गया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के समस्त पूर्णकालिक अराजपत्रित राज्य कर्मचारियों, राज्य निधि से सहायता प्राप्त शिक्षण एवं प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं, स्थानीय निकायों, जिला पंचायतों और राजकीय विभागों के कार्य प्रभारित अधिष्ठान के कर्मचारियों तथा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को वर्ष 2023-2024 के लिए बोनस प्रदान करने का सहर्ष निर्णय लिया है।

बीजेपी की लिस्ट से सहयोगी ‘गायब’, योगीराज में ब्राह्मण-ठाकुर, पिछड़ा-दलित सबको हिस्सेदारी

भाजपा ने यूपी उपचुनाव को लेकर अपनी पहली सूची जारी कर दिया है। नौ सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में सात सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया गया है। इसमें समाज के सभी वर्गों को हिस्सेदारी देने की कोशिश की गई है। केवल सात सीटों में ब्राह्मण-ठाकुर, ओबीसी और दलित सबको हिस्सेदारी दी गई है। भाजपा की पहली सूची में सहयोगी दलों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गई है। कटहरी विधानसभा सीट पर निषाद पार्टी अब तक चुनाव लड़ती आई थी, निषाद पार्टी ने इस चुनाव में भी इसको लेकर दावेदारी की थी, लेकिन भाजपा ने कटेहरी से धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी है। यानी निषाद पार्टी को फिलहाल बैक सीट पर बैठन के लिए कह दिया गया है।

अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने भी उपचुनाव में अपनी बड़ी दावेदारी की थी। वे अपनी पार्टी के लिए कम से कम दो सीटें लेने का दबाव बना रही थीं। निषाद पार्टी भी मझवां और कटहरी पर अपना दावा ठोंक रही थी। आरएलडी ने भी मीरापुर और एक खैर पर अपनी दावेदारी की थी। लेकिन भाजपा की पहली सूची में ही सभी सहयोगी दलों को संकेत दे दिया गया है कि पार्टी अपने बल पर चुनाव लड़ेगी।

भाजपा ने सहयोगी दलों को सीट भले ही न छोड़ी हो, लेकिन उनके संबंधित समाजों से उम्मीदवार अवश्य उतारे गए हैं। इसका एक ही कारण है कि भाजपा टिकट तो अपने दम पर बांटना चाहती है, और अपने ही बल पर चुनाव जीतने का संकेत देना चाहती है, लेकिन वह ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहती जिससे समाजवादी पार्टी को यह कहने का अवसर मिले कि भाजपा ने इन समाजों की उपेक्षा की।

यही कारण है कि अनुप्रिया पटेल को कोई टिकट न देने के बाद भी मझवां से सुचिस्मिता मौर्या को उतारकर मौर्या समाज को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है। कटेहरी से निषाद पार्टी लगातार चुनाव लड़ती आई है, इस बार भी वह इस सीट पर अपना दावा ठोंक रही थी, लेकिन भाजपा ने यह सीट उसे नहीं दी। लेकिन इसके बाद भी इस सीट पर एक निषाद समाज के उम्मीदवार धर्मराज निषाद को उतारकर पार्टी ने इस समुदाय को संतुष्ट करने की कोशिश है।

गाजियाबाद से संजीव शर्मा
गाजियाबाद सीट पर भाजपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता संजीव शर्मा को मैदान में उतार दिया है। यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। संजीव शर्मा के लिए गाजियाबाद से जीतना आसान हो सकता है, हालांकि समाजवादी पार्टी से सीधी लड़ाई हो जाने के कारण उनकी लड़ाई आसान नहीं रहने वाली है।

‘तोड़फोड़ से प्रभावित लोग अदालत आ सकते हैं’, राज्यों के खिलाफ अवमानना याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अधिकारियों द्वारा अदालत के आदेश की अवमानना का आरोप लगाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मामले से नहीं जुड़ा है, इसलिए वह याचिका पर विचार नहीं कर रहे हैं। हालांकि कोर्ट ने साफ किया है कि जो लोग बुलडोजर कार्रवाई से प्रभावित हैं, वो अदालत आ सकते हैं।

‘हम भानुमति का पिटारा नहीं खोलना चाहते’
पीठ ने कहा कि ‘हम भानुमती का पिटारा नहीं खोलना चाहते हैं। विध्वंस से प्रभावित लोगों को न्यायालय आने दें’। दरअसल याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि हरिद्वार, जयपुर और कानपुर में अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद संपत्तियों को ध्वस्त किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा था कि उनकी अनुमति के बगैर तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के अधिकारियों द्वारा कोर्ट के आदेश की अवमानना की गई।

याचिकाकर्ता के वकील ने दीं ये दलीलें
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय का आदेश स्पष्ट था कि इस न्यायालय की अनुमति के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी’। उन्होंने आरोप लगाया कि एक मामले में एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि याचिकाकर्ता एक तीसरा पक्ष है और उसे तथ्यों की जानकारी नहीं है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जिसके खिलाफ तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई, वह फुटपाथ पर अतिक्रमण था जिसे अधिकारियों ने हटाया था। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर अदालत का रुख किया था।

बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान का शिवसेना उद्धव पर हमला, कहा- साथ रहना कभी उनकी फितरत में नहीं था

मुंबई:  एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे और बांद्रा पूर्व से विधायक जीशान सिद्दीकी ने शिवसेना उद्धव पर हमला बोला है। उनकी विधानसभा सीट से शिवसेना उद्धव की ओर से उम्मीदवार उतारे जाने के बाद जीशान ने कहा कि साथ रहना कभी भी उनकी फितरत में नहीं था।

जीशान सिद्दीकी ने एक्स पर लिखा कि सुना है पुराने दोस्तों ने बांद्रा ईस्ट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। साथ रहना कभी उनके स्वभाव में नहीं था। सिर्फ उन्हीं से रिश्ता रखो जो तुम्हें सम्मान देते हों। अब जनता ही फैसला करेगी।

कांग्रेस ने कर दिया था निलंबित
पिछले विधानसभा चुनाव में बांद्रा पूर्व सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीशान सिद्दीकी ने विधायक चुने गए थे। हाल ही में विधान परिषद चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने पर कांग्रेस ने जीशान को पार्टी से निलंबित कर दिया था। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना उद्धव और एनसीपी शरद शामिल हैं।

12 अक्तूबर को कर दी गई थी एनसीपी नेता की हत्या
12 अक्तूबर को विधायक जीशान सिद्दीकी के पिता और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। साल की शुरुआत में ही बाबा सिद्दीकी कांग्रेस छोड़कर एनसीपी अजित में शामिल हो गए थे। वही जीशान ने अपने राजनीतिक फैसले के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है।

शिवसेना ने जारी की है 65 उम्मीदवारों की सूची
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर शिवसेना उद्धव गुट की तरफ से भी 65 उम्मीदवारों की सूची जारी की गई थी। इसमें बांद्रा ईस्ट से वरुण सरदेसाई को उम्मीदवार बनाया गया है। 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव 20 नवंबर को एक ही चरण में होंगे, जबकि विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी।

महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सत्ता की जंग
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, भाजपा और अजीत पवार की एनसीपी से मिलकर बनी महायुति सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रही है, जबकि शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस की विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) इसे सत्ता से बेदखल करने के प्रयास में है।