Wednesday , November 27 2024

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‘बिहार में शराबबंदी है, पर जहरीली शराब…’, प्रियंका गांधी वाड्रा ने NDA सरकार को घेरा

नई दिल्ली:  बिहार के सारण और सीवान में जहरीली शराब कांड पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने एनडीए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन जहरीली शराब का अवैध कारोबार जोरों पर है। सीवान और सारण में जहरीली शराब पीने से कम से कम छह लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मरने वालों में चार सीवान और दो सारण के रहने वाले हैं। एक अधिकारी ने बुधवार को इसकी जानकारी दी थी।

प्रियंका गांधी ने एनडीए सरकार को घेरा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदी में पोस्ट करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने जहरीली शराब कांड पर दुख जताया। उन्होंने कहा, “बिहार के सीवान और सारण जिलों में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुखद है। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को श्रीचरणों में स्थान दें। शोक संतप्त परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में भर्ती हैं, उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करती हूं।” उन्होंने आगे कहा, “बिहार में शराबबंदी लागू है लेकिन जहरीली शराब का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है, जिससे आये दिन मौतें होती हैं। सरकार को इस पर लगाम लगानी चाहिए।”

सीवान के जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने इस घटना पर पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा, “बुधवार को सुबह साढ़े सात बजे जानकारी मिली कि मगहर व औरिया पंचायत में रहस्यमय परिस्थिति में तीन लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों की एक टीम को इलाके में भेजा गया। अन्य 12 लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनमें से एक की रास्ते में ही मौत हो गई।” उन्होंने आगे बताया कि शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया ऑटोप्सी रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकता है। गांववालों का कहना है कि इन लोगों ने मंगलवार को जहरीली शराब का सेवन किया था, जिसके बाद वे बीमार हो गए।

‘निष्पक्ष रहें ED-CBI जैसी केंद्रीय एजेंसियां’, जानें किस मामले की जांच पर ऐसा बोले CM सिद्धारमैया

बंगलूरू: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने गुरुवार को एक बार फिर केंद्रीय एजेंसियों के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीबीआई, ईडी और आयकर जैसी केंद्रीय एजेंसियों को निष्पक्ष होना चाहिए और किसी एक पार्टी के पक्ष में काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने साथ ही दावा किया कि कांग्रेस राज्य में तीन विधानसभा क्षेत्रों में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में जीत दर्ज करने के लिए तैयार है।

सिद्धरमैया ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘नागेंद्र (पूर्व मंत्री) ने मीडिया से कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन पर दबाव डाला था। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि उनपर मेरा और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया था। किसी भी एजेंसी को किसी पार्टी के पक्ष में काम नहीं करना चाहिए। चाहे सीबीआई हो, ईडी हो या आयकर विभाग हो। सभी को निष्पक्षता से काम करना चाहिए।’’

गौरतलब है कि पूर्व मंत्री बी नागेंद्र ने हाल ही में आरोप लगाए हैं कि ईडी ने उनपर कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में करोड़ों रुपये के घोटाले में सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम शिवकुमार का नाम लेने का दबाव डाला था। नागेंद्र ने ईडी पर कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की साजिश के तहत विपक्षी भाजपा के दबाव में अपनी गिरफ्तारी का भी आरोप लगाया।

चुनावों को लेकर क्या बोले सीएम सिद्धारमैया?
सिद्धरमैया ने कहा कि जिन तीन निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे, वहां कांग्रेस पार्टी जीत दर्ज करने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। दो, तीन दिन में उम्मीदवारों के नामों का एलान हो जाएगा। तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस की जीत होगी।’’ इस बीच डीके शिवकुमार के साथ कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से हुई मुलाकात के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमने आगामी उपचुनाव पर चर्चा की।’’

कर्नाटक में कब होने हैं उपचुनाव?
निर्वाचन आयोग के एलान के मुताबिक, संदूर, शिगगांव और चन्नपटना में उपचुनाव 13 नवंबर को होने हैं और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए होंगे। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 25 अक्तूबर है तथा नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 30 अक्तूबर है।

कांग्रेस का महायुति सरकार पर शिवाजी की विरासत को कमजोर करने का आरोप, कहा- खामियाजा भुगतना पड़ेगा

नई दिल्ली: कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को महायुति सरकार पर भारत के महान सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को कमजोर करने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि जो लोग महाराष्ट्र के गौरवशाली इतिहास और मेलजोल की संस्कृति को स्वीकार नहीं करते हैं, उन्हें अगले महीने इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि महायुति ने छत्रपति को भी अपनी जबरन वसूली और लूट से नहीं बख्शा, क्योंकि सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में उनकी 35 फीट ऊंची प्रतिमा इतने खराब तरीके से बनाई गई थी कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्घाटन करने के एक साल के भीतर ही गिर गई।

रमेश ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘महायुति सरकार महाराष्ट्र में भारत के एक महान सपूत की विरासत को कमजोर किया है। उन्होंने आगे कहा, सात साल पहले गैर-जैविक (नॉन-बायोलॉजिकल) प्रधानमंत्री ने मुंबई के पास अरब सागर में शिवाजी महाराज की 696 फीट ऊंची प्रतिमा की नींव रखी थी, जिसे बाद में उनकी सरकार ने चुपचाप छोड़ दिया।’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘जुमलेबाजों ने खुद शिवाजी महाराज को जुमला देने की गुस्ताखी की है।’

शिवाजी की प्रतिमा को हटाने का लगाया आरोप
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘भाजपा के नेताओं ने गैर जैविक पीएम की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से करके उनकी महानता को कमतर दिखाने की कोशिश की है।’ उन्होंने यह भी कहा कि महायुति ने चार जून को हुई अपनी हार के बाद महाराष्ट्र के लोगों को नीचा दिखाने के लिए संसद भवन के बाहर से शिवाजी महाराज की प्रतिमा को हटा दिया। रमेश ने कहा, ‘जो लोग महाराष्ट्र के गौरवशाली इतिहास और मेलजोल की संस्कृति को नकारते हैं, उन्हें अगले महीने इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।’

‘जाकिर नाइक जैसा भगोड़ा FIR जोड़ने की मांग कैसे कर सकता है’, शीर्ष कोर्ट में केंद्र की दलील

नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य जगहों पर नफरत फैलाने वाले भाषणों से जुड़ी 2013 की एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग वाली भगोड़े जाकिर नाइक की याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठाया। केंद्र ने कहा कि एक भगोड़ा व्यक्ति स्थिति का हवाला देते हुए एफआईआर साथ जोड़ने की मांग कैसे कर सकता है।

जस्टिस अभय एस ओका की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि क्या कोई व्यक्ति जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है, वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर कर सकता है। मेहता ने कहा कि वह जवाबी हलफनामे के साथ तैयार हैं। नाइक के वकील ने कहा कि मामला एफआईआर को एक साथ जोड़ने से संबंधित है। याचिका को वापस लेने के संबंध में उनके पास कोई निर्देश नहीं है।

पीठ ने नाइक के वकील से याचिकाकर्ता का हलफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा कि वह इसे आगे बढ़ाना चाहता है या वापस लेना चाहता है। पीठ ने कहा, सॉलिसिटर जनरल जवाबी हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होगी। वर्ष 2013 में जाकिर नाइक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए देश भर में कई और महाराष्ट्र में तीन मामले दर्ज किए गए थे।

विभिन्न राज्यों में दर्ज हैं 43 एफआईआर
नाइक की तरफ से पेश वकील ने कहा कि उसे मामला वापस लेने के संबंध में कोई निर्देश नहीं मिला है और याचिका में विभिन्न राज्यों में दर्ज लगभग 43 एफआईआर को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया है। वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल के खिलाफ छह एफआईआर विचाराधीन हैं और वह इन्हें रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का रुख करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने नाइक के वकील से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने नाइक के वकील को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि वह मामला जारी रखेगा या इसे वापस लेगा। इसके साथ ही अदालत ने मेहता से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्तूबर को होगी। नाइक फिलहाल विदेश में है। एनआईए कथित आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता की भी जांच कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस समारोह में शामिल होंगे पीएम; बुद्ध धम्म की विरासत पर साझा करेंगे विचार

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बृहस्पतिवार को विज्ञान भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस समारोह में शामिल होंगे और पाली भाषा के महत्व पर अपने विचार साझा करेंगे। संस्कृति मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि मोदी ‘बुद्ध धम्म’ की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने एवं उसे बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों पर बात करेंगे। गौरतलब है कि अभिधम्म दिवस भगवान बुद्ध के अभिधम्म की शिक्षा देने के बाद स्वर्ग से अवतरण की याद में मनाया जाता है। वहीं हाल ही में पाली को चार अन्य भाषाओं के साथ शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने से इस वर्ष के अभिधम्म दिवस समारोह का महत्व और बढ़ गया है, क्योंकि भगवान बुद्ध की अभिधम्म पर शिक्षाएं मूल रूप से पाली भाषा में उपलब्ध हैं।

पीएमओ ने दी जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को लेकर पीएमओ ने जानकारी साझा कर बताया कि पीएम मोदी गुरुवार को सुबह करीब 10 बजे नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने के समारोह में भाग लेंगे। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी अभिधम्म दिवस के महत्व, पाली भाषा के महत्व और बुद्ध धम्म की समृद्ध विरासत को संरक्षित और प्रोत्साहन देने के लिए सरकार के प्रयासों पर अपने विचार साझा करेंगे।

14 देशों के शिक्षाविद लेंगें भाग
जानकारी के अनुसार भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस समारोह में 14 देशों के शिक्षाविद और भिक्षु तथा भारत भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से बुद्ध धम्म पर बड़ी संख्या में युवा विशेषज्ञ भाग लेने वाले है। बता दें कि इस समारोह में संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समारोह को विशेष रूप से संबोधित करेंगे। इसके साथ ही संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू भी उपस्थित रहेंगे।

असम सरकार में उत्पाद शुल्क विभाग के अधीक्षक रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार, घर से 47.30 लाख बरामद

असम सरकार में उत्पाद शुल्क विभाग में कार्यालय अधीक्षक पार्थ हजारिका को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। असम विजिलेंस एंड एंटी करप्शन टीम ने दिसपुर में जनता भवन के मुख्य द्वार पर 24500 रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। बुधवार की रात गुवाहटी में पार्थ हजारिका के घर पर छापेमारी कर विजिलेंस एंड एंटी करप्शन की टीम ने 47.30 लाख रुपये बरामद किये और जब्त कर लिये। असम पुलिस के सीपीआरओ प्रणब ज्योति गोस्वामी ने बताया कि पार्थ हजारिका के पास से रिश्वत की रकम बरामद कर ली गई है।

भाजपा ने CPM के जिला पंचायत अध्यक्ष के आवास तक निकाला मार्च, कन्नूर में बुलाया गया बंद

कन्नूर: केरल के कन्नूर में भाजपा ने सीपीआई(एम) के जिला पंजायत अध्यक्ष पीपी दिव्या के आवास तक प्रदर्शन मार्च निकाला। इसके साथ ही उन्होंने वरिष्ठ जिला प्रशासन अधिकारी की मौत के मामले में दिव्या से इस्तीफे की मांग की। दरअसल, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) कन्नूर नवीन बाबू मंगलवार सुबह एडीएम के रूप में कार्यभार संभालने के लिए पथानामथिट्टा जाने वाले थे, लेकिन जिला पंजायत अध्यक्ष द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद ही उन्होंने फांसी लगा ली थी। उनकी मौत पर भाजपा ने बंद का एलान किया, जिसके बाद कन्नूर में दुकानें और बाजार बंद रखा गया।

पीपी दिव्या से इस्तीफे की मांग
पुलिस ने दिव्या के आवास के एक किलोमीटर दूर बैरिकेट्स लगा दिया था, लेकिन प्रदर्शनकारी बैरिकेट्स तक पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। उन्होंने सीपीआई(एम) के जिला पंजायत अध्यक्ष दिव्या से इस्तीफे की भी मांग की। एडीएम की मौत और दिव्या द्वारा उनपर लगाए गए आरोपों को लेकर राजस्व अधिकारियों ने पथानामथिट्टा जिला कलेक्ट्रेट तक प्रदर्शन किया। अधिकारियों ने कहा कि नवीन बाबू बहुत ही ईमानदार और मेहनती व्यक्ति थे। एडीएम का कार्यभार संभालने के बाद वे उनके साथ आगे काम करना चाहते थे।

नवीन बाबू की मौत से राज्य में विवाद पैदा हो गया। कांग्रेस और भाजपा दिव्या से इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विदाई समारोह के दौरान नवीन बाबू को दिव्या से जो अपमान झेलना पड़ा, उसी के कारण उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया। उन्होंने दिव्या की गिरफ्तारी की भी मांग की। सीपीआई(एम) ने नवीन बाबू की मौत पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा विदाई समारोह में की गई टिप्पणियां केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ नेक इरादे वाली आलोचना थी।

बिहार के पूर्व मंत्री की हत्या मामले में पूर्व विधायक को झटका, आत्मसमर्पण के लिए समय देने से इनकार

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की 1998 में हुई हत्या के मामले में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला समेत दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस पर शुक्ला ने आत्मसमर्पण करने के लिए समय मांगने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे बुधवार को अदालत ने खारिज कर दिया।

और समय नहीं दिया जा सकता: पीठ
पूर्व विधायक की ओर से वकील विकास सिंह ने जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की पीठ से अनुरोध किया था कि उनकी पत्नी के स्वास्थ्य और मामलों के प्रबंधन के लिए एक महीने यानी 30 दिन का समय चाहिए। हालांकि, याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि तीन अक्तूबर के आदेश में शुक्ला को 15 दिन का पर्याप्त समय दिया गया है और इसलिए अब और समय नहीं दिया जा सकता।

मंटू और शुक्ला को 15 दिन में करना है आत्मसमर्पण
बता दे, तीन अक्तूबर को शीर्ष अदालत ने दोषियों मंटू तिवारी और पूर्व विधायक शुक्ला को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत छह अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें बरी करने के फैसले को बरकरार रखा था। पीठ ने कहा था कि मंटू और विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप साबित होते। उन्हें 15 दिनों के अंदर आत्मसमर्पण करना होगा।

हाईकोर्ट और निचली अदालत में क्या हुआ था?
इससे पहले 24 जुलाई 2014 को हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष के सबूतों और गवाहों को मद्देनजर रखते हुए सूरजभान सिंह उर्फ सूरज सिंह, मुकेश सिंह, लल्लन सिंह, मंटू तिवारी, कैप्टन सुनील सिंह, राम निरंजन चौधरी, शशि कुमार राय, मुन्ना शुक्ला और राजन तिवारी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने निचली अदालत के 12 अगस्त 2009 के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था और सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

मुदा चेयरमैन का इस्तीफा, भाजपा ने सिद्धारमैया को घेरा, कहा- नैतिकता बची है तो इस्तीफा दें सीएम

बंगलूरू: मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुदा) के चेयरमैन के. मैरीगौड़ा ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बीएम को साइटों के आवंटन में अनियमितता को लेकर विवाद के बीच उन्होंने यह फैसला लिया। उन्होंने अपना इस्तीफा नगर विकास विभाग सचिव को सौंप दिया। मैरीगौड़ा के इस फैसले पर भाजपा ने प्रतिक्रिया दी। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा कि मुदा के चेयरमैन ने इस्तीफा दे दिया और सीएम सिद्धारमैया ने जमीन लौटाने की पेशकश की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस नेता सिद्धारमैया सिर से पैर तक मुदा घोटाले में लिप्त हैं। उन्होंने सीएम सिद्धारमैया से इस्तीफे की भी मांग की।

इस्तीफा देने के बाद के. मैरीगौड़ा ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा, “मैंने सीएम के निर्देश के बाद इस्तीफा दिया। इसके अलावा मुझे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी थी, जिसके कारण मैंने इस्तीफा दिया। मेरे पर कोई दबाव नहीं बनाया गया। मुझे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, जिसके कारण मैंने इस्तीफा दिया।” एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, जांच जारी है और यह जारी रहेगा। यह जांच के बाद ही मालूम चलेगा कि कोई अनियमितता थी या नहीं।

भाजपा सांसद ने दी प्रतिक्रिया
के. मैरीगौड़ा के इस्तीफे के तुरंत बाद भाजपा सांसद संबित पात्रा ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा, “मुदा चेयरमैन ने कुछ देर पहले इस्तीफा दे दिया और सीएम सिद्धारमैया ने जमीन लौटाने की पेशकश की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस नेता सिर से लेकर पैर तक मुदा घोटाले में लिप्त हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कल ही चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में बताया गया कि कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम के फंड को डायवर्ट किया गया है।”

उन्होंने आगे कहा, “बेल्लरी लोकसभा क्षेत्र में चुनाव के लिए प्रत्येक लोगों को 200 रुपये दिए गए थे। चार्जशीट में बताया गया कि महर्षि वाल्मिकी बोर्ड के पास जो पैसा था, उसे कांग्रेस ने राजनीतिक काम में लगाया। चीफ अकाउंटेंट पी. चंद्रशेखर के सुसाइड नोट में भी कहा गया है कि 187 करोड़ रुपये अवैध तरीके से स्थानांतरित किये गये थे।”

भाजपा सांसद ने आगे कहा, “सिद्धारमैया द्वारा आवंटित भूमि लौटाने की पेशकश और सदन में यह स्वीकार करना कि पैसे को डायवर्ट किया गया, क्या इससे अपराध स्वीकार करनेने की बू नहीं आती? मैं सिद्धारमैया से अपील करता हूं कि उनमें थोड़ी सी भी नैतिकता बची है तो वे इस्तीफा दे दें। आपको आज के सूर्यास्त का इंतजार नहीं करना चाहिए। आज के सूर्यास्त से पहले ही कर्नाटक के शासन पर से पर्दा उठ जाना चाहिए।”

वीआईपी सुरक्षा से एनएसजी कमांडोज को हटाने का आदेश जारी, सीआरपीएफ संभालेगी कमान

नई दिल्ली:  केंद्र सरकार ने वीआईपी सुरक्षा से एनएसजी कमांडोज को पूरी तरह से हटाने का आदेश जारी कर दिया है। अब देश में अगले महीने से वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ संभालेगी। गृह मंत्रालय ने संसद सुरक्षा से हटाई गई सीआरपीएफ की बटालियन को वीआईपी सुरक्षा विंग में शामिल करने का आदेश भी दिया है।

इन वीआईपी को मिली हुई है जेड प्लस सुरक्षा
देश में नौ वीआईपी को अभी जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है, जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स के ब्लैक कैट कमांडोज द्वारा संभाली जाती है। इन नौ वीआईपी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, भाजपा नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं। अब इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ द्वारा संभाली जाएगी।

सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने दोनों बलों के बीच ड्यूटी का हस्तांतरण एक महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है। सीआरपीएफ के पास वीआईपी सुरक्षा के लिए छह बटालियन हैं, जिसमें सातवीं बटालियन को भी शामिल करने को कहा गया है। नई बटालियन वही है जो कुछ महीने पहले तक संसद की सुरक्षा करती थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल सुरक्षा में चूक के बाद संसद की सुरक्षा सीआरपीएफ से सीआईएसएफ को सौंप दी गई थी। सूत्रों ने बताया कि नए कार्यभार को संभालने के तहत आंध्र प्रदेश पुलिस की एक टीम हाल ही में अपने मुख्यमंत्री की सुरक्षा को एनएसजी से सीआरपीएफ में बदलने के लिए दिल्ली आई थी।

दो वीआईपी को एएसएल प्रोटोकॉल भी मिलेगा
सूत्रों के अनुसार, नौ वीआईपी में से दो को सीआरपीएफ द्वारा अपनाए जा रहे उन्नत सुरक्षा संपर्क (एएसएल) प्रोटोकॉल का भी लाभ मिलेगा, जिनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ शामिल हैं। एएसएल में वीआईपी द्वारा दौरा किए जाने वाले स्थान की पहले से ही टोह ली जाती है। सीआरपीएफ अपने पांच वीआईपी के लिए इस तरह का प्रोटोकॉल अपनाती है, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के तीन कांग्रेस नेता शामिल हैं। वीआईपी सुरक्षा कार्यों से एनएसजी को मुक्त करने की योजना 2012 से ही बन रही है, जब एनएसजी कमांडर्स ने ऐसी घटना की आशंका जताई थी, जिसमें देश के कई केंद्रों पर एक साथ आतंकी हमले हो सकते हैं और कमांडोज को अलग-अलग दिशाओं में भेजा जाना होगा।