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डॉक्टर्स के काम बंद से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित; TMC छात्रसंघ समर्थकों ने राज्यपाल को दिखाए काले झंडे

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या मामले में विरोध प्रदर्शन अभी भी शांत नहीं हुआ है। मृतक डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करते हुए जूनियर डॉक्टरों ने एक बार फिर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। डॉक्टरों ने एक बार फिर काम बंद कर दिया। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं गुरुवार को लगातार तीसरे दिन भी प्रभावित रहीं।

यह दूसरी बार ऐसा हो रहा है कि डॉक्टरों ने अपनी मांग को लेकर काम बंद रखने का फैसला किया है। बता दें कि नौ अगस्त को महिला डॉक्टर का शव मिलने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने 42 दिनों तक काम बंद रखा था। हालांकि, वे 21 सितंबर को अपनी ड्यूटी पर वापस लौट गए थे। राज्य सरकार पर मांगों को पूरा न करने का आरोप लगाते हुए डॉक्टरों ने एक बार फिर मंगलवार से काम बंद कर दिए।

प्रदर्शन कर रहे एक डॉक्टर ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने अभी तक हमारी मांगों को लेकर हमें बातचीत के लिए नहीं बुलाया।” डॉक्टरों ने इस मामले में सीबीआई जांच की गति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सीबीआई की जांच हद से ज्यादा धीमी थी और वे इससे निराश हुए हैं। पीड़ित को न्याय दिलाने की बात करते हुए उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफे की मांग की।

क्या है पूरा मामला?
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ दरिंदगी की घटना नौ अगस्त की है। मृतक मेडिकल कॉलेज में चेस्ट मेडिसिन विभाग की स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्रा और प्रशिक्षु डॉक्टर थीं। आठ अगस्त को अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद रात के 12 बजे उसने अपने दोस्तों के साथ डिनर किया। इसके बाद से महिला डॉक्टर का कोई पता नहीं चला। घटना के दूसरे दिन सुबह उस वक्त मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया जब चौथी मंजिल के सेमिनार हॉल से अर्ध नग्न अवस्था में डॉक्टर का शव बरामद हुआ। घटनास्थल से मृतक का मोबाइल फोन और लैपटॉप बरामद किया गया।

पोस्टमॉर्टम की शुरुआती रिपोर्ट से पता चला है कि महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी। जूनियर महिला डॉक्टर का शव गद्दे पर पड़ा हुआ था और गद्दे पर खून के धब्बे मिले। शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि मृतक महिला डॉक्टर के मुंह और दोनों आंखों पर था। गुप्तांगों पर खून के निशान और चेहरे पर नाखून के निशान पाए गए। होठ, गर्दन, पेट, बाएं टखने और दाहिने हाथ की उंगली पर चोट के निशान थे।

राज्यपाल को टीएमसीपी कार्यकर्ताओं ने दिखाए काले झंडे
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस गुरुवार को कलकत्ता यूनिवर्सिटी मेंएक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचें। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई ने उन्हें काले झंडे दिखाए। तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद (टीएमसीपी) समर्थकों ने बताया कि वे यूनिवर्सिटी अधिकारियों द्वारा पुरस्कार समारोह आयोजित करने के निर्णय के अनियमित तरीके का विरोध कर रहे थे। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कॉलेज स्ट्रीट में यूनिवर्सिटी परिसर में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे। टीएमसीपी समर्थकों ने राज्यपाल आनंद बोस के खिलाफ नारे भी लगाए।

आरजी कर अस्पताल में दुष्कर्म-हत्या पीड़िता की प्रतिमा पर बवाल; TMC नेता बोले- कला के नाम पर ऐसा..

कोलकाता:  कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई भयावह घटना को लेकर आज भी देशभर में गुस्सा है। जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद न्याय की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर लगातार सड़कों पर हैं। हालांकि, इस बीच अस्पताल के पास पीड़िता डॉक्टर की प्रतिमा लगाने पर विवाद खड़ा हो गया है। तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने भी प्रशिक्षु डॉक्टर की प्रतिमा लगाने को लेकर डॉक्टरों की आलोचना की।

कहा लगाई गई प्रतिमा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रतिमा को ‘क्राई ऑफ द आवर’ (Cry of the Hour) नाम दिया गया है। कलाकार असित सैन ने बताया कि प्रतिमा में पीड़िता के जीवन के अंतिम पलों में हुई पीड़ा और भयावह को दिखाया गया है। बता दें, प्रतिमा में एक महिला को रोते हुए दिखाया है। यह आरजी कर के प्रधानाचार्य के कार्यालय के पास स्थापित की गई है।

अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने कहा, ‘यह पीड़िता की प्रतिमा नही हैं, लेकिन उस दर्द और भयावह का प्रतीक है जिससे वह गुजरी है। साथ ही यह उस विरोध प्रदर्शन का प्रतीक है, जो वहां चल रहा है।’

सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
हालांकि, प्रतिमा लगाए जाने की खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। इस कदम की कई लोगों ने आलोचना की। इसे अपमानजनक और परेशान करने वाला कदम बताया। एक यूजर ने एक्स पर कहा, ‘क्या आप चाहते हैं कि उनकी प्रतिमा लगाई जाए? उनकी पीड़ा भरे चेहरे के अलावा किसी कुछ भी करें। यह जो भी हो, यह बेहद परेशान करने वाला है।’

वहीं, एक ने कहा, ‘यह कितना असंवेदनशील है, मैं इस पर कुछ बोलने लायक नहीं बचा। मुझे उम्मीद है कि इस घृणित मूर्ति को हटा दिया जाएगा।’एक और यूजर ने गुस्से में कहा, ‘इस देश के डॉक्टर इतने उदासीन हैं। आपने दुष्कर्म पीड़िता की ऐसी प्रतिमा क्यों बनाई?’

क्या बोले टीएमसी नेता?
इतना ही नहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने भी प्रशिक्षु डॉक्टर की प्रतिमा लगाने को लेकर डॉक्टरों की आलोचना की और कहा कि यह शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों के खिलाफ है, जिसमें पीड़िता के नाम और पहचान का खुलासा किया जाना मना है। उन्होंने कहा, ‘कोई जिम्मेदार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता। कला के नाम पर भी नहीं। विरोध प्रदर्शन होंगे और न्याय की मांग होगी। लेकिन दर्द में लड़की के चेहरे के साथ प्रतिमा सही नहीं है। पीड़ितों की तस्वीरों या प्रतिमा का उपयोग नहीं करने के दिशानिर्देश हैं।’

बसों में ‘शिवनेरी सुंदरी’ को लेकर कांग्रेस के विरोध पर MSRTC का बयान; कहा- यात्रियों की मदद…

मुंबई: महाराष्ट्र में पुणे से मुंबई के बीच चलने वाली इलेक्ट्रिक शिवनेरी लग्जरी बसों में एयर होस्टेस की तरह सुंदरी परिचारिकाओं को शामिल करने पर महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) ने सफाई पेश की। इस मामले में कांग्रेस ने एमएसआरटीसी को घेरते हुए सरकार को जर्जर बसों और बस स्टेशनों के सुधार पर ध्यान देने की अपील की थी। इसके एक दिन बाद ही एमएसआरटीसी के चेयरमैन भरत गोगावले ने प्रतिक्रिया दी।

भरत गोगावले ने कहा, “यात्रियों को हवाई यात्रा जैसा आतिथ्य प्रदान करने के लिए के लिए मुंबई-पुणे मार्ग पर चलने वाली एसटी की ई-शिवनेरी बसों में ‘शिवनेरी सुंदरी’ को तैनात किया जाएगा। ये यात्रियों को टिकट पर बिना अधिशुल्क के उन्हें गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदान करेंगी।”

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के नए अध्यक्ष भरत गोगावले ने मंगलवार को शिवनेरी ब्रांड नाम से दो प्रमुख शहरों के बीच चलने वाली वातानुकूलित बसों में सुंदरियां योजना शुरू करने की घोषणा की थी। एमएसआरटीसी ने कहा कि 200 किलोमीटर लंबे व्यस्त मार्ग पर यात्रा करने वाले यात्रियों को हवाई यात्रा जैसा आतिथ्य प्रदान करने के लिए यह फैसला लिया गया है। भरत गोगावले का एमएसआरटीसी प्रमुख के रूप में पहला निर्णय शिवनेरी में सुंदरी को नियुक्त करना है। इसे लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने एमएसआरटीसी के कदम पर सरकार की आलोचना की।

13 महीने बाद मिली छत्तीसगढ़ के व्यवसायी को जमानत; महादेव सट्टेबाजी एप मामले में हुए थे गिरफ्तार

नई दिल्ली:  छत्तीसगढ़ के व्यवसायी सुनील दम्मानी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उन्हें शीर्ष अदालत ने गुरुवार को जमानत दे दी। बता दें, दम्मानी को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल अगस्त में अवैध जुआ महादेव एप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।

जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत: कारोबारी के वकील
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से जेल में बंद व्यवसायी के वकील ने हाल ही में आग्रह किया था कि जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। इसी याचिका पर आज सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि दम्मानी ने आरोपों की गंभीरता को समझे बिना ऐसा किया।

इन शर्तों के साथ दी गई जमानत
पीठ ने कहा कि दम्मानी पिछले साल 23 अगस्त से हिरासत में हैं। इसलिए उसे जमानत देने से इनकार करने वाले छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि गुण-दोष के आधार पर कुछ कहे बिना हमारा विचार है कि अपीलकर्ता को जमानत की शर्तों के साथ जमानत पर रिहा किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यदि किसी अन्य जांच में दम्मानी की आवश्यकता न हो तो अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है, बशर्ते कि वह संबंधित जिले में ईडी कार्यालय में हर 15 दिन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। वह निचली अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं।’

13 महीने से अधिक समय से जेल में
सुनवाई शुरू होने पर दम्मानी के वकील विकास पाहवा ने कहा था कि उनके मुवक्किल 13 महीने से अधिक समय से जेल में हैं। मुख्य आरोपी जांच में शामिल नहीं हुआ है और मामले में मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कहा कि इस मामले में 45 आरोपी हैं। कारोबारी पर अपराध से अर्जित धन को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि अवैध तरीके से विदेश भेजने का आरोप है।

पुलिस हिरासत में मौत का मामला, हाईकोर्ट का न्यायिक जांच रिपोर्ट 18 नवंबर तक पेश करने का निर्देश

मुंबई:  बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बदलापुर में अक्षय शिंदे की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में न्यायिक जांच की रिपोर्ट 18 नवंबर तक पेश करने का निर्देश दिया है। अक्षय शिंदे बदलापुर के स्कूल में बच्चियों के यौन शोषण का आरोपी था। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने मामले से जुड़े सारे सबूत इकट्ठा करने और उनकी फोरेंसिक विशेषज्ञों से जांच कराने का भी निर्देश दिया।

अक्षय शिंदे के पिता की याचिका पर सुनवाई कर रहा है हाईकोर्ट
कानून के अनुसार, पुलिस हिरासत में होने वाली हर मौत की जांच मजिस्ट्रेट द्वारा की जानी चाहिए। मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कहा कि सभी दस्तावेज जांच के लिए भेज दिए गए हैं। कोर्ट ने अक्षय शिंदे के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किए। अक्षय शिंदे के पिता ने पुलिस पर उनके बेटे का फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया है और इसकी कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। अभी सीआईडी मामले की जांच कर रही है।

एनकाउंटर में ढेर हुआ था अक्षय शिंदे
24 वर्षीय अक्षय शिंदे पर ठाणे जिले के बदलापुर के एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप हैं। 23 सितंबर को जब उसे एक मामले की जांच के सिलसिले में नवी मुंबई की तलोजा जेल से बदलापुर वापस लाया जा रहा था। पुलिस के अनुसार, तभी अक्षय ने एक पुलिस अधिकारी की पिस्टल छीनकर गोलीबारी की। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अक्षय की मौत हो गई थी। यह घटना ठाणे में मुंब्रा बाईपास के पास हुई।

सुनवाई के दौरान अदालत ने उठाए क्या-क्या सवाल
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि सभी साक्ष्य एकत्र किए जाएं, संरक्षित किए जाएं और फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा जांच की जाए। शव सबसे मूक तथा ईमानदार गवाह होता है। अदालत ने कहा कि घटना में दो अलग-अलग बन्दूकों से गोलियां चलाई गई थीं। दो अलग-अलग बन्दूकों के खाली खोल मिले हैं। हर बन्दूक की फायरिंग पिन अलग-अलग होती है। यह इस बात का निर्णायक प्रमाण हो सकता है कि किस बन्दूक में कौन सी फायरिंग पिन होगी।’अदालत ने कहा, ‘हम इस बात को निर्णायक रूप से दर्शाने वाली रिपोर्ट देखना चाहते हैं।’

आपदाओं से निपटने के लिए अब दूसरे विभागों से भी मदद ले सकेंगे वन कर्मी, केंद्र की अनुमति

नई दिल्ली:  केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य वन विभाग के पास जरूरी तकनीकी विशेषज्ञता के अभाव में आपात परिस्थितियों में अन्य सरकारी विभागों को प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए वन क्षेत्रों में वानिकी गतिविधियों की इजाजत दी जा सकती है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को जारी दिशानिर्देशों में विस्तार से उन उपायों का जिक्र किया है जिन्हें वन क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं को रोकने या उनके प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।

उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को पत्र लिखकर जंगल में बार-बार आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए प्रभावी उपाय तलाशने और विकसित करने को कहा था। इसके बाद ये दिशानिर्देश जारी किए गए। इसमें आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों में समय से पहले वन कर्मचारियों को तैयार करने के लिए ‘मॉक ड्रिल’ करने को भी कहा गया है। साथ ही सरकारी विभागों को वन क्षेत्रों में मृदा एवं जल संरक्षण कार्य करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया है।

मंत्रालय की वन परामर्श समिति की 27 अगस्त को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे खत में कहा कि वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और संबंधित दिशानिर्देशों के अनुसार आपातकालीन स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाओं में उन वन क्षेत्रों में कुछ वानिकी गतिविधियां की जा सकती हैं, जहां वन्यजीवों, मानव जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

पराली से प्रदूषण मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में भी आएगा फैसला

नई दिल्ली:  पराली जलने से दिल्ली-एनसीआर में होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट आयोग की रिपोर्ट पर आज सुनवाई कर सकता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट 1998 में बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह व आठ अन्य को बरी करने वाले पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती वाली अपीलों पर भी बृहस्पतिवार को फैसला सुनाएगा। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन फैसला सुनाएंगे। शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था।

जस्टिस अभयएस ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। 27 सितंबर को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए दिल्ली में वायु प्रदूषण पर काबू पाने में नाकामी पर सीएक्यूएम को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उसे और अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पराली जलाने के वैकल्पिक उपकरणों का जमीनी स्तर पर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रयासों की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने पैनल को बेहतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष राजेश वर्मा से कहा था कि आपने अब तक अधिनियम के एक भी प्रावधान का अनुपालन नहीं किया है। क्या धारा 11 के अंतर्गत समितियां बनाई गई हैं? यह सब हवा में है। ऐसे में पराली से होने वाले वायु प्रदूषण से कैसे निपटेंगे?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर साल पराली जलाने की समस्या सामने आती है। पराली जलाने के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि पराली से निपटने की सभी कार्रवाई सिर्फ कागजों पर हो रही हैं। हमें आपके कागज में कोई दिलचस्पी नहीं है। हमें एक भी निर्देश दिखाओ जो उन्होंने जारी किया हो। कोर्ट ने कहा कि क्या सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कोई कार्रवाई की गई है? आप मूकदर्शक बने हुए हैं। यदि आप यह संदेश नहीं दे सकते हैं कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, तो ये प्रावधान केवल कागज पर ही रह जाएंगे।

‘हम लोगों से शादी करने या भिक्षु बनने को…’, HC के महिलाओं को सन्यासी बनाने के सवाल पर ईशा फाउंडेशन

चेन्नई:  आध्यात्मिक नेता सद्गुरु जग्गी वासुदेव की अगुवाई वाला मशहूर ईशा फाउंडेशन एक बड़े विवाद में फंस गया है। फाउंडेशन पर एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने आरोप लगाया है कि उनकी दो बेटियों को जबरन आश्रम में रखा गया था। यह मामला अदालत तक पहुंच गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में ईशा फाउंडेशन को फटकार लगाई थी और पूछा था कि वह महिलाओं को मोह माया से दूर बैरागियों की तरह रहने के लिए प्रेरित क्यों करते हैं, जबकि खुद उनकी बेटी शादीशुदा है। हालांकि, अब फाउंडेशन ने सफाई दी है। उसका कहना है कि हम किसी से शादी करने या भिझु बनने के लिए नहीं कहते हैं। यह एक व्यक्तिगत पसंद है।

‘ये व्यक्तिगत विकल्प हैं’
ईशा फाउंडेशन ने कहा, ‘ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और बुद्धि है। हम लोगों से शादी करने या साधु बनने के लिए नहीं कहते क्योंकि ये व्यक्तिगत विकल्प हैं। ईशा योग केंद्र में हजारों ऐसे लोग रहते हैं जो साधु नहीं हैं और कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने ब्रह्मचर्य या साधुत्व अपनाया है।’

भिक्षुओं ने खुद को न्यायालय के समक्ष पेश किया
उसने कहा कि इसके बावजूद याचिकाकर्ता चाहता था कि भिक्षुओं को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए। भिक्षुओं ने खुद को न्यायालय के समक्ष पेश किया हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपनी इच्छा से ईशा योग केंद्र में रह रहे हैं। अब जबकि मामला न्यायालय के संज्ञान में आ गया है, हमें उम्मीद है कि सत्य की जीत होगी और सभी अनावश्यक विवादों का अंत होगा।

हमारे परिसर में घुसने की कोशिश की थी: फाउंडेशन
उसने आगे कहा कि इससे पहले, इसी याचिकाकर्ता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर ईशा फाउंडेशन द्वारा बनाए जा रहे श्मशान घाट के बारे में तथ्यों की जांच करने के लिए एक तथ्य खोज समिति होने के झूठे बहाने से हमारे परिसर में घुसने की कोशिश की थी और फिर ईशा योग केंद्र के लोगों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी। इनके खिलाफ, मद्रास के हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, फाउंडेशन के खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला नहीं है। जो कोई भी फाउंडेशन के खिलाफ गलत जानकारी फैलाने में लिप्त है, उसके खिलाफ देश के कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा।

अमित शाह से मिले अजित पवार; MVA का दावा- चुनाव में हो रही देरी, महायुति को हराएंगे

मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में बैठकों का दौर जारी है। एक और महायुति से उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अमित शाह से मुंबई मुलाकात की तो दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में भी सीटों के बंटवारे को लकर मंथन हो रहा है। दोनों ही दल जल्द से जल्द सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। हालांकों, बैठक में क्या बात हुई, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।

इस बीच महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथला ने दावा किया कि एमवीए आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति को हराएगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि चुनाव में देरी हो रही है। सीट बंटवारे पर बातचीत सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है। विपक्षी गठबंधन एकजुट होकर चुनाव लड़ेगा। एमवीए (उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी) घटकों के बीच कोई मतभेद नहीं है। मणि भवन में महात्मा गांधी की 155वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद चेन्निथला ने कहा कि हम महायुति (शिवसेना, भाजपा और एनसीपी) को हराएंगे। सवाल यह है कि चुनाव कब होंगे?

शाह-पवार की बैठक इसलिए अहम
बता दें कि अमित शाह और अजित पवार की बैठक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन में मौजूदगी और उनकी पार्टी की ओर से कुछ भाजपा नेताओं के मुस्लिम विरोधी प्रचार का विरोध करने को लेकर उपजे मतभेद की पृष्ठभूमि में हुई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता भी राकांपा को लेकर नुक्ताचीनी करते रहे हैं।

सीटों के बंटवारे को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया
महायुति के तीनों सहयोगी दलों ने 228 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है, जिसके अगले महीने होने की उम्मीद है।

‘भाजपा को राकांपा से नुकसान हुआ’
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछले हफ्ते स्वीकार किया था कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को अपने नए सहयोगी राकांपा से शिवसेना की तुलना में कम वोट मिले थे।

गठबंधन की जीत सुनिश्चित करने पर फोकस
अजित पवार ने इससे पहले कहा था कि महायुति के सहयोगी दल एकजुट रहेंगे और वह विधानसभा चुनाव में गठबंधन की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे। इससे पहले अमित शाह ने मंगलवार को मुंबई में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था।

दुनिया जीतने निकलीं नौसेना की दो जांबाज महिला अधिकारी, 21600 समुद्री मील की करेंगी यात्रा

पणजी:  भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारियों ने दुनिया पर फतह हासिल करने के लिए कमर कस ली है। भारतीय नौसेना की दो महिला अफसरों लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और रूपा अलीगिरिसामी को पूरे विश्व के एकल नौकायन अभियान के प्रशिक्षण के लिए चुना गया है। यह महिला अधिकारी नाव पर बैठकर दुनिया का चक्कर लगाने के लिए आज रवाना हुईं।

आठ महीने में 21,600 समुद्री मील की यात्रा का लक्ष्य
यह अभियान कितना खतरनाक और चुनौतियों से भरा होगा, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आठ महीने में 21,600 समुद्री मील की यात्रा महिला अधिकारी तय करेंगी। इनकी नाव केप लीउविन, केप हॉर्न और केप ऑफ गुड होप के आसपास के खतरनाक जल मार्ग से होकर जाएगी।

अगले साल पूरी होगी यात्रा
भारतीय नौसेना की दो महिला अफसरों को पिछले साल नवंबर से 17 मीटर के पोत पर प्रशिक्षण दिया जा रहा था। प्रशिक्षण अभियान के तहत उन्होंने अब तक 38,000 समुद्री मील का नौकायन पूरा किया था। अब आखिरकार दोनों अधिकारी असली यात्रा पर निकल गई हैं। इनके अगले साल मई में गोवा लौटने की उम्मीद है।

तारिणी से रवाना
इस ऐतिहासिक यात्रा को पणजी के पास नौसेना महासागर नौकायन नोड ‘आईएनएस मंडोवी’ से रवाना किया गया तथा दोनों अधिकारी भारतीय नौसेना नौकायन पोत (आईएनएसवी) तारिणी पर सवार हुए।नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने दक्षिणी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल वी श्रीनिवास और अन्य की उपस्थिति में यात्रा को हरी झंडी दिखाई।

‘हम सभी के लिए एक गर्व का पल’
एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने पत्रकारों से कहा, ‘यह हम सभी के लिए एक गर्व का पल है। भारतीय नौसेना की दो जांबाज अधिकारी कठिन परिस्थितियों से लड़ने के लिए कौशल, साहस की भावना, निडरता और ध्यान तथा क्षमता का प्रदर्शन करेंगी। वहीं, भारतीय नौसेना उनके साहसिक कार्य पर नजर रखेगी। आज यात्रा शुरू करने के लिए हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।’