हाल के वर्षों में कम उम्र के लोगों में ब्रेन स्ट्रोक की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. ब्रेन स्ट्रोक को लंबे समय से बुजुर्गों की बीमारी माना जाता रहा है, लेकिन हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि यह अब भारत में युवा आबादी को भी अपना शिकार बना रही है.
ब्रेन स्ट्रोक में योगदान देने वाले कुछ फैक्टर में युवा लोगों में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसे रिस्क फैक्टर में वृद्धि के साथ-साथ कोकीन और मेथामफेटामाइन जैसे ड्रग्स के उपयोग में वृद्धि शामिल है.
देश में एक अन्य जनसंख्या-आधारित अध्ययन में, स्ट्रोक के कुल रोगियों में से 8.8 प्रतिशत युवा आयु वर्ग के पाए गए.ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी आपात स्थिति है जो किसी भी समय हो सकती है. चाहे आप बैठे हो, चल रहे हो या सो रहे हो.
दिमाग के हिस्से में खून की आपूर्ति कम होने लगती है. स्ट्रोक आने के बाद मरीज को 4 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचाना जरूरी होता है. अगर चार घंटे के अंदर मरीज को थ्रोबोलीटिक दवा मिल जाती है तो उसकी जान बच जाएगी. ये दवा धमनी में मौजूद ब्लॉकेज को खोल देती है.