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डीएमके ने नीट को बताया लाखों करोड़ कमाने वाला उद्योग, दावा- पर्दाफाश करने वाला तमिलनाडु पहला राज्य

चेन्नई:  तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके ने सोमवार को नीट को एक उघोग बताया। उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ कमाने वाले कोचिंग सेंटर के कल्याण का उद्योग नीट है। यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख दल है जो कि नीट के खिलाफ आवाज उठाने वाला पहला राज्य है।

नीट यूजी में अनियमितताओं के संबंध में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई है। वहीं सीबीआई ने भी इस मामले में कई लोगों की तलाशी की है। डीएमके के तमिल मुखपत्र ‘मुरासोली’ ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि भाजपा की सहयोगी जदयू ने खुद ही अनियमितताओं पर एक प्रस्ताव पारित किया है। “भारत की प्रमुख पार्टियों ने नीट के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है।” डीएमके संसद के दोनों सदनों में नीट अनियमितताओं पर बहस के पक्ष में है। वहीं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी कहा है कि नीट मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।

कुछ समय पहले ही तमिलनाडु विधानसभा में खेल और युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने द्रविड़ एल्गोरिथम पर बात की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने बहुत पहले समझ लिया था कि ‘नीट अच्छा है या बुरा।’ इसी तरह तमिल लोगों ने दूसरों से पहले समझ लिया कि हिंदी थोपने का विरोध क्यों किया जाना चाहिए।

1 जुलाई, 2024 को अपने संपादकीय में, तमिल दैनिक ने कहा: “यह तमिलनाडु ही था जिसने सबसे पहले कहा था कि नीट फर्जी है। अब पूरा देश इसका समर्थन कर रहा है। नीट कोचिंग सेंटरों के कल्याण के लिए बनाया गया एक उद्योग है जो लाखों करोड़ रुपये कमाता है। तमिलनाडु ऐसा राज्य है जो इस बात को इतने स्पष्ट तरीके से कह रहा है। अब धोखेबाजों के गिरोह पकड़े जा रहे हैं।”

वहीं 28 जून, 2024 को तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव का हवाला किया गया। इसमें राज्य को नीट से छूट देने और मेडिकल प्रवेश परीक्षा को पूरी तरह से खत्म करने का आग्रह किया गया था। डीएमके दैनिक ने कहा, “अब जाकर भारत को पूरी तरह से धोखाधड़ी में लिप्त नीट का एहसास हुआ है।” डीएमके ने बार-बार कहा है कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट सामाजिक न्याय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह गरीब, ग्रामीण छात्रों के हितों के खिलाफ है। नीट केवल कोचिंग सेंटरों को फायदा पहुंचाती है। बता दें कि मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके और राज्य की अधिकांश पार्टियां एनईईटी के विरोध में हैं।