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औरैया, वेदों का प्रचार प्रसार करना ही आर्य समाज का प्रमुख उद्देश्य-आचार्य उमेश*

*औरैया, वेदों का प्रचार प्रसार करना ही आर्य समाज का प्रमुख उद्देश्य-आचार्य उमेश*

*औरैया।* रविवार को आर्य समाज मंदिर में चलने वाले वार्षिकोत्सव के अंतिम दिन आचार्य उमेश चंद्र कुलश्रेष्ठ ने बताया ईश्वरीय ज्ञान एवं वेदों का प्रचार प्रसार करना ही आर्य समाज का लक्ष्य है। उन्होंने कहा आर्य समाज का यह 110 वां वार्षिकोत्सव है जो 24 मार्च से प्रारंभ होकर 27 मार्च तक चला।
वार्ता के दौरान आचार्य उमेश चंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा की आर्य समाज की स्थापना 1875 में दयानंद द्वारा की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं धार्मिक कार्यों को किया जाना था। आर्य समाज के कार्यक्रम को कांग्रेस ने स्वीकार किया, तथा उसी के तहत उन्होंने स्थापना के बाद आर्य समाज के कार्यों की सराहना की। बताया कि हैदराबाद में आर्य समाज ने आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। वहां के निगम के खिलाफ आर्य समाज द्वारा अभियान चलाया गया। बताया कि आर्य का मुख्य अर्थ गुणवाचक है। आचार्य अनिल गुप्ता ने कहा कि महाभारत काल से पहले सिर्फ यज्ञ का प्रचार-प्रसार ही हुआ था। पहले वहां पर मंदिर और मस्जिद नहीं बनाए गए थे। स्वामी मुन्ना लाल शास्त्री ने बताया कि आर्य समाज द्वारा सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किए गये। उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को वर्तमान में संस्कारित होना चाहिए। वर्तमान में युवा पीढ़ी नशे की आदी हो गई है। आगरा से पधारे आचार्य उमेश चंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को लागू किए जाने में आर्य समाज की प्रमुख भूमिका रही है। बताया कि आर्य समाज वर्ण व्यवस्था के आधार पर लोगों को नहीं मानता है। जन्म के आधार पर कोई जाति नहीं होती , उसके उपरांत ही जातियों का निर्धारण होता होता है। इसके साथ ही गुरुकुल टेटसर दिल्ली से पधारे आचार्य इंद्र बंधु आर्ष ने भी आर्य ब्राह्मण पर कहा कि दान देने व लेने वाला ही ब्राह्मण कहा जाता है। इसके साथ ही उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर भी अपने वक्तव्य दिए। वार्ता के दौरान मुख्य रूप से आर्य समाज की प्रधान अंजना गुप्ता , पूर्व प्रधान डॉ सर्वेश आर्य, राजेंद्र आर्य, कुकू कुमार, हरिशंकर शर्मा व बृजेश बंधु के अलावा दर्जनों लोग मौजूद रहे।

रिपोर्टर :-: आकाश उर्फ अक्की भईया फफूंद