Saturday , November 23 2024

कम हो रही बरसात, घटेगी धान की पैदावार

इटावा। जिले में पहले बारिश में हुई देरी और अब कम बरसात के चलते किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का कहना है बारिश में देरी के बाद कम बरसात से उन्हें धान की खेती में नुकसान होने का डर सता रहा है। कम बरसात के कारण धान की रोपाई का रकबा पहले ही कम हो चुका है।

जिले के अधिकांश हिस्सों में अब तक कम बारिश होने के कारण किसान परेशान हैं। हालांकि किसान अभी बारिश होने की उम्मीद कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बारिश में देरी और कम मॉनसून के कारण पहले ही चावल के उत्पादन में लगभग 15 प्रतिशत का नुकसान हुआ है और यदि बारिश कम हुई तो इससे धान की पैदावार और भी कम हो सकती है। कम बरसात के कारण धान का रकबा पहले ही कम हो चुका है। जिले में 52 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाईका लक्ष्य रखा गया था लेकिन कम बरसात के कारण लक्ष्य के 14 फीसदी कम क्षेत्र में ही धान की रोपाई हो सकी।
पहले तो जून में बरसात नहीं हुई फिर जुलाई अगस्त में कुछ बरसात हुई तो धान की रोपाई किसी तरह कर ली गई। अब धान की फसल को पानी की जरुरत है और बरसात नहीं हो रही है। इससे किसानों का चितिंत होना स्वाभाविक है। ऐसे में उन्हे सिचाई के वैकल्पिक साधन अपनाने पड़ेंगे जो मंहगे होते हैं।
इनसेट-
मानसून पर निर्भर है किसान
इटावा। इन हालातों में जिले के किसान काफी प्रभावित होंगे। इनमें अधिकांश ऐसे किसान हैं जो हाशिए पर हैं, उनकी आर्थिक हालात अच्छी नहीं है। ऐसे सभी किसान मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर हैं क्योंकि उनके पास मशीनीकृत सिंचाई सुविधाओं की कमी है। इसके कारण वे प्रतिकुल मौसम होने पर सिंचाई सुविधाओं का लाभ नहीं ले सकते हैं इसके कारण वे अधिक प्रभावित होते हैं। जिले में सरकारी नलकूप ज्यादातर खराब पड़े हुए हैं।
इनसेट-
इस साल कम हुई है बरसात
इटावा। जिले में धान की बुवाई 20 जून के आसपास शुरुआती बारिश के साथ शुरू होती है. इसलिए, धान की बुवाई के लिए 20 जून से 20 जुलाई के बीच की अवधि महत्वपूर्ण है। जून में सामान्य वर्षा होती है, जबकि जुलाई में यह लगभग 300 मिमी तक होती है। लेकिन इस बार जून में बरसात हुई नहीं और अगस्त में अभी तक 97 एमएम बरसात ही हो पाई है। हालांकि किसान आशावादी हैं और बारिश होने की उम्मीद कर रहे हैं।
इनसेट-
इटावा। जिला कृषि अधिकारी कुलदीप राणा ने कहा है कि बरसात कम हो रही है जबकि धान की लिए अधिक पानी की जरुरत होती है। उन्होने किसानों को नलकूप आदि वैकल्पिक साधनों से धान की फसल की सिचाई करने की सलाह दी है। हालांकि अभी बरसात होने की संभावना भी बनी हुई है।
इनसेट-
किसान पुष्पेन्द का कहना है कि इटावा जिले की गिनती प्रदेश के प्रमुख धान उत्पादक जिलों में होती है लेकिन इस साल मानसून के कारण धान की फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। पहले तो बरसात की कमी से मुश्किल से रोपाई हो पाई और अब बरसात न होने से फसल सूखने की कगार पर पहुंच रही है। सिचाई के वैकल्पिक साधन काफी मंहगे हो गए हैं।
इनसेट-
किसान पुनीत ने कहा कि गेहूं की फसल में मौसम ने साथ नहीं दिया तब यह सोचा था कि इसकी भरपाई धान से कर लेंगे लेकिन धान के लिए तो शुरु से ही मौसम अनुकूल नहीं रहा। मौसम के साथ न देने से कम रकबा में धान की रोपाई की है लेकिन अब फिर बरसात न होने से धान की फसल के सूखने का खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे में किसान परेशान हैं।
फोटो- धान के खेत में काम करते किसान

रिपोर्ट:-सुबोध कुमार पाठक