हिंदुत्व के विचारक विनायक दामोदर सावरकर पर कर्नाटक की कक्षा आठवीं की एक पाठ्य पुस्तक में निबंध को लेकर विवाद पैदा हो गया है।आठवीं कक्षा की कन्नड़-भाषा की पाठ्यपुस्तक के एक पैराग्राफ को लेकर उठे विवाद के बीच लेखक की पत्नी ने कहा कि उसमें बुलबुल का इस्तेमाल एक ‘रूपक के तौर पर किया गया है।’
यह निबंध उन्होंने अंडमान की सेलुलर जेल भ्रमण को लेकर अपने अनुभव लिखे हैं। इसी जेल में सावरकर को रखा गया था। लेखक गट्टी 1911 से 1924 के बीच सेल्युलर जेल गए थे, जहां उस वक्त सावरकर बंद थे।
पाठ्यपुस्तक के निबंध का यह पैराग्राफ वायरल हो गया। उन्होंने कहा, ‘…..बुलबुल की कल्पना को लेकर उठे विवाद को देखते हुए यह स्वत: प्रमाणित है कि यह एक रूपक से ज्यादा कुछ नहीं है। लगता है कि इतना सारा भ्रम पैराग्राफ में संदर्भ/प्रसंग नहीं होने से पैदा हुआ। हो सकता है कि यह लेखक की गलती से हुआ हो अथवा संपादकीय त्रुटि भी हो सकती है।’
वीर सावरकर को सेलुलर जेल की जिस कोठरी में बंद किया गया था उसका वर्णन करते हुए निबंध में लिखा है कि ‘सावरकर की कोठरी में एक सुराख तक नहीं है, फिर भी किसी तरह बुलबुल उसके अंदर उड़ते हुए आती थी और उसके पंखों पर बैठकर सावरकर रोज अपनी मातृभूमि की यात्रा कर जेल लौट जाते थे।’