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कलयुग में भी मौजूद हैं कृष्ण और सुदामा जैसी दोस्ती

रिर्पोट – नितिन दीक्षित,भरथना, इटावा

इटावा। इटावा जनपद से आगरा की तरफ जा रहे Nh2 हाईवे जसवंत नगर में 6 दोस्तों की टोली हाथ में तिरंगा व खाटू श्याम बाबा का झंडा लिए हुए नजर आई । जिनमें से एक दोस्त विकलांग था जो अपनी व्हील चेयर पर बैठा था जिसे अन्य पांच दोस्त पैदल चलकर आगे चलने में मदद कर रहे थे । जब भील चेयर पर बैठे युवक से बातचीत की गई तो युवक ने बताया कि हमारा नाम अंशुमन वर्मा है मैं इटावा जनपद के ग्राम कांधनी का रहने वाला हूं मैं दोनों पैरों से विकलांग हूं । अपने पांच दोस्तों के साथ सुबह 10:00 बजे ग्राम कांधनी से खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने के लिए जा रहा हूं । हम सभी दोस्त निरंतर 15 दिन तक आगरा, भरतपुर होते हुए 450 किलोमीटर की यात्रा साथ में पैदल तय करेंगे ।

दोस्तों ने बातचीत के दौरान बताया है कि वह अपने विकलांग दोस्त के दोनों पैर ठीक हो जाने की मन्नत को लेकर पैदल अपने दोस्त के साथ खाटू श्याम की यात्रा के लिए निकले हैं । दोस्तों ने कहा है कि उनकी अपनी कोई मन्नत नहीं है वह बस अपने दोस्त को अपने पैरों पर खड़ा हुआ देखना चाहते हैं ।

आपने श्री कृष्ण लीला में देखा होगा कि किस तरीके से द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने गरीब मित्र सुदामा की मदद की थी । उन्हें अपने बराबर आसन पर बैठा कर अपने आंसुओं से उनके पैरों को धोया था । कृष्ण और सुदामा की मित्रता आज भी कलयुग में लोगों के लिए मिसाल बनी हुई है । उसी तरीके से वाकई में ऐसी मित्रता कलयुग के जमाने में देखने को मिलना असंभव है ऐसी मित्रता तो द्वापर में श्री कृष्ण और सुदामा के बीच ही देखी गई थी यह दोस्ती हमें इस दुनिया में दोस्ती का सही अर्थ और मतलब सिखाती है।