फोटो:- 1 – शिवपाल सिंह यादव से उनके आवास पर मिलने पहुंचे अखिलेश यादव और डिंपल यादव, पास ही बैठे हैं आदित्य यादव अंकुर।
वेदव्रत गुप्ता जसवंतनगर/सैफई इटावा। नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी संसदीय सीट का उप चुनाव मुलायम परिवार में एकता का संदेश लाई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यानि भतीजे और चाचा के बीच कई वर्षों से चल रहा मनोमालिन्य गुरुवार को समाप्त हो गया है।
ऐसा तब हुआ, जब खुद अखिलेश यादव और उनकी धर्मपत्नी व मैनपुरी संसदीय सीट से सपा प्रत्याशी डिंपल यादव अपने चाचा शिवपाल को मनाने उनके आवास पर पहुंचे।
दोनों ने चाचा शिवपाल से साफ तौर पर कह दिया कि अब नेताजी के बाद आप ही हमारे परिवार के मुखिया हैं और आप जैसा चाहेंगे, वैसे ही परिवार चलेगा।
मुलायम परिवार में 2017 के दौरान उस समय मतभेद हो गया था जब अखिलेश और शिवपाल सिंह के बीच तनातनी बढ़ने से शिवपाल सिंह ने समाजवादी पार्टी को छोड़ते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार अखिलेश और शिवपाल सिंह में कुछ समय के लिए एका जरूर हुआ, मगर चुनाव दौरान शिवपाल सिंह को ज्यादा तवज्जो न मिलने से विधानसभा चुनाव बाद फिर से अखिलेश शिवपाल की राहें अलग अलग हो गईं थीं। इन को लेकर अखिलेश पर आरोप लगाया गया कि वह चाचा की उपेक्षा कर रहे हैं। 11 अक्टूबर को जब नेता जी का निधन हुआ ,तो सैफई परिवार में एकजुटता दिखाई दी और नेताजी के अंतिम संस्कार से लेकर उनके शांति यज्ञ तक के कार्यक्रमों में शिवपाल सिंह यादव निरंतर अखिलेश यादव के साथ शरीक रहे।
चूंकि नेता जी के निधन से मैनपुरी संसदीय सीट रिक्त हो गई और चुनाव रणभेरी बज गई ,मगर चाचा शिवपाल सिंह और भतीजे अखिलेश के बीच पारिवारिक एकता की खाई लोगों को कम होती नजर नही आई।
अखिलेश यादव ने नेताजी की विरासत मैनपुरी सीट पर अपनी धर्म पत्नी डिंपल को मैदान में उतार दिया और नामांकन दौरान डिंपल के साथ सब थे, शिवपाल सिंह कहीं नजर नहीं आए, तो इस बात की चर्चा आम हो गई कि बिना चाचा शिवपाल के इस संसदीय सीट पर नेताजी की विरासत पर सपा सफलता हासिल कर सकेगी या भारतीय जनता पार्टी सेंध लगाने में कामयाब हो जायेगी।
भारतीय जनता पार्टी ने चालक रणनीति के साथ शिवपाल सिंह यादव के करीबी या यह कहा जाए कि उनके ही शिष्य रघुराज सिंह शाक्य को मैनपुरी चुनाव का भाजपा टिकट दे दिया और डिंपल के सामने कड़ी चुनौती खड़ी कर दी।
माना जाने लगा कि कि यदि शिवपाल सिंह इस चुनाव में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से डिंपल के विरुद्ध प्रचार में उतर गए, तो समाजवादी पार्टी का यह गढ़ निश्चित रूप से भाजपामय हो जाएगा।
हालांकि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव डिंपल के नामांकन बाद से ही यह कह रहे थे कि पार्टी ने शिवपाल से बात करके ही डिंपल को मैदान में उतारा है, मगर बिना शिवपाल के हामी भरे कोई इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं था।
इसी शंका के तहत पिछले तीन।दिनों से शिवपाल सिंह यादव को मनाने का दौर शुरू हो गया। डिंपल और अखिलेश पहले से ही सैफई में डेरा डाले थे और मंगलवार को शिवपाल सिंह भी सैफई पहुंच गये। इसलिए समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं और सैफई परिवार के सदस्यों ने तेज पहल शुरू कर दी। मैनपुरी के पूर्व सांसद और सैफई परिवार के सबसे छोटे राजनैतिक सदस्य तेज प्रताप सिंह यादव ने बुधवार को शिवपाल सिंह यादव से भेंट की। शिवपाल को मनाने के काम में खुद उनके भाई अभयराम सिंह यादव भी जुटे, मगर पेच यह था कि चुनाव मैदान में उतरी डिंपल और उनके पति अखिलेश आखिर खुद क्यों नहीं उनसे सीधी वार्ता कर रहे हैं।
इसी के मद्देनजर गुरुवार पूर्वान्ह अखिलेश यादव और डिंपल दोनों अपने आवास से निकले और एसएस मेमोरियल स्कूल स्थित चाचा शिवपाल सिंह के घर पर पहुंचे और करीब एक घंटे उनके संग बैठकर अपने चाचा को मना लिया।
भतीजे अखिलेश और बहू डिंपल से मिलकर शिवपाल सिंह अपने ‘भोला भंडारी’ अंदाज में आ गए और घर के बाहर जुट आए पार्टी जनों से मिले। उन्हें निर्देश दिया कि इस चुनाव में डिंपल को ठीक उतनी बड़ी जीत से जिताना है,।जिस तरह नेताजी मुलायम सिंह जीतते थे।