वर्तमान में मोटापा लोगों के लिए एक गंभीर समस्या है। मोटापा यानी स्थौल्य एक एक बीमारी है जो हर वर्ग के लोगों को हो रही है। इसमें छोटे-छोटे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। आयुर्वेद में इसे मेदोरोग या स्थौल्य कहा जाता है। शरीर में जब मेदधातु की अधिक वृद्धि हो जाती है तब उसे ‘मेदोरोग’ कहा जाता है। मोटापा बहुत सी बीमारियों को जन्म देता है जैसे डायबिटीज, हाइ ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारिया, स्ट्रोक, अनिद्रा, किडनी की बीमारी, फैटी लिवर, आर्थराइटिस- जोड़ों की बीमारी, आदि। इसलिए समय रहते मोटापे पर काबू पाना बहुत जरुरी हो जाता है।
मोटापा बढ़ने के दौरान, ज्यादा कैलोरी मुख्य रूप से सफेद चर्बी में इकट्ठा होती है. इसके विपरीत, भूरे रंग की चर्बी ऊर्जा को घुलाती है और इसलिए गर्मी पैदा होती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि चर्बी में बदलाव की प्रक्रिया अतिरिक्त ऊर्जा स्राव के साथ होती है. इंसानों के शरीर में 90 फीसद सफेद रंग की चर्बी का भंडारण होता है. ये आम तौर पर पेट, निचले हिस्से और ऊपरी जांघ पर पाई जाती है. सफेद रंग के हानिकारक वसा ऊत्तक भूरे रंग के मुफीद वसा ऊत्तक में बदलाव ज्यादा वजन और मोटापे से लड़ने के लिए नया विकल्प साबित हो सकता है.
उन्होंने बताया कि शोध के नतीजे से पता चलता है कि मोटापा के इलाज में विटामिन ए की मुख्य भूमिका होने के साथ ऊर्जा मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है. इसलिए, इसे मोटापे के इलाज के विकास में आशाजनक दृष्टिकोण माना जा रहा है. हालांकि, उन्होंने मोटापे से पीड़ित शख्स को बिना डॉक्टरी सलाह के विटामिन ए का सप्लीमेंट्स ज्यादा इस्तेमाल करने से सावधान किया है. इसके लिए जरूरी है कि विटामिन सही मात्रा में और सही वक्त पर स्वस्थ्य कोशिकाओं तक पहुंचाया जाए.