जसवंतनगर। शुक्रवार को अनंत चतुर्दशी थी और प्रथम पूज्य गणपति आज विदा हो गए। घरों पंडालों, सार्वजनिक स्थलों और देवालयों पर उनके लिए बनाए गए सिंहासन सूने हो गए।गणेश जी की विदाई देने के लिए नगर से होकर सैकड़ों जुलूस गाजे बाजे, डी जे की धुन पर नृत्य करते श्रद्धालुओं के साथ बिकाले गए। इन जुलूसों में रंग गुलाल और फूलों की ऐसी वर्षा हुई।की सड़कें, गालियां लाल हो गई।
गणपति की विदाई में अश्रुपूरित लोगों के साथ इंद्र देवता भी बरस पड़े और तीन बजे के करीब नहर के सिरहौल घाट पर बरसात हुई।घाट पर पुलिस का इंतजामात काफी अच्छा होने के कारण भारी भीड़ के बीच लाइन से गजानन महाराज के विसर्जन हुए। उपजिलाधिकारी।नम्रता सिंह, सी ओ अतुल प्रधान, थाना प्रभारी ए एस सिद्दीकी खुद कमान सम्हाले थे। विसर्जन में एक ही नारा गूंज रहा था..गणपति बप्पा मोरिया..अगले बरस फिर तू आ।
सिरहौल घाट पर गणेश सेवा समिति तथा नगर पालिका जसवंतनगर ने कैंप लगाकर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के फली बार प्रबंध किया हुआ था।गणेश सेवा कैंप पर जितेंद्र वर्मा,अभिषेक पोरवाल, आशीष चौरसिया, अवधेश कुमार, अवनीश चौरसिया आज मौजूद रहकर मूर्तियों को क्रम से नहर पर पंहुचा रहे थे।
स्थानीय कोठी कैस्त स्थित विशेश्वर धाम से भव्य विसर्जन यात्रा निकाली गई, जिसमे हजारों नर -नारी शरीक हुए गणपति करीब तीन घंटे में विसर्जन स्थल पहुंचने में लगे।
सूर्यकांत चतुर्वेदी, प्रदीप पांडेय, विनीत पांडेय, सतेंद्र तिवारी,ऋषिकांत , शिवजी, वेद,चतुर्वेदी महावीर पांडेय, पंकज, कृपाशंकर, राजेन्द्र दिवाकर, हितेश, अनुरुद्ध दुबे, देव,विशाल , मनोज, बजरंगी, आदि लोग जुलूस में गणपति बप्पा।मोरिया का उद्घोष करते चल रहे थे।
पुलिस प्रशासन सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को कुल मिलाकर नगर और ग्रामीण क्षेत्रों से आईं 125 से ज्यादा मूर्तिया विसर्जित की गईं। 4 सितंबर से विसर्जन शुरू हुआ था कुल मिलाकर 550 मूर्तियां विसर्जित की गईं।