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हेल्थ

खाना खाने के बाद आखिर क्यों होटल में मिलती हैं सौंफ और मिश्री, देखिए यहाँ

आजकल सभी लोग और दूसरे दिन छोड़कर रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं कुछ लोग रेस्टोरेंट में खाते हैं तो कोई ढाबे पर खाना खाते हैं। पर क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि जब भी आप खाना खा कर उठते हैं तो आपको बिल के साथ सौंफ और मिश्री क्यों दी जाती है? आपने शायद ही कभी आपने इसके बारे में शायद सोचा होगा मेरी तरह आपको भी इसके बारे में नहीं पता है तो चलिए हम आइए जानते हैं किस वजह से सौंफ और मिश्री दी जाती है।

जब भी आप बाहर खाना खाने जाते हैं तो वह खाना मसालेदार होता है और सलाद खाने से आपके मुंह में बदबू आने लग जाती है इसे दूर करने के लिए आपको सौंफ और मिश्री दी जाती है। अगर आपको इस बात पर यकीन ना हो रहा हो तो आप ऐसा करके देख सकते हैं। अगर आपके मुंह से प्याज की बदबू आ रही हो तो आप सौंफ और मिश्री को खा कर देखिए आप फ्रेश महसूस करने लगेंगे।

मुँह से आपके बदबू गायब हो जाएगी सौंफ और मिश्री पाचन शक्ति बढ़ाने और जल्दी ही खाना पचाने में आपकी मदद करती है। अधिकतर लोग खाने के बाद सौंफ का सेवन करते हैं सौंफ का सेवन करने से पेट में एसिडिटी नहीं होती है और अगर खाना पचाने में कोई सहायक है। तो सौंफ और मिश्री का जवाब नहीं इसी कारण से आपको सौंप और मिश्री दी जाती है जिससे आपके मुंह से बदबू भी नहीं आया और खाना भी आपका जल्दी पच जाए।

Vitamin C Benefits: विटामिन सी की कमी के कारण आप भी हो सकते हैं ओमिक्रोन का शिकार

ठंड और ओमिक्रोन के खतरे को देखते हुए आपको रोगप्रतिरोधक क्षमता  को मजबूत बनाना जरूरी है. सर्दियों में कमजोर इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आपको विटामिन सी  से भरपूर खाद्य पदार्थों को सेवन करना चाहिए.

विटामिन सी न सिर्फ आपके शरीर को मजबूत बनाता है बल्कि इससे बढ़ती उम्र को रोकने और शरीर को संक्रमण के खतरे से बचाने में भी मदद मिलती है. विटामिन सी में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जिससे शरीर विषाक्त  पदार्थों को बाहर निकालता है.

1- संतरा- संतरा विटामिन सी से भरपूर फल है. संतरे में फैट, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम बहुत कम होता है. संतरा खाने से हार्ट और आंखें स्वस्थ रहती हैं. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

2- अमरूद- विटामिन सी का सस्ता और अच्छा स्रोत है अमरूद. अमरूद में संतरे से अधिक विटामिन सी पाया जाता है जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है. एक मीडियम अमरूद में 200 ग्राम पोषक तत्व होते हैं.

3- पपीता- पपीता पाचन के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. पपीता में विटामिन सी भी काफी मात्रा में पाया जाता है जिससे हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.

4- स्ट्रॉबेरी- विटामिन सी का एक अच्छा सोर्स स्ट्रॉबेरी भी है. स्ट्रॉबेरीज में काफी मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं इसके अलावा स्ट्रॉबेरी विटामिन सी और कई दूसरे पोषक तत्वों से भरपूर फल है. एक कप स्ट्रॉबेरी में करीब 100 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है.

कड़ाके की ठंड में सर्दी खांसी से बचना हैं तो इन घरेलू नुस्खों का करें अनुसरण

कड़ाके की सर्दी और बारिश ने लोगों को ठंड से कांपने पर मजबूर कर दिया है. इस सर्दी में लोगों को जुकाम-खांसी सीजनल बुखार और फ्लू जैसी बीमारियां परेशान करती हैं. बारिश का मौसम आते ही इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है

ऐसे में शरीर जल्दी ही बीमारी की चपेट में आ जाता है. बारिश के मौसम में बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा बीमार पड़ते हैं. हालांकि खाने-पीने में थोड़ा एहतियात बरतने पर आप इन बीमारियों से बच सकते हैं.

1- हल्दी वाला दूध- बदलते मौसम में आपको रोज हल्दी वाला दूध पीना चाहिए. हल्दी का दूध चूंकि गर्म होता है और इसमें एंटीबायोटिक भी होते हैं इसलिए किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचाने में हल्दी का दूध कारगर है.  हल्दी वाला दूध बनाने के लिए आप एक ग्लास गुनगुने दूध में एक चौथाई चम्मच हल्दी मिलाएं और इसे पी लें.

2- च्य्वनप्राश खाएं- बारिश का मौसम है, आप च्य्वनप्राश जरूर खाएं. आयुर्वेद में च्य्वनप्राश को काफी गुणकारी माना गया है. ये एक तरह की औषधि है जो आपको कई तरह के इनफेक्शन से बचाता है.

3- भाप लें- बारिश आते ही लोगों को सर्दी खांसी सबसे पहले होती है. इस परेशानी से बचने के लिए आप भाप जरूर लें. भाप लेने से बंद नाक खुलती है और सांस नली की सूजन भी कम होती है. जकड़न में भी भाप से आराम पड़ेगा.

4-  खांसी या जुकाम होने पर आप लौंग का सेवन करें. लौंग को पीसकर इसे शहद के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार खा लें. इससे आपको खांसी में काफी राहत मिलेगी.

कमजोरी, वजन घटना, स्वाद और गंध का पता न चलना नहीं हैं किसी आम बीमारी के लक्ष्ण

रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए ज़िंक बहुत जरूरी है. जिन लोगों के शरीर में जिंक की कमी होती है वो जल्दी बीमार पड़ते हैं. ज़िंक एक ऐसा पोषक तत्व है जो शरीर को स्वस्थ रखने, ब्लड शुगर कंट्रोल रखने, हार्ट को हेल्दी  और त्वचा-बालों  को स्वस्थ रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करता है.

ज़िंक डीएनए के निर्माण में भी मदद करता है. ज़िंक की कमी को पूरा करने के लिए आपको सप्लीमेंट्स या ज़िंक से भरपूर डाइट  लेने की जरूरत है. हम आपको जिंक से भरपूर प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहें, जिनका आप सेवन कर सकते हैं.

ज़िंक से भरपूर प्राकृतिक खाद्य पदार्थ

1-मशरूम- ज़िंक की कमी को पूरा करने के लिए आप डाइट में मशरूम शामिल कर सकते हैं. मशरूम में जिंक के अलावा कई दूसरे पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन होता है.

2-मूंगफली- मूंगफली में जिंक काफी होता है. इसके अलावा आयरन, पोटैशियम, फोलिक एसिड, विटामिन ई, मैग्नीशियम और फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

3- तिल- तिल खाने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं. तिल को जिंक का अच्छा सोर्स माना जाता है. इसके अलावा तिल में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फोलिक एसिड और बी कॉम्प्लेक्स भी पाया जाता है.

4- अंडा- अंडे की जर्दी में ज़िंक पाया जाता है. जिंक की कमी को दूर करने के लिए आपको अंडे का पीला हिस्सा खाना चाहिए. अंडे के पीले हिस्से में ज़िंक, कैल्शियम, आयरन, विटमिन बी12, थाइमिन, विटमिन बी6, फोलेट और फास्फोरस जैसे तत्व पाए जाते हैं.

गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएं आपको कर रही हैं परेशान तो जरुर आजमाएं ये घरेलू उपाय

पेट की समस्या आजकल आम बात हो गई हैं. वहीं, लीवर, गैस, एसिडिटी और किडनी की समस्याएं लोगों को जल्दी प्रभावित कर रही हैं. ऐसे में हम कई तरह की दवाइयां लेते हैं

चाहे वह सबसे आम परेशानी पेट की गैस के लिए घरेलू उपाय हों या किडनी के रोगों का इलाज या उपचार हो. हम केवल दवाइयों तक सीमित हो गए है. वहीं, हमने नेचुरल तरीकों का उपयोग करना छोड़ दिया है. यदि आप रोजाना कागासन करते हैं तो आपको लीवर, गैस और गुर्दे की परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता हैं.

इस तरह करें कागासन:-

सबसे पहले सीधे खड़े हों ताकि शरीर की मुद्रा सावधान की स्थिति में रहे.

पैर के पंजे बिल्कुल सीधे और हथेलियां कमर से चिपकी हुई हों.

कुछ देर अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें.

सांस धीमी, लंबी और गहरी हो.

सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे दोनों पैरों को सटाकर इस प्रकार बैठ जाएं कि दोनों पैरों के बीच कोई अंतर न रहे.

अब बाईं हथेली से बाएं घुटने को और दाईं हथेली से दाएं घुटने को इस प्रकार पकड़ें कि दोनों कोहनियां जांघों, सीने और पेट के बीच में आ जाएं.

पैरों के पंजे बाएं-दाएं मुड़ने न पाएं और सामने की तरफ ही रहें. गर्दन, रीढ़ और कमर को भी बिल्कुल सीधा रखें.

दाहिनी एड़ी से जमीन पर हल्का दबाव बनाते हुए गहरी सांस लेते हुए सिर को बाईं तरफ ले जाएं.

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी के कारण हो सकती हैं ये बिमारी

शरीर में होने वाली पोषक तत्त्वों की कमी की पूर्ति के लिए हर चिकित्सा पद्धति में सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं. ये मुख्यत: कैल्शियम  आयरन के होते हैं जिन्हें हर आयु और वर्ग के आदमी को देते हैं. प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के अर्क से तैयार होने के कारण ये दुष्प्रभाव नहीं छोड़ते. आइए जानते इनके फायदाें के बारे में :-

बच्चों में उपयोगी : इनमें 4 माह बाद से दांत निकलने प्रारम्भ हो जाते हैं. कैल्केरिया फॉस की 1-1 गोली दिन में तीन बार एक चम्मच पानी में घोलकर देते हैं. वहीं बायो-21 दवा आठ माह से डेढ़ वर्ष तक दो-दो गोली दिन में तीन बार चम्मच में घोलकर देते हैं. ये कम से कम एक वर्ष तक चलती हैं. निर्बल हड्डियां, अधिक पसीना आने, चूना, मिट्टी खाने की आदत होने पर कैल्केरिया कार्ब दिन में 3 बार देते हैं.

गर्भावस्था में लाभदायक : प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में आयरन तत्त्व की कमी से एनीमिया रोग आम है. ऐसे में गर्भावस्था के दौरान चौथे माह से महिला को फैरम फॉस आठवें माह तक दिन में 4-4 गोली तीन बार लेने की सलाह देते हैं.

वृद्धावस्था : आयु के इस पड़ाव पर 50-60 साल की आयु के बाद ज्यादातर पुरुष और स्त्रियों की मांसपेशियां  हड्डियां निर्बल होने लगती हैं. ऐसे में कैल्शियम फॉस दिन में तीन बार 4-4 गोली  जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए कैल्केरिया फ्लोर देते हैं.

प्राकृतिक स्रोत से पूर्ति: महत्वपूर्ण पोषक तत्त्वों की पूर्ति के लिए खाए जाने वाले सप्लीमेंट्स तभी प्रभाव करते हैं जब इनके प्राकृतिक स्रोतों को नियमित लेते रहें. जैसे कैल्शियम की पूर्ति के लिए दूध और आयरन के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां रोज खानी चाहिए. कई बार इन्हें खाने के बावजूद आंतें इनमें उपस्थित तत्त्वों को अवशोषित नहीं कर पाती. होम्योपैथी सप्लीमेंट इनके अवशोषण और काम को ठीक करने में मददगार है.

किडनी की कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए परिघासन हैं बेहद लाभदायक

किडनी हमारे शरीर का एक जरूरी अंग है, यह शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकाल कर रक्त शाेधन का कार्य करती है. इसलिए आवश्यक है कि इसे स्वास्थ्य वर्धक रखा जाए. किडनी की कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए खानपान के साथ कुछ योगासन किए जा सकते हैं. इनमें अद्र्ध भेकासन, पासासन और परिघासन ऐसे आसन हैं

ऐसे करें : पेट के बल लेट जाएं. हथेलियों को कंधों के बराबर रखकर शरीर के अग्र भाग को धीरे-धीरे ऊपर 45 डिग्री तक उठाएं. इसके बाद दाएं पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी कूल्हे पर लगाएं. फिर दाएं हाथ से दाएं पैर के पंजे को इस तरह पकड़ें कि पैर का अग्रिम भाग पकड़ में आए. क्षमतानुसार दबाव देते हुए पंजे को कूल्हे पर लगाएं.

इस दौरान खासकर कंधे और कोहनी ढीला छोड़ें. संतुलन बनाते हुए कुछ देर गहरी सांस लेने और छोडऩे की प्रक्रिया के बाद पैर छोड़ें. हथेली और पैर को वापस जमीन पर टिक पाएं. इसे बाईं तरफ से भी दोहराएं.

ध्यान रखें: शरीर के दोनों तरफ इस आसन की अवधि समान रखें. ब्लड प्रेशर, माइग्रेन या कमर से जुड़ी कोई सर्जरी हुई हो या कठिनाई हो तो इसे न करें.

परिघासन
ऐसे करें : दोनों घुटनों के बीच थोड़ी दूरी बनाते हुए इनके बल बैठ जाएं. अब दायां पैर दाईं ओर इस तरह फैलाएं कि पैर के तलवे जमीन पर  अंगुलियां दीवार की ओर हों. गहरी सांस लेते हुए बाएं हाथ को ऊपर उठाएं  दाएं हाथ को दाएं पैर पर रख दें. सांस छोड़ते हुए बायां हाथ दाईं ओर ले जाएं. सिर  शरीर का बाकी भाग भी दाईं ओर झुकने दें. इस अवस्था में 5-10 मिनट के लिए रुककर गहरी सांस लेते और छोड़ते रहें. अब सांस लेते हुए बायां हाथ सीधा करें. दाएं पैर के घुटने को मोड़कर बाएं घुटने के पास रखें. इस एक्सरसाइज को बाईं तरफ से भी दोहराएं.

ध्यान रखें: घुटने, पैर और कूल्हे के जोड़ या मांसपेशी में दर्द या कठिनाई महसूस होने पर न करें.

पासासन
ऐसे करें : गहरी सांस लेते हुए ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं. फिर घुटनों को मोड़ते हुए सारा वजन पैर पर रखते हुए बैठ जाएं. अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए घुटनों को हल्का सा बाएं  शरीर को दाईं ओर मोड़ें. इस दौरान ध्यान रखें कि शरीर का ऊपरी भाग दाईं जांघ को छुए. बायां हाथ ऊपर उठाएं  दाएं पैर के सामने की ओर लाएं. फिर दायां हाथ पीठ की तरफ से पीछे ले जाते हुए इससे बाईं हथेली पकडऩे की प्रयास करें. बाएं हाथ की मदद से शरीर को उलटी दिशा में घुमाने का कोशिश करें  सिर को दाईं ओर पीछे की तरफ घुमाएं. कंधे को घुटने की सीध में लाएं. कुछ समय के लिए इस मुद्रा में रुकने के बाद प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं. दूसरी तरफ से भी इसे दोहराएं.

फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण सर्दियों में घट जाता हैं लोगों का इम्‍यूनिटी लेवल

सर्दियों में आमतौर पर पानी पीना कम व कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन बढ़ जाता है जो आपकी हेल्‍थ के लिए हानिकारक है. लेकिन आप परेशान न हो क्‍योंकि चिकित्सकों का बोलना है कि ठंड के मौसम में कुछ सरल चीजों को अपनाकर अच्छी हेल्‍थ पाई जा सकती है.फिजिकल एक्टिविटी की कमी और अहेल्‍दी जंक फूड खाने से सर्दियों में वजन का बढ़ना बहुत ही आम बात है. लेकिन लोगों को सर्दियों में इन चीजों की स्थान अखरोट, हरे पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फलों, शकरकंद व अंडे खाना चाहिए.”

दूसरा विकल्प आयुर्वेदिकमेंवजन न बढ़े इसके लिए लाइफस्‍टाइल अपनाना है. आयुर्वेद के हिसाब सेइम्‍यूनिटीआपके डाइजेशन से जुड़ी है. जब डाइजेशन मजबूत होगा व भूख अच्छी लगेगी तो इम्‍यूनिटी मजबूत रहेगी. जब कभी डाइजेशन निर्बल होता है, इम्‍यूनिटी अपने आप निर्बल हो जाती है.

ध्यान देने वाली बात ये यही कीजैसे ही भूख बढ़ती है, लोग अधिक जंक फूड, भारी खाना व सरलता से हजम नहीं होने वाली चीजें खाने लगते हैं. लेकिन यह समझना जरूरी है कि बेकार रोग इम्‍यून सिस्‍टम का निर्माण हम खुद कर रहे हैं व प्रकृति इसके लिए दोषी नहीं है. इस सीजन के लिए यह अधिक जरूरी है कि लोग जाड़े के दौरान इम्‍यूनिटी बढ़ाने वाली चीजें खाएं औरआयुर्वेदके हिसाब से लाइफस्‍टाइल अपनाएं.

आयुर्वेद के मुताबिकसर्दियों का मौसम ऐसा सीजन होता है जब प्रकृति हमारा पोषण करने को तैयार रहती है. डाइजेशन का लेवल बहुत ऊंचा होने की वजह से भूख व डाइजेशन की ताकत अन्य सीजन के मुकाबले अधिक होती है. लोग सोचते हैं कि यह सीजन इम्‍यूनिटी के लिए बेकार है क्योंकि वे अस्वास्थ्यकर खाना व जल्दी हजम नहीं होने वाला खाना खाती हैं जिससे उनकी इम्‍यून सिस्‍टम सुस्त हो जाती है.

मधुमेह रोगियों के लिए जामुन का सेवन हैं अत्यंत लाभदायक, देखिए यहाँ

जामुन खाने से सेहत को बड़े फायदे होते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जामुन खाने से सेहत को होने वाले ऐसे-ऐसे फायदे जो आपने कभी नहीं सुने होंगे.

मधुमेह रोग में विशेषकर Jamun का उपयोग बहुत लाभकारी होता है । जामून लीवर , आमाशय , पेन्क्रियास और तिल्ली को सशक्त बनाता है। इसके  पॉलीफेनोलिक कम्पाउंड और एंटीऑक्सीडेंट , कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में सक्षम होते है।

Jamun स्मरण शक्ति बढ़ाता है। शरीर में रक्त स्राव को रोक सकता है। वीर्यदोष ठीक करता है।ओर भी कई प्रकार के उपचार में काम आता है।इसी के साथ जामुन में पाया जाने वाला विटामिन ए और सी शरीर में होने वाले दोषों को दूर करने के साथ-साथ दस्त, उल्टी, जैसी समस्या को दूर करने में भी मदद करता है.

जामुन में विटामिन ए और सी के अलावा आयरन की अधिकता होती है, जो शरीर में ब्लड की समस्या को दूर कर शुद्धिकरण का काम करता है. इसी के साथ यह त्वचा की गहराई से सफाई कर त्वचा संबंधी समस्याओं के दूर करता है.

जी दरअसल जामुन का नियमित रूप से रोज सेवन करते रहने से मुंहासे, दाग धब्बों से राहत मिल जाती है.जी दरअसल यह पाचन संबंधी विकारों से राहत पहुंचाता है और जामुन पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है.

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से आप रहेंगे स्वास्थ्य

कोरोना वायरस तेज़ी से  अपने पैर पसार रहा है लेकिन इससे बचने के लिए आपके पास कई सारे विकल्प हैं. कोरोना वायरस से बचने के लिए भारत के लोगों को लगातार एडवाइजरी जारी की जा रही है.

इसके अलावा दुनिया के कई हेल्थ एक्सपर्ट मानते है कि योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास शरीर को स्वस्थ रखने के साथ हमारे प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में काफी मददगार साबित होते हैं.

उत्तानपादासन: हाजमे को दुरुस्त रखने के साथ ही तंत्रिका तंत्र को भी मजबूत करता है. मंडूकासन: मधुमेह, कोलाइटिस से मुक्ति में सहायक. पैंक्रियाज से इंसुलिन रिलीज करने में मददगार. ऐसे में आपकी इम्यूनिटी बढ़ जाती है.

ये खांसी, जुकाम, वायरल बुखार, कमर दर्द, सांस लेने में तकलीफ आदि बीमारियों में लाभकारी होते हैं. योगासन और प्राणायाम करने वाले व्यक्तियों में स्फूर्ति व ऊर्जा का संचार होने के साथ शरीर के नस-नाडिय़ों की शुद्धि होती है. साथ ही रोग से लडऩे की क्षमता मिलती है.