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भारत को मिडिल ईस्ट होकर यूरोप से जोड़ना अब तक की सबसे बड़ी सहयोग परियोजना, नेतन्याहू ने ऐसे सराहा

अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने शनिवार को नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर संयुक्त रूप से नए आर्थिक गलियारे की घोषणा की। जिसे कई लोग चीन की विवादास्पद बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के विकल्प के रूप में देखते हैं। शनिवार देर शाम जारी एक वीडियो संदेश में, नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल एक अभूतपूर्व अंतरराष्ट्रीय परियोजना के केंद्र में है जो एशिया से यूरोप तक बुनियादी ढांचे को जोड़ेगा।

नेतन्याहू ने कहा, ‘मैं अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय संघ के साथ-साथ फ्रांस, इटली और जर्मनी की ओर से आज जारी किए गए बयान का स्वागत करता हूं। इस्राइल के पीएम ने कहा, “यह आपके लिए एक अच्छा सप्ताह है इज़राइल के नागरिकों। आज शाम, मुझे आपको कुछ प्रमुख समाचारों के बारे में सूचित करते हुए खुशी हो रही है।” उनका यह संदेश ऐसे समय में आया है जब हजारों इस्रालियों ने सरकार की न्यायिक सुधार योजना के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया और उन्हें लगता है कि इससे न्यायपालिका का अधिकार कमजोर होगा।

नेतन्याहू ने कहा, “यह परियोजना भारत से शुरू होगा, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, जॉर्डन और इस्राइल से गुजरते हुए यूरोप तक पहुंचेगा। इस पहल को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई के संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, जिसकी विशेष रूप से छोटे देशों से ऋण बोझ के लिए आलोचना भी हो रही है।

शी ने 2013 में बीआरआई का अनावरण किया था, जिसका उद्देश्य चीन को दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप के साथ भूमि और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना था। आईएमईसी की घोषणा इस्राइल और सऊदी अरब के बीच संबंधों के लगभग सामान्य की चर्चा के बीच हुई है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन खाड़ी देश ने हाल ही में इस्राइली एयरलाइनों को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति देकर इजरायल के प्रति अपनी स्थिति को नरम किया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उसने यहूदी राज्य के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका से कई रियायतों की भी मांग की है, जिनमें से कुछ बहुत विवादास्पद हैं।

नेतन्याहू ने कहा, “भारत से पश्चिम एशिया होते हुए यूरोप तक एक आर्थिक गलियारा विकसित करने के लिए एक अग्रणी पहल शुरू करने की घोषणा की गई है और मुझे इस्राइल के नागरिकों को यह सूचित करते हुए खुशी हो रही है कि हमारा देश, इस्राइल इस आर्थिक गलियारे में एक केंद्रीय जंक्शन होगा।” अपनी विवादास्पद न्यायिक सुधार योजनाओं के कारण अर्थव्यवस्था में मंदी से जूझ रहे इस्राइली प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे रेलवे और बंदरगाह भारत से पश्चिम एशिया, यूरोप और यूरोप से जॉर्डन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात होते हुए भारत के लिए एक नया प्रवेश द्वार खोलेंगे।

उन्होंने कहा, ”मैं अमेरिकी राष्ट्रपति (जो) बाइडन और उनके साथियों को धन्यवाद देना चाहता हूं।” उन्होंने कहा कि यह परियोजना हमारे क्षेत्र के चेहरे को नया आकार देती है और एक सपने को वास्तविकता में बदलने की अनुमति देती है। इजरायल के प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल में रेलवे का निर्माण, हाइड्रोजन पाइपलाइन बिछाना, भविष्य की ऊर्जा, फाइबर ऑप्टिक संचार केबल बिछाना, बिजली के केबल बिछाना और अधिक बुनियादी ढांचा तैयार करना शामिल है।

इजरायल राज्य हमारे इतिहास में सबसे बड़ी सहयोग परियोजना को साकार करने के लिए अपनी क्षमताओं, अपने सभी अनुभव, गति और प्रतिबद्धता का योगदान देगा। सभी सरकारी मंत्रालयों को इस सपने को साकार करने में शामिल होने का निर्देश दिया जाएगा।

नेतन्याहू ने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री कार्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि वह कर्मचारियों के काम में समन्वय करे और अमेरिका एवं अन्य देशों के साथ करीबी सहयोग करे ताकि यह दृष्टिकोण जल्द से जल्द हकीकत बन सके। यह परियोजना हमें वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग और भागीदारी के एक नए, अद्वितीय और अभूतपूर्व युग में ले जाएगी। नेतन्याहू ने कहा, “हम साथ मिलकर सफल होंगे।”