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पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 330 के पार, आवाम ने अदालत से लगाई गुहार, कहा- ऐसा चलता रहा तो कमरतोड़ देगी महंगाई

पाकिस्तान में मुद्रास्फीति के डबल डिजिट में पहुंच जाने के बीच कार्यवाहक सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी कर दी है. इन पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने के बाद विपक्षी दलों ने विरोध शुरू कर दिया है.

कार्यवाहक सरकार के इस फैसले को लाहौर उच्च न्यायालय में चुनौती भी दे दी गई है.

कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकड़ की मंजूरी मिलने के बाद वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार रात पेट्रोल की कीमत में 26.02 रुपये और डीजल की कीमत में 17.34 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने का आदेश जारी कर दिया.

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान पब्लिक

इसके बाद पेट्रोल और ‘हाई-स्पीड’ डीजल (एचएसडी) की कीमतें 330 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा हो गई हैं। इसके पहले एक सितंबर को भी कार्यवाहक सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगभग 14 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी.

पिछले महीने देश में कार्यवाहक सरकार बनने के बाद से पेट्रोल और डीजल के दाम 20 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं. पाकिस्तान में 15 अगस्त के बाद से पेट्रोल की कीमत में 32.14 रुपये जबकि डीजल की कीमत में 38.49 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है. समाचार-पत्र ‘डॉन’ ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों का 330 रुपये प्रति लीटर पर पहुंचना एक मनोवैज्ञानिक अवरोध के टूटने जैसा है. अगस्त में मुद्रास्फीति की दर 27.4 प्रतिशत से अधिक बढ़ने के बाद ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.

धरना-प्रदर्शन जारी

पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के बाद विपक्षी दल जहां इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं. ‘दुनिया न्यूज’ चैनल की वेबसाइट के मुताबिक, पेट्रोलियम कीमतों में भारी बढ़ोतरी का विरोध करते हुए जमात-ए-इस्लामी (जेआई) ने पाकिस्तान के सभी चारों प्रांतों में गवर्नर के घरों के बाहर धरना देने की घोषणा की है. जेआई प्रमुख सिराजुल हक ने कहा कि सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के निर्देश पर पेट्रोलियम की कीमतें बढ़ाकर आम आदमी का जीवन दयनीय बना दिया है.

सरकार के खिलाफ पब्लिक पहुंची कोर्ट

ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस के सरदार अब्दुल रहीम ने कहा कि पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) का आईएमएफ के साथ समझौता ‘देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हुआ है.’ इस चैनल ने एक अन्य रिपोर्ट में कहा कि लाहौर में अजहर सिद्दीकी नाम के वकील ने लाहौर उच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ एक अर्जी लगाकर कार्यवाहक संघीय सरकार को एक पक्ष बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि उत्पादों की कीमतें निर्धारित करने के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं थी और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति अब और ज्यादा बढ़ जाएगी.

इससे पहले, वित्त मंत्रालय ने पेट्रोलियम उत्पादों की मौजूदा उपभोक्ता कीमतों में संशोधन के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम कीमतों के बढ़ते रुझान’ को जिम्मेदार ठहराया था. पखवाड़े भर में दो बार इन पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने से पाकिस्तान के लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा. पेट्रोल और एचएसडी का उपयोग सभी निजी और सार्वजनिक सेवा वाहनों द्वारा किया जाता है.