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आफत- 48 गांव में भरा बाढ़ का पानी 87 गांव का संपर्क टूटा प्रशासन फेल

इटावा
चकरनगर क्षेत्र में प्रवाहित नदियों में आया भीषण बाढ़ का पानी क्षेत्र के 48 गांव में तीन-चार दिन से भरा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कैद ग्रामीण भूख प्यास से तड़प रहे हैं। कुछ ग्रामीणों को प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जबकि अधिकतर परिवार आज भी बाढ़ से घिरे हुए हैं। कई गांव तो प्रशासनिक अधिकारियों की ही पहुंच से दूर है। सड़क व सम्पर्क मार्ग पर पानी भरने से 87 गांव का संपर्क तहसील मुख्यालय से टूट गया है। गांव में बाढ़ का पानी भरने से कुछ ग्रामीणों ने जंगल में ऊंचे टीलों पर त्रिपाल की झोपड़ी तानकर आशियाना बना लिया है। थाना भरेह के हरौली बहादुरपुर, भरेह, कांयछी, चकरनगर थाना के गांव रनिया, ककरैया, खिरीटी व सहसों के गांव गुरभेली के कुछ परिवारों को एनडीआरएफ व पीएसी की टीम द्वारा गांव से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। लेकिन अधिकतर परिवार आज भी ऐसे हैं जो बाढ़ का पानी घटने की आस में चार दिन से लगातार छतों पर भूखे प्यासे लटके हुए हैं। दो दिन से बाढ़ से घिरे समूचे गांव की विद्युत आपूर्ति भी बंद कर दी गई है, जिससे बाढ़ में घिरे लोगों का दूरभाष से भी संपर्क टूट गया है। जबकि चंबल पुल के दोनों तरफ लखना- सिंडौस सड़क मार्ग व क्वारी पुल के समीप मुख्य मार्ग पर पानी भरने से क्षेत्र के 87 गांव का गुरुवार शाम को तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया। शुक्रवार शाम तक चंबल पार के लोगों को चंबल पुल से नहीं निकलने दिया गया। बताते चलें कि बिठौली थाना क्षेत्र के गांव शेरगढ़, कचहरी, पूठन व अड्डा, मचल की मढ़ैया, नीमरी, करियावली, लक्ष्मणपुरा, सलोखरा, कंधावली, भजनपुरा, कतरौली, रावनी, बिडौरी, तेलियन खोड़न, सहसों थाना के गांव कोटरा व बिरोनाबाग, थाना भरेह व चकरनगर के कुछ गांव में राहत कार्य तो दूर की बात प्रशासनिक अधिकारियों ने तीन दिन से बाढ़ में घिरे ग्रामीणों का हाल जानना भी उचित नहीं समझा। क्षेत्रीय राशन डीलरों द्वारा खाना के कुछ पैकेट जरूर दिए गये लेकिन यह भी नाकाफी साबित हुए। क्षेत्र में घिरे भूख प्यास से तड़प रहे सैकड़ों परिवार सरकार से मदद की उम्मीद लगाये बैठे हैं।