Saturday , November 23 2024

विदेश

मालदीव के राष्ट्रपति ने की चीनी प्रधानमंत्री से मुलाकात, पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने गुरुवार को चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से मुलाकात की। उन्होंने चीनी प्रधानमंत्री ने अपने देश में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। बुधवार को मुइज्जू ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। इस दौरान दोनों नेताओं ने 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किया। बता दें कि मुइज्जू चीन के पांच दिवसीय दौरे पर हैं, जो शुक्रवार को खत्म होने वाला है।

मालदीव के विकास को लेकर जिनपिंग के साथ चर्चा
अपनी इस यात्रा के दौरान मुइज्जू ने चीनी समकक्ष से ई-कॉमर्स में सहयोग बढ़ाने, राजधानी माले के विकास, एयरपोर्ट के विस्तार और अन्य परियोजनाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने मालदीव से चीन तक सीधी विमान और पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के मामलों पर भी बातचीत की।

चीन समर्थक मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू इन दिनों भारत के साथ विवादों में उलझे हुए हैं। दरअसल मुइज्जू सरकार के तीन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी, जिसके बाद से भी भारत में मालदीव को बॉयकॉट करने का चलन शुरू हो गया। हालांकि, इस विवाद के बाद मुइज्जू सरकार ने उन तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया।

चीन और मालदीव के संबंध पर हुई बात
शांघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के एक शोधार्थी झाओ गैनचेंग ने कहा, ‘जमीन और जनसंख्या के मामले में मालदीव बहुत छोटा देश है, लेकिन इसका सामरिक महत्व बहुत अधिक है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हिंद महासागर हमसे बहुत दूर है, लेकिन हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा और बीआरआई के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।’

चीन में आगमन के बाद से ही मुइज्जू लगातार मालदीव में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने की दिशा में बात कर रहे हैं। मुइज्जू से मुलाकात के बाद चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने कहा, ‘चीन और मालदीव का संबंध संप्रभु समानता, सम्मान और ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित है।’ मुइज्जू ने मालदीव और चीन के रिश्तों को नई ऊंचाईओं तक ले जाने की उम्मीद जताई है। उन्होंने जिनपिंग की वैश्विक विकास पहल और वैश्विक सुरक्षा पहल का भी समर्थन किया।

अफगानिस्तान में भूकंप के तेज झटके, भारत-पाकिस्तान तक कांपी धरती; 6.1 मापी गई तीव्रता

अफगानिस्तान में गुरुवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए। इसका असर भारत और पाकिस्तान तक देखा गया। पाकिस्तान में लाहौर, इस्लामाबाद और खैबर पख्तूनख्वा जैसे शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भारत की बात करें तो दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में धरती में कंपन्न महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 मापी गई। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में जमीन से 220 किलोमीटर गहराई में था।

क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब?
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।

कैसे मापा जाता है भूकंप की तिव्रता और क्या है मापने का पैमाना?
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार रोकने के लिए हूतियों ने सात हफ्ते में किए 26 हमले, US-UK ने ऐसे नाकाम किए इरादे

लेबनान के ईरान समर्थित संगठन हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बाधित करने की कोशिशें जारी रखी हैं। इस्राइल-हमास में जारी संघर्ष के बीच हूती बीते सात हफ्तों में इस व्यापार मार्ग पर 26 बार हमले कर चुके हैं। इस दौरान इस संगठन ने 18 ड्रोन लॉन्च किए। अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) ने कहा कि उसने और ब्रिटिश सेना ने इन ड्रोन्स के साथ-साथ लेबनान से दागी गई दो एंटी शिप क्रूज मिसाइलें और एक एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल को भी मार गिराया। अमेरिकी सेंट्रल कमांड की ओर से जारी बयान के मुताबिक, हूतियों ने ईरान द्वारा डिजाइन्ड ड्रोन्स और मिसाइलों से हमला किया। इनकी तरफ से दक्षिण लाल सागर को निशाना बनाया गया। हालांकि, इस हमले को नाकाम कर दिया गया।

गौरतलब है कि इस्राइल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद से ही हूतियों ने इस्राइल समर्थक पश्चिमी देशों को चेतावनी दे दी थी। संगठन की तरफ से लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए जा रहे शिप-कंटेनरों को निशाना बनाया जा रहा है। इन हमलों और इस्राइल की सुरक्षा के मद्देनजर अमेरिका और पश्चिमी देशों के समूह ने मार्ग की सुरक्षा के लिए समझौता किया और अपने कई हथियारों को इस क्षेत्र में तैनात किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हूतियों के ताजा हमले में अमेरिका के तीन और ब्रिटेन के एक युद्धपोत ने जवाबी कार्रवाई की। हालांकि, हूतियों ने इस हमले के नाकाम हो जाने के बावजूद हमले जारी रखने की बात कही है।

चुनाव चिह्न पर पेशावर हाईकोर्ट से पीटीआई को राहत, ईसीपी का फैसला रद्द; पर इमरान को लगा झटका

आम चुनावों से पहले इमरान खान की पार्टी को पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने चुनाव आयोग (ईसीपी) के उस फैसले को ‘असंवैधानिक’ बताया है, जिसमें उसने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री की पार्टी के चुनाव चिह्न ‘क्रिकेट बैट’ को रद्द कर दिया था और पार्टी के आंतरिक चुनावों को खारिज कर दिया था।

देश के एक प्रमुख अखबार की खबर के मुताबिक, पेशावर उच्च न्यायालय ने ईसीपी को निर्देश दिया कि वह पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को उसके क्रिकेट बैट का चुनाव चिह्न वापस लौटाए और पार्टी के आंतरिक चुनाव का प्रमाणपत्र अपनी वेबसाइट पर डाले। उच्च न्यायालय से यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है, जब पार्टी ने सर्वोच्च न्यायालय से चुनाव चिह्न क्रिकेट बैट की बहाली की मांग वाली अपील वापस ली है।

ईसीपी ने 22 दिसंबर को फैसला दिया था कि पीटीआई आम चुनाव के लिए अपना चुनाव चिह्न क्रिकेट बैट बरकरार नहीं रख सकती। उसने यह भी कहा था कि पीटीआई अपने मौजूदा संविधान और चुनाव कानूनों के तहत पार्टी के भीतर चुनाव कराने में विफल रही है। न्यायमूर्ति एजाज अनवर और न्यायमूर्ति अरशद अली की दो सदस्यीय पीएचसी पीठ ने ईसीपी के फैसले को गलत बताया। पीटीआई ने 26 दिसंबर को ईसीपी के आदेश के खिलाफ पेशावर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और एक सदस्यीय पीठ ने नौ जनवरी तक पार्टी के चुनाव चिह्न को बहाल कर दिया था।

30 दिसंबर को ईसीपी ने उच्च न्यायालय में एक समीक्षा याचिका दायर की। जिसमें दलील दी गई कि अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है। इसके कुछ दिन बाद पीटीआई को बड़ा झटका देते हुए उच्च न्यायालय ने ईसीपी के आदेश को बहाल कर दिया था और पार्टी से उसका चुनाव चिह्न फिर से छीन लिया। इसके बाद पीटीआई ने ईसीपी के फैसले की बहाली के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
इससे एक दिन पहले पीटीआई के वकील बैरिस्टर अली जफर ने पेशावर उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी थी कि चुनाव आयोग केवल लिखित प्रमाण पत्र रखने वाला निकाय है और उसके पास किसी पार्टी का चुनाव चिह्न छीनने का अधिकार नहीं है। पीटीआई और ईसीपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों द्वारा लगभग पांच घंटे तक चली बहस के बाद पीठ ने सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी थी।

न्यायमूर्ति अनवर और न्यायमूर्ति अली ने सुनवाई की अध्यक्षता की, जहां पीटीआई के आंतरिक चुनावों को चुनौती देने वालों के वकीलों को अपनी दलीलें पेश करनी थीं। फैसले की घोषणा के बाद पेशावर उच्च न्यायालय के बाहर मीडिया से बात करते हुए पीटीआई के वकील जफर ने कहा, अब, पीटीआई को ये चुनाव जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

लाहौर हाईकोर्ट ने बरकरार रखा निर्वाचन अधिकारियों का फैसला
हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अगले महीने होने वाले आम चुनाव लड़ने के लिए लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) से कोई राहत नहीं मिली। एलएचसी के अपीलीय न्यायाधिकरणों ने पीटीआई पार्टी के संस्थापक का पंजाब प्रांत में नेशनल असेंबली की दो सीटों के लिए नामांकन पत्र खारिज करने के निर्वाचन अधिकारियों (आरओ) के फैसले को बरकरार रखा।

भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सुप्रीम कोर्ट के जज ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को लिखा पत्र

भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया। एक दिन हले शीर्ष अदालत की अनुशासन समिति ने कदाचार के लिए उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

राष्ट्रपति अल्वी को लिखा पत्र
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को एक पत्र लिखकर न्यायमूर्ति सैयद मजहर अली अकबर ने अपना इस्तीफा दे दिया। इसमें उन्होंने कहा कि वह जिस तरह के आरोप उनके खिलाफ लगाए गए और जिस तरह से उनके साथ व्यवहार किया गया, उनके बीच वह अपने कर्तव्यों को आगे नहीं बढ़ा सकते।

‘न्यायाधीश के रूप में काम जारी रखना संभव नहीं’
उन्होंने कहा, ‘पहले लाहौर उच्च न्यायालय और फिर पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होना और सेवा देना सम्मान की बात थी। लेकिन, ऐसी परिस्थितियों में, जो सार्वजनिक जानकारी और कुछ हद तक सार्वजनिक रिकॉर्ड का मामला है, मेरे लिए पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करना जारी रखना संभव नहीं है।’

एसजेसी ने कार्यवाही पर रोक लगाने से किया इनकार
उन्होंने कहा, ‘उचित प्रक्रिया के विचार भी मजबूर करते हैं। इसलिए मैं आज पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद से इस्तीफा देता हूं।’ मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायाधीश नकवी के कथित कदाचार को लेकर सर्वोच्च न्यायिक परिषद (एसजेसी) में उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने के अनुरोध को खारिज कर दिया था।

‘मेरे खिलाफ किया गया अपमानजनक व्यवहार’
दिसंबर में मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा और शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों को लिखे एक पत्र में न्यायमूर्ति नकवी ने कहा था कि एसजेसी द्वारा उनके साथ किया गया व्यवहार अपमान से कम नहीं है। एसजेसी ने पिछले साल 27 अक्तूबर को न्यायमूर्ति नकवी को पीठ में हेरफेर और वित्तीय कदाचार का आरोप लगाने वाली विभिन्न शिकायतों के बीच ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था।

किसने दर्ज कराई थी शिकायत
पाकिस्तान बार काउंसिल, वकील मियां दाऊद और अन्य ने उच्चतम के न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। एसजेसी ने न्यायाधीश को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। एसजेसी में न्यायमूर्ति तारिक मसूद, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद अमीर भट्टी और बलूचिस्तान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नईम अख्तर शामिल हैं। एसजेसी शीर्ष न्यायपालिका के न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करने वाला शीर्ष निकाय भी है।

इस मामले में न्यायाधिकरण को घोषित किया असंवैधानिक
लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति नकवी ने दिवंगत सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाले विशेष न्यायाधिकरण को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि उनका इस्तीफा तब आया, जब मुशर्रफ मामले में उनके फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। हालांकि, यह पता नहीं चल पाया है कि दोनों घटनाक्रम आपस में जुड़े हैं या नहीं।

पाकिस्तान में ऑनलाइन फंड जुटा रही थी इमरान खान की पार्टी, हो गया इंटरनेट डाउन

पू्र्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई वर्चुअल फंडरेजर लॉन्च करने वाली थी लेकिन, उससे पहले ही उनके अभियान को नजर तब लग गई जब देशभर में इंटरनेट डाउन हो गया। पार्टी के लिए यह एक महीने में दूसरा झटका है। पीटीआई ने आरोप लगाया है कि पहले भी पार्टी के एक कार्यक्रम से पहले देशभर में इंटरनेट बंद कर दिया गया था। इस बार भी ऐसा ही किया गया है। इस बार भी लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे।

पाकिस्तान में एक बार फिर बड़े पैमाने पर इंटरनेट और सोशल मीडिया एप्लिकेशन्स प्रभावित हुए हैं। देश भर के इंटरनेट यूजर्स ने कंप्लेन की है कि उन्हें फेसबुक, इंस्टाग्राम, X, स्ट्रीमिंग इत्यादि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यूज करने में दिक्कत हो रही थी। संयोग से पाकिस्तान में इंटरनेट डाउन ऐसे वक्त पर हुआ है जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई ऑनलाइन फंड जुटाने के लिए वर्चुअल फंडरेजर लॉन्च करने वाली थी।

पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, लाइव मेट्रिक्स एक्स/ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब सहित पाकिस्तान में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर राष्ट्र-स्तरीय व्यवधान देखा गया है।” पिछले महीने, पीटीआई द्वारा एक वर्चुअल पावर शो के दौरान इंटरनेट डाउन की एक ऐसी ही घटना सामने आई थी।

बता दें कि पीटीआई 7 जनवरी रात 9 बजे ऑनलाइन फंड जुटाने के लिए वर्चुअल फंडरेजर लॉन्च करने वाली थी लेकिन, शाम 6 बजे के आसपास देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों को इंटरनेट यूज करने में दिक्कत होने लगी। कई लोगों ने कंप्लेन की कि वे इंटरनेट और कई सोशल मीडिया ऐप्स यूज नहीं कर पा रहे हैं।

निशाने पर पाकिस्तानी सरकार
इंटरनेट डाउन पर पीटीआई नेताओं और समर्थकों ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार उनकी पार्टी को दबाने के लिए ऐसा कर रही है। X पर पीटीआई ने कहा, “बिल्कुल शर्मनाक! पाकिस्तानियों को लगातार हो रहे इस नुकसान के लिए कार्यवाहक आईटी मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।” पार्टी नेता तैमूर सलीम खान झागरा ने कहा, “एक और पीटीआई ऑनलाइन कार्यक्रम। एक और बार इंटरनेट शटडाउन।”

बलूच, सिंधी और पश्तूनों ने पाकिस्तान के खिलाफ किया प्रदर्शन, सेना पर लगाए गंभीर आरोप

कनाडा में रहने वाले बलूच, सिंधी और पश्तून लोगों ने पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान में बलूच लोगों द्वारा निकाले जा रहे मार्च को भी अपना समर्थन दिया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में हजारों बलूच लोगों के गायब होने, हत्याओं और उत्पीड़न की जिम्मेदार पाकिस्तान की सरकार है। पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूच, सिंधी और पश्तूनों का उत्पीड़न किया जाता है।

कनाडा को टोरोंटो में किया प्रदर्शन
यह प्रदर्शन कनाडा के टोरोंटो में बलूच ह्युमन राइट्स काउंसिल ऑफ कनाडा, वर्ल्ड सिंधी काउंसिल और पश्तून काउंसिल कनाडा ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। प्रदर्शन के दौरान बलूच, सिंधी और पश्तून लोगों के खिलाफ पाकिस्तानी सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की गई। आरोप लगाया कि पश्तूनों, सिंधियों और बलूचों के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गायब किया जा रहा है या फिर उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। लोगों के गायब होने, गैर न्यायिक हिरासत में मौत होने और हत्याओं में पाकिस्तान के काउंटर टेरेरिज्म डिपार्टमेंट का हाथ है।

बलूचों के मार्च का किया समर्थन
गौरतलब है कि पाकिस्तान में बलूच लोगों पर पाकिस्तानी सेना की ज्यादतियों से पूरी दुनिया वाकिफ है। बलूचिस्तान में हजारों लोग बीते सालों में गायब हुए हैं और बड़े पैमाने पर गैर न्यायिक हिरासत में लोगों की मौत हुई है। बीती नवंबर को बलूच मोला बख्श नाम के एक 24 वर्षीय युवक के गायब होने के बाद बलूचिस्तान में विरोध प्रदर्शन हुए। बलूच सामाजिक कार्यकर्ता महरंग बलूच के नेतृत्व में लोगों ने बलूचिस्तान से लेकर इस्लामाबाद तक मार्च निकाला और अभी भी बलूच प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। मार्च के दौरान पाकिस्तान की पुलिस पर भी बलूच महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बल प्रयोग करने और बड़ी संख्या में बलूच प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने का आरोप लगा। बलूचिस्तान के लोग खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते और अलग देश की मांग करते हैं। यही वजह है कि वहां पर लंबे समय से अशांति है।

‘यह भयावह भाषा है…’, पीएम मोदी के खिलाफ मंत्री के आपत्तिजनक पोस्ट पर भड़के पूर्व राष्ट्रपति नशीद

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मालदीव की एक मंत्री की पोस्ट पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। दरअसल इस पोस्ट में मालदीव की मंत्री मरियम शिउना ने पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इस पर मोहम्मद नशीद ने कड़ी आपत्ति जताई और एक पोस्ट के जरिए मंत्री की भाषा को भयावह बताया।

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने मंत्री के बयान की आलोचना की
मोहम्मद नशीद ने अपने पोस्ट में लिखा कि ‘मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना ने हमारे सहयोगी देश के नेता के खिलाफ भयावह भाषा का इस्तेमाल किया है, जबकि यह देश मालदीव की समृद्धि और सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जु की सरकार को ऐसे बयानों से दूरी बरतनी चाहिए और भारत को यह बताना चाहिए कि ये बयान सरकार की नीति नहीं हैं।’ मोहम्मद नशीद भारत समर्थक नेता माने जाते हैं और वह साल 2008 में मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए थे।

पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे से छिड़ी बहस
पीएम मोदी हाल ही में लक्षद्वीप दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने देशवासियों से लक्षद्वीप घूमने की अपील की। पीएम मोदी के दौरे के बाद सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की तुलना मालदीव से शुरू हो गई। भारत से हर साल बड़ी संख्या में लोग मालदीव घूमने जाते हैं। पीएम मोदी के दौरे के बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स ने मालदीव की जगह लोगों से लक्षद्वीप घूमने की अपील की। इसके चलते भारत में सोशल मीडिया पर मालदीव ट्रेंड करने लगा। इसका असर मालदीव पर पड़ा और मालदीव की सरकार के मंत्री तुरंत मालदीव के समर्थन में आ गए, लेकिन समर्थन के चक्कर में वह भारत और पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने पर उतर आए हैं।

भारत और मालदीव के रिश्तों में आई कड़वाहट
मालदीव, भारत का पुराना सहयोगी देश रहा है, लेकिन बीती नवंबर में मालदीव के आम चुनाव में मोहम्मद मुइज्जु की जीत के बाद दोनों देशों के रिश्तों में थोड़ी बर्फ जमी है। मुइज्जु को चीन समर्थक माना जाता है और मुइज्जु ने राष्ट्रपति बनते ही मालदीव से भारत की सेना की वापसी का एलान कर दिया।

हमास के इन पांच नेताओं को चाहकर भी नहीं पकड़ पा रहा इस्राइल, ये खत्म तो समझो पूरा संगठन खत्म

इस्राइल दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में शुमार किया जाता है और इसकी खुफिया एजेंसी दुनिया की शीर्ष एजेंसियों में शामिल है। इतनी ताकत और दक्षता के बावजूद हमास ने पहले 7 अक्तूबर को इस्राइल पर हमला किया। हमले के बाद अब इस्राइल हमास युद्ध को तीन महीने का समय भी बीत चुका है, लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी अभी तक इस्राइल हमास के शीर्ष पांच नेताओं को पकड़ने में कामयाब नहीं हुआ है। ये नेता इतने अहम हैं कि अगर इन्हें इस्राइल ने पकड़ लिया या मार दिया तो हमास की कमर टूट जाएगी। तो आइए जानते हैं कि कौन हैं वो शीर्ष पांच नेता, जिन पर हमास का पूरा संगठन टिका है।
याह्या सिनवार
याह्या सिनवार गाजा पट्टी में हमास का शीर्ष नेता है। इस्राइल में 7 अक्तूबर को हुए हमास के हमले का मास्टरमाइंड भी याह्या सिनवार को माना जाता है। याह्या सिनवार को गाजा का सबसे ताकतवर नेता माना जाता है। वह इस्राइल की कैद में रह चुका है और करीब 24 साल जेल में बिता चुका है। इस्राइली सैनिक गिलाद शालित के बदले में इस्राइल की जेल से 1027 फिलस्तीनी कैदी रिहा किए गए थे, उन्हीं कैदियों में याह्या सिनवार भी शामिल था।

इस्माइल हानियेह
इस्माइल हानियेह हमास के पोलितब्यूरो का प्रमुख है और वह कई साल इस्राइल में बतौर मिस्त्री काम कर चुका है। हमास के संस्थापक शेख अहमद यासीन के निजी सहायक के तौर पर भी इस्माइल हानियेह काम कर चुका है। साल 1992 में वह लेबनान चला गया था लेकिन बाद में वापस गाजा लौट आया था। गाजा में कई रियल एस्टेट इमारतों का मालिकाना हक इस्माइल हानियेह के पास है।

मोहम्मद दाएफ
मोहम्मद दाएफ हमास के सैन्य बल का प्रमुख है और कई आत्मघाती हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है। हमास के रॉकेट हमलों और गाजा में सुरंगों का जाल बनाने के काम के पीछे भी मोहम्मद दाएफ का ही हाथ माना जाता है। इस्राइल की मोस्ट वांटेड लिस्ट में दाएफ शीर्ष पर है। इस्राइल ने सात बार दाएफ पर हमला किया है लेकिन हर बार वह बच निकला है।

मारवान इस्सा
मारवान इस्सा, मोहम्मद दाएफ का डिप्टी है और हमास की सैन्य ईकाई में नंबर दो है। ऐसा कहा जाता है कि मारवान इस्सा बास्केटबॉल प्लेयर था और इस्राइल द्वारा गिरफ्तारी के बाद वह हमास से जुड़ गया था। इस्राइली सैनिक गिलाद शालित के बदले में फलस्तीनी कैदियों को रिहा कराने में भी मारवान इस्सा की अहम भूमिका थी।

मोहम्मद सिनवार
मोहम्मद सिनवार हमास के प्रमुख याह्या सिनवार का छोटा भाई है। मोहम्मद सिनवार हमास की खान यूनिस ब्रिगेड का प्रमुख है। इस्राइल कई बार सिनवार को पकड़ने की कोशिश कर चुका है लेकिन हर बार मोहम्मद सिनवार इन हमलों में बच निकला।

16,000 फीट की ऊंचाई पर निकल गई विमान की खिड़की, कराई गई इमरजेंसी लैंडिंग, यात्री सुरक्षित

अमेरिका के पोर्टलैंड में शुक्रवार को एक बड़ा हादसा टल गया। यहां अलास्का एयरलाइंस की एक फ्लाइट की खिड़की उड़ान के दौरान 16 हजार फीट की ऊंचाई पर अचानक से निकल गई। आनन-फानन में विमान की वापस पोर्टलैंड में इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। बताया गया है कि विमान में 174 यात्री और छह क्रू सदस्य सवार थे। फिलहाल किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इस घटना के बीच अलास्का एयरलाइंस ने बोइंग 737-9 शृंखला के सभी विमानों को परिचालन से हटाने की घोषणा कर दी है। विमान की खिड़की टूटने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि यह वीडियो इसी विमान का है या नहीं।

स्थानीय मीडिया को मुताबिक, अलास्का एयरलाइंस की फ्लाइट 1282 छह मिनट तक 16,000 फीट की ऊंचाई पर रही। हालांकि, इसी दौरान एक यात्री की विंडो अचानक ही निकल गई। इसके चलते फ्लाइट का केबिन प्रेशर अचानक नीचे आ गया। इस घटना के तुरंत बाद पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क किया और इसे लैंड कराया।