Saturday , November 23 2024

विदेश

इस छोटे से देश ने ताइवान को दिया बड़ा झटका, ताइपे से संबंध तोड़ करेगा चीन से दोस्ती

नाउरू ने ताइवान के साथ राजनयिक संबंध समाप्त करने का फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि वह ताइवान का साथ छोड़कर चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला है। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब स्वशासित ताइवान को लेकर चीन के बढ़ते आक्रामक रुख समेत कई मामलों पर चीन एवं अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है। छोटे प्रशांत द्वीप राष्ट्र की सरकार ने सोमवार को कहा कि देश और उसके लोगों के हित में वह चीन के साथ राजनयिक संबंधों की पूर्ण बहाली की मांग कर रही है।

कोई आधिकारिक संबंध नहीं कर सकेगा स्थापित
नाउरू के इस फैसले का मतलब होगा कि वह अब ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं देगा। बल्कि चीन के एक अविभाज्य हिस्से के रूप में इसे जानेगा। इसके अलावा, वह ताइवान के साथ राजनयिक संबंधों को पूरी तरह से तोड़ देगा और अब ताइवान के साथ कोई आधिकारिक संबंध या संपर्क स्थापित नहीं करेगा।

केवल 12 देशों की मान्यता
वही, नाउरू के इस कदम के बाद ताइवान के पास ग्वाटेमाला, पराग्वे, इस्वातिनी, पलाऊ और मार्शल द्वीप समेत केवल 12 देशों की मान्यता रह जाएगी।

मुट्ठी भर देशों पर छींटाकशी जारी रखेगा चीन
चीन हमेशा दावा करता है कि ताइवान उसका है। इसी को लेकर विवाद जारी है। चुनाव से पहले ताइवान के सुरक्षा अधिकारियों ने कहा था कि चीन उन मुट्ठी भर देशों पर छींटाकशी जारी रख सकता है, जिनके ताइपे के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध हैं। बता दें, ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के लाई चिंग-ते ने शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया और वह 20 मई को पदभार ग्रहण करेंगे। चुनाव से पहले चीन ने लाई को खतरनाक अलगाववादी कहा था।

पिछले साल होंडुरास ने छोड़ा था ताइवान का साथ
इससे पहले, पिछले साल मार्च में होंडुरास ने ताइवान के साथ संबंध समाप्त करने के बाद चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे। होंडुरास के साथ संबंधों को लेकर यह घोषणा ऐसे समय में की गई थी।होंडुरास ने कहा था, ‘ताइवान चीनी क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है और होंडुरास सरकार ने राजनयिक संबंधों को समाप्त करने के बारे में ताइवान को सूचित किया है। उसने ताइवान के साथ कोई आधिकारिक संबंध या संपर्क स्थापित नहीं करने का संकल्प लिया।’ ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वु ने बताया था कि ताइवान ने ‘अपनी संप्रभुता एवं गरिमा की रक्षा’ के लिए होंडुरास के साथ अपने संबंधों को समाप्त कर लिया है। दोनों पक्षों के बीच संबंध 80 वर्ष से अधिक समय तक रहे।

‘मालदीव की संप्रभुता को चीन का पूरा समर्थन’; राष्ट्रपति जिनपिंग से मिलकर लौटे मुइज्जू ने जताया भरोसा

मालदीव में दो महीने पहले नई सरकार बनने के बाद चीन के साथ इसकी करीबी बढ़ रही है। चीनी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक कर लौटे राष्ट्रपति मुइज्जू ने भरोसा जताया है कि आने वाले समय में दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि चीन मालदीव की संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है। दोनों देश एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। मुइज्जू का बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि राजनयिक विवाद के कारण मालदीव और भारत के रिश्ते कड़वे हो चुके हैं।

राष्ट्रपति बनने के बाद पहली राजकीय यात्रा पर चीन पहुंचे मुइज्जू ने चीनी समकक्ष जिनपिंग के अलावा वहां के प्रधानमंत्री समेत कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी। यात्रा के दौरान डेढ़ दर्जन से अधिक समझौतों पर साइन करने के बाद बाद शनिवार को मालदीव लौटे मुइज्जू ने कहा, चीन ने 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित करने के बाद से मालदीव के विकास में निरंतर सहायता की है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) द्विपक्षीय संबंधों को एक नए स्तर पर ले गई है।

उन्होंने कहा कि चीन ऐसा देश नहीं है जो मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करेगा, यही कारण है कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध हैं। चीन के सरकारी चैनल- सीजीटीएन के साथ एक साक्षात्कार में मुइज्जू ने कहा, मालदीव और चीन एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। चीन मालदीव की संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है। राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि चीन-मालदीव संबंध भविष्य में भी मजबूत होते रहेंगे। राष्ट्रपति शी जिनपिंग नागरिकों के हित को पहले रखते हैं और उनके नेतृत्व में चीन की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों पर पहुंची है।

राष्ट्रपति मुइज्जू के मुताबिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि चीनी सरकार मालदीव को उसके लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि जिनपिंग के साथ-साथ खुद उनके दृष्टिकोण में मालदीव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप प्रगति लाना शामिल है। बकौल मुइज्जू, वह मालदीव को एक ऐसे देश में बदलना चाहते हैं जो उनके दृष्टिकोण के ढांचे के भीतर अन्य विकसित देशों के साथ सद्भाव बरकरार रखते हुए रिश्ते कायम करे।

गौरतलब है कि मुइज्जू ने चीन दौरे से लौटने के बाद भी भारत का नाम लिए बिना तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भले ही मालदीव काफी छोटा देश है, लेकिन केवल इस आधार पर किसी देश को उसे धमकाने या उस पर धौंस दिखाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। इस बयान को चीन से उनकी करीबी और भारत के खिलाफ उग्र तेवरों के तौर पर देखा गया।

कार रेस के दौरान सिख महिला की टक्कर लगने से हुई थी मौत, भारतीय मूल के युवक को छह साल की जेल

रोडरेज मामले में ब्रिटेन में 80 साल की सिख महिला की हत्या के आरोप में भारतीय मूल के एक व्यक्ति समेत दो लोगों को जेल की सजा सुनाई गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुद्वारे से घर जा रही महिला को तेज रफ्तार कार ने टक्कर मारी थी। नवंबर 2022 को वेस्ट मिडलैंड्स काउंटी के राउली रेजिस में ओल्डबरी रोड पर यह हादसा हुआ था।

कार रेस ने पहुंचाया जेल आरोपियों को जेल में
मामले पर स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि आरोपी अर्जुन दोसांझ और अन्य आरोपी जेसेक वियात्रोव्स्की एक-दूसरे को पहल से नहीं जानते थे, लेकिन घटना से पहले ट्रैफिक लाइट पर रुकने के दौरान दोनों ने रेस लगाने का फैसला किया था। पुलिस ने दावा किया कि सीसीटीवी फुटेज में देखने पर लगता है कि दोनों कारों की रफ्तार तय सीमा से ज्यादा थी।

सीसीटीवी फुटेज ने जरिए पकड़े गए आरोपी
वीडियो फुटेज के मुताबिक, आरोपी वियात्रोव्स्की ने सड़क पार कर रही महिला को देखकर ब्रेक लगा दी थी, जिससे वह उसकी गाड़ी से टकराने से बच गई थी। लेकिन रेस लगा रहे दोसांझ ने अपनी गाड़ी को दूसरी दिशा में मोड़ दिया। उस दौरान वियात्रोस्की की गाड़ी को बचाने के चक्कर में उसने 81 वर्षीय सिख महिला को टक्कर मार दी थी। वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस के क्रिस रिज ने कहा कि दोनों आरोपी एक-दूसरे को नहीं जानते थे, लेकिन गाड़ियों की रेस की चक्कर के कारण बुर्जुग महिला को अपनी जान से हाथ गवांना पड़ा। गौरतलब है कि दोनों आरोपियों ने तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के अपने आरोपों को स्वीकार किया है।

दोनों आरोपियों को छह साल की कैद
रिपोर्ट में कहा गया कि वॉल्वरहैम्प्टन क्राउन कोर्ट ने दोनों आरोपियों को छह साल की कैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों दोषियों पर आठ साल के लिए गाड़ी चलाने पर रोक लगा दी हैं। अदालत में सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार ने कहा कि हमारी मां साधारण जीवन जीने में विश्वास रखती थी, हादसे के दिन वह गुरुद्वारे से घर जा रही है, वह एक धार्मिक महिला थी। हमारे लिए इस दुखद घटना से उभरना किसी चुनौती से कम नहीं था।

ईरानी शहरी विकास मंत्री से जयशंकर ने की मुलाकात, चाबहार बंदरगाह से जुड़े मुद्दों पर हुई बातचीत

तेहरान दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर ने ईरान के शहरी विकास मंत्री के साथ बैठक की। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर मजबूती पर चर्चा की गई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर दोनों पक्षों के बीच चल रही उच्च स्तरीय बैठक में शामिल होने ईरान गए हैं।

दौरे से जुड़ा पोस्ट सोशल मीडिया पर किया साझा
सोशल मीडिया पोस्ट पर पोस्ट साझा करते हुए जयशंकर ने कहा कि ईरान के शहरी विकास मंत्री के साथ मेरी बैठक हुई। इस दौरान चाबहार बंदरगाह के जुड़े संबंधों को सुदृढ़ करने पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे(आईएनएसटीसी) भी बैठक का मुद्दा रहा। बता दें आईएनएसटीसी एक परिवहन मार्ग है, जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के जरिए से कैस्पियन सागर और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग से उत्तरी यूरोप तक जोड़ता है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जयशंकर का ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन से भी मिलने का कार्यक्रम है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की संभावनाएं हैं।

ईरान-भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने पर जोर
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अगस्त में ईरानी राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी के साथ मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों देशों के नेताओं ने कनेक्टिविटी हब के तौर पर चाबहार बंदरगाह की मजबूती के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया था। ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए व्यापार के लिए अहम है। चाबहार बंदरगाह के जरिए ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के बीच व्यापार किया जाता है।

अमेरिका ने यमन की राजधानी सना में फिर बरसाए बम, हूती विद्रोहियों की चेतावनी- इसकी सजा मिलेगी

अमेरिकी सेना ने शनिवार की सुबह एक बार फिर से यमन के हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बमबारी की। इससे पहले अमेरिका ने शुक्रवार को भी ब्रिटेन की सेना के साथ मिलकर यमन में कई जगहों पर हूती विद्रोहियों के खिलाफ भीषण हवाई हमले किए थे। शनिवार को हुआ हमला राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया।

अमेरिका ने 28 जगहों को बनाया निशाना
शुक्रवार को अमेरिका और ब्रिटेन के संयुक्त हमले में 28 स्थानों पर हूती विद्रोहियों के 60 से ज्यादा ठिकानों पर हमले किए गए थे। साथ ही अमेरिका ने अपने व्यापारिक जहाजों को कुछ दिनों तक लाल सागर से दूर रहने की सलाह दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हूतियों पर हवाई हमले की पुष्टि करते हुए ही कहा था कि अगर हूती विद्रोहियों ने व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाना बंद नहीं किया तो उन पर फिर से निशाना बनाया जा सकता है। अमेरिका के हमलों के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है, जो पहले से ही इस्राइल हमास युद्ध की वजह से तनाव से जूझ रहा है।

हूती विद्रोहियों ने दी जवाबी कार्रवाई की चेतावनी
वहीं अमेरिका के हमलों के बाद हूती विद्रोहियों ने भी जवाबी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। हूती सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याहया सारी ने बयान जारी कर कहा है कि अमेरिका को इन हमलों की सजा मिलेगी। अमेरिका का कहना है कि हवाई हमलों में हूती विद्रोहियों के उन ठिकानों को निशाना बनाया गया, जहां ज्यादा जनसंख्या नहीं थी और खासकर हूतियों के हथियारों, रडार और अहम ठिकानों पर हमले किए गए। इन हमलों में ज्यादा लोगों की मौत की आशंका नहीं है।

गौरतलब है कि ईरान समर्थित हूती विद्रोही इस्राइल हमास युद्ध के बाद से लाल सागर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे थे। अमेरिकी नौसेना ने कई बार हूती विद्रोहियों के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम किया था। हालांकि बार-बार चेतावनी के बावजूद हूती विद्रोहियों का जहाजों को निशाना बनाना जारी था। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट बाधित हो रहा था। यही वजह रही कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश ब्रिटेन ने शुक्रवार को यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर भारी गोलाबारी की।

दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट में पहले नंबर पर छह देश, PAK कमजोर की लिस्ट में, जानें भारत का हाल

दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट्स की सूची जारी हो चुकी है। हेनली पासपोर्ट इंडेक्स 2024 के मुताबिक, इस बार पहले नंबर पर एक-दो नहीं बल्कि छह देश हैं। यानी इन छह देशों के पासपोर्ट सबसे ताकतवर हैं। यह पासपोर्ट अपने नागरिकों को दुनिया के 227 गंतव्यों में से 194 में बिना वीजा के एंट्री की सुविधा मुहैया कराते हैं। जिन छह देशों ने पहले नंबर पर जगह बनाई है, उनमें यूरोप के फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन शामिल हैं। वहीं, लगातार पांच वर्षों से इस स्थान पर बने रहे एशियाई देश जापान और सिंगापुर एक बार फिर नंबर-1 हैं।

हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के टॉप-10 में एक बार फिर यूरोपीय देशों ने पैठ बनाई है। लिस्ट में दूसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया के साथ फिनलैंड और स्वीडन हैं, जजिनके पासपोर्ट 193 गंतव्यों तक बिना वीजा जाने की सुविधा देते हैं। वहीं, तीसरे स्थान पर ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, आयरलैंड और नीदरलैंड हैं, जिनके पासपोर्ट पर नागरिक 192 गंतव्यों पर वीजा-फ्री एंट्री ले सकते हैं। 191 गंतव्यों तक बिना वीजा के जाने की छूट के साथ ब्रिटेन ने चौथे स्थान पर जगह बनाई है। वह पिछले साल छठे पायदान पर था।

लिस्ट में भारत कहां?
भारत को इस लिस्ट में 80वें स्थान पर रखा गया है। भारतीय अपने पासपोर्ट के जरिए मौजूदा समय में 62 गंतव्यों पर बिना वीजा के जा सकते हैं। इनमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, मॉरिशस, श्रीलंका और मालदीव शामिल हैं। दूसरी तरफ भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो जहां 85 गंतव्यों में वीजा-फ्री एंट्री के लिए चीन को 62वें स्थान पर रखा गया है।

सबसे कमजोर पासपोर्ट की लिस्ट में शामिल पाकिस्तान?
वहीं, सबसे कमजोर पासपोर्ट की बात की जाए तो इसमें अफगानिस्तान का नंबर सबसे ऊपर है। हालांकि, पाकिस्तान का पासपोर्ट भी सबसे कमजोर की लिस्ट में चौथे नंबर पर है। युद्ध प्रभावित सीरिया और इराक के पासपोर्ट इस लिस्ट में दूसरे और तीसरे नंबर हैं। सबसे कमजोर पासपोर्ट में पाकिस्तान की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके पासपोर्ट की स्थिति युद्ध झेल रहे यमन और सोमालिया से भी खराब है। इसके अलावा नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका का पासपोर्ट भी कमजोर पासपोर्ट की लिस्ट में रखे गए हैं।

सुनक कैबिनेट की बर्खास्त मंत्री ने रवांडा बिल पर सरकार को घेरा, कहा- इस बिल को वापस लेना होगा बेहतर

ब्रिटेन की बर्खास्त मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के रवांडा विधेयक पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का रवांडा सुरक्षा विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाना है। सुनक की पूर्व कैबिनेट सहयोगी ने कहा है कि इस विधेयक से कोई फायदा नहीं होगा। हाउस ऑफ कॉमन्स में कड़े बयानों के बाद, भारतीय मूल की पूर्व मंत्री ने शुक्रवार को जीबी न्यूज के चैनल के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वह विधेयक के वर्तमान स्वरूप का समर्थन नहीं करेंगी।

पिछले महीने कॉमन्स में पहली बाधा को पार करने के बाद अब अपनी संसदीय प्रक्रिया से गुजर रहे विवादास्पद विधेयक में ब्रिटेन में शरण चाहने वालों को पूर्वी अफ्रीकी देश में निर्वासित करने के रास्ते में आने वाली कानूनी बाधाओं को दूर करने की कोशिश की गई है।

ब्रेवरमैन ने एक साक्षात्कार में, “मैं केवल उस विधेयक का समर्थन करने जा रही हूं जो काम का हो। वर्तमान में जो मसौदा तैयार किया गया है, वह किसी काम का नहीं है। अगर इसमें कोई सुधार नहीं होता है, तो मुझे इसके खिलाफ मतदान करना होगा, इसका मुझे डर है। मुझे ऐसे मुद्दों पर वोट देने के लिए संसद भेजा जाता है, मुझे इसके पक्ष या विपक्ष में होना होगा, मैं इसे केवल बैठ कर देख नहीं सकती।” ब्रिटिश सांसदों को अगले सप्ताह मंगलवार और बुधवार को विधेयक में संशोधनों पर बहस और मतदान करना है, यह किसी भी नए कानून को आगे की जांच के लिए हाउस ऑफ लॉर्ड्स में भेजे जाने से पहले कॉमन्स में पारित होने का अंतिम चरण है।

इस विधेयक का पारित ना होना सुनक के लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है। सुनक को हार का सामना करना पड़ सकता है अगर उनकी अपनी कंजर्वेटिव पार्टी के 32 सांसद इसके खिलाफ वोट कर दें तो। अगर ऐसा होता है तो 1977 के बाद से ऐसा पहली बार होगा। 1977 से अब तक हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरी रीडिंग में कोई भी सरकारी बिल नहीं अटका है।

बावरमैन ने कहा, ‘मैं उन मंत्रियों की बड़ी संख्या से बहुत चिंतित हूं, जिनसे मैंने बात की है, जिन्हें इस विधेयक के बारे में गंभीर आपत्ति है। संख्या के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने जवाब दिया, “ओह, दर्जनों लोग इस बिल से सहमत नहीं है।” पूर्व गृह सचिव ने कहा कि सुनक के लिए ‘सेफ्टी ऑफ रवांडा बिल’ को रोकना और ‘नौकाओं को नहीं रोकने वाला’ कानून बनाने की बजाय फिर से शुरुआत करना ‘कहीं बेहतर’ होगा।

अमेरिका-ब्रिटेन का यमन में हूती विद्रोहियों पर बड़ा हवाई हमला, पश्चिम एशिया में बढ़ सकता है तनाव

अमेरिका और ब्रिटेन ने लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हूती विद्रोहियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। दरअसल दोनों देशों की सेनाओं ने यमन में कई जगहों पर हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हवाई हमला किया है। इन हवाई हमलों में हूती विद्रोहियों को बड़ा नुकसान हुआ है और उनके कई ठिकाने तबाह हो गए हैं। अमेरिका ब्रिटेन के हमले के बाद पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ सकता है।

लाल सागर पर व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे थे हूती विद्रोही
व्हाइट हाउस ने बयान जारी ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों पर हमले की पुष्टि की है। गौरतलब है कि इस्राइल हमास युद्ध के बाद से हूती विद्रोहियों द्वारा फलस्तीनियों के समर्थन में लाल सागर इलाके में व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया जा रहा था। इससे अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट की सुरक्षा प्रभावित हो रही थी। अमेरिका की नौसेना ने कई बार हूती विद्रोहियों के हमलों के नाकाम भी किया था। अमेरिका ने चेतावनी भी दी थी कि अगर हमले नहीं रुके तो इसके बड़े दुष्परिणाम होंगे। अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट की सुरक्षा के लिए निगरानी भी बढ़ा दी थी। भारत ने भी अपने पांच युद्धक जहाजों को अरब सागर और लाल सागर में तैनात किया है, ताकि हूती विद्रोहियों और समुद्री लुटेरों के हमलों को नाकाम किया जा सके।

अमेरिका ने बयान जारी कर दी जानकारी
व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर बताया कि ‘व्यापारिक जहाजों पर लाल सागर में हमलों के बाद बीते महीने अमेरिका ने व्यापारिक जहाजों को हूती विद्रोहियों के हमलों से बचाने के लिए 20 से ज्यादा देशों के साथ मिलकर ‘ऑपरेशन प्रोसपैरिटी गार्जियन’ शुरू किया था। बीते हफ्ते 13 सहयोगी देशों के साथ हमने हूती विद्रोहियों को चेतावनी जारी की थी और कहा था कि अगर उन्होंने व्यापारिक जहाजों पर हमले बंद नहीं किए तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। आज हूती विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले साफ संदेश है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश दुनिया के सबसे अहम शिपिंग कर्मशियल रूट पर नेविगेशन की आजादी से समझौता नहीं करेंगे।’

अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट पर बाधित हुई वैश्विक सप्लाई चेन
हूती विद्रोहियों को ईरान समर्थित माना जाता है। इस्राइल हमास युद्ध के बाद से हूती विद्रोही लाल सागर और अरब सागर के इलाके में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट से गुजरने वाले जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमले कर रहे थे। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट बाधित हो रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हूती विद्रोहियों के हमले के चलते बीते कुछ महीनों में लाल सागर से करीब 200 अरब डॉलर का व्यापार डायवर्ट हुआ है। इससे दुनिया में महंगाई बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। हालांकि अमेरिका के हवाई हमले के बाद पहले ही इस्राइल हमास युद्ध के चलते तनाव से जूझ रहे पश्चिम एशिया में अब और तनाव बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।

फ्लाइट के उड़ान भरने से पहले ही केबिन का दरवाजा खोलकर कूदा यात्री, विमान में मचा हड़कंप

एयर कनाडा की उड़ान में सवार एक यात्री दुबई के लिए उड़ान भरने से पहले ही विमान से कूद गया। यह घटना आठ जनवरी की है, जब यात्री टोरंटो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विमान में चढ़ा, लेकिन बाद में अपनी सीट पर बैठने की बजाय केबिन का दरवाजा खोलकर उसमें से बाहर कूद गया।

केबिन का दरवाजा खोलकर बाहर कूदा
वह 20 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरा। इस हादसे में उसे मामूली चोटें आई है। हादसे के बाद क्षेत्रीय पुलिस और आपातकाल सेवाओं को घटनास्थल पर बुलाया गया। एयर कनाडा वेबसाइट के अनुसार, इस घटना के कारण बोइंग 747 के उड़ान भरने में छह घंटे की देरी हुई।

एयरलाइन के प्रवक्ता ने कहा, ‘इस मामले की जांच जारी है। सभी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। उनकी चोट कितनी गहरी है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।’ फिलहाल यह भी स्पष्ट नहींहो पाया है कि यात्री की इस हरकत के कारण उसे गिरफ्तार किया जाएगा या नहीं।

16 वर्षीय यात्री ने एक परिवार के सदस्यों पर किया था हमला
इस हादसे के कुछ दिन पहले ही एक 16 वर्षीय यात्री एयर कनाडा की फ्लाइट में एक परिवार पर हमला किया था। इस घटना के कारण अन्य यात्रियों को तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा था। रॉयल कैनेडियन पुलिस ने बताया कि जब विमान टोरंटो से कैलगरी जा रही थी, तब यह हादसा हुआ। अधिकारियों ने बताया कि 16 वर्षीय यात्री को अन्य यात्रियों और स्टाफ ने रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने बताया कि इस हमले में परिवार के सदस्यों को चोटें भी आई थी। आरोपी को हिरासत में लेने के बाद उसे मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाा गया था।

धरती के ग्लेशियरों पर नजर रखेगा भारत-अमेरिका का संयुक्त सैटेलाइट NISAR, जल्द हो सकती है लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मिलकर बनाई गई सैटेलाइट निसार (NISAR- NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) लॉन्चिंग के लिए तैयार है और जल्द ही इसकी लॉन्चिंग की तारीख का एलान कर दिया जाएगा। इस सैटेलाइट की मदद से इसरो और नासा धरती पर पर्यावरण के लिए अहम वेटलैंड, ज्वालामुखी में आए बदलाव और जमीन और समुद्र की बर्फ में आए बदलावों का अध्ययन करेगी। निसार सैटेलाइट ग्लेशियरों से बर्फ पिघलने की भी निगरानी करेगी।

धरती पर जमी बर्फ के क्षेत्र को समझने में मदद करेगा निसार सैटेलाइट
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है। बयान में कहा गया है कि इससे वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि कैसे एक छोटी सी प्रक्रिया से अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों में बड़े बदलाव आते हैं। साथ ही इस उपग्रह की मदद से कृषि मानचित्रण और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग की जा सकेगी। नासा के बयान के अनुसार, NISAR की मदद से धरती पर बर्फ से जमे क्षेत्र में आए बदलाव का सबसे विस्तृत डाटा मिल सकेगा। जिसे क्रायोस्फीयर कहा जाता है।

ग्लेशियरों के पिघलने की दर समझने में मिलेगी मदद
नासा में ग्लेशियरों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक एलेक्स गार्डनर ने बताया कि हमारी धरती पर मौजूद बर्फ तेजी से पिघल रही है और हमें इसके पिघलने की प्रक्रिया को समझने की जरूरत है, जिसमें NISAR सैटेलाइट मदद करेगी। निसार को इस साल लॉन्च किया जाना है और इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। यह सैटेलाइट पूरी पृथ्वी की जमीन और बर्फ के क्षेत्र का हर 12 दिन में दो बार सर्वेक्षण करेगी।