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विदेश

ISIS चीफ अबू हुसैन अल-कुरैशी को तुर्कीए की खुफिया एजेंसी ने मार गिराया, दिया ऑपरेशन को अंजाम

तुर्कीए की खुफिया एजेंसी ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के संदिग्ध चीफ को मार गिराया है. तुर्कीए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने बताया कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट के चीफ को ढेर कर दिया गया है.

आतंकी अबु अल-हुसैन-अल-हुसैनी अल-कुरैशी जिसे अबु हुसैन अल-कुरैशी के तौर पर जाना जाता था. एर्दोगन ने टीआरटी तुर्क को बताया कि इस्लामिक स्टेट के इस आतंकी को शनिवार रात तुर्की एमआईटी खुफिया एजेंसी के ऑपरेशन में ढेर कर दिया गया.

इस्लामिक स्टेट ने अभी तक अपने चीफ के मारे जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की है. तुर्किए के राष्ट्रपित ने बताया कि एमआईटी खुफिया एजेंसी लंबे समय से अल-कुरैशी पर नजर बनाए हुई थी. उन्होंने कहा कि हम आतंकी संगठनों पर बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई जारी रखने वाले हैं. तुर्की लंबे समय से सीरिया के भीतर घुसकर इस्लामिक स्टेट से लड़ता रहा है.

पश्चिमी अफ्रीका और अर्जेंटीना में मिलिट्री बेस बनाने की तैयारी में चीन, अमेरिका के लिए बना खतरा

ची दुनियाभर में सबसे शक्तिशाली देश बनना चाहता है. उसके इस सपने को पूरा करने में सबसे बड़ी दीवार है अमेरिका जो दुनियाभर में सैन्य और आर्थिक तौर पर महाशक्ति के रूप में जाना जाता है.

 अब चीन इसी दीवार को गिराने में जुट गया है. दरअसल चीन अमेरिका की तरह अलग-अलग देशों में मिलिट्री बेस बनाना चाहता है ताकी दुनियाभर में उसे अमेरिका के विकल्प के तौर पर देखा जा सके.

इसी कोशिश के तहत अब उसकी नजर पश्चिमी अफ्रीका और अर्जेंटीना पर है. पश्चिमी अफ्रीका के पश्चिमी तक पर एक क्षेत्र है इक्वेटोरियल गिनी. यहां के बाटा शहर में चीन मिलिट्री बेस स्थापित करने की फिराक में है.

बाटा पोर्ट सिटी होने के साथ-साथ मालाबो के बाद इक्वेटोरियल गिनी का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और कभी इक्वेटोरियल गिनी की राजधानी भी रह चुका है.

इसके अलावा चीन अर्जेंटीना के टिएरा डेल फुएगो प्रांत में स्थित उशुआइया में एक मिलिट्री बेस बनाने की फिराक में है ताकी अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच समुद्री लेन की आसानी से निगरानी की जा सके.

जरूरतमंद देशों को कर्ज देना. चीन पहले इन देशों को भारी कर्ज देकर दबाता है और फिर यहां मिलिट्री बेस स्थापित कर देता. दक्षिण अफ्रीका और सोलोमन द्वीपसमूह इसके उदाहरण है.

चीन ने फिर की ताइवान को डराने की कोशिश, 38 लड़ाकू विमान और अन्य युद्धक विमान उड़ाये

चीन की सेना ने ताइवान के पास 38 लड़ाकू विमान और अन्य युद्धक विमान उड़ाये। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। स्व-शासित द्वीप के खिलाफ चीन के लंबे समय से चले आ रहे अभियान के तहत शुक्रवार सुबह छह बजे के बीच ताइवान के जल क्षेत्र में नौसेना के छह पोत भी देखे गए थे।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने बाद में शुक्रवार को एक बयान में ताइवान जलडमरूमध्य के माध्यम से अमेरिकी नौसेना पी-8ए पोसाइडन एंटी-सबमरीन गश्ती विमान की उड़ान का विरोध किया।

इस तरह की कार्रवाई ” पूरी तरह से साबित करती है कि अमेरिका ताइवान जलडमरूमध्य में शांति व स्थिरता के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।” जलडमरूमध्य, चीन और ताइवान के बीच एक सहमति के अनुसार एक अनौपचारिक सीमा है।  पांच एसयू-30 और दो जे-16 विमान शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, टीबी-001 ड्रोन ने द्वीप का चक्कर लगाया।

चीन के आक्रामक रवैये के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की मेजबानी की थी। इसके बाद से चीन इस तरह की कार्रवाई कर रहा है।

तो क्या सच में चोरी छुपे युद्ध की तैयारी कर रहा हैं पकिस्तान ? देखिए यहाँ

पाकिस्तान सेना ने युद्ध  तैयारियों और देश के सामने भविष्य के खतरों पर अपने पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) कमर जावेद बाजवा के बयान के हवाले से मीडिया में आयी खबरों को  खारिज किया और कहा कि उनकी अनाधिकारिक रूप से की गयी टिप्पणियों को ”संदर्भ से काटकर पेश किया गया।”

मीर ने दावा किया कि बाजवा ने 2021 में 20-25 पत्रकारों के साथ एक बैठक में कहा था कि ”पाकिस्तान सेना युद्ध करने के लिए सक्षम नहीं है।” ‘ मीर ने टीवी कार्यक्रम में खुलासा किया कि बाजवा ने बैठक में कहा था कि पाकिस्तान, भारत के साथ युद्ध करने की स्थिति में नहीं है।

इन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान सेना ने कहा, ”हाल में पाकिस्तानी सेना के शस्त्रागार में कुछ हथियार प्रणालियों की स्थिति के मद्देनजर उसकी युद्धक क्षमता पर मीडिया में चर्चा हुई है।”

उसने कहा, ”इसके संबंध में पाकिस्तान के भविष्य के खतरों पर पूर्व सेना प्रमुख के विचार संदर्भ से काटकर पेश किए गए हैं, जिसके बारे में उन्होंने मीडियाकर्मियों से एक अनौपचारिक वार्ता में बातचीत की थी।”

स्वतंत्र रिपोर्ट से बढ़ सकती हैं सुनक सरकार की मुश्किलें, खालिस्तानी खतरे को लेकर आशंका

ब्रिटेन  के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा कमीशन की गई एक स्वतंत्र रिपोर्ट ने ब्रिटिश सिख समुदाय के भीतर खालिस्तान  समर्थक चरमपंथियों के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है.

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा बनाई गई कमीशन ‘द ब्लूम रिव्यू’ ने ऋषि सुनक सरकार से इस मुद्दे को तत्काल हल करने का आह्वान किया है.   ब्रिटेन में उन अधिकतर सिखों की सुरक्षा दी जानी चाहिए जो चरमपंथी विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं.

खालिस्‍तानी समर्थक ब्रिटिश सिखों के बीच अपने प्रभाव को बढ़ाने में लगे हुए हैं  मानव अधिकारों की आड़ में राजनीतिक और दूसरे कामों करा रहे हैं. ब्रिटिश सिख समुदायों ने कहा है कि सब के सब खालिस्‍तान का समर्थन नहीं करते हैं.

खालसा वोक्स ने कहा है कि रिपोर्ट ने ब्रिटेन में सिखों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने को कहा है. इसके साथ ही भारत के साथ संबंध बनाए रखने के लिए सिख समुदायों और चरमपंथी तत्वों के बीच अंतर करने पर जोर दिया है.

 

तो क्या म्यांमार की ये भूल पद सकती हैं भारत के लिए भारी, देश के सामने आई नई चिंता

साल 2005 में भारत के तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश अंडमान निकोबार द्वीप समूह के दौरे पर थे. उन्होंने कहा था, “म्यांमार सरकार के मुताबिक़ कोको द्वीप में चीन की कोई मौजूदगी नहीं है और हम इस बात पर यक़ीन करते हैं.”

 आधिकारिक यात्रा के चंद महीने पहले म्यांमार के नौसेना प्रमुख, सो थेन, दिल्ली आए थे और एडमिरल प्रकाश से लंबी बातचीत का दौर चला था.1948 में म्यांमार की आज़ादी के पहले तक दूसरे विश्व युद्ध में जापानी सेना कोको द्वीप को अपने नौसेना अड्डे के तौर पर इस्तेमाल करती थी. म्यांमार का हिस्सा बनने के बाद 20वीं सदी के अंत तक यहां पर एक रडार स्टेशन हुआ करता था.

ब्रिटेन की नामचीन पॉलिसी इंस्टिट्यूट चैटम हाउस की एक नई रिपोर्ट के बाद कोको द्वीप दोबारा से अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनने की कग़ार पर है. “ताज़ा और भरोसेमंद सैटलाइट तस्वीरें इस द्वीप पर तेज़ हुई गतिविधियों की ओर इशारा करती हैं, जो भारत के लिए अच्छी ख़बर नहीं है.”

महीनों की रिसर्च के बाद ये तस्वीरें सैटलाइट इमेजरी में दुनिया में शीर्ष मानी जाने वाली ‘मैक्सर टेक्नॉलजीज़’ ने जारी की हैं, जिसमें साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित कोको द्वीप में निर्माण काम जारी है.

19 टेक कंपनियां अब करेंगी यूरोपीय संघ के नए नियमों का पालन, अगस्त से लागू होगा नियम

फेसबुक, एपल का एप स्टोर, अमेजन का मार्केट प्लेस, अलीबाबा का अली एक्सप्रेस आदि 19 टेक कंपनियां अब यूरोपीय संघ (ईयू) के नए ऑनलाइन सामग्री नियमों के अधीन लाई जा रही हैं।

 इसमें 4.50 करोड़ से अधिक मासिक यूजर्स संख्या वाली टेक कंपनियों को रखा जाएगा।यूरोपीय संघ के उद्योग प्रमुख थियरी ब्रेटन ने बताया कि यह नियम अगस्त से लागू हो रहे हैं। कंपनी को आचरण संहिता भी बनानी होगी।

माना जा रहा है कि यह 19 ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सर्च इंजन नए नियमों से ज्यादा जवाबदेह बनेंगे। ब्रेटन के अनुसार समय के साथ इन प्लेटफॉर्म की प्रासंगिकता बढ़ी है, इसलिए इंटरनेट को सुरक्षित बनाने के लिए इन्हें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

मेटा की इंस्टाग्राम, अल्फाबेट की गूगल मैप्स, गूगल प्ले, गूगल सर्च, गूगल शॉपिंग, यूट्यूब, लिंक्डइन, पिनट्रेस्ट, स्नैपचैट, टिकटॉक, ट्विटर, विकिपीडिया, माइक्रोसॉफ्ट की बिंग, जालैंडो, बुकिंग डॉट कॉम आदि को नियमों के दायरे में लाया जा रहा है।

ब्रिटेन में बनकर तैयार होगा भगवान जगन्नाथ का मंदिर, ओडिशा मूल के एक उद्यमी देंगे 2.5 करोड़ पौंड

ब्रिटेन में संचालित एक धर्मार्थ संगठन लंदन में भगवान जगन्नाथ के पहले मंदिर के निर्माण की योजना बना रहा है. इसके लिए ओडिशा मूल के एक उद्यमी ने समर्थन करते हुए 2.5 करोड़ पौंड देने को कहा है.मंदिर निर्माण का पहला चरण अगले साल के अंत तक हो जाएगा.

‘चैरिटी कमीशन इन इंग्लैंड’ में रजिस्टर्ड श्री जगन्नाथ सोसाइटी (एसजेएस), ब्रिटेन ने कहा कि वैश्विक भारतीय निवेशक बिश्वनाथ पटनायक ने रविवार को लंदन में आयोजित पहले श्री जगन्नाथ सम्मेलन में संकल्प लिया.

कार ने घोषणा की कि बिश्वनाथ पटनायक ने लंदन में भगवान जगन्नाथ को समर्पित भव्य मंदिर के निर्माण के लिए 2.5 करोड़ पौंड देने का संकल्प लिया है जो फिननेस्ट समूह की कंपनियों द्वारा दिया जाएगा जिसके वह प्रबंध निदेशक हैं.

कार ने खुलासा किया कि समूह मंदिर निर्माण के लिए 15 एकड़ जमीन खरीदने के वास्ते 70 लाख पौंड देने के लिए प्रतिबद्ध है और इस मंदिर को श्री जगन्नाथ मंदिर लंदन के नाम से जाना जाएगा.

पाकिस्तानी महिला स्टेज डांसर को उसके पूर्व पति ने घर में घुसकर मारी गोली

र्थिक और राजनैतिक संकटों का सामना कर रहे पाकिस्तान में अपराध भी अपने चरम पर है।  बानगी देश के पंजाब प्रांत में देखने को मिली। एक 26 वर्षीय मशहूर पाकिस्तानी महिला स्टेज डांसर की उसके पूर्व पति ने कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी।

घटना लाहौर से करीब 110 किलोमीटर दूर पंजाब के हाफिजाबाद जिले में हुई। फेमस स्टेज डांसर मुनाजा मुल्तानी उर्फ आशी हाफिजाबाद शहर में अपने घर पर थी, तभी उसका पूर्व पति जुबैर अपने पांच साथियों के साथ उसके घर में घुस गया और गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। जानकारी के मुताबिक, स्टेज डांसर मुनाजा मुल्तानी उर्फ आशी मुल्तान जिले की थी।

स्टेज डांसर मुल्तानी की मां शाहिदा बीबी ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि जुबैर और मुल्तानी का एक बेटा है। जुबैर मुल्तानी पर उससे डांसर का पेशा छोड़ने के लिए कह रहा था।

काफी दबाव बनाने के बाद भी जब मुल्तानी अपना पेशा छोड़ने के लिए नहीं मानी तो उसने पिछले साल मुल्तानी को तलाक दे दिया था। जिसके बाद से वह लगातार उससे बच्चे की कस्टडी मांग रहा था, जिससे वह इनकार कर रही थी।

 

रूस से तेल खरीदना भारत के लिए धीरे-धीरे हो रहा मुश्किल, अमेरिका से मिली ये चेतावनी

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत रूस से भारी मात्रा में रियायती कीमतों पर कच्चा तेल खरीद रहा है. लेकिन अमेरिकी चेतावनी और यूएई के अपनी करेंसी दिरहम के इस्तेमाल की मनाही के बाद ऐसा लग रहा है कि दोनों देशों के बीच तेल व्यापार अंत की ओर है.

रूस से तेल खरीदना भारत के लिए धीरे-धीरे ही सही लेकिन मुश्किलें खड़ी कर रहा है. पिछले सप्ताह अमेरिका की चेतावनी के बाद से भारत सरकार इस समस्या का हल खोज रही है.

भारत के लिए यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पिछले सप्ताह ही अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा था कि हम इस बात से अवगत हैं कि कुछ रूसी तेल प्राइस कैप से ऊपर निर्यात किया गया है.

रूस और तेल उत्पादक देशों के संघ ओपेक प्लस ने तेल उत्पादन में प्रतिदिन लगभग 36 लाख बैरल की कटौती की घोषणा की है. इस घोषणा के बाद से ही तेल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ने का असर यह हुआ है कि रूसी तेल की कीमत में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. इंडस्ट्री से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि भारत भी रूसी तेल का भुगतान निर्धारित प्राइस कैप से ऊपर कर रहा है.