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‘प्लास्टिक फूलों के इस्तेमाल-बिक्री पर प्रतिबंध लगाने में बाधा नहीं’, HC ने सरकार से मांगा जवाब

मुंबई:  बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध है। ऐसे प्लास्टिक के फूलों के इस्तेमाल, ब्रिक्री पर पाबंदी लगाने में कोई बाधा नहीं है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की पीठ ने सजावट के लिए कृत्रिम फूलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नोटिस जारी किया है।

ग्रोवर्स फ्लावर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (जीएफसीआई) द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि सजावट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक के फूलों की अधिकतम मोटाई 30 माइक्रोन होती है। अदालत ने कहा, इस चिंता को जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत है, क्योंकि अगर 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाली अन्य वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, तो प्लास्टिक के फूलों पर भी प्रतिबंध लगाने में कोई बाधा नहीं दिखती है।

पीठ ने कहा, “याचिका में उठाए गए मुद्दों के महत्व और 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक के फूलों के पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए हम सभी संबंधित पक्षों से अपेक्षा करते हैं कि वे इस मामले को गंभीरता से लेंगे।” अदालत ने सभी प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर अपने अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। अब अगस्त में मामले की सुनवाई होगी।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “लखनऊ में एक बाल गृह है, जहां बेसहारा बच्चे रहते हैं, जिनमें से कई सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित हैं। जब मैंने वहां टीम से बातचीत की, तो मुझे बताया गया कि वहां ऐसे बच्चे हैं जो खाने योग्य और न खाने योग्य चीजों में अंतर नहीं कर पाते हैं। इस वजह से कई बार उनके मलमूत्र में प्लास्टिक सामग्री पाई जाती थी। इसलिए हमें बहुत गंभीर होना होगा।”

जीएफसीआई की याचिका में कहा गया कि अधिसूचना में प्लास्टिक के फूलों का स्पष्ट रूप से जिक्र नहीं किया गया है। इसके साथ ही सरकार को 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक के फूलों के लिए भी आवश्यक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

महुआ मोइत्रा की अभद्र टिप्पणी पर भड़कीं महिला आयोग की प्रमुख, लोकसभा स्पीकर-दिल्ली पुलिस को लिखा पत्र

राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर संजय अरोरा को उनके हाथरस दौरे पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की कथित टिप्पणी पर पत्र लिखा है। बता दें कि इस वीडियो पर तृणमूल कांग्रेस सांसद ने लिखा था, वह अपने बॉस का पजामा संभालने में बहुत व्यस्त हैं।

भाजपा का तृणमूल कांग्रेस पर हमला
वहीं भाजपा ने भी राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा के बारे में टिप्पणी के लिए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर निशाना साधते हुए उन्हें उनकी पार्टी से निकाले जाने की मांग की है। दरअसल तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने एक्स पर डाले गए एक वीडियो पर टिप्पणी की थी, जिसमें एनसीडब्ल्यू प्रमुख हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस में भगदड़ मचने के बाद घटनास्थल पर आती हुई दिख रही हैं।

महुआ की टिप्पणी की भाजपा ने की आलोचना
इस वीडियो पर तृणमूल कांग्रेस सांसद ने लिखा था, वह अपने बॉस का पजामा संभालने में बहुत व्यस्त हैं। इस पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोइत्रा की टिप्पणी को बेहद अभद्र, आपत्तिजनक और शर्मनाक करार दिया और कहा कि यही टीएमसी और विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का असली चेहरा है। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया, संदेशखालि, चोपडा तालिबानी पिटाई मामले और स्वाति मालिवाल मामले पर चुप रहीं सांसद महुआ मोइत्रा अब एक महिला के बारे में अभद्र टिप्पणी कर रही हैं, वो भी राष्ट्रीय महिला आयोग प्रमुख पर।

भाजपा ने विपक्षी सहयोगियों पर साधा निशाना
एनसीडब्ल्यू प्रमुख के बारे में महुआ मोइत्रा की टिप्पणी की तस्वीर साझा करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने उन्हें टीएमसी से निष्कासित करने की मांग की। भाजपा प्रवक्ता ने टीएमसी सांसद की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) पर भी निशाना साधा और पूछा, कि क्या प्रियंका वाड्रा, राहुल गांधी, खरगे जी, सोनिया गांधी, प्रियंका चतुर्वेदी, आम आदमी पार्टी इस पर आवाज उठाएंगे? उन्होंने कहा, क्या ममता दीदी इस पर कार्रवाई करेंगी। नहीं, वह इसी तरह संदेशखालि और (पश्चिम बंगाल के) चोपडा (में दंपत्ति को कोड़े मारे जाने) पर चुप रही थीं।

विधानसभा स्पीकर ने दिलाई दो विधायकों को शपथ तो भड़के राज्यपाल बोस, राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखकर कहा कि विधानसभा के स्पीकर की तरफ से तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाना संविधान का उल्लंघन है। राजभवन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। राज्यपाल ने राष्ट्रपति को चिट्ठी ऐसे समय में लिखी है, जब बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने टीएमसी के दो विधायकों को शपथ दिलाई, जबकि राज्यपाल ने इसके लिए विधानसभा के उपाध्यक्ष को अधिकृत किया था।

राजभवन की तरफ से कहा गया, ‘‘राज्यपाल ने स्पीकर के संवैधानिक रूप से अनुचित कदम के बारे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। राज्यपाल ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से राज्य विधानसभा में दो विधायकों को शपथ दिलाना संविधान का उल्लंघन है।’’

राजभवन और विधानसभा के बीच करीब एक महीने तक चले गतिरोध के बाद, स्पीकर ने दो विधायकों रयात हुसैन सरकार और सायंतिका बनर्जी को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान शपथ दिलाई। हुसैन सरकार मुर्शिदाबाद जिले के भगवानगोला से विधायक हैं। वहीं, सायंतिका बनर्जी कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके बरानगर से विधायक हैं।

क्या है विवाद?
गौरतलब है कि राज्यपाल ने हाल में हुए उपचुनाव में निर्वाचित दोनों विधायकों को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, दोनों विधायकों ने यह कहते हुए निमंत्रण ठुकरा दिया कि परंपरा के तहत उपचुनाव जीतने वाले उम्मीदवार के मामले में राज्यपाल शपथ दिलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को नियुक्त करते हैं।

इसके बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों के शपथग्रहण समारोह से संबंधित गतिरोध को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।

अंतिम दौर में पहुंची जांच… आज सौंपी जा सकती है शासन को रिपोर्ट, एसआईटी के घेरे में कई अफसर

अलीगढ़:  सिकंदराराऊ हादसे के मूल कारणों और लापरवाही को लेकर एसआईटी स्तर से हो रही जांच लगभग अंतिम दौर में है। बृहस्पतिवार को भी देर रात तक बयान दर्ज करने की प्रक्रिया जाारी रही। उम्मीद है कि यह जांच रिपोर्ट मध्य रात्रि तक पूर्ण कर शुक्रवार को शासन को भेज दी जाएगी। हालांकि अभी अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। मगर विश्वस्त सूत्र कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय मान रहे हैं। जिनके खिलाफ बयानों के आधार पर इस रिपोर्ट में लापरवाही किए जाने का इशारा हो सकता है।

दो जुलाई की दोपहर हुए इस हादसे के बाद ही मुख्यमंत्री स्तर से एसआईटी जांच का आदेश जारी किया गया। एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ व मंडलायुक्त चैत्रा वी को एसआईटी का जिम्मा देते हुए 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की। जिसमें सबसे बड़ा सवाल हादसे के मूल कारण और लापरवाही व अनदेखियों को उजागर करना है। हालांकि यह रिपोर्ट बुधवार को ही देनी थी। मगर राहत व बचाव कार्य जारी रहने और बुधवार को मुख्यमंत्री के आने के कारण जांच पूरी नहीं हो सकी। अधिकारियों ने तीन दिन का समय मांग लिया। मुख्यमंत्री के जाने के बाद एसआईटी ने अपनी जांच तेज की और बयान दर्ज कराने के लिए लोगों को सूचीबद्ध व समयबद्ध क्रम में सूचित कर उन्हें बुलाया गया।

कुल 132 लोगों की सूची तैयार की गई। बुधवार को भी बयान हुए और बृहस्पतिवार को भी देर रात तक बयान दर्ज होने का क्रम जारी रहा। इसमें घटनास्थल पर तैनात एक एक पुलिस व अन्य सभी विभागों के कर्मचारी-अधिकारी, प्रारंभिक सूचना वाले कर्मी, एंबुलेंस कर्मी, डॉक्टर, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, किसान, चश्मदीद, घायल, तहसील व जिला स्तर के अधिकारी, डीएम-एसपी आदि तमाम लोग शामिल हैं। इसके अलावा बाबा का नाम भी बयान दर्ज कराने वालों की सूची में शामिल है। साथ में फोर्स की तैनाती, कमी, एंबुलेंस की कमी, देरी से उपचार आदि सवालों पर जवाब लिए जा रहे हैं। इसके अलावा सेवादारों की भूमिका आदि को भी सवालों में शामिल किया जा रहा है। एसडीएम और सीओ के बृहस्पतिवार को दोबारा से बयान लिए गए।

पुलिस लाइन में बृहस्पतिवार को 75 से अधिक लोगों के बयान दर्ज हुए। मगर अधिकारी कुछ भी कहने से बचते रहे। हां, विश्वस्त सूत्रों से इशारा मिला है कि जांच अंतिम दौर में है। आज रात तक बयानों की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। आगरा, अलीगढ़, एटा तक के डॉक्टर बयानों के लिए बुलाए गए हैं। संभव हुआ तो रात में ही या सुबह रिपोर्ट तैयार कर दिन में शासन को भेज दी जाएगी। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अब तक की जांच व बयानों में नीचे से लेकर जिला स्तर तक के कई अधिकारी व कर्मचारी निशाने पर आ सकते हैं। जिनके खिलाफ कार्रवाई की सीधी संस्तुति होगी या उन पर लापरवाही का आरोप तय होगा। यह रिपोर्ट में ही स्पष्ट होगा।

बाबा का पक्ष रखने आए अधिवक्ता एपी सिंह
अलीगढ़। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एपी सिंह बृहस्पतिवार को एसआईटी के समक्ष पहुंचे। उन्होंने वहां बाबा का पक्ष रखा। सूत्र बताते हैं कि एपी सिंह की ओर से कहा गया है कि वे हर जांच में सहयोग करने को तैयार हैं।

भोजन की आधी बर्बादी भी रुके तो 15 करोड़ का भरेगा पेट, उत्पादन का करीब एक तिहाई खाना हो रहा नष्ट

नई दिल्ली:  दुनिया भर में इंसानों के लिए पैदा किया जा रहा करीब एक तिहाई भोजन बर्बाद हो रहा है। अगर इस बर्बादी को 50 फीसदी भी रोका जाए तो करीब 15 करोड़ लोगों का पेट भर सकता है। इतना ही नहीं, जब भोजन बर्बाद होता है तो भूमि, पानी, ऊर्जा और अन्य इनपुट जो भोजन के उत्पादन, प्रसंस्करण, परिवहन, तैयारी, भंडारण और निपटान में उपयोग किए जाते हैं, वे भी बर्बाद हो जाते हैं। इसमें ग्रीनहाउस गैसों का भारी उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन की वजह बन रहा है।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भोजन की बर्बादी को आधा करने से कृषि क्षेत्र से हो रहे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में चार फीसदी की कमी आ सकती है। यह रिपोर्ट कहती है कि हमें समझना होगा कि हम संसाधनों को यूं जाया नहीं कर सकते, क्योंकि हमारे द्वारा बर्बाद हर निवाला किसी दूसरे का पेट भरने में मदद कर सकता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अधिकतर घरों में भोजन की बर्बादी ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक में हो रही है। कई बार तो यह ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखी जा रही है।

2030 तक 60 करोड़ लोग भुखमरी को होंगे मजबूर
खाद्य एवं कृषि संगठन का अनुमान है कि 2030 में करीब 60 करोड़ लोग भुखमरी का सामना करने को मजबूर होंगें। खाद्य पदार्थों की हो रही बर्बादी और नुकसान को कम करने से वैश्विक स्तर पर कहीं ज्यादा लोगों के लिए भोजन उपलब्ध होगा। इससे खाद्य उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में गिरावट आएगी।

सबसे ज्यादा फल और सब्जियां हो रहीं बर्बाद
रिपोर्ट के अनुसार 2021 से 2023 के बीच बर्बाद भोजन में करीब आधा हिस्सा फल और सब्जियों का था। करीब एक चौथाई हिस्सा अनाज का था। भारत में भी घरों में फल और सब्जियों का खराब होना बेहद आम है। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक तिहाई भोजन बिना खाए ही रह जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में घरों में बर्बाद होने वाले भोजन का लगभग 96 फीसदी लैंडफिल, दहन सुविधाओं या सीवर सिस्टम में बह गया। शेष भोजन को खाद में बदल दिया गया।

10% तक बढ़ जाएगी भोजन की उपलब्धता 2030 तक खाद्य पदार्थों के होने वाले नुकसान को आधा करने से कमजोर देशों में आम लोगों के पास 10% अधिक भोजन उपलब्ध होगा। इसी तरह निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 6% और उच्च मध्यम आय वाले देशों में भी लोगों के पास पहले से 4% अधिक भोजन होगा। संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक प्रति व्यक्ति बर्बाद हो रहे खाद्य पदार्थों में 50 फीसदी की कटौती करने का लक्ष्य तय किया है।

गीतांजलि समूह के पूर्व अधिकारी के खिलाफ वारंट पर लगी रोक, CBI कोर्ट ने जारी किया था NBW

मुंबई:  पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के सिलसिले में मेहुल चोकसी के गीतांजलि समूह के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को मुंबई की एक विशेष धन शोधन निरोधक अदालत ने बृहस्पतिवार को निलंबित कर दिया। विशेष न्यायाधीश एसएम मेंजोंगे ने गीतांजलि समूह के पूर्व अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रमुख सुनील वर्मा के भारत लौटने और अदालत में पेश होने के लिए वारंट पर रोक लगाई।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का आरोप है कि वर्मा की हीरा कारोबारी चोकसी और अन्य के साथ मिलकर किए गए बैंक घोटाले के पीछे अहम भूमिका थी। ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पीएनबी धोखाधड़ी के एक मामले में वर्मा को आरोपी बनाया है। वर्मा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट अगस्त 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में जारी किया गया था। सीबीआई ने धोखाधड़ी मामले में जुलाई 2021 में उनके खिलाफ एक और एनबीडब्ल्यू जारी किया। इस साल अप्रैल में वर्मा ने सीबीआई मामले में वारंट रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

उनके वकीलों ने कहा था कि वर्मा भारत लौटना चाहते हैं और इसके लिए सुरक्षा चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह 18 जुलाई को अदालत में पेश होने के लिए तैयार हैं। इस दलील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने पिछले महीने सीबीआई मामले में जारी वारंट रद्द कर दिया था। साथ ही जांच एजेंसियों को निर्देश दिया था कि वे वर्मा को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों को निपटने वाली विशेष अदालत के समक्ष पेश होने में सक्षम बनाने के लिए कदम उठाएं। हाईकोर्ट के निर्देश के मद्देनजर वर्मा के वकील ने उनके खिलाफ लंबित वारंट को रद्द करने के लिए एक जुलाई को विशेष पीएमएलए अदालत का रुख किया। विशेष न्यायाधीश मेंजोंगे ने धन शोधन मामले में वारंट को निलंबित कर दिया।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का योगी सरकार पर हमला, बोले- ये सरकार की विफलता, बाबा को बचाने का हो रहा प्रयास

लखनऊ:  कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय रॉय ने कहा कि हाथरस की घटना यूपी के जंगलराज का परिणाम है। घटना के दो घंटे बाद अफसरों को जानकारी मिली। एंबुलेंस सेवा तक घायलों को नहीं मिली। मैं खुद मौके पर पहुंचा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाद में पहुंचे। कुछ देर बाद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी पहुंचे। यह साबित करता है कि सरकार में खटपट है। यह सरकार की आंतरिक स्थिति का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि मृतकों के परिजनों को एक करोड़ की मदद की जाए। मृतकों की सूची में भी गड़बड़ी है। उसे जांच कर ठीक किया जाए। कई लोगों के शव दूसरे जिले में भेज दिया गया। यह भी प्रशासन की नाकामी है। मुख्य आरोपी को बचाया जा रहा है। उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। अनुमति देने वालों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो। उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

परीक्षा में भ्रष्टाचार करने वाली कंपनी के डायरेक्टर से मोदी के संबंध
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीट को फिर से कराया जाय। यहां भी भ्रष्टाचार की वजह से बच्चों का भविष्य दांव पर लगा। उन्होंने कहा कि पुलिस भर्ती की परीक्षा गुजरात की कंपनी ने कराया है। परीक्षा करने वाली कंपनी ब्लैक लिस्ट हो चुकी है फिर नाम बदल लिया। कंपनी के डायरेक्टर को विदेश भागा दिया गया। कंपनी के डायरेक्टर विनीत आर्य का संबंध प्रधानमंत्री मोदी से है। यही वजह है कि उसे विदेश जाने दिया गया।
मथुरा में टंकी बनाने वाली कंपनी भी गुजरात की है। अयोध्या का काम भी गुजराती कंपनी ने कराया है। भगवान राम के मंदिर में भी भ्रष्टाचार हुआ है। यह बात खुद वहां के मुख्य पुजारी ने कही है।

राहुल के भाषण को कट कर चलाया गया
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि राहुल गांधी ने सदन में कहा कि हिंदू हिंसक नहीं होता है। यह सही बात है। हम सभी जियो और जीने दो पर भरोसा करते हैं। राहुल गांधी के मुख्य भाषण को काट करके चलाया गया लेकिन भाजपा राहुल गांधी और कांग्रेस की आवाज दबा नहीं पाएगी। उन्होंने कहा कि वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव जीतने के लिए रुपए बांटने से लेकर हर हथकंडा अपनाया लेकिन वाराणसी के लोगों ने कांग्रेस का साथ दिया। झूठ की राजनीति को नकार दिया।। नरेंद्र मोदी सबसे बड़ा झूठ बोलने वाले हिन्दू हैं।

हाथरस जा सकते हैं राहुल गांधी, भगदड़ में घायल पीड़ितों से मिलेंगे; बांटेंगे दुख-दर्द

हाथरस: नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी सत्संग भगदड़ हादसे को लेकर हाथरस आ सकते हैं। वह हादसे के पीड़ितों से मुलाकात करेंगे। हादसे के बाद से राजनीतिक हस्तियों का हाथरस आना-जाना लगा हुआ है।

हाथरस कांग्रेस के जिलाध्यक्ष चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने बताया कि कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बयान जारी किया है कि राहुल गांधी जल्द ही हाथरस पहुंचेंगे। वह सत्संग भगदड़ हादसे के पीड़ितों से मिलेंगे और उनसे हाल जानेंगे। वह मृतकों के परिवार से मिलकर उनका दुख बांटेंगे। हालांकि जिलाध्यक्ष का कहना है कि उन्हें अभी तक इस बारे में आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।

शीर्ष अदालत पहुंचे सफलता हासिल करने वाले 50 से ज्यादा अभ्यर्थी, दोबारा परीक्षा न कराने की मांग

गुजरात में नीट-यूजी में सफलता हासिल करने वाले 50 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। इनमें कई पहले स्थान पर रहे हैं। अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल कर शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि वह केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को विवादित परीक्षा रद्द करने से रोकने के लिए निर्देश जारी करे।

याचिका में शीर्ष अदालत से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है कि वह उन छात्रों व अन्य लोगों की जांच व पहचान करे, जो इस साल पांच मई हुई नीट-यूजी की परीक्षा के पेपर लीक जैसे अनुचित कार्यों में लिप्त थे और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। शीर्ष अदालत में 56 छात्रों की ओर से नई याचिका ऐसे समय में दायर की गई है, जब मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ उन 26 याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली है, जिनमें कथित अनियमितता के कारण परीक्षा की जांच कराने और उसे फिर आयोजित करने की मांग की गई है।

24 लाख अभ्यर्थियों ने दी थी परीक्षा
राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा- स्नातक (नीट-यूजी) एनटीए द्वारा देशभर में सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है। इस साल नीट-यूजी को पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित किया गया था। जिसमें करीब 24 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में उपस्थित हुए थे।

आठ जुलाई को सुनवाई करेगी शीर्ष अदालत
कई शहरों में पेपर लीक सहित कथित अनियमितताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सियासी दलों के बीच इस मुद्दे पर जमकर बहस हुई है। परीक्षा रद्द करने और उसे फिर से आयोजित करने व उच्च स्तरीय जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च अदालत आठ जुलाई को सुनवाई करेगी। सिद्धार्थ कोमल सिंगला और 55 अन्य छात्रों की नई याचिका वकील देवेंद्र सिंह के जरिए दायर की गई है।

याचिका में छात्रों ने शीर्ष अदालत से क्या कहा
याचिका में कहा गया है, “माननीय अदालत प्रतिवादियों (केंद्र सरकार और एनटीए) को नीट-यूजी दोबारा न कराने का निर्देश जारी कर सकती है, क्योंकि यह न केवल ईमानदार और मेहनती छात्रों के लिए अनुचित होगा, बल्कि शिक्षा के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का भी उल्लंघन होगा।”

दिल्ली पहुंचे टिपरा मोथा प्रमुख, तीन केंद्रीय मंत्रियों से की मुलाकात, आदिवासी परिषद के लिए मांगी मदद

त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के लिए अधिक धनराशि के लिए टिपरा मोथा प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम से मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने तीन अन्य मंत्रियों से मुलाकात की।

त्रिपुरा में आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के लिए केंद्रीय स्तर से मदद मांगी जा रही है। इसके लिए टिपरा मोथा प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे। यहां उन्होंने तीन केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की। केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम से मुलाकात कर उन्होंने त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के लिए अधिक धनराशि जारी करने का अनुरोध किया। इसके अलावा उन्होंने सीके जमातिया और त्रिपुरा पूर्वी संसदीय क्षेत्र की सांसद कृति देवी देबबर्मा से मुलाकात की।

बता दें कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले त्रिपुरा में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में टिपरा मोथा शामिल हो गई थी। टिपरा मोथा प्रमुख देबबर्मा फेसबुक पर लिखा कि गुरुवार को दिल्ली में आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम, श्री सी के जमातिया और त्रिपुरा पूर्वी संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती कृति देवी देबबर्मा से मुलाकात की। त्रिपुरा पहले एक स्वदेशी/आदिवासी राज्य था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न कारणों से हम स्वदेशी लोग अपनी ही भूमि पर अल्पसंख्यक बन गए हैं। उन्होंने कहा कि मैंने उनसे टीटीएएडीसी को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने का अनुरोध किया।”

टिपरा मोथा के प्रमुख ने बुधवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी से भी मुलाकात की। “पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया से मुलाकात कर उन्हें त्रिपुरा की मूल जनजातियों, विशेष रूप से छठी अनुसूची क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने आग्रह किया कि परियोजनाओं का सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन और ऑडिट किया जाना चाहिए। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि मैंने उन्हें टीटीएएडीसी में लागू की जा सकने वाली परियोजनाओं के बारे में भी बताया।” उन्होंने यह भी कहा, “केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी से मुलाकात की और उनके मंत्रालय के माध्यम से टीटीएएडीसी क्षेत्रों में बनाए जा सकने वाले संभावित अवसरों पर चर्चा की, और उन्होंने मुझे अपने पूर्ण समर्थन और सहयोग का आश्वासन दिया है।”