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8-10 जुलाई तक प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा, रूस और ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति से मिल कर करेंगे चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह 8-10 जुलाई तक रूस और ऑस्ट्रिया की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे। विदेशा मंत्रालय ने जानकारी दी कि वे 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में सम्मिलित होंगे। इसके बाद वे ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और रूस के बीच बहुमुखी संबंधों की संपूर्ण श्रृंखला की समीक्षा करेंगे। विदेशा मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8-10 जुलाई तक आधिकारिक विदेश यात्रा पर रहेंगे। जिसमें 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें आमंत्रित किया है। 8-9 जुलाई को वे इस सम्मेलन के लिए मॉस्को में रहेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के नेता आपसी हित के समकालीन क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों का चर्चा करेंगे।

इसके बाद पीएम मोदी ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन से मुलाकात करेंगें। साथ ही ऑस्ट्रिया चांसलर कार्ल नेहमर से बाचतीत करेंगे। पीएम मोदी और कार्ल नेहमर भारत और ऑस्ट्रेलिया के व्यापारिक नेताओं से भी बातचीत करेंगे। वे मॉस्को और वियना में भारतीय समुदाय के सदस्यों से बातचीत करेंगे।

बता दें कि मार्च के प्रारंभ में क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को रूस आने का खुला निमंत्रण है। उन्होंने हाल ही कहा कि पुतिन और पीएम मोदी अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के मंचों पर बहुपक्षीय प्रारूप में और द्विपक्षीय प्रारूप में मिलेंगे। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध के समाधान के लिए वार्ता और कूटनीति पर अमेरिका का रुख स्पष्ट है।

सीबीआई ने BNS के तहत पहली FIR दर्ज की, पुलिस अधिकारियों पर तिहाड़ से कैदी छुड़ाने की साजिश के आरोप

देशभर में एक जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो चुके हैं। ओडिशा, महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई राज्यों में नए कानून- भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। ताजा घटनाक्रम में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत पहली प्राथमिकी दर्ज की है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज इस प्राथमिकी में 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। एफआईआर के मुताबिक रिश्वत की एवज में आरोपी पुलिस अधिकारियों ने तिहाड़ जेल में बंद कैदी की रिहाई में मदद करने का भरोसा दिलाया था।

बांग्लादेश के नए सेना अध्यक्ष से मिले नौसेना प्रमुख, रक्षा संबंधों को मजूबत करने पर चर्चा

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने बांग्लादेश के नवनियुक्त सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान से मुलाकात की। उन्होंने दोनों सशस्त्र बलों के बीच सहयोग के नए रास्ते तलाशने और मजबूत द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।एडमिरल त्रिपाठी ने द्विपक्षी रक्षा संबंधों को मजबूत करने और समुद्री सहयोग को गहरा करने के लिए 30 जून को बांग्लादेश की पांच दिवसीय यात्रा शुरू की। दो महीने पहले नौसेना की बागडोर संभालने के बाद एडमिरल त्रिपाठी की यह पहली आधिकारिक विदेश यात्रा है।

भारतीय नौसेना ने बयान में क्या कहा
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने गुरुवार को एक पोस्ट में कहा, “बांग्लादेश की अपनी यात्रा के दौरान एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने ढाका में बांग्लादेश के सेना मुख्यालय में जनरल वाकर-उज-जमान के साथ बातचीत की।” पोस्ट में कहा गया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मजबूत संबंधों और रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए सशस्त्र बलों के बीच प्रशिक्षण और संयुक्त अभ्यास सत्र के क्षेत्रों में आगे के रास्ते तलाशने पर चर्चा की। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि लेफ्टिनेंट नरल वाकर-उज-जमान को पिछले महीने तीन साल के कार्यकाल के लिए बांग्लादेश का अगला सेना प्रमुख नियक्त किया गया है और उन्होंने 23 जून को पदभार ग्रहण किया।

नौसेना प्रमुख बांग्लादेश के वायुसेना प्रमुख से भी मिले
एडमिरल त्रिपाठी ने अपनी यात्रा के दौरान बांग्लादेश के वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल हसन महमूद के साथ भी बातचीत की। उन्होंने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मजबूत संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास और अंतर-संचालन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की पहल पर चर्चा की।

बांग्लादेशी समकक्ष से भी मुलाकात की
नौसेना प्रमुख ने अपने बांग्लादेशी समकक्ष एडमिरल एम नजमुल हसन के साथ भी द्विपक्षीय चर्चा की। भारतीय नौसना की ओर से एक बयान में कहा गया, भारत और बांग्लादेश के बीच नौसेना सहयोग पारंपरिक रूप से मजबूत रहा है। जिसमें परिचालन बातचीत और द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास के साथ-साथ क्षमता निर्माण, क्षमता वृद्धि और प्रशिक्षण शामिल है।

मोरीगांव में बाढ़ से 55,459 लोग प्रभावित, 194 गांवों में तबाही; कैबिनेट मंत्री अतुल बोरा ने दी जानकारी

दिसपुर: असम में भारी बारिश के बाद बाढ़ से हालात बिगड़ गए हैं। कई लोगों के घर तबाह हो गए हैं, तो हजारों लोगों ने शिविरों में शरण ली है। उधर असम के कृषि एवं बागवानी मंत्री अतुल बोरा का कहना है कि मोरीगांव जिले में ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर भले ही कम हो रहा है लेकिन बाढ़ की स्थिति अभी भी बरकरार है। मोरीगांव जिले में तीन लोगों की मौत हुई है। अतुल बोरा ने कहा, ‘मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मैंने मोरीगांव जिले का दौरा किया और बाढ़ के हालातों की समीक्षा की। हालात अभी भी गंभीर बने हुए हैं। राज्य के 28 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं।’

मोरीगांव जिले में बाढ़ से 55,459 लोग प्रभावित
बुधवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई। बैठक में मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को निर्देश दिए कि मोरीगांव और नगांव जिलों का दौरा करें। अतुल बोरा ने कहा ‘अब तक मोरीगांव जिले में कुल 55,459 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। कुल मिलाकर 194 गावों पर इसका असर पड़ा है।’ कृषि एवं बागवानी मंत्री ने आगे बताया कि अकेले मोरीगांव जिले में 12,963 हेक्टेयर कृषि योग्य जमीन जलमग्न हो गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के लिए 381 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। मोरीगांव जिले के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि बाढ़ से प्रभावित लोगों को हर संभव मदद प्रदान करें। अतुल बोरा ने इस दौरान शिविरों में रह रहे लोगों से भी बातचीत की।

कई लोगों ने शिविरों में ली शरण
मोरीगांव जिले के एक बाढ़ प्रभावित गांव के व्यक्ति का कहना है,’इस वर्ष एक ही दिन में भारी जलभराव हो गया। कई लोगों ने अपनी संपत्ति गंवाई है। हमने शिविरों में शरण ली है। प्रशासन द्वारा पेयजल और भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है। ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ की समस्या लंबे समय से बरकरार है। यहां के लोग बुरी तरह से भयभीत हैं।’

केंद्र सरकार को तत्काल आवश्यक कदम उठाने चाहिए- गौरव गोगोई
उधर असम में बाढ़ की स्थिति को लेकर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का कहना है कि यह एक गंभीर मुद्दा है और इस मामले में केंद्र सरकार को तत्काल रूप से आवश्यक कदम उठाने चाहिए। गौरव गोगोई ने कहा,‘मुझे जानकारी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में असम के मुख्यमंत्री से बात की है लेकिन, मुझे इस बात की चिंता है कि क्या मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा का वास्तविक स्थिति का पता है भी या नहीं? बीते 10 वर्षों में जल शक्ति विभाग ने तटबंध परियोजनाओं के लिए ठेकेदारों को लगातार धनराशि देती रही और ठेकेदारों ने ऐसे खराब तटबंध तैयार कर दिए। इसके बाद भी इन ठेकेदारों लगातार इन योजनाओं का काम सौंपा जा रहा है।’

संज्ञेय अपराध रोकने के निर्देशों के विरोध पर पकड़ सकती है पुलिस; धारा 172 के रूप में जुड़ा प्रावधान

 नई दिल्ली: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत किसी संज्ञेय अपराध को रोकने वाले कानूनी निर्देशों का विरोध करने या अवहेलना करने वाले व्यक्ति को पुलिस हिरासत में ले सकती है। बीएनएसएस में ‘पुलिस की निवारक कार्रवाई’ में धारा 172 के रूप में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है।

नए प्रावधान में स्पष्ट कहा गया है कि लोगों को संज्ञेय अपराध की रोकथाम के लिए जारी पुलिस के निर्देशों का पालन करना होगा। यह प्रावधान पुलिस अधिकारी को ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने और मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने या छोटे मामलों में व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर रिहा करने की अनुमति देता है। बीएनएसएस के अंतर्गत, पुलिस अधिकारियों को गैरकानूनी जमावड़े को तितर-बितर करने के लिए कार्यकारी मजिस्ट्रेट के आदेश पर कर्तव्यों का पालन करने में लापरवाही के मामले में संरक्षण दिया गया है।

ऐसे मामलों में सरकार की मंजूरी के बिना पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। नए आपराधिक कानून में यह भी अनिवार्य कर दिया गया है कि पुलिस अधिकारी को तीन साल से कम कारावास की सजा वाले अपराधों और आरोपी के अशक्त या 60 वर्ष से अधिक आयु के मामले में गिरफ्तारी के लिए पुलिस उपाधीक्षक या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी से अनुमति लेनी होगी।

गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर किसी भी मजिस्ट्रेट कोर्ट में किया जा सकता है पेश
बीएनएसएस की धारा 58 के तहत पुलिस कर्मी अब गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर किसी भी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर सकते हैं, भले ही न्यायिक अधिकारी के पास क्षेत्राधिकार न हो।

नए कानूनों के हिंदी, संस्कृत नामों के खिलाफ याचिका पर केंद्र को नोटिस
मद्रास हाईकोर्ट ने नए कानूनों के हिंदी और संस्कृत नामों के खिलाफ याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। याचिका में हिंदी और संस्कृत भाषाओं में नामकरण को संविधान के विरुद्ध घोषित करने की मांग की गई है।

बाबा बेदाग, अफसर भी फिलहाल निर्दोष…सारा गुनाह आयोजक, सेवादार और निजी सुरक्षा कर्मियों पर

अलीगढ़: मंगलवार को हाथरस के सिंकदराराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में नारायण साकार हरि महाराज उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में हुई 121 लोगों की मौत के लिए फिलहाल बाबा के सेवादार, निजी सुरक्षा कर्मी और आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। चाहे आयोजन की अनुमति देने वाले एसडीएम की रिपोर्ट हो या फिर सिंकदराराऊ थाने में दर्ज मुकदमा। इन दोनों ही रिपोर्ट में भगदड़ के लिए इन्हें ही जिम्मेदार माना जा रहा है।

वहीं, आयोजकों को इसके लिए दोषी माना गया है कि उन्होंने पूर्व के सत्संगों में जुटने वाली भीड़ की स्थिति को छिपाते हुए केवल 80000 की भीड़ इकट्ठा होने की अनुमति मांगी थी। फिलहाल शासन स्तर से अफसरों को भी क्लीन चिट दे दी गई है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब प्रशासन को पता था कि अस्सी हजार की भीड़ जुटेगी तो उस तरह से इंतजाम क्यों नहीं हुए। इन सवालों का जवाब अभी तक कोई नहीं दे पाया है।

अभी किसी अफसर की भी जिम्मेदारी तय नहीं
इस पूरे मामले में अभी तक किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं हुई है। आज मुख्यमंत्री के साथ हाथरस पहुंचे मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया। भगदड़ में घायल लोगों से भी बात की। अफसरों से भी जानकारी ली लेकिन बाद में इन अफसरों ने जिम्मेदार केवल आयोजकों और बाबा के सेवादारों को ही ठहराया। इन दोनों अधिकारियों के रुख से हाथरस के अफसरों ने भी चैन की सांस ली। वहीं, अलीगढ़ की कमिश्नर चैत्रा वी ने बताया कि प्रकरण में जांच की जा रही है। कई बिंदुओं पर गहनता से परीक्षण किया जा रहा है। बुधवार की देर शाम तक शासन को रिपोर्ट भेज दी जाएगी। वहां से जो आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा।

बाबा का नाम मुकदमे में क्यों नहीं… अफसरों के सामने गूंजते रहे सवाल
सत्संग में भगदड़ मचने से हुई लोगों की मौत के मामले में दर्ज रिपोर्ट में बाबा का नाम क्यों नहीं है, यह सवाल भी मुख्यमंत्री और पुलिस अफसरों के सामने खूब गूंजे। पत्रकार अफसरों से बार-बार सवाल पूछते रहे कि क्या बाबा का नाम भी मुकदमे में शामिल किया जा रहा है। लेकिन इस पर किसी का कोई जवाब नहीं आया। बस अधिकारी बार-बार यही कहते रहे कि जांच की जाएगी, जिसकी भी जिम्मेदारी होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिन्होंने आयोजन की अनुमति ली थी, उनके खिलाफ मुकदमा होता है। उसके बाद दायरा बढ़ता है। अन्य जो भी लोग जिम्मेदार होंगे, वह जांच के दायरे में आएंगे। यहां अफसरों के सामने पत्रकारों ने यह भी कहा कि बाबा इतना बड़ी घटना होने के बाद भी नहीं आए। उन्हें रुककर लोगों की मदद करानी चाहिए थी। घायलों का हाल जानना चाहिए था।

कम से कम 600 से 700 पुलिस कर्मी लगाए जाने चाहिए थे : पूर्व डीजीपी
पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन का कहना है कि इतने बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी होनी चाहिए थी। कम से कम 600 से 700 पुलिस कर्मी लगाए जाते। पीएसी की कंपनी होती। वहीं बाबा को अपनी एंबुलेंस और डाक्टर तैनात करने चाहिए थे। जिस तरह की घटना हुई है, उसके हिसाब से बाबा पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि बाबा इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी मौके से चले जाते हैं। उन्हें तो यहां रुककर लोगों की मदद करनी चाहिए थी।

कांग्रेस कार्यालय के बाहर पथराव की राहुल ने की निंदा, बोले- BJP हिंदुत्व के सिद्धांतों को नहीं समझती

अहमदाबाद:  लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा हिंदुओं पर किए गए टिप्पणी के बाद गुजरात में भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हंगामा हुआ। अहमदाबाद में कांग्रेस पार्टी कार्यालय के बाहर दोनों गुटों के बीच पथराव भी हुआ। पार्टी कार्यालय के बाहर हुए हिंसा पर राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हिंसा और नफरत फैलाने वाले भाजपा के लोग कभी भी हिंदुत्व के सिद्धांतों को नहीं समझते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी निंदा करते हुए इसे कायरतापूर्ण हमला बताया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “गुजरात कांग्रेस कार्यालय पर कायरतापूर्ण और हिंसक हमला भाजपा और संघ परिवार के बारे में मेरी बात को और मजबूत करता है। हिंसा और नफरत फैलाने वाले भाजपा के लोग हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों को कभी नहीं समझते हैं।”

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, “गुजरात की जनता उनके झूठ को स्पष्ट रूप से समझती है। वह भाजपा सरकार को सबक सिखाएगी। मैं यह फिर से बोल रहा हूं, इंडी गटबंधन गुजरात में जीतेगी।” पालडी क्षेत्र में दोनों गुटों के बीच पथराव के बाद कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।

भाजपा ने लगाया आरोप
भाजपा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमला करने का आरोप लगाया। दोनों पार्टियों ने दावा किया कि इस हमले में उनके कार्यकर्ता घायल हो गए। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। स्थानीय टीवी चैनलों में वीडियो जारी किया, जिसमें दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे को धक्का-मुक्की करते देखा गया। वीडियो में कुछ लोगों को पथराव करते हुए भी देखा गया।

गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष हिम्मत सिंह पटेल ने कहा कि राहुल गांधी के बयान के बाद भाजपा कार्यकर्ता हताश होकर कांग्रेस कार्यालय के बाहर हमले कर रहे हैं। वे पुलिस की अनुमति के बिना प्रदर्शन कर रहे हैं। यह गुजरात में कानून व्यवस्था के पतन का प्रमाण है।

जीका वायरस को लेकर अलर्ट, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए जारी की एडवाइजरी

महाराष्ट्र में जीका वायरस के कई मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जीका वायरस को लेकर सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी के तहत सभी राज्यों को निगरानी बढ़ाने और गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्क्रीनिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

पुणे में बीते कुछ दिनों में जीका वायरस के छह मामले सामने आए
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे में बीते 11 दिनों में जीका वायरस के छह मामले सामने आ चुके हैं। एक जुलाई को दो गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। यही वजह है कि केंद्र सरकार इसे लेकर सतर्कता बरत रही है। सरकार ने जीका वायरस से संक्रमित महिलाओं के भ्रूण की लगातार निगरानी करने का भी निर्देश दिया है। अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं को मच्छरों से मुक्त रखने के लिए नोडल अफसर नियुक्त करने के साथ ही रिहायशी इलाकों, स्कूलों, निर्माणाधीन स्थलों और विभिन्न संस्थानों को भी मच्छरों से मुक्त रखने को कहा गया है।

गर्भवती महिलाओं के लिए जीका वायरस संक्रमण ज्यादा खतरनाक
जीका वायरस संक्रमण भी डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एडीज मच्छर जनित बीमारी है। स बीमारी से संक्रमित ज्यादातर लोगों को पता नहीं चलता है कि वे जीका वायरस से संक्रमित हैं। असल में जीका वायरस के लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इस बीमारी से संक्रमित गर्भवती महिलाओं को होने वाले बच्चों का मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और उनके सिर का आकार सामान्य से कम होता है। इस वजह से जीका वायरस संक्रमण चिंता का विषय बना हुआ है। भारत में साल 2016 में जीका वायरस के संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद से तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक में भी इसके संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। 2 जुलाई तक महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस के छह मामले सामने आ चुके हैं।

क्या हैं जीका वायरस संक्रमण के लक्षण
जीका वायरस के संक्रमण से पीड़ित लोगों में सिरदर्द, बुखार, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर दाने और लाल चकते, आंखों के सफेद भाग में लालिमा और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जीका वायरस का नाम युगांडा के जीका जंगलों के नाम पर पड़ा है। साल 1947 में पहली बार यहीं पर इस बीमारी के लक्षण मिले थे, जिसके बाद यहां पाए जाने वाले बंदरों को आइसोलेट किया गया था। इसके पांच साल बाद युगांडा और तंजानिया के इंसानों में इस वायरस का संक्रमण पाया गया था।

प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष का वॉकआउट, मल्लिकार्जुन खरगे बोले- उच्च सदन को गुमराह कर रहे

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के दौरान बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं ने वॉकआउट किया। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने जवाब के दौरान उच्च सदन को कुछ गलत बातें बताई।

झूठ बोलना प्रधानमंत्री की आदत: मल्लिकार्जुन खरगे
खरगे ने वॉकआउट के तुरंत बाद पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, झूठ बोलना, लोगों को गुमराह करना और सच से परे बातें कहना उनकी आदत है। मैंने उनसे सिर्फ इतना कहा कि आप संविधान के बारे में बात कर रहे हैं तो संविधान आपने नहीं बनाया। आप लोग उसके विरोध में थे।

‘संविधान के खिलाफ था आरएसएस’
उन्होंने कहा, मैं सिर्फ यह यह स्पष्ट करना चाहता था कि कौन संविधान के पक्ष में हैं और कौन इसके खिलाफ हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने 1950 में अपने संपादकीय में लिखा था कि संविधान के बारे में बुरी बात यह है कि इसमें भारत के इतिहास के बारे में कुछ नहीं है। उन्होंने संविधान का विरोध किया था। वे शुरू से ही इसके खिलाफ हैं और वे कहते हैं कि वे इसके पक्ष में हैं। (भीमराव) आंबेडकर, (जवाहर लाल) नेहरू के पुतले जलाए गए थे। अब वे कह रहे हैं कि हम (विपक्ष) इसके (संविधान के) खिलाफ हैं।

वॉकआउट करने वालों में सोनिया गांधी- शरद पवार भी शामिल
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री के जवाब के दौरान खरगे के साथ वॉकआउट करने वालों में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार शामिल थे। खरगे का बचाव करते हुए पवार ने मांग की कि प्रधानमंत्री या राज्यसभा को उनका सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वह संवैधानिक पद पर हैं।

विपक्ष के नेता का सम्मान करना सबकी जिम्मेदारी: शरद पवार
पवार ने कहा, वह (मल्लिकार्जुन खरगे) संवैधानिक पद पर हैं। चाहे वह प्रधानमंत्री हों या सदन के सभापति, उनका सम्मान करना उनकी जिम्मेदारी है। लेकिन आज इस सबको नजरअंदाज कर दिया गया। इसलिए पूरा विपक्ष उनके साथ है और इसलिए हम बाहर चले गए।

सदन को नहीं, मर्यादा को छोड़कर भाग गए हैं: जगदीप धनखड़
विपक्ष के वॉकआउट के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं अत्यंत दर्दनाक, पीड़ादायक, अमर्यादित आचरण से दुखी हूं। शासन लगातार तीसरे कार्यकाल में है। मैंने चर्चा की और मैंने अनुरोध किया कि नेता प्रतिपक्ष को बिना रोक-टोक बोलने का अवसर दिया। आज वे सदन छोड़कर नहीं गए हैं, मर्यादा छोड़कर गए हैं।

स्टालिन सरकार पर बरसे AIADMK नेता राजू, पीड़ित परिवारों से न मिलने पर लिया आड़े हाथ

तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक नेता सेल्लुर राजू ने मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन पर करारा हमला बोला है। कल्लाकुरुची शराब कांड को लेकर मुख्यमंत्री के पीड़ितों से न मिलने पर उन्होंने निशाना साधा है। वहीं उन्होंने सीबीआई जांच की अपनी पार्टी की मांग दोहराई। इस दौरान सेल्लुर राजू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और प्रधानमंत्री मोदी से हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करने की अपील की है।

राहुल गांधी पर भी बरसे सेल्लुर राजू
एआईएडीएमके नेता ने कहा, कि पिछले साल विल्लुपुरम में अवैध शराब पीने से 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हाल ही में कल्लाकुरिची में 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इस मामले में जब तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता एडप्पादी पलानीस्वामी ने बोलने की कोशिश की, तो उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी गई। अभी तक मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कल्लकुरिची शराब कांड के पीड़ितों से मुलाकात नहीं की है, लेकिन राहुल गांधी पूछते हैं कि मोदी अभी तक मणिपुर क्यों नहीं गए हैं। राहुल गांधी ने स्टालिन से यह नहीं पूछा कि वे कल्लकुरिची क्यों नहीं गए।

सेल्लुर राजू ने सीबीआई जांच की मांग दोहराई
वहीं अपने पार्टी की मांग को दोहराते हुए सेल्लुर राजू ने कहा कि हम कल्लकुरिची मामले की सीबीआई से जांच की मांग दोहराते हैं। हादसे में प्रशासन के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस शराब कांड में मरने वालों की संख्या 65 है। जबकि मौजूदा समय में, कल्लकुरिची सरकारी चिकित्सा और अस्पताल में दो लोगों का इलाज जारी है। इसमें पुडुचेरी में छह लोगों का, सलेम के सरकारी अस्पतालों में आठ लोगों समेत कुल 16 लोगों का इलाज चल रहा है।

महिला आयोग की टीम ने पीड़ितों से की मुलाकात
इस शराब कांड पर एनसीडब्ल्यू ने पहले लोगों की मौत पर एक मीडिया रिपोर्ट का खुद संज्ञान लिया था और मामले की जांच के लिए एनसीडब्ल्यू सदस्य खुशबू सुंदर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। खुशबू सुंदर के नेतृत्व में राष्ट्रीय महिला आयोग के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने तमिलनाडु के कल्लकुरिची जिले में नकली शराब पीने से जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की है।

भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने NCSC को सौंपा ज्ञापन
इससे पहले 28 जून को, भाजपा नेता अनिल एंटनी, अरविंद मेनन और सांसद जीके वासन वाले एनडीए प्रतिनिधिमंडल ने आज राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना से मुलाकात की और कल्लाकुरिची अवैध शराब कांड के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने अध्यक्ष से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि कल्लाकुरिची नकली शराब कांड के पीड़ितों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजा और न्याय मिले। भाजपा के ज्ञापन में कल्लाकुरिची शराब कांड के अनुसूचित जाति के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आह्वान किया गया।