Sunday , November 24 2024

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विपक्ष के उम्मीदवार उतारने के फैसले पर बरसे पीयूष गोयल, कहा- ये हमारी परंपरा नहीं

लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए आम सहमति नहीं बन पाने के बाद बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि जब राजनाथ सिंह ने प्रयास किया तब कांग्रेस ने पहले उपाध्यक्ष पद तय करने की शर्त रखी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ऐसी राजनीति की कठोर निंदा करती है।

18वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले से ही बवाल चल रहा है। विपक्ष स्पीकर पद के चुनाव को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। 18वीं लोकसभा में अध्यक्ष पद पर आम सहमति बनाने के भाजपा के शीर्ष प्रयास असफल हुए क्योंकि इंडिया गठबंधन ने इस पद के लिए 8 बार के सांसद के सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला किया। इस पद के लिए भाजपा के कोटा सांसद ओम बिरला ने इसके लिए नामांकन किया था। हालांकि ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी अध्यक्ष थे।

मंगलवार को एनडीए के सभी दलों से चर्चा के बाद निर्णय लिया गया कि ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुना जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सुबह राजनाथ सिंह मल्लिकार्जुन खरगे से चर्चा करना चाहते थे, लेकिन वे व्यस्त थे। इसलिए उन्होंने कि वेणुगोपाल आपसे बात करेंगे। लेकिन टीआर बालू और केसी वेणुगोपाल से बात करने के बाद, पुरानी मानसिकता दिखाई दी कि हम शर्तें तय करेंगे।

पीयूष गोयल ने बताया कि बातचीत में यह कहा गया कि पहले यह तय करें कि लोकसभा का उपाध्यक्ष कौन होगा और फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन दिया जाएगा, हम इस तरह की राजनीति की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह अच्छी परंपरा है कि अगर लोकसभा सर्वसम्मति से और निर्विरोध अध्यक्ष चुनती तो सदन की गरिमा बनी रहती और सभी दलों का भी योगदान होता। पीयूष गोयल ने कहा, जैसे अध्यक्ष पूरे सदन का होता है, सत्ता या विपक्ष का नहीं, वैसे ही उपसभापति भी पूरे सदन का होता है। यह सब लोकसभा की परंपरा के अनुरूप नहीं है।

वहीं राजनाथ सिंह ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे वरिष्ठ नेता है, मैं उनका सम्मान करता हूं। कल से मेरी उनसे तीन बार बात हुई है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री ललन सिंह ने कहा कि लोकतंत्र शर्तों पर नहीं चलता।

मंत्री ललन सिंह ने बताया कि केसी वेणुगोपाल और टीआर बालू आए थे, उन्होंने रक्षा मंत्री से बात की। रक्षा मंत्री ने एनडीए की ओर से लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के बारे में जानकारी दी और समर्थन मांगा। वेणुगोपाल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का नाम स्वीकार किया जाना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि जब चुनाव आएगा, तो हम साथ बैठकर चर्चा करेंगे। वे अपनी शर्त पर अड़े रहे। शर्तों के आधार पर वो लोकतंत्र चलाना चाहते हैं, दबाव की राजनीति करना चाहते हैं। लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता।

बता दें कि यह पहली बार होगा जब निचले सदन के अध्यक्ष के लिए चुनाव होंगे। आजादी के बाद से लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति से होता रहा है। इस पद के लिए चुनाव 26 जून को होंगे। 543 सदस्यों वाली लोकसभा में एनडीए के 293 सांसद हैं। वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन को 234 सांसद हैं।

नाबालिग को संप्रेक्षण गृह से रिहा करने के आदेश, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

पुणे: पुणे के पोर्श कार दुर्घटना मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने हादसे के आरोपी नाबालिग को संप्रेक्षण गृह से रिहा करने के आदेश दिए हैं।

किशोर की चाची की याचिका पर हुई सुनवाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि किशोर को संप्रेक्षण गृह से तुरंत रिहा किया जाए। न्यामूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजुषा देशपांडे की पीठ ने यह फैसला सुनाया। दरअसल किशोर की चाची ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में किशोर की रिहाई की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि किशोर का पालन-पोषण फिलहाल उसकी चाची ही करेंगीं क्योंकि उसके माता-पिता और दादा को गिरफ्तार किया गया है।

‘हमारे हाथ कानून से बंधे हैं’
उच्च न्यायालय ने माना कि यह गंभीर अपराध है लेकिन कहा ‘हमारे हाथ कानून से बंधे हैं। कानून का उल्लंघन करने पर किसी भी बच्चे के साथ वयस्कों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता।’ अदालत ने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड का किशोर को संप्रेक्षण गृह में भेजने का आदेश गलत था। अदालत ने कहा कि यह किशोर न्याय बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से बाहर का फैसला था।

19 मई को कल्याणी नगर में हुआ था हादसा
आपको बता दें कि 19 मई को पुणे के कल्याणी नगर में पोर्श कार ने बाइक को टक्कर मार दी थी। हादसे में बाइक सवार दो आईटी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। दोनों मृतकों की पहचान अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा के रूप में हुई थी। मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा था कि पोर्श कार को 17 वर्षीय किशोर चला रहा था, जो घटना के वक्त नशे में था। हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने किशोर को घेर लिया था और उसे पुलिस के हवाले कर दिया था। इसके बाद उस बार के सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे, जहां किशोर ने शराब पी थी।

हादसे के 15 घंटे बाद मिल गई थी जमानत
इस हादसे के 15 घंटे के बाद किशोर को जमानत मिल गई थी। किशोर न्याय बोर्ड द्वारा जमानत के लिए जिन शर्तों को रखा था, उनकी चर्चाएं देशभर में हुईं थीं। किशोर को दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा गया था। किशोर को 15 दिन ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने को कहा गया। इसके अलावा उसे शराब की लत छुड़ाने के लिए परामर्श लेने को कहा गया था। जब देश भर में इस फैसले पर सवाल उठे तो किशोर न्याय बोर्ड ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए नाबालिग को संप्रेक्षण गृह भेज दिया था।

प्रीमियम ट्रेनों में किराया ज्यादा लेकिन खाना खराब, यात्रियों की शिकायत पर जागा रेलवे

मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में मिल रहे घटिया खाना और खाने के ज्यादा पैसा वसूलने की यात्रियों की शिकायत पर भारतीय रेलवे एक्शन लेने जा रहा है। रेलवे बोर्ड ने कैटरिंग सर्विस के औचक निरीक्षण का आदेश दिया है। बोर्ड के आदेश के बाद टीम का गठन किया गया है। इस टीम में मेडिकल विभाग के अधिकारी खाने की गुणवत्ता, वाणिज्य विभाग के अधिकारी ओवरचार्जिंग और मैकेनिकल विभाग के अधिकारी सेफ्टी उपकरणों की जांच करेंगे।

भारतीय रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार, कई रेल मंडलों में 14 जून से ही ट्रेनों में औचक निरीक्षण जांच शुरू कर दी गई है। रेलवे प्रीमियम ट्रेन राजधानी, शताब्दी सहित कई मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की कैटरिंग सर्विस की जांच की करेगा। इन ट्रेन में यह औचक निरीक्षण 28 जून तक किया जाएगा। ट्रेनों की कैटरिंग सर्विस की जांच की रिपोर्ट रेलवे बोर्ड के आला अधिकारियों को सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

इसलिए हो रही है जांच
रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को अपने आदेश में कहा है कि कैटरिंग सर्विस को लेकर लगातार यात्रियों की शिकायतें आ रही हैं। इनमें खाने की गुणवत्ता को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। खाने की गुणवत्ता के साथ ही खाने के ज्यादा पैसा वसूलने की शिकायत भी मिल रही है। ऐसे में सभी ट्रेनों के पैंट्री कोच की जांच करनी बहुत जरूरी है। जिन मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में पैंट्री नहीं है, उनकी ट्रेनों की साइड कैटरिंग की जांच अनिवार्य है। खाने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की जाए।

ग्लास पर लिखी होगी चाय की मात्रा
ट्रेनों में पैंट्री कार कोच से दी जाने वाली चाय के ग्लास में अक्सर चाय की मात्रा कम होने की शिकायत मिलती है। इस पर रोक लगाने के लिए भी रेलवे ने पहल शुरू कर दी है। पश्चिम रेलवे के स्टेशनों से बनकर चलने वाली कई ट्रेनों के पैंट्री कोच से आईआरसीटीसी से दिए जाने वाले चाय के ग्लास पर चाय की मात्रा लिखी होगी। अगर इसका भी कोई बिल नहीं देता है, तो यात्री 139 पर इसकी शिकायत कर सकते हैं।

ओवैसी ने शपथ लेने के बाद लगाया जय फलस्तीन का नारा, सोशल मीडिया पर लोगों ने घेरा

नई दिल्ली: लोकसभा में सांसदों का शपथग्रहण जारी है। इस बीच तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से एक बार फिर चुनकर सांसद बने असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में अपने शपथग्रहण से नए विवाद को जन्म दे दिया। दरअसल, ओवैसी ने शपथ लेने के आखिर में जय फलस्तीन का नारा लगाया। इसे लेकर सोशल मीडिया यूजर्स ने उन पर निशाना साधा।

शपथ के अंत में क्या बोले ओवैसी?
ओवैसी ने अपनी शपथ के अंत में कहा, “जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फलस्तीन, तकबीर अल्लाह-हू-अकबर।”

सोशल मीडिया पर लोगों ने साधा निशाना
ओवैसी के इस बयान पर सोशल मीडिया पर यूजर्स भड़क गए। @AshishSogun_ हैंडल से एक यूजर ने पोस्ट में कहा- आपको वोट भारत ने दिया है, फलस्तीन ने नहीं।

सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर नौ जुलाई को फैसला सुनाए हाईकोर्ट; शीर्ष अदालत का निर्देश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय से ईडी के मामले में ‘आप’ नेता और पूर्व मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन की जमानत याचिका पर नौ जुलाई को फैसला सुनाने को कहा। जस्टिस मनोज मिश्रा और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि जमानत के मामलों को अनावश्यक रूप से टालना ठीक नहीं है। दरअसल, सत्येंद्र जैन ने हाईकोर्ट की ओर से उनकी जमानत याचिका पर छह सप्ताह के स्थगन के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि इसी तरह का एक मामला शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है और इसलिए उनकी याचिका को इसके साथ लगाया जाना चाहिए।

इससे पहले 28 मई को हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा था और मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। कोर्ट ने जेल से सत्येंद्र जैन का नाममात्र रोल भी मांगा और मामले को 9 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

क्या है मामला?
ईडी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2017 में उनके खिलाफ दर्ज सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 30 मई, 2022 को जैन को गिरफ्तार किया। सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में उन्हें 6 सितंबर, 2019 को एक ट्रायल कोर्ट से नियमित जमानत मिल गई थी।

सीएम योगी बोले- कांग्रेस और उनके सहयोगियों को देश की जनता माफ नहीं करेगी, माफी मांगें

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश में आज से 50 वर्ष पहले लगाए गए आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘भारत के संसदीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय ठीक 50 वर्ष पहले आज ही के दिन देर रात को घटित हुआ था, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भारत के संविधान का गला घोंटकर लोकतंत्र को पूरी तरह से समाप्त करने की साजिश रची थी।

इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 25 जून 1975 की रात के अंधेरे में भारत के लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी और सभी विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में बंद करके लोकतंत्र का पूरी तरह से गला घोंटने की कोशिश की।50 साल बाद कांग्रेस में चेहरे तो बदल गए होंगे, लेकिन उनका चरित्र, उनके हाव-भाव अभी भी वही हैं, जो 1975 में दिखे थे… कांग्रेस और उनके सहयोगियों को देश और देश की जनता कभी माफी नहीं करेगी। उन्हें आज के दिन माफी मांगनी चाहिए।

मायावती बोलीं- सत्ता पक्ष और विपक्ष आपस में मिले हुए हैं, ये संविधान बचाने का नाटक कर रहे हैं

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष आपस में मिले हुए हैं। वो संविधान बचाने का नाटक कर रहे हैं। दोनों ही पक्षों में ज्यादातर लोग जातिवादी मानसिकता के हैं।मायावती ने कहा कि ये लोग आरक्षण को खत्म कर देना चाहते हैं। उन्होंने सपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि सपा सरकार ने यूपी में प्रमोशन में आरक्षण को खत्म किया था। ये लोग जाति जनगणना नहीं कराना चाहते हैं।

मायावती ने कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये दोनों (सत्ता पक्ष और विपक्ष) ही भारतीय संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ये कतई उचित नहीं है। इन दोनों ने अंदर-अंदर मिलकर संविधान में इतने संशोधन कर दिए है कि अब ये समतामूलक, धर्म निरपेक्ष नहीं बल्कि पूंजीवादी, जातीवादी और सांप्रदायिक संविधान बनकर रह गया। ये दोनों ही आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं और एससी, एसटी, आदिवासी को संविधान का लाभ नहीं देना चाहते हैं।

ई-स्टाम्प को और अधिक सुरक्षित बनाएगी योगी सरकार, जाली पेपर के भय से मिलेगी मुक्ति

योगी सरकार प्रदेश में ई-स्टाम्प को और अधिक सुरक्षित बनाने जा रही है। इसके लिए स्टाम्प एवं पंजीकरण विभाग ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। शुरुआत में छोटी रकम के ई-स्टाम्प के जरिए इस सुविधा का लाभ जनता को देने की तैयारी है। इन ई-स्टाम्प को आधार कार्ड के जरिए ऑनलाइन प्रमाणन के बाद पर्सनलाइज्ड करके उसी आधार कार्ड धारक के द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति के प्रयोग के लिए प्राप्त किया जा सकेगा। इससे जाली स्टाम्प के भय से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाएगी। विभाग ई-स्टाम्प के नये प्रारूप की डिजाइन भी फाइनल कर चुका है।

होंगे विशेष सिक्योरिटी फीचर्स
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर फिलहाल 100 रुपए से कम के ई-स्टाम्प को लेकर ये प्रयोग किया जाएगा। नये प्रारूप की रूपरेखा और ई-स्टाम्प को सुरक्षित रखने के लिए 9 प्रकार के विशेष नये सिक्योरिटी फीचर्स इस्तेमाल में लाए गये हैं। इसमें 1-डी बार कोड, स्टैटिक लाइन, एसडी अमाउंट, स्टैटिक एसडी अमाउंट, टेक्स्ट थ्रेड, एएसवाईएम सर्टिफिकेट आईडी, खरीददार का नाम, सिंगल लेयर लोगो, टेक्स्ट थ्रेड डेट, टेक्स्ट रिबन और बीजी का उपयोग किया गया है। इसके जरिए जाली स्टाम्प बनाना असंभव हो जाएगा।

छोटे मूल्य के ई-स्टाम्प की रहती है सबसे अधिक मांग
बता दें कि 10 रुपए के स्टाम्प पेपर के मुद्रण में तकरीबन 16 रुपए का खर्च आता है। इसमें कानपुर डिपो से उसके परिवहन की लागत भी शामिल है। छोटे मूल्य के स्टाम्प का प्रयोग अपेक्षाकृत अधिक होता है। शपथ पत्र, विभिन्न प्रकार की शासकीय योजनाओं, विद्यालय, महाविद्यालय में प्रवेश के वक्त, सेवायोजन में और लोक शिकायतों में छोटे मूल्य के स्टाम्प पेपर इस्तेमाल में लाए जाते हैं।

2023-24 के आंकड़ों पर गौर करें तो 100 रुपए से अधिक मूल्य के 47 लाख से अधिक ई-स्टाम्प जारी किये गये, वहीं 100 रुपए से कम मूल्य के 2 करोड़ 56 लाख से अधिक ई-स्टाम्प पेपर जारी किये जा चुके हैं। माना जाता है कि छोटे मूल्य के स्टाम्प पर आनुपातिक कमीशन कम होता है, ऐसे में अक्सर ऐसी शिकायतें भी मिलती हैं कि कुछ वेंडर छोटे मूल्य के स्टाम्प की कृत्रिम किल्लत बताकर कालाबाजारी का भी प्रयास करते हैं। अब छोटे मूल्य के सुरक्षित ई-स्टाम्प की उपलब्धता के बाद इस प्रकार की परेशानियों से भी निजात मिलेगी।

‘PM के लिए अतिक्रमण हट सकते हैं तो आम आदमी के लिए क्यों नहीं’, राज्य सरकार और BMC को फटकार

 

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को सड़कों और फुटपाथ को लेकर राज्य सरकार और बीएमसी को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि जब एक दिन के लिए प्रधानमंत्री और अन्य वीवीआईपी लोगों के लिए सड़कें और फुटपाथ साफ कराए जा सकते हैं तो ऐसा अन्य लोगों के लिए रोजाना क्यों नहीं किया जा सकता।

पीठ की राज्य सरकार को फटकार
न्यायमूर्ति एमएस सोनक और कमल खाता की खंडपीठ ने कहा कि फुटपाथ और चलने के लिए सुरक्षित स्थान होना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है और राज्य के अधिकारी इसे मुहैया कराने के लिए बाध्य हैं। पीठ ने कहा कि राज्य हमेशा सिर्फ यह नहीं सोचता रह सकता कि शहर में फुटपाथों पर अतिक्रमण करने वालों से कैसे निपटा जाए। अब उसे इस संबंध में कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

पिछले साल हाईकोर्ट ने खुद लिया था संज्ञान
हाईकोर्ट ने पिछले साल शहर में अवैध और अनधिकृत फेरीवालों और विक्रेताओं के मुद्दे पर खुद संज्ञान लिया था। अब सोमवार को पीठ ने कहा कि वह जानती है कि समस्या बड़ी है, मगर राज्य और नगर निकाय सहित अन्य प्राधिकार इसे यूं ही नहीं छोड़ सकते और इसके लिए कठोर कार्रवाई की जरूरत है।

सरकार और नगर निगम से पूछे यह सवाल

अदालत ने कहा, ‘जब प्रधानमंत्री या कोई वीवीआईपी आता है, तो सड़कों और फुटपाथों को तुरंत खाली करा दिया जाता है। जब तक ये लोग यहां रहते हैं, तबतक अतिक्रमण भी नहीं होता है। यह कैसे किया जाता है? ऐसा हर किसी के लिए क्यों नहीं किया जा सकता? लोग दर भुगतानकर्ता हैं। उनके पास चलने के लिए एक साफ फुटपाथ और सुरक्षित जगह होनी चाहिए।’

हाईकोर्ट ने आगे कहा, ‘फुटपाथ और चलने के लिए एक सुरक्षित जगह एक मौलिक अधिकार है। हम अपने बच्चों को फुटपाथ पर चलने के लिए कहते हैं, लेकिन अगर चलने के लिए कोई फुटपाथ ही नहीं बचेगा तो हम अपने बच्चों को क्या कहेंगे?’

इच्छाशक्ति की लग रही कमी
पीठ ने कहा कि अधिकारी वर्षों से कह रहे हैं कि वे इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं। राज्य को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। ऐसा नहीं हो सकता है कि अधिकारी हमेशा सिर्फ यह सोचते रहे कि क्या करना है या जवाब देते रहे कि उस पर काम कर रहे हैं। इच्छाशक्ति की कमी प्रतीत होती है, क्योंकि जहां इच्छा होती है, वहां हमेशा एक रास्ता होता है।

बीएमसी की सफाई
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस यू कामदार ने कहा कि ऐसे विक्रेताओं और फेरीवालों के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है, मगर वे फिर वापस आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि बीएमसी भूमिगत बाजारों के विकल्प पर भी विचार कर रही।

अदालत का तंज
अदालत ने तब मजाक में टिप्पणी की कि निगम सचमुच समस्या को भूमिगत करने की कोशिश कर रहा था। पीठ ने कहा कि नगर निकायों द्वारा इन विक्रेताओं और फेरीवालों पर लगाया गया जुर्माना सही नहीं है। इन लोगों की प्रतिदिन अधिक बिक्री होती है। पीठ ने कहा कि आपका जुर्माना उनके लिए बहुत कम है। वे भुगतान करेंगे और चले जाएंगे।

राज्यपाल से मिलकर भाजपा ने की सीबीआई जांच की मांग, अन्नाद्रमुक ने स्टालिन सरकार को घेरा

कल्लाकुरिची शराब कांड में अब तक 57 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 156 से ज्यादा लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है। वहीं पूरे मामले को लेकर सत्ताधारी दल डीएमके के खिलाफ विपक्षी दलों को प्रदर्शन लगातार जारी है। इस कड़ी में तमिलनाडु भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्यपाल आर. एन. रवि से मुलाकात की। तमिलनाडु भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई की अध्यक्षता में भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

अन्नामलाई का दावा शराब कांड में 60 लोगों की मौत
वहीं इस मामले पर सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट में अन्नामलाई ने दावा किया कि इस त्रासदी में 60 लोगों की मौत हो चुकी है। हमने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को उनके कैबिनेट से इस त्रासदी के जिम्मेदार निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री एस. मुथुसामी को निकालने का निर्देश दें। उन्होंने सत्ताधारी द्रमुक पर पिछले तीन सालों में गांजा और अवैध अरक की बढ़ती उपलब्धता के मुद्दे को लेकर चिंतित नहीं होने का आरोप लगाया जिससे संदेह पैदा हुआ है।

कल्लाकुरिची शराब कांड मामले में राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे भाजपा प्रतिनिधिमंडल में राज्य भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई, तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल और भाजपा नेता तमिलिसाई सुंदराजन शामिल रहीं।

कल्लाकुरिची में अन्नाद्रमुक ने किया प्रर्दशन
इस शराब कांड को लेकर अन्नाद्रमुक ने कल्लाकुरिची जिले में सत्ताधारी दल डीएमके के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की अध्यक्षता तमिलनाडु विपक्षी दल के नेता और एआईएडीएमके के महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने किया। कल्लाकुरिची जिले के सलेम मुख्य मार्ग पर प्रदर्शन के दौरान पलानीस्वामी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से जो दवा मांगी थी, वह स्वास्थ्य मंत्री की तरफ बताई गई दवा से अलग है।

पलानीस्वामी ने सीएम स्टालिन से मांगा इस्तीफा
अन्नाद्रमुक महासचिव ई. पलानीस्वामी ने कहा, कि इस मामले में अब तक 861 मामले दर्ज किए गए हैं, अवैध शराब बेचने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 4657 लीटर अवैध शराब जब्त की गई है। अगर यह घटना नहीं हुई होती, तो बड़ी संख्या में पीड़ित इसे पीकर मर जाते। वहीं इस दौरान नेता प्रतिपक्ष ने सीएम स्टालिन से इस्तीफे की मांग की और कहा की इस शराब कांड के पीछे डीएमके के लोगों का हाथ है। उन्होंने कहा कि कल मैं और हमारे सभी विधायक राज्यपाल आर. एन. रवि से मुलाकात कर मामले में एक याचिका सौंपेंगे।