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48 वोट से जीते सांसद वायकर के रिश्तेदार के खिलाफ केस, मतगणना केंद्र में फोन इस्तेमाल करना पड़ा महंगा

मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद रविंद्र वायकर के रिश्तेदार मतगणना केंद्र में फोन इस्तेमाल करने से संकट में आ गए। पुलिस ने इस मामले में वायकर के रिश्तेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एक पुलिस अधिकारी ने यह भी बताया कि रविंद्र वायकर के रिश्तेदार मंगेश पंडिलकर के खिलाफ गोरेगांव में 4 जून को आम चुनाव के नतीजों की घोषणा के समय मतगणना केंद्र के अंदर फोन का इस्तेमाल किया था। बुधवार को यह मामला दर्ज किया गया।

वनराई पुलिस की जांच में पता चला कि मंगेश पंडिलकर फोन का इस्तेमाल कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि इस मोबाइल फोन का इस्तेमाल ईवीएम मशीन को अनलॉक करने वाले ओटीपी को जनरेट करने के लिए किया गया। गौरव चुनाव आयोग के साथ एनकोर (पोल पोर्टल) संचालक थे। वनराई पुलिस ने चुनाव आयोग के मतदान कर्मी दिनेश गौरव के साथ मंगेश पंडिलकर को सीआरपीसी 41ए के तहत नोटिज जारी हुआ है।

फॉरेंसिक लैब भेजा फोन
पुलिस ने मोबाइल फोन का डाटा पता लगाने के लिए मोबाइल फोन को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजा है। पुलिस ने बताया कि फोन पर मौजूद फिंगरप्रिंट भी लिए जा रहे हैं, हम नेस्को सेंटर के सीसीटीवी कैमरों की भी जांच कर रहे हैं। जिससे हमें पता लगाने में मदद मिल सकती है कि मोबाइल फोन सेंटर के अंदर कैसे पहुंचा? इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या इस मामले में और भी आरोपी शामिल हैं? यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यह मोबाइल फोन किसने सप्लाई किया?

सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लगाया था आरोप
इस लोकसभा सीट पर पर 48 वोट से हुई जीत पर शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा कि “यह बड़े स्तर पर की गई धोखाधड़ी है, लेकिन फिर भी चुनाव आयोग सोता रहता है। उन्होंने बताया कि हेरफेर करने वाले विजेता सांसद का रिश्तेदार मतगणना केंद्र पर एक मोबाइल फोन लेकर गया था। जिसमें ईवीएम मशीन को अनलॉक करने की क्षमता थी। अगर चुनाव आयोग ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बाद सबसे बड़ा चुनाव रिजल्ट घोटाला होगा। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यह लड़ाई अदालत में जाएगी।

48 वोट से जीते थे वायकर
मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से रविंद्र वायकर ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को महज 48 वोट से हराया था। इस सीट पर पहले कीर्तिकर को एक वोट से विजयी घोषित हुए थे, लेकिन री-काउंटिंग में वायकर 48 वोट से जीत गए। रविंद्र वायकर को 4,52,644 वोट मिले हैं। वहीं उद्धव गुट के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को 452596 वोट मिले।

धारावी की जमीन महाराष्ट्र सरकार के विभागों को होगी हस्तांतरित, अदाणी समूह सिर्फ पुनर्विकास करेगा

मुंबई: करोड़ों रुपये की धारावी झुग्गी-बस्ती पुनर्विकास परियोजना में अडाणी समूह को भूमि का हस्तांतरण शामिल नहीं होगा। सूत्रों ने इस बारे में स्थिति साफ करते हुए कहा है कि परियोजना में भूमि का हस्तांतरण महाराष्ट्र सरकार के विभागों को किया जाएगा और अदाणी समूह सिर्फ एक परियोजना डेवलपर के रूप में मकान बनाएगा जो उन्हीं विभागों को सौंपे जाएंगे। बाद में इन घरों का आवंटन एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी के निवासियों को किया जाएगा।

जमीन हड़पने के आरोपों से किया इनकार
कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने इस मामले में जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। इन आरोपों पर परियोजना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि जमीन के टुकड़े सिर्फ राज्य सरकार के आवास विभाग के धारावी पुनर्विकास परियोजना/स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (डीआरपी/एसआरए) को हस्तांतरित किए जाने हैं। अडाणी समूह ने खुली अंतरराष्ट्रीय बोली में धारावी झुग्गी झोपड़ी पुनर्विकास परियोजना हासिल की थी। समूह अपनी संयुक्त उद्यम कंपनी धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लि. (डीआरपीपीएल) के माध्यम से आवास और वाणिज्यिक स्थान बनाएगा और उन्हें फिर से डीआरपी/एसआरए को सौंप देगा।

धारावी के लोगों को घर से बेघर करने की बात काल्पनिक
रेलवे भूमि के आवंटन के मुद्दे पर, जहां धारावी के निवासियों के पहले सेट की पुनर्वास इकाइयां बनाई जानी हैं, सूत्रों ने कहा कि इसे निविदा से पहले ही डीआरपी को आवंटित किया गया था, जिसके लिए डीआरपीपीएल ने प्रचलित दरों पर 170 प्रतिशत के भारी प्रीमियम का भुगतान किया है। इन आरोपों को कि धारावीवासियों को धारावी से बाहर निकाल दिया जाएगा और बेघर कर दिया जाएगा, को पूरी तरह से काल्पनिक और जनता के बीच चिंता पैदा करने के लिए एक कल्पना करार देते हुए सूत्रों ने कहा कि सरकार के 2022 के आदेश में यह शर्त रखी गई है कि धारावी के प्रत्येक निवासी (पात्र या अपात्र) को एक घर दिया जाएगा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि डीआरपी/एसआरए योजना के तहत किसी भी धारावीवासी को विस्थापित नहीं किया जाएगा। एक जनवरी, 2000 को या उससे पहले मौजूद मकानों के धारक यथास्थान पुनर्वास के पात्र होंगे। एक जनवरी, 2000 से एक जनवरी, 2011 के बीच मौजूद लोगों को धारावी के बाहर मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में कहीं भी पीएमएवाई के तहत सिर्फ 2.5 लाख रुपये में या किराये के माध्यम से घर आवंटित किए जाएंगे।

ट्रेनों में गति सीमा के उल्लंघन की होगी जांच, रेलवे बोर्ड ने गठित की समिति

 नई दिल्ली: रेलवे बोर्ड ने एक समिति का गठन किया है। यह समिति इस बात पर नजर रखेगी कि ट्रेनों का सुरक्षित रूप से संचालन किया जा रहा है या नहीं? दरअसल, रेलवे बोर्ड को शिकायत मिली है कि कुछ ट्रेनों का संचालन गति सीमाओं (Speed Restrictions) के उल्लंघन के साथ किया जा रहा है। रेलवे बोर्ड द्वारा गठित की गई समिति इन उल्लंघनों के कारणों का पता लगाएगी।

रेलवे बोर्ड को इन मामलों की शिकायत मिली
सूत्रों का कहना है कि रेलवे बोर्ड ने हाल में कुछ मामलों का संज्ञान लिया है। बताया गया है कि दो ट्रेन ड्राइवरों ने एक नदी के पुल पर 20 किमी प्रति घंटे की गति प्रतिबंध का उल्लंघन किया। बताया गया है कि पुल का रखरखाव किया जा रहा था। इस दौरान चालकों ने अपनी ट्रेनों को पुल पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया।

  • पहला मामला गतिमान एक्सप्रेस से जुड़ा है। यह भारत से पहली सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन है। यह ट्रेन हजरत निजामुद्दीन (दिल्ली) से वीरांगना लक्षंमीबाई झांसी स्टेशन (उत्तर प्रदेश) के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। बताया गया है कि ट्रेन के लोको पायलट
  • और सह लोको पायलट ने आगरा कैंट के पास जाजऊ और मनिया रेलवे स्टेशन के बीच तय किए गए गति सीमा का उल्लंघन किया। गतिमान एक्सप्रेस के कुछ दिनों के बाद मालवा एक्सप्रेस ने भी उसी स्थान में तय किए गए गति सीमा का उल्लंघन किया। ट्रेन को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया गया।

रेलवे बोर्ड ने जारी किए निर्देश
इन घटनाओं के तुरंत बाद रेलवे बोर्ड ने 3 जून को सभी रेलवे जोन के लिए एक निर्देश जारी किया। निर्देश में बताया गया कि रेलवे बोर्ड ने लोको पायलटों और ट्रेन प्रबंधकों को जारी किए जा रहे आदेशों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है।

इन नियमों का रखना होगा ध्यान
बैठक में रेलवे बोर्ड ने बताया कि रेलवे ट्रैक की स्थिति, मरम्मत कार्य, पुराने रेलवे पुलों के रखरखाव के दौरान ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए गति प्रतिबंध लगाए जाते हैं। यह भी बताया गया कि इंजन पर चढ़ने से पहले, लोको पायलट और उनके सहायक को गति सीमा के साथ एक पूरा रूट चार्ट दिया जाता है। लोको पायलट्स को चार्ट के अनुसार ही गति बनाए रखनी होती है। बैठक में लोको पायलट्स की शिकायतों का भी ध्यान रखा गया।

कर्नाटक में पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर BJP की राज्य सरकार को चेतावनी- कल से होगा विरोध प्रदर्शन

कर्नाटक में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि अभी आवश्यक वस्तुओं और सार्वजनिक परिवहन की कीमतों में इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार नियंत्रित करनेी की कोशिश कर रही है, लेकिन कर्नाटक सरकार ने अचानक कीमतें बढ़ा दी।

कर्नाटक में पेट्रोल, डीजल, ईंधन में दाम बढ़ने को लेकर भाजपा विरोध प्रदर्शन पर उतर आई है। कई भाजपा नेता कीमतों में बढ़ोत्तरी को लेकर कर्नाटक सरकार पर निशाना साधा है। हुबली में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से सार्वजनिक परिवहन और आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि कई देशों में अकाल की स्थिति है, वहीं युद्ध भी चल रहे हैं। इससे कीमतों में बढ़ती जा रही है। मोदी सरकार कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। लेकिन कर्नाटक सरकार ने अचानक कीमतों में बढ़ोत्तरी कर दी। इससे दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं, राज्य सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।”

वहीं बंगलूरू में कर्नाटक में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ भाजपा ने विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी। एलओपी आर अशोक ने कहा, “कांग्रेस सरकार कर्नाटक के लोगों को धोखा दे रही है। क्योंकि वे लोकसभा चुनाव हार गए हैं, इसलिए वे जनता से बदला ले रहे हैं। कल हम (भाजपा) न्याय के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगी।”

वहीं कर्नाटक के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता जगदीश शेट्टार ने बढ़ी हुई कीमतों पर कहा कि “रोजमर्रा के विकास कार्यों और कर्मचारियों के वेतन के लिए पैसे नहीं हैं। राज्य सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बढ़ाकर आम लोगों पर बोझ डालने का कदम उठाया है। यह अनुचित है, गारंटी योजनाओं और मुफ़्त योजनाओं के कारण विकास कार्यों के लिए पैसे नहीं हैं। हम गारंटी योजनाओं का विरोध नहीं कर रहे हैं. लेकिन क्या यह उचित है?”

आतंकी हमलों के बाद राज्य की सुरक्षा स्थिति का शाह ने लिया जायजा; डोभाल-मनोज सिन्हा रहे मौजूद

नई दिल्ली:  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पहले दौर की बैठक पूरी हुई। इस दौरान जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया। अब अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर दूसरे दौर की बैठक हो रही है।

यह लोग रहे मौजूद
बैठक में एनएसए अजीत डोभाल, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, गृह सचिव, सेना प्रमुख मनोज पांडे और सेना प्रमुख के पद के लिए मनोनीत लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, आईबी के निदेशक तपन डेका, सीआरपीएफ के महानिदेशक अनीश दयाल, बीएसएफ के महानिदेशक नितिन अग्रवाल तथा गृह मंत्रालय और केंद्र शासित प्रदेश के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

डीजी अनीश दयाल पहुंचे
दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय में बैठक हो रही है। बैठक में शामिल होने के लिए सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयाल सिंह यहां पहुंचे थे।

PM मोदी की बैठक के तीन दिन बाद समीक्षा करेंगे शाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू कश्मीर को लेकर इसी तरह की बैठक आयोजित करने के तीन दिन बाद शाह ने भी उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हमले सहित कई आतंकवादी घटनाओं के बाद आतंकवाद विरोधी क्षमताओं का पूरा स्पेक्ट्रम तैनात करने के निर्देश दिए थे।

सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर अधिकारी गृह मंत्री को जानकारी देंगे
सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति, अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर बलों की तैनाती, घुसपैठ के प्रयासों, चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों की स्थिति और केंद्र शासित प्रदेश में सक्रिय आतंकवादियों के बारे में अधिकारी जानकारी दी जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि अमित शाह प्रधानमंत्री के निर्देश के अनुरूप ही सुरक्षा एजेंसियों को तत्काल कार्रवाई के बारे में व्यापक दिशानिर्देश देंगे।

जम्मू-कश्मीर में चार दिनों में चार आतंकी हमले
आतंकवादियों ने चार दिनों में जम्मू-कश्मीर के रियासी, कठुआ और डोडा जिलों में चार स्थानों पर हमले किए हैं। जिसमें नौ तीर्थ यात्रियों और एक सीआरपीएफ जवान की मौत हो गई और सात सुरक्षाकर्मी सहित कई अन्य लोग घायल हो गए।

मानसून में भी गोवा में पर्यटकों की भरमार, तोड़े पुराने रिकॉर्ड, आंकड़ा बढ़कर पहुंचा एक करोड़ के पार

पर्यटन सीजन खत्म होने के बाद भी गोवा में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। पर्यटन मंत्री रोहन खाउंटे ने बताया कि पर्यटको की संख्या 1 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है। यही नहीं यह आंकड़ा उस धारणा को भी खारिज कर रहा है जिसमें माना जाता है कि मानसून में तटीय राज्य में पर्यटकों की संख्या कम हो जाती है।

शनिवार को रोहन खाउंटे ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि नया आंकड़ा कोविड-19 से पहले के आंकड़ों से 150 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने स्वीकार किया कि गोवा को देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि गोवा में आधिकारिक पर्यटन सीजन जून में मानसून की शुरुआत के साथ समाप्त होता है और सितंबर में फिर से शुरू होता है। लेकिन पर्यटन मंत्री के अनुसार राज्य में मानसून के मौसम में भी पर्यटकों का आना जारी रहा है।

80 प्रतिशत भरे रहते हैं गोवा के होटल
पर्यटन मंत्री ने बताया कि “मानसून में गोवा के होटलों में 80 प्रतिशत लोग भरे रहते हैं। लोग मानसून के दौरान गोवा आ रहे हैं क्योंकि उन्हें एहसास हो गया है कि गोवा में सिर्फ़ समुद्री तट ही नहीं हैं।” पर्यटक गांवों में जाते हैं और महसूस करते हैं कि गोवा समुद्र तटों से कहीं बढ़कर है। उन्होंने कहा, “इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी मदद मिलती है।”उन्होंने कहा, “आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। हमने 10 मिलियन का आंकड़ा पार कर लिया है। यह आंकड़ा पहले के आंकड़ों से कहीं ज़्यादा है।”

बाजारों में सुधार की आवश्यकता
मंत्री रोहन खाउंटे ने कहा कि गोवा को अभी भी नए बाज़ारों से जुड़कर सुधार करने की ज़रूरत है। उन्होंने बताया कि “हमने पर्यटन उद्योग के लिए एक विज़न दस्तावेज़ तैयार किया है। इसे लागू करने के लिए पर्यटन हितधारकों की सक्रिय भागीदारी की जरूरत है। उन्होंने बताया “हमने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।”

जदयू ने इंडी गठबंधन पर साधा निशाना, कहा- लोकसभा स्पीकर पद पर पहला अधिकार सत्तारूढ़ दल का

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली एनडीए की फिर से केंद्र में सरकार बनी है। नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बाद प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभाली है। अब 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष कौन होगा? यह सवाल सबकी जुबान पर है। इसको लेकर सियासत शुरू हो गई है। विपक्षी गठबंधन ने इस पद के लिए चुनाव से पहले बड़ी मांग की है। वहीं एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भाजपा के प्रमुख सहयोगियों टीडीपी और जदयू की नजरें लोकसभा स्पीकर की कुर्सी पर हैं। इन सबके बीच जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने इंडी गठबंधन की आलोचना की और बताया कि कुर्सी का हकदार कौन हैं।

सदन का सबसे गरिमापूर्ण पद
लोकसभा स्पीकर के चुनाव पर केसी त्यागी ने कहा, ‘लोकसभा स्पीकर का पद सदन का सबसे गरिमापूर्ण पद होता है। उस पद पर पहला अधिकार सत्तारूढ़ दल का है। इंडी गठबंधन की मांगें और बयान आपत्तिजनक हैं।’

भाजपा एनडीए की बड़ी पार्टी
उन्होंने आगे कहा, ‘हम मानते हैं कि भाजपा एनडीए की बड़ी पार्टी है। उस पद पर भाजपा या एनडीए का पहला अधिकार है। मैं पिछले 35 सालों से एनडीए में हूं। भाजपा ने कभी जनता दल को तोड़ने की कोशिश नहीं की। टीडीपी और जदयू ने अहम भूमिका निभाई है। मगर हम एनडीए को कमजोर करने की कोशिश कभी नहीं करेंगे।’

विपक्षियों का यह कहना
दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि विपक्षी पार्टी भी स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार उतार सकता है। हालांकि, विपक्षी पार्टियों का कहना है कि अगर सत्तारूढ़ पार्टी उन्हें डिप्टी स्पीकर का पद देता है तो वे स्पीकर के चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।

इस दिन होगा स्पीकर पद के लिए चुनाव
बता दें कि लोकसभा स्पीकर के लिए 26 जून को चुनाव होना है। मगर सदन के सदस्य उम्मीदवारों के समर्थन में प्रस्ताव के लिए एक दिन पहले दोपहर 12 बजे तक नोटिस दे सकते हैं। इसको लेकर लोकसभा की तरफ से जारी एक बुलेटिन भी जारी किया गया है।18वीं लोकसभा की पहली बैठक 24 जून को होगी और सत्र तीन जुलाई को खत्म होगा।

‘अगर TDP को नहीं मिला लोकसभा स्पीकर का पद, तो INDIA गठबंधन देगा उन्हें समर्थन’, बोले संजय राउत

मुंबई:  शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा है कि लोकसभा स्पीकर का पद एनडीए गठबंधन के किसी नेता को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने लोकसभा स्पीकर का पद मांगा है और अगर उन्हें यह पद नहीं मिलता है तो हम ये सुनिश्चित करेंगे कि तेदेपा के उम्मीदवार को INDIA गठबंधन का समर्थन मिले।

INDIA गठबंधन देगा तेदेपा उम्मीदवार को समर्थन
संजय राउत ने कहा कि ‘लोकसभा स्पीकर पद के लिए लड़ाई अहम है। इस बार स्थिति 2014 और 2019 जैसी नहीं है। सरकार स्थिर नहीं है। हमने सुना है कि चंद्रबाबू नायडू ने लोकसभा स्पीकर का पद मांगा है। अगर एनडीए के उम्मीदवार को यह पद नहीं मिला तो पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह टीडीपी, जेडीयू और लोजपा (रामविलास) को तोड़ सकते हैं। अगर चंद्रबाबू नायडू को यह पद नहीं मिलता है तो हम ये सुनिश्चित करेंगे कि उनके उम्मीदवार को INDIA गठबंधन का समर्थन मिले।’

गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि अगर डिप्टी स्पीकर पद विपक्षी गठबंधन को नहीं मिला तो वे लोकसभा स्पीकर पद के लिए अपने उम्मीदवार का एलान कर सकते हैं। 17वीं लोकसभा के दौरान डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा था। लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा और 3 जुलाई को सत्र का समापन होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 जून को लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी।

हाल ही में संपन्न हुए आम चुनाव में भाजपा को 240 सीटों पर जीत मिली और पार्टी बहुमत के आंकड़े 272 से 32 कम है। ऐसी स्थिति में तेदेपा (16) और जदयू (12) सीटों के साथ किंगमेकर बनकर उभरी हैं। तेदेपा ने लोकसभा उम्मीदवार पद पर दावा भी पेश किया था। आम आदमी पार्टी और विपक्षी गठबंधन ने भी मांग की कि लोकसभा स्पीकर का पद जदयू या तेदेपा को मिलना चाहिए।

सुरेश गोपी ने पूर्व PM इंदिरा गांधी को कहा ‘मदर ऑफ इंडिया’; जानें किसे बताया राजनीतिक गुरु

त्रिशूर:  केरल की त्रिशूर लोकसभा सीट से सांसद और केंद्र सरकार में पर्यटन और पेट्रोलियम राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने पुन्कुन्नम में करुणाकरण के स्मारक ‘मुरली मंदिरम’ का दौरा किया। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री मे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी को ‘मदर ऑफ इंडिया’ कहा है। वहीं भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ने करुणाकरण और मार्क्सवादी दिग्गज ई. के. नयनार को अपना ‘राजनीतिक गुरु’ भी बताया है।

त्रिशूर सीट से करुणाकरण के बेटे को हराया
आपको बता दें कि त्रिशूर लोकसभा सीट से सांसद बने सुरेश गोपी ने करुणाकरण के बेटे और कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन को हराया था। हालांकि 26 अप्रैल को त्रिशूर सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई में कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन को हार के साथ तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। वहीं करुणाकरण के स्मारक पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने मीडिया से आग्रह किया कि वो उनके इस दौरे का राजनीति से न जोड़ें, वो यहां अपने गुरु को नमन करने के लिए आए थे। इस मौके पर सुरेश गोपी ने कहा कि नयनार और उनकी पत्नी के.पी. शारदा की तरह ही करुणाकरण और उनकी पत्नी कल्याणीकुट्टी अम्मा के साथ उनके काफी अच्छे संबंध हैं।

12 जून को किन्नूर में नयनार के घर का दौरा करते हुए केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने उनके परिवार के साथ अपने संबंधों को फिर से स्थापित किया। वहीं सुरेश गोपी ने अपने संबोधन में कहा कि वो स्व. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को ‘भारत की मां’ मानते थे, इसलिए करुणाकरण उनके लिए ‘राज्य में कांग्रेस पार्टी के पिता’ समान थे। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि करुणाकरण को केरल में कांग्रेस के ‘पिता तुल्य’ बताना दक्षिणी राज्य में पुरानी पार्टी के संस्थापकों या सह-संस्थापकों का अनादर नहीं है।

‘2019 में ही मुरली मंदिरम जाना चाहता था’
सुरेश गोपी ने आगे कहा कि वो साल 2019 में ही मुरली मंदिरम जाने की इच्छा जताई थी, लेकिन पद्मजा वेणुगोपाल ने उन्हें राजनीतिक कारणों से उन्हें वहां जाने से रोक दिया था। मुरली मंदिरम के बाद केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने शहर के प्रसिद्ध लूर्डे माता चर्च का भी दौरा किया और वहां प्रार्थना भी की। वहीं अपनी बेटी की शादी में उनके और उनके परिवार की तरफ से सेंट मैरी को सोने का मुकुट भेंट करने के मामले में हो रही राजनीति हमले पर कहा कि वो मुकुट तांबे का बना था।

त्रिशूर में देखने को मिली थी त्रिकोणीय लड़ाई
त्रिशूर लोकसभा सीट से जीत और केरल में भाजपा का खाता खोलने वाले सुरेश गोपी ने कांग्रेस और सीपीआई उम्मीदवारों को हराया था। केरल की त्रिशूर लोकसभा सीट के चुनाव परिणामों की बात करें तो त्रिशूर में भाजपा के प्रत्याशी सुरेश गोपी को 4 लाख 12 हजार 338 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे सीपीआई उम्मीदवार वी.एस सुनीलकुमार को 3 लाख 37 हजार 652 वोट मिले थे। इस तरह से सुरेश गोपी ने सीपीआई उम्मीदवार को 74 हजार 686 वोटों से हराया था। वहीं कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के मुरलीधरन को 3 लाख 28 हजार 124 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थे।

12 साल की कायना सबसे कम उम्र की मास्टर स्कूबा डाइवर; बोलीं- खतरों से भरे समंदर में नहीं लगता डर

बंगलूरू: स्कूबा डाइविंग जितना रोमांचक होता है उतना ही कई बार खतरनाक साबित होता है। बशर्ते आप खतरों से भरे समंदर में स्कूबा डाइविंग न कर रहे हों। हमारे देश के अलावा दुनिया के कई देशों में स्कूबा डाइविंग एक खेल के तौर पर भी खेला जाता है। वहीं बंगलूरू की रहने वाली 12 वर्षीय कायना खरे ने दावा किया है कि वो स्कूबा डाइविंग में मास्टर हैं। अपने स्कूबा डाइविंग करियर के बारें में बताते हुए कायना खरे ने बताया कि वो जब 10 साल की थी। तब उन्होंने स्कूबा डाइविंग की शुरुआत की थी। और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर पहला स्कूबा डाइव किया और वो उनके लिए एक मजेदार अनुभव था।

थाइलैंड में किया एडवांस ओपन वाटर कोर्स
कायना खरे ने आगे बताया कि उन्होंने अपना पहला ओपन वाटर स्कूबा डाइविंग कोर्स इंडोनेशिया के बाली में किया और फिर थाइलैंड में एडवांस ओपन वाटर कोर्स किया। कायना खरे के मुताबिक वो अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर आधिकारिक तौर पर स्कूबा डाइविंग में मास्टर बन गई। कायना का कहना है कि पानी के नीचे रहना मेरे लिए बहुत शांत और आरामदायक है। वहीं उनके माता-पिता ने उनके स्कूबा डाइविंग के रोमांचक करियर में उनका बहुत साथ दिया है।

‘समंदर में खतरों के बावजूद नहीं लगता डर’
अपने करियर पर बात करते हुए कायना खरे बताती हैं कि उन्होंने तैराकी और स्कूबा डाइविंग में कुछ पुरस्कार भी जीते हैं और वो स्कूबा डाइविंग को एक मजेदार खेल मानती हैं। कायना के अनुसार समंदर में तमाम खतरों के बावजूद भी उनको बिल्कुल भी डर नहीं लगता है। उन्होंने मालदीव, बाली, थाईलैंड के अलावा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भी स्कूबा डाइविंग की है।

विश्व रिकॉर्ड तोड़कर बनीं मास्टर डाइवर
12 वर्षीय कायना खरे बताती हैं कि उन्होंने दुनिया की सबसे कम उम्र की मास्टर डाइवर बनकर विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वहीं अपने पंसदीदा विषय के बारे में कायना ने कहा कि वो समुद्री विज्ञान में अपना करियर आगे बढ़ाना चाहती हैं, क्योंकि उन्हें समंदर से बहुत लगाव है। बता दें कि समंदर और समुद्री जीवन को समझने और देखने में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए स्कूबा डाइविंग से शानदार और सुविधाजनक और कोई तरीका नहीं है।

क्या होती है स्कूबा डाइविंग?
स्कूबा डाइविंग के बारे में बात करें तो पानी के नीचे डाइविंग करने का एक खास तरीका है। इस डाइविंग के दौरान गोताखोर पानी के अंदर जाकर टैंक की मदद से सांस लेता है। स्कूबा डाइवर्स पानी में अपने साथ ऑक्सीजन गैस लेकर लेकर जाते हैं, जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत न आए और वो ज्यादा देर तक पानी में रह सकें। भारत में कई जगहों पर स्कूबा डाइविंग की जाती है। इसमें, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, कर्नाटक का तरानी द्वीप या पिजन आइलैंड और गोवा का ग्रैंड आइलैंड शामिल है।