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भीषण गर्मी के बाद इस साल पड़ सकती है कड़ाके की ठंड, ला नीना का देखने को मिलेगा असर

नई दिल्ली: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के दीर्घावधि पूर्वानुमानों के वैश्विक उत्पादन केंद्रों की ओर से बुधवार को नई जानकारी दी।इससे सितंबर-नवंबर 2024 के दौरान वर्तमान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) से ला नीना स्थितियों के उभरने की 55 फीसदी संभावना का संकेत मिलता है।

डब्ल्यूएमओ के अनुसार ‘अक्तूबर 2024 से फरवरी 2025 तक यह संभावना बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगी और इस दौरान अल नीनो के फिर से विकसित होने की संभावना बहुत कम है।’

क्या है ला नीना और अल नीनो?
ला नीना, जिसका स्पेनिश में अनुवाद ‘एक लड़की’ होता है, पूरी तरह से अलग जलवायु व्यवहार के लिए जिम्मेदार है। ला नीना के दौरान, मजबूत पूर्वी धाराएं समुद्री जल को पश्चिम की ओर धकेलती हैं, जिससे समुद्र की सतह, विशेष रूप से भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में, ठंडी हो जाती है। यह अल नीनो के विपरीत है, जिसका स्पेनिश में अनुवाद ‘एक लड़का’ होता है और जब व्यापारिक हवाएं कमजोर होती हैं, तो गर्म समुद्र की स्थिति गर्म हो जाती है, जिससे गर्म पानी अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर पूर्व की ओर वापस चला जाता है।

मौसम विभाग की पुष्टि का इंतजार
ला नीना आमतौर पर भारत में मानसून के मौसम के दौरान तीव्र और लंबे समय तक बारिश और विशेष रूप से उत्तरी क्षेत्रों में सामान्य से अधिक ठंडी सर्दियों से जुड़ा होता है। हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है कि ला नीना की स्थिति सामान्य से अधिक सर्दियां पैदा करेगी।

डब्ल्यूएमओ का कहना है कि प्राकृतिक रूप से होने वाली जलवायु घटनाएं जैसे ला नीना और अल नीनो घटनाएं मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही हैं। इससे वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, चरम मौसम और जलवायु घटनाओं को बढ़ा रही हैं और मौसमी वर्षा तथा तापमान को प्रभावित कर रही हैं।

ला नीना के कारण थोड़े समय के लिए ठंड
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा, ‘पिछले साल जून से हमने असाधारण वैश्विक भूमि और समुद्री सतह के तापमान को देखा है। भले ही ला नीना के कारण थोड़े समय के लिए सही लेकिन बहुत अधिक ठंड पड़ सकती है। मगर, यह वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के कारण बढ़ते वैश्विक तापमान के दीर्घकालिक प्रक्षेपवक्र को नहीं बदलेगी।’

भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल की हुई फजीहत, प्रदर्शनकारी छात्रों ने लगाए ‘वापस जाओ’ के नारे

पश्चिम बंगाल भाजपा की वरिष्ठ नेता अग्निमित्रा पॉल की उस समय फजीहत हो गई, जब आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने उनके खिलाफ अचानक वापस जाओ के नारे लगाने शुरू कर दिया। बता दें कि जूनियर डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय ‘स्वास्थ्य भवन’ के पास धरना दे रहे थे, इस दौरान अग्निमित्रा पॉल के वहां से गुजरने के दौरान ये वाकिया हुआ।

प्रदर्शन में शामिल होने के लिए नहीं गई थी- अग्निमित्रा पॉल
हालांकि, भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने दावा किया कि वह विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए वहां नहीं गई थीं, बल्कि वह बस पास के भाजपा कार्यालय जाने के लिए इलाके से गुजर रही थीं। वहीं इस मामले में आरोप है कि अग्निमित्रा पॉल ने अपने सुरक्षाकर्मियों और समर्थकों के साथ विरोध स्थल में घुसने का प्रयास किया।

अग्निमित्रा पॉल ने पूरे मामले में दी सफाई
हालांकि, उन्होंने पत्रकारों से कहा: मैं विरोध प्रदर्शन में भाग लेने या इसे राजनीतिक रंग देने के लिए वहां नहीं गई थी। मैं भाजपा कार्यालय जाने के लिए उस इलाके से गुजर रही थी, जो पास में ही है। छात्रों के आंदोलन के कारण पार्टी कार्यालय के दोनों छोर की सड़कें बंद थीं। मैं जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करती हूं, मैं उनके साथ शामिल होने वहां नहीं गई थी।

आंदोलन के राजनीतिकरण का लगा आरोप
जबकि आंदोलनकारी डॉक्टरों में से एक ने दावा किया कि अग्निमित्रा पॉल आंदोलन का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही थीं। वहीं मामले में एक डॉक्टर ने कहा कि वह विरोध स्थल के पास खड़ी होकर मीडिया से बात कर रही थीं। वह बिना कोई बयान दिए आसानी से गुजर सकती थीं। वह एक राजनीतिक टिप्पणी कर रही थीं, यही वजह है कि हमने ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए।

आरजी कर केस के विरोध में डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी
मंगलवार से स्वास्थ्य भवन के बाहर धरने पर बैठे थे जूनियर डॉक्टर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले को कथित तौर पर गलत तरीके से संभालने के लिए वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों और कोलकाता पुलिस आयुक्त को हटाने की मांग कर रहे थे।

अपने विवादित बयान पर सुशील कुमार शिंदे ने दी सफाई, कहा- उनकी टिप्पणी को समझा नहीं गया

अपने विवादत बयान के कारण सुर्खियों में आए कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अब सफाई भी पेश की है। उन्होंने कहा, यह हल्की-फुल्की टिप्पणी थी। भाजपा बयान के संदर्भ को नहीं समझ रही है और इस पर टिप्पणी कर रही है। बता दें कि एक दिन पहले उन्होंने अपनी एक किताब के विमोचन के दौरान कहा था गृहमंत्री रहते हुए उन्हें जम्मू-कश्मीर के लाल चौक जाने पर अंदर से डर लग रहा था।

कांग्रेस पर भाजपा ने साधा निशाना
बता दें कि पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस बयान से कांग्रेस पार्टी की जमकर फजीहत हुई है। भाजपा ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए यूपीए सरकार के दौरान उनके दावे पर करारा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि गृह मंत्री बनने से पहले मैं शिक्षाविद् विजय धर मिलने गया था। इस दौरान वो मुझे सलाह भी देते थे। उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं इधर-उधर न घूमूं, बल्कि लाल चौक जाऊं, लोगों से मिलूं और डल झील घूमू। हालांकि उस सलाह से मुझे प्रसिद्धि मिली और लोगों को लगा कि यहां एक गृह मंत्री है जो बिना किसी डर के वहां जाता है, लेकिन मैं किसे बताऊं कि मैं अंदर से बहुत डर गया था।

कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने ये बातें अपने ऊपर लिखी एक किताब के विमोचन के मौके पर कहीं, इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता भी मौजूद थे। यह किताब रशीद किदवई ने लिखी है।

छात्रों और पुलिस के बीच झड़प के बाद हालात तनावपूर्ण; कांग्रेस सांसद ने अमित शाह को लिखा पत्र

इंफाल:  मणिपुर पिछले साल से हिंसा की आग में सुलग रहा है। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुई हिंसा को एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। हालांकि, राजभवन तक मार्च के दौरान छात्रों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प के बाद बुधवार को स्थिति तनावपूर्ण, लेकिन नियंत्रण में रही। वहीं, आंतरिक मणिपुर से कांग्रेस सांसद ए बिमोल अकोइजाम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर हिंसा संकट पर गहरी पीड़ा व्यक्त की है। यहां लगातार शांति बहाली के दावे धराशाई हो रहे हैं।

आज सुबह भी कर्फ्यू जारी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य की राजधानी इंफाल में मंगलवार दोपहर लगाया गया कर्फ्यू आज सुबह भी जारी रहा। जबकि अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए शहर में पुलिसकर्मियों की लगातार गश्त जारी है। उन्होंने कहा कि हालात तनावपूर्ण, लेकिन नियंत्रण में हैं।

बदतर होती कानून-व्यवस्था को लेकर छात्रों ने निकाला मार्च
मणिपुर में बदतर होती कानून-व्यवस्था को लेकर छात्रों ने मंगलवार को राजभवन की ओर मार्च किया था। छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में कई छात्र जख्मी हो गए थे। छात्रों की मांग है कि राज्य के डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार खराब होती कानून-व्यवस्था से निपटने में नाकाम रहे हैं। इस कारण उन्हें पद से हटाया जाए। वे अपनी इसी मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए राजभवन की ओर कूच कर रहे थे।

पांच जिलों में इंटरनेट पर लगी रोक
सरकार ने मंगलवार शाम को एक संशोधित आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि छात्रों के आंदोलन के मद्देनजर इंटरनेट सेवाओं पर लगी रोक सिर्फ घाटी के पांच जिलों में लागू होगी।

प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने लिए दागे आंसू गैस के गोले
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान नारे लगाए। सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर और कंचे फेंके। इससे पुलिसकर्मियों को उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया।

मदरसा मामले में NCPCR का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, कहा- शिक्षा का सही माहौल नहीं

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। दरअसल, हाईकोर्ट ने ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को रद्द कर दिया था। इसी फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है।

मदरसे में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा व्यापक नहीं
एनसीपीसीआर का कहना है कि मदरसे में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा व्यापक नहीं है और इसलिए यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट), 2009 के प्रावधानों के खिलाफ है। आयोग ने आगे कहा कि मदरसों में बच्चों को औपचारिक और सही गुणवत्ता की शिक्षा नहीं मिल रही है। मदरसे शिक्षा के अधिकार कानून के तहत भी नहीं आते इसलिए वहां के बच्चे आरटीई एक्ट के तहत मिलने वाले लाभ नहीं ले पाते।

एक स्वस्थ वातावरण और विकास के बेहतर अवसरों से भी वंचित
आगे कहा कि बच्चों को न केवल एक उपयुक्त शिक्षा से वंचित किया जाता है, बल्कि एक स्वस्थ वातावरण और विकास के बेहतर अवसरों से भी वंचित किया जाता है। उन्हें मिड डे मील, यूनिफॉर्म और प्रशिक्षित टीचरों जैसी सुविधाएं नहीं मिल पाती। मदरसों में कई शिक्षक ऐसे होते हैं, जिन्हें कुरान और धार्मिक ग्रंथों की जानकारी के आधार पर नियुक्त कर लिया जाता है। उन्होंने खुद ही शिक्षक बनने के लिए जरूरी ट्रेनिंग नहीं ली होती है।

गैर-मुस्लिमों को इस्लामी धार्मिक शिक्षा दी जा रही
हलफनामे में कहा गया, ‘ऐसे संस्थान गैर-मुस्लिमों को इस्लामी धार्मिक शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का उल्लंघन है। मदरसे में शिक्षा प्राप्त करने वाला बच्चा स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम के बुनियादी ज्ञान से वंचित रहेगा।’

आयोग ने कहा कि मदरसे न केवल शिक्षा के लिए असंतोषजनक और अपर्याप्त मॉडल पेश करते हैं, बल्कि उनके कामकाज का तरीका भी मनमाना है जो पूरी तरह से शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 29 के तहत निर्धारित पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया का अभाव है।

यह है मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 22 मार्च को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया। अदालत ने कहा था कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला यानी कि इसके खिलाफ है। जबकि धर्मनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का अंग है। कोर्ट ने राज्य सरकार से मदरसे में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में तत्काल समायोजित करने का निर्देश दिया था। साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि छह से 14 साल तक के बच्चे मान्यता प्राप्त संस्थानों में दाखिले से न छूटें।

नौसेना की ताकत में होगा इजाफा, 1.25 लाख करोड़ के तीन बड़े रक्षा सौदों को पूरा करने की योजना

नई दिल्ली: भारतीय नौसेना अपनी निगरानी और युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए इस वित्तीय वर्ष में तीन प्रमुख रक्षा सौदों को पूरा करने की योजना बना रही है। इन सौदों में 31 एमक्यू-9बी ड्रोन, तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडब्बियां और 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों की खरीद शामिल है।

नौसेना को अपनी आधुनिकीकरण की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार से पूरा समर्थन मिल रहा है। इस साल उसे 61 हजार करोड़ रुपये का सबसे बड़ा बजट दिया गया है, जो अब तक का सबसे अधिक है। रक्षा समझौतों के तहत सरकार आमतौर पर सौदे की कुल लागत का 15 फीसदी एडवांस में देती है।

वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने बताया कि पहला सौदा एमक्यू-9बी ड्रोन का है, जो अमेरिका से होगा। यह सबसे पहले पूरा होने की संभावना है। ये ड्रोन पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमताओं से लैस किए जाएंगे। अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता 31 अक्तूबर तक है और सौदा तब तक पूरा होने की संभावना है। नौसेना को 15 ड्रोन मिलेंगे, जबकि दो अन्य सेवाओं को आठ-आठ ड्रोन दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा, भारतीय हथियार प्रणाली इन ड्रोन के साथ जोड़ने पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है। हालांकि,नेवल एंटी शिप मिसाइल (शॉर्ट रेंज) को ड्रोन के साथ तब जोड़ा जाएगा, जब वह पूरी तरह तैयार हो जाएगी। दूसरा बड़ा सौदा तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का है, जिसे फ्रांसीसी नेवल ग्रुप और भारतीय मजगांव डॉकयार्ड लिमिटेड मिलकर बना रहे हैं। यह सौदा करीब 40 हजार करोड़ रुपये का होगा और पनडुब्बियां अधिक आधुनिक क्षमताओं से लैस होंगी।

कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा करने पहुंचे सीएम योगी, जेवर एयरपोर्ट का किया निरीक्षण

नोएडा:  इंडिया एक्सपो मार्ट में 11 से 13 सितंबर तक आयोजित होने वाले सेमीकॉन इंडिया-2024 से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा करने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ग्रेटर नोएडा पहुंचे। सबसे पहले सीएम योगी ने जेवर हवाई अड्डे के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक भी की। अप्रैल 2025 से एयरपोर्ट को विधिवत शुरू किए जाने की योजना है। सेमीकॉन इंडिया-2024 के शुभारंभ के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गौतमबुद्ध नगर आएंगे।

प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एसपीजी ने भी डेरा डाल दिया है। आयोजन स्थल पर बम निरोधक दस्ता और डॉग स्क्वॉड की टीम भी मौजूद है। इन टीमों ने आयोजन स्थल की सघन जांच की। सोमवार को वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने एक्सपोमार्ट हेलीपैड पर ट्रायल किया। मंगलवार को भी यह ट्रायल चला। इसके लिए तीन हेलीकॉप्टर आए। हैलीपेड के चारों पर पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया है।

26 देशों के 836 प्रदर्शक शामिल होंगे सेमीकॉन इंडिया-2024 में
उत्तर प्रदेश को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने के लिए जुटी प्रदेश सरकार 11 से 13 सितंबर तक ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में सेमीकॉन इंडिया-2024 का आयोजन कर रही है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ करने 11 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में सरकार का रखेंगे पक्ष, छह वरिष्ठ अधिवक्ता बनाए गए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए छह वरिष्ठ अधिवक्ताओं को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार, एएसजी को तीन साल की अवधि के लिए नियुक्त किया गया है। वहीं कैबिनेट की नियुक्ति समीति की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि नियुक्त किए गए लोगों में एस द्वारकानाथ, अर्चना पाठक दवे, सत्य दर्शी संजय, बृजेंद्र चाहर, राघवेंद्र पी शंकर और राजकुमार भास्कर ठाकरे (राजा ठाकरे) शामिल हैं।

शीर्ष अदालत में अभी तक थे कुल पांच एएसजी
बता दें कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सुप्रीम कोर्ट और तमाम उच्च न्यायालयों में सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं और सरकार का बचाव करने में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल की सहायता करते हैं। नई नियुक्तियों से पहले, शीर्ष अदालत में छह रिक्तियों के साथ पांच एएसजी थे।

‘हेमा समिति की रिपोर्ट के खुलासे के बाद भी क्यों नहीं की कार्रवाई?’ हाईकोर्ट का केरल सरकार से सवाल

तिरुवनंतपुरम:  केरल हाईकोर्ट ने हेमा समिति की रिपोर्ट पर निष्क्रियता को लेकर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की। कोर्ट ने पूछा कि रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद भी राज्य ने कार्रवाई क्यों नहीं की। कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया कि वह सीलबंद रिपोर्ट एसआईटी को सौंपे।

कोर्ट ने सरकार से कहा, हेमा समिति की रिपोर्ट पर बात करने के लिए अलावा आपने चार साल में कुछ नहीं किया। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि केवल फिल्म उद्योग ही नहीं, समाज में महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए क्या किया जा रहा है। इसने कहा कि असंगठित क्षेत्र में यौन शोषण की घटनाओं को खत्म करने के लिए कानूनी तरीकों की तलाश की जानी चाहिए।

कोर्ट ने एसआईटी को कोई भी प्रेस कॉन्फ्रेंस न करने का भी निर्देश दिया। सरकार ने कोर्ट में कहा कि मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि मीडिया पर नियंत्रण नहीं होना चाहिए। मीडिया खुद को नियंत्रित करsना जानता है।

वहीं, भाजपा के नेता वी. मुरलीधरन ने कहा, केरल हाईकोर्ट ने हेमा समिति की रिपोर्ट को गोपनीय रखने के केरल सरकार के रुख की आलोचना की है। हेमा समिति की रिपोर्ट साढ़े चार साल पहले पेश की गई थी। लेकिन केरल सरकार ने इस पर कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया।

राजभवन कूच कर रहे छात्रों और सुरक्षा बलों की भिड़ंत, आंसू गैस के गोले दागे; 5 दिन के लिए इंटरनेट बंद

इंफाल:राजभवन की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे छात्रों, महिला प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच मंगलवा को झड़प हो गई। हालात पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। प्रदर्शनकारी मणिपुर सरकार के डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले सोमवार से ख्वाइरामबंद महिला बाजार में डेरा डाले सैकड़ों छात्रों ने बीटी रोड के साथ राजभवन की ओर मार्च करने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस भवन के पास सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया।

मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी विरोध रैली निकाली और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पुतला फूंका। इस बीच मौजूदा हालात के मद्देनजर इंफाल पूर्व और पश्चिम जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है। थौबल में बीएनएसएस की धारा 163 (2) के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। पूरे राज्य में अगले पांच दिन के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

अधिसूचना के मुताबिक, मणिपुर राज्य के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में 10 सितंबर को दोपहर तीन बजे से 15 सितंबर को दोपहर 3 बजे तक पांच दिनों के लिए लीज लाइन, वीसैट, ब्रॉडबैंड और वीपीएन सेवाओं सहित इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित/रोकने का आदेश दिया गया है।

आदेश में क्या कहा गया?
राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘मणिपुर राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था के हालात को देखते हुए यह आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व लोगों की भावनाओं को भड़काने वाली तस्वीरें, अभद्र भाषा और घृणास्पद वीडियो संदेश प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर सकते हैं।