Saturday , November 23 2024

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बरेली में सड़कों पर उतरे हजारों लोग, शाहजहांपुर-बदायूं में भी विरोध प्रदर्शन; देखिए तस्वीरें

बरेली:  आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों ने बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। बरेली में ‘भारत बंद’ का आह्वान तो बेअसर दिखाई दिया, लेकिन आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी समेत तमाम संगठनों के लोगों ने सड़कों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे सैकड़ों प्रदर्शनकारी चौकी चौराहे पर बैठ गए। नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। यहां से कलक्ट्रेट पहुंचे।करीब 30 मिनट तक प्रदर्शन के बाद लोग लौट गए। उधर, शाहजहांपुर और बदायूं में भी आरक्षण पर फैसले के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। लखीमपुर खीरी में रैली निकालकर विरोध जताया गया।

शाहजहांपुर में बुधवार सुबह दस बजे से खिरनीबाग स्थित जीआईसी मैदान में विभिन्न संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ता एकत्र हुए। यहां से रैली निकाली जो अंटा चौराहा, अंजान चौकी, घंटाघर, बहादुरगंज एवं सदर बाजार होते हुए खिरनीबाग मैदान में वापस आकर समाप्त हुई। वहीं, भारत बंद का आह्वान पूरी तरह से निष्प्रभावी नजर आया। शहर का पूरा मार्केट खुला रहा।

प्रदर्शनकारी लोगों की मांग थी कि एससीएसटी को दिए गए आरक्षण के उपवर्गीकरण संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संसद द्वारा रद्द किया जाए। आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। इस दौरान जमकर नारेबाजी की गई। रैली में सैकड़ों लोग शामिल हुए। सपा और बसपा के तमाम पदाधिकारी भी पहुंचे और उन्होंने मांगों का समर्थन किया।

कोलकाता मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, तो हाईकोर्ट ने स्थगित की याचिकाओं पर सुनवाई

कोलकाता:  कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में डॉक्टर के कथित दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई 4 सितंबर तक स्थगित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले पर स्वतः संज्ञान ले चुका है, जिसके चलते हाईकोर्ट ने फिलहाल याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले पर सुनवाई की।

उच्च न्यायालय ने की ये टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि चूंकि इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित सभी मुद्दे शामिल हैं, इसलिए वह कोलकाता के सरकारी अस्पताल में हुई घटनाओं के संबंध में उच्च न्यायालय के समक्ष 14 जनहित याचिकाओं की सुनवाई 4 सितंबर तक स्थगित कर रही है। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य ने सभी से पीड़िता की पहचान का खुलासा न करने का अनुरोध दोहराया।

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स गठन का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर्स और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन करने का आदेश दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बीते हफ्ते हुई हिंसा और तोड़फोड़ की घटना पर सीबीआई से अलग से रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर से धरना प्रदर्शन वापस लेने की अपील की क्योंकि इस वजह से अस्पतालों में मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बीमार पति के शुक्राणु संरक्षित करने की दी मंजूरी, पत्नी की याचिका पर केरल हाईकोर्ट का अहम फैसला

तिरुवनंतपुरम:  केरल हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में बीमार व्यक्ति के शुक्राणु उसके शरीर से निकालने और उन्हें संरक्षित करने की मंजूरी दे दी है। दरअसल एक महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उसके बीमार पति के शुक्राणु संरक्षित करने की मंजूरी देने की मांग की थी। महिला अपने पति के संरक्षित शुक्राणुओं से सहायक प्रजनन तकनीक की मदद से गर्भधारण करना चाहती है।

क्या कहा उच्च न्यायालय ने
न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने महिला की याचिका पर उसके पति के शुक्राणु शरीर से निकालने और उन्हें संरक्षित करने की मंजूरी दे दी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पति की इजाजत लेने से भी छूट दे दी क्योंकि महिला के वकील ने बताया कि उसके पति की हालत बेहद गंभीर है और वह इस स्थिति में नहीं है कि अपनी लिखित मंजूरी दे सके और अगर देरी हुई तो कुछ भी बुरा हो सकता है। गौरतलब है कि देश में सहायक प्रजनन तकनीक रेगुलेशन कानून है, जिसके तहत प्रजनन कोशिकाओं को संरक्षित करने के लिए व्यक्ति की मंजूरी जरूरी होती है।

कोर्ट ने अस्पताल को व्यक्ति के शुक्राणु संरक्षित करने की मंजूरी दे दी, लेकिन अभी उन शुक्राणुओं से महिला के गर्भधारण करने संबंधी कोई आदेश नहीं दिया है। अदालत ने 16 अगस्त को इस संबंध में आदेश दिया। हाईकोर्ट इस मामले पर 9 सितंबर को फिर से सुनवाई करेगा।

मलयालम सिनेमा में महिलाओं की स्थिति पर हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर हंगामा, सरकार से कार्रवाई की मांग

तिरुवनंतपुरम:  मलयालम सिनेमा उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न पर न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे की चर्चा है। रिपोर्ट में महिलाओं के लिए सुरक्षित कामकाजी माहौल और महिला पेशेवरों के लिए समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने की बात कही गई है। विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ गठबंधन ने शिकायतों की जांच के लिए महिला आईपीएस अधिकारियों की एक टीम बनाने की मांग की है। वहीं राज्य महिला आयोग ने रिपोर्ट में बताए गए मुद्दों को हल करने के लिए अधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।

महिला संगठन ने जताई खुशी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए शिकायतों का निवारण POSH अधिनियम के तहत होना चाहिए। कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए साल 2013 में यह कानून बनाया गया था। हेमा समिति की रिपोर्ट को लेकर मलयालम सिनेमा उद्योग में महिला पेशेवरों के एक संगठन, वूमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) ने खुशी जाहिर की और साथ ही उम्मीद जताई कि सरकार सिफारिशों का अध्ययन करने और उन पर कार्रवाई करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। WCC लंबे समय से मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं से जुड़े मुद्दों को सुलझाने और वहां लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक हस्तक्षेप की मांग कर रहा है।

रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
समिति ने सोमवार को सीएम पी. विजयन को रिपोर्ट सौंपी। 295 पन्नों की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग से जुड़ीं 51 महिला पेशेवरों की गवाही है। रिपोर्ट में महिलाओं के साथ कास्टिंग काउच और खराब कामकाजी परिस्थितियों की बात बताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि फिल्मों में भूमिकाएं हासिल करने के लिए महिलाओं को ‘समझौता’ करना पड़ता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एक ‘आपराधिक गिरोह’ मलयालम सिनेमा उद्योग को नियंत्रित कर रहा है, जहां महिलाओं को दबाया जा रहा है। पैनल की रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि मुट्ठी भर निर्माता, निर्देशक, अभिनेता और प्रोडक्शन कंट्रोलर मिलकर एक ‘शक्तिशाली गठजोड़’ चला रहे हैं जो पूरे सिनेमा उद्योग को नियंत्रित कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जो महिला कलाकार समझौता करने के लिए तैयार होती हैं, उन्हें कोड नाम दिए जाते हैं और जो झुकने के लिए तैयार नहीं होती हैं, उन्हें मैदान से बाहर कर दिया जाता है।

BMW हिट-एंड-रन मामले में मिहिर शाह की रिहाई याचिका पर कोर्ट सख्त, पुलिस से मांगा जवाब

मुंबई: मुंबई BMW हिट एंड रन मामले में मुख्य आरोपी मिहिर शाह की रिहाई और गिरफ्तारी को अवैध बताने वाली याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस से जवाब मांगा है। कोर्ट में बुधवार को न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में अदालत ने पुलिस को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए। साथ ही मामले की सुनवाई 29 अगस्त को तय की।

वर्ली कोलीवाड़ा निवासी कावेरी नखवा (45) सात जुलाई को सुबह करीब साढ़े पांच बजे अपने पति प्रदीप के साथ डॉ. एनी बेसेंट मार्ग से गुजर रही थीं, तभी बीएमडब्ल्यू सवार मिहिर शाह ने दंपती के दोपहिया वाहन को कथित तौर पर टक्कर मार दी। महिला कार के साथ काफी दूरी तक घिसटती चली गई। उन्होंने बताया कि महिला को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

हादसे के बाद मिहिर बांद्रा-वर्ली सी लिंक की ओर भाग गया। छोड़कर फरार हो गया। इसके बाद वर्ली पुलिस ने मिहिर के पिता राजेश शाह और ड्राइवर बिदावत को हादसे के बाद भागने में मिहिर की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। नौ जुलाई को मिहिर को गिरफ्तार किया गया था। मिहिर पर आरोप है कि उसने दुर्घटना के बाद तेज रफ्तार से बांद्रा-वर्ली समुद्री लिंक की ओर वाहन दौड़ाया, जबकि महिला कार के बोनट पर पड़ी रही। पुलिस के मुताबिक, मिहिर उस समय शराब के नशे में था और घटना स्थल से फरार हो गया था।

मामले में पिता राजेश को जमानत मिल गई है। वहीं, मिहिर शाह और बिदावत अभी न्यायिक हिरासत में हैं। पिछले सप्ताह बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए मिहिर शाह और बिदावत ने दावा किया था कि उनकी हिरासत अवैध थी और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। शाह ने पहले पुलिस और फिर न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।

संजय राउत ने शिंदे सरकार को घेरा, 24 अगस्त को महाराष्ट्र बंद का एलान

मुंबई:महाराष्ट्र में बदलापुर के एक स्कूल में बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में अब जबरदस्त बवाल शुरू हो गया है। यह मामला अब राजनीतिक रुख ले चुका है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने इस मामले में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सुरक्षा के मामले में महाराष्ट्र सरकार को घेरा। संजय राउत ने इस घटना को एक घिनौना अपराध बताया। इसके साथ ही बदलापुर नहीं जाने पर उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी घेरा। उन्होंने 24 अगस्त को महाराष्ट्र बंद का एलान भी किया। राकांपा-एसपी नेती सुप्रिया सुले ने इस घटना के विरोध में महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अपराध बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में खासकर महिलाओं के साथ अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है।

संजय राउत ने कहा, “महाराष्ट्र में और क्या हो सकता है? बलात्कार के खिलाफ सार्वजनिक रोष है। पीड़िता को सुरक्षा देने के लिए, न्याय मांगने के लिए जो लोग सड़क पर उतरे हैं और आप(महाराष्ट्र सरकार) उनके खिलाफ मामले दर्ज करते हो? यह क्यों हुआ? जिस संस्था में हुआ वो किसकी है? लोग सड़क पर इसलिए बैठे हैं क्योंकि पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी। पुलिस पर किसका दबाव था? मुख्यमंत्री से मेरा सवाल है कि वे बदलापुर क्यों नहीं गए? कोलकाता में जो हुआ आप(एकनाथ शिंदे) उस पर बोलते हो लेकिन महाराष्ट्र में उससे भी घिनौना अपराध दो बच्चियों के साथ हुआ है, लोग सड़क पर बैठे हैं।”

संजय राउत ने आगे कहा, “हम सीट बंटवारे पर बात करने के लिए आए थे। फिर हमने सोचा कि हम सीट बंटवारे पर चर्चा नहीं करेंगे हम अब राज्य की कानून व्यवस्था पर चर्चा करेंगे। महाराष्ट्र की जनता में आक्रोश है और इसका विरोध करने वालों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। हमने तय किया कि 24 अगस्त को महाविकास अघाड़ी (एमवीए) महाराष्ट्र बंद का आह्वान करेगा।”

स्कूल प्रशासन ने परिजनों की मदद के बजाय मामले को छुपाने की कोशिश की, राज्य बाल अधिकार आयोग का आरोप

मुंबई:  महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने बुधवार को आरोप लगाया कि जहां जिस स्कूल में दो छोटी बच्चियों के साथ कथित तौर पर यौन शोषण किया गया था, उस स्कूल के प्रशासन ने पीड़ित अभिभावकों की मदद करने के बजाय अपराध को छुपाने की कोशिश की। गौरतलब है कि बदलापुर के एक स्कूल में पुरुष परिचारक द्वारा कथित तौर पर स्कूल में पढ़ने वाली दो बच्चियों का यौन शोषण किया गया, जिसके चलते मंगलवार को बदलापुर में भारी बवाल हुआ और लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। रेल सेवाओं को बाधित कर दिया गया और पुलिस को हालात नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज करनी पड़ा।

‘पोक्सो कानून का मामला है’
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि दो छात्राओं के साथ कथित यौन शोषण का मामला स्पष्ट तौर पर पोक्सो कानून का मामला है। शाह ने कहा कि उन्होंने इस मामले को लेकर ठाणे जिला बाल संरक्षण इकाई में संपर्क किया है। शाह ने बताया कि ‘जब मैंने स्कूल प्रबंधन से मामले के बारे में पूछा, तो उन्होंने इसे छुपाने की कोशिश की। मैंने उनसे यह भी पूछा कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ POCSO प्रावधान क्यों नहीं लगाए जाने चाहिए।’ उन्होंने कहा कि अगर स्कूल प्रबंधन ने तुरंत पुलिस को सूचित किया होता, तो बदलापुर में अराजक स्थिति से बचा जा सकता था। राज्य के प्रत्येक जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत एक बाल संरक्षण इकाई है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक विशेष किशोर संरक्षण इकाई भी है। ‘सभी प्रणालियां, इकाइयां और समितियां मौजूद हैं। हम सभी को प्रणाली को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए।’

सरकार को सख्ती से लागू करने चाहिए नियम
शाह ने यह भी कहा कि वह भविष्य में राज्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के लिए व्यवस्था का पालन करने की सिफारिश करेंगी। उन्होंने कहा, ‘राज्य को ऐसी प्रक्रियाओं को लागू करना चाहिए और उन्हें सख्ती से लागू करना चाहिए।’ ठाणे के एक स्कूल में बस अटेंडेंट द्वारा छात्राओं के साथ कथित छेड़छाड़ के एक पुराने प्रकरण का जिक्र करते हुए शाह ने बताया कि तब उन्होंने शिक्षण संस्थानों में शिक्षण, गैर-शिक्षण और संविदा कर्मचारियों के अनिवार्य पुलिस सत्यापन की आवश्यकता पर बल दिया था। कथित छेड़छाड़ 20 फरवरी को हुई थी, जब छात्राएं एक निजी बस से मुंबई के घाटकोपर इलाके में एक मॉल में गई थीं।

भारी बारिश के कारण मणिपुर में आई बाढ़, सीएम माणिक साहा ने गृह मंत्री को मौजूदा स्थिति से अवगत कराया

इंफाल:  त्रिपुरा में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई। राज्य की मौजूदा हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री माणिक साहा काफी चिंतित हैं। उन्होंने बाढ़ से प्रभावित इलाकों का निरीक्षण भी किया। सीएम साहा ने बताया कि पिछले दो दिनों राज्य के विभिन्न जिलों में भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई। प्रशासन राहत एवं बचाव कार्यों को प्राथमिकता दे रहा है। उन्होंने मणिपुर के हालात पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की और उन्हें मौजूदा स्थिति से अवगत कराया।

सीएम माणिक साहा ने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की और उन्हें हाढ़ की स्थिति से उत्पन्न मौजूदा हालात के बारे में जानकारी दी। मैंने उनसे अतिरिक्त एनडीआरएफ टीमों को भी भेजने का अनुरोध किया। उन्होंने मुझे हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। इस घड़ी में हमें हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए मैं उनका आभारी हूं।”

सीएम साहा ने कहा, “पिछले दो दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। प्रशासन राहत एवं बचाव कार्यों को प्राथमिकता दे रहा है। स्थिति को संभालने के लिए प्रयास जारी है। राज्य सरकार लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में नागरिकों को बचाने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन बचाव अभियान में जुटे हुए हैं। संवेदनशील इलाकों, खासकर नदी किनारे के इलाकों से लोगों को निकालने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रशासन इस संकट के दौरान जनता की सहायता के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। नागरिकों से अनुरोध किया गया है कि वे स्थिति को देखकर न घबराएं और प्रशासन के साथ सहयोग करें।”

‘उसे फांसी दो या जो करना करो…’, महिला डॉक्टर के दुष्कर्म-हत्या मामले पर बोलीं आरोपी की सास

कोलकाता:  कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच चल रही है। दूसरी ओर, इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं। इस बीच, आरोपी संजय रॉय की सास ने कहा कि वह अकेला यह अपराध नहीं कर सकता था। इस मामले में और लोग भी शामिल हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि संजय के साथ उनकी बेटी के संबंध तनावपूर्ण थे। रॉय ने उनकी बेटी से मारपीट की थी और एक पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। जब उनकी बेटी गर्भवती थी तो उन्होंने ही गर्भपात करवाया और उसकी बीमारी खर्च भी उन्होंने ही उठाया। सास ने कहा, संजय अच्छा आदमी नहीं है। उसे फांसी दो य उसके साथ जो करना है करो। मैं अपराध के बारे में कुछ नहीं बोल सकती। लेकिन वह यह काम अकेले नहीं कर सकता था।

इससे पहले, आज संजय का एक करीब सहयोगी सोमवार को कोलकाता में सीबीआई की विशेष अपराध कार्यालय की ओर दौड़ते हुए पहुंचा। महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के विरोध में कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जिनमें आरोपी को फांसी देने और न्याय की मांग की जा रही है। शीर्ष अदालत ने इस मामले का संज्ञान लिया। मंगलवार को इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षा वाली पीठ ने सुनवाई की।

सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि सीबीआई को गिरफ्तार आरोपी का पॉलीग्राफ परीक्षण करने की अनुमति मिल गई है। सीबीआई की टीम ने 18 अगस्त को अस्पताल के आपातकालीन वार्ड की 3डी मैपिंग की। पश्चिम बंगाल सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जनवरी 2021 से अब तक की वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाया है।

बदलापुर में प्रदर्शनों के बाद हालात सामान्य, इंटरनेट बंद, 300 लोगों के खिलाफ FIR, 40 गिरफ्तार

ठाणे:महाराष्ट्र के बदलापुर में बच्चियों के यौन शोषण के विरोध में हुए बवाल के बाद बुधवार सुबह हालात सामान्य रहे। रेलवे स्टेशन पर पुलिस बल तैनात किया गया। इस दौरान ट्रेनों का सुरक्षित संचालन कराया गया। पुलिस ने अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए कुछ दिन के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। वहीं विरोध प्रदर्शन और बवाल करने पर पुलिस ने 300 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जबकि 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।

बदलापुर में दो स्कूली छात्राओं के यौन शोषण के विरोध में रेल रोको प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान मध्य रेलवे की कुछ रेल सेवाएं बंद कर दी गईं थीं। दोपहर में प्रदर्शनकारी स्कूल पहुंचे और तोड़फोड़ की। इसके बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया जिसके बाद पुलिस ने रेलवे ट्रैक खाली कराया। दोपहर एक बजे प्रदर्शनकारी वापस रेलवे ट्रैक पर आ गए।

प्रदर्शनकारियों ने बदलापुर स्टेशन पर बवाल किया। इस दौरान पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव भी किया। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को हटाने के 10 घंटे बाद रेल सेवाएं बहाल की गईं।

मध्य रेलवे के डीसीपी जीआरपी मनोज पाटिल ने बताया कि अब स्थिति सामान्य है। ट्रेनों की आवाजाही भी हो रही है। कोई धारा नहीं लगाई गई है। अफवाहें न फैलें इसलिए कुछ दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं हैं। पुलिस ने बताया कि विरोध प्रदर्शन और बवाल करने पर पुलिस ने 300 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जबकि 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

बदलापुर में क्या हुआ था?
बदलापुर पूर्व के एक नामी स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना ने पूरे इलाके में रोष व्याप्त कर दिया है। बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप स्कूल टॉयलेट साफ करने वाले व्यक्ति अक्षय शिंदे पर लगा है। रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों में से एक चार साल की है और दूसरी छह साल की है। यह घटना 12 और 13 अगस्त को घटी थी। आरोपी अक्षय शिंदे को 1 अगस्त, 2024 को टॉयलेट साफ करने के लिए अनुबंध के आधार पर स्कूल में भर्ती किया गया था। स्कूल ने लड़कियों के शौचालयों की सफाई के लिए कोई महिला कर्मचारी नियुक्त नहीं की थी। इसका फायदा उठाते हुए आरोपी ने 12 और 13 अगस्त की कक्षाओं के दौरान बच्चों के साथ बदसलूकी की।