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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम करेगी बदलापुर मामले की जांच, FIR कराने में देरी पर सवाल

ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे में एक स्कूल में बच्चियों के साथ कथित यौन उत्पीड़न के मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) एक टीम वहां भेजेगा। वहीं शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी पर भी सवाल उठाया है।

एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने मामले में पूछा सवाल
इधर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर इस घटना पर अपनी पीड़ा व्यक्त की और घोषणा की कि मामले की जांच के लिए एक टीम भेजी जाएगी। उन्होंने सवाल उठाया कि पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता को एफआईआर दर्ज कराने के लिए 12 घंटे तक इंतजार क्यों करवाया।

बता दें कि बदलापुर में एक स्कूल में बच्चियों के साथ हुए इस वारदात से स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है, खास तौर पर स्थानीय पुलिस की तरफ से एफआईआर दर्ज करने में कथित देरी पर लोगों का गुस्सा और फूटा है।

कांग्रेस शासन में लेटरल एंट्री से आए सैम पित्रोदा, रघुराम राजन’; विपक्ष की आलोचना पर केंद्र का जवाब

नई दिल्ली: लेटरल एंट्री के माध्यम से 45 पद भरने के सरकार के कदम की आलोचना को सरकार ने खारिज कर दिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, केंद्र में कांग्रेस के शासन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व योजना आयोग के सदस्य एनके सिंह समेत कई टेक्नोक्रेट, अर्थशास्त्री और अन्य विशेषज्ञों की भर्ती की गई थी। मौजूदा केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के माध्यम से 45 मध्य-स्तरीय पदों के लिए यूपीएससी के जरिये आवेदन आमंत्रित किए हैं। सरकार के इस कदम पर कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान सरकार में शामिल होने वाले अन्य लोगों में सैम पित्रोदा, वी कृष्णमूर्ति, बिमल जालान, कौशिक बसु, अरविंद विरमानी, रघुराम राजन, मोंटेक सिंह अहलूवालिया और नंदन नीलेकणि शामिल हैं। टेक्नोक्रेट और उद्यमी सैम पित्रोदा को 1980 के दशक में राजीव गांधी के प्रशासन के दौरान भारत सरकार में लाया गया था। उन्हें देश की दूरसंचार क्रांति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्होंने राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष और सार्वजनिक सूचना संरचना और नवाचार पर पीएम के सलाहकार के रूप में कार्य किया।

अर्थशास्त्र की पृष्ठभूमि से आने वाले बिमल जालान ने आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के मुख्य आर्थिक सलाहकार और बाद में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (1997-2003) के रूप में कार्य किया। प्रमुख अकादमिक अर्थशास्त्री कौशिक बसु को 2009 में सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में वे विश्व बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री नियुक्त हुए थे। रघुराम राजन ने 2013 से 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया। उन्हें 2012 में वित्त मंत्रालय में सीईए नियुक्त किया गया था।

रक्त के नमूने बदलने के आरोप में दो और गिरफ्तार, नाबालिग के पिता-डॉक्टर में कराई थी बातचीत

पुणे:  पुणे कार हादसे में नाबालिग के रक्त के नमूने बदलने के आरोप में पुलिस ने दो नए आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में अब तक नौ लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। सोमवार रात को गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने नाबालिग के पिता और डॉक्टर के बीच बातचीत कराई थी।

19 मई की सुबह कल्याणी नगर इलाके में पोर्श कार चला रहे 17 साल के किशोर ने एक बाइक को टक्कर मार दी। इसमें दो लोगों की मौत हो गई। दोनों पेशे से इंजीनियर थे। आसपास के लोगों ने आरोपी को पहले तो खूब पीटा फिर पुलिस को सौंप दिया। मृतकों की पहचान अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा के रूप में हुई है। दोनों पार्टी करके घर जा रहे थे।

पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया कि कार में आरोपी किशोर के साथ मौजूद दो नाबालिगों के रक्त के नमूने बदलवाने के लिए दोनों आरोपी अशपाक मकंदर और अमर गायकवाड़ ने ही डॉक्टर और नाबालिग के पिता के बीच बात कराई थी। इससे पहले पुलिस ने ससून जनरल अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तवरे और सरकारी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हलनोर को गिरफ्तार किया था। घाटकांबले डॉ. तवारे के अधीन काम करता था।

तीनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया और पुलिस ने उनकी 10 दिन की हिरासत मांगी थी। पुलिस ने बताया कि किशोर के ब्लड सैंपल को किसी अन्य व्यक्ति के नमूनों से बदल दिया था। यह सब डॉ. तावरे के निर्देश पर किया गया था। तावरे के निर्देश पर ही किशोर के ब्लड सैंपल को कूड़ेदान में फेंक दिया गया और उसकी जगह दूसरे व्यक्ति के रक्त के नमूनों को रखा गया। मामले में आरोपी नाबालिग के पिता को भी गिरफ्तार किया गया। मामले में डॉक्टरों को तीन लाख रुपये की रिश्वत देकर खून के नमूने बदलवाए गए। पुणे पुलिस ने हाल ही में मामले में 900 पन्नों की चार्जशीट दायर की है।

पीएम मोदी ने छात्राओं के साथ मनाया रक्षाबंधन, राखियों से भर गई प्रधानमंत्री की कलाई

नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूल के बच्चों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाया। उन्होंने बच्चों से राखी भी बंधवाई और उनसे बात भी की। इस दौरान वे बहुत खुश नजर आए। राकी से पीए मोदी की कलाई भर गई। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए देशवासियों को भी रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दी।

पीएम मोदी ने एक्स पर कहा, “समस्त देशवासियों को भाई-बहन के असीम स्नेह के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाएं। यह पावन पर्व आप सभी के रिश्तों में नई मिठास और जीवन में सुख, समृद्धि एवं सौभाग्य लेकर आए।” बता दें कि पिछले साल भी पीएम मोदी ने छोटे-छोटे बच्चों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाया था।

राखी पर 12 हजार करोड़ का कारोबार, 20 फीसदी वृद्धि की उम्मीद; कैट का दावा- चीनी उत्पादों की मांग घटी

नई दिल्ली:  देशभर में सोमवार को रक्षाबंधन पर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार की उम्मीद है। बाजारों में भीड़ को देखते हुए इस राखी पर 2023 की तुलना में 20 फीसदी अधिक कारोबार का अनुमान है। बीते साल राखी पर 10,000 करोड़ का कारोबार हुआ था। कोविड के कारण दो साल धीमी वृद्धि के बावजूद राखी पर कारोबार छह साल में चार गुना बढ़ा है।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया, राखियों की मांग बढ़ी है। इस साल भी चीन की बनी राखियों की जगह स्वदेशी की मांग है। कैट की वैदिक कमेटी के अध्यक्ष एवं उज्जैन के वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया, सोमवार को दोपहर 1:30 बजे तक भद्रा काल है। इसलिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:31 बजे के बाद से होगा।

तीन माह में चार लाख करोड़ की बिक्री संभव
कैट के मुताबिक, रक्षाबंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह के दिन तक यानी करीब तीन महीने की त्योहारी अवधि में देशभर के बाजारों में करीब चार लाख करोड़ रुपये की बिक्री की उम्मीद है।

खादी, सांगानेरी, बांस व ऊनी राखी की धूम
­­­कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया, विभिन्न शहरों के प्रसिद्ध उत्पादों से बनीं विशेष प्रकार की राखियां इस बार का आकर्षण हैं। नागपुर की खादी राखी, जयपुर की सांगानेरी कला राखी, पुणे की बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना की ऊनी राखी, आदिवासी उत्पादों से बनी बांस की राखी, असम की चायपत्ती राखी और कोलकाता की जूट राखी बाजार में है।

मानक पर खरे नहीं उतरते भारत के 12 फीसदी मसाले, FSSAI ने की जांच में सामने आई ये बात

नई दिल्ली : भारत में किए गए मसालों के परीक्षणों में से करीब 12 फीसदी नमूने गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। यह जानकारी तब सामने आई है, जब कई देशों ने एमडीएच और एवरेस्ट जैसे लोकप्रिय ब्राडों के मसालों की बिक्री, खपत और आयात पर पाबंदी लगाई है।

इन देशों में एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों पर पाबंदी
हांगकांग ने इन दोनों ब्रांडों के मसालों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद, ब्रिटेन ने भी भारत से आयात किए जाने वाले सभी मसालों पर नियंत्रण कड़ा कर दिया। न्यूजीलैंड, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भी इन ब्रांडों की जांच शुरू की। इसके बाद भारत के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भी इन ब्रांडों के मसालों की जांच की।

हमारे मसाले उपभोग के लिए सुरक्षित: एमडीएच और एवरेस्ट
एमडीएच और एवरेस्ट ने कहा है कि उनके मसाले उपभोग के लिए सुरक्षित हैं। इन मसालों की भारत में बहुत मांग है और ये यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में भी बिकते हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसालों का निर्यातक, उत्पादक और उपभोक्ता है।

मसालों के 4054 नमूनों में से 474 मानकों पर खरे नहीं उतरे
दरअसल, रॉयटर्स ने भारत के सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत मई से जुलाई तक के मसालों के परीक्षण के आंकड़े हासिल किए। इसके मुताबिक इन महीनों के बीच में 4,054 नमूनों का परीक्षण किया गया। जिनमें से 474 नमूने गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे।

मानक पूरे न करने पर कंपनियों पर की कार्रवाई: एफएसएसएआई
खाद्य एजेंसी ने कहा कि उसने भारतीय कानूनों के अनुसार उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनके नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। जिओन मार्केट रिसर्च के मुताबिक भारत का घरेलू मसाला बाजार 2022 में 10.44 अरब डॉलर का था। मसाले और मसाला उत्पादों का निर्यात 2023 में 4.46 अरब डॉलर था। आरटीआई में रॉयटर्स ने उन सभी नमूनों की रिपोर्ट मांगी थी, जो परीक्षण में असफल रहे थे। लेकिन एजेंसी ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।

‘जब तक आरोपी पकड़े नहीं जाते..’, पीड़िता के माता-पिता की लोगों से अपील; CM ममता पर साधा निशाना

कोलकाता:  कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के खिलाफ देशभर में डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, पीड़िता के माता-पिता ने सभी देशवासियों से अपील की है कि वे तब तक उनके साथ खड़े रहें, जब तक सभी आरोपी पकड़े नहीं जाते।

‘विरोध को दबाने की कोशिश कर रहीं मुख्यमंत्री’
पीड़िता की मां ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, “हम आपके जरिए पूरे देश को संदेश देना चाहते हैं। हम सभी देशवासियों, दुनिया और राज्य के लोगों के आभारी हैं। हम सभी से निवेदन करते हैं कि आप हमारे साथ तब तक खड़े रहें, जब तक आरोपी पकड़े नहीं जाते। हम केवल यही चाहते हैं कि ऐसा कि किसी मां के साथ न हो। कोई भी हमारे जैसे अपने बच्चे को न खोए।” उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अस्पताल के मामले को ठीक से न संभालने का आरोप लगाया। पीड़ित मां ने यह भी आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश कर रही हैं।

‘अस्पताल के अधिकारियों ने पहले आत्महत्या कहा’
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने कहा था कि दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। जबकि केवल एक ही व्यक्ति पकड़ा गया है। मुझे पूरा यकीन है कि इस अपराध में और लोग भी शामिल थे। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री विरोध को रोकने की कोशिश कर रही हैं। यही वजह है कि पुलिस ने आज विरोध करने वालों की सभा को रोकने के लिए निषेध आदेश लागू किए हैं।” उन्होंने कहा कि अस्पताल के अधिकारियों ने पहले बताया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या की है।

‘देखकर लग रहा था बेटी की किसी ने हत्या कर दी…’
मृतका की मां ने कहा, “पहले हमें अस्पताल से कॉल आया कि आपकी बेटी बीमार है। फिर कॉल कट गया। फिर जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि अस्पताल आ जाएं। फिर जब हम पहुंचे तो हमें देखने की अनुमति नहीं दी गई। हमें तीन बजे (बेटी के शव को) देखने की अनुमति मिली। उसकी पैंट खुली थी। शरीर पर केवल एक कपड़ा था। हाथ टूटा हुआ था। आंखों और मुंह से खून निकल रहा था। देखकर ऐसा लग रहा था कि किसी ने उसकी हत्या कर दी है।”

डिप्टी सीएम केशव के बयान को अखिलेश ने बताया साजिश, एक्स पर हुए आमने-सामने

लखनऊ:  69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के दिए गए निर्णय को अभ्यर्थियों के संघर्ष की जीत बताने वाले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आड़े हाथों लिया है जिसके बाद उन्होंने सोशल साइट एक्स पर लिखा कि दर्द देने वाले, दवा देने का दावा न करें। इस पर केशव प्रसाद ने भी पलटवार किया है।

बता दें कि हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमावली का पालन न करने पर सरकार द्वारा बनाई गई चयन सूची रद्द कर दी थी जिसके बाद से अखिलेश यादव यूपी सरकार पर लगातार हमलावर हैं। रविवार को अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद पर तंज कसते हुए लिखा कि दर्द देनेवाले, दवा देने का दावा न करें!

69000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश के एक ‘कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी’ का बयान भी साज़िशाना है। पहले तो आरक्षण की हक़मारी में ख़ुद भी सरकार के साथ संलिप्त रहे और जब युवाओं ने उन्हीं के ख़िलाफ़ लड़कर, लंबे संघर्ष के बाद इंसाफ़ पाया, तो अपने को हमदर्द साबित करने के लिए आगे आकर खड़े हो गये।

दरअसल ये ‘कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी’ शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ नहीं हैं, वो तो ऐसा करके भाजपा के अंदर अपनी राजनीतिक गोटी खेल रहे हैं। वो इस मामले में अप्रत्यक्ष रूप से जिनके ऊपर उँगली उठा रहे हैं, वो ‘माननीय’ भी अंदरूनी राजनीति के इस खेल को समझ रहे हैं।

शिक्षा और युवाओं को भाजपा अपनी आपसी लड़ाई और नकारात्मक राजनीति से दूर ही रखे क्योंकि भाजपा की ऐसी ही सत्ता लोलुप सियासत से उत्तर प्रदेश कई साल पीछे चला गया है।इस पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जवाब दिया कि सपा बहादुर कांग्रेस मोहरा अखिलेश यादव का पीडीए बहुत बड़ा धोखा है। झूठ बोलने की आटोमैटिक मशीन बनी सपा लोकसभा चुनाव में जैसे संविधान ख़त्म हो जाएगा का दुष्प्रचार किया, उसी प्रकार पीडीए का झूठ फैला रहे हैं।

‘हमारा साथ देंगीं तो लाड़की बहिन योजना की धनराशि बढ़ाएंगे’, सीएम शिंदे ने महिलाओं से किया वादा

‘सौतेले भाई इस योजना की आलोचना कर रहे हैं’
शिंदे ने कहा कि राज्य की एक करोड़ पात्र महिलाओं के खाते में पहली किस्त के रूप में 3000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस वर्ष इस योजना के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सीएम शिंदे ने आगे कहा कि राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाड़की बहिन योजना के साथ साथ तीन मुफ्त गैस सिलेंडर देने की योजना की शुरुआत की गई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार का यह कोई चुनावी हथकंडा नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि सौतेले भाई इस योजना की आलोचना कर रहे हैं।

पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार से मांग
उधर कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने मांग उठाई है कि महाराष्ट्र सरकार की मुख्यमंत्री माझी लाड़की बहिन योजना के लिए पंजीकरण की आखिरी तारीख को समाप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से सभी पात्र महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकेंगीं। चव्हाण ने इसे लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र भेजा है। उन्होंने पत्र में लिखा कि सरकार ने लाड़की बहिन योजना के लिए पंजीकरण की आखिरी तारीख 31 अगस्त रखी है। उन्होंने आगे लिखा कि इस योजना को सार्वजनिक सुरक्षा अधिकार के रूप में लागू किया जाना चाहिए।

‘पोर्टल में कुछ तकनीक खामियां आ रहीं हैं’
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘पोर्टल में कुछ तकनीक खामियां आ रहीं हैं। कई बार सरकारी पोर्टल का सर्वर काम नहीं करता। इस वजह से महिलाओं करीब छह घंटे तक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) का इंतजार करना पड़ता है। महिलाएं इस बात को लेकर चिंतित है कि वे इस योजना में खुद को पंजीकृत नहीं कर पा रहीं।’ पृथ्वीराज चव्हाण न कहा, ‘इससे पहले लाड़की बहिन योजना के पंजीकरण की आखिरी तारीख 15 जुलाई थी। मेरे हस्तक्षेप करने के बाद सरकार ने पंजीकरण की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर लिया। मैंने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान इसे लेकर आवाज उठाई थी। मेरे द्वारा कोशिश करने के बाद आयु सीमा को 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया गया।’

प्रदर्शन पर ममता सरकार का प्रतिबंध, भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल बोलीं- हम डरेंगे नहीं

कोलकाता:  कोलकाता पुलिस ने सात दिन के लिए आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास विरोध प्रदर्शन और सभा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसे लेकर भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने ममता सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टर के लिए हम न्याय की मांग कर रहे हैं। सरकार के इस कदम से हम डरने वाले नहीं हैं।

भाजपा विधायक ने कहा कि टीएमसी सरकार ने लोकतंत्र पर हमला किया है। सार्वजनिक समारोहों और विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाकर सरकार हमारे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगा रही है। साथ ही सच्चाई को दबाना चाहती है। मगर हम डरेंगे नहीं। अगर ममता बनर्जी सोचती हैं कि वे हमारी भावना को कुचल सकती हैं और हमें न्याय मांगने से रोक सकती हैं, तो आप गलत हैं।

पॉल ने सीएम ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उन्होंने रेप-हत्या को आत्महत्या बताकर छिपाने की कोशिश की, लेकिन सच्चाई सामने आ गई। पुलिस आयुक्त विनीत गोयल शर्मनाक प्रयास में हर कदम पर आपके सहयोगी रहे। भाजपा विधायक ने कहा कि जब झूठ उजागर होने लगा, तो ममता बनर्जी ने पीड़ित परिवार को पैसे की पेशकश की। जैसे न्याय खरीदा जा सकता है या चुप कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस के आदेश को अदालत में चुनौती दी जाएगी।

उन्होंने ममता बनर्जी को चेताया कि अगर वह अत्याचार के इस रास्ते पर चलती रहेंगी, तो हम सविनय अवज्ञा आंदोलन की भावना को दोबारा जीवित करेंगे। हम शांतिपूर्वक इन अन्यायपूर्ण आदेशों की अवहेलना करेंगे और विरोध करने के अपने अधिकार का दावा करेंगे। उन्होंने कहा कि न्याय की लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक लोगों की आवाज नहीं सुनी जाती। लोग जाग रहे हैं, और वे निरंकुशता को अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल ने शनिवार को जारी एक आदेश में कहा था कि कोलकाता में रैलियां, बैठकें, जुलूस, धरना, प्रदर्शन और पांच या अधिक व्यक्तियों की गैरकानूनी सभा पर प्रतिबंध है।