Saturday , November 23 2024

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जूनियर डॉक्टर के साथ दरिंदगी का मामला; नहीं बनी बात, देशभर में ओपीडी सेवाएं प्रभावित

कोलकाता:फेमा ने सोशल मीडिया पर घोषणा की, हमने पूरे भारत में सभी संबद्ध आरडीए के साथ एक बैठक की। मामला अभी तक हल नहीं हुआ है। फेमा सहित अन्य रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के डॉक्टर्स ने कहा कि जब तक चिकित्सा कर्मियों पर हमलों को रोकने के लिए केंद्रीय कानून लागू नहीं हो जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। डॉक्टरों का यह प्रदर्शन राष्ट्रीय राजधानी के कई सरकारी अस्पतालों समेत, कोलकाता, गुवाहाटी, हैदराबाद, मुंबई, झारखंड, बिहार के अस्पतालों में भी बुधवार को जारी रहा। जिसकी वजह से आपातकालीन सेवाओं को छोड़ ओपीडी समेत सभी सेवाएं प्रभावित हुईं और मरीज परेशान रहे। वहीं, ब्रिटेन में भारतीय मूल की महिला डॉक्टरों ने भी न्याय और सुरक्षा की मांग पर प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों का समर्थन किया।

आधी रात में बंगाल की आधी आबादी का विरोध प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता सहित राज्य के अन्य हिस्सों में महिलाएं बड़े पैमाने पर बुधवार मध्यरात्रि से विरोध प्रदर्शन के तहत बृहस्पतिवार को देर रात सड़कों पर उतरेंगी। कल रात 11.55 बजे शुरू होने वाले इस विरोध प्रदर्शन को आजादी की आधी रात को महिलाओं की आजादी के लिए बताया गया है। विरोध प्रदर्शन के स्थानों को साझा करने वाले पोस्टर सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे हैं और राज्य के उपनगरों में अधिक से अधिक लोगों के इसमें शामिल होने के साथ-साथ नये स्थान भी जोड़े जा रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सांसद सुखेंदु शेखर रे ने भी इसमें शामिल होने का एलान किया है।

असम : महिला चिकित्सकों को अकेले सुनसान जगह न जाने का निर्देश वापस
असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएमसीएच) ने महिला चिकित्सकों और अन्य कर्मचारियों को जारी उस निर्देश को बुधवार को रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें सुनसान जगहों पर अकेले जाने से बचने की सलाह दी गई थी।

आरजीकर अस्पताल में तोड़फोड़-पथराव, प्रदर्शनकारियों के भेष में घुसे उपद्रवी; पुलिस ने किया लाठीचार्ज

कोलकाता:  आरजी कर मेडिकल कॉलेज परिसर में बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात को प्रदर्शनकारियों के भेष में उपद्रवियों का एक समूह घुस आया, जिसने अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ ही तोड़फोड़ की। इस दौरान उपद्रवियों ने कई वाहन भी क्षतिग्रस्त कर दिए। जब सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची तो उपद्रवियों ने पुलिस कर्मियों पर भी पथराव कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने लाठियां भांजकर भीड़ को तितर-बितर किया। इस बीच, कुछ पुलिस अधिकारियों के घायल होने की भी खबर है। घटना के बाद कॉलेज परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

बता दें कि 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमीनार हॉल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर का शव मिला था। डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या की गई थी। हालांकि, इस मामले में पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मामले की जांच कोलकाता पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘रिक्लेम द नाइट’ अभियान से प्रेरित विरोध प्रदर्शन बुधवार रात 11:55 बजे शुरू हुआ, जिसने सोशल मीडिया के माध्यम से गति पकड़ी। स्वतंत्रता दिवस समारोह के साथ संरेखित प्रदर्शन कोलकाता के कई स्थलों सहित छोटे शहरों और बड़े शहरों दोनों के प्रमुख क्षेत्रों में फैल गया। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों के भेष में आधी रात को उपद्रवियों का एक समूह कॉलेज परिसर में घुस गया और तोड़फोड़ शुरू कर दी।

बेटा जर्मनी में रहता, यहां मां को मिली दर्दनाक मौत; पोस्टमार्टम रिपोर्ट बयां कर रही क्रूरता की कहानी

मैनपुरी:उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में वृद्धा की गला घोंटकर हत्या की गई थी। सिर पर भी किसी भारी वस्तु से वार किया गया था। बुधवार को शव का पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया है। पुलिस का मानना है कि हत्या की वारदात को किसी परिचित ने ही अंजाम दिया है। मृतका के एक हाथ में अंगूठी मिली है। लूट की घटना पुलिस को हत्या के किसी महत्वपूर्ण बिंदु से भटकाने वाली लग रही है।

घटना बेवर थाना क्षेत्र के नगला देवी गांव की है। गांव निवासी इंदुमती देवी (70) तीन पुत्रियों की शादी और इकलौते बेटे के जर्मनी चले जाने के बाद घर में अकेले रह रहीं थीं। पति की भी दो वर्ष पूर्व मृत्यु हो चुकी थी। मंगलवार की शाम को मोहल्ले की ही युवती बेलपत्र लेने उनके मकान के बाहर पहुंची तो देखा कि दरवाजे खुले हुए हैं।

जैसे ही अंदर गई तो उसकी चीख निकल गई। तखत पर इंदुमती का शव पड़ा हुआ था। कान से खून बह रहा था, वहीं गले पर निशान थे। मृतका के गले में पड़ी सोने की चेन, हाथों की अंगूठी, कान में छोटे टॉप्स गायब थे। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा था।

बुधवार को वृद्धा के शव का पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया। इसमें मौत की वजह गला घोंटना बताया गया है। वहीं सिर में भी किसी भारी वस्तु से वार किया गया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि जिस समय वारदात अंजाम दी गई। उस समय वृद्धा तखत पर लेट कर टीवी देख रहीं थीं। हमलावर पीछे से ही आया था।

वहीं पुलिस को मृतका की एक अंगुली में अंगूठी मिली है। इससे लूट की घटना संदेह के दायरे में है। लूट करने वाला एक हाथ की अंगूठी क्यों छोड़ गया या वह हत्या के किसी महत्वपूर्ण बिंदु से पुलिस का ध्यान भटकाना चाहता है। पुलिस इस मामले में सभी पहलुओं पर गंभीरता से जांच कर कर रही है। वहीं सीओ सुनील कुमार का कहना है कि जल्द ही सच सामने लाएंगे।

सीबीआई ने शुरू की जांच, BJP ने ममता सरकार पर साधा निशाना; अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन

कोलकाता:  कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में डॉक्टर्स ने काम बंद रखने का एलान किया है। इसके चलते बुधवार को पश्चिम बंगाल में लगभग सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं और इससे आम जनता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जांच के दौरान पकड़े गए आरोपी संजय रॉय को बृहस्पतिवार को सीबीआई अधिकारी मेडिकल जांच के लिए कोलकाता के कमांड अस्पताल लाए। बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, सीबीआई पूरे मामले की जांच कर रही है। दिल्ली से एक विशेष मेडिकल और फोरेंसिक टीम भी कोलकाता भेजी गई है।

पीड़िच परिवार से मिलने पहुंचा IMA का दल
आरोपी को अस्पताल लाए जाने के अलावा गुरुवार को ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का एक प्रतिनिधिमंडल भी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल पहुंचा। IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने कहा, “एक टीम के रूप में आईएमए ने पीड़िता के माता-पिता से मुलाकात की। पीड़ित परिवार पूरी तरह से असहाय हैं, उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है। उन्हें कई घंटों तक घटना की जानकारी नहीं दी गई। उन्हें प्रिंसिपल से मिलने नहीं दिया गया। पश्चिम बंगाल सरकार से हमारी मांग है कि परिवार की मदद के लिए हरसंभव उपाय किए जाएं। अब जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। उन्हें निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए। संजय के अलावा अन्य दोषियों को भी ढूंढा जाना चाहिए।

‘लोगों को बचाने की हो रही कोशिश’
सभी सरकारी अस्पतालों के बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) के टिकट काउंटरों पर लंबी कतारें देखी जा रही हैं। जूनियर डॉक्टर्स के साथ ही वरिष्ठ डॉक्टर्स भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक डॉक्टर ने बताया कि ‘हमारी कोई नई मांग नहीं है। हमने देखा है कि लोगों को बचाने का प्रयास किया गया है। कुछ लोगों ने आरजी कर अस्पताल की उसी मंजिल पर निर्माण कार्य शुरू करके सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की है, जहां हमारी बहन से दुष्कर्म और उसकी हत्या की गई थी। हमें अपना विरोध बंद करने का कोई कारण नहीं दिखता।’

ओपीडी सेवाएं बंद
पश्चिम बंगाल डॉक्टरों के संयुक्त मंच ने राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) में काम बंद करने का आह्वान किया था। प्रदर्शन के दौरान जूनियर और सीनियर डॉक्टर, इंटर्न और हाउस स्टाफ अपनी बांहों पर काली पट्टी बांधे और महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाते देखे गए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि, ‘आपातकालीन सेवाएं चालू हैं। लेकिन जब तक हम विरोध नहीं करेंगे, पीड़िता को न्याय नहीं मिलेगा। कुछ मरीजों को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।’

उड़ान भरने के बाद वापस मुंबई लौटा एयर इंडिया का विमान, लंदन जा रही फ्लाइट AI129 में आई थी ये खराबी

मुंबई: मुंबई से बुधवार की सुबह 354 लोगों को लेकर लंदन जाने वाला एयर इंडिया का विमान वापस कुछ देर बाद एयरपोर्ट पर लौट आया, क्योंकि पायलट-इन-कमांड ने केबिन में दबाव संबंधी समस्या की सूचना दी थी। हालांकि बिना किसी परेशानी के विमान ने सुरक्षित तरीके से एयरपोर्ट पर लैंडिग की थी।

करीब तीन घंटे बाद वापस एयरपोर्ट पर लौटा विमान
सूत्रों के अनुसार, एयर इंडिया विमान एआई-129 ने मुंबई एयरपोर्ट से सुबह 8.36 बजे उड़ान भरी थी, और दिन के करीब 11.30 बजे वापस एयरपोर्ट पर लौट आया था। इस बीच, एयर इंडिया के एक बयान में कहा गया: मुंबई से लंदन के लिए उड़ान भरने वाला बोइंग 777 विमान तकनीकी समस्या के कारण मुंबई वापस लौट आया। एहतियाती जांच के लिए विमान सुरक्षित रूप से मुंबई में उतरा।

एयरलाइन ने यात्रियों के लिए की वैकल्पिक व्यवस्था
एयरलाइन ने इस स्थिति पर खेद जताया और यह भी कहा कि उसने यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए पहले ही वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है। एयर इंडिया ने कहा कि उसने यात्रियों की इच्छा होने पर रद्दीकरण पर पूरा रिफंड और किसी अन्य तिथि पर मुफ्त टिकट देने की पेशकश की है।

एयर इंडिया के प्रवक्ता ने आगे कहा कि एयर इंडिया में, हमारे ग्राहकों और चालक दल की सुरक्षा और भलाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

दर्द भरे 20 साल, हर स्वतंत्रता दिवस इनके लिए लाता है मायूसी, धेमाजी विस्फोट मामले में अब SC से उम्मीद

धेमाजी: हर साल स्वतंत्रता दिवस आता है। चारों ओर आजादी का जश्न मनाया जाता है। भारत के आजाद होने की शुभकामनाएं होती हैं और देशभक्ति के तराने होते हैं। मगर असम के धेमाजी के कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जिनके लिए बीते 20 साल से स्वतंत्रता दिवस केवल मायूसी और दर्द लेकर आता है। हर साल वे उम्मीद लगाते हैं कि इस बार स्वतंत्रता दिवस वह अपनों को न्याय दिलाकर मनाएंगे, लेकिन कुछ नहीं होता। अब एक बार फिर धेमाजी विस्फोट में जान गंवाने वालों के परिवारों में उम्मीद जगी है। वे कहते हैं कि दोषियों को सजा न मिलने की टीस है, लेकिन अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है तो उनको न्याय जरूर मिलेगा।

दरअसल 2004 में असम के धेमाजी शहर में स्वतंत्रता दिवस पर परेड मैदान में झंडारोहण समारोह के दौरान हुए विस्फोट में तीन बच्चों सहित 12 लोगों की मौत हो गई थी। इस विस्फोट की जिम्मेदारी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (उल्फा) संगठन ने ली थी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और छह आरोपियों को गिरफ्तार किया। जिला और सत्र अदालत ने 2019 में मामले में चार आरोपियों को आजीवन कारावास और दो अन्य को चार साल जेल की सजा सुनाई थी। मगर इनको सबूतों के अभाव में पिछले साल हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। बस इसके बाद अपनों के लिए न्याय का इंतजार कर रहे परिवारों की उम्मीद टूट गई। मगर पिछले दिनों असम सरकार ने मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कही तो एक बार फिर उम्मीदें बंध गईं हैं।

इस विस्फोट में अपनों को खोने का दर्द सेवानिवृत्त शिक्षिका शांति गोगोई भी झेल रही हैं। शांति ने विस्फोट में अपनी गर्भवती बहू और उसके अजन्मे बच्चे को खो दिया। वे दोनों को न्याय दिलाने के लिए चौखट दर चौखट भटक रही हैं। अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो शांति गोगोई को कुछ उम्मीद बंधी है। वहीं न्याय मिलने में हुई देरी को लेकर गोगोई सवाल उठाती हैं कि सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में हुए बम धमाकों के बाद अब तक पुलिस को कोई भी गवाह नहीं मिला जो बता सके कि विस्फोटक किसने लगाए या इसके पीछे कौन था?

मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर ईडी को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन मामले के सिलसिले में जेल में बंद विधायक अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा। अब्बास अंसारी गैंगस्टर से नेता बने और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का बेटा है। मुख्तार अंसारी की कुछ महीने पहले जेल में मौत हो गई थी। जस्टिस एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने ईडी को नोटिस जारी किया और अब्बास अंसारी की जमानत खारिज करने के इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील पर जवाब मांगा।

हाईकोर्ट ने नौ मई को अब्बास की जमानत याचिका खारिज कर दी थी
उच्च न्यायालय ने नौ मई को अब्बास की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ईडी ने उनके खिलाफ मामले में धन के लेनदेन के सबूत पेश किए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि दो कंपनियों एम/एस विकास कंस्ट्रक्शन और एम/एस आगाज के साथ अब्बास अंसारी की ओर से धन का लेनदेन साबित होता है। ईडी ने आरोप लगाया कि अब्बास अंसारी ने धन शोधन के लिए इन कंपनियों का इस्तेमाल किया।

मऊ से विधायक अंसारी अभी कासगंज जेल में
ईडी ने पिछले तीन मामलों के आधार पर धन शोधन रोकथाम कानून, 2002 के तहत सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक अंसारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।अंसारी पर चार नंवबर 2002 को इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। मऊ से विधायक अब्बास अभी कासगंज जेल में हैं।

यूट्यूबर सुवुक्कू शंकर को फिर से हिरासत में लिए जाने का संज्ञान लिया
उच्चतम न्यायालय ने गांजा रखने के मामले में तमिलनाडु पुलिस द्वारा यूट्यूबर सुवुक्कू शंकर को फिर से हिरासत में लिए जाने का संज्ञान लिया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शंकर की ओर से अपनी हिरासत के विरोध में दायर नई याचिका का संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने सभी 16 प्राथमिकी में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की है। कोर्ट ने यूट्यूबर के वकील से प्राथमिकी का पूरा विवरण दाखिल करने को भी कहा।

केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, सीबीआई की गिरफ्तारी को दी थी चुनौती; अगली सुनवाई 23 को

नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने कथित आबकारी नीति घोटाले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने बुधवार को उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भूइयां की पीठ ने सीबीआई की ओर से केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया। पीठ ने केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हम कोई अंतरिम जमानत नहीं दे रहे हैं। हम नोटिस जारी करेंगे। इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की गई है।

कोर्ट में आज क्या हुआ?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया। दरअसल, सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कोई भी कोर्ट में उपस्थित नहीं था। दरअसल, केजरीवाल ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की ओर से उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए जमानत अंतरिम मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से 23 अगस्त तक जवाब मांगा है और उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट खारिज कर चुका है याचिका
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को वैध ठहराते हुए 5 अगस्त को मुख्यमंत्री की गियाचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई की कार्रवाई गलत नहीं है। क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए आप गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

PM मोदी ने पीड़ितों को किया याद, कहा- यह लोगों के साहस को श्रद्धांजलि देने का दिन

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन लोगों को याद किया, जो विभाजन के दौरान प्रभावित हुए थे। उन्होंने कहा कि आज का दिन विभाजन से प्रभावित लोगों के साहस को श्रद्धांजलि देने का दिन है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 1947 में विभाजन के दौरान प्रभावित लोगों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शाह ने कहा कि जो राष्ट्र अपने इतिहास को याद रखता है वह अपना भविष्य बनाने के साथ एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर सकता है।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस पर हम उन लोगों को याद करते हैं जो विभाजन के दौरान प्रभावित हुए थे। यह उनके साहस को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है। विभाजन के दौरान कई लोग प्रभावित हुए, उन्हें अपना जीवन फिर से शुरू करना पड़ा। आज हम अपने राष्ट्र में एकता और भाईचारे के बंधन की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।”

अमित शाह ने विभाजन से प्रभावित लोगों को याद किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस के मौके पर एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा, “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर उन लाखों लोगों को मेरी श्रद्धांजलि, जिन्हें विभाजन के दौरान अमानवीय पीड़ा झेलनी पड़ी। कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी तो कई लोग बेघर हो गए।” उन्होंने आगे कहा, “जो राष्ट्र अपने इतिहास को याद रखता है वह अपना भविष्य बना सकता है और एक शक्तिशाली देश के तौर पर उभर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस दिन को मनाना राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में एक मूलभूत अभ्यास है।”

कांग्रेस ने अदाणी मामले में जेपीसी की मांग की, जयराम रमेश ने गुजरात सरकार पर लगाया मदद का आरोप

नई दिल्ली:  कांग्रेस ने बुधवार को अदाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग को दोहराया। पार्टी ने गुजरात सरकार पर राज्य के बंदरगाह क्षेत्र पर एकाधिकार सुनिश्चित करने के लिए अदाणी पोर्ट्स की मदद करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि गुजरात सरकार निजी बंदरगाहों को बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओओटी) आधार पर 30 वर्ष की रियायत अवधि प्रदान करती है, जिसके बाद इसका स्वामित्व उन्हें हस्तांतरित हो जाता है।

जयराम रमेश का आरोप
जयराम रमेश ने कहा कि इस मॉडल के आधार पर अदाणी पोर्ट्स का मौजूदा समय में मुंद्रा, हजीरा और दहेज बंदरगाहों पर नियंत्रण है। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अदाणी पोर्ट्स ने गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी)से इस रियायत अवधि को 45 साल से बढ़ाकर 75 वर्षों तक करने की अपील की थी।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, “यह 50 वर्षों की अधिकतम स्वीकार्य अवधि से बहुत अधिक थी। जीएमबी ने गुजरात सरकार से तुरंत ऐसा करने का अनुरोध किया। जीएमबी इतनी जल्दी में थी कि उन्होंने अपने बोर्ड की मंजूरी के बिना ही ऐसा कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप फाइल वापस आ गया।” उन्होंने आगे कहा कि जीएमबी बोर्ड ने सिफारिश की कि गुजरात सरकार 30 साल की रियायत के पारित होने के बाद अन्य संभावित ऑपरेटरों और कंपनियों से बोलियां आमंत्रित करके या अदानी के साथ वित्तीय शर्तों पर फिर से बातचीत करके अपने राजस्व हितों की रक्षा करे।

रमेश ने आगे कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिस्पर्धा की इस संभावना से क्रोधित टेम्पो-वाले ने जीएमबी बोर्ड के निर्णय में परिवर्तन के लिए बाध्य किया – बिना नई बोलियां आमंत्रित करे हुए या शर्तों पर बातचीत किये हुए, जिसे अदाणी के लिए रियायत अवधि के विस्तार की सिफारिश करने के लिए संशोधित किया गया था। बेशक, मुख्यमंत्री और अन्य सभी ने यह सुनिश्चित करने के लिए जल्दबाजी की, कि यह प्रस्ताव पारित हो जाए और सभी हितधारकों से आवश्यक मंजूरी मिल जाए।”