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शराब नीति केस में CBI द्वारा गिरफ्तारी को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, जमानत की याचिका भी डाली

नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब घोटाला केस में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। आम आदमी पार्टी की लीगल टीम ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। इसमें बताया गया कि केजरीवाल ने इस मामले में सीबीआई की तरफ से गिरफ्तारी को भी चुनौती दी है।

गौरतलब है कि हाल ही में केजरीवाल ने सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को दिल्ली हाईकोर्ट में भी चुनौती दी थी। हालांकि, वहां उन्हें राहत नहीं मिली थी। हाईकोर्ट ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही करार देते हुए पांच अगस्त को इसे बरकरार रखा था। अदालत ने कहा था कि सीबीआई की कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित नहीं है और उसने साबित किया है कि ‘आप’ सुप्रीमो कैसे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने की हिम्मत जुटा सके। हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए उन्हें जमानत के लिए पहले निचली अदालत जाने को कहा था।

निचली अदालत ने केजरीवाल के दी थी जमानत
केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। सुनवाई अदालत ने इस मामले में उन्हें 20 जून को जमानत दे दी थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने सुनवाई अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, 12 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति में संशोधन में अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारियों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

नवभारत मीडिया समूह के चेयरमैन विनोद माहेश्वरी का निधन, 79 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस

मुंबई: महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित नवभारत समूह के चेयरमैन और मीडिया जगत की लोकप्रिय हस्तियों में शुमार विनोद माहेश्वरी का सोमवार को सुबह मुंबई में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे।माहेश्वरी परिवार के एक करीबी व्यक्ति ने बताया कि उनका स्वास्थ्य पिछले पांच दिन से ठीक नहीं था। शनिवार को उन्हें एयरलिफ्ट कर मुंबई लाया गया था, जहां सोमवार को सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली।

वे प्रखर पत्रकार एवं स्वतंत्र संग्राम सेनानी स्व. रामगोपालजी माहेश्वरी के पुत्र थे। वे अपने पीछे पत्नी श्रीरंगादेवी माहेश्वरी, पुत्र निमिष माहेश्वरी, पुत्रवधु अनुपमा माहेश्वरी, पौत्र वैभव माहेश्वरी, पौत्रवधु श्रृति माहेश्वरी, राघव माहेश्वरी एवं भरापुरा परिवार छोड़ गए हैं। नवभारत निकुंज, सिविल लाइंस, नागपुर स्थित निवास से शाम 5 बजे अंत्ययात्रा निकलकर मोक्षधाम घाट, काटन मार्केट जाएगी।

राजनीतिक दिग्गजों ने जताया शोक
माहेश्वरी के निधन पर भाजपा के नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “नवभारत समूह के अध्यक्ष विनोद माहेश्वरी जी के निधन का समाचार सुनकर अतीव दु:ख हुआ। उन्हें मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। मध्य भारत में नवभारत के माध्यम से उन्होंने हमेशा लोगों की आवाज बुलंद की। पत्रकारिता के मुल्यों को हमेशा प्राथमिकता दी। कई दशकों से मेरा उनके साथ व्यक्तिगत स्नेह रहा है। उनके निधन से मैने एक करीबी मित्र खोया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को संबल दे। ॐ शांति”

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर लिखा, “नवभारत समूह के अध्यक्ष विनोद माहेश्वरी जी के निधन की सूचना अत्यंत ही दुःखद है। उनका निधन पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं शोकाकुल अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति दें।”

कांग्रेस ने मांगा सेबी प्रमुख माधबी का इस्तीफा, कहा- सुप्रीम कोर्ट सीबीआई या एसआईटी से कराए जांच

नई दिल्ली:हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस ने भी सेबी और भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी बुच से इस्तीफा मांगा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अदाणी मामले में सेबी समझौता कर सकती है। इसलिए मोदानी महा घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि मामले में सेबी ने काफी सक्रियता दिखाई। उसने हिंडनबर्ग को 100 सम्मन, 1100 पत्र और ईमेल जारी किए और 12 हजार पृष्ठों वाले 300 दस्तावेजों की जांच की है। लेकिन मुख्य बात है कि कार्रवाई नहीं की गई।

जयराम रमेश ने कहा कि 14 फरवरी, 2023 को मैंने सेबी अध्यक्ष को पत्र लिखा था। मैनें देश के करोड़ों नागरिकों की ओर से भारतीय वित्तीय बाजार के प्रबंधक की भूमिका निभाने के लिए कहा था, लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को दो महीने में अदाणी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोपों की जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे। इसके 18 महीने बाद सेबी ने जांच तो की, लेकिन यह नहीं बताया कि अदाणी ने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से संबंधित नियम 19ए का उल्लंघन किया है या नहीं।

उन्होंने दावा किया कि सेबी की अपनी 24 जांच में से दो को बंद करने में असमर्थ रही। इसलिए जांच के परिणाम सामने आने में एक साल से ज्यादा का समय लग गया। रमेश ने आरोप लगाया कि इस देरी की आड़ में प्रधानमंत्री अपने दोस्त अदाणी की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देते रहे और आम चुनाव में भाग ले पाए। उन्होंने यह भी कहा कि अदाणी समूह को क्लीन चिट मिलने के बाद भी सेबी ने समूह की कई कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी हुई हिंडनबर्ग रिपोर्ट अदाणी महा घोटाले की जांच में सेबी की ईमानदारी और आचरण को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जांच को सीबीआई या एसआईटी को स्थानांतरित करना चाहिए। साथ ही सेबी अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिए।

कोलकाता के अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या का मामला हाईकोर्ट पहुंचा; तीन याचिकाएं दाखिल, सुनवाई कल

कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के कथित दुष्कर्म और हत्या मामले में कम से कम तीन जनहित याचिकाएं कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं। इनमें मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की गई है। सभी याचिकाओं पर मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी।

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सोमवार को कम से कम तीन जनहित याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर के कथित बलात्कार और जघन्य हत्या की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई। खंडपीठ में न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि वह जनहित याचिकाओं तथा इस मुद्दे से संबंधित अन्य याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करेगी।

जानकारी के मुताबिक, एक याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील कौस्तव बागची ने अदालत में एक याचिका दायर की है। उन्होंने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की और सभी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और रेस्ट रूम में उचित सुरक्षा के साथ सीसीटीवी कैमरा लगाने का अनुरोध किया।

हाईकोर्ट के मुख्यय न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की पीठ ने इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही वकील फिरोज एडुल्जी ने पुलिस की जांच में त्रुटि का आरोप लगाया है और उन्होंने अदालत से कहा कि वह मामले की सुनवाई के दौरान इस संबंध में दलीलें पेश करेंगे।

बता दें कि कोलकाता के आरजीकर मेडिकल अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और छात्र सड़क पर उतरकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर्स, प्रशिक्षु और स्नातकोत्तर प्रशिक्षु हड़ताल पर हैं। इस भयावह घटना के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रिंसिपल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

‘जिलों को जातीय आधार पर देखना दुर्भाग्यपूर्ण’, बीरेन सिंह ने कहा- ये शांति और सद्भाव के लिए हानिकारक

मणिपुर विधानसभा में बोलते हुए सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा, जातीय आधार पर नहीं बल्कि प्रशासनिक सुविधा के आधार पर जिलों की सीमाओं को संशोधित करना बहुत महत्वपूर्ण है। सीएम ने जिलों के पुनर्गठन की आवश्यकता पर जोर दिया और सुझाव दिया कि इसमें विधायकों और नागरिक समाज के साथ गहन चर्चा शामिल होनी चाहिए।

सीएम ने एक राज्यव्यापी सर्वेक्षण का किया आह्वान
इस दौरान उन्होंने शिकायतों को स्वीकार किया कि कुछ गांवों को गलत तरीके से नए जिलों में आवंटित किया गया था और इन मुद्दों को हल करने के लिए गांव के अधिकारियों, समुदाय के नेताओं और विधायकों को शामिल करते हुए एक राज्यव्यापी सर्वेक्षण का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ नए बनाए गए जिलों को वापस लेने की भी मांग की जा रही है। जबकि नगा पीपुल्स फ्रंट के विधायक लीशियो कीशिंग की तरफ से 2016 में नए जिलों के निर्माण के बारे में उठाई गई चिंताओं को संबोधित करते हुए, सीएम ने स्वीकार किया कि जबकि घोषित उद्देश्य प्रशासनिक सुविधा था, यह अक्सर राजनीतिक हितों को पूरा करता था।

‘प्रशासनिक और राजनीतिक के लिए है जिलों का निर्माण’
सीएम ने कहा, हालांकि यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि जिलों का निर्माण प्रशासनिक सुविधाओं के लिए है, लेकिन कुछ जिलों के संबंध में यह राजनीतिक सुविधा के रूप में काम करता है। वहीं कीशिंग ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि 2016 में कांगपोकपी जिले के गठन ने कई तांगखुल और रोंगमेई नागाओं की राजनीतिक आकांक्षाओं और अन्य अवसरों को कैसे प्रभावित किया है। इस पर सीएम ने उल्लेख किया कि कांगपोकपी और चुराचांदपुर में नगा निवासियों ने आवश्यक सेवाओं की कमी और अवैध कराधान का आरोप लगाया है, जिसके कारण उन्होंने अधिक उपयुक्त जिलों में पुनर्निर्धारण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से याचिका दायर की है।

राज्य के जिलों में क्यों पैदा हुई समस्याएं?
सीएम ने आगे बताया कि, हाल ही में, कांगपोकपी और चुराचांदपुर जिलों में रहने वाले कई नगा निवासियों ने मुझसे मुलाकात की और दावा किया कि उन्हें अपने जिलों में आवश्यक सेवाएं, वस्तुएं और अवसर नहीं मिल रहे हैं। सीएम ने तर्क दिया कि ये समस्याएं इसलिए उत्पन्न हुईं क्योंकि नए जिले स्थानीय समुदायों की आवश्यकताओं को उचित रूप से पूरा नहीं कर रहे थे। 2016 में, इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सात नए जिले बनाए थे। कंगपोकपी और टेंग्नौपाल जिलों को क्रमशः सेनापति और चंदेल जिलों से अलग किया गया था, जबकि फेरजावल और जिरीबाम को क्रमशः चुराचांदपुर और इंफाल पूर्वी जिलों से अलग किया गया था।

‘बांधों की स्थिति का आकलन करेगी विशेष समिति’, तुंगभद्रा जलाशय का गेट टूटने के बाद बोले शिवकुमार

बंगलूरू:  कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने सोमवार कहा कि सरकार राज्य के सभी बांधों की स्थिति का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर रही है। उनकी यह टिप्पणी तुंगभद्रा बांध के एक गेट के बह जाने की पृष्ठभूमि में आई है। शिवकुमार राज्य के जल संसाधन मंत्री भी हैं।

शुक्रवार की रात टूटा तुंगभद्रा बांध का 19वां गेट
उन्होंने कहा कि तुंगभद्रा बांध के क्रेस्ट गेट को बहाल करने के प्रयास जारी हैं। इस मुद्दे पर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। तुंगभद्रा बांध का कोप्पल जिला मुख्यालय शहर के पास एक गेट (19वां गेट) शुक्रवार की रात को टूट जाने के कारण बह गया था। जिसके बाद भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया था और निचले इलाकों को अलर्ट पर रखा गया था।

चार से पांच दिनों में दुरुस्त करेंगे
शिवकुमार ने कहा, “कल मैंने तुंगभद्रा बांध का दौरा किया और तत्काल कार्रवाई की। मैंने ठेकेदारों से बात की है और हमने डिजाइन भेज दिए हैं। चार से पांच दिनों में हम इसे दुरुस्त करने की कोशिश करेंगे। हम अपने किसानों के लिए कम से कम एक फसल को बचाना चाहते हैं। हम इसके लिए सभी जरूरी उपाय कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भी कल वहां का दौरा कर रहे हैं। मैंने एक तकनीकी टीम के साथ भी चर्चा की है।”

‘विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा’
पत्रकारों के साथ बातचीत में उप मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूं कि यह खतरा नहीं था। सत्तर वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है। लेकिन किसानों सहित किसी को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, हम सभी बांधों की सुरक्षा के लिए एक समिति बनाएंगे और उन्हें सभी बांधों में भेजेंगे। कुछ दिनों में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा। उसे सभी बांधों का दौरा करने और आकलन के बाद रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा जाएगा।”

सेंथिल बालाजी की जमानत अर्जी पर आज सुप्रीम सुनवाई; मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को दी है चुनौती

नई दिल्ली:  तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी। उन्हें बीते साल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। जस्टिस अभय एस ओका और अस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ उनकी याचिका पर सुनवाई करेगी। इस याचिका में बालाजी ने मामले में उनकी दूसरी जमानत याचिका को खारिज करने के मद्रास उच्च न्यायालय के 28 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है।

बीते साल जून में हुई थी गिरफ्तारी
ईडी ने बीते साल जून में ईडी ने वी सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया था। साल 2014 में एआईडीएमके सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए बालाजी पर मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में पैसे लेकर लोगों को नौकरी देने के आरोप लगे थे। साथ ही आरोप है कि बालाजी ने मनी लॉन्ड्रिंग की थी। बालाजी की गिरफ्तार पर जमकर हंगामा हुआ था और गिरफ्तारी के तुरंत बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी।

बालाजी को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी दिल की सर्जरी की गई। इसके बाद 17 जुलाई को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद सेंथिल बालाजी को तमिलनाडु की पुझल सेंट्रल जेल भेजा गया और तब से वे जेल में बंद हैं। गिरफ्तारी के बाद भी बालाजी ने डीएमके कैबिनेट से इस्तीफा नहीं दिया था। हालांकि सीएम स्टालिन ने उनके विभागों ऊर्जा, एक्साइज को अन्य मंत्रियों को आवंटित कर दिया था। बिना किसी प्रभाव के बालाजी तमिलनाडु सरकार में मंत्री बने हुए थे। बाद में, वी सेंथिल बालाजी ने अपनी गिरफ्तारी के आठ महीने बाद तमिलनाडु कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।

प्रकाश प्रदूषण से पेड़ों की पत्तियां सख्त, घट रहे पोषक तत्व; प्रभावित हो रहा पारिस्थितिकी तंत्र

 नई दिल्ली:  रातभर जलने वाली स्ट्रीट लाइट पेड़ की पत्तियों को इतना सख्त कर देती हैं कि कीट उसे खा नहीं पाते। इससे खाद्य शृंखला के साथ ही शहरों की जैव विविधता पर खतरा मंडराने लगा है। यह जानकारी फंटियर्स इन प्लांट साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में सामने आई है।

इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने हमेशा प्रकाश के संपर्क में रहने वाले जापानी पेगौडा पौधे और बीजिंग में ग्रीन एश ट्री की जांच की। उन्होंने पाया कि प्रकाश प्रदूषण से उनकी पत्तियां सख्त हो गई हैं और उनके पोषक तत्व कम हुए हैं।

चाइनीज अकादमी ऑफ साइंसेस के वैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार, प्रकाश प्रदूषण सर्केडियन रिदम और दुनियाभर में पारिस्थितिक तंत्र को बाधित करता है, लेकिन जो पौधे प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश पर निर्भर हैं उन पर इसका प्रभाव गंभीर हो सकता है। सर्केडियन रिदम 24 घंटे के शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक परिवर्तनों के चक्र हैं।

अध्ययन के लिए रातभर रोशन रहने वाले 30 स्थानों को चुना
अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने 30 सैंपलिंग स्थलों को चुना जो रातभर रोशन रहने वाली मुख्य सड़कों से करीब 100 मीटर दूर थे। यहां 5,500 पत्तियों को एकत्रित किया गया। पत्तियों का कीटों के शाकाहारी स्वभाव व कृत्रिम प्रकाश से प्रभावित होने वाले गुणों का मूल्यांकन किया गया। पता चला कि पत्तियां जितनी सख्ती हुईं, कीटों का आना उतना की कम हो गया।

कृत्रिम प्रकाश ने रात की चमक को करीब 10 फीसदी बढ़ाया
प्रमुख अध्ययनकर्ता शुआंग जैंग के मुताबिक, हमने यह पाया कि प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों की पेड़ों की पत्तियां कीटों से कम प्रभावित रहती हैं। पता चला कि कृत्रिम प्रकाश के कारण ऐसा हो रहा है। कृत्रिम प्रकाश ने रात की चमक को करीब 10% तक बढ़ा दिया है। दुनियाभर में कीट पतंगों की ज्यादातर आबादी हर रात प्रकाश प्रदूषण को महसूस कर रही है।

वनस्पति की गुणवत्ता में गिरावट से उसे खाने वाले कीटों की संख्या में कमी
वैज्ञानिकों के मुताबिक, वनस्पति की गुणवत्ता में गिरावट की वजह से उसे खाने वाले कीटों की संख्या गिरती है, जिसका नतीजा यह होता है कि शिकारी कीट और कीट खाने वाले पक्षी ज्यादा दिखाई नहीं देते। इस वजह से प्राकृतिक परिवेश प्रभावित होता है। कीटों की घटती संख्या दुनियाभर में देखी जा रही है। इसलिए इस परिस्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है।

उपचुनाव की सभी दस सीटों पर बसपा उतारेगी प्रत्याशी, कहा-आरक्षण नेहरू-गांधी की देन नहीं

लखनऊ:  बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उपचुनाव बसपा पूरी दमदारी से लड़ेगी। रविवार को पार्टी प्रदेश कार्यालय में वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं जिलाध्यक्षों की बैठक में उन्होंने कहा कि उपचुनाव की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इसको लेकर सरगर्मी बढ़ रही है। खासकर भाजपा व इनकी सरकार द्वारा इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लेने से भी उपचुनाव में लोगों की रूचि बढ़ी है। बसपा उपचुनाव में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार कर दमदारी से लड़ेगी।

बसपा सुप्रीमो ने बैठक में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए पिछली बैठक में दिए गए दिशा-निर्देशों की प्रगति रिपोर्ट भी ली। साथ ही आगामी उपचुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए जमीनी तैयारियों को परखा। तत्पश्चात अपने संबोधन में कहा कि यूपी समेत पूरे देश में गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि को रोक पाने में सरकार की विफलता के कारण लोगों में आक्रोश है। इन मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए विध्वंसक बुलडोजर राजनीति सहित जाति व धार्मिक उन्माद एवं विवाद पैदा करने का षडयंत्र जारी है।

धर्म परिवर्तन पर नया कानून, एससी-एसटी आरक्षण का उप-वर्गीकरण करने का षडयंत्र लोगों को बांटने का प्रयास है। सरकार जातीय जनगणना से इंकार कर रही है। मस्जिद-मदरसा संचालन व वक्फ संरक्षण आदि में जबरदस्ती सरकारी दखलअंदाजी हो रही है। यूपी सरकार ने नजूल की जमीन के संबंध में जल्दबाजी में फैसला लिया, जिससे लेकर पूरे राज्य में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। सरकारी जमीन लीज पर देने के मामले में भी द्वेष व पक्षपात का रवैया अपनाया जा रहा है, जिसका खुद भाजपा के भीतर विरोध हो रहा है। सरकार की नीयत व नीति पर जनता को विश्वास नहीं रहा है। वहीं कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार की सख्ती कागजों पर ज्यादा है। इसका प्रभाव भाजपा के लोगों पर ही सबसे कम देखने को मिलता है। प्रदेश में बाढ़ से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त है, उनकी मदद देने के बारे में भी सरकार की बयानबाजी ज्यादा है।

आरक्षण गांधी और नेहरू की देन नहीं
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान की जानकारी मिली, जिसमें एससी-एसटी आरक्षण का श्रेय महात्मा गांधी और पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू को देने की बात कही गयी है। इसमें तनिक भी सच्चाई नहीं है। आरक्षण का पूरा श्रेय डाॅ. भीमराव अंबेडकर को ही जाता है। कांग्रेस के लोगों ने उन्हें संविधान सभा में जाने से रोकने की साजिश की, चुनाव में भी हराने का काम किया। कानून मंत्री पद से भी इस्तीफा देने को विवश किया।

वायनाड में पीएम मोदी ने भूस्खलन पीड़ितों का दर्द जाना, मदद का दिलाया भरोसा

वायनाड:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को केरल के भूस्खलन प्रभावित जिले वायनाड का दौरा किया। इस दौरान अस्पताल और राहत शिविरों में पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूस्खलन पीड़ितों से बात की और उनका दर्द जाना। उन्होंने पीड़ितों से वादा किया कि केंद्र सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी। राहत और पुर्नवास के लिए काम किए जाएंगे। इस दौरान पीएम मोदी ने वायनाड के अफसरों के साथ समीक्षा बैठक भी की। उन्होंने कहा कि केरल सरकार के साथ केंद्र सरकार खड़ी हुई है। देखिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वायनाड दौरे की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह कन्नूर एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर के जरिये वायनाड पहुंचे। इस दौरान उन्होंने वायनाड के भूस्खलन प्रभावित पुंचीरीमत्तम, मुंडक्कई और चूरलमाला का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके बाद उनका हेलीकॉप्टर कलपेट्टा के एसकेएमजे जूनियर हाई स्कूल में उतरा। यहां से प्रधानमंत्री कार से चूरलमाला गए। यहां उन्होंने आपदा के बाद सेना द्वारा बनाए गए 190 फुट लंबे बेली ब्रिज को देखा। नुकसान का जायजा लेने के लिए पीएम काफी दूर तक पुल पर पैदल भी चले। उन्होंने चूरलमाला में भी ट्रैकिंग की।
राहत शिविरों में पीड़ितों से की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहत शिविर में पहुंचकर आपदा से प्रभावित लोगों से बात भी की। इस आपदा में 200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। जबकि 130 लोग अभी भी लापता हैं। प्रधानमंत्री ने पीड़ितों की चिंताओं और जरूरतों को सुना। साथ ही सांत्वना दी।