Saturday , November 23 2024

विदेश

इस्राइल पर हमले का मास्टरमाइंड ढेर, आईडीएफ ने की हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दइफ की मौत की पुष्टि

इस्राइल के एक और दुश्मन की मौत की पुष्टि हुई है। दरअसल इस्राइल ने कहा है कि हमास का शीर्ष सैन्य कमांडर मोहम्मद दाइफ की जुलाई में मारा जा चुका है। मोहम्मद दइफ ही इस्राइल पर 7 अक्तूबर को हुए हमले का मास्टरमाइंड था। मोहम्मद दाइफ की मौत एक एयर स्ट्राइक में हुई। इस्राइल की सेना ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि हमास का सैन्य कमांडर मोहम्मद दइफ जुलाई में ही एक एयर स्ट्राइक हमले में मारा गया था। यह एयर स्ट्राइक गाजा के दक्षिणी इलाके खान यूनिस में की गई थी। इस्राइली सेना का यह बयान हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत के एक दिन बाद ही आया है। हानिया का बुधवार को ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या कर दी गई थी।

खान यूनिस में एक हवाई हमले में मारा गया
इस्राइली सेना बताया कि उन्हें कुछ घंटे पहले ही खुफिया जानकारी मिली है कि मोहम्मद दइफ की जुलाई में ही मौत हो चुकी है। इस्राइली सेना ने खान यूनिस इलाके में स्थित एक कंपाउंड को निशाना बनाकर 13 जुलाई को एयर स्ट्राइक की थी। इसी हमले में मोहम्मद दइफ मारा गया। इस्राइली सेना को सूचना मिली थी कि इस कंपाउंड में मोहम्मद दइफ आया था। दइफ के आने की सूचना पर ही कंपाउड पर हवाई हमला किया गया था, लेकिन हमले में दइफ मारा गया या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी। अब पुष्टि होने पर इस्राइली सेना ने इसे बड़ी कामयाबी बताया है। इस्राइल के एक मंत्री ने कहा है कि हमास का खात्मा अब नजदीक है।

इस्राइल पर हुए हमले के पीछे का मास्टरमाइंड था मोहम्मद दइफ
मोहम्मद दइफ (58 वर्षीय) हमास की इज-अल-दीन अल कसाम ब्रिगेड का कमांडर था और करीब दो दशकों तक इस पद पर रहा। दइफ को इस्राइल का सबसे बड़ा दुश्मन और हमास की सैन्य ताकत के पीछे सबसे अहम माना जाता था। इस्राइल में 7 अक्तूबर को हुए हमले के पीछे मोहम्मद दइफ को ही मास्टरमाइंड माना जाता है। उस हमले में 1200 लोगों की मौत हुई थी और ढाई से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया था।

आरक्षण की आग में झुलसे बांग्लादेश की बड़ी कार्रवाई, जमात-ए-इस्लामी और छात्र विंग पर लगाया प्रतिबंध

पड़ोसी देश बांग्लादेश में राष्ट्रव्यापी अशांति के बाद अब सरकार की तरफ से कार्रवाई की खबरें सुर्खियों में है। बता दें कि सरकार ने कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र विंग पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत कार्रवाई करते हुए प्रतिबंध लगाया है।

सार्वजनिक सुरक्षा प्रभाग ने जारी किया आदेश
बांग्लादेश गृह मंत्रालय के सार्वजनिक सुरक्षा प्रभाग की तरफ से गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख सहयोगी इस्लामी पार्टी पर प्रतिबंध की पुष्टि की गई। जमात, छात्र शिबिर और अन्य संबद्ध समूहों पर प्रतिबंध आतंकवाद विरोधी अधिनियम की धारा 18(1) के तहत एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से लगाया गया।

छात्रों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया- हसीना
वहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गुरुवार को कहा, उन्होंने छात्रों को अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल किया। बता दें कि बांग्लादेश सरकार ने मंगलवार को सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर देश भर में छात्रों के घातक विरोध प्रदर्शन के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। सरकार ने आरोप लगाया कि जमात इस आंदोलन का फायदा उठा रही है, जिसमें कम से कम 150 लोग मारे गए।

गठबंधन की बैठक के बाद लिया गया फैसला
दरअसल सत्तारूढ़ अवामी लीग के नेतृत्व वाले 14-पार्टी गठबंधन की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है, जिसमें इस हफ्ते की शुरुआत में एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि जमात को राजनीति से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। जमात पर प्रतिबंध लगाने का हालिया फैसला 1972 में राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का दुरुपयोग करने के लिए इसके प्रारंभिक प्रतिबंध के 50 साल बाद आया है। सत्तारूढ़ अवामी लीग के शीर्ष नेता ने मुक्ति संग्राम में इसकी भूमिका के कारण जमात पर प्रतिबंध का समर्थन किया है। बता दें कि अदालती फैसलों के कारण अपना पंजीकरण खोने और चुनाव से प्रतिबंधित होने के बावजूद भी जमात देश में सक्रिय रही।

‘अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट नैतिकता के संकट में फंसा’, ट्रंप को राहत देने के मामले में बाइडन का भड़का गुस्सा

अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में रिपब्लिकन की ओर से डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट्स की तरफ से कमला हैरिस मैदान में हैं। दोनों प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इस बीच, राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्रंप को लेकर दिए गए हालिया आदेश को लेकर देश की न्यायपालिका प्रणाली की अखंडता और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट नैतिकता के संकट में फंसा हुआ है।

शीर्ष अदालत की कड़ी आलोचना
81 वर्षीय बाइडन ने सोमवार को टेक्सास के ऑस्टिन में लिंडन बी जॉनसन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी में नागरिक अधिकार अधिनियम की 60वीं वर्षगांठ पर भाषण देते हुए शीर्ष अदालत की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि अपने अतिवादी फैसलों के अलावा अदालत नैतिकता के संकट में फंस गई है।

ट्रंप बनाम अमेरिका मामले में एक खतरनाक मिसाल
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बनाम अमेरिका मामले में एक खतरनाक मिसाल कायम की है, जो काफी चौंकाने वाला है। बाइडन ने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, अदालत ने फैसला सुनाया कि राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए किए गए संभावित अपराधों के लिए कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

यह है मामला
गौरतलब है, इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में किए गए कुछ कार्यों के लिए आपराधिक अभियोजन से सीमित छूट का दावा कर सकते हैं। इससे उनके खिलाफ चुनाव में गड़बड़ी के संघीय आरोपों के संबंध में चल रही सुनवाई में और देरी होने की उम्मीद बढ़ गई। इससे यह संभावना समाप्त हो गई कि पूर्व राष्ट्रपति पर नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले मुकदमा चलाया जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार को पलटने की साजिश रची थी।

बुनियादी उम्मीदों का पूरी तरह से अपमान
बाइडन ने कहा, ‘यह फैसला उन बुनियादी उम्मीदों का पूरी तरह से अपमान है, जो इस देश में सत्ता संभालते हैं, उनसे कानून के तहत पूरी तरह से जवाबदेह होने की अपेक्षा की जाती है। राष्ट्रपति अब कानून से बाध्य नहीं हैं और सत्ता के दुरुपयोग पर केवल राष्ट्रपति द्वारा ही स्वयं सीमाएं लगाई जाएंगी। यह एक बुनियादी रूप से गलत दृष्टिकोण और एक बुनियादी रूप से गलत सिद्धांत, एक खतरनाक सिद्धांत है।’

डेमोक्रेट्स का बड़ा दांव, ग्रीन कार्ड धारकों के लिए मुहिम; तीन हफ्ते में अमेरिकी नागरिकता की पहल

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए महज चार माह शेष हैं। ऐसे में हाई-वोल्टेज चुनाव प्रचार के बीच, देश के ग्रीन कार्ड धारकों को नागरिकता दिलाने और 5 नवंबर को मतदान के लिए पंजीकरण कराने के मकसद से मनाने के प्रयास जोरों पर हैं। बाइडन प्रशासन ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। साथ ही इस संकट से जूझ रहे भारतीय अमेरिकियों को शामिल करने तथा वोट करने के लिए प्रेरित किया है।

व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर 20 दोस्तों को शामिल करने की अपील
एशियन अमेरिका पेरिफिक आइलैंडर्स विक्ट्री फंड के अध्यक्ष व संस्थापक शेखर नरम्हिन ने कहा, यदि आपके पास ग्रीन कार्ड है और आप यहां पांच वर्ष से हैं तो अपनी नागरिकता प्राप्त करें। अभी समय है, वोट करने के लिए पंजीकरण करें। कई राज्यों में आपको पहले से पंजीकरण करना होता है और इसकी समय सीमा होती है। अंत में एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर 20 दोस्तों को शामिल करें। हर दिन एक-दूसरे को याद दिलाएं, क्योंकि यह महत्वपूर्ण है। और वोट करने के लिए निकलें।

क्या है ग्रीन कार्ड, किन देशों के लोगों को मिलता है फायदा
बता दें, अमेरिका में ग्रीन कार्ड आधिकारिक तौर पर स्थायी कार्ड है, जो एक पहचान दस्तावेज के रूप में किसी व्यक्ति के अमेरिका में स्थायी निवास का प्रमाण पत्र है। ग्रीन कार्ड धारकों में बड़ी संख्या में एशियाई-अमेरिकी और भारतीय-अमेरिकी हैं। यह भी दिलचस्प है कि बाइडन ने अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का एलान करते हुए भारतवंशी डेमोक्रेट कमला हैरिस का समर्थन किया है। ऐसे में बाइडन प्रशासन के इस फैसले से बड़ी संख्या में भारतीय लोगों पर भी असर होने के आसार है।

तीन सप्ताह में ले सकते हैं नागरिकता
जिन्होंने अब तक नागरिकता नहीं ली है वे तय करें कि नागरिकता के लिए तुरंत आवेदन करें। वे तीन सप्ताह में इसे हासिल कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की उम्मीदवारी ने भारतवंशियों, एशियाई-अमेरिकियों व अन्य समुदायों में अभूतपूर्व स्तर की ऊर्जा व उत्साह पैदा किया है।

राष्ट्रपति चुनाव में विक्रमसिंघे के समर्थन में विपक्ष के सांसद; गुस्साई SLPP ने दी कार्रवाई की धमकी

श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव 21 सितंबर को होने वाले हैं। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। इस बीच एक जानकारी सामने आई, जिससे सियासी गलियारों में हलचल पैदा हो गई। दरअसल, राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी या पीपुल्स फ्रंट) पार्टी के कम से कम 75 सांसदों ने विक्रमसिंघे के फिर से चुनाव लड़ने के फैसले का समर्थन किया है। इसपर एसएलपीपी ने अपने सांसदों पर कार्रवाई करने की धमकी दी है।

एसएलपीपी ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का समर्थन नहीं करने का लिया फैसला
श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट (एसएलपीपी, जिसे स्थानीय रूप से इसके लोकप्रिय सिंहली नाम से भी जाना जाता है और श्रीलंका पोदुजना पेरामुना) ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का समर्थन नहीं करने और इसके बजाय राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है। बता दें, 75 वर्षीय विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी।

श्रीलंका पोदुजना पेरामुना के महासचिव सागर करियावासम ने सोमवार को पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा, ‘एसएलपीपी पार्टी की बैठक में चुनाव चिह्न फूल की कली के तहत अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने का फैसला लिया है।

साल 2022 में बदली थी राजनीतिक तस्वीर
एसएलपीपी तब से अव्यवस्था में है, जब पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे को 2022 के लोकप्रिय विद्रोह के बाद आर्थिक संकट से निपटने में असमर्थता के कारण पद से हटा दिया गया था और उन्होंने तब संसद में विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति बनने के लिए समर्थन दिया था।

रक्षा राज्य मंत्री ने किया राष्ट्रपति का समर्थन
रक्षा राज्य मंत्री प्रेमिता बंडारा तेनाकून ने सबसे पहले एलान किया कि वह पार्टी के फैसले के बावजूद राष्ट्रपति पद के लिए विक्रमसिंघे का समर्थन करेंगे। इसके बाद एसएलपीपी ने जब घोषणा की कि वह अलग चुनाव लड़ेगी तो पार्टी के सांसदों के एक बड़े समूह ने विक्रमसिंघे का समर्थन करने का फैसला लिया।

एसएलपीपी सांसद प्रेमनाथ सी डोलेवट्टा ने कहा, ‘हमारे समूह में 75 से अधिक एसएलपीपी सांसद हैं, जो राष्ट्रपति का समर्थन कर रहे हैं।’

इस बीच, मंगलवार को विक्रमसिंघे ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि वह उन लोगों के आभारी हैं, जिन्होंने 2022 में श्रीलंका के दिवालिया होने के बाद अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम करने के लिए उनके साथ गठबंधन किया।

‘3.6 लाख नए समर्थक जुड़े’, कमला हैरिस की चुनावी टीम का दावा; अब डेमोक्रेटिक राष्ट्रीय सम्मेलन पर निगाहें

अमेरिका में इस वर्ष राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच जीत के लिए जोर आजमाइश हो रही है। इस बीच जो बाइडन के राष्ट्रपति पद की दौड़ से कदम वापस लेने के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी का दारोमदार उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के कंधों पर आ गया है। इस बीच खबर है कि कमला हैरिस को 3,60,000 लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ है। कमला हैरिस की चुनावी टीम ने इस बारे में जानकारी दी है। हैरिस की चुनावी टीम के अनुसार, यह साबित करता है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरीं कमला हैरिस को जमीनी समर्थन प्राप्त हो रहा है।

डेमोक्रेटिक राष्ट्रीय सम्मेलन पर टिकीं निगाहें
आपको बता दें कि जो बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव की रेस से पीछे हटने के बाद कमला हैरिस ने आधिकारिक रूप से अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया था। माना जा रहा है कि अगले महीने शिकागो में होने वाले डेमोक्रेटिक राष्ट्रीय सम्मेलन में कमला हैरिस के नाम पर आधिकारिक रूप से मुहर भी लग जाएगी। अगर पांच नवंबर को होने वाले चुनाव में कमला हैरिस की जीत होती है, तो वह ना सिर्फ अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगीं बल्कि पहली भारतीय-अमेरिकी के साथ साथ पहली एशियाई और पहली अश्वेत महिला राष्ट्रपति होंगीं। इससे पहले रविवार को कमला हैरिस की चुनावी टीम ने दावा किया था कि एक सप्ताह के भीतर 20 करोड़ डॉलर जुटाए हैं।

कमला हैरिस की चुनावी टीम के निदेशक ने क्या कहा?
कमला हैरिस की चुनावी टीम के निदेशक डेन कैन्निनेन ने कहा, ‘हम कमला हैरिस के अभियान को लेकर जबरदस्त उत्साह देख रहे हैं। पहले एक सप्ताह के भीतर हमने 20 करोड़ डॉलर जुटाए, जिसमें नए दाताओं की हिस्सेदारी दो तिहाई थी। अब आज हमे 3,60,000 नए लोगों का सम्थन प्राप्त हुआ है।’ डेन कैन्निनेन ने आगे कहाकि इस सप्ताहांत तक हमें 170,000 नए समर्थकों का साथ मिला है। शनिवार को कमला हैरिस ने कहा था, हम राष्ट्रपति पद की दौड़ में उपेक्षित हैं। कैन्निनेन ने आगे कहा, ‘उप राष्ट्रपति को जमीनी स्तर से मिल रहा यह समर्थन पूरी तरह से सच्चा और सार्थक है। अब हमारा लक्ष्य इस उत्साह को एक्शन में बदलना है।’

निकोलस मादुरो तीसरी बार चुने गए वेनेजुएला के राष्ट्रपति, विपक्ष ने लगाए धांधली के आरोप

वेनेजुएला में हुए राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर निकोलस मादुरौ की सत्ता में वापसी हुई है और वह लगातार तीसरी बार वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए हैं। हालांकि विपक्ष ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए नतीजों पर सवाल उठाए हैं। वेनेजुएला में राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को मतदान हुआ था। देश के विभिन्न मतदान केंद्रों पर लोगों की भारी भीड़ देखी गई थी और करीब दो करोड़ पंजीकृत मतदाताओं ने राष्ट्रपति चुनाव में मतदान किया था।

विपक्ष अपनी जीत को लेकर था आश्वस्त
वेनेजुएला के चुनाव आयोग नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल के प्रमुख एल्विस एमोरोसो ने बताया कि निकोलस मादुरो को 51 प्रतिशत वोट मिले। वहीं विपक्ष के नेता एडमुंडो गोंजालेज को 44 प्रतिशत मत मिले। विपक्ष अपनी जीत को लेकर इतना सुनिश्चित था कि चुनाव नतीजे आने से पहले ही विपक्ष के नेताओं ने सोशल मीडिया पर जीत के दावे करना और जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था। एग्जिट पोल्स के नतीजों में भी गोंजालेज को बड़े अंतर से जीतता हुआ बताया गया था, जिससे विपक्ष के हौसले बुलंद थे। हालांकि जैसे ही नतीजे सामने आए तो विपक्ष हैरान रह गया। विपक्ष चुनाव में धांधली का आरोप लगा रहा है।

निकोलस मादुरो को मिली थी कड़ी चुनौती
मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को इस चुनाव में एकजुट विपक्ष से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था। विपक्ष ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि वे बीते एक दशक से जारी आर्थिक संकट को दूर करेंगे। वेनेजुएला में आर्थिक संकट के चलते करीब 70 लाख लोग देश छोड़कर अन्य देशों में बस चुके हैं। 74 वर्षीय एडमुंडो गोंजालेज युरुशिया के नेतृत्व में विपक्ष ने मादुरो के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि वह बीते 11 वर्षों से सत्ता पर काबिज निकोलस मादुरो को मात नहीं दे सके।

श्रीलंका के न्याय मंत्री विजयदासा राजपक्षे का इस्तीफा, विक्रमसिंघे के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव

श्रीलंका के न्याय मंत्री विजयदासा राजपक्षे ने सोमवार को कहा कि उन्होंने आगामी 21 सितंबर को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसी के साथ विजयदासा राजपक्षे राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के बाद राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले दूसरे उम्मीदवार बन गए हैं। बता दें कि बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।

मैं एक नए मोर्चे के तहत चुनाव लडूंगा- विजयेदासा
विजयेदासा राजपक्षे ने आगे कहा कि मैंने चुनाव लड़ने के लिए अपने मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया है। मैं एक नए मोर्चे के तहत चुनाव लडूंगा, जिसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी। जब मैंने और राष्ट्रपति ने चुनाव लड़ने की अपनी मंशा की घोषणा की, तो कुछ मुद्दे उठे। मुख्य मुद्दा यह था कि मंत्रिमंडल के दो लोग राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रहे थे, भले ही हम दो अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे थे। राष्ट्रपति ने इस पर मेरी राय मांगी और मैंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।

सिरिसेना कर रहे हैं राजपक्षे का समर्थन
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई क्षेत्रों में मुद्दों को हल करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने आगे विश्वास जताया कि राष्ट्रीय चुनाव आयोग आगामी चुनावों के संबंध में स्वतंत्र रूप से और संविधान के अनुसार काम करेगा। बता दें कि विजयदासा राजपक्षे को पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना का समर्थन प्राप्त है, जो फ्रीडम पार्टी के एक गुट का नेतृत्व करते हैं।

विपक्ष का दावा राजपक्षे की एसएलपीपी सदस्यता है अमान्य
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को एसएलएफपी के नेता के रूप में उनके कामकाज पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की गई थी। बाद में सिरिसेना ने एसएलएफपी के नेता राजपक्षे को नियुक्त किया, जिस पर एक अन्य कैबिनेट मंत्री निमल सिरिपाला डी सिल्वा के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी एसएलएफपी गुट ने अदालत में विवाद खड़ा कर दिया। विपक्ष का दावा है कि राजपक्षे एसएलपीपी के सदस्य बने हुए हैं और उनकी कथित एसएलएफपी सदस्यता अमान्य है। हालांकि, राजपक्षे ने दावा किया कि श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के 90 प्रतिशत सदस्य उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं।

‘लेबनान में रहने वाले भारतीय सतर्क और मिशन के संपर्क में रहें’, दूतावास की गाइडलाइन

लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्ला और इस्राइल के बीच लगातार तनातनी की खबरें सामने आ रहीं हैं। इस वजह से लेबनान स्थित भारतीय दूतावास ने वहां मौजूद भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने के लिए परामर्श जारी किया है। भारतीय नागरिकों से कहा गया है कि किसी भी जानकारी के लिए लगातार दूतावास के संपर्क में रहें।

बीते शनिवार हिजबुल्ला ने इस्राइल पर किया था रॉकेट से हमला
आपको बता दें कि बीते वर्ष आठ अक्तूबर से इस्राइली सेना और हिजबुल्ला के बीच सीमा पर संघर्ष चल रहा है। इस्राइल के अनुसार, बीते शनिवार को हिजबुल्ला ने इस्राइल में एक फुटबॉल के मैदान में रॉकेट से हमला कर दिया था। इस हमले में में 12 बच्चे और किशोर मारे गए थे। इसके बाद से इस्राइल और हिजबुल्ला के बीच संघर्ष और भी अधिक बढ़ गया है। अधिकारियों का कहना है कि जबसे इस्राइल और हिजबुल्ला के बीच संघर्ष शुरू हुआ है, तबसे यह अब तक का सबसे घातक हमला था। आगे बताया गया है कि इस्राइल की उत्तरी सीमा पर हिजबुल्ला द्वारा किया गया यह सबसे भयानक हमला था। इस हमले के बाद से सीमा पर संघर्ष बढ़ने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है।

बांग्लादेश में ताजा प्रदर्शनों के आह्वान को लेकर अलर्ट, पुलिस-अर्द्धसैनिक बलों ने बढ़ाई पेट्रोलिंग

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार को लेकर हिंसा जारी है। देशभर में जारी हिंसा के बीच पहली बार बांग्लादेश सरकार ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि देशभर में फैले अशांति में 150 छात्रों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान जारी कर बताया कि सरकार ने फैसला किया कि देशभर में कल शोक मनाया जाएगा। सोमवार को बांग्लादेशी सेना और अर्धसैनिक बल ने राजधानी ढाका में पेट्रोलिंग की। वहीं पुलिस ने चप्पे-चप्पे की कड़ी निगरानी कर रही है। गुप्त सूत्रों से मिले इनपुट के बाद सुरक्षा बलों ने उपद्रवियों से निपटने की सभी तैयारियां शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी छात्रों के एक गुट ने बीती रात में ही नए दौर के विरोध प्रदर्शन का आह्वान कर दिया है। यह बात उस वक्त सामने आई, जब उनके छह समन्वयकों ने प्रदर्शन वापस लेने की घोषणा कर दी थी।

पीएमओ कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, “कल देशभर में शोक मनाया जाएगा। हिंसा में जान गंवाने वालों की याद में सभी से काला बैंड पहनने का भी अनुरोध किया गया है। मृतकों और घायलों के लिए देश भर के सभी मस्जिदों चर्चों और मंदिरों में पूजा करने के लिए भी कहा गया है।”

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमने ताजा हिंसा को रोकने के लिए सेना जुटा ली है।” गवाहों और टीवी फुटेज के अनुसार, सुरक्षा बल, सेना के साथ राजधानी के मुख्य जगहों की रक्षा में जुटे हुए हैं। पुलिस अर्धसैनिक बलों के साथ सड़कों पर पेट्रोलिंग कर रही है। सोमवार को छात्रों के एक समूह ने एक नए विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। दरअसल, इसी समूह के छह नेताओं ने प्रदर्शन को वापस लेने की घोषणा की थी।

बता दें कि बीते महीने 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया है।